Wednesday 2 December 2015

बॉलीवुड एक्टर ही बनाते हैं विलेन को हीरो !

सूरज बड़जात्या की दिवाली में रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'प्रेम रतन धन पायो' राजे- रजवाड़ों की कहानी हैं।  राजमहल के षडयंत्र और कुचक्र हैं।  एक अदद प्रेम कहानी भी है।  फिल्म में सलमान खान नील नितिन मुकेश भाई भाई हैं। 'जानी दुश्मन: एक अनोखी कहानी' के नायक अरमान कोहली फिल्म में सलमान और नील के चचेरे भाई बने हैं।  इन ऑन स्क्रीन भाइयों  में हिंदी फिल्मों की परंपरा में विलेन के दो रूप नज़र आएंगे।  नील नितिन मुकेश रील लाइफ में गलतफहमी की वजह से बुरे काम करने वाले भाई बने हैं, जो गलतफहमियां दूर होने पर सुधर भी सकता है ।  जबकि, अरमान कोहली एक वास्तविक विलेन बने हैं, जिसका अच्छाइयों से कोई वास्ता नहीं।  प्रेम रतन धन पायों में अपने विलेन किरदार को लेकर अरमान कोहली कहते हैं, "मैं सूरज बड़जात्या की फिल्मों का पहला विलेन हूँ।" प्रेम रतन धन पायो में, जहाँ नील का किरदार हीरो से कुछ टाइम के लिए विलेन बन जाता है, वहीँ अरमान का किरदार जन्मजात विलेन है। उसका शगल है गलत काम करना। ऑन स्क्रीन यह किरदार फिल्म अभिनेताओं ने अपने करियर के भिन्न मुकाम पर किये।  ऐसा करना उनकी मज़बूरी भी थी और रणनीति भी।
गलतफहमियों ने बनाया विलेन
हिंदी फिल्मों में, आम तौर पर इसी प्रकार के किरदार पाये जाते हैं।  फिल्म 'आई मिलन की बेला' (१९६४) में धर्मेन्द्र और फिल्म 'आदमी और इंसान' (१९६९) में धर्मेन्द्र गलतफहमी में अपने दोस्त के साथ बुरा बर्ताव करते थे। 'उपकार' और 'दो रास्ते' का प्रेम चोपड़ा का विलेन वास्तव में  गलतफहमी का शिकार हीरो था।   लेकिन, इन्ही प्रेम चोपड़ा ने 'मेरा साया' 'तीसरी मंज़िल', 'झुक गया आसमान', 'कटी पतंग' आदि दसियों फिल्मों में खालिस खल किरदार किये। पचास-साठ के दशक में नियमित खल किरदार के अलावा इसी प्रकार के विलेन भी देखने को मिलते थे, जो गलतफहमी के कारण विलेन जैसे हो जाते थे ।  'प्रेम रतन धन पायो' के नील नितिन मुकेश को इसी दर्जे के विलेन में रखा जा सकता है।  
असफल हीरो बना विलेन 
लेकिन, अरमान कोहली खालिस विलेन बने हैं। उनके किरदार की फितरत ग्रे है।  उसे बुरा सोचना, बुरा चेतना और बुरा करना पसंद है।  इस लिहाज़ से अरमान कोहली उन विलेन की श्रेणी में आते हैं, जिन्होंने हिंदी फिल्मो में हीरो के रूप में कदम रखा।  फिल्म निर्माता राजकुमार कोहली और पूर्व फिल्म अभिनेत्री निशि के बेटे अरमान कोहली ने १९९२ में रिलीज़ फिल्म 'विद्रोही' से हिंदी फिल्मों में कदम रखा।  इस फिल्म का निर्माण उस समय तक 'गोरा और काला', 'नागिन' और जानी दुश्मन' जैसी हिट  फिल्म दे चुके, राजकुमार कोहली ने ही बनाया था।  लेकिन, विद्रोही बुरी तरह से फ्लॉप हुई।  इस असफलता के बाद अरमान कोहली फिर नहीं पनप सके।  अरमान कोहली की तरह बतौर नायक असफल करियर के बाद विलेन बनने वालों में विवेक ओबेरॉय का नाम भी शामिल है।  'कंपनी', 'रोड', 'साथिया', 'युवा' आदि फिल्मों के नायक रहे विवेक ओबेरॉय को लगातार फ्लॉप फिल्म के कारण राजेश रोशन की फिल्म 'कृष ३' में विलेन का चोला  अपनाना पड़ा।  अनिल कपूर के छोटे भाई संजय कपूर हिंदी फिल्मों में बतौर नायक सफल नहीं हो सके तो फिल्म 'शक्ति: द पावर' में  विलेन बन गए। 
खलनायक- नायक 
कभी कभी हिंदी फिल्मों का नायक  वास्तव में विलेन ही होता है। पहले, नायक के लिए ऐसे ही चरित्र लिखे जाते थे। आजकल, उन्हें एंटी-हीरो कह दिया जाता है और विलेन के तमगे से साफ़ बचा लिया जाता है। धूम सीरीज की फिल्मों में कोई हीरो नहीं।  जो हीरो है (अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा), वह वास्तव में साइड हीरो है। खल-नायक ही वास्तव में नायक है। इसी तरह से, डर, बाज़ीगर और अंजाम का खलनायक ही फिल्म का नायक है। इन फिल्मों ने खान को स्टार हीरो बना दिया।  शाहरुख़ खान की 'डॉन' सीरीज की फिल्मों के उनके किरदार को क्या कहा जायेगा?  'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा' में अक्षय कुमार ने डॉन दाऊद इब्राहिम का किरदार किया है।  उनसे पहले, इसी फिल्म के पहले हिस्से में अजय देवगन ने हाजी मस्तान का खल किरदार किया था।  इन फिल्मों में इमरान हाशमी के किरदार भी बुरे थे। रामगोपाल वर्मा की अधिकतर फिल्मों का नायक वास्तव में विलेन ही होता है। अमिताभ बच्चन, इसी कथित एंटी-हीरो के सहारे ही सुपर स्टार बने।  इसी साल रिलीज़ श्रीराम राघवन की फिल्म 'बदलापुर' का नायक भी एक विलेन ही है। मणि रत्नम की फिल्म 'रावण' में अभिषेक बच्चन हीरो थे।  लेकिन, उनका किरदार एक डाकू का था। एक विलेन' में रितेश देशमुख विलेन होने के बावजूद हीरो सिद्धार्थ मल्होत्रा को पीछे धकेल देते हैं।  'अग्निसाक्षी' में नाना पाटेकर के कारण जो विलेन हीरो बन गया था, वह याराना में राज बब्बर और दरार में अरबाज़ खान के कारण हीरो नहीं बनने पाता।  
कुछ ऐसे विलेन भी 
इन तमाम विलेन के बीच कुछ दूसरे विलेन भी हैं।  इन खलनायकों को किस श्रेणी में रखेंगे।  'अग्निपथ' के संजय दत्त और ऋषि कपूर के विलेन किस श्रेणी में हैं।  यह नायक से खलनायक बने हैं।  लेकिन, फिल्म में पूरे विलेन हैं।  यह रितेश देशमुख की तरह हीरो बन कर नहीं आते।  क्या फिल्म 'किक' में सलमान खान के हीरो को विलेन कहा जा सकता है ? ओमकारा के सैफ अली खान के लंगड़ा त्यागी का किरदार क्या है ? 'किल बिल' में गोविंदा ने विलेन किरदार किया था।  अक्षय कुमार ने फिल्म अजनबी में भी नेगेटिव किरदार किया था। दिल्लगी में आज के नायक अजय देवगन और हमराज में अक्षय खन्ना ने विलेन का किरदार किया था।  अब यह बात दीगर है कि अक्षय खन्ना लगातार असफल फिल्मों के बाद हिंदी फिल्म में ज़्यादा विलेन के रोल ही कर रहे हैं।
जब डायरेक्टर बने विलेन 
अनुराग कश्यप की फिल्म 'बॉम्बे वेलवेट' में फिल्म निर्देशक करण जौहर का किरदार विलेन की खूबियों वाला है। अनुराग कश्यप की ही फिल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' में निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने बुरे नेता का किरदार किया है।  कमीने में स्टैनली का डब्बा के निर्देशक अमोल गुप्ते ने गैंगस्टर की भूमिका की थी। तिग्मांशु धूलिया की फिल्म 'शागिर्द' में खल चरित्र कर चुके अनुराग कश्यप साउथ के निर्देशक एआर मुरुगदॉस की फिल्म 'अकीरा' एक गंजे, बड़ी मूंछो वाले और भोजपुरी बोलने वाले विलेन के रूप में नज़र आएंगे।    
हीरोइन भी बनी वैम्प 
हिंदी फिल्मों की नायिका अभिनेत्रियां भी अपने नायकों के नक़्शे कदम पर चलती प्रतीत होती हैं। सनी देओल के साथ बेताब से हिंदी फिल्म डेब्यू करने वाली अमृता सिंह ने आइना और कलयुग में एक बुरी बहन और देह व्यापार में लिप्त महिला का किरदार किया था। फिल्म गुप्त की काजोल, खून भरी मांग की सोनू वालिया, साहब बीवी और गैंगस्टर की माही गिल, एक थी डायन की  कल्कि कोएच्लिन और कोंकणा सेन शर्मा, ऐतराज की प्रियंका चोपड़ा, जिस्म की बिपाशा बासु, इश्क़िया की विद्या बालन, प्यार तूने क्या किया की उर्मिला मातोंडकर, अरमान की प्रीटी जिंटा और इसी साल रिलीज़ फिल्म गुलाब गैंग में जूही चावला का किरदार हिंदी फिल्मों के नायकों की परम्परा में नेगटिव है।













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