Friday, 25 December 2015

रहस्यमय सौंदर्य की साधना !

यह वाक़या १९६० का है।  निर्माता शशधर मुख़र्जी की फिल्म 'लव इन शिमला' रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म से दो नए चेहरे  लांच हो रहे थे। फिल्म के हीरो जॉय मुख़र्जी, शशधर  मुख़र्जी के बेटे थे।  फिल्म की नायिका साधना एक छोटे एक्टर हरी शिवदासानी की भतीजी थीं।  फिल्म के निर्देशक आर के नय्यर की भी यह पहली फिल्म थी।  यह फिल्म कहानी थी एक मोटा चश्मा पहनने वाली अनाथ लड़की की।  उस बदसूरत लड़की को कोई प्यार नहीं करता था ।  तब उसकी दादी उसे खूबसूरत बनाती है।  इस फिल्म से अविभाजित  भारत के सिंध प्रान्त में २ सितम्बर १९४१ को एक सिंधी परिवार में पैदा अभिनेत्री का आगमन हुआ था।  अपनी पहली ही फिल्म से साधना ने बॉलीवुड में तहलका मचा दिया था।  आर के नय्यर ने उन्हें ऑड्रे हेपबर्न की तर्ज़ पर बालों को सेट किया था।  हिंदुस्तान में यह सेटिंग 'साधना कट' बाल के नाम से मशहूर हुए।  साधना रातों रात स्टार बन गयीं। लव इन शिमला श्वेत श्याम फिल्म थी।  १९६१ में रिलीज़ शम्मी कपूर और सायरा बानो की फिल्म जंगली ने हिंदी फिल्मों में रंग स्थाई कर दिए।  जंगली के निर्माता और निर्देशक शशधर मुख़र्जी के भाई सुबोध मुख़र्जी थे। लेकिन, साधना ने लव इन शिमला के बाद रिलीज़ श्वेत श्याम
फिल्मों हम दोनों, प्रेम पत्र, मनमौजी, एक मुसाफिर एक हसीना और असली नक़ली से अपने हुस्न का वह
जलवा बिखेरा कि  यह शोख हीरोइन दर्शकों के दिलों में समां गयी।  साधना की पहली रंगीन फिल्म एच एस रवैल की 'मेरे मेहबूब' ने तो साधना की शोखियों को गहरा कर दिया था। इसके बाद साधना ने राजकुमार, वक़्त, आरज़ू, मेरा साया, अनीता, सच्चाई, इन्तेक़ाम, एक फूल दो माली, आप आये  बहार आयी, आदि फिल्मों से जुबलियों की भरमार कर दी। साधना के सन्दर्भ में दिलचस्प तथ्य यह था कि  सुपर हिट फिल्म जंगली से अपने करियर की हिट शुरुआत करने वाली सायरा  बानो की अगली फिल्म शादी श्वेत श्याम थी।  शादी बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से असफल हुई।  अपनी इस असफलता से सायरा बानो कुछ इतना हड़बड़ाई कि  उन्होंने फिर कभी कोई श्वेत श्याम फिल्म न करने की कसम खा ली।   लेकिन, दूसरी ओर, जब साधना एक के बाद एक रंगीन हिट फ़िल्में दे रही थीं, उनकी एक बाद एक तीन फ़िल्में वह कौन थी, पिकनिक और दूल्हा दुल्हन श्वेत श्याम में रिलीज़ हुई।  वह कौन थी एक बड़ी सफल फिल्म थी।
साधना, जितनी सुन्दर थीं, उनका चेहरा उतना ही रहस्यमय भी था। इसीलिए, साधना वह कौन थी, अनीता, मेरा साया, आदि रहस्य फिल्मों को सफल बनाने में कामयाब हो पायीं। साधना के सफलता के दौर में आशा पारेख और सायरा बानो की फ़िल्में भी हिट हो रही थीं।  लेकिन, साधना ने जो मुक़ाम बनाया, उससे उन्हें कोई अभिनेत्री हटा नहीं पायीं।  उनकी दर्शकों पर पकड़ का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने १९६६ में अपनी पहली फिल्म के डायरेक्टर आर के नय्यर से शादी कर ली थी, इसके बावजूद उनकी शादी के बाद रिलीज़ अनीता, एक फूल दो माली, इन्तेक़ाम और आप आये बहार आई जैसी फ़िल्में सुपर हिट हुई।  उन्हें १९६३ से १९६७ के दौरान सबसे ज़्यादा पारिश्रमिक पाने वाली टॉप की अभिनेत्री वैजयंतीमाला के बराबर पारिश्रमिक मिला करता था। १९६१-६२ में उन्हें नंदा के बराबर दूसरा सबसे ज़्यादा पारिश्रमिक मिलता था। १९६९ से १९७३ तक वह पारिश्रमिक के  लिहाज़ से तीसरे नंबर की अभिनेत्री थीं। साधना को फैशन आइकॉन कहना ठीक होगा।  वह एक ऐसी अभिनेत्री थी, जिसने साधना कट बालों का फैशन चलाने के बाद फिल्म वक़्त में चूड़ीदार और कुरता पहन कर युवा लड़कियों में इसका क्रेज पैदा कर दिया।
साधना ने १९७४ में फिल्मों में अभिनय बंद कर दिया था। उनकी एक रुकी हुई फिल्म 'उल्फत की नयी मंज़िलें' २० साल बाद १९९४ में रिलीज़ हुई थी।   चूंकि,इस फिल्म में साधना का काम पूरा नहीं हुआ था, इसलिए एक बॉडी डबल की मदद से फिल्म पूरी करवाई गयी।  साधना की एक अन्य फिल्म गुरु दत्त के साथ पिकनिक गुरु दत्त की मृत्यु की वजह से अधूरी रह गयी। राज खोसला के निर्देशन में देव आनंद के साथ साधना की फिल्म 'साजन की गलियां' भी अधूरी रह गयी।
साधना ने अपने समय के सभी बड़े अभिनेताओं के साथ फ़िल्में की।  सभी कपूर भाइयों की नायिका बनी।  शशि कपूर के साथ प्रेम पत्र करने के बाद साधना ने शम्मी कपूर के साथ राजकुमार और राजकपूर के साथ दूल्हा दुल्हन में काम किया था। वह एक फूल दो माली और इन्तेक़ाम में संजय खान की नायिका बनी तो गीता मेरा नाम में संजय खान के भाई फ़िरोज़ खान उनके हीरो थे।
साधना ने हिंदी फिल्म 'लव इन शिमला' से पहले एक सिंधी फिल्म 'अबाना' में सेकंड लीड की थी।  इस फिल्म में वह शीला रामानी की बहन की भूमिका में थीं। शीला रामानी उस समय की बड़ी एक्ट्रेस में शुमार की जाती थीं।  इसलिए  साधना ने उनसे ऑटोग्राफ की मांग की।  तब, साधना के लिए ऑटोग्राफ साइन करते समय शीला रामानी ने कहा, "एक दिन मैं तुमसे तुम्हारा ऑटोग्राफ मांगूंगी।" इसमे कोई शक नहीं कि  शीला रामानी ने भविष्य की स्टार को पहचान लिया था।
कोई दो दशक तक हिंदी फिल्म दर्शकों के दिलों में एकछत्र राज करने वाली शोख हसीना साधना का लम्बे समय से कैंसर की बीमारी से जूझने के बाद आज (२५ दिसंबर को) निधन हो गया।  उन्हें श्रद्धांजलि।

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