Monday, 14 December 2015

बॉलीवुड त्रिमूर्ति के राज कपूर

पचास साठ के दशक के राजकपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद की त्रिमूर्ति अपने आप में निराली थी। अभिनय का अपना जुदा अंदाज़।  राज कपूर भोले भाले सीधे सादे भारतीय युवा का प्रतिनिधित्व करते थे। ऐसा नहीं कि उन्हें देहाती रोल ही फबते थे।  लेकिन वह मशहूर हुए अपनी गंवई वेश भूषा के कारण ही, अब चाहे वह फिल्म श्री ४२० हो या जिस देश में गंगा बहती है या तीसरी कसम या फिर सपनों का सौदागर।  राज कपूर के हाव भाव से अलग थे दिलीप कुमार के हाव भाव।  वह ट्रेजेडी किंग के बतौर मशहूर हुए।  वह अपनी ज्यादातर फिल्मों में असफल प्रेम की खातिर तब तक जान गंवाते रहे, जब तक वह खुद इन भूमिकाओं के कारण डिप्रेशन का शिकार नहीं हो गए।  इन दोनों से जुदा थे देव आनंद।  देव आनंद का संवाद बोलने और हाथ पैर चलाने का अंदाज़ निराला था।  वह ठेठ शहरी हीरो थे।  कह सकते हैं कि वह आज के मेट्रो शहरों को रिप्रेजेंट करते थे।  उनकी भूमिकाएं हलके फुल्के अपराध करने वाले अच्छे दिल के युवा की हुआ करती थी।  इन तीनों की फ़िल्में और अदाएं खूब देखी और पसंद की गई। इन सबका अपना दर्शक वर्ग था। दिलीप कुमार और देव आनंद कट बाल तो तत्कालीन युवाओं के पसंदीदा थे।  इस तिकड़ी की ख़ास बात यह थी कि बाद के कई अभिनेताओं ने जहाँ राजकपूर और दिलीप कुमार की नक़ल पर अभिनय कर स्टारडम की सीढियां चढ़नी शुरू की, वहीँ देव आनंद की मिमिक्री कर काफी लोग आज भी झोली भर रहे हैं.
राज कपूर को काफी नक़ल किया गया।  आज के सुपर स्टार शाहरुख़ खान ने राज कपूर के गंवई को ख़ूब अपनाया।  राजू बन गया जेंटलमैन जैसी फ़िल्में इसकी गवाह हैं।  अनिल कपूर ने एंग्री यंग मैन का चोला ओढ़ने से पहले राज कपूर को ओढ़ा।  इन दोनों अभिनेताओं पर तो शुरुआत में राज कपूर की नक़ल करने वाले अभिनेताओं को ठप्पा लग गया था।  अब यह बात दीगर है कि बाद में इन दोनों ने दिलीप कुमार के कॉपी कैट अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन को गले लगा लिया।  तमिल और तेलुगु फिल्मों के एक्टर डायरेक्टर एस जे सूर्या के  तो राजकपूर गुरु थे।  वह राज कपूर को सबसे बड़ा एंटरटेनर मानते थे।  वह चाहते थे कि कभी कोई उनसे कहे कि सूर्या ने राज कपूर जैसा बनने का सबसे अच्छा प्रयास किया।

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