Saturday, 4 March 2017

कार्स ३ड़ी ट्रेलर हुआ रिलीज़

वाल्ट डिज्नी पिक्चर्स और पिक्सर एनीमेशन स्टूडियोज की फिल्म कार्स ३ का ३ड़ी ट्रेलर रिलीज़ हो चूका है।  यह ट्रेलर इस एनीमेशन टॉय फिल्म के प्रति दर्शकों की उत्सुकता बढ़ाने वाला है।  इस फिल्म का नायक लीजेंड लाइटनिंग मैक्वीन है, जो नए ज़माने की तेज़ रफ़्तार कारों के सामने स्पोर्ट्स रेस से बाहर कर दिया गया है।  लाइटनिंग का सबसे पसंदीदा खेल फ़ास्ट रेस ही है।  खेल में शामिल होने की चाहत में लाइटनिंग एक युवा रेस तकनीशियन क्रूज़ रामिरेज के  साथ रेस जीतने की योजना बनाता है। पिस्टन कप रेसिंग ऐसा बड़ा इवेंट है।   कार्स सीरीज की पहली फिल्म कार्स २००६ में रिलीज़ हुई थी।  रंग-बिरंगी रेस कारों का रोमांच रंग लाया था।  १२० डॉलर के बजट में बनी डायरेक्टर जॉन लसेटर की इस फिल्म ने ४६२ मिलियन डॉलर से अधिक का ग्रॉस किया। इस फिल्म का  सीक्वल कार्स २ पांच साल बाद रिलीज़ हुआ।   फिल्म के निर्माण में २०० मिलियन डॉलर खर्च हुए थे।  फिल्म ने ५६२ मिलियन का ग्रॉस किया।  इन दोनों फिल्मों के डायरेक्टर जॉन लसेटर ही थे।  कार्स ३ के निर्देशक ब्रायन फी हैं ।  इस फिल्म के एनीमेशन कैरेक्टरों में लीजेंड लाइटनिंग मैक्वीन को ओवेन विल्सन, ट्रेनी तकनीशियन क्रूज़ रामिरेज को क्रिस्टेला अलोंजो, जैक्सन स्टॉर्म को आर्मी हैमर और मेटर को लैरी केबल ने आवाज़ दी है।  यह फिल्म १६ जून को रिलीज़ होगी।

Thursday, 2 March 2017

यारों का टशन में पति-पत्नी का रोमांस

सीरियल रुक जाना नहीं, बंधन और सुर्यपुत्र कर्ण जैसे शो में काम कर चुके एक्टर अनिरुद्ध दवे अब सब टीवी के सीरियल यारो का टशन में नजर आएंगे।  इस सीरियल का निर्माण क्रिएटिव ऑय लिमिटेड के धीरज कुमार ने किया है । सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस सीरियल में उनकी रियल लाइफ पत्नी शुभी को भी साइन किया गया है।  वह इसे सीरियल में अपने रियल लाइफ हस्बैंड के साथ रोमांस करते दिखाई जाएँगी।  इस बाबत अनिरुद्ध कहते हैं, "मुझे इस बारे में कोई आइडिया नहीं था कि उसने ऑडिशन दिया है और फाइनल हुई है।"

दक्षिण के टार्ज़न के साथ सायशा सहगल

जुलाई में रिलीज़ होने जा रही निर्देशक ए एल विजय की तमिल भाषा में एक्शन एडवेंचर फिल्म वनमगन को टार्ज़न फिल्म कहा जा सकता है।  इस फिल्म के नायक जयम रवि हैं।  फिल्म का जंगल में रहने वाला नायक शहर में आकर बुरी तरह फंस जाता है।  इस फिल्म की कहानी सुनते हुए १९६५ में रिलीज़ केदार कपूर की फिल्म टार्ज़न कम्स टू डेल्ही की याद आ सकती है।  दारा सिंह और मुमताज़ की इस फिल्म में टार्ज़न एक कीमती हार की वापसी के लिए दिल्ली आता है।  बहरहाल, वनमगन की बात की जाए।  वनमगन यानि जंगल का बेटा।  इस फिल्म  की नायिका दिलीप कुमार और सायरा बानो की भांजी शाहीन बानू की बेटी सायशा सहगल हैं।  सायशा को  हिंदी दर्शकों ने पिछले साल दिवाली में रिलीज़ अजय देवगन निर्देशित और अभिनीत फिल्म शिवाय में देखा था।   फिलहाल, सायशा के पास कोई दूसरी हिंदी फिल्म नहीं है।  वनमगन की तमाम शूटिंग अंडमान  जंगलों में हुई है।  





कभी बारिश और प्रशंसक भी रोक देते हैं फिल्म की शूटिंग

पिछले दिनों, संजयलीला भंसाली के अपनी ऐतिहासिक रोमांस फिल्म पद्मावती की जयपुर में शूटिंग रोक कर मुंबई वापस लौटने की खबर सुर्ख़ियों में थी । स्थानीय संगठन करणी सेना को यह सूचना मिली थी कि संजय लीला भंसाली फिल्म के शूट में रानी पद्मावती और हमलावर अलाउद्दीन खिलज़ी पर एक रोमांटिक गीत फिल्माने जा रहे हैं ।  करणी सेना को यह नागवार गुजरा कि सिनेमेटिक लिबर्टी की आड़ में इस तरह तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा जाये । इसलिए सेना के सदस्य सेट पर पहुँच गए और संजयलीला भंसाली को चपतिया दिया ।
किसी फिल्म की शूटिंग में रुकावट का इकलौता उदाहरण नहीं है पद्मावती । किसी ऐतिहासिक तथ्य को तोडना मरोडना फिल्म की शूटिंग रोकने के लिए काफी होता है।  लेकिन, केवल इसी कारण से किसी फिल्म की शूटिंग नहीं रोकी जाती। अकेला बॉलीवुड ही कोई ढाई सौ से ज़्यादा हिंदी फिल्मों का निर्माण करता है।  इन फिल्मों की शूटिंग देश के किसी न किसी हिस्से में होती रहती है।  ज़्यादातर फिल्मों की शूटिंग मुम्बई में स्टूडियोज में होती है।  इसलिए किसी छोटे कारण से भी फिल्म की शूटिंग में रुकावट पैदा होना स्वाभाविक है।  आइये जानते हैं ऎसी ही कुछ फिल्मों और उनकी शूटिंग रोके जाने के कारणों को।  
कमर्शियल फिल्म थी
ओस्मानिया यूनिवर्सिटी में भी फिल्म अजहर की शूटिंग रोकनी बड़ी थी । यह फिल्म भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन पर बनाई गई थी । इस फिल्म की शूटिंग, जब ओस्मानिया यूनिवर्सिटी में की जा रही थी, उसी दौरान यूनिवर्सिटी के छात्रों ने इसे शूट होने से रोक दिया था । कारण यह था कि फिल्म के निर्माताओं ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को इस फिल्म का नॉन कमर्शियल और डॉक्यूमेंट्री  होना बताया था । 
मनसे ने रोका
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने, राष्ट्र का क्या महाराष्ट्र का कितना निर्माण किया, यह तो खुद राज ठाकरे को पता नहीं होगा । लेकिन, इस सेना ने मामूली बातों पर भी फिल्मों की शूटिंग रोकी है । २००८ में जया बच्चन द्वारा एक फिल्म समारोह में हिंदी स्टेट की होने के कारण हिंदी में बोलने पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने अमिताभ बच्चन की फिल्म द लास्ट लीअर और अभिषेक बच्चन की फिल्म द्रोण की रिलीज़ में रुकावट पैदा की थी । इसी सेना ने २००९ में अयान मुख़र्जी की फिल्म वेकअप सिड को फिल्म में मुंबई शहर को बॉम्बे दिखाने पर रिलीज़ होने से रोक दिया था । कुर्बान के पोस्टर में नग्न नज़र आने वाली करीना कपूर को साड़ी भेजने वाली शरारती सेना ने महेश भट्ट की फिल्म मर्डर २ की शूटिंग केवल इस बिना पर रुकवा दी थी कि इसमे कुछ गैर मान्यता प्राप्त लोग भी काम कर रहे हैं । सेना चाहती थी कि इनकी जगह उनके आदमी लिए जाएँ । इसी सेना ने अनुमति के बावजूद अक्षय कुमार की फिल्म खिलाड़ी ७८६ की शूटिंग एक कॉलेज में रुकवा दी थी कि वहां छात्रों के इम्तिहान चल रहे थे ।
हम्पी के राऊडी
प्रभु देवा ने अक्षय कुमार और सोनाक्षी सिन्हा के साथ अपनी फिल्म की शूटिंग हम्पी के दर्शनीय स्थलों पर किये जाने की अनुमति तो ले ली थी । परन्तु, जिस हेरिटेज जोन में स्कूटर मोटरसाइकिल का ले जाना तक मना था, वहां २० से ज्यादा बड़ी गाड़ियों के साथ शूटिंग शुरू कर दी गई । यह देख कर स्थल पर हंगामा खडा हो गया । नतीज़तन, ज़िम्मेदार अधिकारियों ने फिल्म की शूटिंग की अनुमति रद्द करते हुए यूनिट को उलटे पाँव लौटने के लिए मज़बूर कर दिया ।
केरल के परिवार ने ऐसे सिखाया सबक
कभी इक्का दुक्का प्रयास भी फिल्मों की शूटिंग रोक सकते हैं । इसे सच कर दिखाया केरल के एक परिवार ने । यह परिवार एक आयुर्वेद स्पा चलाता है । इस स्पा के नज़दीक फोर्ट कोच्ची में सैफ अली खान की फिल्म शेफ की शूटिंग की जा रही थी । डायरेक्टर राजा कृष्णा मेनन ने सम्बंधित अधिकारियों से इसकी अनुमति भी ले ली थी । लेकिन स्पा चलाने वाले परिवार को फिल्म की शूटिंग कर उनकी शांति भंग होना मंज़ूर नहीं था । इसलिए इस परिवार ने जोर जोर से स्टीरिओ बजा कर फिल्म की शूटिंग में अड़चन डालनी शुरू कर दी । इस पर यूनिट ने पुलिस को सूचना दी । अब यह बात दीगर है कि पुलिस आने के बावजूद लाउड म्यूजिक बंद नहीं हुआ । इससे यूनिट स्पॉट डबिंग का अपना काम पूरा नहीं कर सकी ।
गोल्डन टेम्पल में सरबजीत को न
२०१३ में पाकिस्तान की जेल में मार डाले गए एक भारतीय सरबजीत की शूटिंग पंजाब में हुई थी ।
इस फिल्म का एक दृश्य अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में फिल्माया जाना था । परन्तु शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से अनुमति नहीं लिए जाने के कारण फिल्म की शूटिंग रोकनी पड़ी ।
प्रशंसकों के कारण रुका शूट
कभी फिल्म की शूटिंग देखने के लिए उमड़ी भीड़ भी शूटिंग में रुकावट बन जाती है । ऐसे में फिल्म की शूटिंग रोकने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता । २०१५ में अमिताभ बच्चन, विद्या बालन और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म टे3एन की शूटिंग कोलकत्ता में की जा रही थी । रेलवे स्टेशन में विद्या बालन और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी पर एक सीन की शूटिंग के दौरान इतनी भीड़ इकठ्ठा हो गई और शोर शराबा होने लगा कि फिल्म के निर्देशक रिभु दासगुप्ता के सामने शूटिंग रोकने के अलावा को रास्ता बचा नहीं था । इकठ्ठा भीड़ के कारण, अहमदाबाद में शाहरुख़ खान की फिल्म रईस की शूट भी कैंसिल करनी पड़ी । दरअसल अपने बयानों के कारण बदनाम शाहरुख़ खान की फिल्म रईस को उनका पाकिस्तानी एक्टर माहिरा खान का समर्थ भारी पडा । स्थानीय लोगों ने इतना गुलगपाड़ा मचाया और पत्थर फेंके की राहुल ढोलकिया को पैकअप करना पड़ा । पनवेल मुंबई में बागी : रिबेल्स इन लव की शूटिंग को केवल इस कारण से रोकना पडा कि जुटी भीड़ में श्रद्धा कपूर के प्रशंसक उनसे मिलना और ऑटोग्राफ लेना चाहते थे । इसके बावजूद भयभीत श्रद्धा कपूर अपने गार्ड्स की सलामती जानने के लिए मौके पर जा पहुंची ।
पुलिस की मोरल पुलिसिंग
पुलिस जब मोरल पुलिसिंग करने लगती है, तब क्या होता है, इसे जानना हो तो वायकॉम १८ की फिल्म टाइम आउट की यूनिट से पूछिए । टाइम आउट दो किशोर भाइयों की कहानी है, जो अपनी व्यकतिगत पहचान बनाना चाहते हैं । इस फिल्म की शूटिंग गुरुग्राम में हो रही थी । स्थानीय पुलिस को ऐसा लगा कि फिल्म की कहानी होमोसेक्सुअलिटी जैसे संवेदनशील विषय पर है, जिसके कारण शांति भंग हो सकती है । सो सेट पर पहुँच गई गुरुग्राम पुलिस और टाइम आउट की टीम को लोकेशन से आउट कर दिया ।
बारिश ने रोका बाबुल
मुंबई की बारिश दुनिया भर में बदनाम है । जब मूसलाधार बारिश होती है तो पूरे शहर का जन जीवन रुक सा जाता है । इससे बॉलीवुड कैसे बरी हो सकता है । अमिताभ बच्चन, रानी मुख़र्जी, हेमा मालिनीं और जॉन अब्राहम की फिल्म बाबुल के पांच सेट फिल्म सिटी में खड़े किये गए थे । लेकिन यह सेट अपने सितारों का इंतज़ार ही करते रहे । दरअसल, एक दिन पहले ही शूटिंग के बाद जॉन अब्राहम को घर पहुँचाने के लिए बड़े पापड बेलने पड़े । निरंतर बारिश के कारण पानी के जमावड़े की वजह से जॉन को घर पहुँचाने के लिए बोट, रिक्शा और बस का सहारा लेना पड़ा । इसके बावजूद वह घंटों बाद अपने घर पहुँच सके । ऐसे में रवि चोपड़ा के लिए फिल्म की अगले दिन की शूटिंग रद्द करने के अलावा कोई चारा नहीं था । 

Wednesday, 1 March 2017

बड़े परदे पर रॉबिनहुड की वापसी

फिल्मों के निर्माण की शुरुआत से ही इंग्लिश करैक्टर रॉबिनहुड पर फिल्मों का सिलसिला शुरू हो गया था।  १९०८ में मूक फिल्म रॉबिनहुड एंड हिज मेरी मेन ऎसी पहली फिल्म थी।  इसके बाद कई मूक और सवाक फ़िल्में, टीवी सीरीज, एनीमेशन और लाइव फ़िल्में बनाई गई।  रॉबिनहुड के करैक्टर को केविन कॉस्ट्नर ने १९९१ में रिलीज़ केविन रेनॉल्ड्स निर्देशित फिल्म रॉबिनहुड: प्रिंस ऑफ़ थीव्स, कैरी एल्वेस ने १९९३ में रॉबिनहुड: मेन इन टाइटस और रसेल क्रोव ने फिल्म २०१० में रिडले स्कोट की फिल्म रॉबिनहुड में धनुर्धारी वीर रॉबिनहुड की भूमिका की थी। अब पीकी ब्लाइंडर्स और ब्लैक मिरर के निर्देशक ओटो बथर्स्ट की फिल्म रॉबिन हुड : ओरिजिन्स में रॉबिन हुड का किरदार किंग्समैन: द सीक्रेट सर्विस में सीक्रेट एजेंट गैरी 'एग्सि' अनविन का किरदार करने वाले वेल्श एक्टर टरों इजरतों करेंगे।  फिल्म में उनके ख़ास दोस्त लिटिल जॉन का किरदार जैमी फॉक्स करेंगे।  फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे और फिफ्टी शेड्स डार्कर के एक्टर जैमी डॉर्नन फिल्म में रॉबिन हुड के सौतेले भाई विल स्कारलेट का किरदार करेंगे।  जोबी हैरॉल्ड की पटकथा पर फिल्म रॉबिन हुड : ओरिजिन्स का निर्माण अभिनेता लियोनार्डो डिकैप्रियो कर रहे हैं।  यह फ़िल्म एक साल बाद २३ मार्च २०१८ को रिलीज़ होगी।

'भूमि' में दक्षिण की साक्षी द्विवेदी

आजकल संजय दत्त की वापसी फिल्म भूमि की शूटिंग आगरा में हो रही है।  बाप-बेटी के  संबंधों वाली फिल्म भूमि एक रिवेंज ड्रामा फिल्म है।  इस फिल्म में टाइटल रोल अदिति राव हैदरी कर रही हैं।  फिल्म में हैदरी के पिता संजय दत्त बने है।  इस फिल्म में दक्षिण की कन्नड़ फिल्मों की अभिनेत्री साक्षी द्विवेदी की महत्वपूर्ण भूमिका  बताई जा रही है। फिल्म का निर्देशन मेरी कॉम और सरबजीत के निर्देशक उमंग कुमार कर रहे हैं।  फिल्म में टीवी एक्टर सिद्धांत गुप्ता अदिति राव हैदरी के साथ रोमांस करते नज़र आएंगे।  ७ फरवरी २०१४ को रिलीज़ फिल्म हार्टलेस में अपने बेटे अध्ययन के साथ सुपर फ्लॉप हो जाने के बाद शेखर सुमन तीन साल तक सन्नाटे में चले गए थे।  इस प्रकार से शेखर सुमन पूरे साढ़े तीन साल बाद ४ अगस्त को भूमि में नज़र आएंगे।

मेघन ट्रेनर ने गाया- मैं एक औरत हूँ

आगामी २१ अप्रैल को रिलीज़ होने जा रही एनीमेशन फिल्म स्मर्फ्स: द लॉस्ट विलेज का गीत 'आई एम लेडी' गर्ल पॉवर बयान करता है।  अपने गाये गीतों को परदे पर खुद पेश करने के लिए मशहूर मेघन ट्रेनर ने इस गीत को गाया है।  स्मर्फ्स : द लॉस्ट विलेज रहस्यमय ढंग से प्राप्त नक़्शे के आधार पर अपना खोया गाँव ढूंढने निकली किशोरी स्मरफैट की कहानी है।  इस फिल्म में जादू भी है और साहस भरा थ्रिल भी। स्मरफैट की इसी साहस गाथा को मेघन ने गर्ल पॉवर एंथम गीत के बतौर गया है।  मेघन कहती हैं, "मैं इस फिल्म के लिए आई एम लेडी' गीत गया कर उत्साहित हूँ। यह गीत बड़ा प्यार है और मुझे इस पर गर्व भी है।" बताते चलें कि ग्रैमी अवार्ड्स विजेता गायिका मेघन ट्रेनर ने इस फिल्म में स्मर्फ़मेलोडी किरदार को आवाज़ भी दी है।  इस फिल्म में स्मरफैट के अलावा कई दूसरे किरदार भी हैं।  स्मरफैट को डेमी लोवाटो ने आवाज़ दी है।  जूलिया रॉबर्ट ने स्मर्फविलो,  डैनी पुड़ी ने ब्रेनी, जैक मक्ब्रेयर ने क्लमसी, जो मँगनिएलो ने हेफ्टी और रैन विल्सन ने जादूगर गारगामेल को आवाज़ दी है।  फिल्म के निर्देशक श्रेक २ के डायरेक्टर केली अस्बरी हैं।  फिल्म को स्टेसी हरमन और पामेला रिबन ने लिखा है।  यह फिल्म ७ अप्रैल को पूरी दुनिया में रिलीज़ हो जाएगी।  लेकिन भारत में इसका प्रदर्शन दो हफ्ते बाद ही होगा।

Tuesday, 28 February 2017

कैंसर रोगियों की मदद के लिए रैंप पर दिशा पाटनी

कैंसर पेशेंट ऐड एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के लिए फण्ड इकठ्ठा करने के लिए आयोजित फैशन शो में दिशा पाटनी ने रैंप पर वाक किया।  यह एनजीओ कैंसर को एक बीमारी मानते हुए, इसके रोगियों को इलाज़ में मदद करती है।

Monday, 27 February 2017

रानी मुख़र्जी की 'हिचकी'

एक्शन फिल्म 'मर्दानी' (२०१४) में एक पुलिस अधिकारी शिवानी शिवाजी रॉय का किरदार करने के बाद रानी मुख़र्जी ने मातृत्व के लिए फिल्मों से अवकाश ले लिया था।  लेकिन अब वह बिलकुल तैयार हैं।  वह यशराज फिल्म्स की फिल्म हिचकी से अपनी वापसी करेंगी।  इस फिल्म का निर्देशन सिद्धार्थ पी मल्होत्रा करेंगे।  हिचकी मनीष शर्मा की बतौर फिल्म निर्माता तीसरी फिल्म होगी।  यह फिल्म एक ऎसी औरत की कहानी है, जो अपनी कमज़ोरी को अपनी ताकत बनाती है।  अपनी इस भूमिका के बारे में रानी मुख़र्जी कहती हैं, "मैं ऎसी किसी स्क्रिप्ट की तलाश में थी जो मुझे चुनौतीपूर्ण और उत्तेजक लगे।  हिचकी ऎसी ही फिल्म है।  हम सभी की कोई न कोई कमज़ोरी होती है।  यह कमज़ोरी शारीरिक भी हो सकती है।  यह कमज़ोरी हमें पीछे खींच सकती है।  लेकिन, अगर हम इसे अपनी ताकत बना ले तो हम कुछ भी कर सकते हैं।  हिचकी का यही सकारात्मक आधार है।  इसीलिए मैंने इसे करने का निर्णय लिया।" हिचकी के निर्देशक सिद्धार्थ पी मल्होत्रा निर्माता करण  जौहर की फिल्म वी आर फॅमिली में रानी मुख़र्जी की कजिन काजोल को डायरेक्ट कर चुके हैं। यशराज बैनर के लिए सिद्धार्थ की पहली फिल्म है हिचकी।  इस फिल्म की दूसरी कास्ट का ऐलान जल्द किया जायेगा।  

दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा ऑस्कर सेलिब्रेशन में





















द ऑस्कर्स के इन मेमोरियम में ओमपुरी

आज ८९वे ऑस्कर अवार्ड्स के 'इन मेमोरियम' सेक्शन में हॉलीवुड तथा दूसरे देशों के अभिनेता-अभिनेत्रियों के साथ बॉलीवुड फिल्मों के अभिनेता ओमपुरी को भी श्रद्धांजलि दी गई।  ओमपुरी हिंदुस्तान के गिनेचुने एक्टर्स में हैं, जिन्हें बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में समान रूप से सम्मान मिला।  ओमपुरी ने गांधी, सिटी ऑफ़ जॉय, द घोस्ट एंड द डार्कनेस, माय सन द फैनेटिक, ईस्ट इज ईस्ट, चार्ली विल्सन'स वॉर, वेस्ट इज वेस्ट, द हंड्रेड फुट जर्नी, आदि बड़ी फिल्मों के नाम उल्लेखनीय हैं।  माइक निकोल्स निर्देशित अमेरिकी कॉमेडी-ड्रामा फिल्म चार्ली विल्सन'स वॉर में ओमपुरी ने पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह और राष्ट्रपति ज़िया उल हक़ का किरदार किया था।

बेस्ट पिक्चर के विवाद में फंसे ८९वे ऑस्कर अवार्ड्स

शायद ऑस्कर अवार्ड्स के ८९ साल में इस साल के ऑस्कर अवार्ड्स ड्रामा से भरपूर थे।  डोनाल्ड ट्रम्प के सात देशों के नागरिकों के प्रवेश पर रोक के आदेश ने ऑस्कर पुरस्कारों पर भी प्रभाव डाला था।  द सेल्समैन फिल्म के डायरेक्टर ने अमेरिका आने से इनकार कर दिया। होस्ट जिमी केमेल ने डोनाल्ड ट्रम्प की पालिसी पर तंज कसने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा। क्लाइमेक्स आया बेस्ट पिक्चर अवार्ड्स के ऐलान पर।  इस पुरस्कार के प्रेजेंटर वारेन बेट्टी ने लिफाफा खोला।  थोड़ी लंबी ख़ामोशी के बाद लिफाफा फाये डुनावे को सौंप दिया।  डुनावे ने ला ला लैंड के नाम का ऐलान कर दिया।  उस समय, जब ला ला लैंड की टीम स्टेज पर ख़ुशी मना रही थी, होस्ट जिमी केमेल स्टेज पर पहुंचे और उन्होंने ऐलान किया कि फाये डुनावे ने बेस्ट एक्ट्रेस रोल के लिफ़ाफ़े का नाम पढ़ा था।  इसके बाद मूनलाइट को बेस्ट पिक्चर घोषित कर दिया गया।  मूनलाइट की पूरी टीम ख़ुशी में डूबी हुई थी।  उधर ला ला लैंड से जुड़े लोग इस अजीबोगरीब परिस्थिति में भी खुद पर नियंत्रण रखे हुए थे।  मज़े की बात यह थी कि ऑस्कर की ऑफिसियल वेबसाइट भी बेस्ट पिक्चर अवार्ड का ऐलान होने के बाद काफी देर तक ला ला लैंड का नाम दिखा रही थी। इस मामले में लिफाफा खोलने वाले वारेन बैटी ने सफाई दी, "मैंने लिफाफा खोला।  लिफ़ाफ़े में एमा स्टोन ला ला लैंड लिखा था।  मैं इसे देख कर ही कभी एमा स्टोन और कभी आप लोगों को देख रहा था।  मैं मज़ाकिया लगने की कोशिश नहीं कर रहा था।" उधर चकित एमा स्टोन कह रही थी, "मेरा लिफाफा तो पूरे समय मेरे पास ही था। तब यह गलती कैसे हो गई।"
मूनलाइट की टीम 
इस प्रकार जैसी की उम्मीद की जा रही थी ला ला लैंड बेस्ट पिक्चर का अवार्ड नहीं जीत सकी।  वह बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस इन लीडिंग रोल के दो मुख्य अवार्ड जीत सकी ।  इस म्यूजिकल रोमांस फिल्म ने प्रोडक्शन डिजाईन (डेविड वास्को), सिनेमाटॉग्राफी (लिनस सैंडग्रेन), बेस्ट ओरिजिनल स्कोर (जस्टिन हुर्वित्ज), बेस्ट ओरिजिनल सांग (सिटी ऑफ़ स्टार्स ), बेस्ट एक्ट्रेस इन लीडिंग रोल (एमा स्टोन) और डायरेक्शन (डेमियन कैज़ेल) की श्रेणियों में भी ऑस्कर जीते।  कैसी एफलेक को फिल्म मेनचेस्टर बय द सी के लिए बेस्ट एक्टर इन अ लीडिंग रोल  का ऑस्कर मिला। जहाँ, इस कैटेगरी में ला ला लैंड के रयान गॉस्लिंग को निराश  हाथ लगी, वहीँ फिल्म में उनकी नायिका एमा स्टोन बेस्ट एक्ट्रेस इन लीडिंग रोल का ऑस्कर जीत पाने में सफल हुई।  वाइला डेविस ने फिल्म फेंसेस के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का ऑस्कर जीता।  महर्शल अली ने मूनलाइट के लिए सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड जीता।  मूनलाइट ने बेस्ट अडॉप्टेड स्क्रीनप्ले का ऑस्कर जीता।  यह पुरस्कार बैरी नेनकिंस और टेरेल एल्विन मस्क्रेनी को मिला।  टेरेल का यह पहला ऑस्कर नॉमिनेशन था।  ओरिजिनल स्क्रीनप्ले का ऑस्कर मैनचेस्टर बय द सी के केनेथ लोनेर्गन को मिला।  जूटोपिया को एनिमेटेड फीचर केटेगरी का ऑस्कर मिला तो सिंग को शार्ट फिल्म (लाइव एक्शन) और पाइपर को शॉर्ट फिल्म (एनिमेटेड) श्रेणी के ऑस्कर मिले। विजुअल इफेक्ट्स केटेगरी में द जंगल बुक (रॉबर्ट लेगाटो, एडम वाल्डेज़, एंड्रू आर जोंस और डान लेमन),  साउंड मिक्सिंग केटेगरी में हैकसॉ रिज (केविन ओकनेल, एंडी राइट, रॉबर्ट मैकेंज़ी और पीटर ग्रेस), फिल्म एडिटिंग की श्रेणी में हैकसॉ रिज (जॉन गिल्बर्ट), साउंड एडिटिंग की श्रेणी में अराइवल (सिल्वैन बेलमारे), मेकअप एंड हेयरस्टाइलिंग का ऑस्कर सुसाइड स्क्वाड (अलेसांद्रो बेर्तोल्ज़्ज़ि, गिओर्गिओ ग्रेगोरिनी और क्रिस्टोफर नेल्सन) को मिले।  
कुछ ऐसे उतर गया रयान गोस्लिंग का चेहरा 

ख़ुशी मनाती  ला ला लैंड की टीम 
क्या क्या हो गया ! मूनलाइट है बेस्ट पिक्चर !!







द सेल्समैन का डायरेक्टर नहीं पहुंचा ऑस्कर लेने

विदेशी भाषा की फिल्मों की श्रेणी में ईरानी फिल्म द सेल्समैन ने ऑस्कर जीता।  इस फिल्म के निर्देशक असगर फरहाद ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ईरान सहित सात देशों के नागरिकों के अमेरिका प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगाने के विरोध में ऑस्कर समारोह में शामिल न होने का फैसला किया था।  उसी समय यह तय सा हो गया था कि द सेल्समैन बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म का ऑस्कर जीतेगी।  असगर की नामौजूदगी में उनका बयान पढ़ा गया।  जिसमे असगर ने अमेरिकी सरकार द्वारा उनके देश (ईरान) का अपमान करने के लिए अमेरिका न आने का उल्लेख किया था।  असगर का यह दूसरा ऑस्कर था।  वह २०१२ में भी फिल्म द सेपरेशन के लिए ऑस्कर जीत चुके हैं।  

Sunday, 26 February 2017

हॉलीवुड अभिनेता बिल पैक्सटन का निधन

हॉलीवुड फिल्मों और टीवी सीरीज के अभिनेता बिल पैक्सटन का आज निधन हो गया।  हाल ही में उनकी सर्जरी हुई थी।  उसमे कुछ गड़बड़ी के कारण उनका निधन हो गया।  बिल ने अपना करियर हॉलीवुड फिल्मों में आर्ट डिपार्टमेंट से शुरू किया था।  इसके बाद वह चालीस साल तक बतौर अभिनेता और फिल्म निर्माता छाये रहे।  उनकी यादगार फिल्मों में एलियन (१९८६), अपोलो १३ (१९९५), ट्विस्टर (१९९६) और टाइटैनिक (१९९७) थी।  एचबीओ पर ड्रामा सीरीज बिग लव के पाँचों सीजन (२००६ से २०११) में अभिनय किया।  ऐतिहासिक मिनी सीरीज हैटफ़ील्ड्स एंड मकॉय (२०१२) उन्हें एमी नॉमिनेशन भी मिला। उनकी अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में एज ऑफ़ टुमारो, नाईटक्रॉलर, द कॉलोनी वर्टीकल लिमिट के नाम शामिल हैं।  उन्होंने कुल ९७ फिल्मों एवं टीवी सीरीज में अभिनय किया। २८ अप्रैल को रिलीज़ होने जा रही विज्ञानं फंतासी सीरीज द सर्किल में बिल ने एमा वाटसन के पिता की भूमिका की है।  मृत्यु के समय वह ६१ साल के थे।  श्रद्धांजलि।

Saturday, 25 February 2017

फिल्म पत्रकारों की फ़िल्में

बॉलीवुड फिल्मों की आलोचना करना फिल्म समीक्षकों का पसंदीदा काम है।  किसी फिल्म की इतना निर्मम तरीके से  बखिया उधेड़ते हैं कि फिल्मकार और फिल्म से जुड़े लोग तिलमिला उठते हैं। कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनमे फिल्म वालों ने पत्रकारों को उनकी आलोचना के एवज में नहीं बख्शा।  यह तब हो रहा है, जब कई फिल्मकारों ने अपने करियर की शुरुआत बतौर पत्रकार की। ऐसे जब हिंदी फिल्मों की बखिया उधेड़ने वाले पत्रकार फिल्म बनाने पर उतरते हैं, तो फिल्मकार भी पत्रकार बन जाते हैं।  ऐसे पत्रकारों के  बारे में जानना दिलचस्प होगा।
पहला फिल्म पत्रकार/संपादक - बाबूराव पटेल
बाबूराव पटेल ऐसे पहले फिल्म लेखक, संपादक थे, जिन्होंने पहली फिल्म पत्रिका फ़िल्म इंडिया (१९३५ से प्रकाशित) की स्थापना की और संपादन किया।  उनकी मैगज़ीन का प्रश्न उत्तर का स्तम्भ दिलचस्प हुआ करता था, जिसमे वह प्रश्न और उत्तरों के द्वारा फिल्म वालों की बखिया उधेड़ा करते थे।  उनके इस स्तम्भ की चर्चा टाइम मैगज़ीन ने ३ नवम्बर १९४१ के अंक में उदाहरण  सहित की थी। इसे देखे कर ही मशहूर अंग्रेजी फिल्म मासिक फिल्मफेयर ने भी प्रश्न उत्तर का एक  कॉलम शुरू किया।  शुरुआत में पाठकों के सवालों के जवाब जीनियस अभिनेता आई एस जौहर दिया करते थे। आजकल शत्रुघ्न सिन्हा इसका संचालन कर रहे हैं।बाबूराव पटेल ने तत्कालीन फिल्मकारों, फिल्म कलाकारों और उनकी फिल्मों की ऎसी तीखी आलोचना की कि यह लोग तिलमिला उठते थे। एक ऎसी ही टिपण्णी पढ़ कर उस समय की बड़ी एक्ट्रेस शांता आप्टे ने उनके चैम्बर में ही उनकी पिटाई कर दी थी। बाबूराव ने सति महानंदामहारानी, बाला जोबन, परदेसी सैयां, द्रौपदी और ग्वालन  जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।
बीआर चोपड़ा
लुधियाना में जन्मे बीआर चोपड़ा ने अपने करियर की शुरुआत १९४४ में लाहौर से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका सिने हेराल्ड के पत्रकार के बतौर की थी।  १९४७ में वह आई एस जौहर की कहानी पर फिल्म चांदनी चौक का निर्माण कर रहे थे कि देश का बंटवारा हो गया और वह दिल्ली और फिर बॉम्बे आ गए।  उनकी बतौर निर्देशक पहली करवट फ्लॉप हुई थी।  लेकिन, अगली ही फिल्म अफसाना से वह स्थापित हो गए।  इस फिल्म में अशोक कुमार की दोहरी भूमिका थी।  बाद में १९५४ में चोपड़ा ने चांदनी चौक का निर्माण मीना कुमारी के साथ किया।
खालिद मोहम्मद
फिल्मफेयर मैगज़ीन के प्रधान संपादक रहे खालिद मोहम्मद फिल्मों की समीक्षा करते समय कोई कसर नहीं छोड़ा करते थे।  उनकी समीक्षा फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आती थी, लेकिन फिल्मकार इसे पसंद नहीं करते थे। खालिद मोहम्मद  ने बहुत कम फिल्मों को फाइव स्टार रेटिंग दी।  इनमे सत्या और स्लमडॉग मिलियनेयर शामिल है।  वह मशहूर अभिनेत्री ज़ुबैदा बेगम के बेटे थे।  उन्होंने  अपनी माँ पर ही श्याम बेनेगल के लिए २००१ में रिलीज़ फिल्म ज़ुबैदा की स्क्रिप्ट लिखी थी।  खालिद मोहम्मद द्वारा निर्देशित पहली हिंदी फिल्म फ़िज़ा थी।  हृथिक रोशन, करिश्मा कपूर और जया बच्चन अभिनीत एक आतंकवादी पर फिल्म फ़िज़ा को उनके साथी समीक्षकों ने काफी सराहा, लेकिन दर्शकों को फिल्म उतनी पसंद नहीं आई।  खालिद सुभाष घई की फिल्मों को बुरी तरह से खारिज़ किया करते थे।  इसीलिए, जब  खालिद की फिल्म फ़िज़ा रिलीज़ हुई और एक अख़बार ने सुभाष घई से फिल्म की समीक्षा करने को कहा तो उन्होंने फ़िज़ा को स्केची कैरेक्टराइजेशन, इनकोहेरेंट स्क्रिप्ट, स्क्रीची बैकग्राउंड म्यूजिक वाली फिल्म बताया।  खालिद मोहमद ने फ़िज़ा के अलावा तारीख, तहज़ीब और सिलसिले फिल्मों का भी निर्देशन किया।
मृणाल सेन भी थे पत्रकार
किसी पत्रकार या समीक्षक  का फिल्म निर्देशन करना, कोई नया नशा नहीं।  बाबूराव पटेल उदहारण हैं कि वह पत्रकारिता करते करते फिल्म निर्देशन भी करने लगे।  उनकी फ़िल्में अच्छा बिज़नस भी कर गई।  बीआर चोपड़ा जैसे कई उदाहरण हैं, जिनमे पत्रकार या फिल्म समीक्षक निर्देशन के क्षेत्र में उतरे।  मृणाल सेन ने फिल्म निर्देशन  से पहले फ्रीलान्स जॉर्नलिस्ट के बतौर काम किया था।  उन्होंने १९५६ में बांग्ला फिल्म रात भोरे से बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत की। डिअर सिनेमा डॉट कॉम के फाउंडर-एडिटर बिकास मिश्र ने फिल्म चौरंगा (२०१४)  का निर्देशन किया था।  स्क्रीन और टीवी एंड वीडियो वर्ल्ड के संपादक संजीत नार्वेकर ने कई लघु फ़िल्में बनाई हैं  और मराठी और हिंदी फ़िल्में लिखी हैं। फिल्म पब्लिसिटी करने वाले हरीश शर्मा और इरफ़ान शमी भी फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में उतरे हैं।  इरफ़ान सांसी भाषा में बनाने वाले दुनिया की पहली फिल्म का निर्देशन करेंगे। 
कम बजट की फ़िल्में ज्यादा पत्रकार निर्देशक
कम बजट की फिल्मों के प्रति फिल्म निर्माताओं और संस्थाओं का रुझान बढ़ा है।  जहाँ यशराज फिल्म्स, धर्मा प्रोडक्शन्स, बालाजी फिल्म, मुक्ता आर्ट्स, आदि बड़े बैनर भी अपनी सब्सिडियरी  यूनिट्स के जारी काम बजट की फ़िल्में बना रहे हैं।  कुछ एक्टर भी अपने बैनर के ज़रिये कम  बजट की फ़िल्में बना रहे हैं।  इन फिल्मों के कारण नये नए निर्देशकों की राह आसान हुई है।  यही कारण है कि काफी पत्रकार निर्देशन के क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं।  मुम्बई मिरर के लिए फिल्म रिव्यु करने वाले करण अंशुमान की फिल्म बंगिस्तान चर्चित हुई।   न्यूज़ वीडियो मैगज़ीन न्यूजट्रैक और मुम्बई मिरर के पत्रकार मिन्टी तेजपाल ने टीवी मूवी काम का प्लाट, फिल्म समीक्षक राजा सेन ने एक्स- द फिल्म, द हिन्दू के सुधीश कामथ ने द फोर लेटर वर्ड, गुड नाईट गुड मॉर्निंग और एक्स- पास्ट इस प्रेजेंट, द टेलीग्राफ के बॉलीवुड फिल्म समीक्षक प्रतिम डी गुप्ता ने बांग्ला रोमांस फिल्म पांच अध्याय, प्रिंट टेलीविज़न और इन्टरनेट जॉर्नलिस्ट महेश नायर ने एक्सीडेंट ऑन हिल रोड, ज़ी न्यूज़ स्टार न्यूज़ और इंडिया टुडे न्यूज़ के पत्रकार विनोद कापड़ी ने मिस टनकपुर हो बना कर खुद का नाम पत्रकार से फिल्म निर्देशक बनी हस्तियों में शामिल करवा लिया है।  लेकिन इस सबसे ज़्यादा सफल रहे पोलिटिकल जॉर्नलिस्ट सुभाष कपूर।  सुभाष की फ्लॉप शुरुआत फिल्म से सलाम इंडिया से हुई थी।  लेकिन जॉली एलएलबी ने उन्हें स्थापित कर दिया।  उनकी अक्षय कुमार के साथ जॉली एलएलबी का सीक्वल अगले सीक्वल रिलीज़ होगा।
महिला पत्रकार भी पीछे नहीं
साई परांजपे आल इंडिया रेडियो में काम कराती थी।  उन्होंने स्पर्श, चश्मेबद्दूर और कथा जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।  बांग्ला और हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री अपर्णा सेन १९८६ से २००५ तक बांग्ला पाक्षिक सानंद की संपादक थी।  संघर्ष की डायरेक्टर तनूजा चंद्र ने १९९३- ९४ में प्लस चैनल के लिए काम किया था।  खुद की पहचान बतौर एक्ट्रेस स्थापित की थी।  भावना तलवार एशियन एज में फिल्म, थिएटर और फैशन देखा कराती थी।  फिर एक एड कंपनी में काम करने  लगी।  २००७ में धर्म फिल्म का निर्देशन किया।  पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म की कहानी एक ब्राह्मण द्वारा एक मुसलमान लडके को पालने की कहानी थी, जिसकी ज़िन्दगी में उस समय भूचाल आ जाता है, जब  चलता है कि वह बच्चा वास्तव में मुस्लमान है।  इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में राष्ट्रीय एकीकरण की फिल्म का नर्गिस दत्त अवार्ड मिला था। पीपली लाइव फिल्म में मीडिया की ब्रेकिंग न्यूज़ की भेड़चाल का चित्रण करने वाली निर्देशक अनुषा रिज़वी खुद भी एनडी टीवी इंडिया में जॉर्नलिस्ट थी।
पत्रकारों के फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में उतरने से ख़ास तौर पर बॉलीवुड फिल्मों को नई दृष्टि मिली है।  यहीं कारण है कि आतंकवाद और राजनीतिक भ्रष्टाचार पर तीखी टिप्पणियां करने वाली फ़िल्में देखने को मिल जाती हैं।  सुभाष कपूर की फिल्म जॉली एलएलबी अदालतों की  दशा पर तीखा व्यंग्य करती हैं।  लेकिन न्यायपालिका पर दोष नहीं लगाती। सोचिये अगर बीआर चोपड़ा पत्रकार की नज़र न रखते तो नया दौर साधना, कानून, गुमराह, पति पत्नी और वह, आज की आवाज़, निकाह, आदि समाज के हर वर्ग पर नज़र रखने वाली फ़िल्में देखने को नहीं मिलती।  

दुनिया की मर्द और औरतों के ख़्वाबों में कौन हैं हॉलीवुड हस्तियां

दुनिया में खब्तियों का कोई जवाब नहीं।  दूसरे मर्द या दूसरी औरत के साथ सेक्स करने की इच्छा हर औरत मर्द में नज़र आती है।  जब मैक्सिम मैगज़ीन ने दुनिया के छह हजार  लोगों के बीच सर्वे किया कि वह किस हॉलीवुड हस्ती के साथ अपना बिस्तर गर्म करना चाहते या चाहती हैं तो हर कोई उतावला दिखा इन हस्तियों के साथ सोने की कल्पना करने के लिए।  उनके इस उतावलेपन का परिणाम था कि टेलीविज़न सेलिब्रिटी ३६ साल की किम कार्दशियन सबसे आगे थी।  २००३ में अपने पुरुष मित्र के साथ लीक्ड सेक्स टेप से मशहूर हुई किम वर्चुअल वर्ल्ड में अपनी कामुक तस्वीरों के साथ हमेशा गर्म रहती हैं।  किम के बाद अमेरिकन फिल्म एक्ट्रेस, मॉडल और गायिका ३२ साल की स्कारलेट जोहानसन मर्दों की पसंद थी।  स्कारलेट जोहानसन को आधुनिक हॉलीवुड की सेक्स सिंबल माना जाता है।  मिला क्यूनिस (३३ साल) के साथ बिस्तर गर्म करने के इच्छुक पुरुष भी कम नहीं थे ।  रोमांटिक कॉमेडी फिल्म फॉरगेटिंग सारा मार्शल में रेचल की भूमिका से मशहूर मिला क्यूनिस हॉलीवुड की एक्शन और इमोशनल  फिल्मों की पसंदीदा हैं। जहाँ तक महिलाओं का सवाल है उनके ख्यालों में जॉर्ज क्लूनी, जॉनी  डेप और डेंजेल वाशिंगटन सबसे ज़्यादा महिलाओं के बिस्तर में व्यस्त हो सकते हैं । जॉर्ज क्लूनी ५५ साल के हैं।  इसके बावजूद महिलाओं को उनमे कामुकता नज़र आती है। ओसियन सीरीज की फिल्मों के क्लूनी को २ ऑस्कर अवार्ड मिल चुके हैं।  क्लूनी के बाद अमेरिकन एक्टर और पाइरेट्स ऑफ़ द कॅरीबीयन सीरीज की फिल्मों के कैप्टेन जैक स्पैरो जॉनी डेप के साथ महिलाएं बिस्तर गर्म करवाना चाहती थी। जॉनी डेप ५३ साल के हैं।  अमेरिका के अश्वेत एक्टर, फिल्म डायरेक्टर और निर्माता डेंजेल वाशिंगटन सबसे ज़्यादा उम्रदराज़ (६२ साल) होने के बावजूद महिलायें उनकी दीवानी हैं।  डेंजेल को ग्लोरी और ट्रेनिंग डे के लिए श्रेष्ठ सह अभिनेता और श्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर मिल चुका है।  कृपया लिस्ट भी देखें।  



घोस्ट मेरा दोस्त यानि बॉलीवुड के भूत

फिल्म निर्माता और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा की फिल्म फिल्लौरी पंजाब के फिल्लौर गाँव की पृष्ठभूमि पर है। एक एनआरआई लड़का कनन शादी करने के लिए अपने गाँव फिल्लौर आता है। जन्मपत्री से पता चलता है की वह मांगलिक है। इसलिए जिस लड़की से वह शादी करेगा, उसकी जान को खतरा है। इसका हल यह निकाला जाता है कि कनन शादी करने से पहले गाँव के एक पेड़ से फेरे ले। कनन को फेरे लेने पड़ते हैं। लेकिन,उसे नहीं मालूम कि पेड़ में शशि का भूत रहता है। होता यह है कि फेरे के बाद पेड़ कटवा दिया जाता है। शशि का भूत जहाँ जहां कनन जाता है, वह प्रेत भी जाता है। इस से बड़ी हास्यास्पद रोमांटिक स्थिति पैदा हो जाती हैं। फिल्लौरी में शशि के प्रेत की भूमिका अनुष्का शर्मा कर रही हैं। उनके प्रेमी की भूमिका में दिलजीत दोसांझ हैं। 
खून करने वाले दुश्मन भूत

पुराने जमाने से हिंदी फिल्मों में भूतों ने ख़ास भूमिका अदा की है। तमाम फ़िल्में इन भूतों या आत्माओं के इर्दगिर्द घूमी हैं।  इसलिए यह भूत या कहिये आत्माएं भी बॉलीवुड फिल्मों में दो प्रकार की नज़र आती हैं।  डरावने और खून से सने चेहरों वाले बेइंतहा खून खराबा करने वाले भूत, जो किसी वजह से आसपास गुजरने वाले या उनके रहने की जगह पर पहुँचने वाले लोगों का क़त्ल कर देते हैं।  इन भूतों का अंत क्रॉस या हिन्दू देवी देवताओं के चिन्हों के ज़रिये किया गया। विक्रम भट्ट ने अपनी फिल्म १९२० की आत्मा को हीरो से हनुमान चालीसा पढ़वा कर मरवाया था। इन फिल्मों ने दर्शकों  का खूब मनोरंजन किया है। ऐसी फ़िल्में बना कर इन के निर्माताओं ने बॉक्स ऑफिस पर खूब चांदी बटोरी। आम तौर पर मामूली बजट पर बनी इन फिल्मों में हिंदी फिल्मों के असफल चेहरे या बिलकुल नए चेहरे नज़र आये। ऐसी फिल्मों को दर्जन या आधा दर्जन अभिनेता अभिनेत्रियों की ज़रुरत होती थी। 
दोस्त भूत क्यों ?
खून खराबा करने से अलग भूतों की श्रेणी में आने वाले भूतों की नस्ल भिन्न होती है।  यह भूत किसी का खून नहीं करते, इनकी  मौजूदगी से दर्शकों में भय पैदा होता है।  यह भूत भिन्न कारणों से परदे पर आते हैं।  कौन से हैं यह भूत ! 
जब मदद माँगने आये भूत 

घोस्ट दोस्त की आत्माओं या भूतों को अपना बदला लेने के लिए शरीर की मदद की दरकार होती हैं। ऎसी आत्माये अपने शरीर की हत्या करने वाले लोग या लोगों से बदला लेना चाहती हैं।  इसलिए वह नायक या नायिका से संपर्क करता है। सीपी दीक्षित की १९८२ में रिलीज़ फिल्म गज़ब में धर्मेन्द्र की दोहरी भूमिका थी। एक धर्मेन्द्र बदसूरत चेहरे वाला था। विलेन द्वारा उसकी हत्या कर दी जाती है। अब गांव में दूसरा धर्मेन्द्र आता है। तब पहले धर्मेन्द्र की आत्मा उसी मदद कर अपनी हत्या का बदला लेती है। अनुराग बासु की फिल्म साया (२००३) में तारा शर्मा की आत्मा अपने बच्चे के लिए जॉन अब्राहम को सन्देश भेजती है। हॉलीवुड की फिल्म घोस्ट से प्रेरित हो कर बॉलीवुड ने दो हिंदी फ़िल्में प्यार का साया और माँ बनाई। प्यार का साया में राहुल रॉय और शीबा नायक नायिका थे, जबकि माँ की स्टार कास्ट में जीतेंद्र और जयाप्रदा जैसे बड़े सितारे शामिल थे। माँ हिट साबित हुई। 
मददगार भूत

अमिताभ बच्चन जब भी भूत बने, फ्रेंडली घोस्ट यानि मददगार भूत ही बने। फिल्म भूतनाथ भूतनाथ रिटर्न और अरमान फिल्म में अमिताभ बच्चन मददगार भूत की भूमिका में थे। अरमान में डॉक्टर बने अमिताभ बच्चन की मौत हो जाती है। मौत के बाद वह अपने बेटे अनिल कपूर को ऑपरेशन में मदद करते हैं। भूतनाथ में अमिताभ एक बच्चे के मददगार थे तो भूतनाथ रिटर्न में राजनीतिक दलों की चालों का पर्दाफाश करने वाले भूत थे। भूत बने सलमान खान फिल्म हेल्लो ब्रॉदर में अरबाज़ खान के शरीर में आकर मदद किया करते थे। चमत्कार में नसीरुद्दीन शाह अपना बदला लेने के साथ साथ क्रिकेट मैच जीतने में शाहरुख़ खान की मदद भी करते थे। भूत अंकल के जैकी श्रॉफ, वाह ! लाइफ हो तो ऎसी के शाहिद कपूर और टार्ज़न द वंडर कार के अजय देवगन के भूत भी मददगार भूत थे। 
ये भूत नहीं आत्माएं हैं

रामगोपाल वर्मा और विक्रम भट्ट की भयावनी फिल्मों में, चाहे टाइटल 'भूत' क्यों न रहा हो, आत्माएं भटका करती थी। रामगोपाल वर्मा की फिल्मों फूँक, फूँक २, डरना मना है, डरना ज़रूरी है, वास्तुशास्त्र, भूत रिटर्न, आदि फिल्मों में आत्माएं भटकती और डराती थी।  विक्रम भट्ट की तमाम फिल्मों में पुराने और वीरान विदेशी हवेली में आत्माएं ह्त्या तक कर दिया करती थी।  विक्रम भट्ट निर्देशित फिल्म राज़ की सफलता के बाद भटकती आत्माओं की राज़ सीरीज की फिल्मों का सिलसिला शुरू हो गया।  उनकी अन्य फिल्मों १९२० और १९२० ईविल रिटर्न, शापित और हॉन्टेड में भटकती आत्माएं दिखाई गई थी। इन फिल्मकारों की भूत फिल्मों में बिपाशा बासु, अजय देवगन और अरबाज़ खान ने भी अभिनय किया।
कहाँ है भूत! न ही कोई आत्मा !!

हिंदी फिल्म दर्शकों का भूत या आत्मा से पहला परिचय कमाल अमरोही ने १९४९ में रिलीज़ फिल्म महल से कराया था।  इस फिल्म में अशोक कुमार और मधुबाला मुख्य भूमिका में थे।  फिल्म में शुरू से मधुबाला को एक भटकती और आएगा आने वाला आएगा गीत गाने वाली आत्मा बताया गया था।  लेकिन क्लाइमेक्स में यह फिल्म बताती थी कि वह कोई आत्मा नहीं, वास्तविक महिला थी।  बिरेन नाग की फिल्म बीस साल बाद (१९६२), राज खोसला की फिल्म वह कौन थी ? (१९६४), महमूद की फिल्म भूत बंगला (१९६५) और प्रियदर्शन की फिल्म भूल भुलैया (२००७) में भी आत्मा का एहसास कराया गया था।  लेकिन इन फिल्मों में वास्तव में कोई आत्मा नहीं थी।  
डरावनी फिल्मों के रामसे

बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों की श्रृंखला बनाने वाले रामसे परिवार के मुखिया फतेहीलाल यू रामसिंघानी को हिंदी हॉरर के दर्शक ऍफ़ यू रामसे के नाम  से जानते हैं।  उन्हें यह नाम एक ब्रितानी नियोक्ता ने दिया था, जिनके यहाँ पहली बार फतेहीलाल ने काम किया।  फतेहीलाल को यह छोटा नाम कुछ इतना भाया कि उन्होंने इसे पारिवारिक सरनेम की तरह अपना लिया।  नतीजतन, रामसे परिवार का जन्म हुआ।  यों तो रामसे परिवार ने भयावनी फिल्मों की फैक्ट्री खोल दी थी।  उन्होंने मामूली बजट पर ढेरों फ़िल्में बनाई।  उनकी पहली बड़ी हिट फिल्म दो गज़ ज़मीन के नीचे थी, जो १९७२ में रिलीज़ हुई थी। यह हिंदुस्तान की पहली ज़ोंबी फिल्म भी थी। रामसे बंधुओं की तीन फ़िल्में दो गज़ ज़मीन के नीचे, पुराना मंदिर और वीराना बड़ी हिट फ़िल्में थी। मास्क में छिपा खुनी चेहरा, लबादे में भूत और खून-हिंसा और अर्धनग्न लड़कियां ऎसी फिल्मों की पहचान बन गई।  रामसे बंधुओ ने १९७८ में अपनी फिल्म दरवाज़ा के लिए विदेशी प्रोस्थेटिक मेकअप आर्टिस्ट्स को बुलवाया।  रामसे परिवार की तमाम भयावनी फिल्मों ने अपने बजट का १० गुना कमाया। 
फिल्लौरी एक रोमांस फिल्म है।  इसलिएअनुष्का शर्मा का भूत किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।  वह एक फ्रेंडली घोस्ट है।  जो सिर्फ अपनी रोमांस कथा दुनिया को बताना चाहता है। ज़ाहिर है कि निर्देशक अंशाई लाल ने अपनी कहानी का भूत एक अच्छा भूत है। हिंदी फिल्मों में काफी ऐसे भूत कहानी के केंद्र में रहे हैं। जहाँ रामसे और भाखरी की फिल्मों में दोयम दर्जे के कलाकारों ने अभिनय कियावहीँ इन दोस्त घोस्ट वाली फिल्मों  को करने मे बॉलीवुड के सुपर स्टार भी नहीं हिचके। 

'पद्मावती' नहीं बनेगी मिसेज स्मिथ !

ट्रिपल एक्स : रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज की वर्ल्डवाइड रिलीज़ के बाद पद्मावती की शूटिंग में व्यस्त दीपिका पादुकोण के मिसेज स्मिथ बनने की अफवाह फैली थी।  रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज एक्शन फिल्म थी।  दीपिका पादुकोण के हिस्से भी कुछ एक्शन आये थे।  इसलिए स्वाभाविक था कि उनके २००५ की हॉलीवुड फिल्म मिस्टर एंड मिसेज स्मिथ के हिंदी रीमेक में मिसेज स्मिथ का रोल करने की खबर फैलती।  लेकिन, दीपिका पादुकोण ने  अब इस खबर का खंडन कर दिया है।  वह कहती हैं, यह अच्छी बात नहीं कि मेरे काम के बारे में गलत खबरें दी जाएँ।  मैं फिलहाल संजयलीला भंसाली की फिल्म पद्मावती ही कर रही हूँ। इस फिल्म के बाद कभी बात निकलेगी तो मैं सोचूंगी।" साफ़ तौर पर दीपिका पादुकोण के पास ऎसी किसी फिल्म का ऑफर नहीं है।  लेकिन उम्मीदें अभी बाकी हैं। मिस्टर एंड मिसेज  गुप्त रूप से भाड़े में ह्त्या करने वाले पति मिस्टर स्मिथ और पत्नी मिसेज स्मिथ की कहानी है।  जिन्हें एक दिन  पता चलता है कि वह दोनों ही भाड़े के हत्यारे हैं।  दिलचस्प तथ्य यह कि उन्हें दो राइवल ग्रुप ने एक दूसरे की ह्त्या करने के लिए ही भाड़े में लिया है। इस फिल्म में दो मुख्य किरदारों को हॉलीवुड के रियल लाइफ वाइफ-हस्बैंड एंजेलिना जोली और ब्राड पिट ने किया था।  इस धुंआधार एक्शन फिल्म  ने एंजेलिना जोली का एक्शन हीरोइन का रुतबा पुख्ता किया था।  हालाँकि, जोली को लारा क्राफ्ट सीरीज की फिल्मों से एक्शन हीरोइन की शोहरत मिल गई थी।  अब रही बात दीपिका पादुकोण की तो वह एंजेलिना जोली की तरह खुद को रफ़टफ जिस्म में ढाल पाएंगी ? दीपिका पादुकोण हिंदी फिल्मों की नाज़ुक बदन अभिनेत्री हैं।  उनके लिए यह काम काफी कठिन होगा।  रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज के अपने सेरेना उंगेर के किरदार से वह कोई भरोसा नहीं दिलाती थी।  फिर भी अगर मिस्टर एंड मिसेज स्मिथ का हिंदी रीमेक बना, दीपिका पादुकोण उसकी नायिका बनी तो सवाल यह हैं कि उनका मिस्टर स्मिथ कौन बनेगा ? शाहरुख़ खान की नायिका के बतौर हिंदी फिल्मों में कदम रखने वाली दीपिका पादुकोण के मिस्टर स्मिथ के लिए केवल एक नाम जमता हैं - रणबीर सिंह।  याद कीजिये हाथों में बन्दूक थामे गोलियों की रास लीला : राम-लीला के रणबीर सिंह और दीपिका पादुकोण को।  हैं न परफेक्ट मिस्टर एंड मिसेज स्मिथ  !