Sunday 26 January 2020

बॉलीवुड की फिल्मों में पिता और बेटी के दिलचस्प रिश्ते


ओम राउत की ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म तानाजी द अनसंग वारियर में, उदयभान सिंह राठौर की नकारात्मक भूमिका के बाद, अभिनेता सैफ अली खान अब कॉमेडी करने जा रहे हैं।  वह नितिन कक्कड़ की फिल्म जवानी जानेमन में हास्यास्पद परिस्थितियों से गुजरने वाले अमर खन्ना की भूमिका कर रहे हैं, जो औरतों से फ़्लर्ट करता फिरता है।  उसके जीवन में नाटकीय परिस्थितियां उस समय पैदा हो जाती हैं, जब एक जवान लड़की उसकी ज़िन्दगी में आती है।  वह उस समय हास्यास्पद हो जाता है, जब वह लड़की उसे बताती है कि वह उसकी बेटी है। इसके बाद, फिल्म एक बेटी और एक पिता की कहानी बन जाती है। लंदन में अपनी बेटी से सामंजस्य बैठाते हुएअमर उससे भावनात्मक रूप से जुड़ जाता है।

रिश्तों के बीच पिता और पुत्री
हिंदी फिल्मों में मानवीय सम्बन्ध हमेशा से मायने रखते रहे हैं।  कभी प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी, माँ-बाप और बच्चे, कभी बेटा-माँ, बेटा-पिता, बेटी-माँ, बेटी-पिता और पर भाई-बहन के रूप में सम्बन्ध परदे पर दिखाए जाते रहे हैं। इन संबंधों का महत्व, साठ-सत्तर के दशक की फिल्मों में ज़्यादा नज़र आता था, लेकिन बॉलीवुड फिल्मों में  एंग्री यंग-मैन के छाने के बावजूद, मानवीय सम्बन्ध नज़र आते रहे। मसलन, अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की फिल्म शोले में जय-वीरू  दोस्ती थी। अमिताभ बच्चन की एक्शन फिल्मों मे तो माँ का  हमेशा महत्व रहा है।  दीवार का 'मेरे पास माँ है' संवाद आज भी लोगों की जुबान पर है। नितिन कक्कड़ की कॉमेडी फिल्म जवानी जानेमन में बाप और बेटी की रिश्तों का चित्रण हुआ है। इसलिए इस लेख मे एक बाप और एक बेटी के रिश्तों के भिन्न रंगों पर आधारित फिल्मों पर नज़र डालते हैं।

समलैंगिक बेटी का पिता
जवानी जानेमन से पहले, बाप और बेटी के रिश्तों पर आधारित फिल्म, पिछले साल प्रदर्शित अनिल कपूर और सोनम कपूर की फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा थी। इस फिल्म की कहानी स्वीटी के रोमांस पर फिल्म है।  पिता चाहता है कि बेटी शादी कर ले, चाहे वह मुसलमान ही क्यों न हो ! लेकिन, सम्बन्धो में तनाव और खिंचाव उस समय पैदा हो जाता है, जब लड़की अपने समलैंगिक संबंधों का खुलासा करती है। अब यह बात दीगर है कि शैली चोपड़ा धर की फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा का कथानक दर्शकों को बिलकुल रास नहीं आया। फिल्म पहले दिन से ही दर्शकों की नाराज़गी का शिकार हो गई।

बदल रहे हैं पिता और पुत्री के रिश्ते
यहाँ याद आती है १९६४ में रिलीज़ एलवी प्रसाद की फिल्म बेटी-बेटे की।  यह फिल्म एक विधुर बाप और उसके तीन बच्चों के संबंधों पर थी। लेकिन सबसे बड़ी बेटी से उसका गहरा भावनात्मक लगाव था।  कर्ज में डूबा वह व्यक्ति एक दुर्घटना में अपनी आँखें खो बैठता है।  बच्चों पर बोझ न बनना पड़े, यह सोच कर वह घर छोड़ कर चले जाता है। बेटी अपने दोनों भाइयों को पालती और पढ़ाती-लिखाती है। साठ के दशक में ऎसी बहुत सी फ़िल्में बनाई गई। परन्तु समय के साथ रिश्ते में बदलाव नए शुरू हो गए। रिश्तों में अब वह घनिष्ठता नहीं रह गई थी।  ख़ास तौर पर बॉलीवुड बहुत बदल गया। उसकी फिल्मों के सम्बन्ध समलैंगिक रिश्तों तक आ पहुंचे। एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा में पिता-पुत्री के समबन्धों के बीच ऐसे रिश्तों की झलक देखने को मिली थी।


बेटी के लिए पिता के भिन्न रूप
बॉलीवुड फिल्मों में पिता के भिन्न रूप नज़र आते हैं।  ज़्यादातर वह बच्चों का संरक्षक है।  वह अपने बच्चों का भला चाहता है। इसके लिए वह कभी सख्त भी हो जाता है।  पिता का मित्र रूप तो कई फिल्मों में  देखने को मिलता है।  करण जौहर और आदित्य चोपड़ा की फिल्मों में पिता और बेटी के रिश्तों को ख़ास महत्व दिया गया है।  आदित्य चोपड़ा की फिल्म मोहब्बतें में गुरुकुल का प्राचार्य नारायण शंकर को ऐसा लगता है कि बेटी मेघा को आर्यन से प्रेम नहीं करना चाहिए। वह सख्ती बरतता है। बेटी आत्महत्या कर लेती है।  करण जौहर की फिल्म कुछ कुछ होता है में बेटी और पिता के सम्बन्ध कुछ अनोखे थे।  बेटीअपने पिता को उसके  पुराने प्रेम से मिलाती है। आदित्य चोपड़ा की पहली फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे का पिता अमरीश पूरी अपनी बेटी काजोल के प्रेम शाहरुख़ खान को नापसंद करता है।  सुभाष घई की फिल्म यादें, महेश मांजरेकर की फिल्म पिता, ओमंग कुमार की फिल्म भूमि, आदि जैसी कुछ फिल्मों का पिता अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर सकता है।  वह जान दे सकता है और ले भी सकता है।  फिल्म पिता और भूमि में संजय दत्त ने और यादें में जैकी श्रॉफ ने ऐसे ही पिता की भूमिका की थी। कुछ ऐसी फ़िल्में भी बनी, जिनमे पिता और पुत्री के सम्बन्ध अनोखी डोर से बंधे थे।

आइये जानते हैं ऐसी कुछ फिल्मों के बारे में-
ख़ामोशी- द म्यूजिकल - संजय लीला भंसाली की बतौर निर्देशक इस पहली फिल्म में गूंगे-बहरे पिता जोसफ और बेटी एनी के बीच संगीत का  नाता था। कुछ परिस्थितियां इन दोनो को संगीत से अलग कर देती है। लेकिन फिर मिलाता संगीत ही है। इस भूमिका को नाना पाटेकर और मनीषा कोइराला ने किया था।
डैडी- महेश भट्ट की फिल्म डैडी का पिता शराबी है।  वह अच्छा गायक है। लेकिन, शराब की लत ने उसकी गायिकी पर बुरा प्रभाव डाला था।  बेटी को जब इस बारे में पता चलता है तो वह पिता की न केवल शराब छुड़ाती है, बल्कि उसे गाने के लिए भी स्टेज पर उतारती है। पिता-पुत्री की इस भूमिका को अनुपम खेर और पूजा भट्ट ने किया था।
आरक्षण -  प्रकाश झा की फिल्म आरक्षण, जातिगत आरक्षण के खिलाफ फिल्म थी।  इस फिल्म का पिता जातिगत भेदभाव को सही मानता है। लेकिन, बेटी को एक अनुसूचित जाति के लडके से ही प्यार है।  फिल्म में पिता -पुत्री की भूमिका अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण ने की थी। पिता कब्ज़ का मरीज और झक्की है। इन दोनों के सम्बन्ध बेहद मज़ेदार थे। 
पीकू- शूजित सरकार की फिल्म पीकू में एक बार फिर अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण की पिता -पुत्री जोड़ी बनाई गई थी। 
डैडी-  महेश भट्ट निर्देशित फिल्म डैडी की कहानी एक बेटी के अपनी पिता की खोज में नैरोबी पहुँच जाने की कहानी थी। लेकिन, युवा बेटी को देख कर पिता खुश नहीं होता। क्योंकि, अब उसकी स्वतंत्रता में खलल पड़ेगा। इस फिल्म की कहानी से मिलती-जुलती कहानी जवानी जानेमन की भी है। डैडी के पिता और पुत्री अनुपम खेर और मयूरी कांगो थे।
चीनी कम - आर बाल्की निर्देशित फिल्म चीनी कम एक ६० साल के शेफ और उससे ३० साल जूनियर के बीच प्रेम की कहानी में, उस समय मज़ेदार मोड़ आता है, जब शेफ लड़की के पिता से शादी की अनुमति लेने के लिए   मिलने जाता है।  फिल्म में पिता परेश रावल और बेटी तब्बू के बीच का रिश्ता बड़ा दिलचस्प था।
चाची  ४२०-  कमल हासन, खुद की निर्देशित फिल्म चाची ४२० में एक ऐसे पिता की भूमिका में थे, जो अपनी बेटी से मिलने के लिए औरत बन कर उसके नाना के घर काम करने लगता है।  इस फिल्म में कमल हासन की बेटी की भूमिका फातिमा सना शेख ने की थी।
क्या कहना - कुंदन शाह निर्देशित फिल्म क्या कहना में पिता अपनी कुंवारी माँ बनने जा रही बेटी का साथ देता है।  यह भूमिकाएं अनुपम खेर और प्रीटी ज़िंटा ने की थी। 
दंगल-  निर्देशक नितेश तिवारी की बायोपिक फिल्म दंगल का पहलवान पिता, बेटा न होने के कारण अपनी दो बेटियों को अखाड़े में उतारता है। उसकी दोनों बेटियां राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगता में पदक जीत कर लाती हैं।  पिता और दो बेटियों की भूमिकाएं आमिर खान, फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा ने की थी। 

बॉलीवुड फिल्मों के पिता अनुपम खेर
अनुपम खेर का हिंदी फिल्म डेब्यू आगमन फिल्म से हुआ था। महेश भट्ट निर्देशित फिल्म सारांश में उन्होंने पहली बार एक बूढ़े पिता की भूमिका की थी।  इस फिल्म के बाद, अनुपम खेर पिता की भूमिका के लिए सुरक्षित कर लिए गए। दिलचस्प बात यह थी कि अनुपम खेर ने यश चोपड़ा की फिल्म विजय में, अपने से सात साल बड़ी हेमा मालिनी के पिता की भूमिका की थी।  वह इसी फिल्म में १३ साल बड़े राजेश खन्ना के ससुर बने थे। वह उम्र अनिल कपूर और तीन साल बड़े ऋषि कपूर के नाना बने थे। अनुपम खेर ने हेमा मालिनी के अलावा दूसरी युवा अभिनेत्रियों और अभिनेताओं के ऑन-स्क्रीन पिताओं की भूमिकाये की हैं। कहा जाता है कि जिस किसी फिल्म में अनुपम खेर पिता बन जाते हैं, वह हिट हो जाती है।






राष्ट्रीय सहारा २६ जनवरी २०२०





हिंदी फिल्मों में जन-गण का मन


१० जनवरी को रिलीज़ निर्देशक मेघना गुलजार की फिल्म छपाक, तेज़ाब के हमले की शिकार लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर फिल्म है। यह फिल्म इस लड़की के हमले के घावों से उबरने की कहानी है। फिल्म में ग्लैमर के खिलाफ, एक एसिड विक्टिम की भूमिका कर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने हिम्मत दिखाई थी। एक आम लड़की के संघर्ष वाले कथानक के कारण यह फिल्म जनमानस को आंदोलित कर सकती थी, लेकिन दीपिका पादुकोण के एक गलत कदम ने इसे जनमानस से दूर कर दिया। दीपिका पादुकोण, जेएनयू के आंदोलित छात्रों के साथ क्यों खडी हुई ? इसका खुलासा तो खुद दीपिका ही कर सकती हैं। लेकिन, आम जन तक इसका गलत सन्देश गया। इसे देश विरोधी ताकतों के साथ खड़ा होना माना गया। छपाक, दीपिका पादुकोण के इस कदम के कारण फ्लॉप हुई, कहना बिल्कुल ठीक नहीं होगा। मगर, फिल्म को दूसरी फिल्मों की तरह दर्शकों ने सामान्य तरीके से नहीं देखा ।

आम आदमी, परिवार और समस्या
बॉक्स ऑफिस पर छपाक का हश्र, बॉलीवुड के लिए सबक जैसा हो सकता है कि फिल्म निर्माण के खतरों के मद्देनज़र फिर नए खतरे मोल लेना आत्मघाती हो सकता है। लेकिन, इसमें कोई शक नहीं कि बॉलीवुड ऐसे खतरे लेने के लिए तैयार है। ऐसी तमाम फ़िल्में बनाई जा रही हैं, जो एक आम आदमी, एक आम परिवार और एक आम समस्या पर है। इसी शुक्रवार रिलीज़ कंगना रानौत की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ऐसी एक फिल्म कही जा सकती है । इस फिल्म में एक कबड्डी खिलाड़ी माँ बनने के बावजूद कबड्डी के मैदान पर उतरती ही नहीं है, अपनी टीम को विजय भी दिलाती है । इससे मिलती-जुलती कहानी किसी भी माँ या बहन की हो सकती है । यह फिल्म सडकों पर डांस करने वाले ग्रुप के अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने की कहानी पर फिल्म स्ट्रीट डांसर के सामने रिलीज़ हो रही है । स्ट्रीट डांस उम्मीदों से भरे भारतीय युवा की जीतने की ललक की कहानी है ।

सामान्य समस्या और प्रेरणा
हालाँकि, गुल मकई हिन्दुस्तान की किसी लड़की की कहानी नहीं, लेकिन लड़कियों की शिक्षा और आज़ादी की भारत में भी विद्यमान पाकिस्तानी पृष्ठभूमि पर फिल्म है । यह फिल्म नोबल पुरस्कार प्राप्त मलाल युसफजाई के जीवन पर है । यहाँ सब ज्ञानी है में हास्य के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि सुख का खजाना मकान के नीचे गड़ा हुआ नहीं है, बल्कि हमारे अन्दर ही है । गुल मकई की तरह, विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म शिकारा, उन कश्मीरी पंडितों की दशा पर है, जिन्हें १९८९ में इस्लामी आतंकवादियों ने घर छोड़ने के लिए मज़बूर कर दिया था । द कश्मीर फाइल्स भी कश्मीरी पंडितों पर आतंकवादियों के अत्याचार की कहानी है । बायोपिक फिल्म बैंडिट शकुंतला की कहानी एक पूर्व डकैत के, आत्मसमर्पण के बाद मुख्य धारा में जुड़ने और समाजसेवा करने की प्रेरक कहानी है ।

रियल लाइफ के लोग
पंगा की तरह, हवाएं भी आम आदमी के सपनों की कहानी है । आदित्य अपना सब कुछ छोड़ कर, भारत में घूमने निकल पड़ता है । रास्ते में, उसे ऐसे लोग मिलते हैं, जिनसे मिल कर वह खुद को अपने परिवार से जोड़ पाता है और फिल्म डायरेक्टर बनने का अपना सपना पूरा करने को तैयार होता है । गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल, भारतीय वायु सेना का फाइटर प्लेन उड़ाने वाली गुंजन सक्सेना की प्रेरक कहानी है । फिल्म शेरशाह भी भारतीय सेना के कैप्टेन विक्रम बत्रा की साहसिक कहानी है । भुज द प्राइड ऑफ़ इंडिया वायु सेना के ऑफिसर के युद्ध के मैदान में गांव के लोगों के साथ मिल कर हवाई पट्टी की मरम्मत करने की प्रेरक कहानी है । इरफ़ान खान की फिल्म अंग्रेजी मीडियम, २०१७ में रिलीज़ फिल्म हिंदी मीडियम की स्पिनऑफ फिल्म है । यानि एक बार फिर केंद्र में आम आदमी जद्दोजहद ही है । निर्देशक श्री वरुण की फिल्म दया बाई की कहानी एक ईसाई महिला की दया बाई बन कर जनजाति के लोगों की सेवा करने की प्रेरक कहानी है । अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की फिल्म गुलाबो सिताबो लखनऊ की पृष्ठभूमि पर आम आदमी के दैनिक जीवन में संघर्ष की कहानी है ।

कुछ सामान्य कहानियां भी
कुछ कहानियाँ ऐसी होती है, जिसकी कल्पना आम जन नहीं कर सकता । फिर भी ऐसी फ़िल्में जन-गण का प्रतिनिधित्व करती हैं। खास तौर पर युवा पीढ़ी का । इन्दू की जवानी गाज़ियाबाद की इन्दू की है, जो डेटिंग एप के चक्कर में पड़ कर अजीबोगरीब परिस्थितियों में फंस जाती है । मिमी की कहानी एक ऎसी माँ की है, जो अपनी कोख में दूसरे के बच्चे को पालती है । गंगुबाई काठियावाड़ी की कहानी एक तवायफ की होने के बावजूद, उसके ज़बरन देह व्यापार में धकेली गई औरतों-लड़कियों को बचाने की प्रेरक कहानी है । 

Saturday 25 January 2020

Sanjay Leela Bhansali की फिल्म पद्मावत के दो साल



यह मानों कल की ही बात लगती है जब बहुप्रतिभाशाली निर्देशक संजय लीला भंसाली की आइकोनिक फिल्म 'पद्मावत' सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी। सिर्फ इस फिल्म की कहानी ने ही सिल्वर स्क्रीन पर अपना जादू नही चलाया, बल्कि संजय लीला भंसाली के दृष्टिकोण और फिल्म के म्यूज़िक ने हर किसी पर अपना जादू बिखेरा।

पद्मावत में स्टोरी से लेकर, दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर की दमदार परफॉरमेंस, फिल्म के म्यूज़िक और इमोशंस ने हर सिनेमा प्रेमी को इस फिल्म के द्वारा एक अद्भुत और अनोखा एक्सपीरियंस करवाया।

साफ़ तौर पर इस दमदार फिल्म ने दर्शकों के दिल में अपना एक गहरा प्रभाव छोड़ा। इस फिल्म ने एक नहीं बल्कि तीन राष्ट्रीय अवॉर्ड अपने नाम किए। पद्मावत को बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन, बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर और बेस्ट कोरियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया।

इस फिल्म ने भारत और विदेशों में बॉक्स-ऑफिस पर एक बहुत ही अच्छा रिकॉर्ड कायम किया। यह फिल्म संजय लीला भंसाली की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी।

यह कोई आश्चर्य की बात नही हैं कि आज के समय में भी इस ब्लॉकबस्टर पैकेज फिल्म को सबसे प्रतिष्ठित फिल्म के रूप में याद किया जाता है।

Friday 24 January 2020

'मैदान' में तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता !


मैदान में दिलचस्प नज़ारा बना हुआ है। भारतीय फुटबॉल के स्वर्ण युग (१९५२-५९) के दौर में फुटबॉल कोच सैयद अब्दुल रहीम के जीवन पर फिल्म मैदान में, बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने कोच की भूमिका की है। एक समय तीन राष्ट्रीय फिल्म विजेताओं का मैदान बनी यह फिल्म बदलाव के बावजूद तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेताओं का मैदान ही बनी हुई है।

अजय देवगन के अपोजिट कीर्ति
जब मैदान की शूटिंग शुरू हुई थी, उस समय फिल्म में अब्दुल रहीम की पत्नी की भूमिका कीर्ति सुरेश कर रही थी। यह कीर्ति की पहली हिंदी फिल्म थी। लेकिन, अब वह फिल्म में नहीं है। हालाँकि, कीर्ति ने मैदान में अपने हिस्से का काफी शूट कर लिया था। इस फिल्म में माँ की भूमिका के लिए अपना वजन काफी कम भी कर लिया था। लेकिन, यह कम वजन उनके रोल पर भारी पड़ा।

कीर्ति की जगह प्रियमणि
फिल्म के निर्देशक के साथ खुद कीर्ति ने महसूस किया कि अजय देवगन के मुक़ाबले वह काफी छोटी नज़र आ रही है। जबकि, फिल्म की भूमिका में थोड़ी परिपक्व अभिनेत्री की ज़रुरत महसूस होती थी। इसलिए, उन्हें फिल्म से बाहर हो जाना पड़ा। अब कीर्ति की जगह दक्षिण की एक अन्य फिल्म एक्ट्रेस प्रियमणि ने ले ली है। प्रियमणि को दर्शकों ने रावण और रक्त चरित्र में देखा है। वह वेब सीरीज द फॅमिली मैन में भी नज़र आ रही है।

तीन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 
जब कीर्ति सुरेश मैदान में थी, तब फिल्म में तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता थे। अजय देवगन ने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ज़ख्म और द लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह के लिए जीते हैं।  फिल्म के निर्देशक अमित रविन्दरनाथ शर्मा ने फिल्म बधाई हो के निर्माता के तौर पर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है। कीर्ति सुरेश ने तमिल-तेलुगु फिल्म महानटी में फिल्म अभिनेत्री सावित्री की भूमिका के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है।

शशिकला की भूमिका में प्रियमणि
कीर्ति सुरेश, मैदान से तो बाहर हो गई है। लेकिन, इस समय भी मैदान पर तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता डटे हुए हैं। कीर्ति की जगह लेने वाली प्रियमणि भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता एक्ट्रेस हैं। उन्होंने तमिल फिल्म पारूथिवीरन (२००७) के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता है। मैदान २७ नवंबर २०२० को प्रदर्शित होगी। लेकिन, हिंदी दर्शक उन्हें इससे पहले २६ जून को ही  जयललिता पर बायोपिक फिल्म थलेवि में जयललिता की सहेली शशिकला की भूमिका में देख लेंगे।  

पंगा की Kangana Ranaut साबित होगी बॉक्स ऑफिस क्वीन !


अश्विनी अय्यर तिवारी निर्देशित फिल्म पंगा, एक प्रकार से कंगना रनौत की सोलो फिल्म है।  यह फिल्म कबड्डी की एक चैंपियन खिलाड़ी की शादी और माँ बनने के बाद, कबड्डी के मैदान में सफल वापसी की कहानी है।  इस कहानी में, कबड्डी खिलाडी का परिवार है, पति, सास और बच्चा है, लेकिन दर्शकों की आँखों के सामने कबड्डी खिलाडी के रूप में कंगना रनौत का अभिनय ही होगा। क्योंकि, फिल्म में काम कर रही ऋचा चड्डा का कोई नाम लेवा नहीं, फिल्म में पति की भूमिका कर रहे पंजाबी फिल्म एक्टर जस्सी गिल की हिंदी बेल्ट में ख़ास पहचान नहीं। उनकी पहली हिंदी फिल्म हैप्पी फिर भाग जाएगी (२०१८) फ्लॉप हुई थी।  यानि जो कुछ है, अश्विनी का निर्देशन और कंगना का अभिनय फिल्म की जान होगा।

आधा दर्जन असफल फ़िल्में ?
यही कंगना रनौत को साबित करना है कि वह आज भी किसी फिल्म को अपने कंधे पर धो कर सकुशल पार लगा सकती हैं। उनकी पिछली आधा दर्जन फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर झंडे गाड़ पाने में नाकामयाब रही थी। मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ़ झाँसी ने बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज़्यादा कमाई की। लेकिन फिल्म का बजट इतना ज़्यादा था कि इसे सफल फिल्म नहीं कहा जा सकता। बाकी की फ़िल्में आई लव न्यू योर, कट्टी -बट्टी, रंगून, सिमरन और जजमेन्टल है क्या बुरी तरह से मार खाई थी।

सफल होती खेल फ़िल्में !
पंगा खेल पर फिल्म है।  इधर खेल पर फिल्मों ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया है। गोल्डसूरमा, सुल्तान, भाग मिल्खा भाग, मैरी कोम, आदि स्पोर्ट्स फ़िल्में दर्शकों द्वारा  देखी और सराही गई है। कंगना रनौत की फिल्म पंगा उनकी पहली स्पोर्ट्स फिल्म होगी। इस फिल्म में, कबड्डी की राजनीति नहीं, बल्कि परिवार का सहयोग ख़ास है। ऐसी कहानी में कंगना रनौत चमक सकती है।

सफलता है कंगना की चुनौती !
कंगना के सामने बड़ी चुनौती है।  उन्हें वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई, तनु वेड्स मनुशूटआउट एट वडाला, क्वीन और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स वाला दौर वापस लाना है, जिसमे कंगना के नाम पर फ़िल्में देखी जाती थी। खास तौर तनु वेड्स मनु रिटर्न्स और क्वीन की तरह खुद के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनय का प्रदर्शन करना है। यह फ़िल्में सफल भी हुई थी। क्या बॉक्स ऑफिस पर कंगना रनौत की फिल्म स्ट्रीट डांसर से सफलतापूर्वक पंगा ले सकेगी ?

नवोदय टाइम्स २४ जनवरी २०२०





बॉक्स ऑफिस पर Street Dancer 3D


अब इस बहस के कोई मायने नहीं कि स्ट्रीट डांसर ३डी, निर्देशक रेमो डिसूज़ा की डांस फिल्मो एबीसीडी और एबीसीडी २ की कड़ी में फिल्म है या नहीं ! क्योंकि, स्ट्रीट डांसर का, पहली दो फिल्मों से सम्बन्ध सिर्फ इतना है कि यह फिल्म भी डांस फिल्म है तथा यह कि एबीसीडी २, की मुख्य डांस जोड़ी वरुण धवन और श्रद्धा कपूर, स्ट्रीट डांसर ३डी में भी दोहराई गई है। स्ट्रीट डांसर ३डी की सफलता इसी जोड़ी के लिए चुनौती साबित होती है। वरुण धवन को श्रद्धा के साथ अपनी पहली फिल्म एबीसीडी २ की सफलता को फ्लूक साबित होने से रोकना है। क्या ऐसा होगा ?

श्रद्धा-वरुण की एबीसीडी
श्रद्धा कपूर और वरुण धवन के फिल्म करियर में दो साल का अंतर है। श्रद्धा की पहली फिल्म तीन पत्ती २०१० में रिलीज़ हुई थी, लव का द एंड (२०११) उनकी बतौर नायिका पहली फिल्म थी। वरुण धवन ने सिद्धार्थ मल्होत्रा और आलिया भट्ट के साथ फिल्म स्टूडेंट ऑफ़ द इयर (२०१२) से फिल्म करियर की शुरुआत की थी। वरुण धवन की श्रद्धा कपूर के साथ पहली बार जोड़ी एबीसीडी (२०१५) में ही बनी थी। इस फिल्म की सफलता के बावजूद वरुण-श्रद्धा की जोड़ी को दोहराया नहीं गया।

आलिया के साथ हिट वरुण
इस लिहाज़ से, वरुण धवन ने आलिया भट्ट के साथ जोड़ी बना कर कई हिट फ़िल्में दी। इनमे दुल्हनिया सीरीज की फिल्मे भी थी। बद्रीनाथ की दुल्हनिया के बाद वरुण धवन की अक्टूबर, मेड इंडिया और कलंक जैसी फ़िल्में असफल हो गई थी। इस लिहाज़ से, श्रद्धा कपूर सफल नज़र आती है। उन्होंने बागी, हाफ गर्लफ्रेंड, स्त्री, साहो और छिछोरे जैसी सफल फिल्मों में अभिनय किया है। इन फिल्मों से साफ़ है कि श्रद्धा कपूर की सफल फ़िल्में, वरुण धवन की तरह, किसी खास एक्टर के साथ नहीं थी।

स्ट्रीट डांसर की सफलता ज़रूरी
वरुण धवन और श्रद्धा कपूर के अलावा स्ट्रीट डांसर ३डी की सफलता रेमो फर्नॅंडेज़ के लिए भी काफी ज़रूरी है। रेमो निर्देशित सलमान खान के साथ फिल्म रेस २ का बॉक्स ऑफिस पर खास गुल न खिलाना अभी अभी की बात है। वरुण और श्रद्धा की जोड़ी को, वरुण और आलिया की जोड़ी की तरह हिट साबित होना है। इन्हें यह भी साबित करना है कि उनकी एबीसीडी २ की सफलता अनायास नहीं थी। उनकी जोड़ी को दर्शक पसंद करते हैं। क्या स्ट्रीट डांसर ३डी आज दर्शकों को थिरका सकेगी ?


दो हफ्ते देर से Bad Boys for Life


सोनी का इरादा बैड बॉयज सीरीज ट्राइलॉजी को एक कड़ी तक विस्तार देने का है। इसलिए, खबर है कि लेखक क्रिस ब्रेम्नर को बडी कॉप सीरीज की चौथी फिल्म लिखने के लिए कह दिया गया है। ब्रेम्नर ने ही, बैड बॉयज फॉर लाइफ को पीटर क्रैग और जोए कैम्हन के साथ लिखा था।


दो पुलिस दोस्त
पुलिस दोस्त फिल्म सीरीज बैड बॉयज की तीसरी फिल्म बैड बॉयज फॉर लाइफ १७ जनवरी को पूरी दुनिया (भारत के अलावा) में प्रदर्शित हो चुकी है। इस फिल्म की एक दिन पहले प्रीव्यू स्क्रीनिंग हुई थी। इस ३१५४ लोकेशन पर हुए प्रीव्यू स्कीनिंग में फिल्म ने ६.३८ मिलियन डॉलर का कारोबार किया था। यह जनवरी में प्रीव्यू हुई फिल्मों के कारोबार के लिहाज़ से कीर्तिमान स्थापित करने वाला था।

दूसरी बडी कॉप मूवीज से अच्छा
बैड बॉयज फॉर लाइफ का यह प्रदर्शन बडी कोप मूवीज राइड अलांग और राइड अलांग २ से क्रमशः १.०६ मिलियन और १.२६ मिलियन डॉलर अधिक है। इस फिल्म ने जॉन विक चैप्टर ३ का ५.९ मिलियन डॉलर के कारोबार को भी १ मिलियन डॉलर से पछाड़ दिया है। इसे देखते हुए बैड बॉयज सीरीज की इस तीसरी फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर बढ़िया कारोबार करने की उम्मीद की जा रही है।

फिल्म की कहानी
बैड बॉयज फॉर लाइफ की कहानी मियामी के दो पुलिस दोस्तों मार्कस बर्नेट और माइक लोवरी की है, जो मेक्सिको के नशीली दवाओं का व्यापार करने वाले गिरोह का खत्म करने के प्रयास में है। इन दोनों प्रमुख भूमिकाओं को मार्टिन लॉरेंस और विल स्मिथ ने किया है। पहली बैड बॉयज १९९५ में रिलीज़ हुई थी। २००३ में इस फिल्म का सीक्वल बैड बॉयज २ प्रदर्शित हुआ। अब १७ साल बाद ट्रीक्वेल फिल्म और इसकी जोड़ी को जैसी सफलता मिली है, वह अपने आप में अभूतपूर्व है।

भारत में सफल बैड बॉयज
बैड बॉयज सीरीज की पहली दो फिल्मों को भारत में भी अच्छी सफलता मिली है। विल स्मिथ ने, ख़ास तौर पर भारतीय दर्शकों में अपनी पकड़ बना रखी है। इसीलिए, विल स्मिथ का फिल्म स्टूडेंट ऑफ़ द इयर २ में कैमियो कराया गया था। विल की पिछले साल रिलीज़ फिल्म अलादीन में उनकी जिनी की भूमिका को काफी पसंद किया गया। इसके बावजूद बैड बॉयज फॉर लाइफ, भारत में पूरी दुनिया में १७ जनवरी को रिलीज़ होने के दो हफ्ते बाद यानि ३१ जनवरी को प्रदर्शित की जा रही है।   

Thursday 23 January 2020

प्रिटी फिट शो में Neha Kakkar



इस बात में कोई संदेह नही है कि नेहा कक्क्ड़ म्यूज़िक इंडस्ट्री की क़्वीन हैं और सोशल मीडिया पर उनकी फैन फॉलोइंग ज़बरदस्त है। देश की सबसे लोकप्रिय सिंगर नेहा कक्क्ड़ यूट्यूब पर भी अपने इंडिपेंडेंट म्यूज़िक से राज करती हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उनकी ज़बरदस्त पॉपुलैरिटी को देखते हुए यूट्यूब ऑरिजनल शो 'प्रीटी फिट' में उन्हें इंडियन डिजिटल आइकॉन 'प्राजक्ता कोली' ने बतौर गेस्ट आमंत्रित किया।

इस नए डिजिटल शो में सितारे अपने रोज़मर्रा के कार्यों के साथ कैसे खुद को फिट रखते हैं इस बारे में बताते हुए नज़र आएंगे। शो के यूनिक कॉन्सेप्ट से उत्साहित नेहा कक्कड़ अपनी फिज़िकल स्ट्रेंथ टेस्ट करती हुई दिखाई दी। प्राजक्ता कोली के इस नए शो की शुरुआत नेहा कक्क्ड़ से हुई । जो पहले एपिसोड़ में गेस्ट के तौर पर नज़र आई।

नेहा कक्क्ड़ इस शो में अपने स्टारडम की जर्नी को शेयर करती हुई दिखी, जिसने इस एपिसोड़ को और भी दिलचस्प बना दिया। इस सिंगर ने बताया कि वह जब सिर्फ चार साल की थी तबसे ही उन्होंने जगराते में परफॉरमेंस देनी शुरू कर दी थी।  नेहा ने कहा, "इंडियन आइडल में टॉप 8 में अपनी जगह बनाने के बाद जब मैं एलिमिनेट हो गई थी, तो मैं पूरी तरह टूट गई और रोने लगी।  मुझे लगा कि बस अब यही मेरा करियर का अंत है। मैंने अपने एलिमिनेशन से पहले जो गाना गाया था वही गाना हाल ही में एक कंटेस्टेंट ने उसी शो पर गाया जिसमें अब मैं शो की जज हूं। इस बात ने मुझे तुरंत हिट किया और मुझे ये एहसास दिलाया कि मैं कितनी दूर आ गई हूं."

थोड़ी सी हंसी मज़ाक के बाद, नेहा को उनके फिटनेस टास्क के बारे में बताया गया, जिसमें उन्हें खरोंच से लस्सी तैयार तैयार करनी थी। लेकिन उन्होंने कभी भी कुछ नही बनाया, ऐसे में उनके लिए ये बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन नेहा ने इसकी परवाह नही की।  इस सिंगर ने भैंस से दोस्ती करना, उसको धोना और उसका दूध निकालकर दही बनाकर उसे मथना और पूरे पारम्परिक तरह से उसे लस्सी में बदलने के लिए नेहा ने अपनी पूरी जान लगा दी।

जब उनसे इस शो की हाइलाइट के बारे में पूछा गया तो नेहा ने कहा, "यह बहुत ही मज़ेदार था और मैं खुद को कैसे फिट रख सकते हैं इसका एक अलग तरीका सीख के घर जा रही हूं. लस्सी बनाने का यह पूरा एक्सपीरियंस और पुराने स्कूल के तरीकों को अपनाना यह सब बहुत ही अच्छा था। मुझे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस है इसलिए यह मेरे लिए अन्य चुनौती थी. मैंने इससे पहले कभी भी कुछ तैयार नही किया है. यह पहली बार है जब मैंने अपने हाथों से कुछ बनाने और तैयार करने की कोशिश की है। मैंने और क्या-क्या किया यह जानने के लिए एपिसोड़ देखे।"

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में 'ग्लोबल इश्यू' पर Priyanka Chopra



पिछले पांच सालों से प्रियंका चोपड़ा जोनस 'ग्लोबल विकास' की आवाज़ बनी हुई हैं। ग्लोबल सिटिज़न की ब्रांड एम्बेस्डर प्रियंका चोपड़ा हाल ही में 'वर्ल्ड इकॉनिमिक फॉरम' में शामिल होने पहुंची थी। इंटरनेशनल आइकॉन प्रियंका चोपड़ा ने बड़े-बड़े लीडर्स और बिज़नेस टायकून्स को इस कॉज के लिए सम्बोधित किया।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम दुनियाभर में व्यापार, राजनीति, शिक्षा और सोसाइटी से जुड़े सभी एजेंडा को बेहतरीन बनाने में मदद करती है। इस साल फॉरम की बैठक में बहुत ही बड़ी मात्रा में ग्लोबल इश्यू को सामने लाया गया था| इस मीटिंग के दौरान प्रियंका चोपड़ा जोनस ने उन मुद्दों पर प्रकाश डाला जिसपर दुनियाभर में ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान देने की ज़रुरत है। इस दौरान प्रियंका चोपड़ा ने यूनीसेफ की एम्बेस्डर के रूप में अपना अनुभव शेयर किया और दुनियाभर के लीडर्स से अत्यधिक गरीबी, जलवायु परिवर्तन और असमानता के खिलाफ आवाज़ उठाने और गरीबी जड़ से ख़त्म करने की अपील की।

दुनियाभर में महिला सशक्तिकरण को मजबूत बनाने वाली प्रियंका ने कहा, "मैं एक ऐसी जगह पर रहना चाहती हूं, जहां महिलाओं की योग्यता और सफलता एक बेसिक मानवाधिकार होना चाहिए, न कि किसी मौके या भूगोल पर आधारित।"

इस अभिनेत्री के अलावा इस समिट में कई और ग्लोबल स्तर पर मशहूर लीडर्स जैसे एलेग्जेंडर डी क्रू, डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर, बेल्जियम के मिनिस्टर मोहम्मद अल गेरगावी, यूएई कैबिनेट अफेयर्स मंत्री और भविष्य के गिल्बर्ट होंगबो, कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष के अध्यक्ष (आईएफएडी)
डॉ न्गोज़ी ओकोन्जो-इवेला, गवी बोर्ड के अध्यक्ष, वैक्सीन्स एंड इम्यूनिटी के लिए ग्लोबल अलायंस दक्षिण अफ्रीकी विकलांगता कार्यकर्ता वावीरा नजीरू, केन्याई भोजन और पोषण कार्यकर्ता जिम ओविया, जेनिथ बैंक के संस्थापक एलेक्स 'सैंडी' पेंटलैंड, एमआईटी मार्क प्रिटचर्ड, मुख्य ब्रांड अधिकारी, प्रॉक्टर एंड गैंबल में प्रोफेसर चक रॉबिंस, सिस्को के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रिस स्टैडलर, मैनेजिंग पार्टनर, सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स जॉन वर्नर, लिंक वेंचर्स थॉमस ज़ेल्टनर समेत कई लीडर्स पहुंचे।