Sunday, 15 July 2018

बन रहा है सिलसिला खेल फिल्मों का ?

भारतीय हॉकी टीम के स्ट्राइकर संदीप सिंह पर बायोपिक फिल्म सूरमा १३ जुलाई को रिलीज़ हो चुकी है। निर्देशक शाद अली की इस फिल्म में संदीप सिंह की ज़िन्दगी पर, ख़ास तौर पर उनको गोली लगाने के बाद व्हील चेयर पर पहुँच जाने और केवल खुद की जिजीविषा के बल पर भारतीय टीम में सफल वापसी करने की दास्ताँ है। फिल्म से संदीप सिंह को निकट से न जानने वाले खेल प्रेमी दर्शकों को भी उनके संघर्ष की दास्ताँ मालूम पड़े सकेगी। इस फिल्म में संदीप सिंह की भूमिका, हिंदी फिल्म दर्शकों के बीच उड़ता पंजाब और फिल्लौरी से परिचित दिलजीत दोसांझ कर रहे हैं। तपसी पन्नू और अंगद बेदी ने इन संघर्ष के दिनों में संदीप सिंह का साथ देने वाले किरदार किये हैं।
पिछले कुछ सालों से खेल पर फ़िल्में सफल हुई हैं। इनमे प्रियंका चोपड़ा की मैरी कोम  के जीवन पर फिल्म मैरी कोम और धावक मिल्खा सिंह के जीवन पर भाग मिल्खा भाग उल्लेखनीय हैं। इन फिल्मों की खास बात यह थी कि हिंदी फिल्मों के ए ग्रेड एक्टरों प्रियंका चोपड़ा और फरहान अख्तर ने रियल किरदारों को रील पर उतारने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया था। इससे अब खेल फिल्मों के प्रति बॉलीवुड के गंभीर होने का पता चलता था। अन्यथा तो बॉलीवुड ने बड़े ही कामचलाऊ ढंग से हिंदी फिल्मों में खेल को शामिल किया है। 

फिल्में खेल के दृश्यों वाली
अपनी फिल्म में खेल के कुछ दृश्य रखने या सरसरी तौर पर ज़िक्र करने के लिहाज़ से बॉलीवुड की कई फ़िल्में उल्लेखनीय हैं। इनमे शाहरुख़ खान की फिल्म कभी अलविदा न कहना (२००६) में फुटबॉल, शाहरुख़ खान और हृथिक रोशन की फिल्म कभी ख़ुशी कभी गम (२००१) में क्रिकेट, शाहरुख़ खान की ही फिल्म कुछ कुछ होता है (१९९८) में बास्केटबॉल, सलमान खान की फिल्म हम आपके हैं कौन (१९९४) में बच्चों के साथ क्रिकेट खेलती माधुरी दीक्षित, सैफ अली खान की फिल्म टारा रम पम (२००७) में कार रेसिंग और फिल्म टाइमआउट (२०१५) में बास्केटबॉल के दृश्य दिखाए गए थे। सत्यजित रे की फिल्म शतरंज के खिलाडी (१९७७) और अमिताभ बच्चन और फरहान अख्तर की फिल्म वजीर (२०१६) में दो मुख्य किरदार शतरंज खेलते हुए शह और मात का खेल खेलते नज़र आते हैं। 

बहुत से खेलों को आजमाया है बॉलीवुड ने
यह कहना तो ठीक नहीं होगा कि बॉलीवुड खेल को लेकर उदासीन रहा है। क्योंकि, भिन्न खेलों पर कई फ़िल्में बॉलीवुड ने बनाई हैं। अलबत्ता, यह कहना ठीक होगा कि बॉलीवुड फिल्म निर्माता खेल के प्रति गंभीर नज़र नही आते। बड़े फिल्मकारों ने खेल को तवज्जो नहीं दी। छोटे फिल्मकारों ने फ़िल्में बनाई, लेकिन पैसों के अभाव में तकनीक अपनाना मुश्किल हो गया। वैसे भी खेल फिल्मों के लिए किरदार करने वाले एक्टरों को काफी तैयारी करनी होती है। लेकिन, बॉलीवुड एक्टर्स तो एक समय में कई कई फिल्मों को  डेट दिया करते हैं। ऐसे में बढ़िया खेल फ़िल्में बनने का सवाल ही नहीं उठता है। इसके बावजूद काफी फ़िल्में बड़े-छोटे स्टार और सुपर स्टार के साथ बनाई गई हैं। 
चीनी मार्शल आर्ट्स पर
बॉलीवुड में चीनी मार्शल आर्ट्स पर भी फ़िल्में बनाई गई हैं. इनमे मुख्य किरदार मार्शल आर्ट्स का माहिर है. लेकिन, यह फ़िल्में मार्शल आर्ट्स पर ही केन्द्रित होने के बजाय हीरो की व्यक्तिगत समस्याओं पर आ कर हिंसक हो गई। इनमे अजय देवगन की फिल्म जिगर (१९९२), देब मुख़र्जी की फिल्म कराटे (१९८३), सुनील शेट्टी की फिल्म फाइट क्लब: मेम्बेर्स ओनली (२००६), अक्षय कुमार की चांदनी चौक टू चाइना (२००९) उल्लेखनीय हैं। यहाँ पर ब्रदर्स, रिश्ते, आदि फिल्मों का ज़िक्र करना भी उपयुक्त होगा।  

खेल फ़िल्में यानि फुटबॉल और क्रिकेट
हिंदी फिल्म निर्माताओं ने सबसे ज्यादा खेल फ़िल्में फुटबॉल और क्रिकेट पर ही बनाई हैं। यह दोनों खेल भारत में काफी लोकप्रिय भी हैं। इन खेलों के कई क्लब भी बनाए गए हैं। इसलिए, स्वाभाविक था कि फिल्म निर्माता लोकप्रिय खेलों पर फ़िल्में बनाएं ताकि दर्शक आकर्षित किये जा सकें।
फुटबॉल पर फ़िल्में
फुटबॉल पर बनी फिल्मों में प्रकाश झा की राज किरण अभिनीत फिल्म हिप हिप हुर्रे और अनिल गांगुली की अनिल कपूर और अमृता सिंह अभिनीत फिल्म साहेब उल्लेखनीय है। हिप हिप हुर्रे विशुद्ध खेल फिल्म थी। इसमे फुटबॉल के साथ साथ फुटबॉल के साथ साथ खेली जाने वाली राजनीति का भी गम्भीरता से ज़िक्र किया गया था। निर्दशक अनिल गांगुली की फिल्म साहेब में थोड़ी नाटकीयता थी। नायक अनिल कपूर फुटबॉल का बढ़िया खिलाड़ी है, लेकिन, एक अहम टूर्नामेंट से पहले उसे परिवार की मदद के लिए अपनी किडनी बेचनी पड़ती है। इन दो फिल्मों के अलावा तू है मेरा सन्डे, मानसून फुटबॉल, धन धना धन गोल, इंशाल्लाह फुटबॉल, सिकंदर, स्टैंड बाय, फुटबॉल शूटबल हाय रब्बा और द गोल में फुटबॉल के खेल और उसकी राजनीति को दिखाने की कोशिश की गई थी। ख़ास बात यह रही कि फुटबॉल पर फिल्मों की सफलता का औसत फिफ्टी फिफ्टी ही है। 

क्रिकेट पर फ़िल्में
सबसे ज्यादा हिंदी फ़िल्में क्रिकेट पर ही बनाई गई हैं। क्रिकेट पर देवानंद जैसे फ़िल्मकार भी लट्टू थे। उनकी फिल्म आमिर खान के साथ मालामाल इसका प्रमाण है। लेकिन, यह फिल्म बड़ी असफल हुई। क्रिकेट पर दूसरी फिल्मों में मालामाल, क्रिकेटर, आल राउंडर, इक़बाल, स्टंप्ड, लगान, चमत्कार, मीराबाई नॉट आउट, से सलाम इंडिया, चैन खुली की मेन खुली, हैट्रिक, विक्ट्री, किरकिट, कई पो चे, पटियाला हाउस, दिल बोले हड़प्पा, चले चलो, ढिशूम, अजहर, एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी, सचिन : अ बिलियन ड्रीम्स, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।  

दारासिंह की कुश्ती पर फ़िल्में
दारा सिंह कुश्ती वर्ल्ड चैंपियन थे। उन्होंने किंगकांग फिल्म से डेब्यू किया। उनकी ज़्यादातर फिल्मों में कुश्ती ख़ास हुआ करती थी। रुस्तम जैसी फिल्मों में कुश्ती की राजनीति का बढ़िया चित्रण हुआ था। दारा सिंह की फिल्मों के अलावा कुश्ती पर अनिल कपूर की कॉमेडी फिल्म चमेली की शादी, सलमान खान की सीरियस फिल्म सुल्तान और आमिर खान की बायोपिक फिल्म दंगल भी उल्लेखनीय और सफल फ़िल्में हैं। 

बॉक्सिंग पर फ़िल्में 
बॉक्सिंग, बॉक्सिंग की तैयारियों और उसकी राजनीती पर फिल्मों की कमी नहीं। बॉक्सिंग की ओर गंभीरता से ध्यान दिलाने की सफल कोशिश ओमंग कुमार द्वारा प्रियंका चोपड़ा अभिनीत फिल्म मैरी कोम में की गई थी। इस फिल्म की सफलता के बाद माधवन की फिल्म साला खडूस और अनुराग कश्यप की मुक्काबाज़ उल्लेखनीय बॉक्सिंग फ़िल्में थी। वैसे इन दो फिल्मों से पहले भी आर्यन द अनब्रेकेबल, अपने, लाहौर, लफंगे परिंदे, बॉक्सर, मैं इंतकाम लूँगा, गुलाम, आदि फ़िल्में बॉक्सिंग पर बनाई गई थी। 

कुछ दूसरी खेल फ़िल्में
स्केटिंग पर हवा हवाई, गोल्फ पर फ्रीकी अली, साइकिलिंग पर आमिर खान की फिल्म जो जीता वही सिकंदर के अलावा साइकिल किक और स्टूडेंट ऑफ़ द इयर जैसी फ़िल्में बनी। एथलेटिकस पर भाग मिल्खा भाग, बुधिया सिंह: बोर्न टू रन, एहसास अ फीलिंग, ४२ किलोमीटरस और पान सिंह तोमर फ़िल्में बनी हैं।  

अभी और खेल फ़िल्में
सूरमा के अलावा हॉकी पर अक्षय कुमार की रीमा कागटी निर्देशित फिल्म गोल्ड १५ अगस्त को रिलीज़ हो रही है। इस फिल्म में १९४८ के लन्दन ओलंपिक्स में भारतीय हॉकी टीम के आज़ादी के बाद पहली बार गोल्ड जीतने का गौरव दिखाया गया है। कबीर खान इस बार क्रिकेट का गौरव पेश करने जा रहे है. कपिल देव के नेतृत्व में भारत द्वारा पहली बार क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने के क्षणों को फिल्म ’८३ में उतारा जा रहा है। इस फिल्म में रणवीर सिंह कपिल देव की भूमिका में नज़र आयेंगे। जोया फैक्टर में क्रिकेट के खेल में सट्टे पर पड़ताल की गई है। शूटर अभिनव बिंद्रा के पहला ओलिंपिक गोल्ड जीतने की घटना को केंद्र में रख कर भी फिल्म बनाई जा रही है। इस फिल्म में अभिनव बिंद्रा की भूमिका हर्षवर्द्धन कपूर करेंगे। बैडमिंटन खिलाडी सायना नेहवाल के ओलिंपिक में भारत को पहला पदक जिताने पर केन्द्रित फिल्म में सायना नेहवाल की भूमिका श्रद्धा कपूर कर रही हैं। सायना नेहवालपीवी सिन्धुपरुपल्ली कश्यपश्रीकांत किदम्बीआदि जैसी भारत की बैडमिंटन की शान खिलाड़ियों को पैदा करने वाले कोच पुलेला गोपीचंद के जीवन पर तेलुगुहिंदी और इंग्लिश में बनाई जा रही फिल्म गोपीचन्द में मुख्य भूमिका सुधीर बाबु कर रहे हैं। हॉकी के लीजेंड ध्यानचंद पर बायोपिक फिल्म में मुख्य भूमिका वरुण धवन कर सकते हैं। पैरालिम्पिक्स में ५० मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग में विश्व कीर्तिमान बनाने वाले मुरलीकांत पेटकर पर भी फिल्म का निर्माण हो रहा है। फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत पेटकर की भूमिका कर सकते हैं। इन फिल्मों के अलावा बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिन्धुधाविका पी टी उषा और क्रिकेटर मिथिला राज के जीवन पर भी फ़िल्में बनाई जा रही हैं। खबर है कि निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी कबड्डी पर फिल्म बनाने जा रही है। इस फिल्म में महिला कबड्डी खिलाड़ी की भूमिका कंगना रानौत करेंगी। 

प्रकाश झा के साथ कटरीना कैफ की चाणक्य- नीति - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

No comments: