Sunday, 25 August 2019

Prabhas साबित होंगे बॉलीवुड में भी बाहुबली !


बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री श्रद्धा कपूर के साथ, तेलुगु फिल्मों के बाहुबली सितारे प्रभास का हिंदी फिल्म डेब्यू हो रहा है। उन्होंने, २०१५ में रिलीज़ बाहुबली सीरीज की पहली फिल्म बाहुबली द बेगिनिंग के डब संस्करण के साथ दर्शकों को प्रभावित करना शुरू किया था। इस सीरीज की दूसरी फिल्म द कांक्लुजन को ५०० करोड़ से ज़्यादा की सफलता मिली थी। अब, प्रभास की ३०० करोड़ की लागत में बनी एक्शन फिल्म प्रभास रिलीज़ होने जा रही है। यह प्रभास की पहली फिल्म होगी, जो मूल रूप में तमिल और तेलुगु के अलावा हिंदी में भी बनाई गई है। इस फिल्म के ज़ोरदार एक्शन सीक्वेंस और रोमांटिक डांस नंबर दर्शकों में फिल्म के प्रति भारी उत्सुकता और उत्तेजना पैदा कर चुके हैं। उम्मीद की जा रही है कि निर्देशक सुजीत की साहो भी, बाहुबली की तरह बड़ी हिट फिल्म साबित होगी। क्या इससे यह अर्थ निकला जा सकता है कि तेलुगु फिल्मों का यह सुपरस्टार बॉलीवुड में भी बाहुबली साबित होगा ? क्या प्रभास फहरा पाएंगे बॉलीवुड में दक्षिण का परचम ?

एमजी रामचंद्रन की डब फिल्म
अब तक, दक्षिण के बड़े सितारों का बॉलीवुड में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। हिंदी फिल्मों का दर्शक अपने पंजाबी अभिनेताओं के सामने दक्षिण के मूछो वाले अभिनेताओं को तरजीह नहीं देता।  तमिल फिल्मों के सुपरस्टार एम जी रामचंद्रन ने कभी किसी हिंदी फिल्म में अभिनय नहीं किया। उनकी बहुत फ़िल्में भी हिंदी में डब हो कर प्रदर्शित नहीं हुई। एमजी रामचंद्रन की सिर्फ एक फिल्म, १९५१ में निर्मित फिल्म मर्मयोगी को ही हिंदी में डब कर रिलीज़ किया गया था।

गणेशन अभिनेता
कभी दक्षिण की तमिल फिल्मों में दो गणेशन अभिनेताओं का डंका बजा करता था। यह दो अभिनेता थे जैमिनी गणेशन और शिवाजी गणेशन। जैमिनी गणेशन बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री रेखा के पिता हैं।हिंदी फिल्मों में पहले आये शिवाजी गणेशन। शिवाजी गणेशन को हिंदी दर्शकों ने पहली बार फिल्म मनोहर (१९५४) में देखा। शिवाजी के बाद आये जैमिनी गणेशन। जैमिनी गणेशन का हिंदी फिल्म डेब्यू मीना कुमारी के साथ १९५७ में रिलीज़ फिल्म मिस मैरी से हुआ था। शिवाजी गणेशन तमिल सुपरस्टार थे। लेकिन, बॉलीवुड उन्हें फला नहीं। वह मनोहर के बाद स्कूल मास्टर और धरती में मेहमान भूमिका करने के बाद दक्षिण की फिल्मों में रम गए। जैमिनी गणेशन का हिंदी फिल्म करियर कुछ ज़्यादा लम्बा चला।  उन्होंने राज तिलक, नज़राना, बलराम श्रीकृष्ण, जय जगत जननी, आदि हिंदी फ़िल्में ज़रूर की। लेकिन, उन्हें भी बॉलीवुड ने नकार दिया।

कमल हासन और रजनीकांत
दक्षिण की फिल्मों के हिट जोड़ीदार कमल हासन और रजनीकांत का हिंदी फिल्म डेब्यू अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावशाली और छाप छोड़ने वाला रहा। कमल हासन की पहली हिंदी फिल्म एक दूजे के लिए १९८१ में रिलीज़ हुई थी। उन्होंने, सदमा, सनम तेरी कसम, यह तो कमाल हो गया, यह देश, एक नई पहेली, राज तिलक, जैसी फ़िल्में की। अपनी प्रतिभा का सिक्का भी जमाया। लेकिन मुख्य धारा की हिंदी फिल्मों में उनका सिक्का न जम सका। कमल हासन के दो साल बाद, रजनीकांत की एक्शन फिल्म अंधा कानून (१९८३) से रिलीज़ हुई। हालाँकि, फिल्म के नायक रजनीकांत थे, लेकिन अमिताभ बच्चन के एक्सटेंडेड कैमियो ने सब गुड़गोबर कर दिया। इसके बावजूद, रजनीकांत लम्बे समय तक जीत हमारी, मेरी अदालत, गंगवा, जॉन जोनी जनार्दन, गिरफ्तार, महागुरु, बेवफा, भगवान दादा, असली नक़ली, दोस्ती दुश्मनी, डाकू हसीना, इन्साफ कौन करेगा, उत्तर दक्षिण, आदि फिल्मों के ज़रिये हिंदी फिल्मों में अपना सिक्का चलाते रहे। 

तेलुगु फिल्मों से ख़ास
तेलुगु फिल्मों से फिल्म अभिनेता और निर्माता अक्किनेनी नागेश्वर राव (एएनआर) का हिंदी फिल्म डेब्यू सुवर्ण सुंदरी (१९५८) में अंजलि देवी के साथ हुआ था। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास नहीं कर सकी थी। चूंकि, एएनआर का, तेलुगु फिल्मों में जलवा था, इसलिए उन्होंने जल्द ही हिंदी फिल्मों से विदा ले ली। बाद में एएनआर परिवार के ७ बच्चे और ११ बच्चों के बच्चे में से, बेटे नागार्जुन और नागार्जुन के बेटे नाग चैतन्य फिल्मों में आये। नागार्जुन का हिंदी फिल्म डेब्यू, रामगोपाल वर्मा की फिल्म शिवा से हुआ था। शिवा बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। नागार्जुन ने खुदा गवाह, द्रोही, क्रिमिनल, मिस्टर बेचारा, अंगारे, ज़ख्म, अग्नि वर्षा और एलओसी कारगिल जैसी फिल्मे की। लेकिन, उनका सिक्का  भी बॉलीवुड में जम नहीं सका। अब वह, फिल्म ब्रह्मास्त्र में रणबीर कपूर, अलिया भट्ट और अमिताभ बच्चन के साथ नज़र आयेंगे। डी रामानायडू परिवार यानि डग्गूबाती परिवार से वेंकटेश ने फिल्म अनाड़ी से हिंदी फिल्म डेब्यू किया था। उन्होंने तक़दीरवाला, आदि कुछ हिंदी फिल्मों के बाद तेलुगु इंडस्ट्री का रुख किया। फिल्म निर्माता डी रामानायडू के पोते राणा डग्गूबाती का हिंदी फिल्म डेब्यू दम मारो दम (२०११) से हुआ था। वह बाहुबली सीरीज की फिल्मों के भाल्लालदेवा के तौर पर हिंदी दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं। उनकी आगामी फिल्मों में हाउसफुल ४ और भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया हैं।


दक्षिण से कुछ दूसरे
दक्षिण के कई दूसरे अभिनेताओं ने हिंदी फिल्मों में भाग्य आजमाने की कोशिश की। कुछ ने खल भूमिकाये भी स्वीकार की। इनमे चरणराज एक ऐसे ही एक्टर थे। उन्होंने प्रतिघात, कुदरत का कानून, फूल बने अंगारे, आदि फिल्मों में खल भूमिकाये की। प्रकाश राज हिंदी फिल्मों के विलेन के तौर पर काफी सफल हुए। मलयालम फिल्म एक्टर मम्मूट्टि ने हिंदी फिल्म हल्ला बोल में गेस्ट अपीयरेंस किया था। वह फिल्म धरतीपुत्र में मुख्य भूमिका में थे। पिछले दिनों इनके बड़े बेटे दुल्क़र सलमान फिल्म कारवां में इरफ़ान खान के साथ नज़र आये थे। दुलकर की आगामी फिल्म द जोया फैक्टर है। दक्षिण के सुपरस्टार विक्रम ने रावण और डेविड जैसी असफल फ़िल्में की। वह महाभारत के चरित्र कर्ण पर फिल्म महावीर कर्ण में कर्ण की भूमिका में नज़र आयेंगे। मणिरत्नम की हिंदी में डब फिल्म रोजा और बॉम्बे से अरविद स्वामी ने दर्शकों को प्रभावित किया। लेकिन, उनकी मूल हिंदी फिल्म सात रंग के सपने बुरी तरह से असफल रही। उन्होंने लम्बे समय बाद फिल्म डिअर डैडी से वापस आये की। सत्यराज ने हिंदी फिल्मों में प्रभावशाली चरित्र भूमिकाये की है। चेन्नई एक्सप्रेस में दीपिका पादुकोण के डॉन पिता और बाहुबली सीरीज की फिल्मों में कटप्पा सत्यराज ही हैं। पृथ्वीराज सुकुमारन का फिल्म डेब्यू रानी मुख़र्जी की फिल्म अय्या से हुआ था। उन्हें औरंगजेब और नाम शबाना में खल भूमिकाओं में देखा गया। इनके अलावा अब्बास, धनुष, सिद्धार्थ, जेडी चक्रवर्ती, विष्णु वर्द्धन, रामचरण तेजा, आदि ने भी हिंदी फिल्मों में अपना भाग्य अजमाया। लेकिन असफल रहे।  प्रभुदेवा हिंदी फिल्म दर्शक डायरेक्टर और कोरियोग्राफर के तौर पर ज्यादा पसंद करते हैं।

बॉलीवुड फ़िल्में ! न बाबा न !!
तमिल और तेलुगु फिल्मों के कुछ अभिनेताओं को बॉलीवुड का कोई आकर्षण नहीं। तमिल फिल्म सुपरस्टार विजय, प्रभुदेवा निर्देशित फिल्म राउडी राठौर के चिन ता ता चिता चिता गीत में कमर हिला चुके हैं। उनकी फिल्म पुली को हिंदी में डब कर रिलीज़ किया जा चुका है। लेकिन उन्हें हिंदी फिल्मों में कोई रूचि नहीं है। इसी प्रकार से तेलुगु सुपरस्टार महेश बाबु भी अपनी तमिल तेलुगु फिल्मों से खुश हैं। हालाँकि, उनकी कई फ़िल्में डब हो कर रिलीज़ हो चुकी हैं तथा उनकी हिट फिल्मों के हिंदी रीमेक बनाए जा रहे हैं।

बॉलीवुड स्वीकारेगा प्रभास को !   
प्रभास का हिंदी फिल्म करियर काफी कुछ साहो पर निर्भर करेगा। साहो, एक्शन फिल्म है। इसके एक्शन हैरान करने वाले। इसका गीत संगीत भी काफी हिट हो रहा है। फिल्म में बॉलीवुड के कई सितारे हैं। इस लिहाज़ से, साहो को बड़ी हिट फिल्म बनने से कोई नहीं रोक सकता। लेकिन, कोई बड़ी हिट फिल्म किसी एक्टर को बॉलीवुड में स्थापित नहीं कर पाती। कमल हासन सबसे अच्छा उदाहरण हैं। इसलिए, प्रभास के लिए यह ज़रूरी है कि वह अपने अभिनय पक्ष को भी उभारे।  वह अपने आकर्षण से दर्शकों पर जादू कर दें। उनकी संवाद अदायगी, तालियाँ बटोर ले जाए।  वह परदे पर जो कुछ करे, सिनेमाघर से बाहर निकलते समय दर्शकों के जेहन चस्पा हो जाए।

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