महेश भट्ट निर्देशित १९९९ की म्यूजिकल हिट आशिकी के राहुल रॉय का जलवा हुआ करता था। लड़कों में उनके बालों का ट्रेंड चल निकला था, लड़किया उनकी आशिकी की दीवानी थी।
लगता था राहुल रॉय और अनु अगरवाल के तौर पर, बॉलीवुड को नई रोमांटिक जोड़ी मिल गई है। लेकिन यह जोड़ी सफलता का आशिकी टेम्पो बरकरार नहीं रख सकी। हालाँकि, इस जोड़ी ने आशिकी के बाद सिर्फ गज़ब तमाशा ही की। लेकिन यह फिल्म भी बुरी तरह से असफल हुई।
दरअसल, इन दोनों ही एक्टरों ने सफलता को भुनाने की कोशिश की। गलत फिल्मों का चुनाव किया। राहुल रॉय ने तो आशिकी की सफलता के बाद ४० फ़िल्में साइन कर ली थी। यह सभी फ़िल्में राहुल रॉय के स्टारडम का फायदा उठाने के लिए बनाई जा रही थी। कच्ची पक्की स्क्रिप्ट वाली राहुल रॉय की तमाम फ़िल्में प्यार का साया, बारिश, जूनून, दिलवाले कभी न हारे, सपने साजन के, पहला नशा, भूकंप, आदि धराशाई हो गई।
अनु अगरवाल पर तो गज़ब बीती। वह भय का शिकार हो गई। बताते हैं कि एक बार एक पार्टी से सुबह सुबह घर लौट रही अनु अग्रवाल की कार का एक्सीडेंट करवा दिया गया। अनु को बुरी तरह से चोट लगी। वह कई दिनों तक हॉस्पिटल में ज़िन्दगी और मौत से जूझती रही। इस हादसे ने उन्हें इतना दहला दिया कि उन्होंने रिटर्न ऑफ़ ज्वेल थीफ के बाद कोई भी हिंदी फिल्म साइन नहीं की।
राहुल रॉय को उनकी गलत फिल्मों के चुनाव ने ख़त्म कर दिया। राहुल रॉय ने करियर की शुरुआत में ही हॉरर फिल्मों में काम किया। जूनून में वह नर-सिंह बने थे। प्यार का साया में वह आत्मा बन कर भटक रहे थे। यह दोनों ही फ़िल्में फ्लॉप तो हुई ही, राहुल रॉय के बाज़ार पर भी बुरा असर डाला।
अब यही राहुल रॉय हिंदी फिल्मों में वापसी कर रहे हैं। उनकी वापसी फिल्म का टाइटल आगरा है। निर्देशक कनु बहल की यह फिल्म एक बर्बाद परिवार की कहानी है। फिल्म के निर्देशक का मानना है कि बॉलीवुड ने राहुल रॉय की प्रतिभा का समुचित उपयोग नहीं किया है। क्या राहुल रॉय इसे सच साबित कर पायेंगे?
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