Sunday 15 September 2019

Sanjay Dutt के लिए ज़रूरी है Prasthanam की सफलता



इस शुक्रवार रिलीज़ हो रही फिल्म प्रस्थानम में संजय दत्त के अलावा मनीषा कोइराला, जैकी श्रॉफ, अली ज़फर और सत्यजीत दुबे की भूमिकाएं अहम् है। लेकिन, प्रस्थानम की सफलता की ऎसी आवश्यकता किसी दूसरे एक्टर को नहीं होगी। ऐसा नहीं कि संजय दत्त की रिलीज़ होने वाली आखिरी फिल्म है प्रस्थानम ! प्रस्थानम के बाद, इसी साल संजय दत्त की एक ऐतिहासिक फिल्म पानीपत भी रिलीज़ होगी। अगले साल उनकी तीन फ़िल्में सड़क २, केजीएफ़ चैप्टर २ तथा भुज: द प्राइड ऑफ़ इंडिया भी रिलीज़ होनी हैं। उन्होंने कुछ दूसरी फ़िल्में भी साइन कर ली है। जिनका ऐलान होना बाकी है। इसके बावजूद, संजय दत्त को प्रस्थानम की सफलता की आवश्यकता है। क्योंकि, बॉम्बे सीरियल बम ब्लास्ट में मिली अपने हिस्से की सज़ा पूरी करने के बाद जेल से निकले संजय दत्त को फ़िल्में तो तत्काल मिल गई। लेकिन संजय इन फिल्मों को सफलता नहीं दिला सके। उनकी पहली वापसी फिल्म भूमि बुरी तरह से असफल हुई। अभी तक तिग्मांशु धुलिया की सफल हो रही सीरीज साहब बीवी और गैंगस्टर की तीसरी कड़ी भी बुरी तरह से असफल हुई। इस साल रिलीज़ हुई बड़े बजट की सितारों से भरी फिल्म कलंक भी पिट गई। ऐसे में अगर प्रस्थानम भी फ्लॉप हो गई तो फिल्मों में संजय दत्त की उपयोगिता पर सवाल होने लगेंगे। इसलिए संजय दत्त के लिए प्रस्थानम की सफलता सबसे ज़रूरी है। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि एक फ्लॉप फिल्म की रीमेक फिल्म कैसे सफल होगी ! बताते चलें कि प्रस्थानम, २०१० में रिलीज़ उस तेलुगु फिल्म का रीमेक है, जो बॉक्स ऑफिस पर लागत तक नहीं कमा पाई थी।

मंडल कमीशन पर हुडदंग !


जुलाई से, उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में हिंदी फिल्म हुडदंग की शूटिंग चल रही है. मेंटल है क्या और जबरिया जोड़ी जैसी फिल्मों के निर्देशक शैलेश आर सिंह की इस फिल्म का निर्देशन फिल्म बृज मोहन अमर रहे का निर्देशन करने वाले निर्देशक निखिल भट्ट कर रहे हैं. फिल्म की ख़ास बात यह है कि इसकी कहानी सामाजिक सरोकार वाली है. फिल्म की पृष्ठभूमि में १९९० की राजनीति है, जब तकालीन वीपी सिंह सरकार, मंडल कमीशन की धूल फांक रही रिपोर्ट को लागू कर समाज में जातिगत संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी थी. इस रिपोर्ट के विरोध में एक छात्र ने आत्महत्या भी कर ली थी. काफी समय तक देश जातिगत दंगों की आग में जलता रहा. हुड़दंग की कहानी प्रयागराज (तकालीन इलाहबाद) के इसी माहौल पर प्रेम कहानी है. इस फिल्म में मुख्य भूमिका में विजय वर्मा, सनी कौशल और नुसरत भरुचा है. विजय वर्मा को इसी साल रिलीज़ जोया अख्तर निर्देशित फिल्म गली बॉय के कार चोर मोइन आरिफ की भूमिका से पहचान मिली. विक्की कौशल के छोटे भाई सनी कौशल ने, अक्षय कुमार की फिल्म गोल्ड के हिम्मत सिंह की भूमिका से दर्शकों का ध्यान खींचा. नुसरत भरुचा तो अब किसी परिचय की मोहताज़ नहीं रही. सोनू के टीटू की स्वीटी ने उन्हें जाना पहचाना नाम बना दिया है. जहाँ तक हुडदंग की कहानी का सवाल है, संदेह करने के पूरे कारण हैं. बॉलीवुड के फिल्म निर्माता जातिवाद के नाम पर फिल्मों का निर्माण तो करते हैं, लेकिन उन्हें संतुलित नहीं रख पाते. प्रकाश झा की आरक्षण पर फिल्म आरक्षण तो मध्यांतर के बाद शिक्षा व्यवस्था का ढोल पीटने लगी. बॉलीवुड फिल्म निर्माता  अपने पूर्वाग्रहों के बावाजूद सामाजिक सरोकारों पर फिल्म बनाते जा रहे हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि तनु वेड्स मनु, शाहिद, मदारी और अलीगढ जैसी ईमानदार फिल्म बनाने वाले शैलेश, हुडदंग में भी यही ईमानदारी बरकरार रखेंगे.

बॉलीवुड में भाई-चारा


पिछले दिनोंबॉलीवुड में भाई-चारा दो ताजातरीन उदाहरण देखने को मिले. जॉन अब्राहम ने अपने दोस्त निखिल अडवाणी की रोमांस- एक्शन फिल्म मराजावान को अकेले रिलीज़ होने देने के लिएअपनी ८ नवम्बर को सोलो रिलीज़ हो रही फिल्म पागलपंथी की रिलीज़ की तारीख़ २२ नवम्बर कर केआयुष्मान खुराना की फिल्म बाला से मुकाबले में ला खडा किया. जॉन अब्राहम का यह दोस्ताना१२ साल पहले प्रदर्शित निखिल अडवाणी निर्देशित फिल्म जान ए मन से बना था. यह दोस्ताना सत्यमेव जयते और बाटला हाउस की सफलता के साथ पुख्ता हुआ. आगे भी यह भाईचारा सत्यमेव जयते २ और १९११ तक जारी रहेगा. बॉलीवुड के भाई-चारे का दूसरा उदाहरण सलमान खान और शाहरुख़ खान हैं. यों तो इनकी अदावत की खबरें कैटरीना कैफ की बर्थडे पार्टी में झगड़े के बाद से लगातार जारी हैं. लेकिनबीच बीच में इन दोनों का दोस्ताना भी देखने को मिलता रहता है. एक ऐसा ही भाईचारा इस ऐलान के साथ सुनने को मिला कि निर्देशक अली अब्बास ज़फरयशराज फिल्म्स के लिए एक एक्शन फिल्म शाहरुख़ खान के साथ बनाने जा रहे हैं. पिछले सालजीरो की बुरी असफलता के बादशाहरुख़ खान ने ख़ामोशी ओढ़ ली थी. बार बार ऐलान के बावजूद उनकी नई फिल्म का खुलासा नहीं हो सका. अब अली अब्बास ज़फर की फिल्म का ऐलान पुख्ता हुआ लगता है. यह वही अली अब्बास ज़फर हैंजिनको लेकर यह खबर थी कि वह ईद २०२० में रिलीज़ के लिए सलमान खान के साथ फिल्म टाइगर ३ बना सकते हैं. मगरअली का शाहरुख़ खान के साथ फिल्म का फैसला चौंकाने वाला होने के बावजूद बॉलीवुड के खान भाईचारे का उदाहरण है. बिना सलमान खान की सहमति के अली अब्बास ज़फरशाहरुख खान के लिए कोई फिल्म लिख तक नहीं सकते थेनिर्देशित करना तो दूर की बात है. अब देखने वाली बात होगी कि अली अब्बास ज़फर की फिल्म से शाहरुख खान का करियर नई करवट ले पाता है या नहीं !

कबीर सिंह का तेलुगु हीरो हिंदी फिल्मों में ?


बॉलीवुड अभिनेता शाहिद कपूरजिस तेलुगु फिल्म अर्जुन रेड्डी के रीमेक से हिट कबीर सिंह बने थेउस फिल्म के नायक-अभिनेता विजय देवरकोण्डा के हिंदी फिल्मों में आने की खबर जंगल में आग की तरह फैली हुई हैं। खबरचियों का दावा है कि विजय को अपनी हिंदी फिल्म का नायक बनाने के लिए बॉलीवुड के तीन दिग्गज फिल्मकार करण जौहरसाजिद नाडियाडवाला और सिद्धार्थ रॉय कपूर बेकरार हैं। कहा जा रहा है कि ६ सितम्बर कोविजय देवरकोण्डा मुंबई में थे। उनकी इन फिल्म निर्माताओं से बात ज़रूर हुई होगी। इसका क्या परिणाम निकलापता नहीं चल सका है।  लेकिनजहां तक विजय का सवाल हैवह खुद इतने बेकरार नहीं। बेशकबॉलीवुड की फिल्म करविजय  को पूरे देश में अपनी पहचान बनाने का मौका मिलेगा। लेकिनबकौल अर्जुन देवराकोण्डा यह उनके काम को बढ़ाएगाकोई ग्रोथ नहीं करेगा । तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री केविजय जैसे कई अभिनेता हैजो हिंदी फिल्मों के लिए ख़ास उत्सुक नहीं।  महेश बाबू और जूनियर एनटीआरतेलुगु फिल्मों के अत्यधिक व्यस्त अभिनेता हैं।  उनके पास हिंदी फिल्मों के बारे में सोचने का वक़्त तक नहीं।  इसके अलावाअब तो दक्षिण की लगभग सभी बड़ी फिल्मों को हिंदी में डब कर रिलीज़ किया जा रहा है। इन्हे मूल हिंदी फिल्म करके क्या फायदा मिलेगा ! यहाँ बड़ा सवाल यह है कि कभीशिवाजी गणेशनजैमिनी गणेशनकमल हासनआदि की उपेक्षा करने वाला बॉलीवुड इन अभिनेताओं के लिए इतना बेकरार क्यों विजय देवराकोण्डा का तेलुगु फिल्म डेब्यू २०११ में फिल्म नवविला से हुआ था। येवडे सुब्रमण्यम की सह भूमिका से उनकी पहचान बनी। २०१६ में रिलीज़ फिल्म पेल्लि चूपुलु हिट हो गई।  इसके बादअर्जुन रेड्डी ने उनकी यश गाथा बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं तक पहुंचा दी।  २०१८ में उनकी महानटीगीता गोविन्दम और नोटा जैसी फ़िल्में हिट हो गई।  यही कारण था कि कबीर सिंह की सफलता से प्रभावित हो कर करण जौहर ने विजय देवराकोण्डा की फिल्म डिअर कामरेड के रिलीज़ होने से पहले ही इसके हिंदी रीमेक के अधिकार भारी रकम देकर खरीद लिए। पिछले कुछ सालों से दक्षिण के फिल्म अभिनेताओं प्रभासराणा डग्गुबाती और यश की फिल्मों को दर्शकों ने स्वीकार किया है।  बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं को लगता है कि दक्षिण में सफल विजय देवराकोण्डा भी स्वीकार किये जाएंगे। 

पहले भी बंद की गई हैं फ़िल्में


संजय लीला भंसाली द्वारा अपनी सलमान खान के साथ फिल्म इंशाल्लाह को बंद किये जाने के बादअनुमानों का बाज़ार गर्म है। भंसाली ने क्यों बंद कर दी सलमान खान के साथ फिल्म सलमान खान को बॉक्स ऑफिस का दबंग माना जाता है। संजय लीला भंसाली भी सुपरहिट फिल्मों के निर्माता समझे जाते है। ऐसे में इन दोनों की फिल्म का बंद हो जाना चौंकाऊ लगता है। लेकिनबॉलीवुड में ऐसा होता रहता है। याद कीजिये १९८० के दशक को। सुभाष घई नेअमिताभ बच्चन के साथ अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म देवा का धूम-धडाके वाले महूरत के साथ ऐलान किया था। लेकिनएक दिन उन्होंने इस फिल्म को बंद किये जाने का ऐलान कर दिया। पता चला कि अमिताभ बच्चन अपने देवा लुक को इंडस्ट्री के दूसरे लोगों के सामने खोले दे रहे थे। कुछ ऐसा ही दस साल पहले नासिर हुसैन नेदिलीप कुमार के साथ भी किया था। दिलीप कुमार की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ज़बरदस्त की ज़बरदस्त चर्चा थी। इस फिल्म में धर्मेन्द्रऋषि कपूरजीनत अमान और अमजद खान को भी लिया गया था। लेकिननासिर हुसैन की दिलीप कुमार के साथ बात बिगड़ गई। फिल्म बंद हो गई।  अमिताभ बच्चन की जेपी दत्ता के निर्देशन में बनने वाली फिल्म बंधुआ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस फिल्म में माधुरी दीक्षित के साथ अमिताभ बच्चन की जोड़ी बनाई जा रही थी। एक दिन फिल्म के सेट पर किसी बात पर बड़ा झगड़ा हुआ। दत्ता ने फिल्म बंद कर देने का ऐलान कर दिया। यह वाकया३ इडियट्स से पहले का है। मणि रत्नमइस्मत चुगताई की विभाजन से पहले के भारत पर एक संगीतमय फिल्म लज्जो में आमिर खान और करीना कपूर को लेकर शुरू करना चाहते थे। इस फिल्म का स्क्रीनप्ले अनुराग कश्यप लिख रहे थे। परन्तुइस फिल्म को भी बिना किसी कारण बताये बंद कर दिया गया। 

Zee Studios की आठ फ़िल्में


ज़ी स्टूडियोज, बड़े ही व्यवस्थित ढंग से, हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओँ की फिल्मों का निर्माण और वितरण करता जा रहा है। यह स्टूडियो, इस साल अभी तक मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ़ झाँसी, केसरी, द ताशकंद फाइल्स और आर्टिकल १५ जैसी हिंदी फिल्मों तथा पंजाबी फिल्म काला शाह काला और मराठी फिल्म आनंदी गोपाल का निर्माण और वितरण कर चुका है। आगामी दिसंबर तक, इस स्टूडियो द्वारा हिंदी, इंग्लिश, मराठी और पंजाबी में ८ और फ़िल्में निर्मित और वितरित की जाएंगी। आगामी रिलीज़ फिल्मों में सरगुन मेहता और गुरनाम भुल्लर की पंजाबी फिल्म सुर्खी बिंदी के अलावा  सनी देओल निर्देशित बेटे करण देओल की फिल्म पल पल दिल के पास, हॉलीवुड की अन्थोनी मारस निर्देशित फिल्म होटल मुंबई के नाम उल्लेखनीय हैं।  जब तक लेख प्रकाशित होगा किच्छा सुदीप और सुनील शेट्टी की कन्नड़ फिल्म पहलवान पांच भाषाओँ हिंदी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु और मलायलम में रिलीज़ हो चुकी होगी। करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस की दो फिल्में विक्की कौशल अभिनीत हॉरर फिल्म भूत तथा अक्षय कुमार और करीना कपूर की फिल्म गुड न्यूज़ भी ज़ी स्टूडियोज द्वारा वितरित की जाएंगी। ज़ी स्टूडियोज द्वारा दो मराठी फ़िल्में भी रिलीज़ की जानी है। इनमे संजय जाधव की फिल्म खारी बिस्कुट और समीर विद्वांस की फिल्म धुराला के नाम शामिल हैं। ज़ी स्टूडियोज, इस साल जितनी फिल्में रिलीज़ कर चुका है, वह सभी बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हैं। उम्मीद की जा सकती है कि दिसंबर तक यह स्टूडियोज अपनी सफलता के मुकुट पर आठ पंख और जोड़ लेगा। 

लखनऊ में बॉलीवुड


कुछ समय पहले तक अजय देवगन, लखनऊ में अपनी फिल्म मैदान की शूटिंग कर रहे थे।  इस बायोपिक फिल्म में अजय देवगन फुटबॉल कोच सैय्यद अब्दुल रहीम की भूमिका कर रहे हैं।  वैसे इस फिल्म का सम्मिलित शिड्यूल लखनऊ के साथ मुंबई और कलकत्ता का भी जुड़ा हुआ है।  यानि आना जाना लगा रहेगा। लेकिन, आजकल मीरा नायर अपनी अ सूटेबल बॉय टीम के साथ लखनऊ में हैं।  इस फिल्म की कहानी एक तवायफ से एक अमीर लडके के रोमांस की कहानी है।  इस पीरियड फिल्म में तब्बू और ईशान खट्टर क्रमशः तवायफ और अमीर लडके की भूमिका कर रहे हैं।  चूंकि, यह पीरियड फिल्म है।  इसलिए ऎसी फिल्मों की लोकेशन के लिए लखनऊ श्रेष्ठ माना जाता है।  मीरा नायर अपनी इस फिल्म की शूटिंग किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, ला मार्टिनियर कॉलेज, महमूदाबाद पैलेस, सलेमपुर हाउस तथा जॉपलिंग और नक्खास की प्राचीन धरोहरों वाले मकानों में करेंगी ।  यह शिड्यूल तीन महीने तक चलेगा।  बेशक स्टार का आना और जाना लगा रहेगा। अब लखनऊ या कहिये उत्तर प्रदेश में बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग का सिलसिला शुरू हो चला है। फिल्म निर्माता इतिहास के पुराने पन्ने पलटने लगे हैं।  पिछले साल, तमिल सुपरस्टार रजनीकांत भी अपनी फिल्म पेट्टा की शूटिंग लखनऊ, वाराणसी,आदि शहरों में कर चुके थे। अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना भी गुलाबो सिताबो फिल्म की शूटिंग के लिए लखनऊ आ चुके हैं।  पंकज त्रिपाठी और जाह्नवी कपूर अपनी फिल्म कारगिल गर्ल की शूटिंग भी लखनऊ और उसके आसपास के इलाकों में कर चुके हैं।  कार्तिक आर्यन, भूमि पेडनेकर और अनन्या पांडेय भी लखनऊ आ चुके है।  

राष्ट्रीय सहारा १५ सितम्बर २०१९



कुछ बॉलीवुड की १५ सितम्बर २०१९


लखनऊ में बॉलीवुड
कुछ समय पहले तक अजय देवगन, लखनऊ में अपनी फिल्म मैदान की शूटिंग कर रहे थे।  इस बायोपिक फिल्म में अजय देवगन फुटबॉल कोच सैय्यद अब्दुल रहीम की भूमिका कर रहे हैं।  वैसे इस फिल्म का सम्मिलित शिड्यूल लखनऊ के साथ मुंबई और कलकत्ता का भी जुड़ा हुआ है।  यानि आना जाना लगा रहेगा। लेकिन, आजकल मीरा नायर अपनी अ सूटेबल बॉय टीम के साथ लखनऊ में हैं।  इस फिल्म की कहानी एक तवायफ से एक अमीर लडके के रोमांस की कहानी है।  इस पीरियड फिल्म में तब्बू और ईशान खट्टर क्रमशः तवायफ और अमीर लडके की भूमिका कर रहे हैं।  चूंकि, यह पीरियड फिल्म है।  इसलिए ऎसी फिल्मों की लोकेशन के लिए लखनऊ श्रेष्ठ माना जाता है।  मीरा नायर अपनी इस फिल्म की शूटिंग किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, ला मार्टिनियर कॉलेज, महमूदाबाद पैलेस, सलेमपुर हाउस तथा जॉपलिंग और नक्खास की प्राचीन धरोहरों वाले मकानों में करेंगी ।  यह शिड्यूल तीन महीने तक चलेगा।  बेशक स्टार का आना और जाना लगा रहेगा। अब लखनऊ या कहिये उत्तर प्रदेश में बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग का सिलसिला शुरू हो चला है। फिल्म निर्माता इतिहास के पुराने पन्ने पलटने लगे हैं।  पिछले साल, तमिल सुपरस्टार रजनीकांत भी अपनी फिल्म पेट्टा की शूटिंग लखनऊ, वाराणसी,आदि शहरों में कर चुके थे।  अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना भी गुलाबो सिताबो फिल्म की शूटिंग के लिए लखनऊ आ चुके हैं।  पंकज त्रिपाठी और जाह्नवी कपूर अपनी फिल्म कारगिल गर्ल की शूटिंग भी लखनऊ और उसके आसपास के इलाकों में कर चुके हैं।  कार्तिक आर्यन, भूमि पेडनेकर और अनन्या पांडेय भी लखनऊ आ चुके है। 
जी स्टूडियोज की आठ फ़िल्में
ज़ी स्टूडियोज, बड़े ही व्यवस्थित ढंग से, हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओँ की फिल्मों का निर्माण और वितरण करता जा रहा है। यह स्टूडियो, इस साल अभी तक मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ़ झाँसी, केसरी, द ताशकंद फाइल्स और आर्टिकल १५ जैसी हिंदी फिल्मों तथा पंजाबी फिल्म काला शाह काला और मराठी फिल्म आनंदी गोपाल का निर्माण और वितरण कर चुका है। आगामी दिसंबर तक, इस स्टूडियो द्वारा हिंदी, इंग्लिश, मराठी और पंजाबी में ८ और फ़िल्में निर्मित और वितरित की जाएंगी। आगामी रिलीज़ फिल्मों में सरगुन मेहता और गुरनाम भुल्लर की पंजाबी फिल्म सुर्खी बिंदी के अलावा  सनी देओल निर्देशित बेटे करण देओल की फिल्म पल पल दिल के पास, हॉलीवुड की अन्थोनी मारस निर्देशित फिल्म होटल मुंबई के नाम उल्लेखनीय हैं।  जब तक लेख प्रकाशित होगा किच्छा सुदीप और सुनील शेट्टी की कन्नड़ फिल्म पहलवान पांच भाषाओँ हिंदी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु और मलायलम में रिलीज़ हो चुकी होगी। करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस की दो फिल्में विक्की कौशल अभिनीत हॉरर फिल्म भूत तथा अक्षय कुमार और करीना कपूर की फिल्म गुड न्यूज़ भी ज़ी स्टूडियोज द्वारा वितरित की जाएंगी। ज़ी स्टूडियोज द्वारा दो मराठी फ़िल्में भी रिलीज़ की जानी है। इनमे संजय जाधव की फिल्म खारी बिस्कुट और समीर विद्वांस की फिल्म धुराला के नाम शामिल हैं। ज़ी स्टूडियोज, इस साल जितनी फिल्में रिलीज़ कर चुका है, वह सभी बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हैं। उम्मीद की जा सकती है कि दिसंबर तक यह स्टूडियोज अपनी सफलता के मुकुट पर आठ पंख और जोड़ लेगा।
पहले भी बंद की गई हैं फ़िल्में
संजय लीला भंसाली द्वारा अपनी सलमान खान के साथ फिल्म इंशाल्लाह को बंद किये जाने के बाद, अनुमानों का बाज़ार गर्म है। भंसाली ने क्यों बंद कर दी सलमान खान के साथ फिल्म ? सलमान खान को बॉक्स ऑफिस का दबंग माना जाता है। संजय लीला भंसाली भी सुपरहिट फिल्मों के निर्माता समझे जाते है। ऐसे में इन दोनों की फिल्म का बंद हो जाना चौंकाऊ लगता है। लेकिन, बॉलीवुड में ऐसा होता रहता है। याद कीजिये १९८० के दशक को। सुभाष घई ने, अमिताभ बच्चन के साथ अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म देवा का धूम-धडाके वाले महूरत के साथ ऐलान किया था। लेकिन, एक दिन उन्होंने इस फिल्म को बंद किये जाने का ऐलान कर दिया। पता चला कि अमिताभ बच्चन अपने देवा लुक को इंडस्ट्री के दूसरे लोगों के सामने खोले दे रहे थे। कुछ ऐसा ही दस साल पहले नासिर हुसैन ने, दिलीप कुमार के साथ भी किया था। दिलीप कुमार की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ज़बरदस्त की ज़बरदस्त चर्चा थी। इस फिल्म में धर्मेन्द्र, ऋषि कपूर, जीनत अमान और अमजद खान को भी लिया गया था। लेकिन, नासिर हुसैन की दिलीप कुमार के साथ बात बिगड़ गई। फिल्म बंद हो गई।  अमिताभ बच्चन की जेपी दत्ता के निर्देशन में बनने वाली फिल्म बंधुआ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस फिल्म में माधुरी दीक्षित के साथ अमिताभ बच्चन की जोड़ी बनाई जा रही थी। एक दिन फिल्म के सेट पर किसी बात पर बड़ा झगड़ा हुआ। दत्ता ने फिल्म बंद कर देने का ऐलान कर दिया। यह वाकया, ३ इडियट्स से पहले का है। मणि रत्नम, इस्मत चुगताई की विभाजन से पहले के भारत पर एक संगीतमय फिल्म लज्जो में आमिर खान और करीना कपूर को लेकर शुरू करना चाहते थे। इस फिल्म का स्क्रीनप्ले अनुराग कश्यप लिख रहे थे। परन्तु, इस फिल्म को भी बिना किसी कारण बताये बंद कर दिया गया।
कबीर सिंह का तेलुगु हीरो हिंदी फिल्मों में ?
बॉलीवुड अभिनेता शाहिद कपूर, जिस तेलुगु फिल्म अर्जुन रेड्डी के रीमेक से हिट कबीर सिंह बने थे, उस फिल्म के नायक-अभिनेता विजय देवरकोण्डा के हिंदी फिल्मों में आने की खबर जंगल में आग की तरह फैली हुई हैं। खबरचियों का दावा है कि विजय को अपनी हिंदी फिल्म का नायक बनाने के लिए बॉलीवुड के तीन दिग्गज फिल्मकार करण जौहर, साजिद नाडियाडवाला और सिद्धार्थ रॉय कपूर बेकरार हैं। कहा जा रहा है कि ६ सितम्बर को, विजय देवरकोण्डा मुंबई में थे। उनकी इन फिल्म निर्माताओं से बात ज़रूर हुई होगी। इसका क्या परिणाम निकला, पता नहीं चल सका है।  लेकिन, जहां तक विजय का सवाल है, वह खुद इतने बेकरार नहीं। बेशक, बॉलीवुड की फिल्म कर, विजय  को पूरे देश में अपनी पहचान बनाने का मौका मिलेगा। लेकिन, बकौल अर्जुन देवराकोण्डा यह उनके काम को बढ़ाएगा, कोई ग्रोथ नहीं करेगा । तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के, विजय जैसे कई अभिनेता है, जो हिंदी फिल्मों के लिए ख़ास उत्सुक नहीं।  महेश बाबू और जूनियर एनटीआर, तेलुगु फिल्मों के अत्यधिक व्यस्त अभिनेता हैं।  उनके पास हिंदी फिल्मों के बारे में सोचने का वक़्त तक नहीं।  इसके अलावा, अब तो दक्षिण की लगभग सभी बड़ी फिल्मों को हिंदी में डब कर रिलीज़ किया जा रहा है। इन्हे मूल हिंदी फिल्म करके क्या फायदा मिलेगा ! यहाँ बड़ा सवाल यह है कि कभी, शिवाजी गणेशन, जैमिनी गणेशन, कमल हासन, आदि की उपेक्षा करने वाला बॉलीवुड इन अभिनेताओं के लिए इतना बेकरार क्यों ? विजय देवराकोण्डा का तेलुगु फिल्म डेब्यू २०११ में फिल्म नवविला से हुआ था। येवडे सुब्रमण्यम की सह भूमिका से उनकी पहचान बनी। २०१६ में रिलीज़ फिल्म पेल्लि चूपुलु हिट हो गई।  इसके बाद, अर्जुन रेड्डी ने उनकी यश गाथा बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं तक पहुंचा दी।  २०१८ में उनकी महानटी, गीता गोविन्दम और नोटा जैसी फ़िल्में हिट हो गई।  यही कारण था कि कबीर सिंह की सफलता से प्रभावित हो कर करण जौहर ने विजय देवराकोण्डा की फिल्म डिअर कामरेड के रिलीज़ होने से पहले ही इसके हिंदी रीमेक के अधिकार भारी रकम देकर खरीद लिए। पिछले कुछ सालों से दक्षिण के फिल्म अभिनेताओं प्रभास, राणा डग्गुबाती और यश की फिल्मों को दर्शकों ने स्वीकार किया है।  बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं को लगता है कि दक्षिण में सफल विजय देवराकोण्डा भी स्वीकार किये जाएंगे।
बॉलीवुड में भाई-चारा
पिछले दिनों, बॉलीवुड में भाई-चारा दो ताजातरीन उदाहरण देखने को मिले। जॉन अब्राहम ने अपने दोस्त निखिल अडवाणी की रोमांस- एक्शन फिल्म मरजावां को अकेले रिलीज़ होने देने के लिए, अपनी ८ नवम्बर को सोलो रिलीज़ हो रही फिल्म पागलपंथी की रिलीज़ की तारीख़ २२ नवम्बर कर के, आयुष्मान खुराना की फिल्म बाला से मुकाबले में ला खडा किया। जॉन अब्राहम का यह दोस्ताना, १२ साल पहले प्रदर्शित निखिल अडवाणी निर्देशित फिल्म जान ए मन से बना था। यह दोस्ताना सत्यमेव जयते और बाटला हाउस की सफलता के साथ पुख्ता हुआ। आगे भी यह भाईचारा सत्यमेव जयते २ और १९११ तक जारी रहेगा। बॉलीवुड के भाई-चारे का दूसरा उदाहरण सलमान खान और शाहरुख़ खान हैं। यों तो इनकी अदावत की खबरें कैटरीना कैफ की बर्थडे पार्टी में झगड़े के बाद से लगातार जारी हैं। लेकिन, बीच बीच में इन दोनों का दोस्ताना भी देखने को मिलता रहता है। एक ऐसा ही भाईचारा इस ऐलान के साथ सुनने को मिला कि निर्देशक अली अब्बास ज़फर, यशराज फिल्म्स के लिए एक एक्शन फिल्म शाहरुख़ खान के साथ बनाने जा रहे हैं। पिछले साल, जीरो की बुरी असफलता के बाद, शाहरुख़ खान ने ख़ामोशी ओढ़ ली थी। बार बार ऐलान के बावजूद उनकी नई फिल्म का खुलासा नहीं हो सका। अब अली अब्बास ज़फर की फिल्म का ऐलान पुख्ता हुआ लगता है। यह वही अली अब्बास ज़फर हैं, जिनको लेकर यह खबर थी कि वह ईद २०२० में रिलीज़ के लिए सलमान खान के साथ फिल्म टाइगर ३ बना सकते हैं। मगर, अली का शाहरुख़ खान के साथ फिल्म का फैसला चौंकाने वाला होने के बावजूद बॉलीवुड के खान भाईचारे का उदाहरण है। बिना सलमान खान की सहमति के अली अब्बास ज़फर, शाहरुख खान के लिए कोई फिल्म लिख तक नहीं सकते थे, निर्देशित करना तो दूर की बात है। अब देखने वाली बात होगी कि अली अब्बास ज़फर की फिल्म से शाहरुख खान का करियर नई करवट ले पाता है या नहीं !
मंडल कमीशन पर हुडदंग !
जुलाई से, उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में हिंदी फिल्म हुडदंग की शूटिंग चल रही है। मेंटल है क्या और जबरिया जोड़ी जैसी फिल्मों के निर्देशक शैलेश आर सिंह की इस फिल्म का निर्देशन फिल्म बृज मोहन अमर रहे का निर्देशन करने वाले निर्देशक निखिल भट्ट कर रहे हैं। फिल्म की ख़ास बात यह है कि इसकी कहानी सामाजिक सरोकार वाली है। फिल्म की पृष्ठभूमि में १९९० की राजनीति है, जब तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने, मंडल कमीशन की धूल फांक रही रिपोर्ट को लागू कर समाज में जातिगत संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी थी। इस रिपोर्ट के विरोध में एक छात्र ने आत्महत्या भी कर ली थी। काफी समय तक देश जातिगत दंगों की आग में जलता रहा। हुड़दंग की कहानी प्रयागराज (तकालीन इलाहबाद) के इसी माहौल पर प्रेम कहानी है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में विजय वर्मा, सनी कौशल और नुसरत भरुचा है। विजय वर्मा को इसी साल रिलीज़ जोया अख्तर निर्देशित फिल्म गली बॉय के कार चोर मोइन आरिफ की भूमिका से पहचान मिली। विक्की कौशल के छोटे भाई सनी कौशल ने, अक्षय कुमार की फिल्म गोल्ड के हिम्मत सिंह की भूमिका से दर्शकों का ध्यान खींचा। नुसरत भरुचा तो अब किसी परिचय की मोहताज़ नहीं रही। सोनू के टीटू की स्वीटी ने उन्हें जाना पहचाना नाम बना दिया है। जहाँ तक हुडदंग की कहानी का सवाल है, संदेह करने के पूरे कारण हैं। बॉलीवुड के फिल्म निर्माता जातिवाद के नाम पर फिल्मों का निर्माण तो करते हैं, लेकिन उन्हें संतुलित नहीं रख पाते। प्रकाश झा की आरक्षण पर फिल्म आरक्षण तो मध्यांतर के बाद शिक्षा व्यवस्था का ढोल पीटने लगी। बॉलीवुड फिल्म निर्माता अपने पूर्वाग्रहों के बावजूद सामाजिक सरोकारों पर फिल्म बनाते जा रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि तनु वेड्स मनु, शाहिद, मदारी और अलीगढ जैसी ईमानदार फिल्म बनाने वाले शैलेश, हुडदंग में भी यही ईमानदारी बरकरार रखेंगे। 
संजय दत्त के लिए ज़रूरी है प्रस्थानम की सफलता
इस शुक्रवार रिलीज़ हो रही फिल्म प्रस्थानम में संजय दत्त के अलावा मनीषा कोइराला, जैकी श्रॉफ, अली ज़फर और सत्यजीत दुबे की भूमिकाएं अहम् है। लेकिन, प्रस्थानम की सफलता की ऎसी आवश्यकता किसी दूसरे एक्टर को नहीं होगी। ऐसा नहीं कि संजय दत्त की रिलीज़ होने वाली आखिरी फिल्म है प्रस्थानम ! प्रस्थानम के बाद, इसी साल संजय दत्त की एक ऐतिहासिक फिल्म पानीपत भी रिलीज़ होगी। अगले साल उनकी तीन फ़िल्में सड़क २, केजीएफ़ चैप्टर २ तथा भुज: द प्राइड ऑफ़ इंडिया भी रिलीज़ होनी हैं। उन्होंने कुछ दूसरी फ़िल्में भी साइन कर ली है। जिनका ऐलान होना बाकी है। इसके बावजूद, संजय दत्त को प्रस्थानम की सफलता की आवश्यकता है। क्योंकि, बॉम्बे सीरियल बम ब्लास्ट में मिली अपने हिस्से की सज़ा पूरी करने के बाद जेल से निकले संजय दत्त को फ़िल्में तो तत्काल मिल गई। लेकिन संजय इन फिल्मों को सफलता नहीं दिला सके। उनकी पहली वापसी फिल्म भूमि बुरी तरह से असफल हुई। अभी तक तिग्मांशु धुलिया की सफल हो रही सीरीज साहब बीवी और गैंगस्टर की तीसरी कड़ी भी बुरी तरह से असफल हुई। इस साल रिलीज़ हुई बड़े बजट की सितारों से भरी फिल्म कलंक भी पिट गई। ऐसे में अगर प्रस्थानम भी फ्लॉप हो गई तो फिल्मों में संजय दत्त की उपयोगिता पर सवाल होने लगेंगे। इसलिए संजय दत्त के लिए प्रस्थानम की सफलता सबसे ज़रूरी है। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि एक फ्लॉप फिल्म की रीमेक फिल्म कैसे सफल होगी ! बताते चलें कि प्रस्थानम, २०१० में रिलीज़ उस तेलुगु फिल्म का रीमेक है, जो बॉक्स ऑफिस पर लागत तक नहीं कमा पाई थी। 

आसान नहीं है तीसरी Deol पीढ़ी की राह


बॉलीवुड को एक्शन  हीरो देने वाले देओल परिवार की तीसरी पीढ़ी, अपने बॉलीवुड फिल्म करियर का आगाज़ करने जा रही है। ढाई किलों का घूसा रखने वाले सनी देओल के चॉकलेट चेहरा बेटे करण देओल की पहली फिल्म पल पल दिल के पास, २० सितम्बर को रिलीज़ हो रही है। इस फिल्म से करण देओल के साथ नया ग्लैमरस चेहरा सहर बाम्बा का भी हिंदी फिल्म डेब्यू हो रहा है। ख़ास बात यह है कि इस फिल्म का निर्देशन खुद सनी देओल कर रहे हैं। बतौर निर्देशक, पल पल दिल के पास, सनी देओल की तीसरी फिल्म है। सनी देओल ने अब तक दो फिल्मों दिल्लगी और घायल रिटर्न्स का निर्देशन किया है। इन दोनों ही फिल्मों में खुद सनी देओल मैदान में थे. लेकिन, पल पल दिल के पास में वह अपने बेटे को मैदान में उतार रहे हैं ।

यशराज बैनर को इंकार क्यों ?
सनी देओल ने अपने बेटे की लौन्चिंग के लिए किसी दूसरे बैनर या निर्देशक का भरोसा क्यों नहीं किया ? जबकि, यशराज फिल्म्स चाहता था कि उनके बैनर से, धर्मेंद्र के पोते और सनी देओल के बड़े बेटे करण देओल का हिंदी फिल्म डेब्यू हो।  सनी देओल को, बैनर का यह प्रस्ताव रास नहीं आया।  इसके पीछे उनकी व्यक्तिगत सोच ज़्यादा थी।  इसे गुस्सा कहना ज़्यादा ठीक होगा।  यश चोपड़ा ने, धर्मेंद्र के साथ फिल्म आदमी और इंसान बनाई थी।  मज़दूर - मिल मालिक संबंधों का चित्रण करने वाली इस फिल्म में अमीर फ़िरोज़ खान और धर्मेंद्र गहरे मित्र बने थे। यश चोपड़ा ने, स्क्रिप्ट में परिवर्तन कर फिल्म के क्लाइमेक्स में फ़िरोज़ खान को मरवा दिया।  दर्शकों की पूरी सहानुभूति हीरो धर्मेंद्र के बजाय निगेटिव शेड वाले हीरो फ़िरोज़ खान के साथ हो गई।  धर्मेंद्र को इसका पूरी ज़िन्दगी मलाल रहा।  आदमी और इंसान १९६९ में रिलीज़ हुई थी।  इसके २४ साल बाद, ऐसा ही हादसा सनी देओल के साथ फिल्म डर में हुआ था।  यश चोपड़ा ने फिल्म के एंटी हीरो शाहरुख खान को, फिल्म के हीरो सनी देओल से पिटवा कर मरवा दिया।  उन्होंने शाहरुख़ खान को असहाय पिटता दिखा कर दर्शकों की पूरी सहानुभूति शाहरुख खान को दिलवा दी। यह दोनों ही घटनाये सनी देओल को याद थी। इसलिए उन्हें विश्वास ही नहीं था कि यशराज बैनर उनके बेटे के साथ न्याय कर पायेगा।

खुद पर भरोसा !
सनी देओल के इस निर्णय से, उनका खुद पर भरोसा तो झलकता है । क्योंकि,वह अपने बेटे की कमियों और खासियतों को जानते हैं। उन्होंने अपने बेटे के लिए उसी के अनुरूप दृश्य लिखे और लिखवाये होंगे। शूटिंग की जो खबरें छन कर आई हैं, उनसे पता चलता है कि सनी देओल ने फिल्म के सेट्स पर कभी भी करण को बेटे की तरह नहीं माना । सेट पर इन दोनों का रिश्ता डायरेक्टर और एक्टर का रहा । एक्शन दृश्य में सनी देओल ने करण से खासी मेहनत करवाई है । लेकिन, इतना ही काफी नहीं । सनी देओल ने चाहे खुद की मौजूदगी को एक निर्देशक की बनाए रखा, लेकिन एक एक्टर के लिए सब कुछ इतना आसान नहीं होता । पल पल दिल के पास एक रोमांटिक एक्शन फिल्म है । एक्शन में तो सनी देओल करण से मेहनत करा सकते हैं । लेकिन, रोमांस का क्या ? यह तो खुद करण देओल को ही करना था । जो लोग देओल परिवार को जानते हैं, वह अच्छी तरह से जानते हैं कि इस परिवार के बच्चे अपने बड़ों का बड़ा लिहाज़ करते हैं । क्या ऐसे परिवार का बेटा करण अपने पिता की मौजूदगी में अपनी फिल्म की हीरोइन सहर के साथ सामान्य तरीके से रोमांस कर सका होगा । खुद करण ने भी इंटरव्यू के दौरान इसे स्वीकार किया है । यानि कि करण रोमांस करते समय सहज नहीं रहे होंगे ।

चुनौतियाँ ही चुनौतियाँ
इतना ही नहीं, अब १९८० का दशक नहीं रहा, जब धर्मेन्द्र, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार, आदि के बेटों के लिए बॉलीवुड का आसमान बाहें खोले इंतज़ार करता मिलता था । तमाम कमियों के बावजूद सनी देओल ख़ास इमेज वाले एक्शन हीरो बन गए । नशे में धुत्त रहने वाले संजय दत्त को भी रोमांस करने के लिए खूबसूरत नायिकाओं की कमी नहीं रही । कुमार गौरव का नमकीन चेहरा भी फ़िल्में जुटा ले गया । लेकिन, करण देओल को चुनौती देने के लिए कार्तिक आर्यन, सूरज पंचोली, अहान शेट्टी, राजकुमार राव, सिद्धार्थ मल्होत्रा, वरुण धवन, टाइगर श्रॉफ, विक्की कौशल, आदि जैसे युवा एक्टर, पुराने चावलों अजय देवगन, संजय दत्त, हृथिक रोशन, जॉन अब्राहम, आदि के साथ चुनौती सी देते खड़े हैं । उस पर तुर्रा यह कि दक्षिण से प्रभास, दुलकर सलमान, विजय देवरकोंडा, आदि प्रतिभाशाली एक्टर भी बॉलीवुड फतह करने आ रहे हैं ।

२० सितम्बर को ही चुनौतियों का अम्बार
चलिए मान लेते हैं कि करण देओल के सामने, आज जमे हुए बॉलीवुड और दक्षिण की सितारों की चुनौती भविष्य की बात है । लेकिन, २० सितम्बर का क्या ? २० सितम्बर को करण देओल की फिल्म पल पल दिल के पास सोलो रिलीज़ नहीं हो रही । इस दिन बॉलीवुड की दो और हॉलीवुड की तीन फ़िल्में भी रिलीज़ हो सकती है । हॉलीवुड की तीन फिल्मों में रेम्बो लास्ट ब्लड ख़ास चुनौती होगी । सिल्वेस्टर स्टैलॉन की एक्शन फिल्म रेम्बो की पांचवी कड़ी लास्ट ब्लड में अभिनेता  सिल्वेस्टर स्टैलॉन अपने रेम्बो अवतार में आखिरी बार नजर आयेंगे । भारतीय दर्शकों का पसंदीदा किरदार है रेम्बो । इस फिल्म से सिल्वेस्टर स्टैलॉन भारत में लोकप्रिय हैं। वह करण के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं । २० सितम्बर को रिलीज़ हो रही बॉलीवुड की दो फिल्मों में प्रस्थानम, तेलुगु फिल्म का रीमेक है । इस फिल्म में संजय दत्त केंद्रीय भूमिका में हैं । यह एक पॉलिटिकल थ्रिलर फिल्म है । इस फिल्म का आकर्षण मनीषा कोइराला और जैकी श्रॉफ भी होंगे । दूसरी फिल्म द जोया फैक्टर क्रिकेट की पृष्ठभूमि वाली फिल्म है । भारत की क्रिकेट टीम के पहला विश्व कप जीतने की तारीख़ को जन्मी जोया के भारतीय क्रिकेट टीम के लिए भाग्यशाली चेहरा साबित होने के कथानक पर इस फिल्म में सोनम कपूर और दुलकर सलमान मुख्य भूमिका में हैं । यह दोनों फ़िल्में भी पल पल दिल के पास का दिल धड़का सकती हैं।

चुनौतियों से लड़ने वाले देओल !
बेशक, करण देओल की राह आसान नहीं है । लेकिन, देओल परिवार का यह बेटा चुनौतियों से लड़ सकता है । ऐसा समझे जाने के पर्याप्त कारण है कि करण के दादा धर्मेन्द्र और पिता सनी देओल को भी बॉलीवुड में कड़ी चुनौतियों और संघर्ष का सामना करना पडा, मगर वह विजेता साबित हुए । इन दोनों ने जीवन के उतार चढ़ाव देखें हैं । इसके बावजूद यह हर जंग जीते हैं । इन दोनों का बड़ा अनुभव करण का मददगार साबित हो सकता है। अच्छी बात यह है कि करण देओल को पल पल दिल के पास की रिलीज़ से पहले ही इंद्रकुमार की अनाम कॉमेडी फिल्म गई है । यह फिल्म इतना साबित करने के लिए काफी है कि करण देओल पहली बाधा पार कर चुके हैं । बॉलीवुड के अनुभवी फिल्मकारों ने उनमें आत्मविश्वास और स्टारडम की झलक देख ली है । क्योंकि, इंद्रकुमार ने कभी सनी देओल या धर्मेंद्र के साथ कोई फिल्म नहीं बनाई। आइये देखते हैं शुक्रवार २० सितम्बर को करण देओल प्रस्थानम और द जोया फैक्टर की बाधा कैसे पार करते हैं  

Saturday 14 September 2019

महर्षि वाल्मीकि की फिक्र में राम सिया के लव कुश पर लगेगी रोक ?


कलर्स चैनल का शो धार्मिक शो राम सिया के लव कुश बंदी की कगार पर है।  भारत सरकार ने, चैनल को नोटिस दिया है। नोटिस का जवाब १५ दिनों में दिया जाना है। इसके बाद, संभव है कि राम सिया के लव कुश छोटे परदे से ओझल हो जाएँ।

राम सिया के लव कुश पर रोक  लगाने के धार्मिक नहीं जातिगत कारण है।  हरियाणा और पंजाब के कई  जिलाधिकारियो और मंडलायुक्तों ने अपने अपने जिलों और मंडलों में शो के प्रसारण पर रोक लगा दी है।  इस रोक पर, कलर्स की याचिका पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है।  अब भारत सरकार के सूचना और  प्रसारण मंत्रालय का नोटिस लव कुश की मुश्किलें बढ़ाता जा रहा है।

दरअसल, वाल्मीकि समाज को लगता है कि शो में उनकी जाति के वाल्मीकि को खराब तरह से पेश किया गया है। हरियाणा में विधान सभा  चुनाव होने हैं।  इसलिए वाल्मीकि समाज का विरोध रंग लाया। कुछ जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों ने इस शो के प्रसारण पर रोक लगा दी।  इससे इस समाज के झंडाबरदारों का हौसला बढ़ा और इन्होने इसकी शिकायत भारत सरकार तक पहुंचा कर, पूरे देश में प्रसारण पर रोक लगाने के मांग कर दी।


महर्षि वाल्मीकि जिस युग के थे, उस समय जाति प्रथा का नाम तक नहीं था।  इसके बावजूद वाल्मीकि  समाज को लोगों को लगता है कि वह नीची जाति से थे।  हालाँकि, महर्षि वाल्मीकि ने रामायण जैसे सभी हिन्दुओं के पूज्य महाकाव्य रामायण की  रचना की थी।  वह ऋषियों के ऋषि यानि महर्षि माने गए।  उन्हें सभी हिन्दू पूजते हैं। लेकिन, वाल्मीकि समाज को वह जातिवाद और छुआछूत के लिए याद किये जाते हैं।


KAAPAAN है Mohanlal, Surya, Arya और Sayyeshaa का Bandobast


बॉलीवुड फिल्म दर्शकों के लिए डोली सजा के रखना, जोश, नायक द रियल हीरो, द लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह और खाकी जैसी फिल्मों की सिनेमेटोग्राफी करने वाले केवी आनंद, आजकल तमिल दर्शकों के लिए एक्शन और थ्रिलर फ़िल्में बनाने में व्यस्त हैं। वह अब तक छह तमिल फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं।  अब उनके द्वारा निर्देशित सातवी फिल्म कापान प्रदर्शित होने जा रही हैं।

कापान में, दक्षिण की तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों के दिग्गज एक्टर खास भूमिकाये कर रहे हैं।  कापान में मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल, तमिल सुपरस्टार सूर्या, और आर्या तथा तमिल और तेलुगु फिल्म एक्ट्रेस सायेशा सहगल, बॉलीवुड के जाने पहचाने चेहरे बोमन ईरानी के साथ हैं।

कापान को के वी आनंद  ने पत्तुक्कोट्टई प्रभाकर और कबीलान वैरमुथु के साथ लिखा है।  लेकिन फिल्म का छायांकन खुद आनंद ने नहीं, बल्कि एम एस प्रभु ने किया है।

कापान एक्शन थ्रिलर फिल्म है।  इस फिल्म का ट्रेलर फिल्म के हैरतअंगेज एक्शन बयान कर चुका है।  फिल्म के एक्शन विन्नी क्लार्क़े, पीटर हैन, कैटरीना रॉस, एर्सीन सिंन और दिलीप सुबारायण ने संयोजित किये हैं।


फिल्म की कहानी भारत देश के काल्पनिक प्रधान मंत्री चंद्रकांत वर्मा (मोहनलाल), उनके एसपीजी अंगरक्षक कथीर (सूर्या) के संबंधों को प्रदर्शित करती है। फिल्म के ट्रेलर से आभास होता है कि प्रधान मंत्री पर आतंकी हमला होता है।  कथीर इसका जांबाज़ी से मुक़ाबला करता है और प्रधान मंत्री को बचाता है। फिल्म में प्रधान मंत्री के बेटे अकील वर्मा (आर्या)प्रधान मंत्री की सचिव शर्मिता (सायेशा) के चरित्र भी फिल्म की  कहानी में घुमाव पैदा करने वाले हैं।

कापान की शूटिंग भारत में दिल्ली और हैदराबाद के अलावा इंडोनेशिया में जावा द्वीप, न्यू यॉर्क, लंदन और ब्राज़ील में भी हुई है।

तमिल कापान को बंदोबस्त टाइटल के साथ तेलुगु में भी रिलीज़ किया जा रहा है।  यह फिल्म २० सितम्बर को पूरी दुनिया में रिलीज़ की जा रही है। इस फिल्म का बजट ७५ करोड़ है।