Sunday 15 September 2019

कुछ बॉलीवुड की १५ सितम्बर २०१९


लखनऊ में बॉलीवुड
कुछ समय पहले तक अजय देवगन, लखनऊ में अपनी फिल्म मैदान की शूटिंग कर रहे थे।  इस बायोपिक फिल्म में अजय देवगन फुटबॉल कोच सैय्यद अब्दुल रहीम की भूमिका कर रहे हैं।  वैसे इस फिल्म का सम्मिलित शिड्यूल लखनऊ के साथ मुंबई और कलकत्ता का भी जुड़ा हुआ है।  यानि आना जाना लगा रहेगा। लेकिन, आजकल मीरा नायर अपनी अ सूटेबल बॉय टीम के साथ लखनऊ में हैं।  इस फिल्म की कहानी एक तवायफ से एक अमीर लडके के रोमांस की कहानी है।  इस पीरियड फिल्म में तब्बू और ईशान खट्टर क्रमशः तवायफ और अमीर लडके की भूमिका कर रहे हैं।  चूंकि, यह पीरियड फिल्म है।  इसलिए ऎसी फिल्मों की लोकेशन के लिए लखनऊ श्रेष्ठ माना जाता है।  मीरा नायर अपनी इस फिल्म की शूटिंग किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, ला मार्टिनियर कॉलेज, महमूदाबाद पैलेस, सलेमपुर हाउस तथा जॉपलिंग और नक्खास की प्राचीन धरोहरों वाले मकानों में करेंगी ।  यह शिड्यूल तीन महीने तक चलेगा।  बेशक स्टार का आना और जाना लगा रहेगा। अब लखनऊ या कहिये उत्तर प्रदेश में बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग का सिलसिला शुरू हो चला है। फिल्म निर्माता इतिहास के पुराने पन्ने पलटने लगे हैं।  पिछले साल, तमिल सुपरस्टार रजनीकांत भी अपनी फिल्म पेट्टा की शूटिंग लखनऊ, वाराणसी,आदि शहरों में कर चुके थे।  अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना भी गुलाबो सिताबो फिल्म की शूटिंग के लिए लखनऊ आ चुके हैं।  पंकज त्रिपाठी और जाह्नवी कपूर अपनी फिल्म कारगिल गर्ल की शूटिंग भी लखनऊ और उसके आसपास के इलाकों में कर चुके हैं।  कार्तिक आर्यन, भूमि पेडनेकर और अनन्या पांडेय भी लखनऊ आ चुके है। 
जी स्टूडियोज की आठ फ़िल्में
ज़ी स्टूडियोज, बड़े ही व्यवस्थित ढंग से, हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओँ की फिल्मों का निर्माण और वितरण करता जा रहा है। यह स्टूडियो, इस साल अभी तक मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ़ झाँसी, केसरी, द ताशकंद फाइल्स और आर्टिकल १५ जैसी हिंदी फिल्मों तथा पंजाबी फिल्म काला शाह काला और मराठी फिल्म आनंदी गोपाल का निर्माण और वितरण कर चुका है। आगामी दिसंबर तक, इस स्टूडियो द्वारा हिंदी, इंग्लिश, मराठी और पंजाबी में ८ और फ़िल्में निर्मित और वितरित की जाएंगी। आगामी रिलीज़ फिल्मों में सरगुन मेहता और गुरनाम भुल्लर की पंजाबी फिल्म सुर्खी बिंदी के अलावा  सनी देओल निर्देशित बेटे करण देओल की फिल्म पल पल दिल के पास, हॉलीवुड की अन्थोनी मारस निर्देशित फिल्म होटल मुंबई के नाम उल्लेखनीय हैं।  जब तक लेख प्रकाशित होगा किच्छा सुदीप और सुनील शेट्टी की कन्नड़ फिल्म पहलवान पांच भाषाओँ हिंदी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु और मलायलम में रिलीज़ हो चुकी होगी। करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस की दो फिल्में विक्की कौशल अभिनीत हॉरर फिल्म भूत तथा अक्षय कुमार और करीना कपूर की फिल्म गुड न्यूज़ भी ज़ी स्टूडियोज द्वारा वितरित की जाएंगी। ज़ी स्टूडियोज द्वारा दो मराठी फ़िल्में भी रिलीज़ की जानी है। इनमे संजय जाधव की फिल्म खारी बिस्कुट और समीर विद्वांस की फिल्म धुराला के नाम शामिल हैं। ज़ी स्टूडियोज, इस साल जितनी फिल्में रिलीज़ कर चुका है, वह सभी बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हैं। उम्मीद की जा सकती है कि दिसंबर तक यह स्टूडियोज अपनी सफलता के मुकुट पर आठ पंख और जोड़ लेगा।
पहले भी बंद की गई हैं फ़िल्में
संजय लीला भंसाली द्वारा अपनी सलमान खान के साथ फिल्म इंशाल्लाह को बंद किये जाने के बाद, अनुमानों का बाज़ार गर्म है। भंसाली ने क्यों बंद कर दी सलमान खान के साथ फिल्म ? सलमान खान को बॉक्स ऑफिस का दबंग माना जाता है। संजय लीला भंसाली भी सुपरहिट फिल्मों के निर्माता समझे जाते है। ऐसे में इन दोनों की फिल्म का बंद हो जाना चौंकाऊ लगता है। लेकिन, बॉलीवुड में ऐसा होता रहता है। याद कीजिये १९८० के दशक को। सुभाष घई ने, अमिताभ बच्चन के साथ अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म देवा का धूम-धडाके वाले महूरत के साथ ऐलान किया था। लेकिन, एक दिन उन्होंने इस फिल्म को बंद किये जाने का ऐलान कर दिया। पता चला कि अमिताभ बच्चन अपने देवा लुक को इंडस्ट्री के दूसरे लोगों के सामने खोले दे रहे थे। कुछ ऐसा ही दस साल पहले नासिर हुसैन ने, दिलीप कुमार के साथ भी किया था। दिलीप कुमार की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ज़बरदस्त की ज़बरदस्त चर्चा थी। इस फिल्म में धर्मेन्द्र, ऋषि कपूर, जीनत अमान और अमजद खान को भी लिया गया था। लेकिन, नासिर हुसैन की दिलीप कुमार के साथ बात बिगड़ गई। फिल्म बंद हो गई।  अमिताभ बच्चन की जेपी दत्ता के निर्देशन में बनने वाली फिल्म बंधुआ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस फिल्म में माधुरी दीक्षित के साथ अमिताभ बच्चन की जोड़ी बनाई जा रही थी। एक दिन फिल्म के सेट पर किसी बात पर बड़ा झगड़ा हुआ। दत्ता ने फिल्म बंद कर देने का ऐलान कर दिया। यह वाकया, ३ इडियट्स से पहले का है। मणि रत्नम, इस्मत चुगताई की विभाजन से पहले के भारत पर एक संगीतमय फिल्म लज्जो में आमिर खान और करीना कपूर को लेकर शुरू करना चाहते थे। इस फिल्म का स्क्रीनप्ले अनुराग कश्यप लिख रहे थे। परन्तु, इस फिल्म को भी बिना किसी कारण बताये बंद कर दिया गया।
कबीर सिंह का तेलुगु हीरो हिंदी फिल्मों में ?
बॉलीवुड अभिनेता शाहिद कपूर, जिस तेलुगु फिल्म अर्जुन रेड्डी के रीमेक से हिट कबीर सिंह बने थे, उस फिल्म के नायक-अभिनेता विजय देवरकोण्डा के हिंदी फिल्मों में आने की खबर जंगल में आग की तरह फैली हुई हैं। खबरचियों का दावा है कि विजय को अपनी हिंदी फिल्म का नायक बनाने के लिए बॉलीवुड के तीन दिग्गज फिल्मकार करण जौहर, साजिद नाडियाडवाला और सिद्धार्थ रॉय कपूर बेकरार हैं। कहा जा रहा है कि ६ सितम्बर को, विजय देवरकोण्डा मुंबई में थे। उनकी इन फिल्म निर्माताओं से बात ज़रूर हुई होगी। इसका क्या परिणाम निकला, पता नहीं चल सका है।  लेकिन, जहां तक विजय का सवाल है, वह खुद इतने बेकरार नहीं। बेशक, बॉलीवुड की फिल्म कर, विजय  को पूरे देश में अपनी पहचान बनाने का मौका मिलेगा। लेकिन, बकौल अर्जुन देवराकोण्डा यह उनके काम को बढ़ाएगा, कोई ग्रोथ नहीं करेगा । तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के, विजय जैसे कई अभिनेता है, जो हिंदी फिल्मों के लिए ख़ास उत्सुक नहीं।  महेश बाबू और जूनियर एनटीआर, तेलुगु फिल्मों के अत्यधिक व्यस्त अभिनेता हैं।  उनके पास हिंदी फिल्मों के बारे में सोचने का वक़्त तक नहीं।  इसके अलावा, अब तो दक्षिण की लगभग सभी बड़ी फिल्मों को हिंदी में डब कर रिलीज़ किया जा रहा है। इन्हे मूल हिंदी फिल्म करके क्या फायदा मिलेगा ! यहाँ बड़ा सवाल यह है कि कभी, शिवाजी गणेशन, जैमिनी गणेशन, कमल हासन, आदि की उपेक्षा करने वाला बॉलीवुड इन अभिनेताओं के लिए इतना बेकरार क्यों ? विजय देवराकोण्डा का तेलुगु फिल्म डेब्यू २०११ में फिल्म नवविला से हुआ था। येवडे सुब्रमण्यम की सह भूमिका से उनकी पहचान बनी। २०१६ में रिलीज़ फिल्म पेल्लि चूपुलु हिट हो गई।  इसके बाद, अर्जुन रेड्डी ने उनकी यश गाथा बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं तक पहुंचा दी।  २०१८ में उनकी महानटी, गीता गोविन्दम और नोटा जैसी फ़िल्में हिट हो गई।  यही कारण था कि कबीर सिंह की सफलता से प्रभावित हो कर करण जौहर ने विजय देवराकोण्डा की फिल्म डिअर कामरेड के रिलीज़ होने से पहले ही इसके हिंदी रीमेक के अधिकार भारी रकम देकर खरीद लिए। पिछले कुछ सालों से दक्षिण के फिल्म अभिनेताओं प्रभास, राणा डग्गुबाती और यश की फिल्मों को दर्शकों ने स्वीकार किया है।  बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं को लगता है कि दक्षिण में सफल विजय देवराकोण्डा भी स्वीकार किये जाएंगे।
बॉलीवुड में भाई-चारा
पिछले दिनों, बॉलीवुड में भाई-चारा दो ताजातरीन उदाहरण देखने को मिले। जॉन अब्राहम ने अपने दोस्त निखिल अडवाणी की रोमांस- एक्शन फिल्म मरजावां को अकेले रिलीज़ होने देने के लिए, अपनी ८ नवम्बर को सोलो रिलीज़ हो रही फिल्म पागलपंथी की रिलीज़ की तारीख़ २२ नवम्बर कर के, आयुष्मान खुराना की फिल्म बाला से मुकाबले में ला खडा किया। जॉन अब्राहम का यह दोस्ताना, १२ साल पहले प्रदर्शित निखिल अडवाणी निर्देशित फिल्म जान ए मन से बना था। यह दोस्ताना सत्यमेव जयते और बाटला हाउस की सफलता के साथ पुख्ता हुआ। आगे भी यह भाईचारा सत्यमेव जयते २ और १९११ तक जारी रहेगा। बॉलीवुड के भाई-चारे का दूसरा उदाहरण सलमान खान और शाहरुख़ खान हैं। यों तो इनकी अदावत की खबरें कैटरीना कैफ की बर्थडे पार्टी में झगड़े के बाद से लगातार जारी हैं। लेकिन, बीच बीच में इन दोनों का दोस्ताना भी देखने को मिलता रहता है। एक ऐसा ही भाईचारा इस ऐलान के साथ सुनने को मिला कि निर्देशक अली अब्बास ज़फर, यशराज फिल्म्स के लिए एक एक्शन फिल्म शाहरुख़ खान के साथ बनाने जा रहे हैं। पिछले साल, जीरो की बुरी असफलता के बाद, शाहरुख़ खान ने ख़ामोशी ओढ़ ली थी। बार बार ऐलान के बावजूद उनकी नई फिल्म का खुलासा नहीं हो सका। अब अली अब्बास ज़फर की फिल्म का ऐलान पुख्ता हुआ लगता है। यह वही अली अब्बास ज़फर हैं, जिनको लेकर यह खबर थी कि वह ईद २०२० में रिलीज़ के लिए सलमान खान के साथ फिल्म टाइगर ३ बना सकते हैं। मगर, अली का शाहरुख़ खान के साथ फिल्म का फैसला चौंकाने वाला होने के बावजूद बॉलीवुड के खान भाईचारे का उदाहरण है। बिना सलमान खान की सहमति के अली अब्बास ज़फर, शाहरुख खान के लिए कोई फिल्म लिख तक नहीं सकते थे, निर्देशित करना तो दूर की बात है। अब देखने वाली बात होगी कि अली अब्बास ज़फर की फिल्म से शाहरुख खान का करियर नई करवट ले पाता है या नहीं !
मंडल कमीशन पर हुडदंग !
जुलाई से, उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में हिंदी फिल्म हुडदंग की शूटिंग चल रही है। मेंटल है क्या और जबरिया जोड़ी जैसी फिल्मों के निर्देशक शैलेश आर सिंह की इस फिल्म का निर्देशन फिल्म बृज मोहन अमर रहे का निर्देशन करने वाले निर्देशक निखिल भट्ट कर रहे हैं। फिल्म की ख़ास बात यह है कि इसकी कहानी सामाजिक सरोकार वाली है। फिल्म की पृष्ठभूमि में १९९० की राजनीति है, जब तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने, मंडल कमीशन की धूल फांक रही रिपोर्ट को लागू कर समाज में जातिगत संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी थी। इस रिपोर्ट के विरोध में एक छात्र ने आत्महत्या भी कर ली थी। काफी समय तक देश जातिगत दंगों की आग में जलता रहा। हुड़दंग की कहानी प्रयागराज (तकालीन इलाहबाद) के इसी माहौल पर प्रेम कहानी है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में विजय वर्मा, सनी कौशल और नुसरत भरुचा है। विजय वर्मा को इसी साल रिलीज़ जोया अख्तर निर्देशित फिल्म गली बॉय के कार चोर मोइन आरिफ की भूमिका से पहचान मिली। विक्की कौशल के छोटे भाई सनी कौशल ने, अक्षय कुमार की फिल्म गोल्ड के हिम्मत सिंह की भूमिका से दर्शकों का ध्यान खींचा। नुसरत भरुचा तो अब किसी परिचय की मोहताज़ नहीं रही। सोनू के टीटू की स्वीटी ने उन्हें जाना पहचाना नाम बना दिया है। जहाँ तक हुडदंग की कहानी का सवाल है, संदेह करने के पूरे कारण हैं। बॉलीवुड के फिल्म निर्माता जातिवाद के नाम पर फिल्मों का निर्माण तो करते हैं, लेकिन उन्हें संतुलित नहीं रख पाते। प्रकाश झा की आरक्षण पर फिल्म आरक्षण तो मध्यांतर के बाद शिक्षा व्यवस्था का ढोल पीटने लगी। बॉलीवुड फिल्म निर्माता अपने पूर्वाग्रहों के बावजूद सामाजिक सरोकारों पर फिल्म बनाते जा रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि तनु वेड्स मनु, शाहिद, मदारी और अलीगढ जैसी ईमानदार फिल्म बनाने वाले शैलेश, हुडदंग में भी यही ईमानदारी बरकरार रखेंगे। 
संजय दत्त के लिए ज़रूरी है प्रस्थानम की सफलता
इस शुक्रवार रिलीज़ हो रही फिल्म प्रस्थानम में संजय दत्त के अलावा मनीषा कोइराला, जैकी श्रॉफ, अली ज़फर और सत्यजीत दुबे की भूमिकाएं अहम् है। लेकिन, प्रस्थानम की सफलता की ऎसी आवश्यकता किसी दूसरे एक्टर को नहीं होगी। ऐसा नहीं कि संजय दत्त की रिलीज़ होने वाली आखिरी फिल्म है प्रस्थानम ! प्रस्थानम के बाद, इसी साल संजय दत्त की एक ऐतिहासिक फिल्म पानीपत भी रिलीज़ होगी। अगले साल उनकी तीन फ़िल्में सड़क २, केजीएफ़ चैप्टर २ तथा भुज: द प्राइड ऑफ़ इंडिया भी रिलीज़ होनी हैं। उन्होंने कुछ दूसरी फ़िल्में भी साइन कर ली है। जिनका ऐलान होना बाकी है। इसके बावजूद, संजय दत्त को प्रस्थानम की सफलता की आवश्यकता है। क्योंकि, बॉम्बे सीरियल बम ब्लास्ट में मिली अपने हिस्से की सज़ा पूरी करने के बाद जेल से निकले संजय दत्त को फ़िल्में तो तत्काल मिल गई। लेकिन संजय इन फिल्मों को सफलता नहीं दिला सके। उनकी पहली वापसी फिल्म भूमि बुरी तरह से असफल हुई। अभी तक तिग्मांशु धुलिया की सफल हो रही सीरीज साहब बीवी और गैंगस्टर की तीसरी कड़ी भी बुरी तरह से असफल हुई। इस साल रिलीज़ हुई बड़े बजट की सितारों से भरी फिल्म कलंक भी पिट गई। ऐसे में अगर प्रस्थानम भी फ्लॉप हो गई तो फिल्मों में संजय दत्त की उपयोगिता पर सवाल होने लगेंगे। इसलिए संजय दत्त के लिए प्रस्थानम की सफलता सबसे ज़रूरी है। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि एक फ्लॉप फिल्म की रीमेक फिल्म कैसे सफल होगी ! बताते चलें कि प्रस्थानम, २०१० में रिलीज़ उस तेलुगु फिल्म का रीमेक है, जो बॉक्स ऑफिस पर लागत तक नहीं कमा पाई थी। 

No comments:

Post a Comment