दो नायकों
वाली फ़िल्में
यहाँ सवाल यह नहीं कि गाँधी जयंती पर एक हिंसक और सेक्सी दृश्यों वाली
फिल्म प्रदर्शित हो रही है। वॉर की कहानी दो नायकों कबीर और खालिद के इर्दगिर्द
घूमती है। इस फिल्म में धार्मिक समभाव का उपदेश दिया गया होगा। लेकिन, यहाँ सवाल
यह है कि बॉलीवुड अब क्यों नहीं दो हीरो वाली फ़िल्में बना रहा ? बॉलीवुड की
ज़्यादातर फ़िल्में या तो सोलो हीरो फिल्म होती है या मल्टी स्टारकास्ट फ़िल्में।
जबकि, कभी अंदाज़
(१९४९) से शुरू हुए दो हीरो (राजकपूर और दिलीप कुमार) वाली फिल्मों का सिलसिला
दीवार, सागर, राम लखन, अंदाज़ अपना
अपना, करण अर्जुन, दोस्ताना, जैसी सैकड़ों
फिल्मों तक चलता रहा। क्या वॉर के बाद यह सिलसिला बनेगा ?
दो हीरो/हीरोइन वाला त्रिकोण
दो हीरो फ़िल्में,
रोमांटिक ट्रायंगल के लिहाज़ से दर्शकों की पसंदीदा हैं। फिल्म अंदाज़ में, महबूब खान
ने पहली बार दिलीप कुमार,
राजकपूर और नर्गिस के ज़रिये रोमांटिक त्रिकोण का जो सिलसिला शुरू किया था, वह इस साल
प्रदर्शित होने जा रही सिद्धार्थ मल्होत्रा और रितेश देशमुख की अनोखी रोमांटिक एक्शन
फिल्म मरजावां तक जारी है। रोमांटिक त्रिकोण बनाने के लिहाज़ से वन्स अपॉन अ टाइम
इन मुंबई दोबारा (अक्षय कुमार, इमरान खान और सोनाक्षी सिन्हा), रोमांटिक
एक्शन फिल्म साहेब बीवी और गैंगस्टर (रणदीप हूडा, जिमी शेरगिल और माही शेरगिल), इश्किया
(नसीरुद्दीन शाह,
अरशद वारसी और माधुरी दीक्षित), न्यू यॉर्क (जॉन अब्राहम, नील नितिन
मुकेश और कटरीना कैफ),
दोस्ताना (जॉन अब्राहम, अभिषेक बच्चन और प्रियंका चोपड़ा), आदि फिल्मों
के नाम उल्लेखनीय हैं। इनमे अगर बर्फी (इलीना डिक्रूज़, प्रियंका
चोपड़ा और रणबीर कपूर),
कॉकटेल (दीपिका पादुकोण, डायना पेंटी और सैफ अली खान), मुझसे
दोस्ती करोगे (करीना कपूर,
रानी मुख़र्जी और हृथिक रोशन), चोरी चोरी चुपके चुपके (प्रीटी ज़िंटा, रानी
मुख़र्जी और सलमान खान) जैसी दो नायिकाओं वाली फिल्मों को भी जोड़ दिया जाए तो लिस्ट
कुछ लम्बी हो जाती है।
दोस्ती के लिए दो हीरो
दोस्तों वाली खालिस दोस्ती फिल्मों की बात की जाए तो याद आती है ताराचंद
बडजात्या के राजश्री प्रोडक्शन के बैनर तले फिल्म दोस्ती की। इस फिल्म में अंधे और
लंगड़े दो दोस्तों की दोस्ती की अनूठी कहानी फिल्माई गई थी। यह दोस्ती मुन्नाभाई
एमएमबीबीएस, शोले, आदि में
चोरी चकारी और धोखेबाजी के लिए है। अंदाज़ अपना अपना, करण अर्जुन, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, दीवाना
मस्ताना, अन्दर बाहर, राम लखन, हसीना मान
जायेगी, दीवार, आनंद, आदि फिल्मों
में कभी दो भाइयों और कभी दो दोस्तों की जोड़ी के रूप में देखने को मिलती है। दो
हीरो फिल्मों में इमोशन की काफी गुंजाईश होती है। खालिस बलिदानी दोस्ती (संगम, नमक हराम, राम अवतार)
भी हो सकती है या किसी गलत काम के लिए साथ भी हो सकता है। जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, संजय दत्त, गोविंदा, आदि
अभिनेताओं ने एक दूसरे के साथ ऐसी फ़िल्में खूब की हैं ।
कॉमेडी के लिए दो हीरो
मुन्नाभाई एमएमबीबीएस के दो दोस्त संजय दत्त और अरशद वारसी हास्य का साफ़
सुथरा संसार बुनते थे। इस लिहाज़ से अमिताभ बच्चन और धर्मेन्द्र की फिल्म चुपके
चुपके, अमोल पालेकर
और अशोक कुमार की छोटी छोटी सी बात, अनिल कपूर और गोविंदा के दीवाना मस्ताना, अक्षय कुमार
की सुनील शेट्टी की हेरा फेरी सीरीज की फ़िल्में, अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम की गरम मसला, गोविंदा की
दोहरी भूमिका वाली फिल्म जुड़वाँ तथा इस फिल्म का वरुण धवन के साथ रीमेक जुड़वाँ २, जॉन अब्राहम
और अभिषेक बच्चन की दोस्ताना, जॉन अब्राहम और अक्षय कुमार की देसी बॉयज, आदि दो
नायकों वाली फ़िल्में कॉमेडी के लिहाज़ से काफी सफल मानी गई।
जानते हैं अपनी ब्रांड वैल्यू
दरअसल,
यह सब ब्रांड वैल्यू का अहम् है कि कोई अभिनेता दूसरे अभिनेता के साथ
फ़िल्में करना नहीं चाहता. क्योंकि, एक को लगता है कि दूसरा उसकी ब्रांड वैल्यू
का फायदा उठा ले जाएगा। इसके अलावा, फिल्म निर्माताओं को भी सोलो हीरो फिल्म
बनाना आसान लगता है। क्योंकि, दो बड़े अभिनेता लेने का मतलब अहम् का टकराव भी हो
सकता है। दिलीप कुमार ने पैगाम के बाद राजकुमार और संघर्ष के बाद संजीव कुमार के
साथ कोई दो नायकों वाली फ़िल्में नहीं की। अलबत्ता, चरित्र नायक के तौर पर वह राजकुमार के साथ
सौदागर और संजीव कुमार के साथ विधाता ज़रूर की। इसके अलावा दूसरे हीरो के मुकाबले
अपनी भूमिका हलकी होने के कारण कोई अभिनेता फिल्म बनने से पहले ही छोड़ सकता है।
लेकिन, अगर फिल्म
छोड़ी नहीं तो पूरी शूटिंग के दौरान दोनों अभिनेताओं के बीच तनाव और टकराव होता
रहता है। बॉलीवुड की दोहरी भूमिका वाली फ़िल्में भी हिंदी फिल्म अभिनेताओं की
विस्तारवादी सोच का नतीज़ा है। क्योंकि, कोई बड़ा अभिनेता नहीं चाहता कि सामने वाले
की भूमिका मज़बूत नज़र आये और वह पिट जाए। ऐसे ताजातरीन उदाहरण संजू के रणबीर कपूर
और विक्की कौशल है। विक्की कौशल के अभिनय के सामने रणबीर कपूर थोडा दब से गए थे।
सलमान खान का मानना है कि आजकल अभिनेताओं की फीस काफी ज्यादा हो गई है। हर फिल्म
निर्माता के वश में नहीं है कि वह दो बड़े अभिनेताओं को लेकर फ़िल्में बनाए। सबसे बड़ी
बात, दोनों
अभिनेताओं में असुरक्षा की भावना दो हीरो फिल्मों के खिलाफ है।
कुछ ही बनी दो हीरो फ़िल्में
यही कारण है कि हालिया दिनों में दो नायकों वाली फ़िल्में बहुत कम बनी है।
अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम की फिल्म देसी बॉयज, रणवीर सिंह और और अर्जुन कपूर की फिल्म
गुंडे, शाहिद कपूर
और सैफ अली खान की फिल्म रंगून, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह की फिल्म पद्मावत, वरुण धवन और
जॉन अब्राहम की फिल्म दिशूम, अजय देवगन और इमरान हाश्मी की फिल्म बादशाओ, आमिर खान और
अमिताभ बच्चन की फिल्म ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान ऎसी ही कुछ फ़िल्में हैं। आने वाली सप्ताहों
में दो नायक/नायिका वाली फ़िल्में प्रदर्शित हो सकती हैं । इनमे, तपसी पन्नू और
भूमि पेडणेकर की फिल्म सांड की आँख, सिद्धार्थ मल्होत्रा और रितेश देशमुख की मरजावा,
भूमि पेडणेकर और यमी गौतम की बाला, सुशांत सिंह राजपूत और सैफ अली खान की जवानी
जानेमन, भूमि पेडणेकर और अनन्या पाण्डेय की पति पत्नी और वह, अक्षय कुमार और
दिलजीत दोसांझ की गुड न्यूज़, कंगना रानौत और ऋचा चड्डा की पंगा, टाइगर श्रॉफ और
रितेश देशमुख की बागी ३, अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की गुलाबो सिताबो, अजय
देवगन और रणबीर कपूर के साथ लव रंजन की अनाम फिल्म, आदि उल्लेखनीय फ़िल्में हैं ।
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