सिंधी फिल्म नकली शान (१९७१) से अपने भाई तुलसी रामसे के साथ फिल्म
निर्देशन में कदम रखने वाले श्याम रामसे का आज (१८ सितम्बर को) निधन हो गया। यह इत्तफ़ाक़ की बात है कि पिछले साल १३ दिसंबर को तुलसी रामसे का निधन हो गया था। कराची में, इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर चलाने वाले फतेहचंद यू
रामसिंघानी उर्फ़ ऍफ़ यू रामसे ने, भारत की
पहली शहीद फिल्म शहीद ए आज़म भगत सिंह (१९५४) और रुस्तम सोहराब (१९६३) के सह
निर्माण के बाद,
जब पूरी तरह से फिल्म निर्माण में कदम रखा तो अपने सात बच्चों को उनकी
रूचि के अनुसार काम बाँट दिए। गंगू रामसे को छायांकन में रूचि थी, वह कैमरामैन
बनाये गए। केशु रामसे उनके सह छायाकार
बने। किरण रामसे को ध्वनि संयोजन का काम
मिला। कुमार रामसे डबल ग्रेजुएट होने के
कारण स्क्रिप्ट राइटर बनाये गए।
इस प्रकार
से, श्याम रामसे
को अपने भाई तुलसी के साथ फिल्म निर्देशन का मौक़ा मिला। इन दोनों भाइयों की पहली फिल्म दो गज़ ज़मीन के
नीचे (१९७२) थी। इस फिल्म के निर्माण में
सातों रामसे भाइयों का योगदान थे। फिल्म
को बड़ी सफलता मिली। बॉलीवूड में रामसे
हॉरर का सिक्का जम गया। इसके बाद, इन दोनों
भाइयों ने अँधेरा,
दरवाज़ा,
और कौन,
गेस्ट हाउस,
दहशत,
सन्नाटा,
होटल,
घुंघरू की आवाज़,
आदि ढेरों हॉरर फ़िल्में
बनाई। इनमे ३डी सामरी, तहखाना, वीराना, पुरानी
हवेली, बंद दरवाज़ा
उल्लेखनीय हैं। श्याम रामसे ने १९९३ में टीवी पर द ज़ी हॉरर शो का निर्माण कर, टेलीविज़न पर
हॉरर शो की शुरुआत कर दी। उनकी आखिरी कुछ फिल्मों में धुंद : द फॉग, घुटन, बचाओ -
इनसाइड भूत है और नेबर्स उल्लेखनीय है।
रामसे बंधुओं की हॉरर फिल्मों का जलवा इस तथ्य से नज़र आता है कि १९८४ में
जब अमिताभ बच्चन,
अमज़द खान, राखी और
ज़ीनत अमान की प्रकाश महरा निर्देशित फिल्म लावारिस रिलीज़ हुई थी, उसी दिन
तुलसी और श्याम रामसे निर्देशित फिल्म पुराना मंदिर भी रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में सेक्स, ड्रामा, संगीत और भय
का ऐसा माहौल था कि दर्शक अमिताभ बच्चन की फिल्म देखने के बजाय पुराना मंदिर देखने
जा पहुंचता था।
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