Friday 23 October 2015

विदेशी टीवी पर देसी सितारे

आजकल  अमेरिका से भारत तक, बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा तहलका मचाये हुए हैं।  वह एबीसी नेटवर्क के शो 'क्वांटिको' में एफबीआई रिक्रूट अलेक्स परिश का किरदार कर रही हैं।  इस शो में दर्जन के करीब कई दूसरे किरदार भी हैं । लेकिन, फिलहाल फोकस प्रियंका चोपड़ा के करैक्टर पर ही है, जिस पर आतंकवादी हमले में शामिल होने का संदेह किया जा रहा है।  उसे इन आतंकियों को पकड़ने का मौका दिया जाता है। इस सीरियल में प्रियंका को एक्शन भी करना है और इमोशन भी दिखाना है ।  फिलहाल मीडिया में उनकी चर्चा हो रही है अपने गरम दृश्यों के लिए । बताते हैं  कि क्वांटिको में मिस चोपड़ा ने और भी काफी गर्मागर्म सीन किये हैं और बिकिनी पहनी है।  लेकिन, भारतीय दर्शकों तक यह दृश्य पूरी तरह से नहीं पहुँच पाएंगे।  जैसा कि उनके कार में सेक्स करने का सीन टोंड डाउन कर दिए गया था।  लेकिन, शेष पूरी दुनिया ने प्रियंका चोपड़ा के इस  कामुक अंदाज़ को देखा।  प्रियंका चोपड़ा कहती हैं, "मैं एक एक्टर और  एंटरटेनर हूँ।  इसलिए  मैं लगातार नई चुनौतियों को खोजते रहती हूँ।  मैं अपनी क्रिएटिविटी के लिए कोई सीमा तय करना नहीं चाहती।"  
क्वांटिको जैसा प्रचार नहीं !
ऐसा नहीं कि प्रियंका चोपड़ा से पहले कोई भारतीय सितारा विदेशी टीवी पर नहीं झिलमिलाया।  इस समय भी, क्वांटिको की धूम मची हुई है, बहुत से भारतीय सितारे विदेशी टेलीविज़न दर्शकों को अपनी प्रतिभा का कायल बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं। अलबत्ता, एबीसी के शो क्वांटिको की तरह इतना ज़बरदस्त प्रचार किसी दूसरे शो को नहीं मिला या इतना ज़ोरदार प्रचार नहीं किया गया।  विशाल भरद्वाज की २०११ में रिलीज़ फिल्म '७ खून माफ़' में प्रियंका चोपड़ा के शौहर वसीउल्लाह खान का किरदार निभाने वाले इरफ़ान खान दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर एक जापानी शो करने जा रहे हैं।  इस शो में इरफ़ान एक जज की भूमिका करेंगे। इरफ़ान कहते हैं, "मैं इस करैक्टर की छानबीन करने के लिए उत्साहित हूँ।" इस सीरियल को कैनेडियन डायरेक्टर रॉब डब्ल्यू किंग और डच डायरेक्टर पीटर वेर्होएफ कर रहे हैं।  क्या इस शो को इतना प्रचार मिला? जुरासिक वर्ल्ड के बाद इरफ़ान खान दुनिया के दर्शकों के जाने पहचाने बन गए हैं।  इरफ़ान ने 'द माइटी हार्ट', 'स्लमडॉग मिलियनेयर', 'द नेमसेक',  आदि ढेरों विदेशी फिल्में की हैं।  आजकल वह हॉलीवुड  फिल्म 'इन्फर्नो' की  शूटिंग में बिजी हैं। वह २०१० में  सीरीज 'इन ट्रीटमेंट' कर चुके हैं।  लेकिन, उनके किसी टीवी प्रोजेक्ट को इतनी धुंआधार पब्लिसिटी नहीं मिली, जितनी एबीसी के 'क्वांटिको' को मिली।  बीबीसी टीवी सीरीज 'इंडियन समर्स' का प्रसारण २७ सितम्बर से शुरू हो चूका है। क्वांटिको के मुकाबले कितने भारतीय दर्शकों को इस सीरीज की जानकारी हो सकी थी !
और भी हैं बॉलीवुड सितारे 
इरफ़ान खान ही नहीं बहुत से दूसरे बॉलीवुड सितारे हैं जो विदेशी टीवी पर चमक रहे हैं। अनुपम खेर तो विदेशी छोटे परदे पर बहुत लोकप्रिय हैं।  वह अपनी पत्नी किरण  खेर के साथ 'ईआर' के सिंगल एपिसोड में अभिनय कर चुके हैं ।  नेटफ्लिक्स पर साइंस फिक्शन ड्रामा 'सेंस ८' में तो अनुपम खेर के अलावा टीना देसाई, पूरब कोहली, मीता वशिष्ट और दर्शन जरीवाला जैसे इंडियन एक्टर्स की भरमार है। यह थ्रिलर सीरियल दुनिया के आठ भिन्न देशों के व्यक्तियों को एक कहानी में जोड़ने वाला है। शबाना आज़मी, पिछले दिनों बीबीसी वन की मिनी सीरीज कैपिटल की लंदन में शूटिंग कर चुकी हैं।  यह सीरीज जॉन लान्चेस्टर के इसी टाइटल वाले चर्चित उपन्यास पर आधारित है। हॉलीवुड और ब्रिटेन की कई फिल्मों  में अभिनय कर चुकी शबाना आज़मी की यह पहली टीवी सीरीज होगी। लंचबॉक्स की एक्टर निम्रत कौर ने आतंकवाद पर ड्रामा 'होमलैंड' में एक पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट तस्नीम कुरैशी का किरदार किया हैं।  अनिल कपूर तो काफी मशहूर हैं।  वह २०१० में एक्शन-थ्रिलर ' २४' में राष्ट्रपति ओमर हसन की भूमिका कर चुके थे।  इसी के बाद उन्होंने इस सीरीज को हिंदी में बनाया।  अब वह इसका दूसरा पार्ट बनाने जा रहे है।  वह एक एडल्ट एनिमेटेड सीरीज 'फैमिली गय में ग्रिफिन फैमिली के एक किरदार के लिए वॉयस ओवर कर रहे हैं।  अनिल कपूर कहते हैं, "ग्रिफिन फैमिली का हिस्सा बन कर मैं उत्तेजित हूँ।"
एशियाई चरित्रों के लिए 
अमेरिकी सीरीज में हिंदुस्तान के कलाकार खास तौर पर पाकिस्तानी या एशियाई भूमिका के कारण लिए जाते हैं। क्योंकि, उनकी शक्ल सूरत और हाव भाव इन किरदारों के आसपास के होते हैं। प्रियंका चोपड़ा क्वांटिको के लिए इसी लिए चुनी गई कि उनका अलेक्स परिश का किरदार भारतीय और कोकेशियान मिश्रित रक्त वाला है। इसी प्रकार से, अनिल कपूर का सीरीज '२४' में ओमर हसन, निम्रत कौर का 'होमलैंड' में तस्नीम खान का किरदार एशियाई लुक वाला हैं।  अक्षय खन्ना को शीत युद्ध के दौर का ड्रामा 'द अमेरिकन्स' में काम करने का मौका मिला तो  वह एक पाकिस्तानी अफसर बनाये गए, जो रूस का जासूस है । लिलेट दुबे १९३२ के भारत में ब्रितानी साम्राज्यवादी शासन के खात्मे पर ब्रिटिश सीरीज 'इंडियन समर्स' में रोशना दलाल का किरदार कर रही हैं ।  इस सीरीज का प्रसारण २७ सितम्बर से शुरू हो चूका है। इस सीरीज में रोशन सेठ और निकेश पटेल जैसे कुछ दूसरे भारतीय चेहरे भी नज़र आएंगे । लिलेट दुबे कहती हैं, "एक्टर्स भी चाहते हैं कि उनके काम को दूसरे देशों में भी देखा जाये।"    
कबीर बेदी जैसा कोई नहीं   
विदेशी टीवी पर हिंदुस्तानी एक्टर्स का अभिनय करना आज की बात नहीं।  हिंदुस्तानी एक्टर्स ने विदेशी टीवी पर हमेशा से धूम मचाई है, बशर्ते कि रोल एशियाई हो।  चालीस साल पहले, जब भारत में टेलीविज़न आज का जितना पॉपुलर नहीं था, कबीर बेदी ने इटैलियन मिनी टीवी सीरीज 'संदोकन' से सुदूर इटली में धूम मचा दी थी। जब वह इटली की सडकों गुजरते थे तो औरते उनके पीछे दौड़ लगाती थी। उनसे लिपटने को बेकरार होती थी। इस सीरीज में कबीर बेदी ने एक भारतीय राजकुमार संदोकान का किरदार किया था, जिस का राज्य ब्रितानी हुकूमत छीन लेती है।  वह बदला लेने के लिए समुद्री डाकुओं का नेता बन जाता है और ब्रितानी सेना पर हमले करता रहता है। इस सीरीज में कबीर बेदी काफी सेक्सी लगे थे। इसी लिए इतालवी औरतों में लोकप्रिय हुए। संदोकान को इतालवी भाषा में १३० मिनट की टीवी मूवी की तरह २२ दिसंबर १९७७ को प्रसारित किया गया। उन्होंने एक मिनी सीरीज 'रिटर्न ऑफ़ संदोकन'  भी की। कबीर बेदी जैसी लोकप्रियता शायद आज की प्रियंका चोपड़ा के लिए स्वप्न सामान ही होगी। कबीर बेदी ने अमेरिकी ओपेरा 'द बोल्ड एंड द ब्यूटीफुल' में प्रिंस ओमर  रशीद का किरदार भी किया।  ज़ाहिर है कि भारत के काबिल एक्टर्स की विदेशों में मांग है, लेकिन ख़ास देसी भूमिकाओं में।  'द बिग बैंग थ्योरी' के कुणाल नैयर, गेम ऑफ़ थ्रोन्स' की इंदिरा वर्मा और 'द गुड वाइफ' की आर्ची पंजाबी इसे पुख्ता करती हैं। एक्टर इरफ़ान खान की विदेशी सीरीज और  फिल्मों में जैसी मांग है, उससे वह हिंदुस्तानी मॉर्गन फ्रीमैन साबित होते हैं।  


अल्पना कांडपाल  

  

हिंदी फिल्मों में डांडिया और गरबा की धूम

नवरात्रि उत्सव मनाने के लिए देवी प्रतिमा के सामने होने वाला डांडिया डांस पंडालों से गुजर कर बॉलीवुड फिल्मों तक जा पहुंचा है।  आज की आधुनिक माहौल वाली हिंदी फिल्मों में भी डांडियां डिस्को डांडिया के रूप में भी मौजूद है।  यहाँ तक कि दक्षिण की फिल्मों में भी डांडिया और गरबा का मिला जुला डांस सीक्वेंस रखा जाता है।  १९९९ की कथीर निर्देशित तमिल फिल्म 'कांधलर धिनम' यानि वैलेंटाइन डे में गरबा और डांडिया का मिला जुला रूप देखा जा सकता है। इस  फिल्म को  तेलुगु  में 'प्रेमीकुला रोजु' और हिंदी में 'दिल ही दिल में'  टाइटल के साथ डब कर रिलीज़ किया गया था।  सोनाली बेंद्रे और कुणाल सिंह की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म के हिंदी संस्करण  के 'चाँद उतर आया है ज़मीन पे गरबे की रात में' गीत में डांडिया और गरबा का मिश्रण सोनाली बेंद्रे और कुणाल सिंह पर फिल्माया गया।  हालाँकि, 'दिल ही दिल में' फ्लॉप रही थी।  लेकिन, तमिल 'कांधलर धिनम' को ज़बरदस्त सफलता मिली थी। 
संजयलीला भंसाली की फिल्मों में डांडिया और गरबा 
फिल्मकार संजयलीला भंसाली की फ़िल्में आम तौर पर रोमांटिक होती है।  इसलिए, उनकी फिल्मों में डांडिया या गरबा या इसका मिला जुला रूप होना स्वाभाविक है।  उनकी फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' के 'ढोली तारो' गीत में सलमान खान और ऐश्वर्या राय के बीच का रोमांस बखूबी उभर कर आया है।  इस गीत को इस्माइल दरबार ने संगीतबद्ध किया है। इस जोड़े की जादूगरी है कि यह गीत आज भी डांडिया और गरबा पंडालों की शान बना हुआ है।  संजयलीला भंसाली ने फिल्म ' गोलियों की रासलीला राम-लीला' के 'नगाड़ा संग ढोल ' गीत में दीपिका पादुकोण पर गरबा का खूबसूरत चित्रण किया है।  भारी घेरदार लहंगा पहने दीपिका पादुकोण का यह डांस फिल्म को क्लाइमेक्स की ओर  बढ़ता है। इसी गीत में दीपिका और रणवीर सिंह एक दूसरे को आमने सामने से देखते हैं।  चूंकि, संजयलीला भंसाली को गरबा और डांडिया से लगाव है, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि उनकी नई फिल्म' बाजीराव मस्तानी' में भी कोई एक गीत डांडिया-गरबा शैली  में होगा।  
बॉलीवुड सुपर स्टार्स का डांडिया और गरबा 
बॉलीवुड के तमाम सुपर स्टार डांडिया और गरबा कर चुके हैं।  सलमान खान का ज़िक्र तो किया ही जा चूका है। सलमान  खान के बाद, उनके दोस्त आमिर खान ने भी फिल्म 'लगान' में गरबा शैली में ग्रेसी सिंह के साथ 'राधा कैसे न जले' गीत में  नृत्य किया। धीमी गति की डांस शैली मैं  यह गीत आमिर और ग्रेसी सिंह के बीच छेड़-छाड़ और मान-मनुहार का बढ़िया चित्रण करता है।  इस गीत के संगीतकार ए आर रहमान हैं। आमिर खान १९८९ में रिलीज़ फिल्म 'लव लव लव' में 'डिस्को डांडिया' गीत पर नृत्य कर चुके थे। आमिर खान के साथ जूही चावला पर फिल्माया गया यह गीत भी डांडिया पंडालों में हिट है।  फिल्म 'आप मुझे अच्छे लगाने लगे' में फिल्म के नायक नायिका नवरात्र उत्सव में अपने घर वालों से छुप कर मिलने आते हैं। इस गीत में इंडस्ट्री के एक दूसरे सुपर स्टार ह्रितिक रोशन अभिनेत्री अमीषा पटेल के साथ 'ओ री गोरी' गीत पर नृत्य करते हैं।  इसी गीत में अमीषा के भाई आ जाते हैं और इन दोनों को भागना पड़ता है।  राजश्री प्रोडक्शंस की सूरज बड़जात्या निर्देशित फिल्म 'मैं प्रेम की दीवानी हूँ' में नायिका करीना कपूर स्टेज पर ऋतिक रोशन के लिए 'बनी बनी  मैं तो बनी' गीत पर गरबा करते हुए अपने प्यार का इज़हार करती है। इस गीत में पारम्परिक धुनों और आधुनिक ताल का मिश्रण सुनने  को मिलता हैं।  अमिताभ बच्चन और रेखा की मनमोहन देसाई निर्देशित फिल्म 'सुहाग' में भी इन दोनों सुपर स्टारों पर एक डांडिया गीत 'नाम रे  सबसे बड़ा तेरा नाम' फिल्माया गया था।  यह दुगा पूजा पंडाल में फिल्माया गया गीत है। 'प्रतिकार' फिल्म के 'चिट्ठी मुझे लिखना' गीत को डांडिया शैली में अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित के साथ फिल्माया गया।  बाद इस गीत से पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहसिन खान और सोनू वालिया भी आ जुड़ते हैं।   श्रीदेवी पर फिल्माया गया फिल्म 'चाँद का टुकड़ा' का 'आज राधा को शाम याद आ गया' को डांडिया गीत बताया जाता है।  लेकिन, यह विशुद्ध डांडिया नहीं है।  
डांडिया और गरबा में भक्ति भाव  
सुहाग का गीत देवी मंदिर में फिल्माया गया गीत है।  इसमें भक्ति के साथ साथ फिल्म को अहम् मोड़ भी दिया गया है।  कुछ ऐसे ही गीत दूसरी फिल्मों में भी फिल्माए गए हैं।  शोले के दौरान सुपर हिट साबित होने वाली, कम बजट की फिल्म 'जय संतोषी माँ' का शीर्षक गीत भक्ति गीत है जिसे सामने खड़े श्रद्धालुओं पर फिल्माया गया है।  फिल्म 'क्रांतिवीर' का एक गीत 'जय अम्बे जगदम्बे माँ' गीत भी भक्ति गीत के तौर पर फिल्माया गया है।  आम तौर पर ऐसे गीत दर्शकों की धार्मिक भावनाओं के लिए एक आइटम के तौर पर फिल्माए गए हैं। 'काई पो चे' का परी हूँ मैं गीत रीमिक्स कर पूजा पंडाल में राजकुमार राव और अमृता पूरी पर फिल्माया गया था।  गुरिंदर चड्ढा की फिल्म 'ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस' में 'डोला डोला' गीत पर ऐश्वर्या राय अपने को-स्टार माइक एंडरसन के साथ डांडिया धुन पर थिरकी थी।  केतन देसाई की फिल्म 'मिर्च मसाला' में गरबा शैली का एक नृत्य स्मिता पाटिल, दीप्ति नवल और पाठक बहनों सुप्रिया और रत्ना पाठक पर फिल्माया गया।  
शाहरुख खान ने अभी तक किसी फिल्म में गरबा या डांडिया शैली में कोई डांस नहीं किया है।  लेकिन, सूत्र  
बताते यहीं कि वह निर्देशक राहुल ढोलकिया की आगामी फिल्म 'रईस' में गरबा करते नज़र आएंगे।  यह फिल्म गुजरात के एक गैंगस्टर पर रियल लाइफ फिल्म है।  इस गीत को शाहरुख खान ने घुटनो पर चोट के बावजूद पूरा किया।  फिल्म में  उनकी  नायिका पाकिस्तान की माहिर खान हैं।  
हिंदी फिल्मों में डांडिया या गरबा गीत भक्ति, इश्क मोहब्बत और ग्लैमर का प्रतीक हैं।  इन गीतों में गाढ़े और चटख रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।  भारी वस्त्राभूषण इसकी खासियत होते।  गहरे रंग दर्शकों का ध्यान आकृष्ट करते हैं। तेज़ और मिश्रित बीट पर नृत्य क्लब और पूजा पंडालों में जल्द पॉपुलर हो जाते हैं।  इसके बावजूद बॉलीवुड यह दावा नहीं करता कि वह विशुद्ध डांडिया या गरबा दिखा रहा है।  ज़्यादातर फिल्मों में तो इन दोनों नृत्य शैलियों की घालमेल हुई है।  इसके बावजूद यह गीत दर्शनीय बन पाते हैं।  तभी तो तमाम सुपर स्टार अभिनेता अभिनेत्री इन गीतों पर थिरकने से मना नहीं कर पाते।  


राजेंद्र कांडपाल  



'शानदार' नहीं है विकास बहल की फिल्म

जब कोई खुद की सफलता पर अति मुग्ध हो जाता है. जिस पर फैंटम फिल्म के अनुराग कश्यप और करण जौहर का प्रभाव हो, वह विकास बहल हो जाता है और 'शानदार' बनाता है . फिल्म में अनुराग कश्यप का प्रभाव है तो संजय कपूर का किरदार हमेशा बन्दूक हाथ में लिए रहता है . दादी फायरिंग करने की कल्पना करती रहती है . वह जवान शाहिद कपूर को देख कर मुग्ध हो जाती है. करण जौहर के प्रभाव से गे और लेस्बियन किरदार हैं. खुद करण जौहर बकवास किस्म का काफी विथ करण खेल रहे हैं . इस फिल्म में विशाल भरद्वाज की फिल्म 'मटरू की बिजली का मंडोला' वाली बकवास भी है.एक से एक बेसिर पैर के सीन हैं .खुद को महान एक्टर समझ चुके शाहिद कपूर हैं. उन्हें अभिनय करते देख कर पता चलता रहता है कि वह अपने ज़बरदस्त (!) अभिनय की चाशनी टपका रहे हैं . जिसे एक रत्ती भी अभिनय नहीं आता, वह आलिया भट्ट हैं. कोई नदारद है तो वह है विकास बहल. विश्वास नहीं होता कि 'क्वीन' जैसी ज़बरदस्त फिल्म बनाने वाला विकास बहल ऎसी बकवास और उकताऊ फिल्म बना सकता है . फिल्म का केवल एक उजागर पक्ष है, वह है शाहिद कपूर की सौतेली बहन और पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक की बेटी सना कपूर. इस लड़की में सम्भावनाये हैं. पंकज कपूर कहीं कहीं जमे हैं . विकास बहल ने अलिया जगजिंदर के साथ सो गई जैसे प्रसंग रच कर हास्य पैदा करने की असफल कोशिश की है. अलिया भट्ट रात में सो नहीं पाती, वह रजाई ओढ़ बत्ती जला कर केला खाती है. इसका क्या मक़सद विकास ने बताया नहीं. संगीत अच्छा है, लेकिन गीत ठूंसे हुए हैं. 
फिल्म देखनी है ! देख आओ. देख लेना कि अंटी में फालतू पैसे हैं !

रवि किशन अंजना सिंह फिर साथ साथ

भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन व हॉट केक अंजना सिंह चार साल के अंतराल के बाद एक बार फिर दिखेंगे फ़िल्म लव और राजनीति में । निर्देशक हर्ष राज की यह फ़िल्म अब प्रदर्शन के लिए तैयार है । इस फ़िल्म में अंजना सिंह पहली बार एक पॉलिटिशियन की भूमिका में दिखेंगी । उल्लेखनीय है की अंजना ने अपनी फ़िल्मी कैरियर की शुरुवात रवि किशन के साथ ही 2011 में फ़िल्म फौलाद से की थीं । उस फ़िल्म के बाद रवि किशन और अंजना सिंह ने अलग अलग 30 से भी अधिक फिल्में की लेकिन एक दूसरे के अपोजिट काम करने का मौक़ा नहीं मिला । हालांकि दोनो ने ही आज के दौर के चर्चित निर्देशक व लेखक संतोष मिश्रा की बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म कइसन पियवा के चरित्तर बा में साथ साथ काम किया था पर उस फ़िल्म में रवि किशन के अपोजिट थी भोजपुरी फिल्मो की रानी कही जाने वाली रानी चटर्जी । अंजना के अनुसार रवि किशन जैसे ऊर्जावान अभिनेता के साथ काम करने वाले हर कलाकारों में नयी ऊर्जा का संचार होता है और उनके लिए यह ख़ुशी की बात है की देर से ही सही एक बार फिर उन्हें रवि किशन के साथ काम करने का मौक़ा मिला ।

प्राची देसाई पहली 'रॉकऑन' से दूसरी 'रॉक ऑन' तक

ज़ी टीवी के लोकप्रिय सीरियल 'कसम से' की बानी वालिया के किरदार से ज़बरदस्त लोकप्रियता हासिल करने के बाद प्राची देसाई ने फिल्मों की और छलांग लगा दी।  इसमे उनकी मदद की उनकी फिल्म एंड टीवी प्रोडूसर दोस्त एकता कपूर ने।  उनको पहली फिल्म मिली रॉक बैंड मैजिक के चार दोस्तों की कहानी 'रॉक ऑन' में एक दोस्त आदित्य (फरहान अख्तर) की पत्नी साक्षी की भूमिका वाली । इस फिल्म में उन्हें साड़ी पहन कर गृहस्थन बनना था।  जो उनकी 'कसम से' इमेज के अनुरूप भी था।  फिल्म हिट हुई।  लेकिन, प्राची देसाई ठीक वैसी हिट नहीं हो पाई, जैसी उन्हें 'रॉक ऑन' के बाद 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई' के भी हिट होने पर हो जाना चाहिए था।  आज प्राची देसाई 'रॉक ऑन' से 'रॉक ऑन २' तक का सफर तय करने जा रही हैं।  इस बीच उन्होंने 'लाइफ पार्टनर', 'आई मी और मैं'  तथा 'पोलिसगिरी' जैसी फ्लॉप फ़िल्में की।  केवल 'बोल बच्चन' उनकी हिट फिल्म थी।  उसमे भी असिन हिस्सा बाँट कर रही थी।  एक दूसरी हिट फिल्म 'एक विलेन' में उन्होंने एक सेक्सी आइटम  किया था।  इस असफलता ने उन्हें ग्लैमर का तड़का कुछ ज़्यादा लगाने के लिए प्रेरित किया है या कहिये कि मज़बूर किया है । 'रॉक ऑन २' में भी वह 'रॉक ऑन' वाली साक्षी ही हैं।  लेकिन, रंग ढंग बदले हुए हैं। उन्होंने साड़ी के बजाय शॉर्ट्स पहने हैं।  वह ज़्यादा स्टाइलिश और सजीली लग रही हैं।  कभी अपने लम्बे  बालों के लिए मशहूर प्राची देसाई ने 'रॉक ऑन २' की साक्षी को स्टाइलिश बनाने के लिए अपने बाल भी छोटे करवा लिए हैं (देखें फोटो) ।  यह प्राची देसाई की मज़बूरी ही है।  क्योंकि, 'रॉक ऑन २' में श्रद्धा कपूर भी आ गई हैं।  दर्शकों की श्रद्धा प्राची देसाई से ज़्यादा इस 'कपूर' पर है । सूत्र बताते हैं कि श्रद्धा कपूर की भूमिका प्राची के मुकाबले में ज़्यादा मज़बूत और महत्वपूर्ण है ।  देखिये, 'रॉक ऑन' से शुरुआत करने वाली प्राची देसाई 'रॉक ऑन २'  में क्या गुल खिलाती है ! 

क्या 'मैं और चार्ल्स' का तौलिया बदल पायेगा ऋचा चड्डा की इमेज !

बता रहे हैं कि प्रवाल रमन की ३० अक्टूबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में ऋचा चड्डा बोल्ड या द बोल्ड नहीं, बल्कि बोल्डेस्ट अवतार में नज़र आयेंगी।  वह फिल्म में एक लॉ स्टूडेंट मीरा का किरदार कर रही हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय ठग चार्ल्स शोभराज के व्यक्तित्व से सम्मोहित है।  वह चार्ल्स की मीठी मीठी बातों और आकर्षक सपनों का शिकार हो जाती हैं। चूंकि, वह चार्ल्स पर मुग्ध हैं, इसलिए वह उसके लिए सब कुछ करने के लिए तैयार है।  ऐसे किरदार को करने के लिए अभिनेत्री को भी कुछ भी करना पड़ता है ।  'मैं और चार्ल्स' में ऋचा का बोल्डेस्ट अवतार मीरा के किरदार का प्रभाव है।  ऋचा ने फिल्म के प्रमोशन के दौरान फिल्म में चार्ल्स का किरदार कर रहे रणवीर हुड्डा के साथ नकली स्मूचिंग सीन करके यह आभास दे दिया था कि उनका किरदार कितना गर्म होगा। 'मैं और चार्ल्स' में उनके स्टिल फोटोग्राफ रणदीप हुड्डा के साथ बिस्तर पर हैं। इनमे वह अपने शरीर पर केवल एक तौलिया लपेटे नज़र आ रही हैं।  'मैं और चार्ल्स' ऋचा को कितनी हॉट एक्ट्रेस बनाएगी, यह तो वक़्त बताएगा।  लेकिन, यह ऋचा के वक़्त की ही पुकार है कि उन्हें इस प्रकार के सीन करने पड़ रहे हैं ।  'ओये लकी लकी ओये' में उनका चंचल किरदार, गंग्स ऑफ़ वासेपुर में उनका एक गैंगस्टर की तेज़ तर्रार बीवी का किरदार और 'गोलियों की रासलीला :राम-लीला' में उनका रसीला का इमोशनल किरदार उनके करियर को ख़ास फायदा नहीं पहुंचा पाया है।  मसान में उनकी भूमिका प्रभावशाली नहीं बन सकी थी।  ऐसे में उन्हें 'मैं और चार्ल्स' में अपना सब कुछ दांव पर लगाना ही था।  जो उन्होंने लगा दिया है।  आगे भी उनकी अभिनय क्षमता की नहीं सेक्स अपील की परीक्षा होगी।  पूजा भट्ट की फिल्म 'कैबरे' में वह एक कैबरे डांसर के किरदार में हैं।  ज़ाहिर है कि 'स्किन शो' तो करना ही होगा। सुधीर मिश्र की फिल्म 'और देवदास' में वह आधुनिक पारो के किरदार में हैं।  बताते हैं कि यह पारो शरतचंद्र के पारो से बिलकुल अलग है।  मतलब साफ़ है कि ऋचा चड्डा को ही अब साबित करना है कि वह अभिनय करना चाहेंगी कि और दो चार फिल्मों में अपनी सेक्स अपील का प्रदर्शन कर ट्विटर के पन्नो तक सीमित हो जाना चाहेंगी।

Wednesday 21 October 2015

हेलेन : एक सेंसुअस कैबरे डांसर

हेलेन का नाम लेते ही शोले की 'महबूबा महबूबा' याद आ जाती है।  थोडा पीछे जाए 'तीसरी मंजिल' में शम्मी कपूर के साथ थिरकती 'हसीना जुल्फों' वाली का थिरकता बदन आँखों के आगे घूम जाता है।  फिर फ़ास्ट फॉरवर्ड करते हैं। अमिताभ बच्चन को लेकर चंद्रा बारोट ने बनाई थी 'डॉन' । इस फिल्म का गीत 'छोरा गंगा किनारे वाला' अमिताभ के मस्त डांस की बदौलत हिट हुआ था।  लेकिन, हेलेन पर फिल्माया गया 'ये मेरा दिल प्यार का दीवाना' कहाँ पीछे था।  तेज़ बीट को थिरकने में पीछे छोड़ती लग रही थी।  २८ साल बाद फरहान अख्तर ने जब डॉन का रीमेक बनाया तो हेलेन वाला डांस करीना कपूर से करवाया।  करीना एक बड़ी ग्लैमरस एक्ट्रेस है।  उनकी थिरकन में सेक्स अपील है।  लेकिन, न जाने क्यों उन्हें देखते हुए हेलेन याद आ रही थी।  यही तो हेलेन के डांस की खासियत है।  वह हर प्रकार के डांस कर सकती है।  जिस डांस नंबर पर वह थिरकती है, वह उनका हो कर रह जाता है।  दूसरे विश्व युद्ध में पिता के मारे जाने के बाद, २१ अक्टूबर १९३९ को जन्मी हेलेन को लेकर उनकी माँ बर्मा से भारत चली आई थी।  माँ नर्स थी।  फिर भी घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा था।  ऐसे में हेलेन को पढ़ाई छोड़ कर कुछ कमाने के लिए निकलना पडा।  उस समय की बड़ी डांस कुकु पारिवारिक मित्र थी।  कुकु ने हेलेन को फिल्मों में डांस करने की सलाह दी। हालाँकि, कुकु की मदद से हेलेन को फ़िल्में मिलने लगी। लेकिन, इनमे उन्हें भीड़ के बीच कदम थिरकाने पड़ते थे। उनकी पहली सोलो डांसर फिल्म १९५३ में रिलीज़ 'अलिफ़ लैला' थी।  गीत था आशा भोंसले का गया 'राते प्यार की बीत जाएंगी'। इस फिल्म के बाद हेलेन का सितारा चमकने लगा।  'हावड़ा ब्रिज' का ओ पी नय्यर का संगीत बद्ध गीत 'मेरा नाम चिन चिन चू' बड़ा हिट गीत  साबित हुआ।  इस गीत के बाद हेलेन कैबरे क्वीन का बतौर  मशहूर हो गई।  एक समय ऐसा आया, जब बॉलीवुड में डांस जानने वाली अभिनेत्रियां आने लगी।  इसके कारण हेलेन को काम  मिलना काफी काम हो गया।  ऐसे समय में सलीम खान ने हेलेन की मदद की।  सलीम खान के कारण हेलेन को ईमान धरम, डॉन और दोस्ताना जैसी फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला।  महेश भट्ट ने फिल्म लहू के दो रंग में हेलेन को विनोद खन्ना की नायिका बना दिया। इस फिल्म  के लिए हेलेन को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। हेलेन ने कई फिल्मों में वैम्प की भूमिकाएं की।  यहाँ एक दिलचस्प तथ्य यह है कि हेलेन ने १९६१ की फिल्म 'सम्पूर्ण रामायण' में सुपर्णखा का किरदार किया था। सत्तर के दशक में  पद्मा खन्ना, जयश्री टी, बिंदु, अरुणा ईरानी और कल्पना अय्यर जैसी कम डांसर्स के आ जाने के बाद फिल्मों में हेलेन की मांग घट गई।  उम्र भी उन पर भारी पड़ रही थी।  इसलिए, उन्होंने धीरे धीरे डांस करना बिलकुल काम कर दिए।  वह १९८३ में फिल्मों से दूर हो गई। फिर उन्होंने २००० में मोहब्बते फिल्म से छोटी छोटी भूमिकाएं करना शुरू कर दिया। उन्होंने संजयलीला भंसाली की फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' में  सलमान खान की माँ का किरदार किया था, जो रियल लाइफ में उनके सौतेले बेटे है। हेलेन ने अपने जीवन में ५०३ फिल्मों में डांसर, नायिका, खल नायिका, कैबरे  और चरित्र भूमिकाये की।  





याहू स्टार शम्मी कपूर ! जो साइबर प्रेमी था

शम्मी कपूर, हिंदी फिल्मों के रिबेलियन हीरो यानि विद्रोही नायक थे। उनके समय से पहले तक का नायक अपनी नायिका के लिए रोता, सुबकता और बिछुड़ता ट्रेजेडी किंग जैसा  था।  शम्मी कपूर ने इस नायक की इमेज बंदलने की सफल कोशिश की।  उन्होंने, नायक को समाज और परिवार का विरोध करना सिखाया।  वह नायिका  लिए मार खा सकता था, लेकिन उससे बिछुड़ना उसे मंजूर नहीं था।  शम्मी कपूर को डांस में महारत हासिल थी।  धीमी धुनों वाले गीतों में भी वह कुछ ऐसा थिरकते थे कि  सिनेमाघरों में बैठे दर्शक तक झूम उठते थे।  उनका  चेहरा और हाव भाव गीतों के बोलों को  पहचान देते थे।  इसीलिए, उन्हें बॉलीवुड का एल्विस प्रेस्ले भी कहा जाता है। उन्हें बाद में याहू स्टार भी कहा गया।  सायरा बानो की डेब्यू फिल्म 'जगंली' में वह उनके ऐंठू नायक बने थे।  इस फिल्म के एक गीत 'चाहो कोई मुझे जंगली कहे' में निकाली गई 'याहू' की आवाज़ ने उन्हें दर्शकों में लोकप्रिय बनाया था। इस गीत पर उनका यादगार झूमना उन्हें याहू स्टार भी बना गया। लेकिन, यह बताने की ज़रुरत है कि शम्मी कपूर की पहचान बनी याहू आवाज़ उनकी नहीं, बल्कि पृथ्वी थिएटर के एक कलाकार पराग राज की थी। कहने का मतलब यह कि शम्मी  कपूर को अपनी फिल्मों और अभिनय शैली के ज़रिये जितने खिताब मिले वह अपने आप में काबिल ए तारीफ हैं।  लेकिन, शायद कम लोग जानते हैं कि हिंदुस्तान में इंटरनेट लाने का पहला प्रयास शम्मी कपूर ने किया था।  भारतीय विदेश संचार निगम ने १५ अगस्त १९९५ से इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा शुरू की।  लेकिन, इससे एक साल पहले ही शम्मी कपूर इंटरनेट के ज़रिये काम किया करते थे।  उन्होंने मुंबई के एक पांच सितारा होटल में लीज पर टीसीपी/आईपी लाइन लेकर पहले साइबर कैफ़े की स्थापना की।  उन्होंने इंटरनेट यूजरस  कम्युनिटी ऑफ़ इंडिया के स्थापना की।  वह इसके आजीवन चेयरमैन रहे।  उन्होंने साइबर अपराधों को रोकने के लिए एथिकल हैकर्स एसोसिएशन की स्थापना में अपना महत्वपूर्ण योगदान किया।  उन्होंने कपूर परिवार को समर्पित एक वेब साइट भी तैयार की। आज अगर शम्मी कपूर जीवित होते तो अपनी ८४वी वर्षगाँठ मना रहे होते।







हिंदुस्तान की पहली डेस्टिनेशन वेडिंग फिल्म 'शानदार'

इस शुक्रवार निर्देशक विकास बहल की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'शानदार' रिलीज़ हो रही है।  इस फिल्म में पहली बार शाहिद कपूर और अलिया भट्ट की रोमांटिक जोड़ी बन रही है।  यह भारत की पहली डेस्टिनेशन वेडिंग फिल्म होगी।  इस प्रकार की शादी पारम्परिक शादी से अलग दोनों पक्षों के घरों से कहीं दूर जगह पर की जाती है।  इसमे दोनों  तरफ के मेहमानों को किसी स्थान पर खुद ही पहुँचना होता है। इस शादी के मेहमान कई  दिनों तक रुक सकते हैं। २००९ की मंदी के दौर में डेस्टिनेशन वेडिंग काफी सफल रही थी, क्योंकि, इसे कम खर्च में किया जा सकता था। हॉलीवुड में डेस्टिनेशन वेडिंग थीम पर 'फादर ऑफ़ ब्राइड', '१६ कैंडल्स', 'द प्रिंसेस ब्राइड', 'ब्लू हवाई', 'यू  मी एंड डुप्री', 'मामा मिया', आदि ढेरों फ़िल्में बनाई गई हैं और यह खासी सफल भी हुई हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग का पूरा इंतज़ाम करने का जिम्मा वेडिंग प्लानर के कन्धों पर होता है।  'क्वीन' जैसी रोचक फिल्म बनाने वाले अमित बहल की इस फिल्म में  शाहिद कपूर वेडिंग प्लानर बने हैं।  इस लिहाज़ से गीत, नाच, रोमांस और हास्य से भरपूर फिल्म 'शानदार' हिंदी दर्शकों का मनोरंजन करेगी।  ख़ास बात यह है कि इस फिल्म में शाहिद कपूर पहली बार अपने पिता पंकज कपूर के सामने अभिनय कर रहे हैं।  अलबत्ता, उन्होंने पंकज कपूर के निर्देशन में फिल्म 'मौसम' में अभिनय ज़रूर किया था।  सौतेली माँ सुप्रिया पाठक से बहन सना कपूर भी फिल्म में अलिया भट्ट की सहेली ईशा का किरदार कर रही हैं।  इस प्रकार से पंकज कपूर परिवार के तीन सदस्य फिल्म में एक साथ दिखाई देंगे । सना कपूर पर तो 'गुलाबो' जैसा हिट गीत भी फिल्माया गया है। लेकिन, पाठकों के लिए दिलचस्प खबर यह है कि शाहिद कपूर और पंकज कपूर की फिल्म 'शानदार' के सामने निर्देशक मिलिंद उके की मार्शल आर्ट्स पर फिल्म 'रणवीर: द मार्शल' रिलीज़ हो रही है। शाहिद कपूर इन्ही मिलिंद उके की फिल्म 'पाठशाला' के नायक थे।  लेकिन, असल खबर यह नहीं, दूसरी है।  'रणवीर द मार्शल' के हीरो अभिनेता ऋषि हैं।  लेकिन, फिल्म में राजेश खट्टर राणा की ख़ास  भूमिका में हैं।  राणा ही मार्शल आर्ट्स की प्रतियोगिता करवा कर दौलत कमाता है। यह फिल्म हंगर गेम्स सीरीज की फिल्मों से प्रेरित लगती है। शाहिद कपूर की फिल्म के सामने राजेश खट्टर की फिल्म का होना ही ख़ास खबर है। जहाँ पंकज कपूर शाहिद कपूर के सगे पिता हैं, वहीँ राजेश खट्टर उनके सौतेले पिता हैं।  शाहिद की माँ नीलिमा अज़ीम ने पंकज कपूर से तलाक़ लेने के बाद राजेश खट्टर से शादी की थी। नीलिमा और राजेश से ईशान खट्टर का जन्म हुआ।  ईशान और शाहिद फिल्म 'वाह ! लाइफ हो तो ऎसी !' में अभिनय कर चुके हैं।  इसका मतलब यह हुआ कि २२ अक्टूबर को अपने अपने एक फिल्म में साथ होंगे और दूसरी फिल्म के सौतेले से भिंडेंगे।  वाह ! क्या शानदार होगी रणवीर द मार्शल से भिड़ंत !  देखिये, 'रणवीर द मार्शल' का ट्रेलर -



बदल जाएगी गोकुल धाम कॉलोनी

पिछले सात सालों से, सोनी सब पर कॉमेडी सीरियल  'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' की गोकुल धाम सोसाइटी में एक रत्ती भी बदलाव नहीं हुआ है।  किरदार नए आये, पुराने बदले और कुछ की उम्र बढ़ गई।  लेकिन, सोसाइटी के मकान वैसे के वैसे ही रहे।  अब सुनाई पड़ रहा है कि गोकुल धाम सोसाइटी के दिन बहुरने वाले हैं।  घर दीवारों से टपकने वाले रंगो और टूटे दरवाज़ों से जूझते गोकुल धाम के निवासियों के लिए खुश खबर है।  अब बहुत ही जल्द गोकुलधाम सोसाइटी में  रहने वालो लोंगो के घरो की मरम्मत होगी। उनके घरो का नक्शा पूरी तरह से बदल जायेंगा ।  सभी के घरो को पूरी तरह से नया बनाया जा रहा है । सीरियल के निर्माता असित कुमार मोदी कहते हैं," पिछले ७ सालो से दर्शको ने जेठालाल, भिड़े, बबिता, तारक मेहता, पोपटलाल, डॉ हांथी और सोढ़ी के घरो में कुछ बदलाव नही देखा है। जबकि, निजी जीवन में लोग इतने सालो में अपने घरो में कुछ न कुछ बदलाव कर लेते है । लोगों के घरों का कलर से लेकर फर्नीचर तक जाता है । उसी के चलते  गोकुलधाम सोसाइटी के घरो का भी नूतनीकरण किया जा रहा है ।" सीरियल 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के किरदार अपने अस्थाई घरों से ऊबे हों या न ऊबे हों, दर्शक ज़रूर ऊब गए हैं। यह बदलाव इसी का परिणाम है। 

'डाई हार्ड ६' में युवा जॉन मैकक्लेन भी होगा

हॉलीवुड में धुंआधार एक्शन फिल्म सीरीज 'डाई हार्ड' की छठी क़िस्त बनाने की तैयारी जोरो पर है।  फिल्म का निर्माता स्टूडियो ट्वंटीएथ सेंचुरी फॉक्स की सीरीज की चौथी फिल्म 'लाइव फ्री ऑर डाई हार्ड' के निर्देशक लेन वाइजमैन से बातचीत चल रही है कि वह फ्रैंचाइज़ी में वापसी कर छठी फिल्म की कमान सम्हाले।  'डाई हार्ड 6' काफी हद तक प्रेकुएल फिल्म भी होगी।  क्योंकि, इस फिल्म में १९७९ का न्यू यॉर्क शहर भी दिखाया जायेगा। इसलिए, दर्शकों को आज के ब्रूस विलीस का मैकक्लेन  भी नज़र आयेगा और उनका युवा अवतार भी।  लेकिन, फिल्म का यह युवा अवतार ब्रूस विलीस विग पहन कर नहीं करेंगे, बल्कि कोई युवा अभिनेता इस किरदार को करेगा।  यह अभिनेता कौन होगा, अभी तय नहीं हुआ है। डाई हार्ड सीरीज की पहली फिल्म 'डाई हार्ड' १५ जुलाई १९८८ को रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म का बजट २८ मिलियन डॉलर था।  फिल्म ने वर्ल्डवाइड १४०.८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया था।  यह फिल्म १३२ मिनट लम्बी थी। दो साल बाद यानि ४ जुलाई १९९० को 'डाई हार्ड 2' रिलीज़ हुई।  १२४ मिनट की इस फिल्म के निर्माण में ७० मिलियन डॉलर खर्च हुए थे।  फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर २४० मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया। डाई हार्ड सीरीज की पांचवी फिल्म को बनने में पांच साल लग गए।  डाई हार्ड विथ अ वेनजिअंस' १९ मई १९९५ को रिलीज़ हुई।  इस फिल्म के निर्माण में ९० मिलियन डॉलर खर्च हुए थे।  लेकिन, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर केवल ३६० मिलियन डॉलर ही कमा सकी।  अब डाई हार्ड सीरीज की फिल्मों के फ्रंट पर ख़ामोशी छा गई।  एक दशक बाद 'लाइव फ्री ऑर डाई हार्ड' बनाने की शुरुआत हुई।  फिल्म ने ११० मिलियन डॉलर खर्च कर ३८३ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया। सीरीज की पहली का निर्देशन जॉन मेकटियरनन ने किया था।  डाई हार्ड २ के निर्देशन की कमान रेंनी हार्लिन के हाथों में थी।  १९९५ की फिल्म में फिर टियरनन आ गए। पहली बार 'लाइव फ्री ऑर डाई हार्ड' के निर्देशन का जिम्मा लेन वाइजमैन  को सौंपा गया था।  अगली फिल्म 'अ गुड डे टू डाई हार्ड' की कमान फिल्म नए निर्देशक जॉन मूर को सौंप दी गई।  यह फिल्म ९२ मिलियन डॉलर के बजट से बनी थी तथा वर्ल्डवाइड कलेक्शन ३०४ मिलियन डॉलर का हुआ था।  अब जबकि, डाई हार्ड ६  बनाई जा रही है, ब्रूस विलीस के प्रशंसकों के लिए बुरी खबर यह है कि ब्रूस विलीस अब जॉन मेकक्लेन के किरदार से रिटायर होना चाहते हैं।  शायद इसीलिए कि कोई दूसरा अभिनेता ब्रूस विलीस की जगह ले सके डाई हार्ड ६ में अतीत के न्यू यॉर्क शहर की  घटनाएँ जोड़ दी गई है।

मिशन इम्पॉसिबल ५ की रेबेका बनेगी कैप्टेन मार्वल

हालिया रिलीज़ हॉलीवुड फिल्म 'मिशन इम्पॉसिबल रोग नेशन' में एमआई ६ की अंडरकवर एजेंट और एथन हंट की दोस्त इल्सा फॉस्ट की भूमिका करने वाली अभिनेत्री रेबेका फर्गुसन ने फ़िल्म में अपने धुंआधार एक्शन से मार्वल के बॉसेस का ध्यान खींच लिया है।  रेबेका को एक नायिका प्रधान सुपरहीरो फिल्म में मुख्य भूमिका करने के लिए चुन  लिए जाने की खबर है।  पिछले साल मार्वल ने कैप्टेन मार्वल का ऐलान किया था।  उसी समय से यह अटकलें लगाई जा रही थी कि टाइटल रोल के लिए किस अभिनेत्री का चुनाव होता है।  उसी समय यह भी कहा गया था कि कैप्टेन मार्वल का करैक्टर फ़िल्म 'अवेंजर्स: एज ऑफ़ अल्ट्रान' आखिरी सीन में नज़र आयेगे।  बाद में इस आईडिया को छोड़ दिया गया क्योंकि, कैप्टेन मार्वल के लिए उपयुक्त अभिनेत्री तय नहीं हो पाई थी।  अब, जबकि, रेबेका फर्गुसन मिशन इम्पॉसिबल सीरीज की पांचवी फिल्म में अपने धुआंधार एक्शन से पूरी दुनिया का ध्यान खींच चुकी है, मार्वल के बॉसेस को भी लगता है कि उनकी कैप्टेन मार्वल की खोज ख़त्म हो गई है।  मिशन इम्पॉसिबल ५ के बाद रेबेका के पास ढेरो ऑफर पहुँच रहे थे।  फॉक्स की गैम्बिट फिल्म में उन्हें बेला बौड्रीक्स की बड़ी भूमिका दी जा रही थी।  रेबेका के इंकार के बाद यह रोल ली सेडॉक्स के पास चला गया।  कैप्टेन मार्वल को गार्डियंस ऑफ़ द गैलेक्सी की निकोल पर्लमैन और इनसाइड आउट की मेग लेफॉव द्वारा लिखा जा रहा है। यह फिल्म २ नवंबर २०१८ को रिलीज़ होगी।  

Tuesday 20 October 2015

दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे के २० साल

आज (२० अक्टूबर को), जब मुंबई के मराठा मंदिर में फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' दोपहर का शो शुरू होगा, उस समय हिंदी फिल्मों के इतिहास में किसी फिल्म के एक ही सिनेमाघर में, लगातार २० साल तक चलते रहने का कीर्तिमान स्थापित हो जायेगा।  यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा ने जब अपने निर्देशन  में बनने वाली पहली फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले आएंगे' के पहला ड्राफ्ट पढ़ा तो उस समय वह २३ साल के थे। हालाँकि, उस समय तक आदित्य चोपड़ा कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट लिख चुके थे।  वह 'मोहब्बते' से अपना फिल्म डेब्यू करना चाहते थे।  लेकिन, यश चोपड़ा ने उन्हें रोमांस फिल्म से डेब्यू करने की सलाह दी।  आदित्य चोपड़ा ने दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे को अमेरिकन लडके और भारतीय लड़की की रोमांस कहानी की तरह डेवलप किया था।  वह इसे अंग्रेजी भाषा में टॉम क्रूज़ को ले कर बनाना चाहते थे।  लेकिन, यश चोपड़ा ने उन्हें भारतीय ढंग से ही फिल्म को डेवलप करने और फिल्म हिंदी में बनाने की हिदायत की  । आदित्य ने राज की भूमिका के लिए शाहरुख़ खान से संपर्क किया।  लेकिन, शाहरुख़ खान को लगता था कि वह रोमांटिक भूमिकाओं में नहीं फबेंगे, क्योंकि, वह  उस समय तक बाज़ीगर और डर जैसी फिल्मों के एंटी-हीरो के रूप में सफल हो रहे थे। करण अर्जुन जैसी एक्शन फ़िल्में उन्हें रास आ रही थी।  इसलिए उन्होंने आदित्य की फिल्म करने से मना कर दिया। आदित्य सैफ अली खान के पास गए।  लेकिन, अनजाने कारणों से सैफ ने भी यह फिल्म करने से इंकार कर दिया।  अब मज़बूरन आदित्य को शाहरुख़ खान को ही मनाना पड़ा।  उन्होंने शाहरुख़ खान को समझाया कि वह कभी सुपर स्टार नहीं बन सकेंगे, अगर वह हर औरत के  सपने के मर्द और हर माँ के सपने के बेटे नहीं बन सकते।  शाहरुख़ खान आज भी आदित्य के शुक्रगुजार हैं कि आदित्य ने उन्हें सुपर स्टार बनने का रास्ता दिखाया।  'दिल वाले  दुल्हनिया ले जायेंगे' २० अक्टूबर १९९५ को रिलीज़ हुई। इस फिल्म ने शाहरुख़ खान को बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस का बादशाह खान बना दिया।  हिंदी फिल्मों को एनआरआई हीरो का कांसेप्ट दिया।  इसके बाद एनआरआई दूल्हे वाली कई फ़िल्में बनी। इस फिल्म ने माता पिता से विद्रोह का शादी करने के लिए लड़की भगा ले जाने वालों लड़कों को माता पिता की सहमति से शादी करने का सन्देश दिया।  फिल्म ने समग्र मनोरंजन करने वाली फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।  इस फिल्म ने करण जौहर जैसा डायरेक्टर दिया, जो फिल्म में आदित्य चोपड़ा का सहायक था।  करण जौहर ने तीन साल बाद फिल्म 'कुछ कुछ होता है' से निर्देशन में कदम रखा।  यह फिल्म एक सिनेमाघर में सबसे ज़्यादा (२० साल तक) चलने वाली फिल्म साबित हुई।  इस फिल्म ने इंडियन बॉक्स ऑफिस पर १ बिलियन से ज़्यादा का बिज़नेस किया। फिल्म का टाइटल 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' शशि कपूर और मुमताज की फिल्म 'चोर मचाये शोर' के एक गीत से प्रेरित था, जिसे अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर ने आदित्य चोपड़ा को सुझाया था।  काजोल को यह टाइटल टपोरी लगा था तथा अपना स्क्रीन का सिमरन नाम एलियन जैसा।  सरोज खान को आदित्य चोपड़ा की प्रतिभा पर भरोसा नहीं था, इसलिए यह बीच में ही फिल्म छोड़ कर  चली गई और उनकी जगह फराह खान ने ले ली।  फिल्म में परमीत सेठी वाली भूमिका सबसे पहले मिलिंद गुणाजी को दी गई थी।  लेकिन, उन्होंने अपनी फेमस दाढ़ी साफ़ करने से मना कर दिया। अरमान कोहली को परमीत वाली नहीं, शाहरुख़ खान वाली भूमिका करनी थी।  इसलिए आखिर में परमीत फाइनल हो गए।  आदित्य को दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे को डीडीएलजे के शार्ट नाम से पुकारना पसंद नहीं।  वह फिल्म को दिलवाले कहते हैं।



Monday 19 October 2015

नवी मुंबई में होगा "शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल"

आज फ़िल्मी दुनिया में आने वालों की तादात कम नही है, पर सभी को यहाँ मुक्कमल जहाँ नही मिलता, शॉर्ट फ़िल्म मेकिंग उन्ही बडे रास्तों की सुनहरी पगडंडी है, जिसे कम पैसो में बनाकर फिल्ममेकर्स अपनी अंदर छुपी प्रतिभा को दुनिया के सामने ला सकता है, पर जब तक वो दुनिया से परिचित नहीं होती तब उसकी कोई पहचान नही, अब अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद्, ऐरोली शाखा नवी मुंबई में "शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल -2015 ( कार्निवल ऑफ डिजिटल सिनेमा) का आयोजन कर रहा है, जिस में कई सारे फिल्ममेकर्स को शॉर्ट फिल्म द्वारा अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। इस फेस्टिवल में सारे भारत से मराठी, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं की शॉर्ट फिल्मों को मौका मिलेगा, अपनी एंट्री को 30 अक्तूबर से पहले निश्चित करें ऐसा अध्यक्ष विजय चौगले इन्होंने अपने प्रसिध्ही पत्रकद्वारा कहा है।
शामिल सभी फिल्मों से बेहतरीन दस फिल्मों का स्पेशल स्क्रीनिंग किया जाएगा, और उन्ही फिल्मों से सर्वोत्कृष्ट 3 फिल्मो को चयन होगा, जिन्हें पुरस्कार स्वरुप - नकद राशि, स्मृतिचिन्ह और सन्मानपत्र दिया जाएगा, 2 मिनिट से ज्यादा और 30 मिनिट से कम फ़िल्म का अवधी होना अनिवार्य है, फेस्टिवल के आखरी दिन सभी समीक्षकों द्वारा फ़िल्ममेकर्स के लिए एक विशेष अभ्यासवर्ग आयोजित किया जाएगा जिसमे मराठी और हिंदी फिल्मों के कई सारे लेखक, निर्देशक, कलाकार शामिल होंगे..ऐसा निर्देशक संदीप जंगम और अभिनेता रमेश वाणी इन्होंने कहा है।
इसके लिए संपर्क करे -
natyaparishad.airoli@gmail.com
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भारत कुमार का एक्शन अवतार इंडियन : सनी देओल

साठ के दशक में, अभिनेता मनोज कुमार ने शहीद के बाद उपकार, पूरब और पश्चिम, शोर, क्रांति, आदि फ़िल्में बना कर खुद के लिए भारत कुमार की उपाधि बटोरी थी।  उपकार के एक करैक्टर भारत से मनोज  कुमार को शोहरत इसलिए मिली कि उन्होंने अपनी फिल्मों से देश की बात की थी।  गाँव की समस्या को  उठाया था।  भारत को पश्चिम देशों से श्रेष्ठ बताया था।  आज भी, जब मनोज कुमार का जिक्र होता है तो उन्हें भारत पर गर्व करने वाला भारत कुमार ही पुकारा जाता है। मनोज कुमार को रूपहले परदे से अलग हुए २० साल हो गए हैं। उनकी भूमिका वाली आखिरी फिल्म 'मैदान ए जंग' १९९५ में रिलीज़ हुई थी।  के सी बोकाडिया की इस मल्टीस्टार कास्ट फिल्म में मनोज कुमार के साथ धर्मेन्द्र मुख्य भूमिका में थे।  इन्ही धर्मेन्द्र सिंह देओल के बेटे हैं सनी देओल, जो आजकल भारत कुमार के एक्शन अवतार इंडियन के बतौर याद किये जाते हैं।  १९ अक्टूबर १९५७ को जन्मे  धर्मेन्द्र के सबसे बड़े बेटे सनी देओल ने १९८३ में अमृता सिंह के साथ रोमांटिक फिल्म 'बेताब' से फिल्म डेब्यू किया।  इस फिल्म में एक्शन नाम मात्र को था।  सनी, मंज़िल मंज़िल, सोहनी महिवाल और ज़बरदस्त की असफलता के बाद सनी देओल को सफलता मिली राहुल रवैल की फिल्म 'अर्जुन' से।  अर्जुन में सनी देओल एक क्रुद्ध युवा छात्र के किरदार में थे।  राहुल रवैल ने अपनी इस धुंआधार एक्शन फिल्म में सनी देओल के व्यक्तित्व का बढ़िया उपयोग किया।  सनी देओल चेहरे से मासूम हैं।  राहुल ने उन्हें एक सीधे सादे मासूम चेहरा युवा का चोला पहनाया, जो सताए जाने के बाद हिंसा का सहारा लेता है।  डकैत भी इसी लाइन पर बनी फिल्म थी। लेकिन, सनी देओल को नया  एक्शन हीरो बनाया राजकुमार संतोषी ने।  संतोषी ने भी सनी लियॉन की चेहरे की खासियत को हथियार बना कर, फिल्म 'घायल' में उनके अजय मेहरा के किरदार के हाथों में हथियार पकड़ा दिए।  दर्शकों को सनी देओल का यह मासूम चहरे वाला यह कुद्ध युवा बेहद पसंद आया।  घायल न केवल सुपर हिट हुई, बल्कि फिल्म के लिए सनी देओल को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में जूरी का स्पेशल अवार्ड मिला।  इस फिल्म का आमिर खान की फिल्म 'दिल' से सीधा टकराव हुआ।  पर दिल को पिछड़ना पड़ा।  यहाँ उल्लेखनीय है कि राजकुमार संतोषी ने घायल की कहानी कमल हासन को ध्यान में रख कर लिखी थी।  लेकिन, किसी भी फिल्म निर्माता द्वारा कमल हासन की फिल्म में पैसा लगाने से इंकार के बाद धर्मेन्द्र आगे आये।  उन्होंने घायल को अपने बैनर विजेता फिल्म्स के अंतर्गत बनाया।  जहाँ सनी देओल को राहुल रवैल ने मासूम क्रुद्ध युवा और राजकुमार संतोषी ने एक्शन स्टार बनाया, वहीँ अनिल शर्मा ने उन्हें भारत कुमार का एक्शन अवतार इंडियन बना दिया।  जिन दिनों सनी देओल राजकुमार संतोषी और राहुल रवैल की दामिनी, घातक और अर्जुन पंडित जैसी फिल्मों से दशक के एक्शन हीरो साबित हो रहे थे, उसी के ठीक बाद २००१ में अनिल शर्मा और सनी देओल की जोड़ी की फिल्म 'ग़दर : एक प्रेमकथा' रिलीज़ हुई।  इस फिल्म का भोला भाला ट्रक ड्राइवर एक मुस्लिम लड़की सकीना से मन ही मन प्रेम करने लगता है।  इसी दौरान देश का बँटवारा हो जाता है।  सकीना का पूरा परिवार पाकिस्तान चला जाता है, लेकिन, सकीना उस ट्रेन पर चढने नहीं पाती।  बंटवारे के समय के घायल पंजाब में लोगों के क्रोध से सकीना को बचाने के लिए तारा सिंह उससे शादी कर लेता है।  कहानी में मोड़ तब आता  है, जब सकीना का पाकिस्तान में रसूखदार पिता उसे धोखे से पाकिस्तान में कैद कर लेता है।  तब शुरू होता है अपनी बीवी को छुड़ाने के लिए तारा सिंह का पाकिस्तान अभियान। इसके साथ ही फिल्म के शक्तिमान तलवार के लिखे धारदार संवादों ने तारा सिंह के मुंह से आग की तरह बरसना शुरू कर दिया।  सनी देओल के ढाई किलो के घूसे पाकिस्तानियों पर कहर बन कर बरसने लगे।  पाकिस्तान की नापाक हरकतों से आज़िज़ भारतीय जनता के लिए सनी देओल और उनके जोशीले और पाकिस्तान को धिक्कारने वाले संवादों ने मरहम का काम किया।  इन संवादों को सुनते और पाकिस्तान के पुलिस वालों और सैनिकों पर सनी और उनके  घूसों को बरसते देख कर सिनेमाहॉल में बैठा दर्शक देश भक्ति से भर उठा ।  फिल्म ने कमाई  उसी शुक्रवार रिलीज़ आमिर  खान की फिल्म लगान को पीछे छोड़ दिया।  इस फिल्म के संवादों के साउंड ट्रैक की खूब बिक्री हुई।  इसके साथ ही सनी देओल पाकिस्तान को गरियाने और जुतियाने वाले 'इंडियन' बन गए।  ग़दर एक प्रेम कथा के बाद सनी देओल की पाकिस्तान को गरियाने वाली इंडियन,  माँ तुझे सलाम और द हीरो :लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई जैसी फ़िल्में रिलीज़ हुई।  ज़्यादातर हिट भी हुई।  आज सनी देओल अपनी फिल्मों में पाकिस्तान को धमका नहीं रहे,  लेकिन उनकी भारत कुमार के एक्शन अवतार इंडियन वाली इमेज बरकरार है।



Sunday 18 October 2015

ख़त्म हो जायेगा ज़िन्दगी के लिए मौत का खेल

नवंबर में 'द हंगर गेम्स : मॉकिंग्जय पार्ट २' की रिलीज़ के साथ ही हंगर गेम्स सीरीज की फिल्मों का चार सालों का सफर ख़त्म हो जायेगा।  सुज़ैन कॉलिंस के इसी टाइटल वाले उपन्यास पर पहली फिल्म 'द हंगर गेम्स' २३ मार्च  २०१२ को रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म का निर्माण नीना जैकबसन जॉन किलिक ने किया था।  हंगर गेम्स सीरीज की तीन किताबों में पहली किताब पर बनी 'द हंगर गेम्स' दुनिया के एक बर्बाद देश के ख़त्म होने से पहले की कहानी है।  यह भविष्य की दुनिया के देश है, जहाँ उसके निवासियों के टीन एजर्स (१२ से १८ साल) के लिए टेलीविज़न से प्रसारित होने वाले मौत के खेल हंगर गेम्स में भाग लेना अनिवार्य होता है। इसमे प्रतिभागियों को  तब तक लड़ना है जब तक आखिरी प्रतिभागी  नहीं बचता।  वही आखिरी प्रतिभागी विजेता बनेगा।  कटनिस एवरडीन अपनी बहन की  जगह खेल में हिस्सा लेती है।   फिल्म में जेनिफर लॉरेंस ने कटनिस का किरदार किया था।  उनके सपोर्टिंग जोश हचर्सन, लियम हेम्सवर्थ, वुडी हरेलसन, एलिज़ाबेथ बैंक्स, लेन्नी करवित्ज़, स्टैनले टुच्ची और डोनाल्ड सुदरलैंड थे।  समालोचकों ने फिल्म की थीम और सन्देश के लिए तारीफ की।  फिल्म का निर्माण ७८ मिलियन डॉलर से हुआ था।  फिल्म ने वर्ल्डवाइड ६९१ मिलियन  डॉलर का बिज़नेस किया। अपनी फिल्म की व्यावसायिक सफलता के लिहाज़ से जेनिफर लॉरेंस की पहली फिल्म 'एक्स मेन :फर्स्ट क्लास' (२०११) थी।  लेकिन, इस फिल्म में लॉरेंस की मिस्टिक की भूमिका संक्षिप्त थी।  लेकिन, २०१२ में हंगर गेम्स की सफलता के बाद नज़ारा काफी बदल गया।  २२ नवंबर २०१३ को हंगर गेम्स सीरीज की दूसरी फिल्म 'द हंगर गेम्स: कैचिंग फायर' रिलीज़ हुई।  इस फिल्म को भी ज़बरदस्त सफलता हासिल हुई।  कैचिंग फायर के निर्माण में १३० मिलियन डॉलर खर्च हुए थे।  फिल्म के केंन्द्र में एक बार फिर जेनिफर लॉरेंस का कटनिस एवरडीन का किरदार था।  फिल्म ने वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर ८६४.९ मिलियन डॉलर का बिज़नेस किया।  इस फिल्म के साथ ही जेनिफर बड़ी अभिनेत्रियों में शुमार हो गई।  हालाँकि तब तक वह मात्र २३ साल की थी।  हंगर गेम्स सीरीज की दो फिल्मों की लगातार दो साल सफलता ने एक्स-मेन के निर्माताओं को फिल्म में जेनिफर के रोल को बढ़ाने के लिए मज़बूर कर दिया।  'एक्स- मेन: डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट' में मिस्टिक के किरदार को महत्व और लम्बाई दी गई।  सुज़ैन कॉलिंस की सीरीज की तीसरी और आखिरी किताब मॉकिंग्जय का फिल्म रूपांतरण दो हिस्सों में किया गया।  'द हंगर गेम्स :मॉकिंग्जय १' पिछले साल २१ नवंबर को रिलीज़ हुई।  इस फिल्म के निर्माण में १२५ मिलियन डॉलर खर्च हुए थे।  फिल्म ने वर्ल्डवाइड ७५२. १ मिलियन डॉलर का बिज़नेस किया।  अब २० नवंबर २०१५ को हंगर गेम्स सीरीज की चौथी और आखिरी फिल्म 'मॉकिंग्जय २' रिलीज़ होने जा रही है।  इस फिल्म के निर्माण भी १२५ मिलियन डॉलर खर्च हुए हैं।  सीरीज की पहली फिल्म 'द हंगर गेम्स' के निर्देशक गैरी रॉस थे।  यह फिल्म १४२ मिनट लम्बी थी।  बाद की तीनों फिल्मों का निर्देशन  फ्रांसिस लॉरेंस ने किया।  सीरीज की दूसरी फिल्म १४६ मिनट, तीसरी फिल्म १२३ मिनट और चौथी फिल्म १४७ मिनट लम्बी है।  हंगर गेम्स सीरीज की फिल्मों को दुनिया के देशों में ज़बरदस्त सफलता मिली।  लेकिन इस फिल्म को सबसे ज़्यादा हिंसक फिल्म कहा जाता है।  वियतनाम  में तो इस फिल्म की रिलीज़ ही रोक दी गई।  हंगर गेम्स सीरीज की चार फिल्मों के निर्माण में जैकबसन और किलिक को ४५८ मिलियन डॉलर खर्च करने पड़े ।  लेकिन, सीरीज की पहली तीन फिल्मो ने बॉक्स ऑफिस पर २,३१४. ८ मिलियन डॉलर का ढेर लगा दिया।  सीरीज की आखिरी फिल्म हुगेर गेम्स के डॉलर के ढेर में इज़ाफ़ा ही करेगी। 

Saturday 17 October 2015

कल की बोल्ड एन ब्यूटीफुल सिमी गरेवाल आज भी है ब्यूटीफुल

सिमी गरेवाल का नाम लेते ही बिल्ली जैसी खूबसूरत औरत की सूरत आँखों के सामने आ जाती है।  पंजाब के जाट सिख परिवार में पैदा सिमी गरेवाल के पिता आर्मी में ब्रिगेडियर थे।  वह इंग्लैंड में पली बढ़ी। इसीलिए उनकी  बोलचाल में इंग्लिश उच्चारण का प्रभाव  साफ़ महसूस किया जाता था ।  वास्तविकता तो यह है कि सिमी गरेवाल को उनकी पहली फिल्म 'टार्ज़न गोज टू इंडिया' उनके इंग्लिश बोल सकने के कारण ही मिली थी। इंग्लिश भाषा में इस फिल्म में सिमी ने एक भारतीय राजकुमारी की भूमिका की थी। फ़िरोज़ खान राजकुमार बने थे। इस फिल्म ने ५३ साल पहले अपने निर्माताओं को एक लाख ७८ हजार डॉलर का नुक्सान दिया था। फिल्म  में सिमी के नायक फ़िरोज़ खान थे।  उस समय सिमी मात्र १५ साल की थी।  इसी साल उन को  दो हिंदी फ़िल्में 'राज की बात' और 'सन ऑफ़ इंडिया' भी मिल गई।  अब तो उनके लिए हिंदी सीखना ज़रूरी हो गया। अब यह बात दीगर है कि इसके बावजूद उनके हिन्दी उच्चारण में अंग्रेजी उच्चारण दोष बना ही रहा।  सिमी ने  गरेवाल ने अपने २० साल के सक्रिय  फिल्म करियर में ५० फ़िल्में की।  बकौल सिमी गरेवाल 'इतने पुरस्कार मिले कि घर में रखने की जगह ही नहीं है।'  अंग्रेजी फिल्म  से डेब्यू करने वाली सिमी गरेवाल को अपने छोटे फिल्म करियर में महबूब खान के अलावा राजकपूर, सत्यजित रे, मृणाल सेन, सुभाष घई,  रमेश सिप्पी और कोनार्ड रूक्स जैसे फिल्म निर्देशकों की फिल्मों में काम करने का मौक़ा मिला।  सिमी ने दो बांगला फ़िल्में सत्यजित रे की 'अरण्येर दिन रात्रि' (डेज एंड नाईट इन द फारेस्ट) और मृणाल सेन की फिल्म 'पदातिक' (द गौरिल्ला फाइटर) भी की।  'पदातिक' में वह एक राजनीतिक उग्रवादी को शरण देने वाली भावुक महिला का किरदार किया था।  फिल्म 'अरण्येर दिन रात्रि' में वह एक जनजातीय संथाल लड़की दुली के किरदार में थी।  इतने बड़े बड़े फिल्मकारों के साथ काम करना किसी भी अभिनेत्री के लिए गौरव की बात होनी चाहिए।  उन्होंने  राजकपूर की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' और कोनार्ड रूक्स की फिल्म 'सिद्धार्थ' भी की।  लेकिन, सिमी को ऎसी तमाम फिल्मों में अपने अभिनय के करण उतनी प्रशंसा नहीं मिली, जितनी इन फिल्मों मे उनके अंग प्रदर्शन और कामुक प्रसंगो को मिली। तीन देवियाँ उनकी एडल्ट फिल्म थी। सत्यजित रे की फिल्म 'अरण्येर दिन रात्रि' में वह एक संथाल लड़की दुली की भूमिका में थी।  इस फिल्म में उनके समित भंज के साथ अंतरंग दृश्य थे। इन फिल्मों में उनको सेक्सी इंग्लिश गर्ल  बना दिया। इसी साल, सिमी गरेवाल की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' रिलीज़ हुई।  तीन हिस्सों वाली इस फिल्म के पहले हिस्से में सिमी गरेवाल ने एक कान्वेंट की टीचर का किरदार किया था। किशोर  ऋषि कपूर उनके स्कूल के छात्र  हैं। इस फिल्म के एक सीन में सिमी गरेवाल पानी में फिसल जाती हैं। जब वह अपने गीले कपडे बदल रही होती है तब किशोर ऋषि उन्हें देखता है।  इस सीन में राजकपूर ने सिमी की गीली देह का खूब गर्म प्रदर्शन किया था।  अब यह बात है कि फिल्म इसके बावजूद फ्लॉप हो गई।  दो साल बाद १९७२ में रिलीज़ कोनार्ड रूक्स की फिल्म 'सिद्धार्थ' में तो सिमी गरेवाल बिलकुल नग्न खडी दिखाई गई।  इस फिल्म में उनके नग्न पोस्टर सिनेमाघरों के बाहर ख़ास लगाए जाते थे। इस भूमिका के लिए सिमी की काफी आलोचना भी हुई।  हालाँकि, इस बीच सिमी ने मनोज कुमार और आशा पारेख के साथ दो बदन, राजेंद्र कुमार और वैजयंती माला के साथ साथी, दिलीप कुमार, वहीदा रहमान और मनोज कुमार के साथ आदमी, हेमा मालिनीं, शम्मी कपूर और राजेश खन्ना के साथ 'अंदाज़', ख्वाजा अहमद अब्बास कि फिल्म 'दो बूँद पानी', राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन और रेखा के साथ नमक हराम, विनोद खन्ना और रंधीर कपूर के साथ हाथ की सफाई, अमिताभ बच्चन के साथ कभी कभी के अलावा नाच उठे संसार, चलते चलते, चला मुरारी हीरो बनाने, अनोखी पहचान, आदि फिल्में की।  ज़ाहिर है कि उन्होंने बड़े सितारों और बैनर के साथ बड़ी फिल्म की।  लेकिन, इन फिल्मों में वह सह नायिका थी। सुभाष घई की फिल्म 'क़र्ज़' में उनकी वैम्पिश भूमिका ने दर्शकों का ध्यान खींचा ज़रूर।  लेकिन, करियर को बचाए रखने के लिए इतना काफी नहीं था।  सिमी गरेवाल को समय से पहले की अभिनेत्री कहना उपयुक्त होगा।  खुद वह भी इसे मानती हैं कि वह बाउंड स्क्रिप्ट चाहती थी, वह समय की कीमत समझने वाली और अनुशासन चाहने वाली अभिनेत्री थी।  वह चाहती थी कि उनकी फिल्म एक स्ट्रेच में पूरी की जाए।  वह अपने लिए वैनिटी वैन की चाहत भी रखती थी।  उस समय बॉलीवुड के लिहाज़ से यह समय से पहले की बात थी।  नतीजतन सिमी गरेवाल का करियर अस्सी के दशक में बिलकुल ख़त्म हो गया।  वह टीवी शो में रम गई। उन्होंने टीवी पर तेरी मेरी कहानी, किंग्स ऑफ़ कॉमनर्स और रेन्देवौ विथ सिमी गरेवाल जैसे चर्चित शो किये।  उन्हें इन शोज के लिए बेस्ट एंकर के अवार्ड्स भी मिली। उन्होंने एक फिल्म 'रुखसत' का निर्माण और निर्देशन भी किया। साफ़ है कि उन्होंने जो किया परफेक्ट किया।  लेकिन, हिंदी फिल्मों में उन्होंने जो किया, उनमे यादगार रहे उनके सेक्सी सीन।










वॉर ड्रामा फिल्म में जेनिफर एनिस्टन और जैक हूस्टन

अमेरिका के लिए इराक युद्ध में हिस्सा ले चुके केविन पॉवर्स की पुस्तक द येलो बर्ड्स को न्यूयॉर्क टाइम्स ने २०१२ की मोस्ट नोटेबल बुक्स की श्रेणी में रखा था।  इस पुस्तक पर डेविड लोवेरी फिल्म बनाने जा रहे हैं।  पुस्तक के नाम पर बनाई जा रही वॉर ड्रामा फिल्म 'द येलो बर्ड्स' में अल्डेन एरेनराइक और टाई शेरिडन की मुख्य भूमिका के साथ जैक हूस्टन और जेनिफर एनिस्टन को भी शामिल कर लिया गया हैं। यह फिल्म दो युवा अमेरिकी सैनिकों पर केंद्रित है।  प्राइवेट बार्टल २१ साल का है, जबकि प्राइवेट मर्फी सिर्फ १८ साल का।  मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप में दोनों की मुलाक़ात होती है और जल्द ही दोनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं।  इराक में युद्ध के मैदान में जाने से पहले बार्टल मर्फी की माँ से मिलने जाता है। वह मर्फी की माँ से वादा करता है कि वह मर्फी को सुरक्षित घर वापस लाएगा।  लेकिन, उसे मालूम नहीं युद्ध के मैदान में, जहाँ मौत कान के पास से मंडराती निकल जाती, यह वादा पूरा करना कितना असंभव काम होगा।  फिल्म में बार्टल की भूमिका अल्डेन एरेनराइक और मर्फी की भूमिका टाई शेरिडन कर रहे हैं। मर्फी के माँ के रोल में जेनिफर एनिस्टन हैं।  फिल्म में जैक हूस्टन को बेनेडिक्ट कम्बरबैच की स्टाफ सार्जेंट स्टर्लिंग की भूमिका मिली है।  बेनेडिक्ट इस फिल्म को छोड़ कर चले गए थे। अभी इस फिल्म की शुरूआती तैयारियां चल रही हैं।  शूटिंग अगले साल के शुरू में होगी।  लोवेरी इस समय डिज्नी की फिल्म 'पिट्स ड्रैगन' को ख़त्म करने जा रहे हैं।  जैक हूस्टन को दर्शक फिल्म 'प्राइड एंड प्रेज्यूडिस एंड ज़ॉम्बीज़' में विक्खम के किरदार में देखेंगे।  'बेन-हर' के नए संस्करण में उनकी मुख्य भूमिका है।  जेनिफर एनिस्टन की उल्लेखनीय फिल्म में गैरी मार्शल की फिल्म 'मदर्स डे' में वह सैंडी के किरदार में हैं। 

ब्लैक पैंथर बने चैडविक बोसमैन

मार्वेल कॉमिक्स का सबसे कम मशहूर एनिमेटेड किरदार ब्लैक पैंथर पर फिल्म बनाने की घोषणा १९९२ में ही कर दी गई थी।  लेकिन, एक लाइव एक्शन फिल्म का कांसेप्ट अंतिम रूप से तय हुआ २०१४ में। अब ब्लैक पैंथर, मार्वेल कॉमिक्स के तमाम अन्य सुपर हीरो की तरह बड़े परदे पर अपनी सुपर पावर का प्रदर्शन करता दिखेगा।  उम्मीद है कि ६ जुलाई २०१८ को फिल्म 'ब्लैक पैंथर' में दर्शक एक काले सुपर हीरो को देख पाएंगे।पहले यह खबर थी कि निर्देशक ऍफ़० गैरी ग्रे 'ब्लैक पैंथर' को निर्देशित कर सकते हैं।  लेकिन, गैरी के यूनिवर्सल स्टूडियोज की फिल्म 'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ८' पर काम शुरू कर देने से, अब मार्वल को अपने नए एकल सुपर हीरो के लिए नए निर्देशक की तलाश है।  मार्वेल सिनेमेटिक यूनिवर्स का इरादा 'ब्लैक पैंथर' रिलीज़ होने से पहले ही अपने इस नए सुपर हीरो का परिचय दुनिया से करा देने का है।  अगले साल, कैप्टेन अमेरिका सीरीज के दर्शकों को अन्थोनी रुसो और जो रुसो की फिल्म कैप्टेन अमेरिका: सिविल वॉर में चैडविक बोसमैन ब्लैक पैंथर की काली पोशाक में अपना अहम रोल करते नज़र आएं।  यह फिल्म चैडविक के लिए जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही फिल्म के लिए उनका ब्लैक पैंथर का किरदार भी है।  दरअसल, कहानी के अनुसार कैप्टेन अमेरिका में अवेंजर्स के राजनीतिक नियंत्रण को लेकर आयरन मैन और कैप्टेन अमेरिका के बीच मतभेद पैदा हो जाते हैं।  ब्लैक पैंथर अफ़्रीकी राष्ट्र वकाण्डा का राजा है।  अवेंजर्स से उसका पहले का कोई जुड़ाव  नहीं।  इसलिए वह एक न्यूट्रल करैक्टर की तरह दोनों के मतभेदों को सुलझाने की पहल कर सकता है। जहाँ ब्लैक पैंथर की रिलीज़ डेट ६ जुलाई २०१८ हैं, वह ब्लैक पैंथर को देखने के लिए बेचैन दर्शक इस किरदार को अगले साल २९ अप्रैल को 'कैप्टेन अमेरिका: सिविल वॉर' में देख सकेंगे।  


Friday 16 October 2015

पाओली डैम से ज़रीन खान तक 'हेट स्टोरी' पाओली डैम से ज़रीन खान तक 'हेट स्टोरी'

विशाल पंड्या की इरोटिक थ्रिलर फिल्म 'हेट स्टोरी ३' के ट्रेलर में नज़र आ रही हैं अभिनेत्री ज़रीन खान, जो 'रागिनी एमएमएस २',  की सनी लियॉन  के अवतार में उसाँसे ले रही है।  यह वह ज़रीन खान हैं जिन्होंने २०१० में सलमान खान की अनिल  शर्मा निर्देशित पीरियड फिल्म 'वीर' में बतौर नायिका डेब्यू किया था।  फिल्म फ्लॉप हुई।  इस फ्लॉप फिल्म के बावजूद सलमान खान आज टॉप के खान हैं, लेकिन यह लेडी खान सनी लियॉन के स्तर पर आकर पोर्न स्टार जैसा प्रदर्शन कर रही है।  ज़रीन खान ने सलमान खान का दामन थामा था, तो लगा था कि उनकी फिल्म 'रेडी' में 'करैक्टर' ढीला' वाला आइटम करके वह भी सलमान वेव में सोनाक्षी सिन्हा जैसी स्टार बन जाएंगी।  सोनाक्षी का उदाहरण इसलिए कि सोनाक्षी भी ज़रीन की तरह भरे बदन वाली एक्ट्रेस है।  वह भी सलमान खान की फिल्म दबंग से फिल्मों  में आई हैं।  कहाँ जाता है कि सलमान खान का हाथ लगते ही पत्थर भी पारस बन जाता है। लेकिन, ज़रीन खान का फिल्म दर फिल्म करियर ग्राफ गिरता चला गया।  वह साउथ फिल्मों से पंजाबी फिल्मों में आई। पंजाबी फिल्म जट्ट जेम्स बांड हिट रही।   ज़रीन खान 'हेट स्टोरी ३' की नायिका बन गई।  ज़रीन खान हेट स्टोरी ३ में कोई गज़ब का अभिनय पेश नहीं कर रही।  देखा जाये तो हेट स्टोरी सीरीज की फिल्मों में नायिका का स्तर फिल्म दर फिल्म  गिरता चला गया है।  अपने को बर्बाद करने वाले एक अमीर आदमी से बदला लेने के लिए काव्या अपने शरीर को हथियार बनाती है।  इस इरोटिका थ्रिलर फिल्म में काव्य का किरदार पाओली डैम ने किया था।  इस फिल्म में पाओली ने  अपनी सेक्सी बॉडी का गज़ब इस्तेमाल किया ही था, बेहतरीन अभिनय भी किया था। हेट स्टोरी के सीक्वल का निर्देशन विशाल पंड्या ने किया था।  फिल्म की नायिका काव्या से सोनिका बन गई थी।  पाओली डैम की जगह  सुरवीन चावला ने ले ली।  पाओली डैम की तरह सुरवीन भी गज़ब की सेक्स अपील रखती थी ।  उन्होंने ज़रुरत-बेज़रुरत खूब अंग प्रदर्शन भी किया था ।  लेकिन, वह अभिनय के जौहर नहीं दिखा पाई।  फिल्म ' हेट स्टोरी २' के कथानक में भी वह बात नहीं थी, जो 'हेट स्टोरी' में थी।  हेट स्टोरी की तुलना में हेट स्टोरी २ ने बॉक्स ऑफिस पर हल्का बिज़नेस भी किया।  इसके बावजूद फिल्म निर्माता  भूषन कुमार हेट स्टोरी ३ बना रहे हैं।  हेट स्टोरी २ के निर्देशक विशाल पंड्या ही इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं।  'हेट स्टोरी' और 'हेट स्टोरी २' की तुलना में 'हेट स्टोरी ३' कितनी वज़नदार फिल्म बनी हैं, इसका पता तो फिल्म  रिलीज़ होने के बाद ही चलेगा।  लेकिन, 'हेट स्टोरी ३' के ट्रेलर में ज़रीन खान जिस कामुक अंदाज़ में पुरुष चरित्रों के साथ पेश हो रही हैं, उससे फिल्म के इरोटिक होने का  पता चल जाता है और ज़रीन खान के सनी लियॉन को चुनौती बनने का भी।  लेकिन, अभिनय के लिहाज़ से वह पाओली डैम के नज़दीक हों तब बात बने।  'हेट स्टोरी ३' में सलमान खान की फिल्म 'जय हो' की नायिका डेज़ी शाह भी सह नायिका की भूमिका में हैं।  क्या यह दोनों नायिकाएं अपनी सेक्स अपील के ज़रिये हेट स्टोरी ३  प्यार दिलवा पाएंगी ? या एक दूसरे को सेक्स अपील की चुनौती देते हुए खल्लास हो जाती  हैं ? 
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