Monday 9 November 2015

तमिल-तेलुगु भाषा में प्रेम रतन धन पायो का मुकाबला

डेढ़ दशक बाद सूरज बडजात्या के निर्देशन में सलमान खान की दिवाली में रिलीज़ होने जा रही फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ के धमाकेदार बिज़नस की उम्मीद की जा रही है । इस दिवाली को सलमान खान कोई मौका नहीं खोना चाहते । वह अपनी फिल्म के ज़रिये पूरे देश की सिनेमा स्क्रीन्स पर छा जाना चाहते हैं । इसलिए, राजश्री बैनर द्वारा ‘प्रेम रतन धन पायो’ को तमिल और तेलुगु में भी डब कर रिलीज़ किया जा रहा है । इस फिल्म को ५०००+ प्रिंट्स के साथ रिलीज़ किया जा रहा है। हालाँकि, इसमे कोई शक नहीं कि हिंदी बेल्ट में सलमान खान बॉक्स ऑफिस पर सुलतान बने ताल ठोंक रहे होंगे । लेकिन, दक्षिण में कुछ ऐसा ही माजरा नहीं बनाने जा रहा होगा । हैदराबाद और चेन्नई के मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों में सलमान खान को सुलतान वाला सम्मान नहीं मिलने जा रहा । क्योंकि, दिवाली के दौरान ही दक्षिण की दो दूसरी फ़िल्में भी रिलीज़ हो रही है । सलमान खान की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ में सोनम कपूर, अनुपम खेर और नील नितिन मुकेश एक राजघराने के षड्यंत्र को अंजाम तक पहुंचा रहे होंगे । सिंहासन के लिए भाई भाई का दुश्मन बना नज़र आएगा । सोनम कपूर दो-दो सलमान खान के बीच फंसी होंगी । यह फिल्म हॉलीवुड की हिट फिल्म 'द प्रिजनर ऑफ़ ज़िन्दा' का हिंदी रीमेक है।  दक्षिण में तमिल ‘प्रेम रतन धन पायो’ को चेन्नई और दक्षिण के अन्य तमिल भाषी शहरों में तमिल भाषा की दो फिल्मों और उनके दो सुपर सितारों की फिल्मों का सामना करना होगा । तमिल फिल्मों के सितारे अजित की फिल्म ‘वेदलम’ एक एक्शन ड्रामा फिल्म है । इसमे सुपर नेचुरल तड़का भी है । अजित के साथ हिंदी बेल्ट की जानी पहचानी अभिनेत्री श्रुति हासन उनकी नायिका हैं । दूसरी तमिल फिल्म कमल हासन की फिल्म ‘थून्गवनम’ है । यह एक थ्रिलर फिल्म है, जो एक फ्रेंच फिल्म ‘स्लीपलेस नाईट’ का रीमेक है । फिल्म में कमल हासन एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी की भूमिका कर रहे हैं । एक ड्रग माफिया अपनी नशीली दवाओं को वापस पाने के लिए पुलिस अधिकारी के बेटे का अपहरण कर लेता है । कमल हासन को अपने बेटे को छुडाने के लिए उस ड्रग माफिया को उसका माल वापस करना ही है । इस फिल्म में तृषा ने भी महिला पुलिस की भूमिका की है । हैदराबाद, आदि तेलुगू भाषी क्षेत्रों में सलमान खान की तेलुगु भाषा में फिल्म को कमल हासन की फिल्म ‘थून्गवनम’ के तेलुगु संस्करण का सामना करना होगा । थून्गवनम’ को तेलुगु में ‘चीकाती राज्यम’ शीर्षक से रिलीज़ किया जा रहा है । हैदराबाद में कमल हासन की फिल्म का तेलुगु संस्करण सलमान खान को नाको चने चबवा देगा । यह इसलिए भी होगा कि सलमान खान की रोमांस ड्रामा फिल्म के सामने खडी यह दोनों फ़िल्में एक्शन, थ्रिलर और ड्रामा से भरपूर फ़िल्में हैं । इन फिल्मों के अभिनेताओं की अपने दर्शकों में अच्छी पकड़ है । चूंकि, दोनों ही एक्शन थ्रिलर फ़िल्में हैं । इस शैली की फिल्मों को तमिल और तेलुगु दर्शक काफी पसंद करता है । ऐसा नहीं है कि दक्षिण के दर्शक तमिल और तेलुगु बोलने वाले सलमान खान को पसंद नहीं करेंगे ! लेकिन अगर उनके अपने सितारे, उनके पसंदीदा जोनर वाली फिल्म से उनके सामने होगे तो वह सलमान खान को क्यों देखना चाहेंगे ! ऐसे में दक्षिण में भी दिवाली वीकेंड का पूरा पूरा फायदा उठाने का सलमान खान का सपना अधूरा रह सकता है ।

बाजीराव मस्तानी के तीन पोस्टर




Saturday 7 November 2015

‘महादेव’ की टीम के साथ ‘सिया के राम’

स्टार पर प्लस से दो शो अलविदा कहने जा रहे हैं। २२ दिसम्बर २०१४ से शुरू हुए सीरियल ‘तू मेरा हीरो’ का आखिरी एपिसोड १४ नवम्बर को दिखाया जायेगा। चैनल के सूत्र बताते हैं कि यह शो ठीकठाक रेटिंग न मिल पाने के कारण चैनल से बाहर हो रहा है। स्टार प्लस से बाहर होने वाला दूसरा शो ‘तेरे शहर में’ है। २ मार्च २०१५ को शुरू वाराणसी की पृष्ठभूमि पर यह शो भी १४ नवम्बर को अपना आखिरी प्रसारण करेगा। सोशल ‘तू मेरा हीरो’ की जगह एक पौराणिक कथानक ‘सिया के राम’ लेगा। राम के चरित्र पर इस सीरियल की खासियत यह होगी कि इसमे राम के चरित्र को सिया यानि सीता माता की दृष्टि से दिखाया जायेगा। इस सीरियल में आशीष शर्मा राम और मदिराक्षि मुण्डले सीता का चरित्र करेंगी। ज़ाहिर है कि इस सीरियल में राम के बजाय सीता ख़ास होंगी। इस सीरियल को बनाने में ‘देवों के देव महादेव’ की टीम ही जुटी हुई है। महादेव के अनिरुद्ध पाठक की परिकल्पना ‘सिया के राम’ को आनंद नीलकांतन और सुब्रत सिन्हा सीरियल के क्रिएटिव कंसलटेंट देवदत्त पटनायक के साथ लिख रहे हैं। चैनल सूत्रों की खबर है कि रात साढ़े दस बजे प्रसारित होने वाले सीरियल ‘तेरे शहर में’ की जगह रश्मि शर्मा टेलीफिल्म का नया शो ‘साजन’ लेगा। हालाँकि, अभी इसका अधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। ‘साजन’ युवा केन्द्रित प्रेम त्रिकोण है। स्टार नेटवर्क को लगता है कि उसके चैनल के लिए ‘साथ निभाना साथिया’ जैसा पॉपुलर सीरियल देने वाली रश्मि शर्मा का यह सीरियल भी उतना ही सफल होगा। बताते चलें कि ‘साथ निभाना साथिया’ टॉप फाइव सेरिअलों में शामिल है। 


वाटर गेट कांड पर लिअम नीसों

इस बार लियम नीसों को कुछ गुप्त फाइलों की खोज करनी है । 'टेकन' सीरीज की फिल्मों से एक्शन स्टार के रूप में मशहूर लियम नीसों एक पोलिटिकल थ्रिलर फिल्म में काम करने जा रहे हैं। यह फिल्म १९७२ के उस कुख्यात वाटरगेट कांड पर फिल्म है, जिसके फलस्वरूप तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस फिल्म का टाइटल 'फेल्ट' रखा गया है।  नीसों एफबीआई के पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर मार्क फेल्ट का किरदार कर रहे हैं। मार्क फेल्ट ने ही वाशिंगटन पोस्ट के रिपोर्टर बॉब वुडवॉर्ड और कार्ल बर्नस्टीन को सूचनाएं लीक की थी। इस घटना के बाद राष्ट्रपति निक्सन के वाटरगेट काम्प्लेक्स में स्थित डेमोक्रेटिक नेशनल समिति के मुख्यालय में घुस कर सूचनाएं चुराने के अपराध में पांच लोग गिरफ्तार किये गए थे। २००५ में मार्क फेल्ट ने खुद को अनाम 'डीप थ्रोट' सोर्स बताया था। इस स्पाई थ्रिलर फिल्म का निर्देशन विल स्मिथ की एनएफएल ड्रामा फिल्म 'ककशन' के डायरेक्टर पीटर लैंड्समैन कर रहे हैं।   

रेजिडेंट ईविल की स्टंटवुमन घायल

इन दिनों, रेजिडेंट ईविल सीरीज की फिल्म ‘रेजिडेंट ईविल : द फाइनल चैप्टर’ की शूटिंग दक्षिण अफ्रीका में चल रही है । रेजिडेंट ईविल सीरीज की फ़िल्में सुपर पॉवर रखने वाली औरत की कहानी होने के बावजूद काफी लोकप्रिय साबित हुई है । इसका श्रेय फिल्म में एलिस की भूमिका करने वाली अभिनेत्री मिला जोवोविच को । उनके द्वारा किये गए एक्शन दर्शकों को सीट से चिपका देते हैं । एक्शन की उत्तेजना से उनकी मुट्ठियाँ भिंची रहती है । मिला जोवोविच के एक्शन डबल का काम करती है साउथ अफ्रीका की स्टंटवुमन ओलिविया जैक्सन । द फाइनल चैप्टर में भी ओलिविया मिला के बॉडी डबल के बतौर स्टंट कर रही है । ऐसे ही एक स्टंट के दौरान ओलिविया जैक्सन मोटर साइकिल स्टंट करते हुए गम्भीर रूप से घायल हो गई । वह मोटरसाइकिल पर स्टंट करते समय कैमरा क्रेन से टकरा गई । उनके शरीर की कई हड्डियाँ टूट गई और वह कोमा की स्थिति में चली गई । हालाँकि, साउथ अफ्रीका में ओलिविया को बढ़िया इलाज़ दिया जा रहा है, लेकिन उनकी हालत में फिलहाल कोई ख़ास सुधार नहीं है । ओलिविया ने रेजिडेंट ईविल सीरीज की फिल्मों में एलिस की भूमिका में मिला जोवोविच के तमाम एक्शन किया हैं । स्टार वार्स सीरीज की फिल्मों के स्टंट भी ओलिविया ने ही किये हैं । पिछले दिनों उन्हें फिल्म 'मोर्टडेकाई' फिल्म में एक्ट्रेस ग्वीनेथ पाल्ट्रो और फिल्म मैड मैक्स :फ्यूरी रोड' में रोसिए हंटिंगटन के स्टंट डबल की भूमिका निबाही।  वह मोटर साइकिल स्टंट की शौक़ीन हैं।  उनके पति भी एक स्टंट मैन हैं। 

Friday 6 November 2015

जब बेटे चार्ली शीन ने दिलाया पिता मार्टिन शीन को रोल

१९८७ में एक फिल्म रिलीज़ हुई थी 'वाल स्ट्रीट' । अमेरिका की आर्थिक बाजार वाल स्ट्रीट की अंदरुनी हकीकत को बयान करने वाली फिल्म 'वाल स्ट्रीट' का निर्देशन ओलिवर स्टोन ने किया था।  यह फिल्म कहानी थी एक युवा  स्टॉकब्रोकर बड फॉक्स की, जो सफलता पाने के लिए बेक़रार है।  उसका आइडल गॉर्डोन गेक्को है।  वह वाल स्ट्रीट का धनी, मगर निर्मम कॉर्पोरेट खिलाड़ी हैं।  बड  उसकी कंपनी में  काम करना चाहता है।  इंटरव्यू के दौरान बड कई बुद्धिमत्तापूर्ण चीज़े बताता  है।  लेकिन, गॉर्डोन प्रभावित नहीं होता।  इस पर बड ब्लूस्टार एयरलाइन्स की उन अंदरूनी सूचनाओं को गॉर्डोन को बता देता  है, जो उसने अपने पिता और एयरलाइन्स के यूनियन लीडर कार्ल से बातों बातों में सुनी थी।  गॉर्डोन बड की आकाँक्षाओं को भांप जाता है।  वह उसका इस्तेमाल करना चाहता है।  गेक्को बड फॉक्स को अपने साथ शामिल कर लेता है।  लेकिन, सिलसिला यहीं नहीं रुकता।  गेक्को चाहता है कि बड फॉक्स उसे कुछ और अंदरुनी सूचना दिलवाए।  चाहे इसके लिए बड को कुछ भी करना पड़े।  इसके साथ ही मुश्किलों की शुरुआत हो  जाती है।  ओलिवर स्टोन गॉर्डोन गेक्को के रोल के लिए वारेन बीटी को लेना चाहते थे।  लेकिन, वारेन ने मना कर दिया। फिर वह रिचर्ड गेर के पास गए।  लेकिन अंततः इस रोल के लिए माइकल डगलस फाइनल हुए।  बड फॉक्स का किरदार २२ साल के चार्ली शीन कर रहे थे।  जब ओलिवर  के सामने  बड फॉक्स के पिता कार्ल फॉक्स के किरदार के लिए अभिनेता के चुनाव का सवाल उठा तो उन्होंने मार्टिन शीन पर छोड़ दिया कि वह जैक लेमन और अपने रियल लाइफ पिता मार्टिन शीन में से किसी को चुन ले।  चार्ली शीन ने अपने रियल पिता को रील के लिए भी चुन लिया।  चार्ली ने मार्टिन का चुनाव इस लिए किया था कि मार्टिन में भी वही नैतिकता थी, जो कार्ल के करैक्टर में थी।  

क्या पाकिस्तान फिल्म इंडस्ट्री में सांस ले पायेगा बॉलीवुड का बादशाह खान !

शाहरुख़ खान से लोग कह रहे हैं कि पाकिस्तान चले जाओ। शाहरुख़ खान गाना-बजाना करने और नाचने वाला एक्टर है। उसकी साल में औसतन दो फ़िल्में रिलीज़ होती हैं। अगर वह पकिस्तान धर्म के लिहाज़ से न सही, एक्टर के लिहाज़ से चला जाये तो वह वहाँ क्या करेगा! एक्टिंग ही न। आइये जान लेते हैं पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री का हाल। आजादी से पहले हिन्दुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री मुख्य रूप से लाहौर में केन्द्रित थी। इसीलिए, आज की भाषा में पाकिस्तानी इंडस्ट्री को लोलिवुड कहा जाता है। पाकिस्तान की पहली फिल्म १९२८ में बनाई गई। इस फिल्म का नाम डॉटर ऑफ़ टुडे था। पाकिस्तान की पहली पंजाबी फिल्म शीला (पिंड दि कुड़ी) लाहौर में नहीं, बल्कि कलकत्ता में के डी मेहरा ने बनाई थी। पाकिस्तान बनने के बाद गैर मुस्लिम कलाकारों का पाकिस्तान से भागने का सिलसिला शुरू हो गया। अभिनेत्री शहनाज़ बेगम को इसलिए पाकिस्तान से भागना पड़ा, क्योंकि उनकी मातृ भाषा बंगाली थी और उनका रंग काला था। पार्टीशन के दौरान संगीतकार ओ पी नय्यर पर हमला हुआ। एक मुसलमान पडोसी ने उनकी जान बचाई। वह भारत भाग आये। १९५५ में शीला रमानी और मीना शोरी अपने 'वतन' पाकिस्तान गई। शीला रमानी का जल्द ही पाकिस्तान से मोह भंग हो गया। वह हिंदुस्तान वापस आ गई। लेकिन, मीना शोरी वापस नहीं आई। विडम्बना देखिये की अविभाजित भारत की इस पॉपुलर एक्ट्रेस की १९८९ में मौत हुई तो उनको दफनाने के लिए पैसे नहीं थे। १९७१ से पहले पाकिस्तान में लाहौर, कराची और ढाका में फिल्मों का निर्माण होता था। १९७१ में बांगलादेश बनने के बाद ढाका अलग हो गया। पाकिस्तान में मुख्य रूप से उर्दू भाषा में फिल्मे बनाई जाती हैं। पंजाबी, पश्तो, बलूची और सिन्धी भाषा में भी फ़िल्में बनाई जाती है। पाकिस्तानी फिल्म उद्योग हमेशा से इस्लामिक एजेंडा का शिकार होता रहा है। जनरल जिया-उल- हक के शासन काल में इस पर काफी प्रतिबन्ध थोपे गए। नतीजे के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री का ख़ास तौर पर प्रोडक्शन और एक्सिबिशन सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ। नतीजे के तौर पर कभी साल में ८० फ़िल्में बनाने वाला लोलिवुड मुश्किल से दो फ़िल्में बनाने लगा। सिनेमाघर बंद होते चले गए। साठ के दशक में जिस कराची में १०० सिनेमाघर हुआ करते थे और यह सेंटर १०० फिल्मे बनाया करता था, सत्तर के दशक में उसी कराची में दसेक सिनेमाघर ही बचे रह सके। २००२ से सिनेमाघरों को खोले जाने का प्रयास किया जाने लगा। सिनेप्लेक्स के ज़रिये स्क्रीन बढ़ाने की कोशिशें जारी है। वर्तमान में (२००९) पाकिस्तान में ३१९ सिनेमाघर हैं। पाकिस्तानी फिल्म उद्योग साल में १५ फ़िल्में ही बना पाता है। बताते हैं कि एक समय सिनेमाघरों से दूर हो गए दर्शक २०१० में सलमान खान की फिल्म दबंग की रिलीज़ के बाद वापस आने लगे। पाकिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों के लिए टिकट दरें ३००-५०० की रेंज में रखी जाती हैं। बॉलीवुड की फ़िल्में दुनिया के जिन ९० देशों में रिलीज़ होती है, वहाँ घुसने की कल्पना तो पाकिस्तानी फ़िल्में करती भी नहीं हैं। पाकिस्तान की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म १९१५ में रिलीज़ जवानी फिर न आनी' है। इस फिल्म ने ३७ करोड़ का बिज़नेस किया है। पाकिस्तान की केवल सात फिल्मे ही १० करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस कर सकी है। पाकिस्तान में अगर कोई फिल्म १० करोड़ कमा ले जाती है तो वह भारतीय फिल्मों के १०० करोड़ में शामिल मानी जाती है। ज़ाहिर है कि पाकिस्तान में १० करोड़ का इलीट क्लब बना हुआ है।
इसे पढने के बाद आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पाकिस्तानी आर्टिस्ट भारत की और क्यों भागते हैं। ऐसे में अगर हफ़ीज़ सईद के बुलावे पर 'असहिष्णुता' का शिकार शाहरुख़ खान पाकिस्तान चला जाये तो वह वहां क्या धोएगा, क्या निचोड़ेगा और क्या ख़ाक सुखायेगा। खुद सूख जायेगा। अगर शाहरुख़ खान इसे सोच ले तो उसका दम पाकिस्तान से दूर मुंबई में मन्नत में बैठे बैठे ही घुट जायेगा।
सबसे ज्यादा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन करने वाली पाकिस्तानी फिल्म 'जवानी फिर नहीं आनी' 

Thursday 5 November 2015

जेनिफर एनिस्टन और डेमी मूर से प्रेरित हुई 'मस्तीज़ादे' की सनी लियॉन

दिसंबर में रिलीज़ होने जा रही सनी लियॉन की फिल्म 'मस्तीज़ादे' में दर्शकों को सनी लियॉन की डबल मस्ती देखने को मिलेगी।  इस फिल्म में सनी लियॉन दोहरी भूमिका में हैं।  वह फिल्म में दो बहनों हॉट और सेक्सी लैला लेले और सुन्दर मगर मूर्ख लिली लेले की भूमिकाएं कर रही हैं। हालाँकि, लिली लेले बेवक़ूफ़ किस्म की है, इसके बावजूद वह अपनी बहन के साथ मिल कर स्ट्रिपटीज़ डांस करते हुए वीर दास और तुषार कपूर को ललचाते हुए नज़र आएंगी।  चूंकि, एक सनी के यह दो किरदार हैं तो स्वाभाविक रूप से इनमे उन्हें फर्क रखना ही होगा।  सनी लियॉन ने दो बहनों के इस फर्क को फिल्म में अपने स्ट्रिपटीज़ डांस में भी कायम रखा है।  उन्होंने, जहाँ लैला लेले की स्ट्रिपटीज़ डांस की शैली फिल्म 'वी आर द मिलरस' में जेनिफर एनिस्टन के स्ट्रिपटीज़ डांस वाली रखी हैं, वहीँ लिली लेले का स्ट्रिपटीज़ डांस फिल्म 'स्ट्रिपटीज़' में डेमी मूर के स्ट्रिपटीज़ की शैली में किया है। 'मस्तीज़ादे' फिल्मों के कथा-पटकथा लेखक मिलाप जावेरी की बतौर निर्देशक दूसरी फिल्म है।  उनकी पहली फिल्म 'जाने कहाँ से आई है' बॉक्स ऑफिस पर असफल हुई थी।  इसलिए, 'ग्रैंड मस्ती' के इस लेखक मिलाप कामुक हावभाव और द्विअर्थी संवादों वाली फिल्म से हिंदी फिल्म दर्शकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।  इस दो बहनों के स्ट्रिपटीज़ डांस सीक्वेंस के बारे में मिलाप जावेरी बताते हैं, "मैंने जब सनी लियॉन को यह सीक्वेंस सुनाया तो उनकी आँखों के सामने जेनिफर एनिस्टन और डेमी मूर के स्ट्रिपटीज़ डांस सीक्वेंस घूम गए। मैं इस सीक्वेंस से चकित कर देने वाला प्रभाव चाहता था।  सनी लियॉन ने ज़बरदस्त डांस किये हैं।" मस्तीज़ादे पिछले दो सालों से बनती रुकती और बनती फिल्म है।  इस फिल्म में सनी लियॉन, वीर दास और तुषार कपूर के अलावा रितेश देशमुख का एक्सटेंडेड कैमिया है। 
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अपनी फिल्मों को प्रचार दिलाने की एसआरके की 'असहिष्णुता' साज़िश !

शाहरुख़ खान और उनके माय नाम इज खान, बट आई एम नॉट टेररिस्ट टाइप के विवादों का चोली दामन का नाता है। इसे यों कहा जा सकता है कि वह इन विवादों से खुद का नाता ज़बरन जोड़ लेते हैं, बशर्ते कि उनकी कोई नई फिल्म रिलीज़ होने जा रही हो। वैसे यह बात आमिर खान पर भी लागू होती हैं। लेकिन, यहाँ सिर्फ शाहरुख़ खान की बात ही करते हैं। शाहरुख़ खान और लश्कर ए तैयबा के फाउंडर हफ़ीज़ सईद का पुराना नाता है। २०१३ में शाहरुख़ खान ने 'आउटलुक टर्निंग पॉइंट' को दिए इंटरव्यू में शाहरुख़ खान ने एक बार फिर खुद को मुसलमान बताते हुए, यह आरोप लगाया कि लोग मेरा हिंदुस्तान के बजाय पाकिस्तान से नाता जोड़ देते हैं। जबकि, शाहरुख़ खान के पारिवारिक परिचय से पता चलता है कि उनके पिता अविभाजित भारत के पेशावर से थे, जो इस समय पाकिस्तान में है। खान के इस कंट्रोवर्सियल बयान के बाद पाकिस्तान से हफ़ीज़ सईद की आवाज़ बुलंद हुई कि अगर शाहरुख़ खान खुद को भारत में असुरक्षित महसूस करते हैं, तो पाकिस्तान में आ सकते हैं। अब यह बात दीगर है कि २०१३ में खान की फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' रिलीज़ हुई। फिल्म इंडस्ट्री में सबसे ज़्यादा झगड़ालू शाहरुख़ खान ही हैं। सलमान खान, आमिर खान, शिरीष कुंदर, अभिजीत भट्टाचार्य (कभी अभिजीत फिल्मों में शाहरुख़ की आवाज़ हुआ करते थे), प्रियंका चोपड़ा, अमिताभ बच्चन और अमर सिंह, आदि के साथ शाहरुख़ खान पंगा लेते रहते हैं। लेकिन, जब उनकी कोई फिल्म रिलीज़ होने को होती है तो वह खुद को खान घोषित करते हुए यह भी कहते हैं, "आई एम नॉट टेररिस्ट" (भाई तुमको टेररिस्ट कहा किसने) . फरवरी २०१० को शाहरुख़ खान की करण जौहर निर्देशित फिल्म 'माय नाम इज खान' रिलीज़ होने को थी। उस दौरान फिल्म की शूटिंग तेज़ी पर थी। शाहरुख़ खान आम तौर पर अपनी फिल्म का प्रचार छह महीना पहले से ही शुरू कर देते हैं। जैसे अभी से रईस और फैन का प्रचार शुरू हो चूका है। जबकि, यह फ़िल्में अगले साल जुलाई और अप्रैल में रिलीज़ होनी है। शाहरुख़ खान ने २००९ में यह सुर्रा छोड़ा कि अगस्त २००९ में उन्हें नेवार्क एयरपोर्ट पर दो घंटे तक रोके रखा, क्योंकि मेरे नाम के साथ खान लगा है। जबकि वास्तविकता यह थी कि अमेरिका में ऎसी तलाशिया होती रहती हैं। उत्तर प्रदेश के एक मंत्री आज़म खान भी इसका शिकार हो चुके हैं। खान ने इस घटना को अपने पीआर और मीडिया के दोस्तों के ज़रिये खूब भुनाया। कुछ इसी प्रकार का सुर्रा, इसी एयरपोर्ट पर पहुँच कर खान ने अप्रैल २०१० में फिर छोड़ा और खुद को बड़ा स्टार साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब इसे इत्तेफ़ाक़ तो नहीं ही कहा जायेगा। ध्यान दें तो शाहरुख़ खान किसी एक्टर या को स्टार के साथ ज़बरदस्ती झगड़ा मोल लेकर प्रचार जुटाते हैं। अपनी फिल्म 'जब तक हैं' जान को उन्होंने जानबूझ कर अजय देवगन की फिल्म 'सन ऑफ़ सरदार' के सामने ला खड़ा किया। यह विवाद कोर्ट तक पहुंचा। २०१३ को आउटलुक को दिया इंटरव्यू फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' को प्रचार दिलाने के मक़सद से ही दिया गया था। दिवाली २०१४ में शाहरुख़ खान की फिल्म 'हैप्पी न्यू ईयर' रिलीज़ होनी थी। यह साल लोकसभा चुनाव का वर्ष था। बीजेपी को बढ़त साफ़ नज़र आ रही थी। नरेंद्र मोदी के खिलाफ सांप्रदायिक प्रचार धूर्तता की हद तक हो रहा था। ऐसे समय में शाहरुख़ खान ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया। खान का विवादित बयान सामने आया कि अगर नरेंद्र मोदी जीते तो मैं हिंदुस्तान छोड़ दूंगा। यह उनका अपनी फिल्म को प्रचार देने का शोशा इसलिए था कि खान ने न तो इसका खंडन किया, न ही वह देश छोड़ कर गए। इस बार भी खान की फिल्म 'दिलवाले' डेढ़ महीने बाद रिलीज़ होने वाली है। खान ने अपनी यह फिल्म भी संजय लीला भंसाली को छेड़ने के लिए पहले से तय फिल्म 'बाजीराव मस्तानी ' की रिलीज़ डेट को ही रिलीज़ करने की घोषणा कर दी। चूंकि, प्रचार के मामले में संजयलीला भंसाली काफी आगे निकल गए हैं, इसलिए शाहरुख़ खान ने फिर खुद के खान होने और देश में असहिष्णुता का राग अलाप दिया। यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि मामला सिर्फ 'दिलवाले' को प्रचार दिलाने का नहीं, बल्कि ईडी की उन नोटिसों का भी है, जो उन्हें और उनकी पत्नी को आईपीएल के ज़रिये फेमा के उल्लंघन पर पूछताछ के लिए भेजी गई थी तथा जिसमे अगर खान फंस गए तो उन्हेंऔर उनकी बीवी को जेल जाने से कोई नहीं बचा सकता। इसलिए सरकार पर दबाव और प्रचार का दोहरा लाभ पाने के लिए शाहरुख़ खान ने असहिष्णुता की घी भरी कड़ाही में अपनी उंगली या सर नहीं डाला बल्कि, खुद को पूरी तरह से डुबो दिया।



सोनाली बेंद्रे बतायेंगी कि कौन बेस्ट ड्रामेबाज़ !

कुछ समय पहले टीवी सीरियल 'अजीब दास्तान है यह' से टीवी दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाली सोनाली बेंद्रे अब पूरी तरह से टीवी शोज में रम गई लगती हैं।  तभी तो वह एक रियलिटी टीवी शो में फिर से ड्रामेबाज़ की खोज करती नज़र आयेंगी।  पोपुलर रियलिटी शो 'इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज़' के दूसरे सीजन में सोनाली बेन्द्र एक बार फिर बेस्ट ड्रामेबाज़ चुनने के लिए इस शो को जज करने जा रही है। इस शो में बच्चों के एक्टिंग टैलेंट को जांचा परखा जाता है उसमे से श्रेष्ठ को चुना जाता है।  इस शो के पिछले सीजन में श्रेष्ठ बाल प्रतिभाओं के प्रदर्शन ने सोनाली बेंद्रे को बहुत प्रभावित किया था।  वह कहती है, "अजीब दास्ताँ है ये' की शूटिंग में बेहद व्यस्त रहने के बाद मैं कुछ दिन आराम करना चाहती थी।  अपने बेटे रणवीर और परिवार को समय देना चाहती थी।  लेकिन, चूंकि यह ड्रामेबाज़ था, इसलिए मैंने इस जज करना मंज़ूर कर लिया।  वैसे रियलिटी शो मेरे लिए उपयुक्त है। क्योंकि, मुझे ऐसे शोज को शूट करने के लिए महीने में पांच या छः दिन ही देने होंगे। "
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फिर साथ साथ रजनीकांत और अमिताभ बच्चन !

दक्षिण में खबरे गर्म हैं कि २०१० की तमिल ब्लॉकबस्टर फिल्म 'एंधीरन' की सीक्वल फिल्म 'एंधिरन २' में रजनीकांत के साथ अमिताभ बच्चन नज़र आ सकते हैं।  शंकर द्वारा निर्देशित फिल्म 'एंधिरन' को हिंदी में 'रोबोट' शीर्षक के साथ रिलीज़ किया गया था। अब इसके सीक्वल पर काम किया जा रहा है। पिछले दिनों, यह खबर गर्म थी कि शंकर 'एंधिरन २' के मुख्य विलेन के लिए हॉलीवुड के एक्शन स्टार अर्नाल्ड श्वार्ज़नेगर को लेना चाहते हैं।  लेकिन, पता चला है कि अर्नाल्ड ने जो शर्ते रखी हैं उसे पूरी करना शंकर के वश की बात नहीं है। अर्नाल्ड ने 'एंधिरन २' का मुख्य विलेन बनने के लिए शर्त रखी है कि पहले फिल्म की स्क्रिप्ट को किसी हॉलीवुड स्क्रिप्ट राइटर से फिर लिखवाया जाये ।  उन्होंने फिल्म में काम करने की एवज में १०० करोड़ का पारिश्रमिक भी मांगा है।  ज़ाहिर है कि सुपर स्टार रजनीकांत को ध्यान में लिखी गई फिल्म की स्क्रिप्ट को अर्नाल्ड की शर्त के अनुसार बदला जाना संभव नहीं है।  एक सौ करोड़ का पारिश्रमिक तो बहुत बाद की बात है।  अर्नाल्ड के बाद अमिताभ बच्चन को फिल्म में लिए जाने की चर्चा भी ज़ोरों पर है। शंकर ने अमिताभ बच्चन से कांटेक्ट कर  फिल्म में काम करने का ऑफर किया।  बताते हैं कि अमिताभ बच्चन अपने अच्छे मित्र तथा अंधा कानून और गिरफ्तार जैसी  फिल्मों के को-स्टार रजनीकांत के साथ फिल्म करने के   इच्छुक भी हैं।  यहाँ याद दिला दें कि 'एंधिरन' में रजनीकांत की नायिका अमिताभ बच्चन की बहु ऐश्वर्या राय बच्चन थी।  लेकिन, 'एंधिरन २'  में ससुर-बहु टकराव नहीं होने जा रहा। क्योंकि, 'एंधिरन २' में रजनीकांत की नायिका एमी जैक्सन हैं। इस विज्ञानं फंतासी फिल्म के शुरू होने का ऐलान १२ दिसंबर को रजनीकांत के जन्मदिन पर क्या जायेगा।  इस फिल्म को ३ डी  तकनीक से बनाया जायेगा।  

एक थी अजूरी

भारतीय सिनेमा के शुरूआती यहूदी सितारों की परंपरा में अज़ूरी भी थी।  उनका पूरा नाम अन्ना मारिए गुएजलोर  था। वह बेंगलोर में १९०७ में पैदा हुई। वह हिंदी फिल्मों की नर्तकी अभिनेत्री थी। अज़ूरी ने बहुत फ़िल्में नहीं की।  वह ज़्यादा  फिल्मों की नायिका भी नहीं बनी। उन्होंने 'जजमेंट ऑफ़ अल्लाह', 'जवानी की हवा', 'चंद्रसेना', 'सुनहरा संसार', 'लग्न बंधन', 'भूकैलाश', 'नया संसार', शेख चिल्ली', तस्वीर', 'रतन', 'शाहजहाँ', 'परवाना', आदि १६ फिल्मों में बतौर नर्तकी अभिनेत्री किरदार किये।  वास्तविकता तो यह है कि अज़ूरी की पहचान भी हिंदी फिल्मों की नर्तकी अभिनेत्रियों के बतौर ही है।  हिंदी फिल्मों की  आइटम डांसर या कैबरे डांसर के बतौर हेलेन को याद किया  जाता है।  हेलेन कुकु की देन थी।  कुकु ने हिंदी फिल्म निर्माताओं का परिचय हेलेन से करवाया।  कुकु के हिंदी फिल्मों में नृत्य गीत फिल्मों को हिट बनाने की गारंटी हुआ करते थे।  लेकिन, कुकु भी हिंदी फिल्मों की पहली डांसर अभिनेत्री नहीं थी। फिल्मों को आवाज़ मिलने के बाद, हिंदी फिल्मों की पहली डांसर अज़ूरी थी।  तीस और चालीस के दशक में अज़ूरी की तूती बोला करती थी। सच कहा जाए तो भारतीय और पाकिस्तानी फिल्मों में अज़ूरी ने अपने नृत्यों को इतना पॉपुलर बनाया कि फिल्मों में अज़ूरी का डांस होना ज़रूरी हो गया था । उनकी पहली फिल्म 'नादिरा' १९३४ में रिलीज़ हुई थी।  अज़ूरी की माँ हिन्दू ब्राह्मण थी और पिता एक जर्मन यहूदी  डॉक्टर ।  अज़ूरी ने एक मुसलमान से शादी की थी।  देश के बंटवारे के बाद अज़ूरी पाकिस्तान नहीं गईं।  लेकिन, १९६० में वह पाकिस्तान चली गई। अलबत्ता, उनकी दो बहने भारत में ही रह गई।  उन्होंने पाकिस्तान में भी झूमर जैसी फिल्मों में अभिनय किया।  उनकी आखिरी भारतीय फिल्म बहना थी, जो १९६० में रिलीज़ हुई।  अज़ूरी की मृत्यु १९९८ में ९० साल की उम्र में हुई।  अज़ूरी की बदौलत हिंदी फिल्मों में डांसर अभिनेत्रियों का जन्म हुआ।  कुकु, हेलेन, सीमा वाज, शशिकला, बिंदु, आदि के लिए हिंदी फिल्मों की राह खोलने वाली अज़ूरी ही थी।  कुकु तो अज़ूरी के डांस से काफी प्रेरित थी।  

सीले हुए पटाखों से निकला 'असहिष्णुता' का धुंवा !

हिन्दुओं की असहिष्णुता को लेकर अपने अवार्ड लौटने वाले फिल्मकारों की हकीकत-
आनंद पटवर्धन को डाक्यूमेंट्री 'जय भीम कामरेड' बनाने में १४ साल लगे. यह डाक्यूमेंट्री २०११ में दिखाई गई. इसके बाद से सन्नाटा है.
कुंदन शाह की फुल लेंग्थ फिल्म 'एक से बढ़ कर एक' २००४ में रिलीज़ हुई. इसके १० साल बाद उनकी एक वैश्या के प्रधान मंत्री बनने के कथानक पर घटिया फिल्म 'पी से पीएम तक' २०१४ में रिलीज़ हुई. इस फिल्म से बेहतर तो मलिका शेरावत की फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' ज्यादा बेहतर  थी .इस कथित इन्टेलेक्ट की यह फिल्म शायद खुद उनके, समीक्षकों और उनके दोस्तों के अलावा किसी ने भी नहीं देखी.
कुंदन शाह के दोस्त सईद अख्तर मिर्ज़ा तो १९९५ में 'नसीम' बनाने के बाद सन्नाटे में आ गए. बीस साल में वह केवल एक फिल्म 'एक ठो चांस' ही बना सके, जिसे एक ठो दर्शक ने भी नहीं देखा.
उपरोक्त से ज़ाहिर है कि उपरोक्त फिल्मकार विदेशी शोहरत के सहारे अभी टिके हुए हैं और जिनकी प्रतिभा का सूखा तो दसियों साल से पडा हुआ है. यह तो सहिष्णु माहौल में तक एक्को फिल्म न बना सके. वह अब इसके अलावा और कर ही क्या सकते हैं!
कुछ फिल्मकार जो सक्रिय हैं, उनके हकीकत पढ़िए-
खोसला का घोसला की फ्लूक कामयाबी के सहारे इन्टेलेक्ट बने दिबाकर बनर्जी ने लव सेक्स एंड धोखा जैसे गटर में गोता लगाया. शंघाई और डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी जैसी टोटल वाशआउट फ़िल्में बनाई. इधर उनकी 'तितली' रिलीज़ होने वाली थी. इसे प्रचार दिलाने के लिए उन्होंने वह पुरस्कार लौटा दिया, जो उनका था नहीं. खोसला का घोसला के निर्माता दिबाकर नहीं थे तो वह यह पुरस्कार कैसे लौटा सकते थे. यह धोखाधड़ी का मामला ही तो है.

Wednesday 4 November 2015

अब गॉडजिला और किंग कॉंग

फ्रेडी और जैसन, एलियन और प्रिडेटर, बैटमैन और सुपरमैन तथा क्रेमर और क्रेमर की परंपरा में गॉडजिला  और किंग कॉंग भी चल निकले हैं। हॉलीवुड  फिल्मों के दर्शक अब गॉडजिला और किंग कॉंग को एक ही फिल्म में देखा पाएंगे।  फिल्म होगी गॉडजिला वर्सेज किंग कॉंग।  पिछले दिनों, वार्नर ब्रदर्स और लीजेंडरी पिक्चर्स के प्रवक्ताओं ने इस बात की संयुक्त घोषणा की।  इन दोनों लीजेंड विशाल आकृतियों पर फिल्म २०२० में रिलीज़ होगी।  २०१४ में 'गॉडजिला' पर रिबूट फिल्म की सफलता ने लीजेंडरी  पिक्चर्स का इस दैत्य आकृति पर विश्वास  पुख्ता हुआ था।  हालाँकि, गॉडजिला पर रिबूट फिल्म के बाद इस करैक्टर पर एक फिल्म २०१८ में रिलीज़ होने जा रही है।  यहाँ, बताते चले कि १९६२ में जापान के तोहो स्टूडियोज ने गॉडजिला सीरीज की तीसरी फिल्म किंग कॉंग के साथ 'किंग कॉन्ग वर्सेज गॉडजिला' बनाई थी।  यह फिल्म १९६३ में अमेरिका में भी रिलीज़ हुई।  लेकिन, २०२० की 'गॉडजिला वर्सेज किंग कॉन्ग ' का १९६२ की फिल्म से कोई सरोकार नहीं। खबरे हैं कि २०२० की गॉडजिला वर्सेज किंग कॉन्ग उस ट्राइलॉजी का तीसरा हिस्सा है, जो २०१७ में फिल्म 'कॉन्ग: स्कल आइलैंड' की रिलीज़ के साथ शुरू होगी।  इस फिल्म के बाद 'गॉडजिला २' को रिलीज़ किया जायेगा।  यह २०१४ में रिलीज़ अमेरिकन फिल्म 'गॉडजिला' की सीक्वल फिल्म है।  'गॉडजिला वर्सेज किंग कॉन्ग' मोनार्क के विज्ञानी  अपनी 'गॉडजिला' की खोज को आगे बढ़ाएंगे। यह भी ऐलान किया गया है कि 'द किंग ऑफ़ समर' के डायरेक्टर जॉर्डन वॉट-रॉबर्ट्स ट्राइलॉजी की पहली फिल्म 'स्कल आइलैंड' का निर्देशन करेंगे।  गैरेथ एडवर्ड्स 'गॉडजिला २' का निर्देशन करेंगे। अभी इसके कलाकारों का चुनाव नहीं किया गया है।

नारी हिरा : फिल्म पत्रकारिता का चेहरा बदल देने वाला 'हीरा'

सितारों की ज़िन्दगी में झांकने, वह फिल्म की शूटिंग के बाद क्या करते हैं, कहाँ जाते हैं, किसके साथ घूमते फिरते हैं, आदि आदि बातों का ज़िक्र होते ही आँखों के सामने गॉसिप मैगज़ीन ‘स्टारडस्ट’ का लेटेस्ट कवर घूम जाता है। इसके साथ ही, पैंतालिस साल पहले हिंदी फिल्म स्टार्स की ज़िन्दगी को बेपर्दा कर देने वाली अंग्रेजी फिल्म मासिक ‘स्टारडस्ट’ के संस्थापक नारी हिरा का नाम भी याद आ जाता है। नारी हिरा ने बम्बइया फिल्म पत्रकारिता का जैसे चेहरा ही बदल दिया था। उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था कि कोई मैगज़ीन किसी फिल्म स्टार की ज़िन्दगी में इतने बेबाकी से झाँकेगी, उस के निजी जीवन की बेशर्म सच्चाइयों को उस आम फिल्म प्रेमी को बताएगी, जो अपने पसंदीदा सितारे को ईश्वर की तरह पूजता है। नारी हिरा को एक मैगज़ीन के जरिया ऐसा करने का विचार उस समय आया, जब वह उस दौर की एक लोकप्रिय फिल्म पत्रिका ‘फिल्मफेयर’ के एक अंक को देख कर। मैगज़ीन में इस उस समय की लोकप्रिय फिल्म अभिनेत्रियों साधना, आशा पारेख और वहीदा रहमान को मुंबई के जुहू बीच पर रेत के किले बनाते दिखाया गया था। यह अभिनेत्रियाँ मैगज़ीन के पत्रकार से अपनी फिल्मों के बारे में बात कर रही थी। नारी हिरा को लगा क्या मज़ाक  है ! यह क्यों नहीं जाना जाता कि यह अभिनेत्रियाँ फिल्म की शूटिंग के बाद क्या करती हैं। उनके जीवन की सच्चाइयों को क्यों नहीं बताया जाता ! इसके साथ ही ‘स्टारडस्ट’ का जन्म हुआ। दरअसल, नारी हिरा हॉलीवुड की तीसवे और चालीसवे दशक में निकलने वाली फिल्म मैगज़ीन ‘फोटोप्ले’ जैसी कोई पत्रिका निकालना चाहते थे। उन्होंने किया भी ऐसा ही। उस समय राजेश खन्ना का सितारा बुलंदी पर था। नारी हिरा मैगज़ीन के लॉन्चिंग अंक की कवर स्टोरी का हीरो राजेश खन्ना को ही बनाना चाहते थे। उस समय अंजू महेन्द्रू का राजेश खन्ना के साथ रोमांस चल रहा था। नारी हिरा अंजू महेन्द्रू को जानते थे। उन्होंने अंजू से कहा कि मैं अपनी मैगज़ीन के लिए स्टोरी करना चाहता हूँ। उन्होंने पूछा कि क्या तुम बताओगी कि क्या तुम दोनों शादी करना चाहते हो या सिर्फ रोमांस ही करोगे ? अंजू को नारी हिरा की स्टोरी का यह आईडिया पसंद आया। अंजू ने जवाब दिया मैं आपको यह तो नहीं बताने जा रही कि हम दोनों ने गुप्त रूप से शादी कर ली है या नहीं। लेकिन बाकी सब कुछ बताऊंगी। अक्टूबर १९७१ में स्टारडस्ट का पहला अंक बाज़ार में आया। कवर स्टोरी थी- इज राजेश खन्ना सीक्रेटली मैरिड ? यह अंक अक्टूबर के पहले हफ्रते में बाज़ार में आया। इसके साथ ही बॉम्बे की फिल्म पत्रकारिता का चरित्र ही बदल गया। 


कैरोलिन कोस्सेय : जेम्स बांड गर्ल वाज अ बॉय

यह कैरोलीन कोस्सेय हैं (देखें चित्र) । ३१ अगस्त १९५४ को जन्मी कैरोलिन ब्रिटिश मॉडल हैं। वह १९८१ में रिलीज़ बांड फिल्म ‘फॉर योर आईज ओनली’ की बांड गर्ल रह चुकी हैं। लेकिन, दसियों खूबसूरत और सेक्सी बांड गर्ल्स के बीच कैरोलिन की खासियत क्या है ! दरअसल, कैरोलीन ट्रांसजेंडर हैं। किशोर कैरोलिन में लड़कों से ज्यादा लड़कियों के लक्षण देखे गए। साथी उनका मज़ाक उड़ाया करते थे। कैरोलिन को भी अपनी बहन के साथ माँ की तरह तैयार होना पसंद था। इसी कारण से कैरोलिन को १५ साल की उम्र के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा। कैरोलिन ने १७ साल की उम्र में खुद के शरीर में थोडा परिवर्तन करवा कर, लन्दन के एक नाईट क्लब में शो गर्ल का काम करना शुरू कर दिया। इसके बाद कैरोलीन ने अपनी छातियों को बड़ा करने के लिए सर्जरी करवाई। इसमे सफलता के बाद वह पेरिस के नाईट क्लब में शोगर्ल और रोम में टॉपलेस डांसर का काम करने लगी। अब कैरोलिन पूरी तरह से स्त्री का जीवन जीने लगी थी। उन्होंने ने ‘टूला’ नाम से मॉडलिंग शुरू कर दी। वह ऑस्ट्रेलिया के पत्रिका वोग और हार्पर्स बाज़ार में नज़र आने लगी। इस तरह से कैरोलिन ने बड़े पैमाने पर ग्लैमरस मॉडलिंग करनी शुरू कर दी। ब्रिटिश टेबलायड की वह पेज थ्री गर्ल थी। १९९१ में प्लेबॉय में भी नज़र आई। १९७८ कैरोलिन उर्फ़ टुलू ने ब्रिटिश गेम शो ३-२-१ का एक पार्ट जीत लिया था। तभी एक पत्रकार ने उससे कहा कि वह जानता है कि टुलू ट्रांसजेंडर है। उसने खुद को कुछ इस तरह पेश किया, जैसे वह टुलू का भला चाहने वाला है। इसकी भनक लगते ही दूसरे पत्रकार भी कैरोलिन के अतीत को टटोलने लगे। टुलू को इस गेम शो से बाहर कर दिया गया। इसी दौरान १९८१ में वह बांड फिल्म ‘फॉर योर आईज ओनली’ में बांड गर्ल बनी अभिनेता रॉजर मूर के साथ खड़ी नज़र आई। यही से शुरू होती है टुलू की संघर्ष और विजय की कहानी। जेम्स बांड की रिलीज़ के ठीक बाद एक टेबलायड ‘न्यूज़ ऑफ़ द वर्ल्ड’ में खबर थी ‘जेम्स बांड गर्ल वाज अ बॉय' । इस खबर ने टुलू को काफी निराश किया। वह आत्महत्या करने की सोचने लगी। फिर, काफी सोच विचार के बाद कैरोलिन ने अपना मॉडलिंग करियर जारी रखने का निश्चय किया। अख़बार की खबर के जवाब में कैरोलीन कोस्सेय की आत्मकथा ‘आई एम् अ वुमन’ बाज़ार में आई।  इसी दौरान टुलू के जीवन में आया एक इटलियन एडवरटाइजिंग एग्जीक्यूटिव काउंट ग्लुको लासिनियो, जो उसके अतीत से परिचित होने के बावजूद उससे प्रेम करता था और उसने टुलु से सगाई भी कर ली थी। काउंट ने उससे ट्रांसजेंडर को लेकर बने ब्रितानी कानून को बदलने के लिए मुक़दमा दायर करने के लिए कहा। हालाँकि,  इस मुकदमे के दौरान ही, काउंट से टुलू की सगाई टूट गई। लेकिन, ब्रितानी कानून में बदलाव का टुलू का संघर्ष जारी रहा। सात साल लम्बे कानूनी संघर्ष के बाद टुलू ब्रिटिश कानून में बदलाव ला पाने में सफल हुई। इस फैसले के बाद, टुलू ने चार साल पहले छोड़ी गई मॉडलिंग फिर शुरू कर दी।  १९९१ में कैरोलीन कोस्सेय की दूसरी आत्मकथा ‘माय स्टोरी’ रिलीज़ हुई। इसी साल प्लेबॉय ने उस पर ‘द ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ़ टुलू’ टाइटल के साथ फोटो फीचर निकाला। आजकल टुलू कनाडा के डेविड फिंच के साथ शादी कर एटलांटा में रह रही है .  


Tuesday 3 November 2015

आई वी ससि : जिसकी पारिवारिक फ़िल्में गरम हुआ करती थी

सत्तर से लेकर नब्बे के दशक के फिल्म प्रेमी आई वी ससि को जानते होंगे . कभी वह अपनी फिल्मों के लिये कुख्यात हुआ करते थे. कुख्यात इसलिए की उनकी तमाम फिल्मे सॉफ्ट पोर्न श्रेणी की फ़िल्में मानी जाती थी . उस दौरान यह कहा जाता था कि उन्होंने तमाम मलयाली फिल्म निर्माताओं को सेक्स परोसने का रास्ता दिखाया . इर्रुप्पम वीडु शाशिधरन, जी हाँ आई वी ससि का यही पूरा नाम था. १९४६ में केरल में जन्मे आई वी ससि ने अपने पूरे करियर के दौरान कोई डेढ़ सौ फ़िल्में बनाई . इनमे कुछ हिंदी में थी और ज्यादा मलयालम से हिंदी में डब कर रिलीज़ की जाती थी . इन्ही डब फिल्मों ने शाशिधरन को पोर्न फिल्मों के डायरेक्टर का दर्ज़ा दे दिया. ‘अवलुड़े रावुकल’ उनकी बतौर निर्देशक पहली ऎसी मलयालम फिल्म थी . यह एक किशोरी वैश्या की कहानी थी . सत्तर के दशक में तत्कालीन मलयाली एक्ट्रेस को यह बेहद बोल्ड फिल्म लगी और उन्होंने वैश्या की इस भूमिका को करने से मना कर दिया. तब ससि अभिनेत्री सीमा के पास गए. सीमा की यह पहली फिल्म थी. फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली. यह फिल्म मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की दूसरी एडल्ट फिल्म थी. इस फिल्म को बाद में हिंदी सहित कुछ अन्य भाषाओँ में डब कर रिलीज़ किया गया . हिंदी दर्शकों ने इस फिल्म को ‘हर नाइट्स’ टाइटल के साथ देखा होगा . हिंदी में भी ‘हर नाइट्स’ खूब सफल हुई. इस फिल्म से पूरे देश में मलयालम की सेक्सी फिल्मों का क्रेज बन गया . सीमा बड़ी स्टार बन गई . बाद में ससि ने सीमा से शादी कर ली. दो साल बाद ससि ने ‘हर नाइट्स’ को ‘पतिता’ टाइटल के साथ हिंदी में मिथुन चक्रवर्ती, राज किरण, शोमा आनंद और विक्रम के साथ बनाया . फिल्म को प्रशंसा ढेर मिली, लेकिन दर्शक कम मिले. इसके बाद आई वी ससि निर्देशित फिल्म ‘वादाकक्कू ओरु ह्रुदयम’ . इस फिल्म को हिंदी में ‘मन का आँगन’ टाइटल के साथ डब कर रिलीज़ किया गया . इसके साथ ही हिंदी की डब सेक्सी फिल्मों में आई वी ससि का नाम जुड़ गया. हालाँकि, उन्होंने अनोखा रिश्ता, अनुरोध, प्रतिशोध, करिश्मा, आदि हिंदी फिल्मो का निर्माण भी किया . आई वी ससि की फ़िल्मों का विषय पारिवारिक हुआ करता था. इसके बावजूद अपने बोल्ड दृश्यों के कारण ससि पोर्न फिल्मकार की तरह जाने जाते थे. एक समय यह कहा जाता था कि ससि बोल्ड विषय पर फ़िल्में ज़रूर बनाते थे, लेकिन एक्सीबिटर उनकी फिल्मों में पोर्न फिल्मों की क्लिपिंग जोड़ कर, इन फिल्मों को गरम फिल्म बना देते थे. हालाँकि, ससि की इमेज गरम फिल्म के निर्माता की बनी हुई थी, लेकिन उन्होंने बहुत सी सार्थक और सन्देश देने वाली फिल्मों का निर्माण किया. उनकी मलयालम फिल्म ‘१९२१’ बाल विवाह पर थी . इस फिल्म को इटली के फिल्म समारोह में दिखाया गया . ससि की फिल्म ‘आरूदम’ को राष्ट्रीय एकता की श्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला . कमल हासन, मोहनलाल, मम्मूती, प्रेम नज़ीर, आदि दक्षिण के सितारो का पहला परिचय आई वी ससि की फिल्मे से ही हुआ . मलयालम फिल्मों से रजनीकांत का डेब्यू आई वी ससि की फिल्म के द्वारा ही हुआ. 


पृथ्वीराज कपूर : एक सिकंदर, जो पोरस भी था

वह सिकंदर भी थे और पोरस भी . वह अर्जुन भी थे और कर्ण भी . वह अकबर थे तो वही महाराणा प्रताप  भी थे।  १९४६ की फिल्म 'पृथ्वीराज संयोगिता' में पृथ्वीराज का किरदार करने वाले अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ने लगभग सभी मुख्य धार्मिक, ऐतिहासिक और अर्ध ऐतिहासिक किरदार किये।  ३ नवंबर १९०६ को अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के लायलपुर में पैदा पृथ्वीराज कपूर ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत लायलपुर और पेशावर के थिएटर से की। उन्होंने अपने फिल्म करियर की शुरुआत मूक फिल्म दो धारी तलवार से की। उन्होंने नौ मूक फिल्मों में एक्स्ट्रा की भूमिका की।  १९२९ में रिलीज़ मूक फिल्म 'कॉलेज गर्ल' के वह नायक थे।  पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' में उन्होंने आलम आरा के पिता सेनापति आदिल की भूमिका की ।  यह वह समय था, जब हिंदी-उर्दू सिनेमा शैशवावस्था में था।  उस दौरान ऎसी फ़िल्में ज़्यादा बनाई जाती थी, जिनके करैक्टर आम आदमी के जाने पहचाने होते थे। इसीलिए पृथ्वीराज कपूर ने  काफी कॉस्ट्यूम ड्रामा फ़िल्में की।  आलम आरा के बाद पृथ्वीराज कपूर ने फिल्म 'द्रौपदी' में अर्जुन, रामायण में राम, राजरानी मीरा में महाराणा प्रताप, सीता में फिर राम, विद्यापति में राजा शिव सिंह, द कोर्ट डांसर: राज नर्तकी में राजकुमार चन्द्रकीर्ति, सिकंदर में सिकंदर महान, महारथी कर्ण में कर्ण, विक्रमादित्य में राजा विक्रमदित्य, छत्रपति शिवाजी में राजा जयसिंह, मुग़ल- ए- आज़म में सम्राट अकबर, रुस्तम सोहराब में योद्धा रुस्तम ज़ाबुली, हरिश्चंद्र तारामती में राजा हरिश्चंद्र, राजकुमार में महाराजा, जहाँआरा में शाहजहाँ, सिकंदर-ए-आज़म में राजा पोरस, श्री रामभरत मिलाप में राजा दशरथ, जहाँ सटी वहां भगवान में महाराजा करंधम, आदि फिल्मों के अलावा शेर ए अफगान, बलराम श्रीकृष्ण, सटी सुलोचना, हीर रांझा, नाग पंचमी जैसी फिल्मों में धार्मिक ऐतिहासिक किरदार किये।  हालाँकि, पृथ्वीराज कपूर कर्ण  और अर्जुन बने, अकबर और शाहजहाँ भी बने, लेकिन वह यादगार रहे फिल्म 'मुग़ल ए आज़म के शहंशाह अकबर के रूप में।  आज भी उनकी भारी भरकम शरीर के साथ दमदार आवाज़ अकबर को परदे पर महान छवि देती लगती है। उन्होंने १९४४ में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की।  २९ मई १९७२ को ६५ साल की उम्र में मृत्यु के बाद पृथ्वीराज कपूर की तीन फ़िल्में नया नशा, बॉम्बे बय नाईट और जुदाई रिलीज़ हुई।  १९६९ में पृथ्वीराज कपूर को पद्म भूषण दिया गया और हिंदी सिनेमा  में महत्वपूर्ण योगदान के लिए १९७१ का दादासाहब फालके अवार्ड मरणोपरांत दिया गया।  

Sunday 1 November 2015

चंद्रलेखा: पहली तमिल फिल्म जो पूरे देश में चमकी

आजादी के सात महीने बाद रिलीज़ तमिल फिल्म ‘चंद्रलेखा’ इस मायने में अलग थी कि यह फिल्म पूरे भारत में रिलीज़ होने वाली पहली तमिल फिल्म थी . इस २०७ मिनट लम्बी ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म को इसकी भव्यता और नगाड़ों पर डांस के लिए याद किया जाता है . एस एस वासन की इस फिल्म में टी एस राजकुमारी, एम के राधा और रंजन जैसे बड़े सितारे थे . यह फिल्म कहानी थी दो राजकुमारों की - एक बुरा दूसरा भला . बुरा भाई अपने पिता की गद्दी पाने की कोशिश में रहता . दोनों ही एक नर्तकी से प्रेम करते थे . मोटे तौर पर यह फिल्म हॉलीवुड की फिल्म ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंटा’ से प्रेरित थी . इस फिल्म में बुरे राजकुमार का किरदार राजकुमार शशांकन का किरदार रंजन ने निभाया था . भले राजकुमार वीरसिम्हन एम के राधा बने थे . नर्तकी चंद्रलेकः की भूमिका टी आर राजकुमारी ने की थी. ‘चंद्रलेखा’ को बनने में पांच साल का समय लगा . हालाँकि, फिल्म पर काम चालीस के दशक की शुरुआत में ही शुरू हो गया था . उस दौरान एस एस वासन की दो फ़िल्में लगातार हिट हो गई थी . वासन ने अपनी अगली फिल्म के टाइटल ‘चंद्रलेखा’ का ऐलान कर दिया . जैमिनी स्टूडियोज का स्टोरी डिपार्टमेंट फिल्म की कहानी पर काम करने लगा. इस फिल्म की कहानी को विकसित करने में कई उपन्यासों का सहारा लिया गया . १९४३ में इस फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई . फिल्म के डायरेक्शन की कमान टी जी राघवाचारी के हाथों में थी . उन्होंने आधी से ज्यादा फिल्म शूट भी की . लेकिन, फिर मतभेदों के चलते वासन ने राघवाचारी को बाहर का रास्ता दिखा दिया और निर्देशन की कमान खुद सम्हाल ली . १९४३ में बननी शूरू चंद्रलेखा पांच साल बाद १९४८ में पूरी हुई . फिल्म के निर्माण के दौरान इसकी कास्ट, कहानी और प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में बार बार फेर बदल हुए . इस फिल्म के निर्माण में उस समय ३० लाख खर्च हुए थे. फिल्म को पूरी करने के लिए एस एस वासन को अपनी तमाम संपत्ति गिरवी रखनी पड़ी और जेवर बेच देने पड़े .  वासन इस फिल्म को अखिल भारतीय स्तर पर रिलीज़ करना चाहते थे . जैमिनी की फिल्म ‘चंद्रलेखा’ के बाद ही एवीएम् और प्रसाद प्रोडक्शनस ने हिंदी फिल्मों का निर्माण शुरू किया . इस फिल्म की कहानी के अनुसार रंजन का विलेन किरदार चंद्रलेखा से ज़बरदस्ती शादी करना चाहता है . इस पर चंद्रलेखा उसके सामने शर्त रखती है कि वह नगाड़ा डांस के बाद ही उससे शादी करेगी . चंद्रलेखा की इच्छा को पूरा करने के लिए खुले दरबार में नगाड़े सजाये जाते हैं . चंद्रलेखा उन पर डांस करती है . इसी दौरान नगाड़ों में बैठे राजकुमार बने राधा के सैनिक बाहर निकल आते हैं . खूब तलवारबाज़ी होती है . आखिर में चंद्रलेखा भले राजकुमार की हो जाती है . इस फिल्म की खासियत तलवारबाज़ी के हैरतंगेज़ दृश्य थे . रंजन खुद में अच्छे तलवारबाज़ थे . फिल्म का नगाड़ा डांस चकाचौंध कर देने वाला भव्य बन पडा था . इस डांस की बदौलत फिल्म ज़बरदस्त हिट हुई . दर्शक केवल इस डांस को देखने के लिए ही फिल्म देखने जाते थे . इस नगाड़ा डांस को २५ साल के कोरियोग्राफर एस राजेश्वर राव ने तैयार किया था . इस दर्शनीय फिल्म के कैमरामैन कमल घोष और के रामनाथ थे . फिल्म के संगीत में भारतीय और पाश्चात्य संगीत की घालमेल थी. एस एस वासन ने इस फिल्म के तमिल संस्करण को भरपूर प्रचार के साथ रिलीज़ किया. फिल्म को समीक्षकों ने सराहा भी . इसके बावजूद फिल्म अपनी लागत वसूलवाने में नाकामयाब हुई . तब वासन ने फिल्म को कुछ बदलाव के साथ हिंदी में रिलीज़ किया . हिंदी में रिलीज़ होते ही चंद्रलेखा बड़ी हिट फिल्मों में शुमार हो गई . फिल्म ने उस समय ७० लाख का ग्रॉस किया, जो आज के लिहाज़ से ४७६.६२ करोड़ है . इस फिल्म की सफलता ने दक्षिण के निर्माताओं को अपनी फ़िल्में हिंदी में रिलीज़ करने के लिए उत्साहित किया . बाद में चंद्रलेखा इंग्लिश, जापानीज, डेनिश तथा अन्य विदेशी भाषाओँ में डब कर रिलीज़ की गई . कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भी यह फिल्म दिखाई गई. देखिये चंद्रकांता के इस दर्शनीय और भव्य नगाड़ा डांस को इस विडियो में-

'शोले' से भी ज़्यादा हिंसक थी यह फिल्म !

चौंतीस साल पहले, २३  नवंबर १९८१ को कडाके की ठण्ड पड़ रही थी . लखनऊ के चाइना बाज़ार के पास बने उस समय के सबसे खूबसूरत थिएटर तुलसी में जीतेंद्र और हेमा मालिनी की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘मेरी आवाज़ सुनो’ लगी थी . यह फिल्म कडाके की ठण्ड में भी गर्म थी . खबर थी कि इस फिल्म में पहली बार किसी नेता और अधिकारी पर उंगली उठाई गई है, उन्हें अपराधी करार दिया गया है . यह अभूतपूर्व था . इससे पहले की हिंदी फिल्मों में पुलिस और प्रशासन के अधिकारी और नेता पवित्र गाय हुआ करते थे, उन पर उंगली उठाना सेंसर का शिकार होना होता था . इसलिए फिल्म के बैन किये जाने की अफवाह गर्म थी . थिएटर के बाहर हाउसफुल का बोर्ड उतरने का नाम नहीं ले रहा था, दर्शकों की लम्बी कतारें फिल्म के हिट होने की ओर इशारा कर रही थी . ऐसे में फिल्म को यकायक सिनेमाघर से उतार दिया गया था . जो नहीं देख पाए, उन्हें अफ़सोस हो रहा था . जिन्होंने देखी वह फिल्म में बर्बर हिंसा से हतप्रभ थे. फिल्म में ईमानदार पुलिस अधिकारी को नेता, अपराधी और पुलिस ऑफिसर प्रताड़ित करते हैं . उसकी गर्भवती पत्नी का गर्भ पेट पर लात मार मार कर गिरा देता हैं . पुलिस अधिकारी की हाथों की उँगलियों के नाखून उतार देते हैं. यह अभूतपूर्व दृश्य थे . हालाँकि, हिंदी फिल्म ‘मेरी आवाज़ सुनो’ के तमाम हिंसक दृश्य काफी कम कर दिए गए थे . लेकिन, मेरी आवाज़ सुनो की रिलीज़ के कोई छह महीना पहले मूल फिल्म कन्नड़ ‘अंत’ ने बंगलोर को हिला  कर रख दिया गया था . निर्देशक एस वी राजेंद्र सिंह की फिल्म की प्रीमियर के बाद से ही अत्यधिक हिंसा के कारण आलोचना शुरू हो गई थी और फिल्म पर बैन लगाये जाने की खबरे उड़ने लगी थी . बंगलौर के दो कन्नड़ दैनिकों प्रजावाणी और कन्नड़ प्रभा ने फिल्म का विरोध शुरू कर दिया . इस फिल्म को शोले से ज्यादा हिंसक बताया गया . फिल्म पर यह भी आरोप लगाए गए कि इसमे हिंसक दृश्य सेंसर से पारित कराये जाने के बाद शामिल किये गए . फिल्म में पुलिस अधिकारी बने अम्बरीश को अपराधी नेता और पुलिस वाले यातना देते हुए उनकी उँगलियों के नाखून उतार लेते हैं . यह दृश्य बड़े विस्तार से दिखाया गया था . इसके अलावा फिल्म में ईमानदार पुलिस अधिकारी की गर्भवती पत्नी का गर्भ उसके पेट में लात मार मार कर गिरा दिया जाता दिखाया गया था . इन दृश्यों ने क्रूरता की तमाम हदें लांघ ली थी . जब शोर शराबा मचा तो सेंसर बोर्ड ने इससे यह कह कर पल्ला झाड लिया कि फिल्म के तमाम दृश्य उन्हें नहीं दिखाए गए. इस देखते हुए बंगलौर के जिला अधिकारी ने फिल्म को थिएटर से उतार जाने के आदेश जारी कर दिए . लेकिन, इस समय तक फिल्म को तीन हफ्ते बीत चुके थे . सिनेमाघरों में इस फिल्म ने ज़बरदस्त कलेक्शन कर लिया था . यह फिल्म तीन हफ़्तों में ही सुपर हिट बिज़नस कर चुकी थी और अम्बरीश कन्नड़ फिल्मों के सुपर स्टार बने . इस फिल्म के कारण उन्हें ‘रिबेल स्टार’ कहाँ जाने लगा. इसी इमेज के बल पर अम्बरीश १२ वी लोकसभा के लिए चुने गए . वह १३ वी और १४ वी लोकसभा के भी सदस्य बने . २००६ में वह मनमोहन सिंह सरकार में सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री बनाए गए . वर्तमान में वह मांड्या से विधायक है और कर्णाटक सरकार में मंत्री . अब फिर बात करते हैं जीतेंद्र की फिल्म ‘मेरी आवाज़ सुनो’ की . यह फिल्म भी जब तक सिनेमाघरों से उतारी जाती ज़बरदस्त हिट हो चुकी थी . हालाँकि, इस फिल्म में कन्नड़ फिल्म के मुकाबले हिंसा के दृश्य काफी प्रतीकात्मक थे . हेमा मालिनी के गर्भ पर लात मारने के दृश्यों को मुर्गी के अंडे तोड़ कर दिखाया गया था . अलबत्ता, नाखून उखाड़े जाते समय जीतेंद्र के किरदार की चीख दहलाने वाली थी . बैन के बाद यह फिल्म फिर रिलीज़ हुई और सबसे बड़ी हिट फिल्मों में शुमार हुई . इस फिल्म ने उस समय १० करोड़ का ग्रॉस किया था, जो आज के लिहाज़ से ३०६.१७ करोड़ है। मेरी आवाज़ सुनो और अर्द्धसत्य के बाद हिंदी फिल्मों में नेता और सरकारी अधिकारी पवित्र गाय नहीं रह गए .