Friday 1 November 2013

स्वागत कीजिये भारत के सुपर हीरो कृष का

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                      हिंदुस्तान में विज्ञान फंतासी फिल्म  बनाने के   अपने खतरे होते हैं. अव्वल यह फ़िल्में काफी महंगी होती हैं. फिल्म की लागत निकालने में निर्माता को पसीने छूट जाते हैं. शाहरुख़ खान  गवाही देंगे कि उनकी महत्वकांक्षी फिल्म रा.वन अपनी लागत नहीं निकाल पायी थी. फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आई तो सब कुछ चौपट हो जाता है. दर्शकों की पसंदगी के आड़े आती हैं हॉलीवुड से विज्ञान फंतासी फ़िल्में. बॉलीवुड की विज्ञानं फंतासी फिल्मों पर हॉलीवुड की नक़ल का आरोप आसानी से लग जाता है. जिस प्रकार से हॉलीवुड  की फ़िल्में भारतीय भाषाओँ में डब होकर रिलीज़ हो रही हैं, भारतीय दर्शकों के लिए ऎसी तुलना करना आसान भी  हो जाता है.
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                    राकेश रोशन ने यह खतरा कृष ३ बना कर उठाया है. मानना पड़ेगा कि अपने इस प्रयास में वह खतरों के खिलाड़ी साबित होते हैं. राकेश रोशन ने कृष ३ को सुपरहीरो बना कर हॉलीवुड को ललकारा है. उन्होंने उत्कृष्ट SFX के जरिये कल्पना का ज़बरदस्त संसार बनाया है. कृष की तुलना बॉलीवुड के सुपरहीरो से होगी. कई दृश्य हॉलीवुड की सुपरमैन और आयरनमैन फिल्मों की याद दिलाते हैं. ख़ास तौर पर बिल्डिंग से गिर रहे लोगों और हवाई जहाज को क्रेश होने से बचाने के लिए उड़ रहे कृष के दृश्य सुपरमैन और बैटमैन की याद दिलाते हैं. कृष का गिरती बिल्डिंग को अपने हाथों से रोकना  स्पाइडर मैन की याद दिला देगा.  कृष को बिल्डिंगों पर दौड़ते देख कर अनायास ख्याल आता है कि जब कृष हवा में उड़ सकता है तो वह दौड़ क्यों रहा. क्लाइमेक्स में काल द्वारा अपने शरीर को  लोहे से ढकना आयरनमैन  में रोबर्ट डाउनी जूनियर के आयरनमैन बनाने का दृश्य याद करा देता है. लेकिन, इसके बावजूद कृष ३ खालिस भारतीय है. स्पेशल इफेक्ट्स और कैमरा ट्रिक्स का ज्यादा इस्तेमाल के बावजूद फिल्म में भारतीयता है. राकेश रोशन अपने किरदारों के बीच ज़बरदस्त इमोशन स्थापित करते हैं. कृष्णा और रोहित तथा  प्रिया के बीच जुड़ाव प्रभावित करने वाला है.
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फर्स्ट इंडियन सुपर वुमन
                     कृष ३ की आधी से ज्यादा शूटिंग VFX में हुई है. स्पेशल इफेक्ट्स तैयार करने में ज्यादा समय लगा है. कलाकारों के साथ ज्यादा मेहनत VFX  टीम को करनी पड़ी है. इस टीम ने हैरतंगेज़ फंतासी का निर्माण किया है. हिन्दुस्तानी दर्शकों के लिए किसी हिंदी फिल्म में ऐसे दृश्य अभूतपूर्व है. एस थिरु ने कैमरा ट्रिक द्वारा तमाम फंतासी दृश्य बड़े स्वाभाविक बनाए हैं. रजत अरोरा ने चुस्त संपादक होने का परिचय दिया है. राकेश रोशन की कहानी पर कृष की पटकथा राकेश रोशन के साथ रोबिन भट्ट, इरफ़ान कमल, हनी इरानी और आकर्ष खुराना ने लिखी है. संवाद संजय मासूम के हैं. राकेश रोशन ने एक बार फिर विज्ञानं फंतासी फिल्म बनाने के क्षेत्र में खुद के प्रतिभाशाली होने का परिचय दिया है.सलीम सुलेमान का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी लाउड है. राजेश रोशन का संगीत काम चलाऊ है.
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सब  पर  भारी विवेक ओबेरॉय

                       तकनीक पर ज्यादा निर्भर कृष ३ के सोने पर सुहागा है ऋतिक रोशन, प्रियंका चोपड़ा और कंगना रानौत का अभिनय. लेकिन इन सब पर भारी पड़ते हैं विवेक ओबेरॉय. फिल्म में विवेक काल की भूमिका में हैं. यह भूमिका बेहद कठिन थी. पूरी फिल्म में वह व्हीलचेयर पर हैं. ऐसे में केवल चहरे के हाव भाव से ही वह दर्शकों को प्रभावित कर सकते थे. उन्होंने अन्य कलाकारों को पछाड़ कर यह काम बखूबी अंजाम दिया है. कंगना रानौत को एक प्रभावशाली भूमिका मिली है. इसे वह बखूबी अंजाम देती हैं. वह जितनी खूबसूरत लगती हैं उतनी ही सेक्सी और  अभिनयशील भी.  प्रियंका चोपड़ा में गज़ब की सेक्स अपील है. लेकिन, वह ज्यादा प्रभावित करती हैं अपने अभिनय से. ऋतिक रोशन रोहित मेहरा, कृष्णा और कृष की तिहारी भूमिकाओं को संजीदगी से करते हैं. वह भारत के रोबर्ट डाउनी जूनियर साबित होते हैं. अपनी नृत्य प्रतिभा से वह दर्शकों की तालियाँ बटोर पाने में कामयाब होते हैं.  अन्य कलाकारों ने बस भरपाई की है.
                        कृष ३ बच्चो के लिए बेहतरीन फिल्म है. काल और काया के अलावा राइनोमैन, चीतावुमन, अंटमैन और फ्रॉग मैन बच्चों को आकर्षित करने वाले म्युटेंट हैं. कृष के साथ इनकी भिडंत बेहद रोमांचक है और बाल दर्शकों के आकर्षण का केंद्र भी.
                     

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