Saturday 31 October 2015

गायकों के पहले गीत

इरोसनाउ ने एल्बम 'आगाज़' के अंतर्गत हिंदी फिल्मों के १० गायक गायिकाओं के गाये पहले गीतों को संकलित किया है।  इस एल्बम के गीतों के फर्स्ट होने की खोज में कुछ तथ्य सामने आये हैं।  जिन्हे आपके सामने गायकवार रख रहा हूँ - 
तलत महमूद का गाया पहला गीत !
तलत महमूद का गाया पहला गीत १९५० में रिलीज़ 'आरजू' फिल्म का 'ऐ दिल मुझे ऎसी जगह ले चल' बताया है। इस फिल्म में दिलीप कुमार, कामिनी कौशल, शशिकला, कुकु और राम शास्त्री ने अभिनय किया था। शाहिद लतीफ़ के निर्देशन में इस फिल्म के संगीतकार अनिल बिस्वास थे।  यह अपने समय का काफी लोकप्रिय गीत था।  लेकिन, काफी लोग इसे तलत महमूद का पहला गाया गीत नहीं मानते।  दावा यह किया जाता है कि इसी साल रिलीज़ फिल्म 'जोगन' का 'सुंदरता के सभी पुजारी' तलत महमूद का गाया पहला गीत था। इस गीत को बुलो सी रानी ने संगीतबद्ध किया था। आरज़ू भी दिलीप कुमार की फिल्म थी।  निर्देशक केदार नाथ शर्मा की इस फिल्म में दिलीप कुमार की नायिका नर्गिस थी और राजेंद्र कुमार ने फिल्म से डेब्यू किया था। एक दूसरा दावा यह है कि तलत महमूद ने अपने कलकत्ता प्रवास के दौरान कानन देवी के संगीत निर्देशन में राजलक्ष्मी (१९४५) फिल्म के लिए दो गीत 'जागो मुसाफिर जागो खोलो मन का द्वार' और 'तू सुन ले मतवाले' गाये थे।  वैसे अगर नॉन फिल्म सांग की बात करें तो तलत महमूद एचएमवी के लिए १९४१ में ही एक गीत 'सब दिन एक समान, बन जाऊंगा क्या से क्या मैं, इसका तो कुछ ध्यान नहीं था' गा चुके थे।  
मुकेश का गाया पहला गीत !
इसी प्रकार से इरोस ने फिल्म 'निर्दोष' के गीत 'दिल ही हो बुझा हुआ तो' को मुकेश का गाया पहला गीत बताया है। यह फिल्म १९४१ में रिलीज़ हुई थी। वीरेंदर देसाई निर्देशित इस फिल्म का संगीत अशोक घोष ने दिया था।  फिल्म में मुकेश ने नलिनी जयवंत, कन्हैया लाल और आगा के साथ मुख्य भूमिका भी की थी। यह उनकी पहली बतौर एक्टर और सिंगर फिल्म थी। लेकिन, इस दावे को इस बिना पर खारिज किया जाता है कि संगीतकार बुलो सी रानी खुद के द्वारा संगीतबद्ध फिल्म 'मूर्ती' के 'बदरिया बरस गई' गीत को मुकेश का गाया पहला हिंदी गीत बताते थे ।  ऐसा मनाने वाले लोगों की भी कमी नहीं, जो  फिल्म पहली नज़र (१९४५) के गीत 'दिल जलता है तो जलने दो को मुकेश का गाया पहला गीत मानते हैं।  परन्तु यह गीत उनका पहला हिट गीत था। 
मोहम्मद रफ़ी का पहला गीत 
इरोस ने १९४४ में रिलीज़ फिल्म 'पहले आप' के 'हिंदुस्तान के हम हैं हिंदुस्तान हमारा' को मोहम्मद रफ़ी का गाया पहला गाया गीत बताया है।  इस गीत के संगीतकार नौशाद अली हैं। इस गीत को रफ़ी साहब का पहला गीत बताने को लेकर भी विवाद है।  यह नौशाद अली के साथ रफ़ी का पहला गीत ज़रूर है।  लेकिन, उनका पहला रिकॉर्ड गीत श्याम सुन्दर के संगीत निर्देशन में १९४५  में रिलीज़ फिल्म 'विलेज गर्ल' का जी एम दुर्रानी के साथ गाया दोगाना 'अजी दिल हो काबू में तो दिलदार की ऐसी तैसी' है।  इस फिल्म में नूरजहाँ, दुर्गा खोटे और प्रेम अदीब की मुख्य भूमिका थी।  


अब टफ हो रही है बॉलीवुड फिल्मों की नायिका

आजकल अमेरिका के एबीसी नेटवर्क पर एफबीआई के ट्रेनीज पर सीरियल 'क्वांटिको' चल रहा है।  फिलहाल, इस सीरियल में कहानी प्रियंका चोपड़ा के इर्दगिर्द घूम रही है। ऍफ़बीआई के वास्तविक ट्रेनिंग सेंटर 'क़्वान्टिको' में रंगरूटों की ट्रेनिंग काफी कड़ी और तनावपूर्ण होती है। प्रियंका चोपड़ा सीरियल में एक ऐसे ही रंगरूट अलेक्स परिश का किरदार कर रही हैं, जिसे मज़बूत और कठोर जिस्म एफबीआई एजेंट बनना है। इसलिए सीरियल में उनकी ट्रेनिंग भी काफी टफ है। प्रियंका चोपड़ा अपनी आगामी कुछ फिल्मों में बॉलीवुड की नाज़ुक बदन रोमांटिक नायिका से अलग टफ जॉब करती नज़र आएंगी । वही क्या, बॉलीवुड की कई रोमांटिक नायिकाएं टफ जॉब कर रही होंगी। साफ़ तौर पर, अब बॉलीवुड की अभिनेत्रियों का खूबसूरत, कोमल और सेक्सी दिखने से काम नहीं चलेगा।  उन्हें कुछ रफ़ और कुछ टफ करना है। कई  अभिनेत्रियों ने पहले भी ऐसा किया और आगे की फिल्मों में भी करने जा रही हैं। 
बॉलीवुड की रफ़-टफ नायिका 
क्वांटिको की प्रियंका चोपड़ा, बॉलीवुड एक ऎसी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने सेक्सी फिगर और इमेज के बावजूद हट कर फ़िल्में करने की कोशिश की।  अब चाहे वह मधुर भंडारकर की बोल्ड फिल्म 'फैशन' हो या विशाल भरद्वाज की मराठी नायिका वाली फिल्म 'कमीने' या फिर विशाल भरद्वाज की ही '७ खून माफ़' और अनुराग बासु की फिल्म 'बर्फी', प्रियंका चोपड़ा अपनी हमेशा इमेज से अलग नज़र आई।  ओमंग कुमार की फिल्म 'मैरी कॉम' में ओलंपिक्स की एथलीट मैरी कॉम का किरदार जीवंत करना प्रियंका चोपड़ा के बस की ही बात थी। वह एक बॉक्सर की मज़बूती के लिए ज़रूरी ट्रेनिंग लेती हुई दिखाई जा रही थी। प्रियंका चोपड़ा ने उस समय कमाल कर दिखाया था, जब गोल्डी बहल की सुपर हीरो फिल्म 'द्रोणा' में अभिषेक बच्चन की बॉडीगार्ड सोनिया के किरदार में उन्होंने सिख योद्धाओं के अस्त्र गटका को चला कर दिखाया। दीपिका पादुकोण ने भी फिल्म 'चांदनी चौक टू चाइना' में अपने किरदार के लिए जापानी मार्शल आर्ट जुजित्सु की छह माह तक कड़ी ट्रेनिंग ली।  उन्होंने हांगकांग में ट्रेनर से केबल और वायर पर चढ़ना तथा तलवार चलाना सीखा । वैसे, दीपिका पादुकोण से काफी पहले ऐश्वर्या राय बच्चन फिल्म 'जोधा अकबर' में जोधा के किरदार में ह्रितिक रोशन के साथ तलवारबाजी के जौहर दिखा चुकी हैं।  इस फिल्म के लिए ऐश्वर्या ने दो महीने तक कड़ी ट्रेनिंग ली थी। फिल्म 'रावण' में तो उनके स्टंट देख कर कलेजा मुंह को आता था।  कटरीना कैफ ने धूम ३ के लिए पिलेट्ज़  सिस्टम के ज़रिये खुद को एक जिमनास्ट के किरदार के लिए फिट किया। जिमनास्टिक की ट्रेनिंग भी ली। कटरीना कैफ ने एक था टाइगर और फैंटम के लिए कार्डिओ और वेट ट्रेनिंग ली। ऊंची ईमारत से कूदने और गलियों-सडकों में तेज़ भागने का अभ्यास किया। माधुरी दीक्षित को इंडस्ट्री की सबसे ट्रेंड एक्ट्रेस कही जा सकती हैं।  उन्होंने फिल्म गुलाब गैंग के लिए चीन की शाओलिन कुंग फु, पेकिटी-तिरसिआ काली और शाओलिन चिन ना की ट्रेनिंग ली।  लाठी भांजने के लिए शाओलिन जॉइंट लॉकिंग और कलि नाइफ की भी ट्रेनिंग ली।  फिल्म रेस २ के लिए जैक्विलिन फर्नांडीज़ ने एक्शन डायरेक्टर पीटर हैंस चाकू के साथ तलवार चलाने की ट्रेनिंग ली थी। 
और तलवार भी भांजेंगी की नाज़ुक कलाइयां 
'बाजीराव मस्तानी' में प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण एक साथ हैं।  फिल्म में प्रियंका चोपड़ा बाजीराव की पत्नी काशीबाई के किरदार में हैं, तो दीपिका पादुकोण एक नर्तकी मस्तानी का किरदार कर रही हैं।  यह एक मुग़ल नर्तकी का किरदार है, जिससे मराठा पेशवा बाजीराव प्रेम करने लगता है।  लेकिन, 'बाजीराव मस्तानी' की मस्तानी दीपिका पादुकोण केवल नृत्य और रोमांस ही नहीं कर रही।  वह तीर तलवार भी चला रही हैं।  इसके लिए उन्होंने बाकायदा ट्रेनिंग ली है।  भारी जिरह  बख्तर पहन कर खुद को टफ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं दीपिका पादुकोण। प्रियंका चोपड़ा भी कहाँ पीछे हैं। वह परदे के पीछे पत्नी धर्म नहीं निभा रही। दिसंबर में रिलीज़ होने जा रही संजयलीला भंसाली की फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' में बाजीराव की पत्नी काशीबाई के किरदार में वह तलवार चलाते दिखाई देंगी ।  प्रकाश झा की फिल्म 'जय गंगाजल' में वह एक टफ पुलिस अफसर का किरदार कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने बाकायदा टफ फिजिकल ट्रेनिंग भी ली है। ज़ाहिर है कि फिल्म में हैरतअंगेज एक्शन तो होंगे ही।  
घोड़े पर सवार नायिका

बॉलीवुड में कंगना रनौत घुड़सवारी सीख रही हैं। विशाल भरद्वाज की दूसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर फिल्म 'रंगून' में उनका किरदार ही ऐसा है, जिसे घुड़सवारी करनी है। वह केतन मेहता की आगामी ऐतिहासिक फिल्म में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का किरदार करेंगी। इस किरदार के लिए तो उन्हें  घुड़सवारी के अलावा तलवार चलना भी सीखना होगा।  फिल्म की कहानी के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई अपने बच्चे को पीठ पर बांड कर, एक हाथ घोड़े की रास पकड़ कर तलवार चलाती हैं।  कंगना रनौत को इस सीन को करने के लिए खुद को काफी ट्रेंड करना होगा।  जहाँ तक घोड़ा चलाने का सवाल है विकास बहल की फिल्म 'शानदार' में आलिया भट्ट ने भी इसके लिए उन्होंने घोडा चलाने की बाकायदा ट्रेनिंग ली है।  
किक बॉक्सिंग भी
बॉलीवुड अभिनेत्री किक बॉक्सिंग में भी ज़ोर आजमा रही हैं।  इसकी शुरुआत अभिनेत्री कंगना रनौत ने राकेश रोशन की फिल्म 'कृष ३' के काया के रोल से कर दी थी।  इस फिल्म के लिए उन्होंने किक बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली थी।  उन्ही की तरह अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा भी फिल्म 'फ़ोर्स २' में एक रॉ एजेंट के किरदार में किक बॉक्सिंग के एक्शन दिखाती नज़र आएंगी।  वह अकीरा में भी हैरतअंगेज एक्शन कर रही हैं।  इसके लिए उन्होंने बाकायदा ट्रेनिंग ली है।
एक्शन करने में बॉलीवुड एक्ट्रेस अपने मेल काउंटरपार्ट पर भारी पड़ने जा रही है।  इसका नज़ारा हालिया रिलीज़ निर्देशक प्रभुदेवा की फिल्म 'सिंह इज़ ब्लिंग' में देखने को मिला।  इस फिल्म में एमी जैक्सन ने मार्शल आर्ट्स के चकित कर देने वाले एक्शन आसानी से किये हैं।  एमी जैक्सन के इस कारनामे को देख कर सिनेमाघरों में बैठे दर्शक सीटियां और तालियां  बजा कर एमी जैक्सन की तारीफ करते हैं।  वह अपने मार्शल आर्ट्स एक्शन के कारण अक्षय कुमार पर भारी पड़ती हैं।  अभिनेत्री जैक्विलिन फर्नांडीज़ ने रोहित धवन की फिल्म 'ढिशूम' में अपने किरदार को ढंग से करने के लिए अक्षय कुमार के मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग स्कूल मे दाखिला ले रखा है।  पिछले दिनों, नर्गिस फाखरी भी अपनी एक आगामी बॉलीवुड फिल्म के लिए फुकेट में मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग के लिए १२ दिनों तक रही।


नवम्बर बॉर्न बॉलीवुड स्टार्लेट्स

बॉलीवुड को एहसानमंद होना चाहिए कैलेंडर के नवंबर महीने का।  नवंबर ने बॉलीवुड को अच्छा बिज़नेस करने वाला त्योहारी माहौल दिया ही है।  खूबसूरत, सेक्सी और प्रतिभाशाली चेहरे भी दिए हैं।  इन चेहरों ने बॉलीवुड फिल्मों में आकर बॉलीवुड को ग्लैमर के साथ मान- सम्मान भी दिलवाया।  यह चेहरे देश के किसी कोने से भी आये और विदेशी ज़मीन से भी।  लेकिन, इनका एक ही मक़सद था बॉलीवुड की फिल्मों में अपने हुस्न का जलवा बिखेरना और अपनी अभिनय प्रतिभा का कायल करवाना ।  ऎसी तमाम अभिनेत्रियों ने नायिका के कद को नायक के आसपास रखने की भरपूर कोशिश की ।
भारत सुंदरियाँ/विश्व सुंदरियाँ
१९९४ में भारत ने दुनिया की श्रेष्ठ सुंदरियों की प्रतियोगिता में पहले दो टाइटल जीते तो भारतीय प्रतिभागी सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय की 'ब्यूटी विथ ब्रेन' के कारण।  सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स का खिताब जीता तो ऐश्वर्या राय मिस वर्ल्ड बनी। सुष्मिता सेन १९७५ में १९ नवंबर को पैदा हुई थी और ऐश्वर्य राय १ नवंबर १९७३ को।  इन दोनों अभिनेत्रियों ने बॉलीवुड में धमाकेदार शुरुआत की।  लेकिन, सुष्मिता सेन से बहुत ज़्यादा सफल हुई ऐश्वर्या राय बच्चन। लेकिन,  एक समय इन दोनों सुंदरियों ने अपनी खूबसूरती का डंका बजा दिया था। ओ पी रल्हन की फिल्म हंगामा से फिल्म डेब्यू करने वाली  मिस एशिया की थर्ड रनर अप और मिस एशिया पसिफ़िक ज़ीनत अमान ने 'हरे रामा हरे कृष्णा ' फिल्म में देव आनंद की बहन की भूमिका से धूम मचा दी।  इसके बाद ज़ीनत ने 'धुंध', यादों की बरात, हीरा पन्ना, मनोरंजन, रोटी कपड़ा और मकान, आदि दसियों बड़े बजट की बड़े अभिनेताओं की फिल्मे की।  वह एक समय बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस बन गई थी।  वह राजकपूर की फिल्म की नायिका भी बनी। उन्होंने उस समय के तमाम बड़े सितारों  धर्मेन्द्र, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, फ़िरोज़ खान आदि के साथ फ़िल्में की।  वह बॉलीवुड की बोल्ड अभिनेत्री मानी जाती थी, जिसे कपडे उतारने में कोई हिचक नहीं थी। मनोरंजन, क़ुरबानी, सत्यम शिवम सुंदरम, आदि फ़िल्में इसका प्रमाण हैं।
प्रतिभावान अभिनेत्रियां
बॉलीवुड के संगीत की प्रतिभा वाले मंगेशकर परिवार से सम्बन्ध रखने वाली पद्मिनी कोल्हापुरे ने राजकपूर  की फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम की बाल भूमिका से अपने अभिनय का लोहा मनवाया।  उन्होंने राजकपूर के बैनर की ही फिल्म 'प्रेम रोग' में एक विधवा का  बोल्ड किरदार किया।  अनिल  कपूर के साथ फिल्म सात दिन ने उन्हें लीड भूमिकाओं में जमा दिया। धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की बेटी एषा देओल को फ़िल्मी परिवार का होने के बावजूद सफलता नहीं मिली । हालाँकि, उनके करियर की शुरुआत कोई मेरे दिल से पूछे जैसी सशक्त फिल्म से की थी। सत्यदेव दुबे की वर्कशॉप से एक्टिंग मांजने वाली सोनाली कुलकर्णी ने अपने भाई के साथ समन्वय नाट्य समूह की स्थापना की।  उन्होंने कई भाषाओँ में दोघी, देऊल, दिल चाहता है और टैक्सी नंबर ९२११ जैसी फ़िल्में की।  उन्हें पहचान मिली फिल्म 'मिशन कश्मीर' में ह्रितिक रोशन की माँ की भूमिका से।  अपनी प्रतिभा से बॉलीवुड को चकाचौंध कर देने वाली अभिनेत्रियों में कलकत्ता में जन्मी रितुपर्णा सेनगुप्ता का नाम भी शामिल किया जा सकता है।  रितुपर्णा के हिंदी फिल्म करियर की शुरुआत पार्थो घोष निर्देशित फिल्म 'तीसरा कौन' से हुई थी।  मोहिनी, ज़ख़्मी सिपाही, उन्नस, दादागिरी, आक्रोश, आदि फिल्मों की इस अभिनेत्री को सराहना मिली बेमेल विवाह वाली राजपाल यादव की फिल्म 'मैं मेरी पत्नी और वह' में ठिंगने राजपाल यादव की लम्बे कद की पत्नी की भूमिका से।  फिल्मों में अपनी प्रतिभा का परचम फैलाने वाली मीनाक्षी शेषाद्रि ने हिंदी और दक्षिण की फिल्मों में साथ नाम कमाया।  वह सुभाष घई की सुपर हिट फिल्म 'हीरो' में जैकी श्रॉफ की नायिका थी। इस फिल्म के बाद मीनाक्षी शेषाद्रि ने कोई ७०  फिल्मों में अभिनय किया।  एक समय, वह श्रीदेवी और जया प्रदा के साथ बॉलीवुड में छाई हुई थी।  
कभी बोलती थी इनकी तूती
नवंबर में बर्थडे मनाने वाली बहुत सी अभिनेत्रियों की बॉलीवुड में तूती बोला करती थी।  क्या याद है नशीली आँखों वाली माला सिन्हा। नेपाली सूरत वाली इस अभिनेत्री की खासियत थी स्वाभाविक और मार्मिक अभिनय करना।  वह अपनी शोखी से फिल्मों में ग्लैमर भरा करती थी। पचास से सत्तर के दशक की पारिवारिक फिल्मों की नायिका माला सिन्हा को धुल का फूल, प्यासा, अनपढ़, दिल तेरा दीवाना, गुमराह, हिमालय की गोद में और आँखे जैसी फिल्मों से याद किया जाता है।  उन्होंने किदार शर्मा  की फिल्म 'रंगीन राते' से शम्मी कपूर के साथ डेब्यू किया था।  माला सिन्हा ने दिलीप कुमार, राजकपूर, राजेंद्र कुमार, प्रदीप कुमार, धर्मेन्द्र, मनोज कुमार,  आदि लगभग सभी नामचीन बॉलीवुड स्टार्स के साथ फ़िल्में की।  दक्षिण की फिल्मों में नाम कमा चुकी रति अग्निहोत्री ने १९८१ में कमल हासन के साथ के० बालाचंदर की फिल्म 'एक दूजे के लिए' से  बॉलीवुड डेब्यू किया।  रति ने हिट फिल्म के बावजूद कमल हासन के साथ दूसरी फिल्म नहीं की।  लेकिन, वह उस दौर के टॉप अभिनेताओं अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, शशि कपूर, धर्मेन्द्र, आदि की फिल्मों की नायिका बनी ।  वह उस दौर की टॉप की एक्ट्रेस में शुमार की जाती थी। मिस इंडिया जूही चावला ने फ्लॉप फिल्म 'सल्तनत' से अपने करियर की शुरुआत की थी।  लेकिन, आमिर खान के साथ 'क़यामत से क़यामत तक' के हिट हो जाने के बाद वह टॉप की एक्ट्रेस में शुमार की जाने लगी।  विद्या सिन्हा ने अमोल पालेकर के साथ रजनीगंधा और छोटी सी बात जैसी हिट फ़िल्में दी थी।  यह लीक से हट कर विषय पर ख़ास निर्माताओं की फिल्म थी।  लेकिन, विद्या सिन्हा ने मुक्ति, कर्म, किताब, पति पत्नी और वह, तुम्हारे लिए, आदि फ़िल्में भी की।  चेतना और दस्तक फिल्मों ने रेहाना सुल्तान को स्वाभाविक अभिनय करने वाली अभिनेत्री के बतौर स्थापित कर दिया।  उन्हें फिल्म दस्तक के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड्स भी मिला।  
दक्षिण का ग्लैमर
दक्षिण के भिन्न शहरों में नवंबर में जन्मे खूबसूरत चेहरों ने दक्षिण की तमिल,  तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में तहलका मचाया ही. बॉलीवुड में अपनी मौजूदगी भी दर्ज़ कराई।  अब यह बात दीगर है कि इनमे से ज़्यादा को सफलता नहीं मिली। 'बाहुबली द बेगिनिंग' में राजमाता शिवकामी देवी का प्रभावशाली  किरदार करने वाली अभिनेत्री राम्या कृष्णन ने विनोद खन्ना की फिल्म दयावान में एक डांसर की भूमिका से अपने हिंदी फिल्म करियर की शुरुआत की थी  ।  उन्होंने अमिताभ बच्चन के अपोजिट बड़े मिया छोटे मिया समेत  नौ हिंदी फ़िल्में की। बाहुबली में राम्या कृष्णन के साथ अनुष्का शेट्टी ने देवसेना का किरदार किया  था।  उन्हें हिंदी दर्शकों ने उनकी डब फिल्म 'रुद्रमादेवी' की टाइटल भूमिका में भी देखा।  नेत्रा रघुरामन  ने तक्षक, भोपाल एक्सप्रेस और अवगत जैसी आठ फ़िल्में की।  कीर्ति रेड्डी का बॉलीवुड डेब्यू अभिषेक बच्चन के साथ 'तेरा  जादू चल गया' जैसी हिट फिल्मों से हुआ।  लेकिन, 'प्यार इश्क़ और मोहब्बत' के बाद वह हिंदी फिल्मो से दूर चली गई। दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीत चुकी तेलंगाना में जन्मी तब्बू ने हिंदी के अलावा इंग्लिश, तमिल तेलुगु और मलयालम फ़िल्में भी की हैं।  लेकिन, उन्हें हिंदी फिल्मों चांदनी बार, अस्तित्व, मक़बूल, आदि ने ही मशहूर बनाया। चेन्नई में जन्मी २०११ के किंगफ़िशर कैलेंडर का चेहरा एंजेला जॉनसन हिंदी फिल्मों में पैर जमाने के लिए हिंदी सीख रही हैं।
नवंबर में यह भी
नीलम कोठारी को दर्शक अस्सी के दशक में डांसर एक्टर गोविंदा की इलज़ाम, लव ८६, सिन्दूर, खुदगर्ज़, हत्या, फ़र्ज़ की जंग और ताक़तवर जैसी हिट फिल्मों की जोड़ीदार के रूप में याद किया जाता है।  आजकल वह ज्वेलरी डिजाइनिंग पर काम कर रही हैं।  सी हॉक्स और हिना जैसी पॉपुलर टेलीविज़न सीरीज से मशहूर सिमोन सिंह को कभी ख़ुशी कभी गम, एक रिश्ता : द बांड ऑफ़ लव, हाँ मैंने भी प्यार किया, सुर, आदि फिल्मों में छोटी मोटी भूमिकाये ही मिली।  पिछले दिनों उन्हें टीवी सीरियल 'एक हसीना थी' में साक्षी गोयनका की सशक्त भूमिका में देखा गया।  नवंबर में जन्मी फिल्म अभिनेत्रियों में प्रियंका (निशा) कोठारी (जेम्स, सरकार, द किलर, शिवा, डार्लिंग), चित्रांशी रावत (चक दे इंडिया), एषा गुप्ता (जन्नत २ और राज़ ३), माही गिल (देव डी, साहब बीवी और गैंगस्टर), कोयल पूरी (मिक्स्ड डबल्स), यामी गौतम (विक्की डोनर), सेलिना जेटली (खेल, नो एंट्री), आरती छाबरिया (तुमसे अच्छा कौन है, आवारा पागल दीवाना), शिल्पा शिरोड़कर (भ्रष्टाचार, किसन कन्हैया, हम, त्रिनेत्र), कैनाज़ मोतीवाला (रागिनी एमएमएस), सुहासिनी मुले (भुवन शोम, भवानी भवाई), डायना पेंटी (कॉकटेल) और भैरवी गोस्वामी (भेजा फ्राई), आदि भी हैं।
थिएटर से शुरुआत

नवंबर की पौंध कुछ अभिनेत्रियां वाया नाटक फिल्मों में आई। टिस्का चोपड़ा ने पहले  नाटक किये।  वह १९९३ में रिलीज़ अजय देवगन की फिल्म 'प्लेटफार्म' में रोशनी चोपड़ा नाम से फिल्मों में आई।  उन्होंने दर्शकों ध्यान खींचा तारे ज़मीन पर, दिल तो बच्चा है जी और फ़िराक़ जैसी फिल्मों की चरित्र भूमिकाओं से। टिस्का चोपड़ा से पहले मीता वशिष्ट नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से नाटक और फिर टीवी पर मशहूर हुई।  टीवी पर क्यूंकि सास भी कभी बहु थी उनका मशहूर सीरियल था। उन्हें अभी फिल्म रहस्य में एक ग्रे शेड वाली भूमिका में देखा गया।  थिएटर ग्रुप जन नाट्य मंच से अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली नंदिता दास ने १० भाषाओँ में ३० फ़िल्में की है।  उन्होंने १९४७ अर्थ, बवंडर, अक्स, एक दिन २४ घंटे, जैसी फिल्मों से उन्होंने पहचान गया।  वह बतौर निर्देशक फ़िराक़ फिल्म में विवादित हुई।
पॉर्न स्टार भी
तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषा की बी-ग्रेड सॉफ्ट पॉर्न फिल्मों की नायिका शकीला भी नवंबर में पैदा हुई।  इस एक्ट्रेस ने २० साल की उम्र में तमिल सॉफ्ट पॉर्न फिल्म 'प्लेगर्ल्स' करके तहलका मचा दिया।  उनकी एक हिंदी फिल्म 'आखिरी गुलाम' १९८९ में रिलीज़ हुई थी।  बॉलीवुड की बेबाक और बड़बोली आइटम गर्ल राखी सावंत और पिछले दशक की मज़ा मज़ा, चेतना, फन कैन बी डेंजरस समटाइम, तौबा तौबा और लैला जैसी सेक्सी फिल्मों से तहलका मचा देने वाली पायल रोहतगी भी नवंबर की पैदाईश हैं।  टीवी एक्ट्रेस रूपा गांगुली, टीना 'उतरन' दत्ता, सुकृति कांडपाल और प्रियल गोर भी नवंबर में पैदा हुई थी।  बॉलीवुड की तमाम अभिनेत्रियों को अपने स्टेप्स पर थिरकाने वाली सरोज खान २२ नवंबर को जन्मी थी।  पुराने ज़माने की फिल्मों की गायिका गीता दत्त भी नवंबर में ही जन्मी। 
पाकिस्तान से आई ज़ेबा बख्तियार  का जन्म ५ नवंबर को हुआ।  पाकिस्तानी टीवी के शो 'अनारकली' से उन्हें इतनी शोहरत मिली कि वह बॉलीवुड में राजकपूर की रणधीर कपूर निर्देशित फिल्म 'हिना' में ऋषि कपूर की नायिका बना दी गई।  लेकिन, फिल्म 'जय विक्रान्ता ' के बाद बॉलीवुड से गायब हो गई।

जैसन वूरहीस के लिए रिंग्स हादसा

हॉरर फ्रैंचाइज़ी ‘परानोर्मल एक्टिविटी’ सीरीज की तीसरी फिल्म ‘परानोर्मल एक्टिविटी: द घोस्ट डायमेंशन’ की रिलीज़ डेट २३ अक्टूबर के ठीक पहले इस फ्रैंचाइज़ी के प्रोडक्शन हाउस पैरामाउंट पिक्चरस द्वारा चौंकाने वाला निर्णय लिया गया। खबर है कि इस स्टूडियो की ‘रिंग्स’ फ्रैंचाइज़ी की तीसरी फिल्म अब १३ नवम्बर को रिलीज़ नहीं होगी। बल्कि अब इसे अगले साल फूल्स डे पर १ अप्रैल को रिलीज़ किया जायेगा । यह खबर कम से कम जैसन वूरहीस के लिए बुरी है। जैसन वूरहीस इस सीरीज की फिल्मों का मास्क वाला मुख्य करैक्टर है। इस करैक्टर को सबसे पहले १९८० में फिल्म ‘फ्राइडे द थर्टीज’ में देखा गया था। इस फिल्म की सफलता, ख़ास तौर पर डरावने मास्क वाल जैसन वूरहीस के डर ने उसे दूसरी डरावनी फिल्मों का हीरो बना दिया। पैरामाउंट को ‘परानोर्मल एक्टिविटी: द घोस्ट डायमेंशन’ के दो हफ़्तों बाद ही दूसरी हॉरर फिल्म का रिलीज़ किया जाना ठीक नहीं लगा। रिंग्स का एक अप्रैल तक के लिए टलना जैसन के लिए इसलिए भी बुरी खबर है कि इस करैक्टर के साथ लोकप्रिय टीवी सीरीज ‘फ्राइडे द थर्टीज सीरीज भी अगले साल १५ मई से शुरू नहीं होने जा रही। यह तीसरा मौका है, जब इस सीरीज को प्रसारण से पहले ही टाल दिया गया। अब यह सीरीज १३ जनवरी २०१७ से प्रसारित होगी। यह खबर जैसन वूरहीस के लिए बुरी इस लिहाज़ से भी है कि अब रिंग्स को निकोलस हौल्ट और फ़ेलिसिटी जोंस की फिल्म कोलाइड और फॉक्स स्टूडियो की ओलंपिक्स बायोपिक ‘एडी द ईगल से टकराना होगा। वहीँ  रिंग्स सीरीज को भी सोनी के स्टेफेन किंग के टेलीविज़न संस्करण ‘द डार्क टावर, वार्नर ब्रदर्स की डिजास्टर सीरीज जिओस्टोर्म और फॉक्स की नासा थीम पर हिडन फिगर्स’ का सामना करना होगा। 


द कोल्डेस्ट सिटी में चार्लीज थेरोन के साथ जेम्स मेकवॉय

‘द कोल्डेस्ट सिटी’ के लिए ‘जॉन विक’ के डायरेक्टर डेविड लीच को कुर्सी सौंपे जाने के बाद इस स्पाई थ्रिलर फिल्म में अभिनेत्री चार्लीज़ थेरोन के साथी का चुनाव भी कर लिया गया है। खबरों के अनुसार एक्स-मेन सीरीज की फिल्मों में प्रोफेसर चार्ल्स ज़ेवियर का किरदार करने वाले अभिनेता जेम्स मैकवॉय फिल्म में थेरोन के एक साथी होंगे। वैसे अभी यह तय नहीं है कि फिल्म में जेम्स की भूमिका वास्तव में क्या होगी। जेम्स ने कुछ दिन पहले ही एम नाईट श्यामलन की अनटाइटल फिल्म में जोअक़ुइन फ़ीनिक्स की जगह ली है। ‘द कोल्डेस्ट सिटी’ भी जेम्स बांड की तरह ब्रितानी सीक्रेट एजेंसी एमआई-६ के एजेंटों की कहानी है। यह फिल्म बर्लिन की दीवार गिराए जाने की पूर्व संध्या पर एमआई -६ के एजेंट के मारे जाने के बाद की घटनाओं पर केन्द्रित है। चार्लीज थेरोन सुपर स्पाई लोरेन ब्रोटन का किरदार कर रही हैं। मारे गये एजेंट के पास बर्लिन में तैनात तमाम अंडर कवर एजेंट्स के नामों की लिस्ट थी। लोरेन को किसी भी दशा में इस लिस्ट को पाना है। इसकी जांच करते करते लोरेन को पता चलता है कि बर्लिन दुश्मन देशों के जासूसों को ख़त्म करने की बड़ी व्यूह रचना की गई है। अब उसे अपनी जान जोखिम में डाल कर भी अपने साथियों को बचाना है। इस फिल्म की पटकथा कर्ट विमर ने लिखी है। यह फिल्म अगले साल २७ मई को रिलीज़ होगी। 

Friday 30 October 2015

'गुड्डू की गन' सीले कारतूस वाली

श्रीशक आनंद और शांतनु रॉय छिब्बर की लिखी और निर्देशित फिल्म 'गुड्डू की गन' से दो बातों की जानकारी होती है।  पहली यह कि बिहारी वैलेंटाइन्स डे नहीं मनाते।  जो मनाते हैं वह कैसे मनाते हैं यह गुड्डू की गन देख कर ही समझ जा सकता है। दूसरी यह कि अगर आप औरतों के हमबिस्तर होते समय यह नहीं समझते कि आप किसी भोली लड़की का दिल तोड रहे हैं तो आपका लिंग (फिल्म में इस शब्द का उपयोग किया गया है) सोने का हो जायेगा।  यह अपनी पहले वाली स्थिति में तभी जायेगा, जब आपको सच्चा प्यार मिलेगा।  इस थ्योरी को अगर द्विअर्थी संवादों और अश्लील घटनाओं के साथ फिल्माया जाये तो यह 'गुड्डू की गन' बन जाएगी।  'गुड्डू की गन' बिहार के गोवर्धन उर्फ़ गुड्डू की कहानी है, जो कलकत्ता के जिस घर में वाशिंग पाउडर बेचने जाता है, वहाँ की औरत को बिस्तर तक आसानी से ले जाता है। इस फिल्म से दो बाते साफ़ होती है।  पहली यह कि बिहारी लोग औरतबाज़ हैं, उनका सेक्स का स्टैमिना काफी ज़्यादा है।  दूसरा यह कि कलकत्ता या कहिये पूरे बंगाल की औरते, खासकर विवाहित औरते चरित्रहीन हैं और किसी भी फेरी वाले के साथ हमबिस्तर हो जाती हैं।  इस घटिया थ्योरी को लेकर श्रेषक और शांतनु ने पूरी तरह से फूहड़ फिल्म 'गुड्डू की गन' बुनी है।  फिल्म को देखा कर साफ हो जाता है कि कभी पहलाज निहलानी के जिस सेंसर बोर्ड पर कम्युनल होने का चार्ज लग रहा था, अब वह पूरी तरह से सेक्युलर बैटरी से चार्ज हो गया है। यह फिल्म मानसिक रूप से बीमार और औरतों में चमड़ी देखने वाले दर्शकों को ख़ास पसंद आने जा रही है।  फिल्म के नायक गुड्डू की भूमिका कुणाल खेमू ने की है।  विश्वास नहीं होता है कि इसी एक्टर ने बालपन में ज़ख्म जैसी फिल्म में मार्मिक अभिनय किया था।  उनका कलयुग का डेब्यू भी ज़ोरदार था।  लेकिन, कहते हैं न कि समय क्या क्या नहीं दिखा देता है।  फिल्मों की लगातार असफलता ने कुणाल खेमू को  गुड्डू की गन दिखाने को मज़बूर कर दिया।  फिल्म से बांगला फिल्म एक्ट्रेस पायल सरकार का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ है।  पता नहीं क्यों इस खूबसूरत एक्ट्रेस ने अपनी खूबसूरती और टैलेंट को इस घटिया फिल्म में जाया किया।

फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में न 'मैं' न 'चार्ल्स'

आज के फिल्मकारों की फ़िल्में अब स्वान्तः सुखाय बनने लगी हैं। मल्टीप्लेक्स थिएटर और उनके बढी टिकट दरें किसी भी कूड़ा फिल्म को उसका पैसा वापस दिलवा देती हैं। ऐसे में कूड़ा फिल्मों का बनते रहना लाजिमी है।  प्रवाल रमण के निर्देशन में चार्ल्स शोभराज की बायोपिक फिल्म 'मैं और शोभराज' ऎसी ही कूड़ा फिल्म हैं। इस फिल्म में चार्ल्स शोभराज के औरतों के प्रति अपराधों को ग्लोरीफाई नहीं, सेक्सीफाई किया है। हर औरत किरदार नंगा होने को तैयार है . चार्ल्स के जाल में फंसी औरतों का नंगापन पूरी फिल्म में हैं. पूरी फिल्म चार्ल्स शोभराज के एक शहर से दूसरे शहर भागते, पुलिस के उसके पीछे दौड़ते ही बीत जाती है. जब ख़त्म होती है तो यह साफ़ नहीं हो पाता कि शराब व्यवसाई पोंटी चड्डा के बैनर ने इस फिल्म को बनाया क्यों ? प्रवाल रमण पहले ही कह चुके थे कि वह चार्ल्स शोभराज को ग्लोरीफाई नहीं कर रहे . लेकिन, उन्होंने पुलिस को भी ग्लोरीफाई  नहीं किया . नतीजे के तौर पर परवाल के न चाहते हुए भी चार्ल्स शोभराज का करैक्टर उभरा. भारत मे चार्ल्स को सज़ा दिलवा कर फिल्म ख़त्म हो जाती है, जबकि चार्ल्स शोभराज के अपराधों की लिस्ट उसके बाद भी बढती चली जाती है. अभिनय के लिहाज़ से चार्ल्स शोभराज की भूमिका में रणदीप हूडा और पुलिस अधिकारी आमोद कंठ की भूमिका में आदिल हुसैन खूब जमे हैं. ऋचा चड्डा तो जैसे समझती हैं कि वह दिखा देंगी तो लोग देखने चले आयेंगे. जबकि, दर्शक ऋचा के अभिनय वाली फिल्म देखने आते हैं. जैसे कि फिल्म राम-लीला में उनका किरदार . लेकिन, इस फिल्म में वह अभिनय से कोसों दूर रहती हैं. टिस्का चोपड़ा के करने के लिए कुछ ख़ास नहीं था. वैसे फिल्म में स्त्री पुरुष किरदारों की इफरात है. लेकिन, सब दर्शकों को कंफ्यूज करने के लिए हैं. फिल्म को उलझा देते हैं. फिल्म की सबसे बड़ी कमी है इसके ज्यादा इंग्लिश संवाद. ख़ास तौर पर चार्ल्स शोभराज के किरदार के मुंह से टूटी फूटी हिंदी ही बुलवाई गई है, जिसमे अंग्रेज़ी शब्द या कहिये वाक्य ज्यादा हैं. रणदीप हूडा अपने संवाद बोलते कुछ ऐसे हैं कि ज़्यादातर समझ में ही नहीं आते. प्रवाल रमण को इसे सिंक साउंड के ज़रिये हिंदी में कर देना चाहिए था. इसलीये यह फिल्म सिंगल स्क्रीन के लिए अपनी अपील खो बैठती है. महिला चरित्रों की कामुक छवि के ज़रिये दर्शक बटोरे जा सकते थे, लेकिन इसमे भी आधा अधूरा सा ही है. प्रवाल रमण ने फिल्म को खुद लिखा है. उन्होंने जैसा विसुअलाइज किया होगा, वैसा ही लिखा होगा. कुछ जगह वह फिल्म में दिलचस्पी पैदा करते हैं. मसलन, चार्ल्स का अपने अपराध स्वीकार करना. उसका बड़ी चालाकी से विदेसी टूरिस्ट को निशाना बनाना, आदि दृश्य . अगर प्रवाल फिल्म को चार्ल्स शोभराज की आज की स्थिति पर ख़त्म करते तो फिल्म अधूरी सी नहीं लगती। कुल मिलाकर फिल्म चार्ल्स ग्लोरीफाई तो नहीं करती, लेकिन मैं को भी नहीं उभारती. इसलिए लगता नहीं कि फिल्म को बहुत दर्शक मिल पाएंगे.

Thursday 29 October 2015

औंधे मुंह गिरी विन डीजल की फिल्म

हॉलीवुड का घरेलु बॉक्स ऑफिस सन्नाटे में हैं ।  इतिहास ने एक बार फिर खुद को दोहराया ।  २०१५ के ४३ वे वीकेंड में रिलीज़ अभिनेता विन डीजल की फिल्म ‘द लास्ट विच हंटर’ बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों की उपेक्षा का शिकार हो गई। इस फिल्म ने पहले वीकेंड में १०.८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया । विन डीजल की फिल्म का इतना ख़राब प्रदर्शन विन डीजल के समर्थकों के लिए बड़ा झटका था ।  इसी साल फ्युरियस ७ की बड़ी सफलता वाले विन डीजल की फिल्म का ऐसा प्रदर्शन यह साबित करने के लिए काफी है कि विन डीजल को फ़ास्ट एंड फ्युरियास सीरीज का परिवार काफी सपोर्ट करता है ।  ‘द लास्ट विच हंटर’ का बजट ७५ से ८० मिलियन डॉलर के बीच था । इस लिहाज़ से फिल्म के डोमेस्टिक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के बल पर अपनी लागत निकाल पाने की उम्मीद नहीं की जाती ।  ट्रेड पंडितों का अनुमान है कि दूसरे वीकेंड में इसका बिज़नस ५३ प्रतिशत के आसपास तक गिर आयेगा । विन डीजल की फिल्म की असफलता का नतीजा यह हुआ कि रिडले स्कॉट की स्पेस फिल्म ‘द मर्शियन’ फिर टॉप पर आ गई। इस फिल्म ने पिछले हफ्ते टॉप पर रही फिल्म ‘गूसबम्प्स’ को पीछे धकेल दिया . द मार्शियान’ ने अपने चौथे वीकेंड में १५.९ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया । सोनी की फिल्म ‘गूसबम्प्स’ का कलेक्शन ‘द मर्शियान’ के मुकाबले थोडा कम १५.५ मिलियन का रहा। यहाँ, उल्लेखनीय बात यह है कि जैसे ही ‘द मर्शियान’ ११.४ मिलियन डॉलर का कलेक्शन कर लेगी, रिडले स्कॉट की घरेलु बाज़ार में सबसे ज़्यादा ग्रॉस कलेक्शन करने वाली फिल्म बन जायेगी। इस वीकेंड में तीसरे स्थान पर स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘ब्रिज ऑफ़ स्पाईज’ रही, जिसने ११.३ मिलियन का कलेक्शन किया। लेकिन, स्पीलबर्ग और हंक्स जोड़ी की अब तक की फिल्मों के लिहाज़ से यह कलेक्शन उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता । 

Wednesday 28 October 2015

असफल अभिनेताओं की सेक्स कॉमेडी

गोलमाल ३ के बाद से ही एक्टर कुणाल खेमू असफलता से जूझ रहे हैं।  उनकी एक के बाद एक फ़िल्में फ्लॉप हो रही हैं। गोलमाल ३ के बाद उन्होंने हर साल एक फ्लॉप फिल्म देने का रिकॉर्ड कायम किया है।  उनकी ब्लड मनी, गो गोवा गॉन और जोए बी कार्वाल्हो फ्लॉप हो चुकी है।  पिछले दिनों रिलीज़ उनकी फिल्म 'भाग जॉनी' को बॉक्स ऑफिस ने भागने पर मज़बूर कर दिया।  डायरेक्टर जोड़ी श्रीशांक आनंद और शशांक रे छिब्बर की फिल्म 'गुड्डू की गन' में कुणाल गुड्डू का किरदार कर रहे हैं, जिसकी 'गन' सोने की हो गई है। इस सेक्स कॉमेडी फिल्म के ट्रेलर में ही अश्लील और द्विअर्थी संवादों की भरमार है।  'गुड्डू की गन' के अलावा कुणाल के पास दूसरी कोई फिल्म नहीं।  ज़ाहिर है कि वह गुड्डू की गन की सेक्स कॉमेडी के ही भरोसे हैं।
फ्लॉप अभिनेता + बी ग्रेड एक्ट्रेस = सेक्स कॉमेडी

फ्लॉप अभिनेताओं और दोयम दर्जे की फिल्मों की एक्ट्रेस की मज़बूरी है सेक्स कॉमेडी फ़िल्में करना।  ऎसी फ़िल्में करके वह एक सफल फिल्म अपने खाते में जोड़ सकते हैं।  चूंकि, ऎसी फिल्मों को हर अभिनेता या अभिनेत्री करना नहीं चाहेगी, इसलिए ऐसे फ्लॉप कलाकार ख़ास तरह की फिल्मों के सदस्य बन जाते हैं।  पुष्टि करेंगे विवेक ओबेरॉय, आफताब शिवदासानी और रितेश देशमुख ! उन्हें फ्लॉप फिल्मों का सामना करना पड़ा। उनकी शुरूआती ए ग्रेड फ़िल्में चली नहीं।  बी ग्रेड फ़िल्में भी कुछ ख़ास कारनामा नहीं कर पाई।  ऐसे में सेक्स कॉमेडी इनके लिए एक ही रास्ता थी।  यह फ्लॉप एक्टरों की तिकड़ी इंद्रकुमार की फिल्म 'मस्ती' में नज़र आई।  द्विअर्थी संवादों वाली इस फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली।  'मस्ती' ने फिल्म निर्माताओं के सामने सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने का रास्ता खोल दिया और इन एक्टरों को फिल्म 'ग्रैंड मस्ती' दिलवा दी।  मस्ती से पहले आफताब शिवदासानी मुस्कान, सुनो ससुरजी,  फूटपाथ, डरना मना है, प्यासा, जानी दुश्मन : एक अनोखी कहानी, कर ले प्यार कर ले, आदि जैसी फ्लॉप फिल्मो की लम्बी लाइन लगा चुके थे। रितेश देशमुख की मस्ती से पहले केवल दो फ़िल्में ही रिलीज़ हुई थी।  लेकिन, मस्ती के बाद भी वह एक भी सोलो हिट फिल्म नहीं दे सके।  उनकी मालामाल वीकली जैसी फ़िल्में खालिस उनकी नहीं थी।  लेकिन, विवेक ओबेरॉय का कंपनी, साथिया, युवा और क्यों हो गया न जैसी बड़ी और सफल फिल्मों के बावजूद सेक्स कॉमेडी करना समझ से बाहर है।  जबकि, मस्ती रितेश देशमुख के करियर की तीसरी फिल्म थी। बॉलीवुड के असफल अभिनेताओं का सेक्स कॉमेडी करने का सबसे बड़ा उदाहरण इमरान खान हैं।  जिन्होंने लगातार असफल फिल्मो से घबरा कर 'डेल्ही बेली' जैसी अश्लील फिल्म सेक्स कॉमेडी के नाम पर की।  यह फिल्म हिट भी हुई।
यह क्या हो रहा है !
बॉलीवुड ने सेक्स कॉमेडी फिल्मों की शुरुआत चोरी करके की।  निर्माता थे आज के क्रांतिकारी निर्देशक हंसल मेहता।  फिल्म थी हॉलीवुड फिल्म 'अमेरिकन पाई' की कटपेस्ट फिल्म 'यह क्या हो रहा है'। यह फिल्म २००२ में रिलीज़ हुई थी।  यह फिल्म उस समय सेक्स बम जैसी नज़र आ रही पायल रोहतगी और  सहेलियों की सेक्स अपील को  भुनाने के ख्याल से बनाई गई थी।  वैसे फिल्म में प्रशांत चिअनानी, आमिर अली माली, वैभव जालानी और यश पंडित जैसे दर्शकों के लिए कम जाने पहचाने चहरे। लेकिन, दर्शकों का ख्याल  रखने के लिए पायल  रोहतगी के साथ उनकी दीप्ति दरयानानी, समिता बंगार्गी और पुनर्नवा मेहता की सेक्सी ब्रिगेड थी।  यह वही पुनर्नवा हैं, जो बाद में पाखी टायरवाला बनी। वह अब्बास टायरवाला की बीवी हैं।  गुमनाम एक्टरों की गुमनाम रही ब्रिगेड के साथ बनी 'यह क्या हो रहा है' से हिंदी फिल्म दर्शकों का पहला परिचय सेक्स कॉमेडी से हुआ।  यह एक अनोखा विषय था।  इसलिए फिल्म चल निकली।
फ्लॉप डायरेक्टर भी
सेक्स कॉमेडी फ्लॉप फिल्म डायरेक्टर की पनाहगाह हो सकती है।  यह क्या हो रहा है से पहले तक १३ फ्लॉप फ़िल्में दे चुके हंसल मेहता के बाद दीपक तिजोरी ने भी इसे पुख्ता किया। दीपक तिजोरी अच्छे अभिनेता हैं, इसे उन्होंने साबित किया।  उन्हें महेश भट्ट की फिल्मों का सहारा मिला।  आशिक़ी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, खिलाडी, बेटा, आदि फिल्मों में वह नायक के सहायक थे।  बतौर नायक वह बिलकुल फ्लॉप साबित हुए।  इसलिए जब उन्होंने बतौर डायरेक्टर हाथ आजमाने की सोची तो फिल्म सेक्स कॉमेडी बनाई ।  लेकिन, फिल्म असफल हुई।  इसके बाद दीपक ने थ्रिलर, मर्डर मिस्ट्री फ़िल्में बनाई। ज़ोर, संध्या और चुरा लिया है तुमने जैसी फ्लॉप फिल्म देने के बाद मलयालम फिल्मों के संगीत सिवन ने एकता कपूर के लिए फिल्म 'क्या कूल हैं हम' बनाई।  फिल्म सुपर डुपर हिट हुई।  इस फिल्म में फ्लॉप तुषार कपूर और रितेश देशमुख की जोड़ी थी।  लेकिन, इस सुपर हिट फिल्म का सीक्वल क्या सुपर कूल हैं हम चल नहीं सका।   रजत कपूर फिल्म एक्टर  डायरेक्टर हैं।  वह  हर प्रकार की हिंदी अंग्रेजी मिक्स फ़िल्में बना लेते हैं।  उन्होंने सेक्स कॉमेडी मिक्स्ड डबल्स का निर्देशन किया।  फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा, रणवीर शोरे, कोयल पूरी और रजत कपूर थे।  फिल्म में एक व्यक्ति पत्नी को खुश करने के लिए पावर बढ़ाने वाली दवाएं लेता है। सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने में स्थापित निर्देशकों ने भी रूचि ली।  अनंत बलानी एक ऐसे ही निर्देशक थे। उन्होंने सलमान खान और रवीना टंडन को लेकर 'पत्थर के फूल' का निर्देशन किया था।  अलबत्ता, उन्होंने भिन्न शैली की फ़िल्में बनाई।  जॉगर्स पार्क और एक दिन २४ घंटे के साथ उनकी सेक्स कॉमेडी फिल्म मुंबई मैटिनी भी रिलीज़ हुई।  फिल्म में राहुल बोस और परीजाद जोरेबियन मुख्य भूमिका में थे, जिनका हिंदी फिल्मों में कोई नामलेवा नहीं।
सनी लियॉन है तो सेक्स कॉमेडी
सनी लियॉन बिग बॉस में इसीलिए लाई गई कि वह पोर्न फिल्म स्टार थी।  उनसे बिग बॉस को सेक्स का छौंका मिलता। महेश भट्ट सनी लियॉन को बिग बॉस से अपनी बेटी की फिल्म जिस्म २ में ले आये।  फिल्म फ्लॉप हुई।  इंटरनेट पर सनी लियॉन को सेक्स करता देख चुका दर्शक उनके ऑन स्क्रीन आधे अधूरे सेक्स को ख़ाक देखता। सेक्स के बूते पर सनी लियॉन की फिल्म 'रागिनीं एमएमएस २' हिट हो गई। फिल्म निर्माताओं को भी सनी लियॉन जैसी अभिनेत्री मिल गई थी, जिसके नाम से अपनी सेक्स कॉमेडी फिल्मो को भुनाया जा सकता था।  सनी लियॉन की फिल्म कुछ कुछ लोचा है पहली सेक्स कॉमेडी फिल्म थी।  लेकिन, उनकी दूसरी सेक्स कॉमेडी फिल्म 'मस्तीज़ादे'  सेंसर के पचड़े में फंस गई।  एक दूसरी अभिनेत्री हैं राधिका आप्टे।  वह बॉलीवुड की सेक्स सिंबल बन कर उभर रही हैं।  उनकी एक्स सेक्स कॉमेडी फिल्म 'हंटर' रिलीज़ हो चुकी है।  यह सभी अभिनेत्रियां पायल रोहतगी, नेहा धूपिया, आदि सेक्सी अभिनेत्रियों की परंपरा में हैं, जिन्होंने सेक्स कॉमेडी फिल्मे की।   
वैसे सेंसर बोर्ड की कड़ाई के बावजूद बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं का सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने का इरादा कमज़ोर नहीं हुआ है।  गुड्डू की गन के अलावा एकता कपूर की केन घोष निर्देशित फिल्म ३ एक्स भी सेक्स कॉमेडी फिल्म है।  क्या सुपर कूल हैं हम का तीसरा भाग बनाया जा रहा है।  इंद्रकुमार ग्रैंड मस्ती की वापसी करवा रहे हैं। निर्माता करण जौहर एक सेक्स कॉमेडी फिल्म बनाने जा रहे थे।  लेकिन, एआईबी रोस्ट के विवाद में घिरने के बाद उन्होंने इस इरादे को ड्राप कर दिया।  इसकी को-प्रोडूसर एकता कपूर थी।  

Tuesday 27 October 2015

'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' ने फिर जीता पीपल चॉइस अवार्ड

टोरंटो और ज़ुरीक जैसे अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दर्शकों की तारीफें बटोरने बटोरने के बाद फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' एक  फिर दर्शकों का दिल जीत पाने में कामयाब रही है । हाल ही रोम फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' ने पीपल चॉइस अवार्ड विजेता का खिताब अपने नाम किया। बता दें की यह फिल्म इससे पहले भी टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पीपल चॉइस अवार्ड में दूसरा स्थान हासिल कर चुकी है। पिछले हफ्ते रोम फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई इस फिल्म को दर्शकों  और फिल्म समीक्षकों ने खूब  सराहा है और साथ ही 8 मिनट स्टैंडिंग ओवेशन देकर फिल्म को  सलामी दी। फिल्म को फिल्म फेस्टिवल सबसे उच्चतम सम्मान बी एन्न एल पीपल चॉइस अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस फिल्म के स्टार कास्ट में सारा जेन, तनिष्ठा चैटर्जी, अनुष्का मनचन्दा, संध्या मृदुल, अमृत मघेरा, पवलीन गुजराल और राजश्री देशपंडे जैसे बहुमुखी कलकार शामिल हैं। फिल्म 'एंग्री इंडियन गौडेसेस' का निर्देशन अंतराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर निर्देशक पैन नलीन ने किया है।इस फिल्म के निर्माता जंगल बुक एंटरटेनमेंट हैं। इस बारे हुए निर्देशक पैन नलिन ने कहा है 'इस बात से सभी सहमत होंगे की अगर विश्व भर में कोई सबसे अच्छा अवार्ड है तो वो सिर्फ पीपल चॉइस अवार्ड है। रोम और इटली के लोगों ने हमे पीपल चॉइस अवार्ड  हकदार समझा और उसी से हमें सम्मानित किया। मुझे बेहद खुसी है की गोआ के छोटे गाव से यह फिल्म पूरे दुनिया भर में प्रसिद्धि बटोर रही है।' 
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सुपर हीरो है टाइगर श्रॉफ का 'फ्लाइंग जट्ट'

अपनी पहली ही फिल्म 'हीरोपंती' में हीरोगिरी दिखाने के बाद टाइगर श्रॉफ अब 'फ्लाइंग जट्ट' बनने को तैयार हैं।  रेमो डिसूज़ा निर्देशित इस फिल्म का हीरो यानि फ्लाइंग जट्ट कोई आम पंजाबी लड़का नहीं, बल्कि पंजाबी सुपर हीरो है।  यह भारत ही नहीं दुनिया का सबसे नौजवान सुपर हीरो है।  इस भूमिका को लेकर टाइगर श्रॉफ बेहद उत्साहित है।  टाइगर ने फिल्म के लिए ज़बरदस्त ट्रेनिंग शुरू कर दी है।  क्योंकि, यह रोल टाइगर के लिए लाइफ टाइम रोल साबित हो सकता है । टाइगर श्रॉफ  फ्लाइंग जट्ट में अब तक के सबसे कठिन एक्शन सीन करते हुए नजर आयेंगे। इन दृश्यों के लिए जूनियर श्रॉफ ने बारह बारह घंटो तक लगातार शूटिंग की है।  इस शूट  से पहले भी वह पांच पांच घंटा प्रैक्टिस किया करते थे। फिल्म का प्रोडक्शन हाउस भी अपने सुपर मैन का ख़ास ध्यान रख रहा है।  बैटमैन, स्पाइडरमैन और सुपरमैन फ़िल्में गवाह हैं कि  इन फिल्मों के सुपर हीरो किरदारों की पोशाक ही उनकी पहचान बनी। इन सभी हॉलीवुड सुपर हीरो की ख़ास पोशाकें हैं। इसी लिए फिल्म 'फ्लाइंग जट्ट' के प्रोडूसर और डायरेक्टर रेमो डिसूजा ने सुपर हीरो की पोशाक पर काफी ध्यान दिया। उनका इरादा फ्लाइंग जट को ऎसी पोशाक पहनाना था, जो हॉलीवुड के किसी सुपर हीरो ने न पहनी हो। पहले इस पोशाक के लिए हिन्दुस्तानी ड्रेस डिज़ाइनर को आजमाया गया। बात न बन पाने पर हॉलीवुड स्टूडियो से देसी सुपर हीरो के लिए पोशाक बनवाने के लिए संपर्क किया। कोई ११ पोशाकों को देखने के बाद एक पोशाक, जो सबसे भिन्न और देसी पंजाबी सुपर हीरो को अलग लुक देने वाली थी, पसंद की गई। इस पोशाक की कीमत १० लाख रुपये है। आजकल इस पोशाक को सबकी नज़रों से दूर एक गार्ड की तैनाती कर रखवाली करवाई जा रही। निर्माताओं को यह भय उतना नहीं है कि इस पोशाक को कोई चुरा न ले, बल्कि चिंता इस बात की है कि कोई इस पोशाक की नक़ल न कर ले। बॉलीवुड भी तो जग्गा जासूस जैसी दूसरी सुपर हीरो फ़िल्में बनाने में जुटा हुआ है। 
 

Sunday 25 October 2015

चार्ल्स शोभराज सेलेब्रिटी क्राइम वाला अपराधी था- रणदीप हूडा

रफ्ता रफ्ता ही सही एक्टर रणदीप हूडा का करियर चलता चला जा रहा है।  कॉकटेल, जिस्म २, किक, हाईवे और रंग रसिया जैसी फिल्में इसे रफ़्तार देती हैं। अब वह लम्बे समय बाद कॉनमैन के रूप में मुख्य भूमिका कर रहे हैं।  वह सोच समझ कर चुनिंदा फ़िल्में करने के शौक़ीन हैं। 'मैं और चार्ल्स' में वह चार्ल्स शोभराज का कॉन किरदार कर रहे हैं। व्यस्ततता के कारण शादी नहीं की, लेकिन घोड़े पालने का शौक है।  पेश है इसी शुक्रवार रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'मैं और चार्ल्स' को लेकर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश - 
क्या 'मैं और चार्ल्स' चार्ल्स शोभराज की बायोपिक है ?
- यह बायोपिक नहीं है। १९८६ में दिल्ली में तिहाड़ जेल से एक आदमी १७५ लोगों को धराशायी कर उनके ऊपर से चाबी लेकर फरार हो गया था। वह कैसे भागा, क्यों भागा, हमने इसी को दिखाया है। इसमें उसका पूरा जीवन नहीं दिखेगा। इसमें केवल उसके २०-२५ साल के जीवन को दिखाया गया है। उसके जेल से भागने, पकड़े जाने और कोर्ट में पेशी के दौरान की कहानी है। काफी अध्ययन करके वास्तविकता निकालने की कोशिश की गई है।
ऐसा व्यक्ति जो पर्यटकों की हत्या करता है। क्या वह नफ़रत के लायक नहीं है ?
-अगर इस तरह से सोचें तो वो नफरत के लायक हैं। फिल्म में भी हम उसके जुर्म को कोई अच्छा नहीं बताने जा रहे हैं। लेकिन गौर करने की बात है कि उस पर जो भी हत्या और फ्राड के आरोप लगे, वो पूरी तरह से साबित नहीं हो पाये। उसके पास किसी भी देश का पासपोर्ट नहीं था। हिंदुस्तान के सामने उसको लेकर एक समस्या यह भी थी कि उसे जेल से निकालने के बाद किस देश को सौंपा जाएगा। इस लिए उसे जेल में ही रखा गया हो सकता है। नेपाल में भी एक पुराने प्लास्टिक के पैकेट और एक बुढ़े पुलिस अधिकारी के साक्ष्य पर ज्यादा छानबीन किये बिना उसे दोषी ठहरा दिया गया।
आपने शोभराज के किरदार को जी लिया है। आपके ख्याल से क्या उपेक्षा की कसक और महत्वपूर्ण होने के लोभ का परिणाम है शोभराज ?
- हां हम कह सकते हैं। उसके दिल में इन दोनों बातों को लेकर कसक थी। वो गरीबी में बहुत रहा। उसे यूरोपियनों से चिढ़ थी। शोभराज बहुत ही मार्केटिंग वाला आदमी है। वो जो भी काम करता था, उसे ग्लोरीफाई करके करता था। वह न्यूज में बने रहने का आदी रहा। उसे हम सेलीब्रिटी क्राइम वाला व्यक्ति कह सकते हैं। वो अपने बारे में छपी खबरों को पढ़कर सुकून महसूस करता था।
क्या आपको उससे  हमदर्दी ?
-जी मैंने ये किरदार किया है और अगर मुझमें उसके प्रति हमदर्दी नहीं होगी, तो मैं करुंगा कैसे। फिर मैं उससे जुड़ूंगा नहीं तो अपने रोल के प्रति न्याय कैसे कर पाउंगा।
तो क्या आप चाहते हैं कि उसे माफ कर दिया जाए ?
-देखिये अभी वो ७०-७५ साल का है। उस उम्र में बाहर ही जीने के लिए कितनी देखभाल की जरूरत होती है, तो जेल में वो उम्र काटना तो बेहद ही कष्टदायी है। ३०-३५ साल से वो जेल में है। १४ साल की उम्र कैद होती है। ऐसे में मैं सोचता हूं कि उसकी सजा अब माफ कर देनी चाहिए।
अब आपके कंधे पर फिल्म की जिम्मेदारी की अपेक्षा की जा रही है ?
-कंधे की जिम्मेदारी निर्माता-निर्देशक की होती है।  एक कलाकार के तौर पर मैं हमेशा शिद्दत से काम करता रहा हूं। अगर मुझको लेकर जिम्मेदारी महसूस की जा रही है, तो मैं इससे बहुत खुश हूं। इससे मैं भागने वाला भी नहीं हूँ। अब मुझे ऐसी फिल्में भी मिल रही हैं । आप बड़े नाम के साथ काम करते हैं तो एक स्टार के तौर पर जीत होती है।
पीछे मुड़कर देखते हैं तो ऐसा कुछ दिखता है , जिसे करने से आपकी जर्नी कुछ शॉर्टकट होती ?
-मुझे शुरू से ही अपने कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की ज्यादा जरूरत नहीं थी। अगर मैं दूसरों की पीठ पर बैठकर उनके कंधे से बंदूक चलाया होता, तो थोड़ा जल्दी आगे आ जाता । पर ये जो संघर्ष है। मानसून वेडिंग जो बाहर की फिल्म थी, के बाद ४-५ साल कोई काम नहीं मिला। २००५ में सफर शुरू हुआ और अब तक १०सालों में बहुत मेहनत, लगन, भड़ास और निराशा को अपने अंदर दबाकर हर रोज जूझता रहा हूं। अगर ये सब नहीं हुआ होता, तो शायद आज मैं ऐसा नहीं बन पाता । अब कुछ बदलाव आया है। पहले ज्यादा मुंहफट, गुस्सैल और बेवकूफ भी था। लेकिन अब थोड़ा संजीदा हो गया हूं।
कोई फिल्म साइन करने से पहले क्या देखते हैं ?
-सबसे पहले ये देखता हूं कि क्या ये लोग इस काम के स्टार्ट होने के बाद अगले ६ महीने तक झेल पाएंगे। इनके साथ काम करके मेरी कला, मेरी पहचान किस तरफ जाएगी। फिर अपने सहायक से सलाह करके निर्णय लेता हूं। मैं ये नहीं कहूंगा कि मैं ज्यादा चूजी हूं। क्योंकि जैसा काम करता हूं, वैसी फिल्में कम बनती हैं। इसलिए जो  काम मेरे पास आते हैं, उसी में से अपनी पसंद के आस-पास वाला काम कर लेता हूं।
आपके प्रशंसक आपको गंभीर कलाकार मानते हैं। क्या आप इस दबाव में ऐसा ही करते रहने वाले हैं या रिस्क भी उठानां है ?
-अब तक निभाये मेरे किरदार को अगर आप देखें तो वे कहीं ना कहीं रिस्क लेने वाले ही हैं। और मुझे लगता है, जो मेरे प्रशंसक हैं, उन्हें वही रिस्क अच्छा लगता है। मैं अपना काम अपने प्रशंसकों की सोच को आगे रखकर नहीं करने वाला हूं। कहीं मेरी अपनी सोच है, जिंदगी है, जिसे मैं हर हाल में बरकरार रखने वाला हूं। क्योंकि अगर यही टूट गया, तो मुझमे बचेगा क्या। आप मेरी फिल्मों को देख लीजिए, आप मुझे किसी एक जोनर में नहीं रख पाएंगे।
सफलता के बावजूद कुवाँरेपन का कारण क्या है ?
-मेरी शादी मेरे काम से हो गयी है। मैं अपने काम में इतना बिजी रहता हूं कि दूसरी तरफ ध्यान ही नहीं जाता कि निजी जिंदगी में क्या है, किसकी कमी है। यह बात दूसरे लोगों के लिए भले ही फ्रस्टेशन की हो, लेकिन मैं नहीं चाहता कि कोई आए और मैं अपना पागलपन उस पर थोप कर उसकी जिंदगी को मायूस कर दूं। इससे ये मत सोचिये की मेरी लाइफ नीरस है। मैं बहुतों से मिलता हूं, घुड़सवारी करता हूं। मेरी पोलो की टीम है, जिसे चलाता हूं। कभी छुट्टी पर नहीं गया हूं । हमेशा काम में ही उलझा रहता हूं। मेरी यही रुचि है, मुझे इसी में मजा आता है।
कमर्शियल और आर्ट की दीवार टूट रही है।  क्या सहयोगी बन रहा है ?

-दुनिया बदल रही है। आज इंटरनेट घर-घर पहुंच रहा है। दूसरे देशों और भाषाओं की फिल्में डब होके घर-घर में देखी जा रही हैं। इससे  लोगों का नये विषयों से जुड़ाव हो रहा है। एक ही ढर्रे की फिल्मों से नया कुछ टेस्ट मिल रहा है। मेरे जैसे कलाकार कमर्शियल और आर्ट के बीच की खाई को पाटने में ब्रिज बन रहे हैं। मैं चाहता हूं कि इस दीवार को तोडऩे में मेरा काम सहयोगी बने।  

Saturday 24 October 2015

मुझे 'बांड गर्ल' मत कहिये - मोनिका बेल्लुच्चि

सैम मेंडिस की बांड फिल्म 'स्पेक्ट्र' में डेनियल क्रैग के साथ लुसिआ स्शर्रा का किरदार कर रही मोनिका बेल्लुच्चि  को खुद को बांड गर्ल कहलाना पसंद नहीं। मैट्रिक्स सीरीज की फिल्मों 'रीलोडेड' और 'रेवोलुशन्स' की इतालवी नायिका मोनिका ५१ साल की हैं। उन्हें उस समय आश्चर्य हुआ था, जब उन्हें स्पेक्ट्र के लिए संपर्क किया गया। क्योंकि, बांड फिल्मों में जवान अभिनेत्रियों की दरकार होती है, जो अपनी सेक्स अपील से दर्शकों को लुभाएं। इसमे कोई शक नहीं कि वह जेम्स बांड सीरीज की लम्बी श्रंखला की फिल्मों की सबसे उम्रदराज एक्ट्रेस हैं। वह कहती है, "मैं 'जेम्स बांड वुमन' हूँ।  मैं सही मायनों में महिला हूँ, न कि बांड गर्ल । इसीलिए, मैं जब भी स्पेक्ट्र के लिए अपना परिचय देती हूँ तो 'जेम्स बांड लेडी' या 'जेम्स बांड वुमन' ही कहती हूँ।" मोनिका ऐसे समय में बांड सीरीज की फिल्म में काम कर रही हैं तो यह पुरानी अभिनेत्रियों की समस्या के लिहाज़ से बढ़िया होगा। वह  कहती हैं, "मैं फ्रांस में रहती हूँ।  देखती रहती हूँ पुराने ज़माने की नताली बाये, कैथरीन डेनेउव, इसाबेल्ले हूप्पेर्ट, क्रिस्टीन स्कोत्त थॉमस, शेर्लोट राम्पलिंग को। इनका शानदार करियर रहा है।  लेकिन, आज क्या है ?" अगले महीने २० नवंबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'स्पेक्ट्र' में मोनिका राजनेताओं के उस हत्यारे की पत्नी का किरदार निभा रही हैं, जिसे बांड ने मार डाला है। 

कैट हडसन को लगे बिल मूरे बहुत सेक्सी

'द ऑलमोस्ट फेमस' और 'हाउ टू लूज़ अ गाए इन टैन डेज़' जैसी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री कैट हडसन एक बार फिर अभिनेता बिल मूरे के साथ अपनी आने वाली फ़िल्म 'रॉक द कासबह' से दर्शकों के दिलों को जीतने के लिए तैयार हैं।फ़िल्म में मूरे एक जुनूनी म्यूजिक मैनेजर की भूमिका में है, जो अनजान सीमा क्षेत्रों में घूमता हुआ जादुई आवाज़ वाली एक टैलेंन्टेड लड़की को खोज निकालता है। इस फ़िल्म का निर्देशन ऑस्कर विजेता निर्देशक बैरी लेविंसन (फ़िल्म रेन मैन) ने किया है। वह बेहद दमदार कास्ट (केट हडसन और बिल मुरे) के साथ इस दिलचस्प कहानी को दर्शकों के सामने परोसने जा रहे है । हाल ही के एक इंटरव्यू में कैट ने बिल मूरे के साथ काम करते हुए, अपने अनुभवों और फ़िल्म में आपसी ट्यूनिंग पर बातचीत की । कैट हडसन ने बताया, " मुझे बिल मूरे को किस करना बहुत पसंद था । वह अभी भी बहुत सेक्सी है और हमारे सम्बन्ध काफी अच्छे हैं ।फ़िल्म की पृष्ठभूमि युद्ध में लिप्त अफगानिस्तान की है। पर इसे मोरैको में फिल्माया गया है । यह मेरे जीवन का एक बेहद मज़ेदार अनुभव रहा।  मोरैको अपने आप में एक बेहद मस्त जगह है ।वहां कुछ ऐसे स्थान है जो मुझे हमेशा ही अपनी तरफ खींचते हैं ।" फ़िल्म 'रॉक द कासबह' पीवीआर पिक्चर्स द्वारा 22 अक्टूबर को भारत में रिलीज़ की जा रही है।



फिल्म 'तंत्र शक्ति' में पचास भूतों से लड़ेगी राय लक्ष्मी !

दिसम्बर में रिलीज़ होने जा रही श्रीकांत और लक्ष्मी राय की तमिल हॉरर-कॉमेडी फिल्म 'सोव्कारपेत्तई' वास्तव में दो और भाषाओँ तेलुगु और हिंदी में भी रिलीज़ की जायेगी।  तेलुगु में इसे 'शिव गंगा' और हिंदी में 'तंत्र शक्ति' टाइटल से रिलीज़ किया जायेगा। इस फिल्म में तमिल फिल्मों की सेक्सी नायिका राय लक्ष्मी मुख्य भूमिका कर रही हैं।  यह उनकी तीसरी हॉरर फिल्म है।  इससे पहले वह 'कंचना' और 'अरनमनाई'  जैसी हॉरर फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। यह वही राय लक्ष्मी है, जो सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म 'अकिरा' और दीपक शिवदासानी की फिल्म 'जूली २' में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। श्रीकांत की यह पहली हॉरर फिल्म है।   श्रीकांत तमिल फिल्मों के रोमांटिक हीरो रहे हैं।  समय के साथ उनका रोमांटिक हीरो धुंधला पड़ गया।  अब श्रीकांत सशक्त भूमिकाओं के ज़रिये अपनी वापसी करना चाहते हैं।  इस फिल्म में श्रीकांत अपने करियर की पहली दोहरी भूमिका कर रहे हैं।  फिल्म की एक भूमिका में वह अघोरी का किरदार कर रहे हैं।  सोव्कारपेत्तई में पहली बार श्रीकांत और राय लक्ष्मी की जोड़ी बनाई गई है।  इस फिल्म की खासियत है क्लाइमेक्स।  इस क्लाइमेक्स में श्रीकांत और राय लक्ष्मी के किरदार श्मशान में पचास भूतों से लड़ाई करते दिखाए गये हैं। सूत्र बताते हैं कि तमिल फिल्मों में कभी इतने बड़े पैमाने पर ऐसे दृश्य नहीं फिल्माए गए। फिल्म में दर्शकों को तमिल- तेलुगु फिल्मों की सेक्सी नायिका का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री राय लक्ष्मी बड़े डरावने चहरे के साथ नज़र आयेंगी। फिल्म का निर्देशन वादिवुदियान कर रहे हैं।




Friday 23 October 2015

क्या हिंदी फिल्मों में पैर जमा पायेगा दक्षिण का यह 'बाहुबली' स्टार !

तेलुगु फिल्मों के एक्टर प्रभास के जन्मदिन पर उनका ज़िक्र इसलिए कि हिंदी बेल्ट के दर्शकों से उनका परिचय एस एस राजामौली की फिल्म 'बाहुबली: द बेगिनिंग' के बाहुबली शिवुडु की भूमिका से हो चुका है।  इससे पहले प्रभास ने प्रभुदेवा की अजय देवगन अभिनीत फिल्म 'एक्शन जैक्सन' में कैमिया किया था।  प्रभास दक्षिण के ऐसे सितारे साबित हुए हैं, जिन्होंने शिवाजी गणेशन और जैमिनी गणेशन से लेकर कमल हासन और रजनीकांत की फिल्मों की असफलता के इतिहास को धोने की कोशिश की है।  प्रभास की फिल्म 'बाहुबली' के डब संस्करण ने रजनीकांत की फिल्म 'रोबोट' के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से छह गुना ज़्यादा कलेक्शन किया।  इसीलिए, यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या २३ अक्टूबर १९७९ को जन्मे प्रभास बॉलीवुड में दक्षिण के सितारों की असफलता के दाग को धो पाएंगे ? क्या वह हिंदी फिल्मों में सफल साबित होंगे ? अगर बाहुबली की सफलता को देखें और इस फिल्म के आखिरी दृश्य ने हिंदी दर्शकों में बाहुबली की दूसरी कड़ी के लिए जैसी उत्सुकता पैदा की है, उसे देखते हुए सोचा जाना स्वाभाविक है कि बाहुबली की सीक्वल फिल्म 'बाहुबली द कनक्लुजन' जब रिलीज़ होगी तो पिछले सारे रिकॉर्ड भंग कर देगी। इसमे कोई शक नहीं कि बाहुबली का क्रेज बन चूका है।  इसकी आखिरी क़िस्त का बड़ी हिट होना सुनिश्चित है।  लेकिन, इससे प्रभास की हिंदी फिल्मों में सफलता का निष्कर्ष निकालना ज़ल्दबाज़ी होगी।  प्रभास का दक्षिण की फिल्मों में करियर ख़त्म हो चूका था।  बाहुबली से तो उन्होंने बाउंस बैक किया है।  वह इस समय ३२ साल के है। बाहुबली की सफलता बॉलीवुड के बैनर धर्मा प्रोडक्शंस की देन भी है।  लेकिन, करण जौहर प्रभास को लेकर कोई बड़ी फिल्म बनाना चाहेंगे, यह खतरा मोल लेने वाला विचार ही है।  खुद राजामौली भी जब बाहुबली को हिंदी में बनाना चाहते थे तो उन्होंने ह्रितिक रोशन और जॉन अब्राहम से पहला और आखिरी संपर्क किया था।  जहाँ तक बॉलीवुड के फिल्मकारों की बात है तो वह खान अभिनेताओं के अलावा अक्षय कुमार, अजय देवगन, हृतिक रोशन, आदि को लेकर कोई फिल्म बनाएगा।  तमाम साउथ हिट फिल्मों के रीमेक बॉलीवुड के बड़े सितारों के साथ ही तो बनाये जा रहे हों।  फिर भी, प्रभास के चहरे में उत्तर के चेहरों वाली बात है।  उनकी हिंदी बेहद कमज़ोर है।  उसे इसे अच्छी तरह मांजना होगा। तभी वह बॉलीवुड के बॉक्स ऑफिस पर पकड़ रखने वाले सितारों के सामने अपना प्रभाव  जमा पाएंगे।


हिंदी फिल्मों में बैंड बाजा बारात ! शादी से पहले शादी के बाद !!

सिनेमेटोग्राफर बिनोद प्रधान की डेब्यू फिल्म 'द वेडिंग पुलाव' की थीम में शादी है।  लेकिन, दिगंत और अनुष्का की यह कहानी न तो शादी से पहले की है, न शादी के बाद की है।  बल्कि, यह फिल्म शादी के दौरान की है। अनुष्का और दिगंत साथ काम करते हैं, अच्छे दोस्त है।  अनजाने में एक दूसरे को चाहने लगते हैं, लेकिन इसका एहसास नहीं।  एक दिन अनुष्का को दिगंत की शादी का इनविटेशन मिलता है।  वह उसमे शामिल होने जाती है।  इस शादी के दौरान दोनों को अजीब अनुभव होता है। अनुष्का के साथ उसका बॉयफ्रेंड है।  दिगंत अनुष्का के बॉय फ्रेंड को देख कर जलने लगता है।  अनुष्का को लगता है कि दिगंत की शादी न होने पाये।  ऐसा क्यों ? यही शादी के दौरान का वेडिंग पुलाव है।
शादी के दौरान हुआ प्यार
हिंदी फिल्मों की यही महिमा है।  कभी शादी के पहले,कभी शादी के बाद तो कभी शादी के दौरान भी।  बैंड बाजा बारात के श्रुति (अनुष्का शर्मा) और बिट्टू (रणवीर सिंह) दिल्ली के वेडिंग प्लानर हैं।  दूसरों की शादी कराते हैं।  कई कई दिन लगातार एक दूसरे के साथ दिन रात रहते हैं।  दोनों में प्यार हो जाता है।  अब इन वेडिंग प्लानर की शादी तो होनी ही है न ! कुछ ऐसा ही एहसास यह जवानी है दीवानी के कबीर (रणबीर कपूर) को भी होता है, जब वह अपनी दोस्त अदिति (कल्कि कोएचलिन) की शादी में जाता है। हालाँकि, नैना (दीपिका पादुकोण) उससे बहुत पहले से प्यार करती है।  लेकिन, कबीर को तो दुनिया घूमने का चस्का है।  उसे नैना का प्यार नज़र नहीं आता।  जब दोनों फिर अदिति की शादी में मिलते हैं, तब कबीर को एहसास होता है कि वह अब तक क्या क्या खो चूका था।  शादी के दौरान का एहसास तनु वेड्स मनु में दोनों मुख्य किरदारों को भी होता है।  मनु (आर माधवन)  शादी के लिए तनु (कंगना रनौत) को देखने आता है। लेकिन, तनु तो राजा अवस्थी (जिमी शेरगिल) की दीवानी है।  कॉमन फ्रेंड की शादी में दोनों बार बार मिलते हैं।  तनूजा को एहसास होता है मनु के प्यार का।  इस प्रकार का शादी के दौरान का प्रेम बहुत सी मेरे यार की शादी है, हम आपके हैं कौन, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, बिट्टू बॉस जैसी तमाम हिंदी फिल्मों के केंद्र में रहा है।  ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस की श्रीमती बक्शी की अपनी चार बेटियों के लिए दूल्हे की तलाश एक शादी में ही पूरी होती है।
शादी के बाद
किसी शादी को निभाना एक बड़ी बात होती है।  पति पत्नी के बीच मतभेद पैदा होते हैं।  कभी सुलझ जाते हैं, कभी टूट कर सुलझते हैं।  हालिया फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' में तनु (कंगना रनौत) और मनु (आर माधवन) के संबंधों में खटास आ जाती है।  वह मनु को पागलखाने में छोड़ कर वापस भारत आ जाती है।  मनु तनु की हमशक्ल लड़की से शादी करने लगता है। इसी दौरान दोनों को एहसास हो जाता है कि वह दोनों गलती पर थे।  दो फिल्मों मैं मेरी पत्नी और वह तथा रब ने बना दी जोड़ी में विवाहित जोड़ियों की समस्या बेमेल विवाह की है।  जहाँ रब ने बना दी जोड़ी में सुरिंदर (शाहरुख़ खान) उम्र में तानी (अनुष्का शर्मा) से बड़ा है।  तानी को हमेशा यह एहसास रहता है कि उसकी शादी एक बड़ी उम्र के आदमी से कर दी गई।  सुरिंदर उसे खुश रखना चाहता है।  जबकि तानी उसमे सुपर मैन देखना चाहती है।  वही मैं मेरी पत्नी और वह का मिथिलेश (राजपाल यादव)  छोटे कद है, जबकि वीणा (रितुपर्णा सेनगुप्ता) लम्बे कद की है।  वीणा को पति के छोटे कद से परेशानी नहीं।  लेकिन, मिथिलेश में हीन भावना है। वह लम्बे कद की सुन्दर पत्नी को लेकर सशंकित रहता है।  कुछ समय पहले रिलीज़ फिल्म दम लगा के हईशा में प्रेम (आयुष्मान खुराना)  और संध्या (भूमि पेडणेकर) की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसमे मोटी पत्नी वाले पति को मोटी पत्नी के साथ शर्म आती है।
शादी के बाद शादी से पहले का
कई फिल्मों में शादी के बाद के जीवन में शादी के पहले वाला  आ जाता है।  बीआर चोपड़ा ने ऎसी ही भटकी नारियों के जीवन पर फिल्म बनाई थी गुमराह।  इस फिल्म में कमला (माला सिन्हा) और राजेंद्र (सुनील दत्त)  प्यार करते हैं।  लेकिन कमला की शादी बैरिस्टर अशोक (अशोक कुमार) से हो जाती है।  सब ठीक हो रहा होता है कि एक दिन कमला की विवाहित ज़िन्दगी में राजेंद्र फिर आ जाता है।  वह अपने पुराने प्यार की दुहाई देता है।  कुछ ऐसी ही कहानी धड़कन के अंजलि (शिल्पा शेट्टी), राम (अक्षय कुमार) और देव (सुनील शेट्टी) की भी थी। यश चोपड़ा की फिल्म 'सिलसिला' में अमित (अमिताभ बच्चन) और चांदनी (रेखा) एक दूसरे से प्यार करते हैं।  लेकिन, अमित  की शादी शोभा (जया बच्चन) से और चांदनी की शादी डॉक्टर आनंद (संजीव कुमार) से हो जाती है।  कुछ समय बाद दोनों मिलते हैं।  अमित और चांदनी का पुराना रोमांस सर उठाता है।  दोनों शादियां टूटने की कगार पर आ जाती हैं।
शादी जीतती है
जस्ट मैरिड का अभय (ज़ायद खान) और रीतिका (दिया मिर्ज़ा) नवविवाहित जोड़ा है।  दोनों के बीच मतभेद पैदा होने लगते हैं।  लेकिन, वह उनको सुलझाने की कोशिश करने लगते हैं।  संजयलीला भंसाली की फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' की नंदिनी (ऐश्वर्य राय) समीर (सलमान खान)  से प्रेम करती है।  पिता उसकी शादी ज़बरदस्ती वनराज (अजय देवगन) से करा देता है।  नंदिनी शादी की पहली रात ही वनराज को अपने प्यार के बारे में बता देती है।  वनराज निर्णय लेता है कि वह नंदिनी और समीर को मिलाएगा।  इसी प्रकार से 'नमस्ते लंदन' की ब्रिटेन में रहने वाली जसमीत (कैटरीना कैफ) चार्ली से प्रेम करती है।  पिता जसमीत की शादी गाँव में रहने वाले अर्जुन (अक्षय कुमार) से तय कर देता है।  जसमीत यह शादी नहीं चाहती।  अर्जुन जसमीत के साथ लंदन आ जाता है।  लंदन में जसमीत को अर्जुन की अच्छाइयों का पता चलता है।  इन सभी फिल्मों में तयशुदा शादी जीतती है। लव ब्रेकअप ज़िन्दगी का जय और नैना को जोड़ा और उनके दोस्त यह महसूस करते हैं कि शादी के बाद बहुत कुछ बदल जाता है।  गुलज़ार की फिल्म इजाज़त के महेंद्र (नसीरुद्दीन शाह) और माया (अनुराधा पटेल) प्यार करते हैं।  पर माया शादी नहीं करना चाहती।  महेंद्र की शादी सुधा (रेखा) से हो जाती है।  लेकिन, महेंद्र माया को भूल नहीं पाता।  नतीज़तन, महेंद्र और सुधा की शादी टूट जाती है। बरसों बाद महेंद्र और सुधा एक रेलवे स्टेशन पर मिलते हैं।  दोनों महसूस करते हैं कि उन्होंने ऐसा कुछ है, जो खो दिया है। आदित्य और सुहानी की शादी भी टूटने की कगार पर आ जाती है।  लेकिन, दोनों समझदारी से काम लेते हैं। शादी के साइड इफेक्ट्स में सिड (फरहान अख्तर) और तृषा (विद्या बालन)  की शादी का ज़िम्मेदारी का एहसास होते ही दरकने लगती है।
कुछ विवाह ऐसे भी
विवाह के प्रेम (शाहिद कपूर) और पूनम (अमृता राव) की शादी उस समय खतरे में पड़ जाती है, जब शादी के दिन आग लगाने से पूनम का पूरा शरीर जल जाता है।  इसके बावजूद प्रेम पूनम से शादी करता है। घरौंदा में सुदीप (अमोल पालेकर) और छाया (ज़रीना वहाब) प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं।  लेकिन, घरौंदा न होने के कारण शादी नहीं कर पा रहे हैं।  इस पर सुदीप छाया से एक बूढ़े मोदी (डॉक्टर श्रीराम लागू) से शादी करने को कहता है, जो बीमार रहता है और जल्द ही मर जायेगा।  लेकिन, शादी के बाद छाया पति के लिए बदलने लगती है। मेरे ब्रदर की दुल्हन में कुश (इमरान खान) अपने भाई लव (अली ज़फर) की दुल्हन डिम्पी (कैटरीना कैफ) को देखने जाता है।  लेकिन, खुद उसके प्यार में पड़ जाता है। घर शादी शुदा जोड़े विकास (विनोद मेहरा) और आरती (रेखा) की कहानी थोड़ी अनोखी थी।  आरती का बलात्कार हो जाता है।  दोनों पति पत्नी इस हादसे से उबरने की कोशिश करते हैं। हम आपके हैं कौन में नायक विजय (अनिल कपूर)  मेघा (काजोल) से कॉन्ट्रैक्ट करके शादी करता है।  लेकिन, कॉन्ट्रैक्ट के दौरान उन्हें पता लगता है कि वह एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं।

शादी, शादी के दौरान, शादी के बाद और शादी से पहले के कथानक पर कभी कभी, चलते चलते, कभी अलविदा न कहना, हाउसफूल ३, आदि ढेरों फ़िल्में बनाई गई हैं।  इन फिल्मों में शादी से पहले का प्रेम शादी के बाद के प्रेम से हारता है।  यानि, हिंदी फिल्मों की नारी कभी भी पति और परिवार के विरुद्ध नहीं जा सकती।  आज भी ऐसे कथानक किसी न किसी रूप में हैं, जिनमे शादी जीतती है।