Tuesday, 30 July 2013

‘The Wolverine’ Rips Its way Through the Box Office!! Notches No. 1 Opening in India!

The famed adamantium claws have spoken as the hugely anticipated superhero flick THE WOLVERINE has bagged a bumper opening in the Indian market as well as internationally! 
Ripping out its local competition, Fox Star Studios’s Hugh Jackman starrer The Wolverine which released on 26th July has garnered an astounding RS 15 Crores gross (RS 10.5 Crores Net) in its opening weekend, claiming the no 1 spot! 
What’s more, the Indian opening ranks at the 3rd position in the Asia Pacific market and 10th internationally. 
The Wolverine opening weekend also ranks as the 3rd highest of all time for a Fox Star Studios Hollywood title after Avatar & Life of Pi. The opening weekend is the highest by far in the X-Men franchise and the weekend nos. itself exceeds the lifetime gross of all previous X-Men titles with the exception of X-Men: First Class. 
Speaks Mr. Vijay Singh, CEO, Fox Star Studios on the astounding opening news, “We are elated at The Wolverine’s exceptional opening figures. With the past tremendous success of the X-Men franchise, The Wolverine is undoubtedly a popular superhero and we are thrilled to see the response and reactions post its release, reaffirming its coveted status. The success of The Wolverine has effectively set the platform for our next year’s biggie X Men: Days Of Future Past.”
The film has already registered a Worldwide Total of $140.1 Million, and this has given ‘The Wolverine’ the highest opening weekend overseas in the popular X-Men franchise. 
Backed by critical and popular acclaim, Hugh Jackman's sixth outing as the iconic clawed mutant wolverine in the latest offering from the X-Men franchise, THE WOLVERINE 3D is in theatres currently.

Monday, 29 July 2013

हिट, सुपर हिट और चर्चित फ़िल्में देखने की 'मैक्स' आज़ादी


देश की आजादी के पखवाड़े को सोनी मैक्स दर्शकों को बॉलीवुड, हॉलीवुड और दक्षिण की हिट , सुपर हिट और चर्चित फिल्मों को देखने की आज़ादी दे रहा है. अगस्त के पहले पखवाड़े में मैक्स पर हर दिन सुबह सात बजे से पांच हिट  फ़िल्में  दिखाई जायेंगी।  इस प्रकार से १६ अगस्त तक करीब ७० फ़िल्में दर्शकों को देखने को मिलेंगी. इनमे खुदा गवाह भी होगी, धूम सीरीज की फ़िल्में भी होंगी और हेट स्टोरी भी.
              पहले दिन यानि १ अगस्त को अमिताभ बच्चन, नागार्जुन और श्रीदेवी की फिल्म खुदा  गवाह दिखायी जयेगी. इसके बाद गोलमाल- फन अनलिमिटेड, खुदगर्ज, वक़्त हमारा है और वास्तव-द  रियलिटी दिखायी जयेगी. गोलमाल- फन अनलिमिटेड २००६ में रिलीज अजय देवगन और रोहित शेट्टी की जोड़ी की हिट कॉमेडी फिल्म है.
               २ अगस्त को जीत, मेरी जंग- वन मैन आर्मी, फाइटर मैन - द घायल, राज़ ३ और गोज्ज़िला दिखायी जयेङ्गी. गोज़िल्ला निर्देशक रोलैंड एम्मेरिच की १९९८ की सुपर हिट फिल्म है. राज़ ३डी बिपाशा बासु और इमरान हाशमी की विक्रम भट्ट निर्देशित हिट फिल्म है. यह फिल्म ३ डी में बनायी गयी थी. लेकिन टीवी दर्शक इसे २ डी  में ही देख सकेंगे।
                ३ अगस्त को १ अगस्त को दिखायी जा चुकी फ़िल्में वक़्त हमारा है और वास्तव द  रियलिटी को दुबारा दिखाया जयेगा. इसके अलावा haunted, धूम २ और Rowdy राठौर दिखायी जायेगी. हृथिक रोशन की धूम २ और अक्षय कुमार की Rowdy राठौर सुपर हिट फ़िल्में हैं.
                ४ अगस्त को आबरा का डाबरा, धूम, रब ने बना दी जोडी और सुर्यवन्शम दिखायी  जायेगी।  धूम और रब ने बना दी जोडी  सुपर हिट फ़िल्में है पांचवी फिल्म की घोषणा बाद में की जायेगी.
                ५ अगस्त को  मशाल, जो जीता  सिकंदर, बनी द हीरो और लेडीज वर्सेस रिकी बहल दिखायी जयेङ्गी. जो जीता वही सिकंदर और लेडीज वर्सेज रिकी बहल बॉलीवुड की हिट फ़िल्में हैं. बनी तेलुगु की डब फिल्म है.
                ६ अगस्त को सुर्यवन्शम का दुबारा प्रसारण होगा. इसके अलावा इमरान हाशमी की क्रूक, सलमान खान, अक्षय कुमार और प्रीती जिंटा की जाने मन लेट अस फॉल इन लव, अनिल कपूर की किशन कन्हेया  तथा डब  प्रतिघात अ रिवेंज रिलीज होगी.
                ७ अगस्त को हलचल, नमक हलाल और मर्डर ३ जैसी सुपर हिट फ़िल्में दिखायी जयेङ्गी. बनी और लेडीज वर्सेज रिकी बहल फिर से प्रसारित होंगी। नमक हलाल अमिताभ बच्चन की सुपर हिट  फिल्मों में से एक है. मर्डर ३ अभी फरवरी में रिलीज हुई थी यह निर्माता मुकेश भट्ट के बेटे विशेष भट्ट की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी.
                ८ अगस्त को सुनील हिंगोरानी निर्देशित अनिल कपूर, सनी देओल और श्रीदेवी  प्रेम त्रिकोण फिल्म राम अवतार रिलीज होगी. यह फिल्म राजकपूर ,  राजेंद्र कुमार और वैजयंती माला की फिल्म संगम का रीमेक थी. रजनीकांत और ऐश्वर्य रॉय २०१० की बहु भाषी फिल्म रोबोट भी आज ही रिलीज होगी. इसके अलावा लोक परलोक, किशन कन्हैया और प्रतिघात का प्रसारण भी होगा.
                ९ अगस्त को प्रसारित होने जा रही फिल्मों में हिट एक था टाइगर, जब तक है जान और स्टूडेंट ऑफ़ द  इयर का प्रसारण ख़ास है. मई में रिलीज फिल्म गिप्पी का वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर भी मैक्स पर होगा. साफ़ तौर पर ९ अगस्त सबसे बड़ी हिट फिल्म एक था टाइगर की रिलीज होने के कारण अगस्त का ख़ास दिन बन जाता है.
                १० अगस्त लोक परलोक और रोबोट के पुनः प्रसारण के अलावा मर्डर २, मुझसे दोस्ती करोगे का भी प्रसारण होगा. निर्माता विक्रम भट्ट की सुनील अग्निहोत्री निर्देशित फिल्म हेट स्टोरी का वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर भी १० अगस्त को होना है. यह फिल्म भारत पहली इरोटिक थ्रिलर फिल्म बताई जाती है. फिल्म का बड़ा आकर्षण अभिनेत्री पावली डैम के कई बोल्ड सीन हैन. यह तो वक़्त बताएगा कि टीवी दर्शकों को कितने सीन देखने को मिलते है.
                 ११ अगस्त का ख़ास आकर्षण हृथिक रोशन की सुपर हिट फंतासी फिल्म कृष रिलीज होगी। यह भारत की पहली वास्तविक सुपर हीरो फिल्म है. शाहरुख़ खान की सबसे ज्यादा समय तक चलने वाली सुपर डुपेर हित फिल्म दिल वाले दुल्हनियां ले जायेंगे की प्रतीक्षा टीवी दर्शकों को हमेशा रहती है. मिशन कश्मीर, कोई मिल गया और गिप्पी का प्रसारण भी होना है.
                 १२ अगस्त को न्यूयॉर्क, एक मैं और एक तू, यह रास्ते हैं प्यार के, महाराजा और जन्नत २ का प्रसारण होना है. न्यूयॉर्क जॉन अब्राहम, नील नितिन मुकेश और कटरीना कैफ की हिट फिल्म है. महाराजा गोविन्द अभिनीत फिल्म है तथा एक मैं और एक तू करीना कपूर और इमरान खान की रोमांस फिल्म है.
                  १३ अगस्त को नरेश मल्होत्रा के निर्देशन में अक्षय कुमार, काजोल और सैफ अली खान की फिल्म ये दिल्लगी, गोविन्द की क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता तथा सलमान खान और नीलम की १९९२ में रिलीज फिल्म एक लड़का एक लड़की रिलीज होगी. चीता द  पॉवर और कृष का प्रसारण भी होना है.
                    १४ अगस्त अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर और विनोद खन्ना अभिनीत मनमोहन देसी निर्देशित सुपर हिट  फिल्म अमर अकबर अंथोनी का प्रसारण होने के अलावा जन्नत २, महाराजा, का पुनः प्रसारण भी होगा. पिछले साल अजय देवगन और अनिल कपूर की एक्शन थ्रिलर फिल्म तेज़ बुरी तरह से फ्लॉप हुई थी. प्रियदर्शन की इस फिल्म को हॉलीवुड की सुपर हीरो वाली फिल्म द एवेंजरस  से मुंह की  खानी पड़ी थी. घर घर की कहानी आज की पांचवी फिल्म होगी.
                   १५ अगस्त क्योंकि में झूठ नहीं बोलता, दो डब फिल्मों चीता द पॉवर ऑफ़ वन और सबसे बड़ा दिल वाला और सत्ते पे सत्ता के प्रसारण के अलावा द टाइम्स ऑफ़ इंडिया फिल्म अवार्ड्स का प्रसारण ख़ास होगा.
                   १६ अगस्त को  अमर अकबर अन्थोनी, तेज़ और गोज्ज़िला के पुनः प्रसारण के अलावा बहुरानी और कालिया का प्रसारण खास होगा.  




 

चला गया हिंदी फिल्मों का इंस्पेक्टर


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Sunday, 28 July 2013

अन्ना हजारे का हथियार क्यों है 'सत्याग्रह' !


फिल्म सत्याग्रह का एक दृश्य 
                        प्रकाश झा की फिल्म सत्याग्रह २३ अगस्त को रिलीज होनी है. इधर प्रकाश झा की एक दो फिल्मों का नाता विवादों से जुड़ा था. वैसे उन विवादों को खुद प्रकाश झा ने ही हवा दी. मसलन  अपनी फिल्म आरक्षण को जाति आधारित आरक्षण पर बहस बता कर आरक्षण समर्थकों और विरोधियों की भावनाओं को हवा दी. लेकिन, जब  उनकी इस हवाबाजी से फिल्म को नुक्सान होने लगा तो वह पलटी मार गए कि आरक्षण जातिगत आरक्षण पर नहीं, शिक्षा व्यवस्था पर है. लेकिन, तब तक काफी देर हो चुकी थी. आरक्षण कई राज्यों में रोकी गयी. प्रकाश झा के इस आधे अधूरे आरक्षण को दर्शकों ने भी पसंद नहीं किया. फलस्वरूप बड़े सितारों के बावजूद आरक्षण न अच्छा इनिशियल निकाल पायी, ना लॉन्ग रन में कोई कमाल दिखा पायी. अब जबकि उनकी नयी फिल्म सत्याग्रह रिलीज को तैयार है अन्ना हजारे के समर्थकों ने मांग कर डाली है कि सत्याग्रह को उन्हें रिलीज से पहले दिखाया जाए, क्योंकि यह फिल्म अन्ना हजारे पर है. हालाँकि, आरक्षण विवाद से जले प्रकाश ने यह कभी यह दावा नहीं किया कि सत्याग्रह अन्ना हजारे के सत्याग्रह से प्रेरित है. इस लिहाज़ से अन्ना हजारे के समर्थकों का रिलीज से पहले सत्याग्रह उन्हें दिखाने की मांग बेतुकी लगती है. सत्याग्रह अन्ना हजारे का ट्रेड मार्क नही. विश्व में सत्याग्रह का कांसेप्ट महात्मा गांधी की देन है. रही बात भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के मशहूर सत्याग्रह की तरह फिल्म में अमिताभ बच्चन के किरदार द्वारा सत्याग्रह चलाने के कारण , सत्याग्रह को अन्ना हजारे पर फिल्म बताना तो यह भी बेतुका है. देश के कोने कोने में कोई न कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह करता रहा है. स्वर्गीय जय प्रकाश नारायण का सत्याग्रह तो कांग्रेस की सरकार को तक पलट गया था. ऐसे में सत्याग्रह अन्ना के बजाय जेपी पर फिल्म क्यों नहीं बन जाती?
                            ऐसा लगता है कि अन्ना हजारे के आन्दोलन के स्टीम खो देने से अन्ना हजारे के समर्थक चिंतित होंगे. अरविन्द केजरीवाल अन्ना की छाया से पूरी तरह से उबर चुके हैं और दिल्ली में प्रभावशाली ढंग से अपना आन्दोलन चला रहे है. इसका फायदा अगले चुनावों में उन्हें मिल भी सकता है. शायद यह सोच कर अन्ना समर्थक सुर्ख़ियों में रहने की जुगत मे है. पर उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोई दो साल पहले अन्ना हजारे खुद फिल्म गली गली में चोर है को देख चुके थे और सराहना कर चुके थे. पर इसका फायदा ना अन्ना, ना अन्ना के आन्दोलन और ना ही फिल्म को मिल सका. गली गली में चोर है पूरे देश में बुरी तरह से फ्लॉप हुइ. इस बात को अन्ना हजारे समर्थकों को ध्यान में रखना चाहिये. और खुद प्रकाश झा को भी!

Saturday, 27 July 2013

बॉलीवुड दर्शकों को भी पसंद आएगा यह वोल्वेरिन!

                                                   एक्स- मैन सीरीज की छठी फिल्म द वॉल्वरिन कल पूरे विश्व के साथ भारत भी रिलीज़  हो गयी. इस फिल्म को भारत में इंग्लिश के अलावा हिंदी, तमिल और तेलुगु में भी डब कर २डी और ३डी में रिलीज़ किया  गया है.
                            लोगोन अपनी वुल्वेरिन शक्ति को त्याग कर एक निर्जन स्थान पर रह रहा है.  तभी उसे अपने द्वितीय विश्व युद्ध के दोस्त यशिदा का जापान आने का  संदेशा मिलता है.  लोगोन ने यशिदा को बचाया था. टोक्यों जाने पर लोगों को मालूम पड़ता है कि यशिदा मर रहा है. यशिदा उससे अपनी पोती की रक्षा करने का अनुरोध करता है. लोगों टोक्यो से चला जाना चाहता है, लेकिन  सब इतना आसान भी नहीं।
इस कहानी को टॉम क्रूज़ और Cameron Diaz की एक्शन कॉमेडी फिल्म नाइट एंड डे के निर्देशक जेम्स मैनगोल्ड ने बड़े कल्पनाशील ढंग से २ घंटा सात मिनट तक पिरोया है. उन्होंने क्रिस्टोफर मेककुएर्री, मार्क बोम्बक और स्कॉट फ्रैंक की पट कथा को अपनी कल्पनाशीलता के जरिये दर्शकों को टस से मस न होने वाला बना दिया है. लोगोन के चरित्र के साथ साथ कहानी भी आगे बढ़ती है. हर कदम रोमांच और महारोमांच  का एहसास होता है. बुलेट ट्रेन पर फाइट के सीन हैरतंगेज़ है. दर्शक बेसाख्ता तालियाँ  बजाने लगता है. एमिर मोकरी का छायांकन डराने से  ज्यादा रोमांचित करता है और अगले सीन के लिए उत्सुकता पैदा करता है. एमिर ने जंगलों से लेकर टोक्यों में यशिदा के महल तक के रोमांच और रहस्य को बखूबी उभारा है. मार्को बेल्त्रामी का संगीत रहस्य को गहराता है. माइकल मेककस्कर की कैंची चुस्ती का एहसास कराती है.
                            यह मानने का कोई कारण नहीं कि अपनी सुपर हीरो फिल्म के लिए मशहूर ह्यू जैकमेन, हॉलीवुड दर्शकों में ही नहीं हिंदी फिल्म दर्शकों के भी सरताज हैं. तभी तो वह जैसे ही परदे पर आते हैं, सिनेमा घरों में उनका स्वागत ज़ोरदार सीटियों और तालियों की गूँज से होता है. ह्यू ने क्या खूब जम कर अभिनय किया है. वह जितना एक्शन सीस में फबे हैं, उतना ही भाव प्रदर्शन कर पाने में भी सफल रहे है. कहा जा सकता है कि ह्यू ने एक्स-मेन के बतौर इस सीरीज में ज़ोरदार वापसी की है. यशिदा के रूप में हरुहिको यमनोउची, मारिको यशिदा के रूप में तो ओकमोतो, युकिओ के रूप में रिला फुकुशीमा का अभिनय अच्छा है. इसमें कोई शक नहीं कि १२० मिलियन डॉलर में बनी द वोल्वेरिन एक बड़ी हिट फिल्म बनाने जा रही है.

 

बॉक्स ऑफिस पर बजाते रहो

                         शशांत शाह ने अब तक दो फिल्मों दस्विदानियाँ और चलो  दिल्ली का निर्देशन किया है. इन  दोनों फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर चाहे जैसा भी बिज़नस किया हो, शशांत शाह की फिल्म मेकिंग की ज़रूर तारीफ हुइ. वह अलग तरह का सोचते हैं और बनाते है. नयी फिल्म बजाते रहो में भी सशांत का यही रूप नज़र आता है. यह कहानी शबरवाल की है, जो गरीबों से ज्यादा ब्याज का लालच दे कर १५ करोड़ इक्कठा करता है और फिर उन पैसों को गायब कर देता है. इसका इलज़ाम इसके मेनेजर बवेजा पर आता है. बवेजा की मौत हो जाती है. लेकिन, बवेजा परिवार को, चाहे घर बेचना पड़े, यह पैसे चुकाने है. तब बवेजा की विधवा मिसेज बवेजा, उनका पुत्र सुक्खी, बल्लू और मिंटू को यह क़र्ज़ चुकाना है. तब वह निर्णय लेते हैं कि यह पैसा वह शबरवाल से ही वसूलेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें गलत तरीका ही क्यों न अपनाना पड़े. चारों शबरवाल से किस प्रकार से वसूलते हैं, यह देखना काफी कुछ दिलचस्प है.
                         एक नज़र में यह कहानी कुछ जमती नही. क्योंकि, एक धोखेबाज को धोखा देना इतना आसान भी नही. लेकिन, जब कहानी आगे बढ़ती है तो सब कुछ मजेदार लगने लगता है. इसके लिए ज़फर ए खान की कथा पटकथा और अक्षय वर्मा के संवादों की तारीफ करनी होगी कि यह दोनों कहानी को ट्रैक से पलटने नहीं देते. तमाम प्रसंग आम आदमी के दैनिक जीवन से जुड़े और आसान है. कोइ भाषण बाजी नहीं, लेकिन दर्शक को सब समझ में  आ जाता है. शशांत शाह अपने कलाकारों के अभिनय के जरिये फिल्म में दिलचस्पी बनाए रखी है. इसके लिए उन्हें श्रीमती बवेजा के रोल में डॉली अहलुवालिया, सुखी के रूप में तुषार, मिंटू और बल्लू की भूमिका में विनय पाठक और रणवीर शोरे का बढ़िया सहयोग मिला है. इन्होने अभिनय के कोई बड़े तीर नहीं मारे . लेकिन अपने आम आदमी को जीवंत कर दिया है. अब यह बात दीगर है कि इन सब पर भारी पड़ते हैं रवि किशन. उन्होंने फिल्म में अपनी एक धोखेबाज की आम भूमिका  को ख़ास  बना दिया है. उन्होंने अभिनय के खूबसूरत रंग दिखाए है. वह एक दुष्ट बिज़नस मेन, एक दिलफेंक पर डरपोक आशिक और एक पिता के किरदार को वह आसानी से कर ले  जाते है.  मनप्रीत  के रोल में विशाखा सिंह ने खूब ग्लैमर बिखेरा है. बग्गा के रोल में ब्रिजेन्द्र काला खूब जमे है. अन्य कलाकारों ने मुख्य कास्ट को सपोर्ट किया है.
                              बजाते रहो शबरवाल को बजाती है. उसके साथ ही दर्शक भी खूब बजता है. कम से कम कोई सीन ऐसा नहीं जिसमे बोरियत महसूस हो. मरयम जकारिया और स्कारलेट विल्सन का मैं नागिन नागिन आइटम दर्शकों को सीधे डंस जाता है.        









 

Thursday, 25 July 2013

वापस आ रहा है वॉल्वरिन


वॉल्वरिन वापस आ रहा है.  विश्व युद्ध के बाद उसने अपने सुपर हीरो को  किनारे कर दिया था.वह जापान में एक निर्जन स्थान पर रह रहा है. लेकिन, वॉल्वरिन लोगन का युद्ध का दोस्त यशिदा उसे मदद के लिए बुलाता   है. एक्स-मेन सीरीज की छठी फिल्म द वॉल्वरिन की यही कहानी है. ह्यू जैकमैन एक बार फिर म्युटेंट वॉल्वरिन के चोले में है. मार्वल कॉमिक्स के सुपर हीरो करैक्टर पर पहली फिल्म एक्स-मैन का निर्माण 20th Century Fox ने २००० में किया था. इस फिल्म का निर्देशन ब्रयान सिंगर ने किया था. इस फिल्म की वर्ल्ड वाइड सफलता के बाद एक्स-मन सीरीज की फिल्मों का सिलसिला चल  निकला. २००३ में एक्स-मेन२, २००६ में एक्स-मेन: द लास्ट स्टैंड, २००९ में एक्स-मेन: ओरिजिन्स तथा २०११ में एक्स-मेन: फर्स्ट क्लास रिलीज़ हुई. पहली दो फिल्मों के डायरेक्टर ब्र्याँ सिंगर ही थे. लेकिन, इसके बाद वह सुपरमैन रिटर्न्स का निर्देशन करने के लिए उन्होंने इसके तीसर और चौथे भाग को डायरेक्ट नहीं किया. तीसरी फिल्म का डायरेक्शन ब्रेट रैटनर ने किया . चौथी फिल्म के डायरेक्टर गावीं हुड थे तथा पांचवी फिल्म मैथ्यू Vaughn ने डायरेक्ट की थी. 
द वॉल्वरिन, एक्स-मेन सीरीज की फिल्मों का स्पिन-ऑफ है. २०१४ में एक्स-मेन सीरीज की फिल्म एक्स-मेन: डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट को रिलीज़ होना है. द वॉल्वरिन इन दोनों के बीच की कहानी है. इस फिल्म को एक्स-मेन सीरीज की दो फिल्मों द लास्ट स्टैंड और फर्स्ट क्लास का सीक्वल भी कहा जा रहा है. 
यह जानना दिलचस्प होगा कि एक्स-मेन सीरीज की ६ फिल्मों का निर्माण ४८ अरब ९१ करोड़ १९ लाख रुपये से हुआ है. इस सीरीज की  तक १११ अरब, २९ करोड़ ८३ लाख रुपये का बिज़नस कर चुकी है.

क्या चढ़ेगा पूनम पाण्डेय के इरोटिका का 'नशा' !


चेनै एक्सप्रेस की तेज़ रफ़्तार और वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा के डॉन का धड़का स्माल बजट बॉलीवुड मूवीज के निर्माताओं के दिलों को धड़का रहा है. तभी तो छोटे बजट की फिल्मों के बीच मारामारी मची हुई है. चेन्नै एक्सप्रेस ९ अगस्त को रिलीज़ हो रही है, जबकि वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा १५ अगस्त को रिलीज़ होगी. इन दोनों फिल्मों की रिलीज़ के बाद और पहले सन्नाटा होना चाहिए . लेकिन, अब  पूरे साल में ऐसा कोई महीना नहीं जब आईपीएल क्रिकेट, रमजान, आदि न हो. कोई पूरा महीना ऐसा नहीं होता, जब ऐसा कोई समय न हो,जब छोटी फिल्मों की रिलीज़ के अनुकूल समय हो. अब तो छोटी फिल्मों के निर्माताओं के सामने किसी न किसी प्रकार अपनी फिल्म रिलीज़ करना ही मकसद रह जाता है. बाकी माउथ पब्लिसिटी पर निर्भर करता है.
यही कारण है की इस शुक्रवार यानि २६ जुलाई को  रिलीज़ हो रही है. दो फिल्मों की रिलीज़ बाद में कर दिए जाने के कारण ही यह संख्या संभव हो पायी है. २६ जुलाई को रिलीज़ होने जा रही फिल्मों में मनीष तिवारी की प्रतीक बब्बर, अमयरा दस्तूर, रवि किशन और मकरंद देशपांडे अभिनीत रोमांस ड्रामा इस्सक , शशांत शाह की विनय पाठक, रवि किशन, डॉली अहलुवालिया और रणवीर शोरे अभिनीत कॉमेडी ड्रामा फिल्म बजाते रहो, जो राजन की तनुज विर्वानी और नेहा हिंगे अभिनीत रोमकॉम फिल्म लव यू सोनियो, पूनम पाण्डेय की अमित सक्सेना निर्देशित  इरोटिक/थ्रिलर फिल्म नशा, इशरक् शाह का अरुणोदय सिंह, रघुवीर  यादव, किटू गिडवानी और यशपाल शर्मा अभिनीत पोलिटिकल थ्रिलर एक बुरा आदमी तथा बायोपिक बुद्धा रिलीज़ होगी. इन फिल्मों में केवल नशा ही ऎसी फिल्म है, जो अपने सेक्सुअल कंटेंट के कारण सिनेमाघरों में गरमी ला पायेगी. बजाते रहो कॉमेडी  शैली के कारन दर्शकों को खींच सकती है. बाकी फिल्मों का तो खुद ही मालिक है. इन फिल्मों के लिए कोढ़ में खाज का काम करेगी हॉलीवुड की फिल्म द वॉल्वरिन। वॉल्वरिन सीरीज की पहले की फ़िल्में भारत में काफी सफल रही है. इसलिए इस फिल्म के सफल होने में किसी को भी शक नही. लेकिन, द वॉल्वरिन इन छोटी फिल्मों को ज़बरदस्त शुरूआती झटके दे सकती है . दक्षिण के सुपर स्टार सूर्य की फिल्म सिंघम २ भी हिंदी में डूब हो कर रिलीज़ हो रही है. यह फिल्म दक्षिण के ऑडियंस के बीच बेहद सफल थी.
 

Monday, 22 July 2013

रमैया वस्तावैया और डी-डे से आगे मिल्खा

      
 दूसरे वीकेंड में  भाग मिल्खा भाग और पहले वीकेंड में  रमैया वस्तावैया और डी-डे के कलेक्शन दिलचस्प है. नयी रिलीज़ रमैया वस्तावैया और डी-डे के मुकाबले  पिछले शुक्रवार रिलीज़ फिल्म भाग मिल्खा भाग सबसे आगे है. इस फिल्म ने दूसरे वीकेंड में शुक्रवार को ४  करोड़, शनिवार को ५.८० करोड़ और रविवार को अनुमानित ६. ७५ करोड़ का बिज़नस कर १६.५५  करोड़ का वीकेंड निकाला. जबकि, इसी दौरान अपने पहले वीकेंड में रमैया वस्तावैया ने क्रमशः ४. १०, ४.७० और ६.५० का कलेक्शन कर पहला वीकेंड १५.३० का मनाया . इसी के साथ रिलीज़ डी-डे ने २.९४, ४.७५  और ६  करोड़ का अनुमानित बिज़नस कर कुल १३.६९ करोड़ का वीकेंड मनाया.  इससे स्पष्ट है कि भाग मिल्खा भाग की ऑडियंस पर पकड़ मज़बूत है. रमैया वस्तावैया को सिंगल स्क्रीन थिएटर का समर्थन मिल रहा है. डी-डे मल्टीप्लेक्स ऑडियंस पर पकड़ बना चुकी है. दर्शकों को जहाँ रमैया वस्तावैया में गिरीश कुमार और श्रुति हासन का रोमांस दिल को छू गया, वहीँ डी-डे के क्लाइमेक्स में  दाऊद इब्राहीम को सीमा पर लाकर गोली से उड़ाना, दर्शकों का समर्थन पाने में सफल रहा. अब देखने की बात है कि रमैया वस्तावैया और डी-डे दूसरे वीकेंड में दर्शकों को नयी फिल्मों के मुकाबले  कितना लुभा पाती हैं .                         


 

सलमान खान ने शाहरुख़ खान को हग किया या दोनों गले मिले!

                           
                       लोक सभा चुनाव की पूर्व संध्या पर कुछ नए दिल मिलेंगे? इस प्रश्न का उत्तर पाने में अभी समय है. लेकिन बॉलीवुड में दिल मिलाने का सिलसिला जारी है. इसका ताजातरीन उदाहरण है बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख़ खान और टाइगर सलमान खान का कथित पैचअप . कल यानि २१  जुलाई को, मुंबई में महाराष्ट्र के एम् एल ए बाबा सिद्दीक़ की इफ्तार पार्टी में शाहरुख़ खान और सलमान खान एक दूसरे से मिले, दोनों ने बॉलीवुड की भाषा में कहें तो एक दूसरे को हग किया. दरअसल, बकौल बाबा शाहरुख़ और सलमान उनके बचपन के दोस्त है। इसलिए, जब बाबा ने इफ्तार पार्टी रखी थी तो इसी वजह से तमाम निगाहें इस पार्टी पर थीं कि क्या शाहरुख़ खान की मौजूदगी में सलमान खान इस पार्टी में शामिल होंगे ? इस पार्टी में शाहरुख़ खान पहले ही पहुँच गए थे. सलमान खान आदतन देर से आये. दोनों की नज़रे मिली, दोनों ने हग किया यानि गले मिले. लेकिन, क्या इसके साथ ही दिल मिल गये? बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के दो बिग्गेस्ट खान एक दूसरे के दोस्त बन गए? इसे जानने के लिए थोडा पीछे जाना होगा।
                          कभी एक दूसरे के अच्छे दोस्त रहे सलमान खान और शाहरुख़ खान की दुश्मनी की शुरुआत पांच साल पहले यानि २००८  में कटरीना कैफ की जन्मदिन पार्टी पर हुई थी. सब कुछ अच्छा चल रहा था. दोनों खानों ने आदतन जम कर दारू पी रखी थी. दारू पी कर सलमान खान तो नियंत्रित रहे. मगर शाहरुख बहक गये. उन दिनों सलमान खान और ऐश्वर्य रॉय का ब्रेक अप हो चूका था. सलमान खान और विवेक ओबेरॉय की मशहूर नोंक झोंक भी हो चुकी थी. जाहिर है की सलमान खान काफी झल्लाए फिरते होंगे। ऐसे में शाहरुख़ खान ने उनकी दुखती रग पकड़ ली. उन्होंने ऐश्वर्य को लेकर सलमान को छेड़ना शुरू कर दिया. सलमान खान की एक खासियत यह भी है कि वह रोमांस और ब्रेक अप ढेरों करते है। लेकिन, ब्रेक अप के बाद अपने बिछड़े प्यार के बारे में कोई बात करना या सुनना पसंद नहीं करते. अपनी लेडी लव के लिए बुरी बातें तो कतई नहीं . लेकिन बादशाह खान थे कि बहकते चले गये. उपस्थित लोग उनके इस प्रलाप का मज़ा ले रहे थे. सलमान खान खुद पर नियंत्रण रखे हुए थे. लेकिन जब शाहरुख़ ने ऐश्वर्य पर छींटा कसी शुरू की तब सलमान खान अपना आपा खो बैठे . लम्बे समय के अच्छे  मित्रों के हाथ एक दूसरे के कालर तक चले गये. बात मारा मारी तक पहुंचती कि लोगों ने दोनों को अलग कर दिय. कटरीना कैफ की पार्टी का रंग पूरी तरह से बदरंग हो चूका था. क्रोधित सलमान खान, शाहरुख़ खान से फिर कभी गले न मिलने की कसम के साथ पार्टी से चले गये. इसके बाद कई मौके ऐसे आये जब दोनों खानों ने एक दूसरे के सामने होना अवॉयड किया. फिल्म समारोह में शाहरुख़ थे तो सलमान या तो आये नहीं या तभी आये जब शाहरुख़ चले गये. अगर कभी सामना हुआ भी तो एक दूसरे को इग्नोर कर गये.
                          तब क्या एक एम् एल ए के घर में हुई पार्टी में पांच साल पहले टूटे और बिछड़े दिल मिल गये? एक नज़र में ऐसा हो गया लगता है. लेकिन, सब इतना आसन नहीं। यशराज स्टूडियो में १३  नवम्बर २०१२ को मौजूद मेहमान गवाह हैं ऐसे ही एक कथित ऐतिहासिक दृश्य के। शाहरुख़ खान, कटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा अभिनीत तथा यश चोपड़ा की अंतिम निर्देशित फिल्म जब तक है जान का प्रीमियर था. फिल्म से जुड़े शाहरुख़ खान सहित सभी लोग मौजूद थे. सभी मेहमान आ चुके थे. जब तक है जान की स्क्रीनिंग शुरू हो गयी। तभी सूचना मिली कि सलमान खान पहुँचने वाले है. इसी मिलन को देखने के लिए उत्सुक मीडिया को अवॉयड करने के लिए सलमान खान देर से पहुँच रहे थे. कटरीना कैफ को अपने प्यार को रिसीव करने के लिए गेट पर पहुँचना ही था. लेकिन, शाहरुख़ खान भी चल दिए कटरीना के साथ सलमान का स्वागत करने को. गेट पर मौजूद लोग अभूतपूर्व दृश्य के गवाह बने. दोनों खान, जैसे सचमुच सब भुला कर, एक दूसरे के गले मिल रहे थे और थपथपा रहे थे. इसके साथ ही यह मान लिया गया कि दोनों खान फिर दोस्त बन गये. क्या सचमुच!
                          कल यानि २१ नवम्बर को, ठीक २४१ दिनों बाद बाबा सिद्दीक की इफ्तार पार्टी में सलमान खान और शाहरुख़ खान गले मिले तो क्या दोनों के दिल मिल गए?
                          दोस्तों यह बॉलीवुड हग है, इसे गले मिलना कहा जा सकता है, लेकिन दिल मिलना नहीं। देखते जाइये आगे आगे यह दोनों खान कैसे कैसे नाटक दिखाते है।


                          


          








 

Sunday, 21 July 2013

वाइट हाउस डाउन - हॉलीवुड से एक और सुपर हीरो !

   हॉलीवुड अपने बलशाली मानव, मशीन मानव या सुपर मैन गढ़ता रहता है. बैटमैन, सुपर मैन, स्पाइडर मैन इसके सुपर मैन है। कुछ ऐसे मानव भी हैं जो सुपर मैन के आस पास की शक्ति और क्षमता वाले करैक्टर है. पाइरेट्स ऑफ़ द कॅरीबीयन सीरीज के  जोनी डेप के  जैक स्पैरो, ब्रितानी जासूस जेम्स बांड, बॉर्न सीरीज की फिल्मों के  मैट डेमन का करैक्टर जैसन बॉर्न तथा ट्रिपल एक्स सीरीज की फिल्मों में विन डीजल का जेंडर केज  ऐसे ही करैक्टर है। एक समय तो मैट डेमन और विन डीजल के चरित्रों को जेम्स बांड का जवाब मान लिया गया था. अब रोलां एम्मेरीच निर्देशित फिल्म वाइट हाउस डाउन से अमेरिकन सिक्यूरिटी फाॅर्स के एजेंट जॉन केल  के रूप में अभिनेता चंनिंग Tatum  आये है. वाइट हाउस डाउन में जॉन केल प्रेजिडेंट की सिक्यूरिटी में भरती होने के लिए इंटरव्यू के लिए अपनी बेटी के साथ वाइट हाउस जाता है. उसे उसके बायो डाटा के आधार पर इस पोस्ट के अयोग्य  मान लिया जाता है. निराश केल अपनी बेटी को वाइट हाउस घुमाने के लिए गाइड के साथ हो लेता है कि तभी वाइट हाउस पर हमला हो जाता है. उस समय केल की बेटी वाश रूम गयी होती है।  केल वाइट हाउस से निकल जाता है. लेकिन उसकी बेटी वाइट हाउस में ही फंसी है, इसलिए वह वापस आता है. तभी उसे प्रेजिडेंट खतरे में फंसे नज़र आते है। अब उसके कन्धों पर बेटी को बाहर निकालने के अलावा प्रेजिडेंट को बचाने  का भी दायित्व है. इस दायित्व को केल कैसे निभाता है, यह देखना बेहद रोमांचक है.

फिल्म में एक्शन की भरमार है. वाइट हाउस में विस्फोट के बाद तो पूरी फिल्म में बम के धमाके और गोलियों की आवाज़ ही गूंजती रहती है. ऐसे में केल सुपर मैन बना नज़र आता है. केल के रूप चंनिंग खूब जमे हैं . उनका अकेले ही आतंकी हमले को विफल कर प्रेजिडेंट को बचा ले जाना गले नहीं उतरता, लेकिन अपने प्रेजिडेंट के प्रति एक अमिरीकी का समर्पण साफ़ नज़र आता है. अपने गठीले शरीर से चंनिंग दर्शकों को तमाम अविश्वसनीय दृश्यों पर यकीन करने के लिए विवश कर देते हैं . केल के करैक्टर की खासियत यह है कि वह खालिस देश भक्त नहीं! वह आतंकी हमले को इसलिए विफल करता है कि उसकी बेटी फंसी हुई है. लेकिन, चंनिंग टाटम का यह आम आदमी अमेरिकी दर्शकों को भी ज्यादा रास आएगा, इसमे शक है. फिल्म में अमेरिकी प्रेजिडेंट जेम्स W सॉयर के रोल में ऑस्कर पुरस्कार विजेता अभिनेता जमी फॉक्स है. वह अपने रोल को बेहतरीन ढंग से करते है. अमेरिकी प्रेजिडेंट की खासियत उसकी विट्स  और सेंस ऑफ़ humour  होता है. जेमी इसे भी बखूबी व्यक्त करते है. वह ऐसा करते समय कोई कॉमिक करैक्टर नहीं लगते.  फिल्म की शुरुआत केल  की बेटी एमिली के अपनी खिड़की से अमेरिकी प्रेजिडेंट के हेलीकाप्टर को उड़ते देखते हुए होती है. एमिली के रोल को बाल कलाकार जोए किंग ने की है. चौदह साल की इस बाल अभिनेत्री का चेहरा खूबसूरत है ही, वह एक्टिंग भी खूब करती है. जैसन क्लार्के ने डेल्टा फाॅर्स के बर्खास्त सदस्य और अब भाड़े के हत्यारे एमिल स्तेंज़ की भूमिका बड़ी स्वाभाविकता से की है. जेम्स वुड्स वाइट हाउस पर हमले के मास्टर माइंड  और अमेरकी प्रेजिडेंट की सुरक्षा के मुखिया बने है। वह बेहतरीन अभिनय करते है. गाइड के रोल में निकोलस राइट हंसाने में कामयाब रहे है.
लेखक जेम्स vanderbitt ने साधारण सी कहानी को ग्रिप्पिंग स्क्रिप्ट के ज़रिये सांस रोक देने वाली फिल्म बना दिया है. Adam Wolfe ने अपनी कैंची के सहारे फिल्म की चुस्ती बरकरार रखी है. एना फोरेस्टर का छायांकन वाइट हाउस के तमाम दृश्यों का उत्कृष्ट चित्रण करता है. वाइट हाउस को परदे पर साकार करने के लिए फिल्म की आर्ट टीम का काम काबिले तारीफ है.
वाइट हाउस डाउन को आम अमेरिकन की अपने देश और प्रेजिडेंट के प्रति समर्पण, राजनेताओं के कुचक्रों बेहतरीन एक्शन और अभिनय के लिए देखा जा सकता है.













 

Friday, 19 July 2013

डी-डे ने गोली मार दी दाऊद को या फिल्म को!


क्या दर्शक दाऊद इब्राहीम को भारत में गोली मारते देखना चाहते है? क्या रील में इसे देख कर वह तालियाँ बजाने के अलावा देखने भी आएंगे और अपने दोस्तों को भी न्योता देंगे? अगर हां, तो समझ लीजिये कि डी-डे  हिट फिल्म है.
फिल्म की कहानी के अनुसार एक रिटायर्ड फ़ौजी कराची में रॉ के एजेंटों के साथ मिल कर दाऊद की फ़िल्मी कॉपी गोल्डमन को भारत में लाने की कोशिश करता है. इस फिल्म में भारत की सर्वोच्च संस्था के एजेंट जिस बचकाने तरीके से गोल्डमन को पाकिस्तान से भारत लाने का प्रयास करते है, अगर उसका एक प्रतिशत भी रॉ के एजेंट रियल में करते है, तो आसानी से समझा जा सकता है कि हम बार बार मुंह की क्यों खाते है। जिस प्रकार से निर्देशक निखिल आडवानी अपनी फिल्मों के एजेंट्स से काम करवाते है, वह वास्तव में बचकाना है. हाई सिक्यूरिटी के घेरे वाले होटल में दाऊद को उसके बेटे की शादी से उठाना, कल्पना की बकवास उड़ान ही कहा जा सकता है. उचित होता अगर निखिल इस कहानी से दोनों देशों की कूटनीति और रॉ एजेंट्स के प्रति भारत सर्कार की नीति को डिस्कस करते. निखिल फिल्म की कहानी को फ़्लैशबेक में दिखाते है। घटनाओं और चरित्रों की इतनी भरमार है कि दर्शक समझ नहीं पाटा कि कौन क्या और क्यों कर रहा है. अर्जुन रामपाल ठीक है. इरफ़ान खान को अब इस प्रकार के रोले नहीं करने चाहिये . ऋषि कपूर  सावधान! अब आप चुकने जा रहे है। ऐसे रोले कतई नहीं करे. श्रुति हासन अपने रोल की तरह भ्रमित लगती है। हुम कुर्रेशी न तो सुन्दर लगती हैं न अभिनय कर पाती है। नासर ने रॉ के अधिकारी के रूप में अपने काम को अच्छी तरह से किया है.
बाकी कुछ भी उल्लेखनीय नही।


 

मैंने प्यार किया है रमैया वस्तावैया !


प्रभु देवा निर्देशित फिल्म रमैया वस्तावैया को देखते समय सलमान खान की १९८९ की ब्लॉकबस्टर फिल्म मैंने प्यार किया की याद आ सकती है. ग्रामीण परिवेश यहाँ भी है. गिरीश कुमार का नाम भी राम है. श्रुति हासन सुमन नहीं सोना है। मैंने प्यार किया में भाग्यश्री का पिता सलमान खान को अपनी मेहनत की कमाई ला कर दिखाने को कहता है. जबकि रमैया वस्तावैया में श्रुति हासन का भाई गिरीश कुमार से खेत में ज्यादा बीज उगा कर दिखाने का चैलेंज देता है. गिरीश इस लक्ष्य को पायेगा, यह तो तय था.लेकिन किस प्रकार, यह देखना सचमुच रोचक है.  सूरज बडजात्या के ठीक विपरीत इसमे प्रभुदेवा का  तड़का है, स्टाइल है. प्रभुदेवा ने २०० ५ में मैंने प्यार किया का ब्लॉकबस्टर तेलुगु रीमेक बनाया था. प्रभुदेवा ने अब अपनी ही फिल्म का रीमेक किया है. मानना पड़ेगा कि प्रभुदेवा को दर्शकों की नब्ज की समझ है. वह हर फ्रेम को रोचक ढंग से पेश करते है। यही कारण है कि जानी पहचानी कहानी पर फिल्म होने के बावजूद दर्शकों को पर्याप्त नयापन मिलता रहता है. सचिन जिगर का संगीत कहानी के माहौल के अनुरूप मस्त है. ख़ास तौर पर, जीने लगा हूँ गीत पर सिनेमाघर सीटियों से गूंजने लगते है. जेक्विलिन फर्नांडीज के साथ प्रभु देवा की जादू की झप्पी दर्शकों को मस्त कर देती है. कहानी गाँव की होने के बावजूद किसी प्रकार के पुरानेपन  या ऊब का एहसास नहीं होता. इसके लिए प्रभुदेवा के अलावा लेखक शिराज़ अहमद तारीफ के हक़दार है कि दर्शकों में मैंने प्यार किया के दोहराव का शिकार होने नहीं देते. नयापन बनाये रखते है.
तारीफ तो श्रुति हासन और गिरीश कुमार की भी करनी होगी. श्रुति तो खैर दक्षिण की पुरस्कार प्राप्त और अनुभवी अभिनेत्री है। वह अपने सोना के किरदार को बड़े स्वभाविक ढंग से करती है। इमोशनल मोमेंट में वह अपनी आँखों और चेहरे से प्रभावित करती है। लेकिन, तालियों के हक़दार हैं डेब्यू एक्टर गिरीश कुमार. वह बेहद कॉन्फिडेंस से अपने किरदार को अंजाम देते है। हालाँकि इस फिल्म में  उन को देखते समय सलमान खान की याद आती है, लेकिन वह सलमान खान से कहीं बहुत आगे है. सलमान खान तो आज भी चेहरा बनाने को अभिनय समझते है। मैंने प्यार किया में वह इसे काफी बचकाने तरीके से करते थे. लेकिन, गिरीश कुमार कॉमेडी और इमोशनल दृश्यों में बढ़िया काम करते है। वह अच्छे डांसर भी साबित होते है। दर्शक उन के किरदार से बंधा हुआ महसूस करते है। गिरीश पूरी फिल्म को अपने कंधे पर सम्हाल लेते है। अगली फिल्म में गिरीश कुमार क्या करते हैं, यह पता नही. लेकिन इस फिल्म में वह दर्शकों की अपेक्षाओं में खरे उतरते है. सोनू सूद श्रुति के भाई रघुवीर की भूमिका में प्रभावित करते है। गिरीश कुमार के दोस्त बिजली की भूमिका में परेश  गणात्रा हंसाने में सफल रहते है. फिल्म में विनोद खन्ना पूनम ढिल्लों और गोविन्द नामदेव जैसे वरिष्ठ सितारे है. दक्षिण के नासर कॉमिक विलेन बने है. यह सब अपना काम ठीक कर ले जाते है. लेकिन, सतीश शाह और जाकिर हुसैन को देख कर कोफ़्त होती है. यह सक्षम अभिनेता पैसों की खातिर बेकार की भूमिकाएं पूरे बेकार ढंग से कैसे कर ले जाते है.
दर्शकों ने धनुष के अभिनय के कारण राँझना को देखा था. उम्मीद है कि इस बार वह रमैया वस्तावैया के गिरीश कुमार के लिए सिनेमाघरों तक आयेंगे।




 

Thursday, 18 July 2013

क्या रमैया वस्तावैया होगा गिरीश के मामले में !

शुक्रवार को गिरीश कुमार की बॉक्स ऑफिस पर कड़ी परीक्षा होनी है. वह टिप्स इंडस्ट्री के मालिक कुमार तौरानी के बेटे है। पर खुद को साबित करने के लिए गिरीश कुमार के लिए इतना परिचय काफी नही। टिप्स फ़िल्में भी  बनाती  है. इसलिए कुमार तौरानी के लिए अपने बेटे गिरीश को हीरो बनाने के लिए फिल्म बनाना आसान था. उन्होंने एक बड़ा सेटअप और प्रभु देवा के रूप में एक सफल डायरेक्टर भी जुटा लिया। मगर परदे पर दर्शकों का सामना तो गिरीश को ही करना है. ठीक एक महीना पहले दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत के दामाद और तमिल फिल्मों के स्टार धनुष की राँझना से परीक्षा हुई थी. वह  चेहरे से कहीं से भी हीरो मटेरियल  नहीं रखते थे. शरीर से दुबले धनुष को देख कर उनके हीरो होने पर शक होता था . लेकिन खास अपनी अभिनय प्रतिभा के बल पर वह उत्तर के दर्शकों को अपनी पहली हिंदी फिल्म से ही अपना मुरीद बना पाने में कामयाब हुए. गिरीश कुमार के सामने धनुष की सफलता चुनौती भी है और प्रेरणा भी. वह आश्वस्त हो सकते है कि वह भी हिंदी फिल्मों के हीरो बन सकते है. हालाँकि उनका चेहरा भी हिंदी फिल्मों के हीरो जैसा नहीं . धनुष अपनी अभिनय प्रतिभा के बल पर ही सफल हुए थे. गिरीश के लिए यह चुनौती है. क्योंकि उन्हें अपनी अभिनय प्रतिभा के बल पर हिंदी दर्शकों को रिझाना होगा! फिल्म की कहानी सलमान खान की फिल्म मैंने प्यार किया जैसी है. इस हीरो सेंट्रिक कहानी के बल पर सलमान खान जैसा कम प्रतिभाशाली अभिनेता भी हिंदी दर्शको का प्रेम बन गया। पर वह ज़माना दूसरा था. आज हिंदी फिल्मों का कैनवास काफी बदल गया है. स्क्रिप्ट और निर्देशकीय कल्पनाशीलता काफी मायने रखने लगी है. कहानी को कुछ इस तरह मोड़ लेना चाहिए होगा कि दर्शकों को लगे कि वाह वाह कमाल हो गया. इसके बावजूद गिरीश का अभिनय मायने रखेगा. गिरीश के पास अच्छा मौका है. उन्हें वांटेड और राऊडी राठौर  जैसी फिल्मों का प्रभु मिला है, जो हिंदी दर्शकों की नब्ज़ समझता है. प्रभु की यह पहली हिंदी रोमकॉम फिल्म है. फिल्म में गिरीश की नायिका शुर्ती हासन है. श्रुति तमिल तेलुगु फिल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा साबित कर चुकी है. उन्हें एक फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरुस्कार भी मिल चूका है. वह गिरीश को काफी सपोर्ट कर सकती है. श्रुति की आज ही एक अन्य फिल्म डी-डे भी रिलीज़ हो रही है. डी-डे में श्रुति ने एक वैश्य का किरदार किया है. श्रुति के लिए हिंदी फिल्म में अपनी लक कायम करने का सुनहरा मौका है.
गिरीश कुमार ने बढ़िया अभिनय किया. दर्शकों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और फिल्म हिट हो गयी तो समझिये की दर्शकों की योग्यता भी साबित हो गयी. क्योंकि, अभी तक सलमान खान जैसे अभिनेताओं की माइंडलेस फिल्मों को सुपर डुपेर हिट बनाता हिंदी दर्शक दुनिया के सामने मूर्ख साबित होता था. रमैया वस्तावैया का मतलब हिंदी में राम क्या तुम मेरे लिए आओगे होता है. क्या इस तेलुगु कहावत की तरह हिंदी दर्शक गिरीश के लिए रमैया वस्तावैया बनेगा!


 

Tuesday, 16 July 2013

पसिफ़िक रिम : मशीन के सामने बेदम मनुष्य


हॉलीवुड की फिल्मों में मानव के बजाय मशीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. ख़ास तौर पर विज्ञान  फंतासी फिल्मों में विश्व को संकट से बचने की लड़ाई जीतने में या तो मशीन आगे रहती है या मानव के साथ सक्रिय सहयोग करती है. कभी इन फिल्मों में तो मशीन ही हीरो बन जाती है. हॉलीवुड फिल्मों में स्पेशल इफेक्ट्स और कंप्यूटर ग्राफ़िक्स का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. ब्लेड २  और हेलबॉय सीरीज की फिल्मों के निर्देशक गुइलेर्मो डेल टोरो की पिछले शुक्रवार रिलीज़ फिल्म पसिफ़िक रिम एक ऐसी ही फिल्म है. पसिफ़िक रिम २०२० की दुनिया की परिकल्पना है, जिसमे ड्रैगन कायजू शहरों पर हमला कर देते है. उनको रोकना किसी एक मानव के वश की बात नही। मानव युक्त मशीन ही यह काम कर सकती है. इस मशीन को एक मनुष्य  का दिमाग भी संचालित नहीं कर सकता. इसके लिए दो दिमागों की ज़रुरत है. विश्व के सभी देशों के दिमाग मिल कर उस कायजू का नाश करते है। कैसे !
फिल्म में मशीन को महत्त्व दिया गया है. अन्दर से मानव द्वारा संचालित की जा रही मशीन है तो स्पेशल इफेक्ट्स, VFX, कंप्यूटर ग्राफ़िक्स, आदि नाना वैज्ञानिक अविष्कारों का उपयोग कर जैगर की ईजाद की गयी है. वही कायजू को मारने में सक्षम है. चूंकि फिल्म में मशीन का महत्व है, इसलिए अभिनय की ख़ास गुंजाईश नही. इसीलिए चार्ली हुन्नम, रिनको किकुची, इदरिस एल्बा, चार्ली डे और रोन पेर्लमन ने अभिनय की रस्म अदायगी कर दी है. १९० मिलियन डॉलर में बनी इस फिल्म की पटकथा ट्रेविस बेअचेम के साथ खुद गुइलेर्मो ने लिखी है. कयाजू और जैगर की फाइट थ्रिल पैदा करती है. लेकिन दर्शक ऐसी कल्पना से तालमेल नहीं बैठा पाते कि सात साल बाद विश्व पर किसी कायजू  का हमला होगा और उनकी रक्षा मानव मशीन करेगी. किसी भी विज्ञानं फंतासी फिल्म में मशीन का होना स्वाभाविक है. लेकिन, क्लाइमेक्स में मशीन की मदद से मानव को ही जीतते दिखाया जाना चहिये. पसिफ़िक रिम में इसे कुछ इस तरह से दिखाया गया है कि आम दर्शक खुशी से चीख नहीं पड़ता . यही फिल्म की बड़ी असफलता है.
उच्च तकनीक के इस्तेमाल से बनायी गयी इस फिल्म में तकनीकी टीम का काम बहुत सराहनीय है. अगर इस टीम को अच्छी पटकथा मिली होती तो यह टीम एक सफल फिल्म दे पाती.

बॉक्स ऑफिस पर तीसरे स्थान पर 'मिल्खा'

निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म भाग मिल्खा भाग १९६०  के रोम ओलंपिक्स की चार सौ मीटर दौड़ में चौथे स्थान पर रह कर भारत के उड़न सिख बनने वाले मिल्खा सिंह की तरह बॉक्स ऑफिस पर दौड़ मार रही है. इस फिल्म ने वीकेंड में ३२  करोड़ कम कर, वीकेंड में १९  करोड़ कमाने वाली रनवीर  सिह और सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म लुटेरा, २० करोड़ से ज्यादा कमाने वाली धनुष और सोनम की फिल्म रान्झना तथा २२ -३० करोड़ कमाने वाली इमरान हाश्मी और विद्या बालन की फिल्म घनचक्कर को पछाड़ दिया है. यह फिल्म इस साल सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्मों में तीसरे और चौथे स्थान की फिल्म शूटआउट एट वडाला  तथा हिम्मतवाला के कलेक्शन को पीछे छोड़ कर, तीसरे स्थान पर पहुँच गयी है. अलबत्ता भाग मिल्खा भाग बॉक्स ऑफिस के रेस में यह जवानी है दीवानी तथा रेस २ से पिछड़ गयी है. भाग मिल्खा भाग की यह दौड़ मुंबई दिल्ली-यूपी, पंजाब और मैसूर सर्किट के बॉक्स ऑफिस की बदौलत है. भाग मिल्खा भाग को मल्टीप्लेक्स थिएटर में ज्यादा पसंद किया गय.
भाग मिल्खा भाग ने साबित कर दिया कि  अगर सूझ बूझ से फिल्म लिखी गयी हो निर्देशक कल्पनाशील हो तो स्पोर्ट्स बार बनी फिल्मों को भी सफलता मिल सकती है. यह फिल्म राकेश ओमप्रकाश मेहरा की दिल्ली ६ की पिछली असफलता के दाग को ख़त्म कर दिया है. भाग मिल्खा भाग अभिनेता फरहान अख्तर के कद को ऊँचाई देने वाली फिल्म है.  

 

Saturday, 13 July 2013

बॉलीवुड हीरो के 'प्राण'

तिरानबे साल पहले 12 फरवरी को जन्मे प्राण कृष्ण सिकंद का 12 जुलाई को देहांत हो गया. आज अख़बारों की सुर्खियाँ हैं कि हिंदी फिल्मों के मशहूर विलेन प्राण का निधन हो गया . एक बेजोड़ अभिनेता का यह कैसा  मूल्यांकन ? वह किस कोण से विलेन थे. इतने सुन्दर चहरे और शानदार व्यक्तित्व वाला केवल विलेन कैसे? बहुत कम लोग जानते होंगे कि शिमला में नाटक के दिनों में मदन पूरी की रामलीला में प्राण ने सीता का रोल किया था. फिल्मों में भी वह अपने अभिनय के नए कीर्तिमान स्थापित करते रहे. उन्होंने विलीन और करैक्टर रोल्स को एक जैसी महारत से किया. शहीद का डाकू केहर सिंह किधर से विलेन था, जो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के लिए उपवास रखता है, आंसू बहता है. उपकार का मलंग चाचा, जो हीरो को बचने में अपनी जान दे देता. क्या रियल लाइफ में ऐसा चाचा विलेन कहलाता  है? नहीं ना! तब प्राण का मलंग चाचा विलेन कैसे हो गया? क्या इसलिए कि इस किरदार को करने वाला अभिनेता सैकड़ों हिंदी फिल्मों में खलनायिकी के तेवर दिखा चुका था. यह तो एक  अच्छे अभिनेता की निशानी है कि इतना खूबसूरत आदमी हिंदी फिल्मों के विलेन को तेवर दे रहा था. लेकिन प्राण ने तो खानदान पिलपिली साहेब और हलाकू जैसी फिल्मों का हीरो बनाने के बाद जब खुद का चेहरा देखा तो उन्हें लगा कि वह हीरो के रूप में इतने खूबसूरत नहीं। वह तो हिंदी फिल्मों के विलेन को नए नए चहरे देना चाहते थे, नई ऊँचाइयाँ देना चाहते थे ताकि वह हर हिंदी फिल्म की ज़रुरत बन जाये. जिद्दी में देव आनंद के अपोजिट विलेन बन कर प्राण ने न केवल देव आनंद को हिट बनाया, फिल्म हिट हुई, बल्कि खुद प्राण भी बतौर विलेन सुपर डुपेर हिट हो गये. एक समय ऐसा था जब प्राण के लिए ख़ास तौर पर रोल  रखे और लिखाये जाते थे. फिल्म की कास्टिंग में ...एंड अबोव आल प्राण।
प्राण कितने अच्छे अभिनेता थे इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने बिना लाउड हुए अपने चरित्र को इतना दुष्ट बनाया कि विश्वजीत और जॉय मुख़र्जी जैसे मामूली अभिनय करने वाले बड़े हीरो बन गये. जब भी वह परदे पर आये दर्शक गालियों और तालियों से उनका स्वागत करते. क्या अभी तक कोई ऐसा विलेन हुआ है जिसे गालियों के साथ तालियाँ  भी मिले. लेकिन, रियल लाइफ में वह लोगों के कितने बड़े हीरो थे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 1963 में रिलीज़ फिल्म फिर वही दिल लाया हूँ का क्लाइमेक्स पहलगाम में फिल्माया जा रहा था तो फिल्म के डायरेक्टर नासिर हुसैन ने रियलिटी के लिए स्थानीय लोगों को भीड़ के रूप में जूता लिया था. लेकिन, हुआ यह कि जब प्राण जॉय मुख़र्जी को मरते तो भीड़ तालियाँ बजाने लगती और उन्हें चीयर करने लगती. इस पर फिल्म के क्रू मेम्बर्स को भीड़ को समझाना पड़ा कि हीरो प्राण नहीं जॉय मुख़र्जी हैं, इसलिए जॉय के प्राण को मारने पर तालियाँ बजायी जाये। ऐसा था प्राण का हीरो विलेन। प्राण ही अकेले अभिनेता थे जिन्हें अमिताभ से ज्यादा फीस दी गयी. वह भी डॉन के दिनों में।
प्राण ने अपने जीवन में कई देशी विदेशी अवार्ड्स जीते। वह पद्मभूषण थे और दादा साहेब फालके अवार्ड्स विनर भी. उन्हें चार फिल्मफेयर अवार्ड्स भी मिले.
प्राण साहब बॉलीवुड के प्राण थे, हीरो के हीरो प्राण थे. उनके जाने के बाद भी हिंदी फिल्मों के दर्शक उन्हें अभिनय के स्कूल के रूप में याद करते रहेंगे। श्रद्धांजलि।





 

भाग मिल्खा बॉक्स ऑफिस पर भाग


किसी घटना, जीवित व्यक्ति या हस्ती पर फिल्म बनाने के अपने खतरे होते हैं . सबसे बड़ा खतरा होता है बॉक्स ऑफिस। क्या दर्शक ऎसी फ़िल्में स्वीकार करेंगे? बॉलीवुड फिल्म मेकर्स को यही सवाल सबसे ज्यादा परेशां करता है.
इसके बावजूद राकेश ओमप्रकाश  मेहरा ने उड़न सिख मिल्खा सिंह पर फिल्म बना कर यह खतरा उठाया है. किसी फिल्म की सफलता उसके कल्पनाशील निर्देशन के अलावा चुस्त लेखन पर भी निर्भर करती हैं, घटनाये कुछ इस तरह पिरोया जाना, ताकि दर्शक बंधा रहे, ऊबे नहीं और फिल्म का प्रभाव और आत्मा भी ख़त्म न हो. उड़न सिख पर भाग मिल्खा भाग बना कर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने यह खतरा उठाया है. इसमे वह काफी हद तक सफल भी रहे हैं, कैसे यह एक अलग बात है.
भाग मिल्खा भाग की कहानी शुरू होती है ओलंपिक्स की चार सौ मीटर दौड़ में भारत की पदकों की एक मात्र उम्मीद  मिल्खा सिंह के चौथे स्थान पर रहने से. इसी जगह पर राकेश ने यह जताने की कोशिश की है कि मिल्खा सिंह पूरी दौड़ में आगे रहने के बावजूद चौथे स्थान पर कैसे पिछड़ गये. इसके बाद फिल्म एक के बाद एक फ़्लैश बेक और फ़्लैश बेक में फ़्लैश बेक के साथ आगे बढ़ती जाती है. मिल्खा सिंह का बचपन, विभाजन में परिवार को खो देने का दर्द, सबसे तेज़ भागने की जिजीविषा और प्रारंभिक असफलता, सफलता और असफलता और क्लाइमेक्स की सफलता पर आकर फिल्म ख़त्म होती है. इस समय तक फिल्म तीन घंटा सात मिनट  हो जाती है. इसमे कोई शक नहीं कि मेहरा दर्शकों को बांधे रहते हैं . वह मिल्खा सिंह के जीवन से जुडी  घटनाओं को हलके फुल्के तरीके से दिखाते है। मसलन उनका सोनम कपूर से रोमांस बच्चो के साथ कोयला   चोरी करना दरोगा को चाकू मारना और पकड़ा जाना, फिर पैसों और अच्छे जीवन के लिए सेना से जुड़ना . राकेश यह सारे प्रसंग प्रभावशाली ढंग से रखते है। लेकिन न जाने क्यों वह पचास साथ के दशक की एक खिलाडी के जीवन पर फिल्म में  बहन के अपने पति के साथ सेक्स और मिल्खा सिंह के ऑस्ट्रेलिया की लड़की के साथ वाइल्ड सेक्स का मोह नहीं छोड़ पाते. शायद बॉक्स ऑफिस का भूत उन्हें काट रहा था. यह स्वाभाविक भी था. मिल्खा और उनकी बहन के यह रोमांस फिल्म में नहीं भी होते तो कोई फर्क नहीं पड़ना था. इन द्रश्यों को काट कर फिल्म की लम्बाई कम की जा सकती है. इससे फिल्म रफ़्तार वाली और दर्शकों को ज्यादा बाँध सकने वाली बन जायेगी.

भाग मिल्खा भाग का शीर्षक मिल्खा सिंह के पिता द्वारा स्क्रीन पर बोले गए आखिरी शब्दों पर रखा गया है, लेकिन या मिल्खा सिंह की जीवनी को उभारता है. हालाँकि फिल्म लिखते समय राकेश के समझौते साफ़ नज़र आते है। वह भारत के सफलतम धावक मिल्खा सिंह के जीवन को दिखाना चाहते थे, यह तो तय है. लेकिन बॉक्स ऑफिस पर सफल होने के लिए उन्होंने पाकिस्तान से जुड़े भारतीय सेंटीमेंट को उभारने की कोशिश की है. भारत के लिए अब्दुल खालिक पाकिस्तान से चुनौती था. उसे हराना उस समय के भारत के लिहाज़ से भी बड़ी बात थी. मिल्खा उसे एशियाई खेलों में हरा भी चुके थे. लेकिन, उसे फ्रेंडली गेम में पाकिस्तान में पाकिस्तान को हराना को अपनी फिल्म का क्लाइमेक्स बनाना, राकेश की पाकिस्तान को खलनायक बनाने की सफल कोशिश कहा जा सकता है. मिल्खा सिंह के लिए पाकिस्तान दुश्मन देश था. उसे उसी की ज़मीन में हराना मिल्खा सिंह के लिए बड़ी बात थी. लेकिन उसे फिल्म का क्लाइमेक्स बनाना फिल्म के लिए बड़ी बात नहीं हो सकती. मिल्खा सिंह का शीर्ष रोम ओलंपिक्स में चार सौ मीटर दौड़ में चौथे स्थान पर रहना था. राकेश इसे अपनी फिल्म का क्लाइमेक्स बना कर और इस सम्मानित खिलाडी को उसकी पराजय में विजय दिखा कर सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते थे. लेकिन वह बॉक्स ऑफिस को श्रद्धांजलि देते नज़र आये. बहरहाल भारतीय जन मानस के लिहाज से और अँधेरे सिनेमाघर में  बैठे दर्शकों की तालियाँ बटोरने के लिहाज से राकेश का यह अंदाज़ सफल रहा है.
जहाँ तक अभिनय की बात है, यह फिल्म फरहान अख्तर और पवन मल्होत्रा की फिल्म है. फरहान अख्तर अपने एथेलीट लुक से मिल्खा सिंह होने का एहसास कराते है. वह मिल्खा सिंह की हर जद्दो जहद को कामयाबी से प्रस्तुत करते है। वह इमोशन में भी पीछे नहीं रहते. लेकिन, उन पर भारी पड़ते है मिल्खा सिंह के कोच गुरुदेव सिंह के रोले में पवन मल्होत्रा. पवन ने काबिले तारीफ अभिनय किया है. हालाँकि वह कई बार सिख की भूमिका में नज़र आये है. लेकिन हर बार लाउड लगे है. जिस प्रकार से गुरुदेव सिंह ने रियल मिल्खा सिंह को कालजयी मिल्खा सिंह बनाया वैसे पवन मल्होत्रा फरहान को सही मायनों में मिल्खा सिंह नज़र आने के लिए सुपोर्ट करते है. लेकिन, बॉलीवुड और हॉलीवुड के तमाम दिग्गज कलाकारों की मौजूदगी में उभर कर आते हैं  दिल्ली के मुंडे पारस रतन शारदा . मिल्खा सिंह के साथी सैनिक के रोले में दिल्ली का यह एमबीए पास लड़का फिल्म के हवन कुंड मस्तों का झुण्ड हम हवन करेंगे गीत में फरहान अख्तर के सामने भी वह अपने ज़बरदस्त और मस्त डांस के कारण छा जाते है। इंडियन कोच के रूप में क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह, आर्मी में प्रशिक्षक  प्रकाश राज, मिल्खा सिंह का पहला प्यार सोनम कपूर, मिल्खा सिंह के पिता की भूमिका में आर्ट मालिक तथा मिल्खा की बड़ी बहन दिव्या दत्ता अपनी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय करते है।
जवाहर लाल नेहरु के रूप में दलीप ताहिल कुछ ख़ास नहीं . प्रसून जोशी के गीत तथा शंकर एहसान लोय का संगीत मस्त और माहौल के अनुरूप है. सिनेमेटोग्राफर बिनोद प्रधान का काम लाजवाब है. वह मिल्खा सिंह की सफलता असफलता को अपने कैमरा में दर्ज करते चले जाते है। फ्लैशबैक के द्रश्यों में बिनोद प्रधान ने कुछ मिनट तक ब्लैक एंड वाइट फिर रंगीन छायांकन कर दर्शकों को फ़्लैश बेक में कहानी सफलतपूर्वक समझा दी है. डॉली अहलुवालिया की प्रशंसा करनी चाहिए कि उन्होंने समय काल का ध्यान रख कर तमाम चरित्रों को उनके अनुरूप पोशाके पहनायी। फिल्म के एडिटर पी एस भारती अगर अपनी कैंची को तेज़ तर्रार रखते तो फिल्म का मज़ा ज्यादा होता।






 

Tuesday, 9 July 2013

लुटेरा के कंटेंट से हार गयी संजय दत्त की स्टार पॉवर

 
हिंदी फिल्मों के दर्शकों के लिए कंटेंट इम्पोर्टेन्ट है या स्टार पॉवर ? इस सप्ताह रिलीज फिल्मों ने इसे एक बार फिर साबित कर दिया. ५ जुलाई को विक्रमादित्य मोटवाने निर्देशित और सोनाक्षी सिन्हा के साथ रणवीर कपूर की जोड़ी वाली फिल्म लुटेरा तथा संजय दत्त, प्रकाश राज और प्राची देसी के अभिनय वाली दक्षिण के डायरेक्टर के एस रविकुमार की डेब्यू फिल्म पुलिसगिरी  रिलीज हुई . अब तक सलमान खान अक्षय कुमार और अजय देवगन की फिल्मों की नायिका सोनाक्षी पहली बार रणवीर सिंह के साथ जोड़ी बना रही थी. यह फिल्म अपने प्रोमो से क्लास फिल्म भी लग रही थी. फिर भी दर्शकों को फिल्म के निर्देशक विक्रमादित्य मोटवाने  से काफी उम्मीदें थी. लेकिन, पुलिसगिरी की सारी  उम्मीदें अभिनेता संजय दत्त पर थीं, जो फिल्म की रिलीज से कुछ दिन पहले ही जेल भेजे गए थे. सहानुभूति लहर की उम्मीद किसे नहीं होती. लेकिन हुआ क्या?
बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन ही दोनों फिल्मों को स्लो स्टार्ट मिला. पहले दिन लुटेरा ने 4. ५ करोड़ का कलेक्शन किय. जबकि पुलिसगिरी केवल २.७ ५  करोड़ ही कमा सकी. शनिवार को पुलिस गिरी में ड्राप हुआ। कमाए ढाई करोद. यह फिल्म सन्डे को तीन करोड़ का नेट करके , वीकेंड में कुल 8.2 5  का कलेक्शन ही कर सकी. दूसरी और लुटेरा ने अच्छे रिव्यु और माउथ पब्लिसिटी के जरिये छलांगे मारनी शुरू दी. शनिवार और रविवार इस फिल्म ने पचीस से तीस परसेंट तक की ऊंची छलांग मारी। शनिवार को लुटेरा का कलेक्शन साढ़े पांच करोड़ हो गया। रविवार को तो फिल्म ने सवा छह करोड़ का कलेक्शन कर संजय दत्त की फिल्म के मुकाबले दो गुने से ज्यादा यानि 19 करोड़ का बिज़नस कर डाला .
साफ तौर पर स्टार पॉवर दर्शकों पर काम नहीं कर सकी। पोलिसगिरी की कमज़ोर कहानी और निर्देशन ने संजय दत्त का कबाड़ा कर दिय. इस फिल्म को दबंग ३ का खिताब दे दिया गया. पोलिसगिरी का इतना बिज़नस भी सिंगल स्क्रीन थिएटर की वज़ह से ही हो सक. जबकि, कंटेंट के सहारे लुटेरा ने मल्टीप्लेक्स दर्शकों को अपना मुरीद बनाया ही. मेट्रो शहरों में इसने अच्छा बिज़नस किय. अलबत्ता, लुटेरा बिहार राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बहुत ज्यादा पसंद नहीं की गयी.
साफ़ तौर पर लुटेरा के कंटेंट से हार गयी संजय दत्त की स्टार पॉवर।

Monday, 8 July 2013

नहीं रहे दिलीप कुमार को डाइरेक्टर बनाने वाले सुधाकर बोकाड़े


दो दशक लंबा फिल्म निर्माता सुधाकर बोकाड़े का कैरियर 6 सेप्टेम्बर को दिल का दौरा पड़ने के बाद  यकायक खत्म हो गया । सुधाकर बोकाड़े ने दिव्या इंटरनेशनल की स्थापना सामाजिक संदेश देने वाली हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा की फिल्मे बनाने के लिए की थी । उन्होने अपने समय के तमाम बड़े सितारों के साथ फिल्में बनायीं। लॉरेंस डीसूजा निर्देशित फिल्म साजन से उन्होने माधुरी दीक्षित के साथ सलमान खान और संजय दत्त की तिकड़ी को पेश किया। यह अपने समय की सुपर हिट रोमांटिक त्रिकोण फिल्म थी। उनकी पहली फिल्म दिलीप कुमार, गोविंदा और माधुरी दीक्षित के साथ फिल्म इज़्ज़तदार से की। जीतेंद्र और जया प्रदा के साथ फिल्म न्याय अन्याय, नाना पाटेकर और माधुरी दीक्षित के साथ प्रहार, जैकी श्रोफ, डिंपल कपाड़िया के साथ सपने साजन के, अजय देवगन, मनीषा कोइराला और करिश्मा कपूर के साथ धनवान, सुमीत सहगल, नीलम और विकास भल्ला के साथ सौदा, दिलीप कुमार और जैकी श्रोफ के साथ कलिंगा और सैफ आली खान, अतुल अग्निहोत्री, पूजा भट्ट और शीबा के साथ सनम तेरी कसम का निर्माण किया। उन्हे दिलीप कुमार और नाना पाटेकर को निर्देशक की कुर्सी पर बैठाने के श्रेय भी जाता है। उन्होने संगीतकार आदेश श्रीवास्तव, सिंगर सुखाविंदर, एक्शन डाइरेक्टर शाम कौशल और चीता यग्नेश शेट्टी, डांस डाइरेक्टर बीएच तरुणकुमार, रेखा चिन्नी प्रकाश, लेखिका रीमा राकेश नाथ और सिनेमैटोग्राफर कबीर लाल को मौका दिया। उनकी आखिरी दो फिल्में कलिंगा और सनम तेरी कसम विवादों में फंस कर या तो रिलीज नहीं हो सकी या फिर काफी लंबे समय बाद सीमित सिनेमा घरों में ही रिलीज हो सकी। कलिंगा के दौरान दिलीप कुमार के नखरों के कारण बड़े बजेट की फिल्म कलिंगा के निर्माण में काफी देरी होती चली गयी। इससे सुधाकर बोकाड़े को काफी नुकसान हुआ। उनके परिवार में दो बेटियाँ और एक बेटा था। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।