Sunday 23 February 2020

एकाधिक कहानियों और चरित्रों का लूडो है अन्थोलॉजी फ़िल्में


मर्डर, गैंगस्टर, बर्फी और जग्गा जासूस जैसी फिल्मों के निर्देशक अनुराग बासु की लम्बे समय से बन रही अनाम फिल्म को अब टाइटल मिल गया है। लूडो टाइटल वाली इस फिल्म में अभिषेक बच्चन, फातिमा सना शैख़, राजकुमर राव, आदित्य रॉय कपूर, सान्या मल्होत्रा और पंकज त्रिपाठी जैसे जाने पहचाने सितारे हैं। मगर यह फिल्म में लूडो की बिसात पर नहीं खेल रहे है। यह लोग चार अलग अलग कहानियों में अपराध में लिप्त किरदार कर रहे हैं। बेशक इन सभी अपराधी किरदार वाली कहानियाँ किसी एक मुकाम पर मिलेंगी । यही तो अन्थोलॉजी फिल्मों की खासियत होती है।

अन्थोलॉजी लाइफ इन अ मेट्रो 
अनुराग बासु की, २००७ में रिलीज़ फिल्म लाइफ इन अ मेट्रो का कथानक भी नौ चरित्रों की ज़िन्दगियों के इर्दगिर्द घूमता था, जो किसी न किसी तौर पर एक दूसरे से सम्बंधित होते चले जाते हैं। इस फिल्म में शरमन जोशी, कंगना रनौत और के के मेनन, शिल्पा शेट्टी और के के मेनन, शिल्पा शेट्टी और शाइनी आहूजा, धर्मेंद्र और नफीसा अली तथा कोंकणा सेन शर्मा और इरफ़ान खान के किरदार भिन्न सामाजिक वर्ग के और परिस्थितियों से जूझते लोग थे।  इतने बेहतरीन कलाकारों से अनुराग बासु एक बेहतरीन और सफल फिल्म बना पाने मे कामयाब हुए थे।

भूतों की अन्थोलॉजी घोस्ट स्टोरीज
इस साल के शुरू में, नेटफ्लिक्स पर हॉरर अन्थोलॉजी फिल्म घोस्ट स्टोरीज स्ट्रीम हुई थी।  इस फिल्म में भूतों की मौजूदगी से जुडी चार डरावनी कहानियां, चार भिन्न निर्देशकों अनुराग कश्यप, ज़ोया अख्तर, दिबाकर बनर्जी और करण जौहर द्वारा निर्देशित की गई थी। इन कहानियों में से एक में जाह्नवी कपूर और एक में मृणाल ठाकुर ने अभिनय किया था। नेटफ्लिक्स के लिए रोनी स्क्रूवाला की यह फिल्म दर्शकों को प्रभावित कर पाने में असफल हुई थी।

हॉरर अन्थोलॉजी में बड़े सितारे
इस फिल्म का जिक्र करते समय रामगोपाल वर्मा की एक अन्थोलॉजी फिल्म डरना मना है याद आ जाती है।  इस हॉरर ड्रामा अन्थोलॉजी फिल्म के लिए रामगोपाल वर्मा ने छह भिन्न डरावनी कहानियों में सैफ अली खान, विवेक ओबेरॉय, आफताब शिवदासानी, शिल्पा शेट्टी, समीरा रेड्डी, ईशा कोपिकर, नाना पाटेकर, सोहैल खान, आदि ढेरों मशहूर बॉलीवुड एक्टरों को जोड़ा था।  इस फिल्म की छह अलग अलग टाइटल वाली कहानिया जंगल में फंसे सात मित्रों द्वारा सुनाई गई छह कहानियों को कहती थी। यह फिल्म १९९७ की अमेरिकी हॉरर अन्थोलॉजी फिल्म कैंपफायर टेल पर आधारित थी। रामगोपाल वर्मा तीन साल बाद, डरना मना है की सीक्वल फिल्म डरना ज़रूरी है लेकर आये। इस फिल्म में भी बड़े सितारों अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर, सुनील शेट्टी, रितेश देशमुख, मलिका शेरावत, ईशा कोपिकर, अर्जुन रामपाल, राजपाल यादव, बिपाशा बासु, रणदीप हूडा, आदि के ज़रिये छः डरावनी कहानियों को पेश किया गया था। जंगल में फंसे छह बच्चे भटकते भटकते एक हॉन्टेड हाउस में पहुँच जाते हैं। वहां उन्हें एक बूढी औरत छह डरावनी कहानियां सुनाती थी।

सितारों की भीड़ वाली दस कहानियां
नेटफ्लिक्स की घोस्ट स्टोरीज और रामगोपाल वर्मा की दो हॉरर अन्थोलॉजी फिल्मों से ऐसा भ्रम हो सकता है कि अन्थोलॉजी फिल्मों में हॉरर या भूत वाली कहानियां ही दिखाई जा सकती है। वास्तविकता यह नहीं है। बॉलीवुड ने, बहुत सी अन्थोलॉजी फ़िल्में भिन्न जॉनर में बनाई है। इन फिल्मों में तीन कहानियां होना भी ज़रूरी नहीं। छह कहानियों की दो अन्थोलॉजी फ़िल्में रामगोपाल वर्मा ने बनाई जरूर, लेकिन बॉलीवुड से दस कहानियों वाली अन्थोलॉजी फिल्म भी बन चुकी है। वाइट फैदर फिल्म्स की ७ दिसंबर २००७ को प्रदर्शित फिल्म दस कहानियां, टाइटल के अनुरूप दस लघु कथाओं पर छह निर्देशकों द्वारा बनाई गई फिल्म थी। इन लघु फिल्मों के निर्देशक संजय गुप्ता,अपूर्व लखिया, मेघना गुलजार, रोनित रॉय, हंसल मेहता और जसमीत ढोढ़ी थे। चूंकि, फिल्म में दस कहानियों का चित्रण हुआ था, इसलिए स्वाभाविक तौर पर इस फिल्म में ढेरों सितारों की भीड़ थोड़ी थोड़ी देर के लिए सही, इकठ्ठा हुई थी। फिल्म में संजय दत्त, सुनील शेट्टी, नाना पाटेकर, नसीरुद्दीन शाह, मनोज बाजपेयी, अरबाज़ कहँ, जिमी शेरगिल, अमृता सिंह, मिनिषा लाम्बा, सुधांशु पांडेय, अनुपम खेर, आफताब शिवदासानी, दिया मिर्ज़ा, मंदिरा बेदी, महेश मांजरेकर, नेहा धूपिया, शबाना आज़मी, मासूम मखीजा, रोहित रॉय, अनीता हसनंदानी, अनुराधा पटेल, डिनो मोरया, तरीना पटेल, नेहा ओबेरॉय, परमीत सेठी और अनूप सोनी जैसे सितारों की भीड़ इकठ्ठा थी।

पॉलिटिकल थ्रिलर युवा
रामगोपाल वर्मा की फिल्म डरना मना है के बाद, दक्षिण के नामचीन निर्देशक मणि रत्नम की एक पॉलिटिकल थ्रिलर अन्थोलॉजी फिल्म युवा प्रदर्शित हुई। मणि रत्नम ने, पहले इस फिल्म का टाइटल हावड़ा ब्रिज रखा था। क्योंकि, फिल्म की कहानी के तीन युवा चरित्रों के जीवन को कहीं न कही हावड़ा ब्रिज ने प्रभावित किया था। इस फिल्म के तीन युवा अभिषेक बच्चन, अजय देवगन और विवेक ओबेरॉय थे। युवा के तीनों युवा समाज के भिन्न वर्ग से आये विश्वविद्यालय के छात्र थे। इस फ़िल्म की तीन कहानियां हाइपरलिंक फॉर्मेट से जोड़ी गई थी।


रोमांटिक अन्थोलॉजी
बॉलीवुड की फिल्मों का आधार ही रोमांस है। इसलिए रोमांस पर अन्थोलॉजी फ़िल्में बनना स्वाभाविक है। खालिद मोहम्मद ने अपनी रोमांटिक अन्थोलॉजी फिल्म सिलसिले की तीन औरतों की कहानियों को तब्बू, भूमिका चावला, रिया सेन,सेलिना जेटली, अनीता हसनंदानी, दिव्या दत्ता, राहुल बोस, जिमी शेरगिल, अश्मित पटेल और के के मेनन के चरित्रों के ज़रिये बुना था। बॉक्स ऑफिस पर लुढ़क गई इस फिल्म की दो खासियत थी- शाहरुख़ खान का एक्सटेंडेड कैमिया और अश्मित पटेल और रिया सेन के बीच कामुकता की हद तक पहुंचा चुम्बन। निर्देशक निखिल आडवाणी ने अकेली ही छह प्रेम कहानियां निर्देशित कर डाली थी। इन छह कहानियों के लिए निखिल ने ढेरों एक्टरों को फिल्म में डाला था। लेकिन, उल्लेखनीय थे सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा, अनिल कपूर, गोविंदा, जॉन अब्राहम, जूही चावला, विद्या बालन, आयेशा टाकिया, आदि। यह फिल्म बॉलीवुड की बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर फिल्मों में शामिल है। एकता कपूर ने प्यार और डर से मिला कर रोमांस की  ईज़ाद की।  फिल्म थी लव सेक्स और धोखा, निर्देशक थे दिबाकर बनर्जी। फिल्म में नए चेहरों राजकुमार राव, अंशुमान झा, नुसरत भरुचा, अमित सियाल, आदि के चरित्रों के ज़रिये हॉनर किलिंग, एमएमएस स्कैंडल और स्टिंग ऑपरेशन पर आधारित तीन कहानियों को भय के गूंथ कर दिखाया था। इस फिल्म को बड़ी सफलता मिली थी।

मुंबई अन्थोलॉजी
मुंबई की पृष्ठभूमि पर हिंदी फिल्मों की भरमार है। इसलिए, अन्थोलॉजी पर आधारित फिल्मों में मुंबई का होना स्वाभाविक है। सहारा वन की, २०१० में प्रदर्शित अन्थोलॉजी फिल्म मुंबई कटिंग मे  मुंबई में रहने वालों की ११ कहानियों को अनुराग कश्यप, सुधीर मिश्रा, राहुल ढोलकिया, कुंदन शाह, रेवती, जाहनु बरुआ, रितुपर्णों घोष, शशांक घोष, रूचि नारायण, आयुष रैना और मनीष झा जैसे नामचीन ११ निर्देशकों ने निर्देशित किया था । मुंबई की कहानी कहने वाली फिल्म बॉम्बे टाकीज भी थी । करण जौहर, जोया अख्तर, दिबाकर बनर्जी और अनुराग कश्यप के निर्देशन में चार कहानियों वाली फिल्म बॉम्बे टाकीज को आधुनिक सिनेमा का आगाज़ कराने वाली फिल्म कहा जाता है । अन्थोलॉजी फिल्मों में निर्देशक आशीष आर्यन की फिल्म कनपुरिये का ज़िक्र करना दिलचस्प जानकारी होगा । इस फिल्म में कानपुर के चरित्रों के परिवार और उनकी भविष्य की चिंता पर थी । इसी प्रकार से नीरज घेवान, वासन बाला, अनुभूति कश्यप, श्लोक शर्मा और गीतांजलि राव निर्देशित पांच कहानियों वाली शॉर्ट फिल्म अन्थोलॉजी शॉर्ट में युवाओं के निजी संघर्षों की कहानियाँ थी । करण जौहर, अनुराग कश्यप, जोया अख्तर और दिबाकर बनर्जी निर्देशित चार कहानियों वाली फिल्म लस्ट स्टोरीज में आम शहरी घरों की महिलाओं कामुकता पर आधारित कहानियाँ थी । इन कहानियों को राधिका आप्टे, भूमि पेडनेकर, किअरा अडवाणी, मनीषा कोइराला, विक्की कौशल, नील भुपलम, नेहा धूपिया, संजय कपूर, जयदीप अहलावत, आदि की अदाकारी से बुना गया था ।

भय की अनोखी अन्थोलॉजी
एड्स की समस्या पर, माय ब्रदर निखिल से मशहूर हो चुके निर्देशक ओनिर की चार कहानियों में भिन्न क्षेत्रों और लिंगों वाले किरदारों की कहानियों में सिर्फ एक चीज सामान थी, भय । यह कहानियाँ बाल शोषण, समलैंगिकों के अधिकार, कश्मीरी पंडित और वीर्य दान पर आधारित थी. ओनिर ने इन कहानियों में भय को ढूंढ निकला था । अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने केवल एक फिल्म यूँ होता तो क्या होता का ही निर्देशन किया है । लेकिन, इस फिल्म की कहानी दिलचस्प है । फिल्म, जहाज पर सवार कुछ लोगों की है, जिनका आपस मे कोई सम्बन्ध नहीं है । लेकिन, दुर्भाग्य उन्हें एक जैसी स्थिति में डाल देता है । यह जहाज ११ सितम्बर २००१ को अमेरिका की ट्विन टावर्स और पेंटागन पर हमले के लिए इस्तेमाल किये गए जहाज़ों मे से एक है । निर्देशक नसीरुद्दीन ने उन कुछ मिनटों को कैमेरे में बाधा है, जो जहाज के अपहृत किये जाने की खबर के बाद पैदा हुए थे ।

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