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Friday, 10 October 2025

#Vrusshabha में दोहरी भूमिकाओं में #Mohanlal



अभिनेता मोहनलाल ने एक्स पोस्ट पर अपनी फिल्म वृषभा के प्रदर्शन की तिथि की घोषणा करते हुए लिखा - धरती हिल रही है। आकाश जल रहा है। नियति ने अपना योद्धा चुन लिया है। वृषभा ६ नवंबर को आ रही है। इस सूचना के साथ उनकी फिल्म का पोस्टर भी दिया गया था, जिसमे वह युगों युगों से प्रतिशोध लेने के लिए भटक रहे योद्धा के चरित्र में दिखाई दे रहे थे।   





पौराणिक सौंदर्यबो कराने वाला यह पोस्टर मोहनलाल की पोस्ट के अनुरूप प्रज्ज्वलित आकाश, स्वर्ण सिंहासन और सर्प जैसी आकृतियों का प्रयोग कर महाकाव्य की नियति  को उजागर करने वाला है।





बालाजी टेलीफिल्म्स और कनेक्ट मीडिया की नंद किशोर निर्देशित फिल्म वृषभा मोहनलाल के साढ़े चार दशक के दीर्घ फिल्म जीवन में, साल २०२५ में प्रदर्शित होने वाली चौथी फिल्म है। इस साल, मोहनलाल की अब तक तीन फिल्मे थुद्रुम, कन्नप्पा और हृदयपूर्वं प्रदर्शित हो चुकी है।  





अनुमान लगाया जा रहा है कि वृषभा में मोहनलाल की दोहरी भूमिकाएँ हैं।  नंद किशोर द्वारा निर्देशित फिल्म वृषभा पुनर्जन्म और बदले की कहानी पर आधारित है, जिसमें मोहनलाल जीवन में परस्पर जुड़े दो चरित्र कर रहे हैं।  यह पुनर्जन्म पर आधारित फिल्म है, जिसमे विगत जन्म के कट्टर शत्रु पुनर्जन्म में पिता  बनते है। क्या इस पिता-पुत्र के रिश्ते में भी दोनों की पूर्व जन्म की शत्रुता बनी रहेगी ?  यह कथानक प्रेम, संघर्ष और मुक्ति के जटिल अंतर्संबंध का रोचक चित्रण प्रतीत होता है।





मोहनलाल एक कुशल अभिनेता हैं।  उन्होंने भिन्न विधा की फिल्मे स्वभाविकता से की है। लूसिफर का स्टीफ़न नेदुमपल्ली  एक निर्मम चरित्र हैं, जो किसी की हत्या करने से नहीं हिचकता।  वही दूसरी ओर फिल्म हृदयपूर्वम में वह संदीप बाळकृषणन के भावुक भावों सूक्ष्म प्रदर्शन कर ले जाते थे।  अटकलें हैं कि वृषभा में मोहनलाल की दोहरी भूमिका उनकी इस प्रतिभा का प्रदर्शन कर पायेगी।  




    

दृश्य प्रस्तुति: पहली झलक वाले पोस्टर में मोहनलाल एक आकर्षक दोहरे व्यक्तित्व में दिखाई दे रहे हैं। ऊपरी भाग में उन्हें एक प्रभावशाली योद्धा के रूप में दर्शाया गया है, जो शाही, युद्ध के लिए तैयार पोशाक में, लहराते बालों और कठोर दृष्टि के साथ, पिछले जन्म का अवतार का प्रतीत  होता है। निचले भाग में मोहनलाल को आधुनिक पोशाक में सिंहासन पर बैठे हुए दिखाया गया है, जो अधिकार और शांति का भाव प्रदर्शित करता प्रतीत होता हैं। यह उनके पुनर्जन्म का संभवतः वर्तमान चरित्र प्रतीत होता है। इस द्वंद्व को अग्निमय आकाश और स्वर्णिम सिंहासन द्वारा और भी उभारा गया है, जो महाकाव्यात्मक, पौराणिक स्वर को और भी पुष्ट करता है।





वृषभा, मोहनलाल की ऐसी एक्शन है, जिसमे वीएफएक्स प्रभाव वाले दृश्यों की भरमार  है।  इसीलिए  वृषभा १००  करोड़ रुपये के बजट के कारण महंगी फिल्मों में गिनी जा रही है।  






फिल्म में पिता पुत्र के चरित्रों का साथ देने वाले कलाकारों में समरजीत लंकेश, रागिनी द्विवेदी और नयन सारिका सहित कुछ दूसरे कलाकारों को सम्मिलित किया गया है। इन कलाकारों की भूमिकाएँ संभवतः अतीत और वर्तमान समयरेखाओं को जोड़ती होंगी । 






यहाँ स्पष्ट करते चलें कि मोहनलाल की दोहरी भूमिका वाली फिल्म वृषभा पूरे देश के दर्शकों के लिए मलयालम, तेलुगु, हिंदी, कन्नड़ भाषाओँ में प्रदर्शित की जाएगी।  

Wednesday, 28 May 2025

#L2EMPURAAN : महँगी दुकान के बेस्वाद पकवान

 


निर्माता एंटोनी पेरुम्बवूर, सुभास्करण अल्लीराजा और गोकुलम गोपालन तथा निर्देशक पृथ्वीराज सुकुमारन की चौकड़ी ने वामपंथी सोच वाले मुरली गोपी से वामपंथी सोच वाली कथा तो लिखवा ली।  निर्माताओं ने कथित रूप से १७५ करोड़ भी झोंक दिए। फिल्म की लोकेशन यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और यूनाइटेड अरब अमीरात भी ले गए।  कहने का तात्पर्य यह कि कैनवास बड़ा कर दिया गया।  किन्तु, महँगी दूकान में फीके पकवान बेच बैठे। 




फिल्म की सबसे बड़ी कमी है सशक्त कथानक। जब दिमाग में राजनीति घुस जाए, धार्मिक विद्वेष भर जाए तो सब कुछ लूसिफर का दूसरा हिस्सा बन जाता है। फिल्म में कोई कथानक नहीं है। यद्यपि निर्माताओं ने अपने वामपंथी सोच वाले निर्देशक और लेखक से हिन्दुओं को निशाना बनाने वाला गुजरात दंगों का घटनाक्रम ले लिया।  इस फिराक में उन्होंने केरल के हिन्दू सगठनों का भारी विरोध मोल ले लिया।  उपयुक्त होता यदि वह गुजरात दंगे के पीछे के गोधरा कांड को दिखाने की  हिम्मत भी करते।  किन्तु, यदि नीयत खराब हो तो एल २ का एमपुराण प्रभाव खो बैठता है।

 

 

फिल्म पहली रील से ही भटकती लगती है। फिल्म का प्रारम्भ अरब के दो गुटों में संघर्ष का चित्रण कराती है।  फिर तत्काल बिना उल्लेख किये गुजरात दंगों में एक मुस्लिम परिवार का हिन्दुओं द्वारा क़त्ल करना दिखा देती है।  जबकि इस दंगे में २५४ हिन्दू भी मारे गए थे।

 

 

बहरहाल, गोपी इस दृश्य के द्वारा एक मुस्लिम चरित्र के मन में बदले की भावना भर देते है।  रातों रात यह मुस्लिम चरित्र भागता हुआ केरल आ जाता है।  उसके बाद हिन्दू भी केरल में दिखाया जाता है।

 

 

इसके बाद कहानी भटकती हुई कभी अरब, कभी अमेरिका और कभी ब्रिटेन में भटकती रहती है।  कहानी में राजनीति, अपराध और नशीली दवाओं का जिक्र आ जाता है।  और अंत मुस्लिम चरित्र एक ईसाई लूसिफर की सहायता से हिन्दू को मार देता है।

 

 

 

इतनी पूर्वाग्रह से ग्रसित फिल्म बनाने वाले पृथ्वीराज सुकुमारन एक भी दृश्य ऐसा नहीं बना सके, जो लूसिफर के पहले भाग को पीछे छोड़ पाता। फिल्म का अधिकतर काम फिल्म में बारूद और बंदूकों का प्रयोग कर एक्शन पार्टी ने किया है।  मोहनलाल और टॉविनो थॉमस जैसे प्रतिभाशाली अभिनेता भी बारूद के धुवें में घिरे छुप जाते है।

 

 

अभिनय की बात की जाए तो पहले हिस्से के लूसिफर से अधिक टॉविनो के जतिन रामदास के सामने फीके दिखाई देते है।  लेखक ने यदि जतिन के चरित्र को थोड़ा ठोस बनाया होता तो टॉविनो छा जाते।  निर्देशक पृथ्वीराज सुकुमारन का ज़ायेद मसूद अप्रभावी है।  प्रभास की फिल्म सालार पार्ट १ में सुकुमारन ने उनके मित्र वरदराज की भूमिका की थी।  लूसिफर २ में मसूद के बचपन की भूमिका करने वाले अभिनेता कार्तिकेय देव सालार १ में भी उनके बचपन की भूमिका कर रहे थे।दोनों ने ही प्रभावशाली अभिनय किया था।  किन्तु, लूसिफर २ में यह दोनों फीके रहे।

 

 

फिल्म में, जतिन की बहन प्रियदर्शिनी की भूमिका में अभिनेत्री मंजू वर्रियर संयत अभिनय कर प्रभावित करती है। खल चरित्र बलराज करने वाले बॉलीवुड अभिनेता अभिमन्यु सिंह बिलकुल प्रभावित नहीं कर पाते। बाकी कलाकारों के बारे में क्या ही कहा जाये!

 

 

यह फिल्म जिओ हॉटस्टार पर हिंदी में देखी जा सकती है।  मोहनलाल और टॉविनो थॉमस के प्रशंसक दर्शक इस फिल्म को यहाँ देख सकते है।