Monday, 6 September 2021

क्या थालेवी की हीरोइन बचा पाएगी फिल्म इंडस्ट्री ?



जब अक्षय कुमार ने अपनी स्पाई  थ्रिलर फिल्म बेलबॉटम के ओटीटी प्लेटफार्म के बजाय सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की  घोषणा की थी, तब इसे साहसिक निर्णय बताया गया था।  कोरोना महामारी के दौर में तमाम राज्यों में सिनेमाघरों के या तो बंद रहने या पचास प्रतिशत क्षमता में खुलने के कारण, बॉलीवुड का कोई भी  बड़ा अभिनेता अपनी फ़िल्में प्रदर्शित करने में हिचक रहा था।  ऐसे में अक्षय कुमार का कोरोना के विषाद की आँखों में आँखे डाल कर देखना साहसिक निर्णय ही था।  उस समय फिल्म उद्योग और ट्रेड पंडितों को पूरा भरोसा था कि अक्षय कुमार इंडस्ट्री को मंदी के दौर से उबार लेंगे और बंद होती प्रदर्शन शाखा में उत्साह का संचार होगा।  परन्तु, ....!


बेलबॉटम के २.७५ करोड़ - बेलबॉटम, १९ अगस्त २९२१ को प्रदर्शित हुई थी।  उस समय तक यह तय हो गया था कि महाराष्ट्र के सिनेमाघर नहीं खुलेंगे।  ऐसे में एक समय तो बेलबॉटम की रिलीज़ के टाले जाने की आशंका हो रही थी।  परन्तु, फिल्म प्रदर्शित हुई।  ट्रेड पंडितों का अनुमान था कि अक्षय कुमार की फिल्म सीमित  केंद्रों में सीमित दर्शक क्षमता के बावजूद ५ करोड़ के आसपास का कारोबार कर पाएगी।  क्योंकि बेलबॉटम जिन केंद्रों में प्रदर्शित हो रही थी, वह अक्षय कुमार के गढ़ है। परन्तु, फिल्म ने पहले दिन २.७५ करोड़ का कारोबार किया। फिल्म का पहला वीकेंड १२.७५ करोड़ का रहा। बेलबॉटम ने आठ दिन के वीकेंड में १८.५५ करोड़ का कारोबार किया।  यह कलेक्शन इंडस्ट्री को उत्साहित नहीं कर सका। निगाहें दूसरे वीकेंड पर हैं।   लेकिन, तब तक इंडस्ट्री का उत्साह हल्का पड़ चुका होगा।


पचास लाख भी नहीं !- स्वाभाविक  था कि बेलबॉटम के बाद निर्देशक रूमी जाफरी की फिल्म चेहरे के प्रति उत्साह देखने को नहीं मिला । थ्रिलर फिल्म चेहरे २७ अगस्त को प्रदर्शित हुई।  इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और इमरान हाश्मी की जोड़ी पहली बार बन रही थी।  फिल्म ने निर्माता आनंद पंडित को आशा थी कि बहु ऐश्वर्या राय  बच्चन बच्चन के तगड़े विरोध के बावजूद इमरान हाश्मी के साथ जोड़ी बनाने वाले अमिताभ बच्चन काफी दर्शकों को  सिनेमाघरों में ले आएंगे।  सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद, फिल्म प्रेमियों के निशाने पर रही रिया चक्रवर्ती को  प्रचार में शामिल न करने के बावजूद चेहरे दर्शकों का सकारात्मक प्रत्युत्तर पाने में असफल रही।  ट्रेड के अनुसार चेहरे का पहले दिन का कारोबार कठिनाई से ५० लाख  तक पहुँच पाने में कामयाब हो सका ।


हॉलीवुड के दो सुपर हीरो - हालाँकि, ३ सितम्बर को हॉलीवुड की तीन फिल्मों ब्लैक विडो, शांग ची द लीजेंड ऑफ़ द टेन रिंग्स और फ़ास्ट एंड फ़ुरियस ९  प्रदर्शित हो रही है।  पूरी पूरी आशा है कि यह फ़िल्में फिल्म प्रदर्शकों के चेहरे पर चमक ले आएंगी।  परन्तु, बॉलीवुड के दूसरे सेक्टरों का क्या होगा ? पहले ३ सितम्बर को दो हिंदी फ़िल्में प्रदर्शित होने जा रही थी।  लेकिन, अब शर्मा जी नमकीन पलायन कर गई है।  फैक्ट्री की फैक्ट्री में कितने दर्शक घुसेंगे, इसका अंदाजा लगाना ज़्यादा मुश्किल नहीं।  जब अमिताभ बच्चन और इमरान हाश्मी जैसी स्टार कास्ट वाली चेहरे दर्शकों के चेहरे देखने को तरस गई तो फैक्ट्री के फैसल खान और राजकुमार कनोजिया जैसे गुमनाम चेहरे क्या ख़ाक दर्शकों को खींच पाएंगे?


बॉक्स ऑफिस पर थालैवी की पकड़ - तब फिल्म निर्माण सेक्टर का क्या होगा ? उसकी आस कैसे जागेगी? हालाँकि, तमाम फिल्मों की शूटिंग लगातार जारी है।  लेकिन, प्रश्न कठिन कि कौन सी फिल्म फिल्म उद्योग में आशा का संचार कर पाएगी! ऐसे में थालेवी पर निगाहें आ टिकती हैं। क्या तमिल फिल्म अभिनेत्री से तमिलनाडु की मुख्य मंत्री बनी जयललिता पर फिल्म थालेवी कुछ  आस बंधाती है ? फिल्म में कंगना रनौत जे जयललिता की भूमिका में हैं।  ट्रेलर से उनके अभिनय की प्रशंसा हो रही है। कंगना चार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी है।  उनकी बॉक्स ऑफिस पर पकड़ भी है।  निर्देशक एएल विजय के द्वारा फिल्माए गए  दृश्य प्रभावित करते हैं।  इस फिल्म को केवी विजयेंद्र प्रसाद ने लिखा हैं, जिनकी लिखी बाहुबली और बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों ने दर्शकों को प्रभावित किया था।  आम तौर पर नारी प्रधान  फ़िल्में काफी दर्शक बटोर लेती है।  इस साल की सबसे ज़्यादा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन करने वाली फिल्मं नारी प्रधान रूही है।  इसलिए अगर फिल्म उद्योग थालेवी से उम्मीदें लगाए तो कुछ गलत नहीं।

              

अखिल भारतीय अपील - थालेवी के साथ ख़ास बात यह है कि यह फिल्म अखिल भारतीय आपील वाली है।  इसे हिंदी, तमिल और तेलुगु में प्रदर्शित किया जा रहा है। जयललिता लोकप्रिय राजनेता थी।  तमिलनाडु की जनता उन्हें अम्मा कह के सम्बोधित करती थी।  दक्षिण की कोरोना काल में प्रदर्शित फिल्मों ने काफी  अच्छा कारोबार किया है।  एएल विजय के प्रशंसक दर्शक दक्षिण में काफी हैं। इसलिए थालेवी के ख़ास तौर पर दक्षिण के सिनेमाघरों में क्लिक कर जाने में शक की गुंजाईश नज़र नहीं आती।  थालेवी को मिली बढ़िया ओपनिंग फिल्म उद्योग को उत्साहित करेगी।  ख़त्म होते जा रहे प्रदर्शन सेक्टर मे जीवन का संचार होगा।


क्या निराशा बनेगी आशा ? - इस निराशा के दौर में यह आशा की किरण है ? क्या थालेवी फिल्म उद्योग को नेतृत्व दे पाएगी ? क्या कोई  महिला प्रधान फिल्म दर्शकों की सिनेमाघरों में वापसी कर पाएगी ? कंगना रनौत की फिल्म थालेवी इसका जवाब बन सकती है।  थालेवी का अर्थ नेता होता है।  थालेवी तमिल फिल्मों की सुपरस्टार से  तमिलनाडु की मुख्य मंत्री की कुर्सी पर बैठी जयललिता जयराम के जीवन पर फिल्म है।जयललिता ने तमिलनाडु की जनता  का सफल नेतृत्व किया।  वह अखिल भारतीय स्तर पर राजनीति को प्रभावित  कर पाई थी।  क्या उनके जीवन पर फिल्म अखिल भारतीय जोश जगा पाने में कामयाब होगी ?


No comments: