Friday 9 August 2013

पेसंजरों के इंतज़ार में चेन्नई एक्सप्रेस !




                     राष्ट्रीय पर्वों के अलावा ईद, होली, दीवाली और क्रिसमस ऐसे त्यौहार होते हैं, जिनके वीकेंड में अपनी फ़िल्में रिलीज़ करवा कर तमाम खान और कुमार १०० करोडिया हीरो बन जाते है और सीना ताने घूमते हैं कि वह इतनी इतनी सौ करोडिया  फिल्म के हीरो हैं. यह अभिनेता बिना यह सोचे कि कचरे के ढेर पर खड़े होकर हॉलिडे वीकेंड का फायदा उठाते हुए उन्होंने दर्शकों को मूर्ख बनाया है. पिछले चार सालों से सलमान खान ईद पर अपना कचरा फिल्म परोस कर सौ करोडिया हीरो बने हुए थे. इस बार शाहरुख़ खान की बारी है.
                     रोहित शेट्टी से यह उम्मीद तो नहीं कि जाती कि वह कार ब्लास्ट करने के अलावा किसी सर पैर की कहानी पर फिल्म बनायेंगे. लेकिन दर्शक उम्मीद करता है कि बॉलीवुड का बादशाह खान कुछ अलग सा  देंगे। आज ईद पर रिलीज़ हो रही तथा ईद ईव पर पेड प्रीव्यू में दिखायी जा चुकी, शाहरुख़ खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस दोनों उम्मीदें तोड़ती है. रोहित शेट्टी ने ने इस बार बेसिर पैर की कहानी तक नहीं ली है. क्योंकि, फिल्म में कहानी नदारद है. युनुस सजावल की, शायद लोकेशन पर ही लिखी गयी, स्क्रिप्ट पर रोहित शेट्टी ने कैमरा चलवा दिया है. कहानी कही जाए तो बस इतनी सी है कि राहुल अपनी दादी के कहने पर अपने दादा जी की अस्थियाँ रामेश्वरम में विसर्जित करने का धोखा देने के लिए चेन्नई एक्सप्रेस पर बैठ जाता है. वह अपने दादा जी की अस्थियाँ कैसे बहा पाता है, यह फिल्म का ऊटपटांग ट्रैक है. कभी चेन्नई एक्सप्रेस में तो कभी लाल रंग की जीप में खान और पादुकोण भागते नज़र आते हैं. क्लाइमेक्स में आकर तो चेन्नई एक्सप्रेस बुरी तरह से डिरेल हो जाती है. कहा जा सकता है कि खान इस डिरेलमेंट में थोडा घायल हो सकते हैं.
                       फिल्म का कोई भी फ्रेम नया नहीं। लगता है जैसे रोहित शेट्टी ने अपना दिमाग बादशाह खान के हवाले कर दिया था तथा सेट पर स्पॉट बॉय से चाय परोसवाने और जोक क्रैक करने का काम कर रहे थे. शाहरुख़ खान और दीपिका पदुकोन ने अपने उम्दा अभिनय से इस कहानी के बिना घिसटती फिल्म को रफ़्तार देने की कोशिश की है. दीपिका का नाम वाकई खान से पहले रखने वाला है. वह अपने रोल को पूरी शिद्दत और भाव भंगिमाओं के साथ निभाती है. शाहरुख़ खान बहुत बढ़िया और उदाहरण योग्य हास्य अभिनय करते हैं. दक्षिण के निकितन धीर और सत्यराज के रोल टेलर मेड थे. उन्हें अपनी रियल लाइफ जैसा ही कुछ करना था, इसे वह बखूबी कर ले गए है.
                      फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में एक्सप्रेस ट्रेन के कोई लक्षण नहीं। विशाल शेखर का स्टीरिओ सिस्टम इस लायक नहीं कि अमिताभ भट्टाचार्य के बोल सुनाई पड़ सके. फरहाद और साजिद की जोडी अपने संवादों से दर्शकों को हंसा पाने में काफी हद तक कामयाब होती है. स्टीवन बर्नार्ड ने फिल्म को कसने की कोशिश की है. लेकिन, अच्छी स्क्रिप्ट की नामौजूदगी में वह फिल्म को कुछ ख़ास रफ़्तार नहीं दे सके. रोहित शेट्टी ने जय सिंह निज्जर के साथ फाइट कम्पोजीशन की है. इनमे कोई नयापन नहीं है.फिल्म पर भारी पड़ सकते हैं फिल्म के तमिल बहुल संवाद और पृष्ठभूमि। 
                     फिल्म की निर्माता के बतौर गौरी खान तथा UTV के रोंनी स्क्रूवाला और सिद्धार्थ रॉय कपूर का नाम दिया गया है. फिल्म के निर्माण में ९०  करोड़ खर्च होना बताया गया है. इतनी रकम की रिकवरी के लिए चेन्नई एक्सप्रेस के लिए वीकेंड इम्पोर्टेन्ट है. फिल्म को ३७०० से ज्यादा प्रिंट्स में रिलीज़ किया गया है. सब कुछ सोमवार पर निर्भर करेगा कि फिल्म किस हद तक ईद क्राउड को खींच पाती है.

पेसंजरों के इंतज़ार में चेन्नई एक्सप्रेस !

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