इस स्वतंत्र दिवस वीकेंड पर त्रिकोण संघर्ष टल चुका है। प्रभाष और श्रद्धा कपूर की फिल्म साहो, अब ३० अगस्त
को रिलीज़ होगी। अब, बॉलीवुड के
दो दोस्तों अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम की फिल्मों मिशन मंगल और बाटला हाउस का ही आमना सामना होगा। रियल लाइफ घटना पर, जॉन अब्राहम
की फिल्म बाटला हाउस को मिशन मंगल की नारी शक्ति से मुक़ाबला करना है। इस फिल्म की कहानी इसरो की पांच महिला वैज्ञानिकों की हैं, जिन्होंने
भारत के मंगल पर भेजे गए यान के प्रोजेक्ट
मिशन मार्स को अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारी के बावजूद सीमित बजट और समय में अंजाम तक
पहुंचाया। इसरो की इन पांच महिला
विज्ञानियों की भूमिका विद्या बालन, सोनाक्षी सिन्हा, तापसी पन्नू, कीर्ति
कुल्हारी और नित्या मेनन कर रही हैं।
अक्षय कुमार की भूमिका इस नारी शक्ति को प्रोत्साहित करने वाले की ही
है।
मुश्किलों से लड़ने का जज़्बा
देश की स्वतंत्रता के ७२ साल मनाने वाले दिन प्रदर्शित यह फिल्म भारतीय
नारी के उस सफर को बयान करने वाली है, जो हर मुश्किल में भी अपने काम को अंजाम तक
पहुंचाने का जज़्बा रखती है।बॉलीवुड देश
की ऎसी महिला शक्ति को सलाम करता नज़र आ रहा है।
स्वतंत्रता दिवस २०१९ से स्वतंत्रता दिवस २०२० तक यह सिलसिला रुकने वाला
नहीं। १४ अगस्त २०२० को रिलीज़ होने जा रही, अभिषेक दुधैया निर्देशित फिल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया की कहानी, भारतीय
वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक की है, जो भुज में पाकिस्तानी हमले में ध्वस्त हो
चुकी हवाई पट्टी को स्थानीय लोगों की मदद से मरम्मत करवा कर, भारतीय वायु
सेना के जहाज उड़ाने का कारनामा अंजाम देता है।
लेकिन,
इस काम में विजय कार्णिक यानि अजय देवगन का चरित्र इकलौता नहीं। इस फिल्म में संजय दत्त, राणा
डग्गुबाती, एमी विर्क, पंकज त्रिपाठी, अनुपम खेर और यशपाल शर्मा के ढेरों पुरुष
चरित्र भी हैं। लेकिन, पुरुष
सितारों की इस भीड़ में भी उभर कर आती है सुंदरबेन, जो गाँव की
सरपंच है और गाँव के लोगों को विजय कार्णिक की मदद करने के लिए प्रेरित ही
नहीं करती, खुद भी
पाकिस्तानी सेना के हवाई हमलों के बीच भी मौजूद रहती है। इस
भूमिका को सोनाक्षी सिन्हा कर रही
हैं। फिल्म में परिणीति चोपड़ा की हीना
रहमान की भूमिका भी ख़ास है । हीना रहमान, पाकिस्तान में भारत की जासूस है, जो
भारतीय सेना को अहम सूचनाये उपलब्ध कराती है ।
सोनाक्षी का खानदानी शफाखाना
सोनाक्षी सिन्हा, इससे पहले खानदानी शफाखाना की बॉबी बेदी की भूमिका में एक सेक्स क्लिनिक चलाती नज़र आएंगी। वह इस क्लिनिक
को बढ़िया चलाने और अपने मरीज़ों को आकर्षित करने के लिए लाउडस्पीकर लेकर सड़क पर प्रचारकरती हैं। वह क्लिनिक में आये मरीज़ों के रोगों की जानकारी लेती है। वह मर्दों से
वह वह सवाल पूछती है,
जिसे आम तौर पर पूछने और बताने में मर्द तक हिचकते हैं। पूछा जा सकता है
कि एक लड़की हो कर वह ऎसी 'गन्दी बात' क्यों करती
है? लेकिन, बेबी ऐसा कर
रही है तो अपने परिवार के लिए। वह परिवार
को खुशहाल रखने के लिए अपने खानदान के बंद पड़े शफाखाना को चलाने का प्रयास करती है
और इसमें सफल भी होती है। इस भूमिका को परदे पर शोख, चंचल और शर्मीली सोनाक्षी सिन्हा के रूप में देखना दिलचस्प होगा ।
पुरुष प्रधान बॉलीवुड में धाक !
हिंदी फिल्मों में भूमिकाये ही नहीं, फिल्म अभिनेत्रियाँ भी पुरुष प्रधान
बॉलीवुड में अपनी धाक जमाने में कामयाब हो रही है । प्रियंका चोपड़ा, बॉलीवुड के सबसे सफल सलमान खान के
स्टारडम की परवाह किये बिना, उनकी फिल्म भारत छोड़ देती है । एक समय ऐसा लगता है कि
प्रियंका चोपड़ा का स्टारडम ख़त्म हो गया । लेकिन ज़ल्द ही उन्हें लेकर, निर्माता
सिद्धार्थ रॉय कपूर और रॉनी स्क्रूवाला फिल्म द स्काई इज पिंक का ऐलान कर देते हैं
। इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा ऐसी माँ की भूमिका कर रही है, जो अपनी पल्मोनरी
फाइब्रोसिस से पीड़ित बच्ची के देखभाल करती है और उसे मोटिवेशन स्पीकर बनने में मदद
करती है । प्रियंका चोपड़ा जैसी ग्लैमर गर्ल की यह भूमिका में क्रांति काबिले तारीफ
है ।
दीपिका पादुकोण की छपाक
धाकड़ अभिनेत्रियों की बात की जाए तो गोलियों की रास लीला राम-लीला की लीला
दीपिका पादुकोण कहाँ पीछे हैं । वह ग्लैमर से भरपूर भूमिकाये करते करते, यकायक
अपने चहरे को बदसूरत बनाने में नहीं हिचकती । मेघना गुलजार की फिल्म छपाक एसिड पीड़ित
लक्ष्मी अगरवाल की साहसिक कहानी है । इस भूमिका को परदे पर अंजाम देकर, दीपिका
पादुकोण भी अपने साहस का परिचय दे रही हैं । यह फिल्म हर पहलू से नारी सशक्तिकरण
का उदाहरण है। लेकिन, जब छपाक की नायिका दीपिका पादुकोण, मीटू के अभियोगी लव रंजन
की फिल्म में रणबीर कपूर के साथ काम करने को तैयार होती है तो उनके प्रशंसकों को
नाराज़ होना स्वाभाविक है ।
बोल्ड और अभिनयशील कंगना रनौत
सशक्त अभिनय कर सकने वाली, बोल्ड और ब्यूटीफुल अभिनेत्री की कोई भी फिल्म
नारी प्रधान हो जाती है, जब वह परदे पर आती है । कंगना रानौत ऐसी ही अभिनेत्री है ।
इसी शुक्रवार रिलीज़ उनकी फिल्म जजमेंटल है क्या एक ऎसी लड़की की कहानी है, जिसे ऐसा
भ्रम होता है कि सामने घटी कोई घटना, उसके साथ हुई है । इस फिल्म में राजकुमार
राव, अमयारा दस्तूर, जिमी शेरगिल और सतीश कौशिक के चरित्र भी है । लेकिन, दर्शकों
का भरोसा कंगना रानौत पर है । वह जिस फिल्म में भी काम करेंगी, उसमे ऐसा कुछ ज़रूर
होगा, जो महिलाओं के चरित्र को सशक्त करेगा। फैशन, क्वीन और तनु वेड्स
मनु रिटर्न्स जैसी फ़िल्में इसका प्रमाण है, जिन्होंने कंगना को राष्ट्रीय फिल्म
पुरस्कार जितवाए । मणिकर्णिका द क्वीन ऑफ़ झाँसी में केंद्रीय भूमिका से प्रशंसा
बटोर चुकी कंगना रानौत की आगामी फिल्म पंगा, कबड्डी टीम के भारत का नाम रौशन करने
की कहानी है । लेकिन, इस फिल्म में महिला कबड्डी टीम के संघर्ष को भी दिखाया गया ।
इनका नेतृत्व कंगना रानौत ही करती है । कंगना रानौत ही है कि वह धुंआधार एक्शन
फिल्म धाकड़ को अपने नाम और इमेज के ज़रिये ज़बरदस्त सुर्खियाँ दिलवाती है ।
कुछ दूसरी अभिनेत्रियां और उनकी फ़िल्में
मेन्टल है क्या से लेकर, पंगा और
धाकड़ तक, बॉलीवुड
फिल्मों के कथानक में नायिका बेहद ख़ास है।
इन तीनों फिल्मों की मुख्य भूमिका में, कंगना रनौत
हैं। लेकिन, बाकी की
फिल्मों में कंगना रनौत नहीं। इसके बावजूद
इन फिल्मों की नायिका सशक्त है। अब इन
फिल्मों में चाहे बड़े सितारे हों या अभिनेताओं की भीड़ हो। सोलो फिल्म में नायिका का मज़बूत
होना तो स्वभाविक है। ऎसी भूमिकाओं के लिए अभिनेत्री का भी उतना सशक्त होना ज़रूरी है
। अभिषेक शर्मा की फिल्म द जोया फैक्टर की पृष्ठभूमि में क्रिकेट और भारतीय
क्रिकेट टीम है । लेकिन, पूरी कहानी घूमती है, भारतीय क्रिकेट टीम के लिए भाग्यशाली जोया सोलंकी के चेहरे के इर्दगिर्द । परदे पर इस भूमिका को सोनम कपूर कर रही है ।
पश्चिम उत्तर प्रदेश की दो शार्पशूटर चन्द्रो तोमर और प्रकाश तोमर की रियल लाइफ पर
है । इस भूमिका को तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर कर रही है । ऎसी ढेरों
फ़िल्में हैं, जिनमे नायिका अपने नायक से कम नहीं । ऎसी भूमिकाओं
से, अपने सशक्त अभिनय के बलबूते पर कोई भी अभिनेत्री खुद को बुलंदियों पर पहुंचा
सकती है । फिल्म छिछोरे में, सुशांत सिंह राजपूत, वरुण शर्मा, ताहिर राज भसीन आदि
के पुरुष चरित्रों के बीच सिर्फ श्रद्धा कपूर ही इकलौता महिला चरित्र है । ज़ाहिर
है कि ऎसी भूमिका निगाहों में चढ़ती है । रीमेक फिल्म पति पत्नी और वह में कार्तिक
आर्यन के चरित्र पर भूमि पेडनेकर और अनन्या पाण्डेय के चरित्र भारी साबित हो सकते
हैं । अंग्रेजी मीडियम में, इरफ़ान खान के अपोजिट करीना कपूर की भूमिका अहम् है ।
पानीपत और तानाजी जैसी ऐतिहासिक फिल्मों के महिला चरित्र किसी लिहाज़ से कमज़ोर नहीं
हैं । स्ट्रीट डांसर ३डी में पाकिस्तानी डांसर श्रद्धा कपूर, हिंदुस्तान के वरुण
धवन पर भारी पड़ सकती है । रूही अफज़ा का भूत तो जाह्नवी कपूर के ज़रिये ही अपना मक़सद
पूरा कर सकेगा । इनके अलावा, गुड न्यूज़, शकुंतला देवी, बोले चूड़ियाँ और लाल सिंह
चड्डा में नारी चरित्र काफी सशक्त बन पड़े हैं ।