सरवनन शिवकुमार अपने स्टेज के नाम सूर्या से ज़्यादा जाने जाते हैं। जहाँ तक हिंदी फिल्मों की बात है, उन्हें रामगोपाल वर्मा के दर्शक फिल्म रक्तचरित्र में देख चुके हैं। वैसे सूर्या हिंदी दर्शकों के लिए बॉलीवुड सुपर स्टारों के सुपर स्टार हैं। आज के तमाम खान और देवगन उन्ही की फिल्मों के हिंदी रीमेक से बने हैं। आमिर खान को बॉलीवुड का १०० करोड़ क्लब खोलने का मौक़ा सूर्या की तमिल फिल्म गजिनी के रीमेक से मिला। अजय देवगन ने सूर्या की फिल्म सिंघम के रीमेक से बड़ी सफलता हासिल की। जॉन अब्राहम की फिल्म फाॅर्स सूर्या की तमिल फिल्म खाका खाका की हिंदी रीमेक थी। कुसेलन का हिंदी रीमेक बिल्लू बारबर बनाया गया था। तमिल फिल्म में सूर्या ने स्पेशल अपीयरेंस किया था। सूर्या की फिल्म २४ को हिंदी में डब कर रिलीज़ किया गया था। इस फिल्म को हृथिक रोशन और सलमान खान दोनों ही हिंदी में बनाना चाहते हैं। सूर्या ने अभिषेक बच्चन की फिल्म गुरु के तमिल संस्करण में अभिषेक को अपनी आवाज़ दी थी। गाज़ी अटैक के हिंदी और तेलगु संस्करणों के नैरेटर सूर्या ही थे। उन्हें अपनी भिन्न भूमिकाओं के कारण तमिल फिल्मों का आमिर खान कहा जाता है। उनकी तमिल फिल्म थाना सैरंधा कुट्टम एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है। आज ४२ के हो गए सूर्या।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 23 July 2017
तमिल फिल्मों के आमिर खान हैं सूर्या
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साउथ सिनेमा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
जब राजनीतिक दलों के कारण बैन हो जाती हैं फ़िल्में
कांग्रेस द्वारा मधुर भंडारकर की फिल्म इंदु सरकार का आक्रामक विरोध जारी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुणे और नागपुर में फिल्म की प्रेस कांफ्रेंस को भी नहीं होने दिया। अब महाराष्ट्र सरकार ने इंदु सरकार की टीम को सुरक्षा मुहैया करा दी है। लेकिन, कांग्रेस अभी भी शांत नहीं हैं। उनका कहना है कि मधुर भंडारकर ने एक राजनीतिक पार्टी (बीजेपी) के इशारे पर उनकी नेता इंदिरा गांधी और संजय गांधी की छवि खराब करने की कोशिश की है। जबकि, मधुर भंडारकर साफ़ कर चुके हैं कि यह ७० प्रतिशत कल्पनाशीलता और ३० प्रतिशत सच की कहानी है। अलबत्ता, इंदु सरकार के साथ सेंसर बोर्ड और फिल्म उद्योग खड़ा हुआ है। इसलिए लगता नहीं कि कोई इंदु सरकार को २८ जुलाई को रिलीज़ होने से रोक पायेगा।
ब्रितानी शासन ने बैन किया भक्त बिदुर को
इसके बावजूद तमाम ऐसे उदाहरण है, जब राजनीतिक दलों को मिर्ची लगी तो सिनेमाहॉल से तक फिल्म उतरवा दी। कभी किसी फिल्म के विषय से, कभी उसके कलाकारों से या किसी दूसरे कारण से विरोध करने और फिल्मों को रोकने का सिलसिला काफी पुराना है। सरकारों द्वारा विरोधी स्वरों के कारण किसी फिल्म को रोके जाने का सिलसिला पुराना है। महाभारत काल के विदुर पर कांजीभाई राठौर की फिल्म में विदुर के चरित्र को महात्मा गांधी के व्यक्तित्व के अनुरूप ढाला गया था। फिम के विदुर बने द्वारिकादास सम्पत बिलकुल गांधी जैसे लग रहे थे। यह पहली भारतीय फिल्म थी, जिस पर ब्रितानी हुकूमत ने रोक लगाईं। ब्रितानी शासनकाल में राजनीतिक स्वर वाली फ़िल्में ही नहीं गीत तक बैन कर दिए जाते थे । किस्मत (१९४५) के गीत 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा हैँ' को देश की स्वतंत्रता से जोड़ा गया। सिनेमाघरों में यह गीत पब्लिक डिमांड पर रिपीट किया जाता था। इसे देखते हुए गीतकार प्रदीप को ब्रिटिश सरकार के क्रोध से बचने के लिये भूमिगत हो जाना पड़ा।
राजनीतिक कारणों से बैन
स्वतंत्रता के बाद भी भारतीय फिल्मों को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली। आज़ादी के बाद चुम्बनो का फिल्मों में निषेध हो गया । इसके बाद किन्ही न किन्ही कारणों से फिल्मों पर रोक लगाईं जाती रही। आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी द्वारा किस्सा कुर्सी का के प्रिंट ही जलवा दिए गए। आंधी पर रोक लगा दी गई, क्योंकि इसकी नायिका का गेटअप और मेकअप इंदिरा गांधी की तरह किया गया था । कुछ घटनाएं इंदिरा गांधी के साथ घट चुकी शामिल थी। यह फिल्म जनता पार्टी के शासन में आने के बाद ही रिलीज़ हो सकी। बॉम्बे के दंगों के कारण ब्लैक फ्राइडे पर रोक लगा दी गई। १९९३ के दंगों पर अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडे पर तो बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी रोक लगाईं थी। दो साल बाद यह फिल्म कोर्ट के आदेश से रिलीज़ हुई। फायर, वाटर, माय नेम इज खान, आदि फ़िल्में धार्मिक राजनीतिक विरोध के कारण रोकी गई। यशराज बैनर की फिल्म फना को तत्कालीन गुजरात सरकार के गुस्से का सामना करना पड़ा। क्योंकि, आमिर खान मेधा पाटकर के आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे। गुजरात २००२ के दंगों पर आधारित होने के कारण फिल्म फ़िराक़ और परज़ानिया को गुजरात में रिलीज़ के लायक नहीं समझा गया। सिन फिल्म को एक पादरी के सेक्सुअल रिलेशन दिखाने के कारण रोक का सामना करना पड़ा। इंशाअल्लाह कश्मीर, श्रीलंका के गृहयुद्ध पर नो फायर जोन, सिक्किम को स्वतंत्र देश दिखाने वाली फिल्म सिक्किम को भी राजनीतिक कारणों से बैन का शिकार होना पड़ा। सिख दंगों पर अमतेज मान की फिल्म १९८४ को दिल्ली और पंजाब में रिलीज़ नहीं होने दिया गया। इंदिरा गांधी हत्याकांड पर पंजाब फिल्म कौम दे हीरे को इंदिरा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन करने के कारण बैन का शिकार होना पड़ा।
कुछ राज्य सरकारों ने रोकी फ़िल्में
काफी ऎसी फ़िल्में हैं, जिन्हे विभिन्न राज्य सरकारों ने किसी न किसी कारण से अपने राज्य में रिलीज नहीं होने दिया। इनमे गैर हिंदी फिल्मों के अलावा हॉलीवुड की फ़िल्में भी शामिल थी। आंध्र प्रदेश, नागालैंड और गोवा की सरकारों ने हॉलीवुड फिल्म डा विन्ची कोड को क्रिस्चियन समुदाय विरोधी होने के कारण अपने राज्यों में रिलीज़ नहीं होने दिया। आंध्र प्रदेश में आरक्षण को अस्थाई तौर पर बैन किया गया। असम में असमी फिल्म रूनुमि और हिंदी फिल्म टैंगो चार्ली बैन कर दी गई। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में बाबा राम रहीम की फिल्म एमएसजी २- द मैसेंजर को जनजाति समुदाय विरोधी होने के कारण बैन किया गया। गुजरात में चाँद बुझ गया, फना, फरज़ानिया और फ़िराक़, महाराष्ट्र में देशद्रोही, पंजाब में डा विन्ची कोड के अलावा आरक्षण को अस्थाई तौर पर, साड्डा हक़, ओह माय प्यो जी, एमएसजी १ और २ द मैसेंजर, नानक शाह फ़क़ीर और संता बंता प्राइवेट लिमिटेड को बैन का सामना करना पड़ा। राजस्थान में अस्थाई तौर पर जोधा अकबर, तमिलनाडु में श्रीलंका के गृहयुद्ध पर इनाम सीलोन, मद्रास कैफे, विश्वरूपम, डैम ९९९, डा विन्ची कोड और ओरे ओरु ग्रामथिले को बैन कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में आजा नचले, जोधा अकबर और आरक्षण को अस्थाई तौर पर बैन किया गया। पश्चिम बंगाल में सिटी ऑफ़ जॉय और कंगाल मालसाट को बैन कर दिया गया।
इसी प्रकार से इन्दु सरकार का मुद्दा भी राजनीतिक है। लेकिन वर्तमान सरकार को देखते हुए इसे सेंसर द्वारा रोका नही जायेगा। लेकिन, कांग्रेस सरकारें अपने प्रदेशों में इसे रोक सकती हैं। अभी आपातकाल पर दो फ़िल्में और आनी हैं। मिलन लुथरिया की फिल्म बादशाहो आपातकाल के दौर पर तो है, लेकिन इसकी कहानी एक डकैती पर ज़्यादा केंद्रित है। इसमें पोलिटिकल टोन नहीं नज़र आती। इसके अलावा एक दूसरी फिल्म १९७५ भी आपातकाल पर है। इसके रिलीज़ होने तक हो सकता है कि फिल्म पर बैन लगा दिया जाए। राजनीतिक विवशता भी तो अभिव्यक्ति की आज़ादी के आड़े आती हैं। इस लिहाज़ से सारे दाल भाई भाई हैं।
ब्रितानी शासन ने बैन किया भक्त बिदुर को
इसके बावजूद तमाम ऐसे उदाहरण है, जब राजनीतिक दलों को मिर्ची लगी तो सिनेमाहॉल से तक फिल्म उतरवा दी। कभी किसी फिल्म के विषय से, कभी उसके कलाकारों से या किसी दूसरे कारण से विरोध करने और फिल्मों को रोकने का सिलसिला काफी पुराना है। सरकारों द्वारा विरोधी स्वरों के कारण किसी फिल्म को रोके जाने का सिलसिला पुराना है। महाभारत काल के विदुर पर कांजीभाई राठौर की फिल्म में विदुर के चरित्र को महात्मा गांधी के व्यक्तित्व के अनुरूप ढाला गया था। फिम के विदुर बने द्वारिकादास सम्पत बिलकुल गांधी जैसे लग रहे थे। यह पहली भारतीय फिल्म थी, जिस पर ब्रितानी हुकूमत ने रोक लगाईं। ब्रितानी शासनकाल में राजनीतिक स्वर वाली फ़िल्में ही नहीं गीत तक बैन कर दिए जाते थे । किस्मत (१९४५) के गीत 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा हैँ' को देश की स्वतंत्रता से जोड़ा गया। सिनेमाघरों में यह गीत पब्लिक डिमांड पर रिपीट किया जाता था। इसे देखते हुए गीतकार प्रदीप को ब्रिटिश सरकार के क्रोध से बचने के लिये भूमिगत हो जाना पड़ा।
राजनीतिक कारणों से बैन
स्वतंत्रता के बाद भी भारतीय फिल्मों को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली। आज़ादी के बाद चुम्बनो का फिल्मों में निषेध हो गया । इसके बाद किन्ही न किन्ही कारणों से फिल्मों पर रोक लगाईं जाती रही। आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी द्वारा किस्सा कुर्सी का के प्रिंट ही जलवा दिए गए। आंधी पर रोक लगा दी गई, क्योंकि इसकी नायिका का गेटअप और मेकअप इंदिरा गांधी की तरह किया गया था । कुछ घटनाएं इंदिरा गांधी के साथ घट चुकी शामिल थी। यह फिल्म जनता पार्टी के शासन में आने के बाद ही रिलीज़ हो सकी। बॉम्बे के दंगों के कारण ब्लैक फ्राइडे पर रोक लगा दी गई। १९९३ के दंगों पर अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडे पर तो बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी रोक लगाईं थी। दो साल बाद यह फिल्म कोर्ट के आदेश से रिलीज़ हुई। फायर, वाटर, माय नेम इज खान, आदि फ़िल्में धार्मिक राजनीतिक विरोध के कारण रोकी गई। यशराज बैनर की फिल्म फना को तत्कालीन गुजरात सरकार के गुस्से का सामना करना पड़ा। क्योंकि, आमिर खान मेधा पाटकर के आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे। गुजरात २००२ के दंगों पर आधारित होने के कारण फिल्म फ़िराक़ और परज़ानिया को गुजरात में रिलीज़ के लायक नहीं समझा गया। सिन फिल्म को एक पादरी के सेक्सुअल रिलेशन दिखाने के कारण रोक का सामना करना पड़ा। इंशाअल्लाह कश्मीर, श्रीलंका के गृहयुद्ध पर नो फायर जोन, सिक्किम को स्वतंत्र देश दिखाने वाली फिल्म सिक्किम को भी राजनीतिक कारणों से बैन का शिकार होना पड़ा। सिख दंगों पर अमतेज मान की फिल्म १९८४ को दिल्ली और पंजाब में रिलीज़ नहीं होने दिया गया। इंदिरा गांधी हत्याकांड पर पंजाब फिल्म कौम दे हीरे को इंदिरा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन करने के कारण बैन का शिकार होना पड़ा।
कुछ राज्य सरकारों ने रोकी फ़िल्में
काफी ऎसी फ़िल्में हैं, जिन्हे विभिन्न राज्य सरकारों ने किसी न किसी कारण से अपने राज्य में रिलीज नहीं होने दिया। इनमे गैर हिंदी फिल्मों के अलावा हॉलीवुड की फ़िल्में भी शामिल थी। आंध्र प्रदेश, नागालैंड और गोवा की सरकारों ने हॉलीवुड फिल्म डा विन्ची कोड को क्रिस्चियन समुदाय विरोधी होने के कारण अपने राज्यों में रिलीज़ नहीं होने दिया। आंध्र प्रदेश में आरक्षण को अस्थाई तौर पर बैन किया गया। असम में असमी फिल्म रूनुमि और हिंदी फिल्म टैंगो चार्ली बैन कर दी गई। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में बाबा राम रहीम की फिल्म एमएसजी २- द मैसेंजर को जनजाति समुदाय विरोधी होने के कारण बैन किया गया। गुजरात में चाँद बुझ गया, फना, फरज़ानिया और फ़िराक़, महाराष्ट्र में देशद्रोही, पंजाब में डा विन्ची कोड के अलावा आरक्षण को अस्थाई तौर पर, साड्डा हक़, ओह माय प्यो जी, एमएसजी १ और २ द मैसेंजर, नानक शाह फ़क़ीर और संता बंता प्राइवेट लिमिटेड को बैन का सामना करना पड़ा। राजस्थान में अस्थाई तौर पर जोधा अकबर, तमिलनाडु में श्रीलंका के गृहयुद्ध पर इनाम सीलोन, मद्रास कैफे, विश्वरूपम, डैम ९९९, डा विन्ची कोड और ओरे ओरु ग्रामथिले को बैन कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में आजा नचले, जोधा अकबर और आरक्षण को अस्थाई तौर पर बैन किया गया। पश्चिम बंगाल में सिटी ऑफ़ जॉय और कंगाल मालसाट को बैन कर दिया गया।
इसी प्रकार से इन्दु सरकार का मुद्दा भी राजनीतिक है। लेकिन वर्तमान सरकार को देखते हुए इसे सेंसर द्वारा रोका नही जायेगा। लेकिन, कांग्रेस सरकारें अपने प्रदेशों में इसे रोक सकती हैं। अभी आपातकाल पर दो फ़िल्में और आनी हैं। मिलन लुथरिया की फिल्म बादशाहो आपातकाल के दौर पर तो है, लेकिन इसकी कहानी एक डकैती पर ज़्यादा केंद्रित है। इसमें पोलिटिकल टोन नहीं नज़र आती। इसके अलावा एक दूसरी फिल्म १९७५ भी आपातकाल पर है। इसके रिलीज़ होने तक हो सकता है कि फिल्म पर बैन लगा दिया जाए। राजनीतिक विवशता भी तो अभिव्यक्ति की आज़ादी के आड़े आती हैं। इस लिहाज़ से सारे दाल भाई भाई हैं।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
देसी शार्प शूटर बाबु मोशाय बन्दूकबाज़, अब ऊँट बेचेंगे इरफान खान, ‘गुडगाँव’ में मुस्कुराई तक नहीं है रागिनी खन्ना, डबल क्रॉस करने वाला एजेंट कैप्टेन नवाब, सीआरपीएफ जवानों के साथ सुशांत सिंह राजपूत, सितारों का जमघट, करण जौहर की ‘शिद्दत’ 'बादशाओ’ में चचा का ‘रश्क-ए-क़मर’ भतीजे ने गाया
बाबू एक शार्प शूटर
है। उसकी ज़िन्दगी में प्यार है, दोस्ती है, निष्ठा है, धोखा और बदला भी है।
यह कहानी है उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर निर्देशक कुषाण नंदी की फिल्म बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ की।
फिल्म बाबू का किरदार नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी कर रहे हैं। अन्य भूमिकाओ दिव्या दत्ता, श्रद्धा दास और मुरली शर्मा के अलावा नया चेहरा बिदिता बेग के नाम
उल्लेखनीय हैं। इस फिल्म की शूटिंग उत्तर प्रदेश में तमाम रियल लोकेशंस पर हुई है। पिछले दिनों रिलीज़ इस फिल्म का
ट्रेलर उत्सुकता पैदा करने वाला है। ट्रेलर रिलीज़ पर मुआज़ूद नवाज़ुद्दीन कहते हैं,"फिल्म का ट्रीटमेंट इतना रियल और मनोरंजक है कि
मुझे लगा कि मैं रियल लाइफ में यह काम कर
चुका हूँ। मैं बाबूमोशाय का हिस्सा बन कर बहुत खुश हूँ।" कुषाण नंदी
ने इस फिल्म के लिए पहली बार नवाज़ से
संपर्क किया तो वह स्क्रिप्ट से खुश नहीं थे। फिर नवाज़ और फिल्म लेखक ग़ालिब असद भोपाली साथ बैठे और स्क्रिप्ट
में बदलाव किया गया। कहते हैं कुषाण नंदी, "अगर नवाज़ फिल्म को इंकार कर
देते तो मैं फिल्म बनाता ही नहीं। क्योंकि,
वह इकलौते एक्टर हैं, जो बाबू को सही तरह से कर
सकते हैं।" फिल्म बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ २५ अगस्त को रिलीज़ हो रही है।
अब ऊँट बेचेंगे इरफान खान
इरफान खान सही
मायनों में हिंदुस्तान के ग्लोबल स्टार हैं । वह राजस्थान की देहाती परिदृश्य पर
आधारित एक प्रेम-गाथा फिल्म द सांग ऑफ स्कॉर्पियन्स से एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय
होने जा रहे हैं। अभी इस फिल्म का एक नया ब्रांड लुक रिलीज़ किया गया । अनूप
सिंह निर्देशित द सांग ऑफ स्कॉर्पियन्स फिल्म में इरफान इस फिल्म में एक ऊँट
व्यापारी की भूमिका में हैं । इसलिए उनका
लुक मरुस्थली बीहड़ के निवासियों की तरह रूखा और उज्जड़ है। इस फिल्म में हॉलीवुड की
बहुचर्चित अभिनेत्री गोल्शिफ्ते फरहानी (पाइरेट्स ऑफ द कॅरीबीयन, डेड मेन टेल नो टेल्स’) इरफ़ान खान के साथ रोमांस करती नजर आएंगी । इस फिल्म में वहीदा रहमान भी डेल्ही ६
(२००९) के बाद फिर नज़र आयेंगी ।
‘गुडगाँव’ में मुस्कुराई तक
नहीं है रागिनी खन्ना !
ससुराल गेंदा फूल के
बाद, सात टीवी सीरियलों में कैमिया या स्पेशल अपीयरेंस
करने वाली रागिनी खन्ना अब फिर सक्रिय होने जा रही है। ससुराल गेंदा फूल (२०१०-१२) के बाद छिटपुट शो
में नज़र आने वाली रागिनी खन्ना ने एक हिंदी फिल्म तीन थे भाई और एक पंजाबी फिल्म
भज्जी इन प्रॉब्लम में अभिनय किया। अब
उनकी दूसरी हिंदी फिल्म गुडगाँव रिलीज़ होने जा रही है। जार पिक्चर्स की इस फिल्म में उनका किरदार टीवी
सीरियलों के किरदारों की तरह चंचल लड़की वाला नहीं। इस किरदार में उनके लिए अपने भावात्मक पक्ष को
दिखाने के भरपूर मौके हैं। फिल्म के
डायरेक्टर शंकर रमन हैं। रागिनी खन्ना
कहती हैं, "मैंने जब स्क्रिप्ट
पढ़ी तो मुझे लगा किसी डायरेक्टर ने मुझे टीवी की चंचल लड़की के बजाय एक एक्टर के
तौर पर देखा। मैं इस फिल्म में हंसना तो दूर एक बार मुस्कुराई तक नहीं हूँ। इस रोल
के जरिये मैंने खुद के अनछुए भावात्मक पहलुओं को छुआ है । खुद के अंदर कुछ खोजने की कोशिश की है ।"
इस फिल्म में उनके नायक ३डी पिज़्ज़ा वाले एक्टर अक्षय ओबेरॉय बताये जा रहे हैं।
लेकिन, रागिनीं यह बताने को तक तैयार नहीं होती कि वह
उनके नायक हैं ? दरअसल, इस फिल्म में अक्षय और रागिनी भाई-बहन की भूमिका
में हैं। पंकज त्रिपाठी ने एक रियल एस्टेट
कारोबारी का किरदार किया है। यह फिल्म ४ अगस्त को रिलीज़ होने जा रही है। रागिनी की अगली फिल्म का नाम घूमकेतु है।
डबल क्रॉस करने वाला एजेंट कैप्टेन नवाब
एन्थोनी डिसूज़ा (ब्लू, बॉस और टोनी डिसूज़ा के नाम से अज़हर) की स्पाई थ्रिलर फिल्म कैप्टेन नवाब एक ऐसे जासूस की कहानी है, जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों के लिए ही जासूसी किया करता है। वह उस समय भारी मुसीबत में फंस जाता है, जब इन देशों के अधिकारियों को मालूम पड़ता है कि वह डबल क्रॉस कर रहा है। इस भूमिका को बॉलीवुड के सीरियल किलर और टोनी डिसूज़ा के साथ फिल्म अज़हर कर चुके अभिनेता इमरान हाशमी कर रहे हैं। वह कैप्टेन नवाब के निर्माता भी है। आजकल इस फिल्म का क्लाइमेक्स हिंदुस्तान की बर्फीली वादियों में फिल्माया जाना है। इस के लिए हॉलीवुड स्टंट कोरियोग्राफर डान ब्रेडले (इंडिपेंडेंस डे, स्पाइडर मैन २ और ३, द बॉर्न सुप्रीमसी, सुपरमैन रिटर्न्स, इंडिआना जोंस, क्वांटम ऑफ़ सोलस और मिशन इम्पॉसिबल घोस्ट प्रोटोकॉल ) से बात की जा रही है। कहते हैं डायरेक्टर टोनी डिसूज़ा, "हमें उम्मीद है कि डान हमारी फिल्म करेंगे। कैप्टेन नवाब एक वॉर फिल्म है। डान ने पहले भी वॉर फ़िल्में की है। हमारी फिल्म को इसका फायदा मिलेगा। उम्मीद है कि क्लाइमेक्स सितम्बर में फिल्मा लिया जायेगा।" सीआरपीएफ जवानों के साथ सुशांत सिंह राजपूत
इन दिनों फिल्मों
में व्यस्त होने के बावजूद सुशांत सिंह राजपूत ने अपने बिजी श्येड्युल से वक़्त
निकाल कर मणिपुर के इम्फाल में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के साथ वक्त
बिताया। सुशांत यहाँ पर दो दिन के लिए गयें थे। सेना के साहस और समर्पण से सुशांत
काफी प्रभावित हैं। जवानों से हुई अपनी मुलाकात के बाद आर्मी ट्रेनिंग एरिया में
खींची गई जवानों के साथ अपनी कुछ तस्वीरें सुशांत ने अपने इन्स्टाग्राम अकाउंट पर
डाली हैं। सुशांत सिंह राजपुत ने दो दिनों में जवानों के साथ काफी वक्त बिताया और
ढेर सारी बातें की। राइफल ट्रेनिंग, लड़ाकू प्रशिक्षण,
दौड़ और बाधा दौड़ जैसी ट्रेनिंग एक्टिविटी में
सुशांत ने जवानों के साथ हिस्सा भी लिया। ऎसी एक बाधा दौड के दौरान सुशांत ने पाच
फिट से कूद मार कर, टायरों के बीच में
से दौडतें हुए एक जवान को पीछे भी छोड दिया । इस दौड में जीत हासिल करने पर
सैनिकों ने सुशांत को तालियों के गडगडाहट के साथ बधाई दी ।
सितारों का जमघट, करण जौहर की ‘शिद्दत’
ऐ दिल है मुश्किल के बाद निर्माता करण जौहर की अगली फिल्म का नाम शिद्दत होगा । करण जौहर की फिल्मों की परंपरा में शिद्दत भी सितारों भरी होगी । इस फिल्म को कास्टिंग कू ,फिल्म कहा जा सकता है । फिल्म में श्रीदेवी और संजय दत्त २५ साल बाद एक साथ नज़र आयेंगे । इस जोड़ी की पिछली फिल्म गुमराह १९९३ में रिलीज़ हुई थी । इस फिल्म के साथ तीन इत्तफ़ाक जुड़े हुए हैं । पहला इत्तफाक यह है कि श्रीदेवी और संजय दत्त की आखिरी बार जोड़ी बनाने वाले निर्माता करण जौहर के पिता यश जौहर थे । दूसरा इत्तफाक यह है कि गुमराह (१९९३) का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था । जबकि, करण जौहर की फिल्म में महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट अहम् किरदार कर रही होंगी । शिद्दत में आलिया भट्ट एक बार फिर वरुण धवन की नायिका होंगी । इनके अलावा सोनाक्षी सिन्हा के साथ आदित्य रॉय कपूर की नई जोड़ी भी बनाई जा रही है । इस फिल्म के साथ तीसरा इत्तफाक यह है कि देश विभाजन की पृष्ठभूमि पर फिल्म का निर्माण करण जौहर के पिता यश जौहर करना चाहते थे । शिद्दत का निर्देशन आलिया भट्ट को २ स्टेट्स फिल्म में डायरेक्ट करने वाले अभिषेक वर्मन करेंगे । 'बादशाओ’ में चचा का ‘रश्क-ए-क़मर’ भतीजे ने गाया
मेरे रश्क-ए-क़मर तू
ने पहली नज़र, जब नज़र से मिलायी मज़ा आ गया। नुसरत फ़तेह
अली खान ने १९८८ में इस ग़ज़ल को क़व्वाली के अंदाज़ में गा कर लोकप्रिय बनाया था। हालाँकि,
यह ग़ज़ल पाकिस्तानियों के बीच पहले भी पसंदीदा थी।
इसके बाद यह क़व्वाली भिन्न अंदाज़ में, भिन्न गायकों ने
फिल्मों और गैर फिल्मी अलबमों के लिए गई ।
अभी शाहरुख़ खान की फिल्म रईस में इस फिल्म को पाकिस्तानी गायक जुनैद असगर
की आवाज़ में शामिल किया गया था। जुनैद ने ही नुसरत फ़तेह अली खान के गीत को रीमिक्स
कर गाया था। इस गीत को टी सीरीज ने अपने
वीडियो एल्बम में हृथिक रोशन और सोनम कपूर पर फिल्माया था। जुनैद के इस गीत को
यूट्यूब पर अरिजीत सिंह के गाये गीत की तरह से अपलोड किया गया है। बताते हैं कि
पैसा कमाने के लिए ऐसा किया गया। क्योंकि,
जुनैद से ज़्यादा अरिजीत सिंह पॉपुलर हैं। यह ऐसा
गीत है, जिसके कोरियाई संस्करण भी तैयार किये गए
हैं। अब इस गीत को मिलन लुथरिया ने अपनी
इमरजेंसी पर फिल्म बादशाओ में इलिएना डिक्रूज़ और अजय देवगन पर फिल्माया है। इस गीत को नुसरत फ़तेह अली खान के भतीजे और
पाकिस्तानी गायक राहत फ़तेह अली खान ने गाया है। इस गीत का वीडियो शुक्रवार को
रिलीज़ हो रहा है। इस गीत के मुख्य किरदारों का एक रोमांटिक पोज़ आज रिलीज़ हुआ है !
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Saturday, 22 July 2017
दो सौ साल का वूकी योद्धा है चूबका
महान वूकी योद्धा है चूबका। यह २०० साल का है। उसके पूरे शरीर पर घने लम्बे बाल हैं। वह यान मिलेनियम फाल्कन पर हान सोलो का साथी पायलट है। वह विद्रोहियों के उस मुख्य समूह का हिस्सा है, जो गैलेक्सी की आज़ादी को बहाल करता है। यह उग्र स्वभाव और धनुष के आकार के हथियार को तैयार करने में महारत के लिए जाना जाता है। इम्पीरियल आर्मी से हान सोलो के निकाले जाने के बाद चूबका उसका आजीवन साथी बन जाता है। वह बड़े दिल वाला है और अपने साथियों को समर्पित है। गैलेक्सी पर उथल पुथल के दौरान से वह हान सोलो का साथी है। इस किरदार को स्टार वार्स सीरीज की तमाम फिल्मो में अभिनेता पीटर मेहू ने किया था। लेकिन, अब स्टार वार्स : द लास्ट जेडाई और अनाम हान सोलो फिल्म में यह किरदार जूनस सुओतमो ने किया है। सुओतमो ने द फाॅर्स अवकेंस में पीटर मेहू के बॉडी डबल थे।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की महिला जज बनेगी फ़ेलिसिटी जोंस
पिछले साल स्टार
वार्स सीरीज की फिल्म रोग वन : अ स्टार
वार्स स्टोरी में जिन एरसो का ताक़वर किरदार करने वाली इंग्लिश अभिनेत्री फ़ेलिसिटी
जोंस अब रूपहले परदे पर एक यहूदी महिला जज का किरदार करेंगी। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की महिला जज रुथ बडेर
जिन्सबर्ग को महिला अधिकारों की झंडाबरदार के तौर पर याद किया जाता है। उन्होंने लैंगिक समानता पर पहले लॉ जर्नल की
सह-संस्थापक थी। वह कोलंबिया यूनिवर्सिटी
की पहली महिला प्रोफेसर थी। उन्हें १९९३
में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने सुप्रीम कोर्ट में नामित किया
था। इसी किरदार पर डेनियल स्टीपलमैन की
पटकथा पर मिमी लेडर (डीप इम्पैक्ट, पे इट फॉरवर्ड,
थिक एज थीव्स) के निर्देशन में फिल्म में
जिन्सबर्ग के किरदार के लिए २०१५ में नताली पोर्टमैन का नाम उछला था। फ़ेलिसिटी जोंस इस समय टीवी सीरीज स्टार वार्स :
फोर्सेज ऑफ़ डेस्टिनी की शूटिंग कर रहे हैं।
इस सीरीज में भी वह जिन एरसो का किरदार ही कर रही हैं। जिन्सबर्ग पर फिल्म की शूटिंग सितम्बर से
मोंट्रियल में शुरू होगी।
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
क्या बैटल ऑफ़ सरगढ़ी है अक्षय कुमार और सलमान खान के बीच
इस साल के शुरू में अक्षय कुमार, सलमान खान और करण जौहर ने अपने प्रशंसकों को बढ़िया खबर दी थी। यह तीनों मिल कर बैटल ऑफ़ सरगढ़ी पर फिल्म बनाना चाहते थे। हालाँकि, इस युद्ध पर सुरिंदर शर्मा की पंजाबी फिल्म बैटल ऑफ़ सरगढ़ी की शूटिंग भी शुरू हो चुकी थी। यह फिल्म एक मेगाबजट फिल्म बनने वाली थी। फिल्म के नायक अक्षय कुमार बनने थे। सलमान खान और करण जौहर का रोल केवल बतौर निर्माता था। लेकिन, अब पता चला है कि यह फिल्म बंद कर दी गई है। क्या अक्षय और सलमान के बीच किसी बैटल का नतीजा है सरगढ़ी पर फिल्म का बंद होना? सूत्र बताते हैं कि इस विषय पर दूसरे निर्माता भी फिल्म बना रहे थे। इनमे अजय देवगन सबसे आगे थे। वह रणदीप हूडा को नायक बना कर राजकुमार संतोषी के साथ इस फिल्म का निर्माण कर रहे थे। उनका प्रयास काफी आगे बढ़ चूका था। इसलिए अजय देवगन ने सलमान खान को एक भावुक पत्र लिख कर अनुरोध किया कि वह इस विषय पर फिल्म को आगे न बढायें। सलमान खान और अजय देवगन बांद्रा बॉयज होने के कारण अच्छे दोस्त हैं। अजय देवगन और सलमान खान ने एक साथ हम दिल दे चुके सनम और लंदन ड्रीम्स जैसी फ़िल्में की हैं। अजय देवगन ने सलमान खान की फिल्म रेडी में कैमिया किया था। वहीँ सलमान खान ने भी अजय देवगन की फिल्म सन ऑफ़ सरदार में कैमिया कर अपनी दोस्ती का परिचय दिया था। ऐसे में यह कैसे संभव था कि दोस्त गुज़ारिश करे और सलमान खान न माने ! सलमान-अक्षय बैटल का दूसरा कारण बताई जा रही है रेशमा शेट्टी। जानकार अच्छी तरह से जानते हैं कि कुछ समय पहले तक रेशमा शेट्टी सलमान खान के लिए काम करती थी। पिछले दिनों इन दोनों का अलगाव हो गया। अक्षय कुमार ने इसी रेशमा शेट्टी को अपना सेक्रेटरी बना लिया था। अक्षय की इस हरकत से सलमान खान नाराज़ हो गए। अब दोनों में से कारण कौन सा है, यह तो अक्षय कुमार, सलमान खान और करण जौहर में से कोई बता सकता है कि बैटल ऑफ़ सरगढ़ी क्यों नहीं बना रहे !
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Friday, 21 July 2017
लिंकिन पार्क के चेस्टर बेननिंगटन ने आत्महत्या की
हाइब्रिड थ्योरी से रॉक म्यूजिक के आकाश में चमके रॉक बैंड लिंकिन पार्क के मुख्य गायक चेस्टर बेननिंगटन (४१ साल) ने फांसी में झूल कर खुद को ख़त्म कर लिया। इस आत्महत्या के पीछे की दुखद बात यह है कि मई में ही साउंडगार्डन की गायिका क्रिस कॉर्नेल, जिससे बेननिंगटन प्रेम करते थे, ने आत्महत्या कर ली थी। लिंकिन पार्क की स्थापना १९९६ में हुई थी। इस बैंड के एल्बम लिंकिन पार्क की वर्ल्डवाइड ७० मिलियन कॉपियां बिकी थी तथा दो ग्रैमी अवार्ड्स जीते थे। इस बैंड के हिट अलबमों में फैंट, इन द एन्ड और क्रॉलिंग शामिल हैं।
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गीत संगीत
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Thursday, 20 July 2017
Akshay Kumar, Bhumi Pednekar and Anupam Kher promote Toilet- Ek Prem Katha in London
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फोटो फीचर
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अजय देवगन बनेंगे तानाजी
सिंघम अभिनेता अजय देवगन अब दूसरी बार ऐतिहासिक किरदार करने जा रहे हैं। अजय देवगन ने पहली बार २००२ में, निर्देशक राजकुमार संतोषी की फिल्म द लीजेंड ऑफ़ भगतसिंह में भगत सिंह का किरदार किया था। अब वह फिल्म तानाजी द अनसंग वारियर में मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज की मराठा रेजिमेंट के सूबेदार तथा शिवाजी के अभिन्न मित्र और विश्वसनीय तानाजी मालुसरे का किरदार करेंगे। बड़े बजट से बनाई जा रही इस फिल्म के निर्माता खुद अजय देवगन होंगे। अजय देवगन ने ट्वीट कर अपनी प्रशंसकों को इस खबर की जानकारी देते हुए लिखा,'वह अपने लोगों, अपनी धरती और अपने राजा छत्रपति शिवजी के लिए लड़ा। शानदार भारतीय इतिहास का यह गुमनाम योद्धा था सूबेदार तानाजी मालुसरे।' उन्होंने साथ में फिल्म का पोस्टर भी जारी किया। अजय देवगन की इस फिल्म का निर्देशन ओम राउत करेंगे, जिन्होंने लोकमान्य: एक युग पुरुष जैसी फिल्म से फिल्मफेयर पुरस्कार जीता था। अजय देवगन की योजना तानाजी द अनसंग वारियर को २०१९ में रिलीज़ करने की है।
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Wednesday, 19 July 2017
नया ब्लेड रनर बनेगा ऑफ़िसर के
वॉर्नर ब्रदर्स द्वारा पिछले दिनों जारी किये गए ब्लेड रनर २०४९ के चित्रों में रयान गॉस्लिंग और हैरिसन फोर्ड नज़र आते हैं। फिल्म में रयान ने ऑफिसर के और फोर्ड ने रिक डेकार्ड का किरदार किया है। डेकार्ड ने के पर अपनी पिस्तौल तान रखी है। कोई ३५ साल पहले दुनिया के दर्शकों ने रिडले स्कॉट की फिल्म ब्लेड रनर (१९८२) में हैरिसन फोर्ड को ब्लेड रनर रिक डेकार्ड के किरदार में देखा था। १९८२ की फिल्म में ब्लेड रनर को चार प्रतिकृतियों द्वारा खुद को बनाने वाले व्यक्ति की जानकारी करने के लिए पृथ्वी जाने के लिए अंतरिक्ष से एक यान चुरा लिया है। ब्लेड रनर को किसी भी तरह से इन्हे पकड़ना है। ब्लेड रनर २०४९ में पेंच यह है कि भावी ब्लेड रनर ऑफिसर के के सामने भी अपनी पहचान का सवाल उठ खड़ा हुआ है। उसके तमाम सवालों का जवाब रिक डेकार्ड ही दे सकता है, जिसके सामने भी ऐसा ही सवाल उठ खड़ा हुआ था। १९८२ की ब्लेड रनर का निर्देशन करने वाले रिडले स्कॉट, ब्लेड रनर २०४९ के सिर्फ एग्जीक्यूटिव प्रोडूसर ही है। उनसे निर्देशन की कमान डेनिस विलनेउवे (अराइवल, प्रिसनर्स) के पास आ गई है। ब्लेड रनर (१९८२) हॉलीवुड की विज्ञान फैन्टसी फिल्मों का चेहरा बदल देने वाली फिल्म मानी जाती है। क्या ब्लेड रनर २०४९ ऐसा ही कोई कारनामा दिखा पाने में कामयाब होगी ?
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हॉलीवुड
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जैक रयान का मिना मसऊदी बनेगा अलादीन
पिछले काफी समय से डिज्नी की अपनी लाइव एक्शन फिल्म अलादीन के लिए एक्टर की तलाश अब ख़त्म हो गई है। डिज्नी को अपनी लाइव एक्शन फिल्म अलादीन के लिए ऐसे अलादीन की तलाश थी, जो साउथ एशिया से हो, नाच और गा लेता हो। अभिनय तो ज़रूरी था ही। इसके लिए पूरे विश्व को खंगाला गया। अब जा कर यह तलाश पूरी हुई है। कैनेडियन मिस्री एक्टर मिना मसऊदी डिज्नी की गय रिची निर्देशित फिल्म अलादीन टाइटल रोल करेंगे। मिना को दर्शक टीवी सीरीज जैक रयान के तारेक कसर के किरदार के तौर पर पहचानते हैं। उन्होंने शार्ट फिल्मों के अलावा हॉलीवुड की इक्कादुक्का फ़िल्में ही की हैं। फिल्म में उनकी जैस्मिन का किरदार अभिनेत्री नाओमी स्कॉट (पॉवर रेंजर्स) करेंगी। हालाँकि, इस किरदार के लिए भारतीय एक्ट्रेस तारा सुतारिया के नाम पर भी विचार किया गया था। अलादीन की मदद करने वाले जिनी का किरदार अभिनेता विल स्मिथ करेंगे। अलादीन डिज्नी की १९९२ की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली एनीमेशन फिल्म अलादीन का रीमेक है। इस फिल्म के गीत-संगीत को ऑस्कर पुरस्कारों से नवाज़ा गया था। इसीलिए लाइव एक्शन फिल्म में संगीत काफी अहम् हो गया था। इस फिल्म की पटकथा जॉन ऑगस्ट (बिग फिश) ने लिखी है। पहले इस फिल्म की शूटिंग जुलाई में ही शुरू हो जानी थी। लेकिन, अलादीन की तलाश ने इसे अब अगस्त तक टाल दिया है। यहाँ बताते चलें कि अलादीन की कास्ट के लिए एकता कपूर की फिल्म कुकू माथुर की झंड हो गई के अभिनेता सिद्धार्थ गुप्ता को लिए जाने की अफवाह उड़ गई थी। एक बार तो जस्मिन के लिए प्रियंका चोपड़ा के नाम को भी उछाला गया था।
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हॉलीवुड
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माइकल जैक्सन बनना चाहता है बॉलीवुड का मुन्ना !
शब्बीर खान की फिल्म मुन्ना माइकल गन्दी बस्ती में रहने वाले लडके मुन्ना की कहानी है, जिसका आदर्श माइकल जैक्सन है। उसी बस्ती में एक गैंगस्टर महिंदर फौजी है, जो डांस सीखना चाहता है। इसके लिए वह मुन्ना से डांस सिखाने के लिए कहता है। चूंकि, मुन्ना के आदर्श माइकल जैक्सन है और खुद मुन्ना माइकल जैक्सन की तरह डांस करना चाहता है तथा गैंगस्टर महिंदर फौजी भी डांस सीखना चाहता है, इसलिए स्वाभाविक है कि फिल्म में डांस होंगे। फिल्म के आधा दर्जन से ज़्यादा गीतों में पाश्चात्य संगीत का ज़ोर है। इन गीतों में कुछ पर टाइगर श्रॉफ अकेले अथवा अपनी नायिका निधि अगरवाल के साथ थिरकते दिखाई दे चुके हैं। इस लिहाज़ से मुन्ना माइकल डांस फिल्म बन जाती है।
डांस फ़िल्में बनाना आसान नहीं। इसके लिए अच्छे निर्देशक के अलावा उस्ताद कोरियोग्राफर और डांस कर सकने वाले अभिनेता अभिनेत्री बड़ी ज़रुरत होते हैं। कोई डांस फिल्म तभी बन सकती है, जब उसके नायक या नायिका में से कोई या दोनों ही अच्छे डांसर हों। साठ के दशक से पहले तक शास्त्रीय और लोक नृत्य पर आधारित फ़िल्में बनती रहती थी। फिल्म के कथानक के लिहाज़ से यह ज़रूरी तत्व हुआ करता था। इन फ़िल्मी नृत्यों में भारत नाट्यम और कुचिपुड़ी प्रभाव वाले नृत्य हुआ करते थे। वी शांताराम ने ठेठ नृत्य आधारित फिल्म झनक झनक बाजे पायल का निर्माण १९५५ में किया था। एक नृत्य गुरु हवेली में अपनी हार का बदला लेने के लिए अपने बेटे को तैयार करता है। इस फिल्म में अभिनेत्री जयश्री ने नायिका की भूमिका की थी। फिल्म में नायक गोपीकृष्ण थे। गोपीकृष्ण तो महान नर्तक थे ही, जयश्री भी कुछ कम नहीं थी। अपनी कहानी, संगीत और नृत्य के यह कारण यह फिल्म हिट हुई, लेकिन इसके बावजूद डांस फ़िल्में बनने का सिलसिला नहीं बना। इसके बावजूद नवरंग जैसी नृत्य प्रधान फिल्म बनी। ज़्यादातर फ़िल्में वी शांताराम ने ही बनाई, जो नृत्य के अच्छे जानकार थे। उनकी फिल्म गीत गाया पत्थरों ने, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, आदि डांस आधारित संगीतमय फ़िल्में थी। उस दौर की मराठी और दक्षिण की अभिनेत्रियों ने अपनी नृत्य क्षमता के बलबूते हिंदी फिल्मों में नृत्य को बनाये रखा। वैसे झनक झनक पायल बाजे से पहले १९४८ में उदय शंकर ने अपनी नृत्यांगना पत्नी अमला शंकर को नायिका बना कर डांस बैले फिल्म कल्पना का निर्माण किया। फिल्म के नायक उदय शंकर ही थी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से मात खाई। इस फिल्म से दक्षिण की अभिनेत्री पद्मिनी का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था। पद्मिनी ने १९६० में रिलीज़ फिल्म कल्पना में अपनी बहन रागिनी के साथ मन्ना डे के गाये गीत तू है मेरा प्रेम देवता गीत पर यादगार युगल नृत्य किया था।
तवायफ किरदारों ने बचाया डांस को
लेकिन, अमिताभ बच्चन के एंग्री यंगमैन किरदार के पैदा होने के साथ ही जयप्रदा, मीनाक्षी शेषाद्रि, श्रीदेवी, रेखा, आदि नृत्यांगना अभिनेत्रियां जैसे नृत्य करना ही भूल गई। अलबत्ता इस दौर में रेखा और जयप्रदा ने मुजरे के तौर पर डांस को बचाये रखा। जयाप्रदा की फिल्म सुर संगम ठेठ नृत्य प्रधान फिल्म थी। उनका डेब्यू तो नृत्य संगीत से भरपूर फिल्म सरगम से ही हुआ था। जयाप्रदा का शराबी फिल्म में मीना का किरदार एक तवायफ का था। रेखा का फिल्म मुक़द्दर का सिकंदर का जोहरा बाई का किरदार आज भी यादगार है। मीनाक्षी शेषाद्रि ने फिल्म दामिनी में शिव तांडव कर दर्शकों को चौंका दिया था। मीनाक्षी शेषाद्रि और आशा पारेख डांस स्कुल चलाती है। वहीदा रहमान की फिल्म गाइड एक नृत्यांगना रोजी की कहानी थी। मीना कुमारी की फिल्म पाकीज़ा और रति अग्निहोत्री की फिल्म तवायफ अपनी महिला किरदारों के कारण मुजरा नृत्य से भरपूर थी।
डांसर की दरकार डांस फिल्मों को
अगर फिल्म इंडस्ट्री के पास कोई अच्छा डांसर हो तो डांस फ़िल्में बन ही जाती हैं। मिथुन चक्रवर्ती को गरीब निर्माताओं का अमिताभ बच्चन कहा जाता था। उन्होंने बॉलीवुड में डिस्को फिल्मों की शुरुआत की। डिस्को डांसर और डांस डांस फिल्मों से हिंदी फिल्मों में डिस्को डांस को लोकप्रिय बनाया। वह अपनी जासूसी फिल्मों में भी डिस्को करते नज़र आते थे। गोविंदा भी अपनी नृत्य प्रतिभा के बलबूते हिंदी फिल्मों के हीरो बने। उन्होंने लव ८६, इलज़ाम, तन बदन, जैसी फिल्मों से अपनी नृत्य प्रतिभा से अपने लिए दर्शक तैयार कर लिए। उनकी नृत्य प्रतिभा को भुनाने के लिए के एस सुभाष ने नाच गोविंदा नाच का निर्माण किया। १९८६ में ही दक्षिण की नृत्यांगना सुधा चंद्रन ने डांस आधारित फिल्म नाचे मयूरी से फिल्म डेब्यू किया। यश चोपड़ा ने माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर की नृत्य प्रतिभा का उपयोग अपनी फिल्म दिल तो पागल है में किया। इस फिल्म के लिए करिश्मा कपूर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। यश चोपड़ा ने २००७ में नृत्य फिल्म आजा नचले से माधुरी दीक्षित की वापसी कराने की असफल कोशिश की। सुभाष घई ने ऐश्वर्या राय को लेकर नृत्य फिल्म ताल का निर्माण किया। अपने हिट नृत्य गीतों के कारण यह फिल्म हिट हुई। रामगोपाल वर्मा ने पहले उर्मिला मातोंडकर के साथ रंगीला और फिर अंतरा माली के साथ फिल्म नाच का निर्माण किया।
बॉलीवुड के प्रभाव वाली नृत्य फ़िल्में
हिंदी फिल्मों में नृत्य की बॉलीवुड शैली बन गई है। फिल्मों के डांसों में खालिसपन नहीं होता। किसी नृत्य में भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, फोक, आदि का मिलाजुला असर देखा जा सकता है। गुजराती डांस शैली के नाम पर डांडिया और गरबा की घालमेल समूह नृत्य देखा जा सकता है। ऐसे ही बॉलीवुड डांस पर आधारित फिल्म थी आदित्य चोपड़ा की रब ने बना दी जोड़ी। इस फिल्म की बेमेल जोड़ी एक रियलिटी शो में जीत के बाद ही सही जोड़ी बन जाती थी। फिल्म में शाहरुख़ खान और अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिका में थे। कोरियोग्राफर रेमो डिसूज़ा ने बॉलीवुड डांस पर आधारित दो फिल्मों एबीसीडी या एनी बडी कैन डांस और एबीसीडी २ का निर्माण किया। एबीसीडी २ से वरुण धवन को अपनी नृत्य प्रतिभा दिखाने का मौक़ा मिला।
डांस जो आइटम बन गएडांस फ़िल्में बनाना आसान नहीं। इसके लिए अच्छे निर्देशक के अलावा उस्ताद कोरियोग्राफर और डांस कर सकने वाले अभिनेता अभिनेत्री बड़ी ज़रुरत होते हैं। कोई डांस फिल्म तभी बन सकती है, जब उसके नायक या नायिका में से कोई या दोनों ही अच्छे डांसर हों। साठ के दशक से पहले तक शास्त्रीय और लोक नृत्य पर आधारित फ़िल्में बनती रहती थी। फिल्म के कथानक के लिहाज़ से यह ज़रूरी तत्व हुआ करता था। इन फ़िल्मी नृत्यों में भारत नाट्यम और कुचिपुड़ी प्रभाव वाले नृत्य हुआ करते थे। वी शांताराम ने ठेठ नृत्य आधारित फिल्म झनक झनक बाजे पायल का निर्माण १९५५ में किया था। एक नृत्य गुरु हवेली में अपनी हार का बदला लेने के लिए अपने बेटे को तैयार करता है। इस फिल्म में अभिनेत्री जयश्री ने नायिका की भूमिका की थी। फिल्म में नायक गोपीकृष्ण थे। गोपीकृष्ण तो महान नर्तक थे ही, जयश्री भी कुछ कम नहीं थी। अपनी कहानी, संगीत और नृत्य के यह कारण यह फिल्म हिट हुई, लेकिन इसके बावजूद डांस फ़िल्में बनने का सिलसिला नहीं बना। इसके बावजूद नवरंग जैसी नृत्य प्रधान फिल्म बनी। ज़्यादातर फ़िल्में वी शांताराम ने ही बनाई, जो नृत्य के अच्छे जानकार थे। उनकी फिल्म गीत गाया पत्थरों ने, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, आदि डांस आधारित संगीतमय फ़िल्में थी। उस दौर की मराठी और दक्षिण की अभिनेत्रियों ने अपनी नृत्य क्षमता के बलबूते हिंदी फिल्मों में नृत्य को बनाये रखा। वैसे झनक झनक पायल बाजे से पहले १९४८ में उदय शंकर ने अपनी नृत्यांगना पत्नी अमला शंकर को नायिका बना कर डांस बैले फिल्म कल्पना का निर्माण किया। फिल्म के नायक उदय शंकर ही थी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से मात खाई। इस फिल्म से दक्षिण की अभिनेत्री पद्मिनी का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था। पद्मिनी ने १९६० में रिलीज़ फिल्म कल्पना में अपनी बहन रागिनी के साथ मन्ना डे के गाये गीत तू है मेरा प्रेम देवता गीत पर यादगार युगल नृत्य किया था।
तवायफ किरदारों ने बचाया डांस को
लेकिन, अमिताभ बच्चन के एंग्री यंगमैन किरदार के पैदा होने के साथ ही जयप्रदा, मीनाक्षी शेषाद्रि, श्रीदेवी, रेखा, आदि नृत्यांगना अभिनेत्रियां जैसे नृत्य करना ही भूल गई। अलबत्ता इस दौर में रेखा और जयप्रदा ने मुजरे के तौर पर डांस को बचाये रखा। जयाप्रदा की फिल्म सुर संगम ठेठ नृत्य प्रधान फिल्म थी। उनका डेब्यू तो नृत्य संगीत से भरपूर फिल्म सरगम से ही हुआ था। जयाप्रदा का शराबी फिल्म में मीना का किरदार एक तवायफ का था। रेखा का फिल्म मुक़द्दर का सिकंदर का जोहरा बाई का किरदार आज भी यादगार है। मीनाक्षी शेषाद्रि ने फिल्म दामिनी में शिव तांडव कर दर्शकों को चौंका दिया था। मीनाक्षी शेषाद्रि और आशा पारेख डांस स्कुल चलाती है। वहीदा रहमान की फिल्म गाइड एक नृत्यांगना रोजी की कहानी थी। मीना कुमारी की फिल्म पाकीज़ा और रति अग्निहोत्री की फिल्म तवायफ अपनी महिला किरदारों के कारण मुजरा नृत्य से भरपूर थी।
डांसर की दरकार डांस फिल्मों को
अगर फिल्म इंडस्ट्री के पास कोई अच्छा डांसर हो तो डांस फ़िल्में बन ही जाती हैं। मिथुन चक्रवर्ती को गरीब निर्माताओं का अमिताभ बच्चन कहा जाता था। उन्होंने बॉलीवुड में डिस्को फिल्मों की शुरुआत की। डिस्को डांसर और डांस डांस फिल्मों से हिंदी फिल्मों में डिस्को डांस को लोकप्रिय बनाया। वह अपनी जासूसी फिल्मों में भी डिस्को करते नज़र आते थे। गोविंदा भी अपनी नृत्य प्रतिभा के बलबूते हिंदी फिल्मों के हीरो बने। उन्होंने लव ८६, इलज़ाम, तन बदन, जैसी फिल्मों से अपनी नृत्य प्रतिभा से अपने लिए दर्शक तैयार कर लिए। उनकी नृत्य प्रतिभा को भुनाने के लिए के एस सुभाष ने नाच गोविंदा नाच का निर्माण किया। १९८६ में ही दक्षिण की नृत्यांगना सुधा चंद्रन ने डांस आधारित फिल्म नाचे मयूरी से फिल्म डेब्यू किया। यश चोपड़ा ने माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर की नृत्य प्रतिभा का उपयोग अपनी फिल्म दिल तो पागल है में किया। इस फिल्म के लिए करिश्मा कपूर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। यश चोपड़ा ने २००७ में नृत्य फिल्म आजा नचले से माधुरी दीक्षित की वापसी कराने की असफल कोशिश की। सुभाष घई ने ऐश्वर्या राय को लेकर नृत्य फिल्म ताल का निर्माण किया। अपने हिट नृत्य गीतों के कारण यह फिल्म हिट हुई। रामगोपाल वर्मा ने पहले उर्मिला मातोंडकर के साथ रंगीला और फिर अंतरा माली के साथ फिल्म नाच का निर्माण किया।
बॉलीवुड के प्रभाव वाली नृत्य फ़िल्में
हिंदी फिल्मों में नृत्य की बॉलीवुड शैली बन गई है। फिल्मों के डांसों में खालिसपन नहीं होता। किसी नृत्य में भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, फोक, आदि का मिलाजुला असर देखा जा सकता है। गुजराती डांस शैली के नाम पर डांडिया और गरबा की घालमेल समूह नृत्य देखा जा सकता है। ऐसे ही बॉलीवुड डांस पर आधारित फिल्म थी आदित्य चोपड़ा की रब ने बना दी जोड़ी। इस फिल्म की बेमेल जोड़ी एक रियलिटी शो में जीत के बाद ही सही जोड़ी बन जाती थी। फिल्म में शाहरुख़ खान और अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिका में थे। कोरियोग्राफर रेमो डिसूज़ा ने बॉलीवुड डांस पर आधारित दो फिल्मों एबीसीडी या एनी बडी कैन डांस और एबीसीडी २ का निर्माण किया। एबीसीडी २ से वरुण धवन को अपनी नृत्य प्रतिभा दिखाने का मौक़ा मिला।
जिन गीतों में खालिसपन नहीं होता, वह आइटम डांस बन सकते हैं। संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास का डोला रे डोला गीत ऐश्वर्या राय बच्चन और माधुरी दीक्षित की बेमिसाल नृत्य प्रतिभा और केमिस्ट्री के कारण ख़ास बन गया। सरोज खान ने यह गीत कत्थक और भरतनाट्यम को मिला कर तैयार किया था। हेलेन अच्छी डांसर थी। फिल्म शोले में उनके जलाल आगा के साथ गीत महबूबा महबूबा की ज़रुरत नहीं थी। यह ख़ास आइटम सांग के बतौर रखा गया था। माधुरी दीक्षित पर भी कुछ गीत आइटम के तौर पर रखे गए। मसलन, फिल्म तेज़ाब का एक दो तीन, बेटा का दिल धक् धक् करने लगा, खलनायक का चोली के पीछे क्या है, अंजाम का ज़ोराजोरी चने के खेत में, सैलाब का हमको आजकल है इंतज़ार, आदि गीत उनके उत्तेजक नृत्य के कारण आइटम सांग के बतौर याद किये जाते हैं। इसी प्रकार से दबंग का मुन्नी बदनाम हुई, मिस्टर इंडिया का काटे नहीं कटते, दिल से का छइयां छइयां, आदि गीत आइटम डांस के बतौर शामिल किये गए। कटरीना कैफ ने चिकनी चमेली और शीला की जवानी गीत में बढ़िया आइटम डांस किया।
जिन्होंने डांस से सजाई फ़िल्में
शुरूआती दौर के बॉलीवुड में बी सोहनलाल और बी हीरालाल भाइयों ने नृत्य को परवान चढ़ाया। यह दोनों कत्थक के उस्ताद थे। इन दोनों ने शुरूआती दौर की ज़्यादातर फिल्मों की कोरियोग्राफी की। इनके अलावा लच्छू महाराज, चिमन सेठ, कृष्ण कुमार, आदि ने शुरूआती फिल्मों में नृत्य निर्देशन किया । आजकल गणेश आचार्य, गणेश हेगड़े, श्यामक डावर, सरोज खान, अहमद खान, राजू खान, फरहा खान, वैभवी मर्चेंट, रेमो डिसूज़ा, टेरेंस लेविस, आदि नृत्य संयोजन का काम बखूबी सम्हाले हुए हैं।
शुरूआती दौर के बॉलीवुड में बी सोहनलाल और बी हीरालाल भाइयों ने नृत्य को परवान चढ़ाया। यह दोनों कत्थक के उस्ताद थे। इन दोनों ने शुरूआती दौर की ज़्यादातर फिल्मों की कोरियोग्राफी की। इनके अलावा लच्छू महाराज, चिमन सेठ, कृष्ण कुमार, आदि ने शुरूआती फिल्मों में नृत्य निर्देशन किया । आजकल गणेश आचार्य, गणेश हेगड़े, श्यामक डावर, सरोज खान, अहमद खान, राजू खान, फरहा खान, वैभवी मर्चेंट, रेमो डिसूज़ा, टेरेंस लेविस, आदि नृत्य संयोजन का काम बखूबी सम्हाले हुए हैं।
अपनी फिल्म में डांस की बात करें तो सीरियस अभिनेता राजकुमार राव भी डांस फिल्म करना चाहते हैं। निधि अगरवाल जैसे नवोदित अभिनेत्री भी डांस पर ध्यान दे रही है। टाइगर श्रॉफ का जलवा तेज़ रफ़्तार डांस के बलबूते ही है। लेकिन टेरेंस लेविस जैसे कोरियोग्राफर का मानना है कि आजकल की डांस आधारित फिल्मों में नवीनता नहीं होती। यह फ़िल्में हॉलीवुड की डांस फिल्मों की नक़ल ही होती हैं। उनके विचार से हॉलीवुड फिल्मों में डांस सशक्त कहानी के साथ जुड़ा होता है। वह कहते हैं, "मैंने अब तक जितनी बॉलीवुड की डांस फ़िल्में देखी हैं, सभी हॉलीवुड फिल्मों की नक़ल में हैं।" क्या मुन्ना माइकल के साथ अच्छी कहानी भी जुडी होगी ?
अल्पना कांडपाल
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
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सोनी के टीवी शो ड्रामा कंपनी में बबिता फोगट ने कृष्णा अभिषेक पर आजमाए कुश्ती के दांव
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
क्या सफल होगी अक्किनेनी परिवार के सुमंत की वापसी !
दक्षिण के तेलुगु फिल्म उद्योग के प्रतिष्ठित अक्किनेनी नागेश्वर राव के पोते सुमंत मज़बूत पृष्ठभूमि के बावजूद तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में अपने पाँव नहीं जमा पाए। हालाँकि, उन्होंने सत्यम, गोदावरी, आदि हिट फ़िल्में दी हैं। लेकिन, पिछली फिल्म नरूदा डोनरूदा' जो हिंदी फिल्म विक्की डोनर का तेलुगु रीमेक थी, की बड़ी असफलता के बाद तेलुगु दर्शक सुमंत को चुका हुआ मानने लगे थे। लेकिन, सुमंत ने जैसे वापसी के लिए कमर कस ली है। वह मल्ली राव फिल्म से अपनी ज़बरदस्त वापसी के लिए तैयार हैं। नायक प्रधान इस फिल्म नायक के पच्चीस साल के जीवन की कहानी है। यह फिल्म १३ साल के एक किशोर से शुरू हो कर ३८ साल के युवा के अनुभवों की दास्ताँ है। फिल्म में सुमंत की नायिका बद्रीनाथ की दुल्हनिया की आकांक्षा सिंह हैं। इस फिल्म से गौतम थिन्नानूरी का डायरेक्टोरियल डेब्यू हो रहा है। फिल्म का टीज़र अगस्त में रिलीज़ होगा। टीज़र रिलीज़ के बाद फिल्म की रिलीज़ की तारीख का ऐलान किया जायेगा।
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साउथ सिनेमा
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Tuesday, 18 July 2017
ज़ोंबी फिल्मों के पितामह रोमेरो का देहांत
ज़ोंबी फिल्मों के पितामह जॉर्ज ए रोमेरो का कल निधन हो गया। उनकी कम बजट की नाईट ऑफ़ द लिविंग डेड और डॉन ऑफ़ द डेड जैसी फिल्मों के ज़ोंबी यानि चलते फिरते मुर्दों ने दुनिया के दर्शकों को दशकों तक दहलाया। मृत्यु के समय वह ७७ साल के थे। वह कैंसर से पीड़ित थे। पिट्सबर्ग के लेखक-निर्देशक रोमेरो ने १९६८ में केवल १ लाख १४ हजार डॉलर के बजट से नाईट ऑफ़ द लिविंग डेड का निर्माण किया था । गांव के फार्महाउस में ज़ोम्बियों से घिर गए सात दोस्तों की कहानी वाली इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ३० मिलियन डॉलर का ग्रॉस किया। इसके बाद तो ज़ोंबी फिल्मों और टीवी शो का सिलसिला चल निकला। लेकिन, इस फिल्म के कारण वह कॉपीराइट एक्ट के लफड़े में फंस गए। इसके फलस्वरूप उन्हें न केवल अपने मुनाफे से हाथ धोना पड़ा, बल्कि ज़ोंबी फिल्मों से दूरी भी बनानी पड़ी। इस दौरान उन्होंने देयर इज ऑलवेज वनीला, हंगरी वाइव्स और द क्रैजीज जैसी फ़िल्में बनाई। उन्होंने डौन ऑफ़ द डेड से पुनः वापसी की।
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श्रद्धांजलि
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आरजे और तमिल फिल्म एक्ट्रेस राम्या सुब्रहमनियन
बिग एफएम ९२.७ की आरजे राम्या उर्फ़ राम्या सुब्रहमनियन टेलीविज़न पर कई प्रोग्राम कर चुकी हैं। उन्होंने शादी से पहले तीन तमिल फ़िल्में की थी। फरवरी २०१४ में शादी के बाद उन्होंने फ़िल्में छोड़ दी। सितम्बर २०१५ में उन्होंने अपनी शादी ख़त्म हो जाने का ऐलान ट्विटर पर किया। २०१५ में वह अभिनेता दुलकर रहमान की मणि रत्नम निर्देशित फिल्म ओ कधल कनमनी में रहमान की दोस्त अनन्या का किरदार कर समीक्षकों की प्रशंसा बटोरी। जून में उनकी जयम रवि और सायेशा के साथ जंगल फिल्म वनमगन रिलीज़ हुई है।
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साउथ सिनेमा,
हस्तियां
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Monday, 17 July 2017
कमल हासन से नाराज़ क्यों तमिलनाडु सरकार !
तमिलनाडु की अन्ना द्रमुक सरकार के एक मंत्री ने कमल हासन को तीसरे दर्जे का एक्टर बताया है। दरअसल तमिल भाषा में बिग बॉस को होस्ट कर रहे कमल हासन ने तमिलनाडु की सरकार को भ्रष्ट करार दिया था। इससे तमिलनाडु सरकार तमिल फिल्मों के डेमीगॉड कमल हासन से बुरी तरह से नाराज़ हो गई है। उनका इरादा कमल हासन को पूरी तरह से नकारने का है। उन पर बिग बॉस के ज़रिये तमिल संस्कृति नष्ट करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। तमिलनाडु के एक मंत्री मंत्री सीवी षणमुगम ने कहा कि कमल हासन घटिया एक्टर हैं, उनके पास कोई काम नहीं है, वह पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं। मंत्री ने कमल हासन पर निजी तौर पर भी प्रहार किया। उन्होंने कमल हासन के एक्ट्रेस गौतमी के साथ लिव इन रिलेशन को निशाना बनाते हुए कहा कि वह आदमी महिलाओं के अधिकारों पर कैसे बोल सकता है, जो खुद एक औरत के साथ बिना शादी किये रह रहा हो। कुछ मंत्रियों ने तो कमल हासन का टैक्स ऑडिट कराने की भी धमकी दी है।
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सुपर हिट फिल्मों के सचिन भौमिक
१७ जुलाई १९३० को जन्में हिंदी फिल्मों के कथा-पटकथा लेखक सचिन भौमिक ने कोई ९४ फ़िल्में लिखी। उनके करियर की शुरुआत मोहन सहगल की नरगिस और बलराज साहनी अभिनीत फिल्म लाजवंती (१९५८) से हुई थी। उन्होंने साठ के दशक में अनुराधा, आई मिलन की बेला, जानवर, लव इन टोक्यो, आये दिन बहार के, एन इवनिंग इन पेरिस, ब्रह्मचारी, आया सावन झूम के और आराधना, सत्तर के दशक में में आन मिलो सजना, कारवां, बेईमान, दोस्त, खेल खेल में, हम किसी से कम नहीं और गोलमाल, अस्सी के दशक में क़र्ज़, दो और दो पांच, बेमिसाल, ज़माने को दिखाना है, नास्तिक, अन्दर बाहर, साहेब और कर्मा, नब्बे के दशक में मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, ये दिल्लगी, करण अर्जुन, कोयला, सोल्जर, आ अब लौट चलें और ताल तथा २००० के दशक में कोई मिल गया और कृष जैसी उल्लेखनीय फिल्में लिखी। उन्होंने राजेश खन्ना और शर्मीला टैगोर को लेकर एक फिल्म राजा रानी (१९७३) का लेखन-निर्देशन किया। उन्होंने अभिनेत्री कल्पना से विवाह किया और तलाक़ भी लिया। वह ऐसे लेखक थे जिन्होंने जे ओमप्रकाश, नासिर हुसैन, हृषिकेश मुख़र्जी, प्रमोद चक्रवर्ती, सुभाष घई और राकेश रोशन जैसे भिन्न किस्म की फ़िल्में बनाने वाले फिल्मकारों के लिए फ़िल्में लिखी। अस्सी साल की उम्र में १२ अप्रैल २०११ को उनका निधन हुआ।
लाजवंती |
राजा रानी |
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श्रद्धांजलि
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Sunday, 16 July 2017
IIFA में हिट हुआ सोनाक्षी सिन्हा का देसी अवतार
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फोटो फीचर
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नेटफ्लिक्स की सीरीज सेक्रेड गेम्स में सैफअली खान
वेब सीरीज को पसंद करने वाले दर्शकों के लिए खुशखबरी है। नेटफ्लिक्स विक्रम चंद्रा की किताब सेक्रेड गेम्स पर एक ओरिजिनल वेब सीरीज का निर्माण करने जा रहा है। विक्रम चंद्रा का यह उपन्यास २००७ में प्रकाशित हुआ था। इसे वोडाफोन क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड दिया जा चूका है। इस उपन्यास में घटनाओं और तात्कालिक परिस्थितियों का बारीक चित्रण को काफी सराहना मिली थी। नेटफ्लिक्स ने २०१६ में भारत के मनोरंजन जगत में पैर रखे थे। सेक्रेड गेम्स १९वी शताब्दी की मुंबई के अपराध स्थलों पर केंद्रित सीरीज है। इस सीरीज में इन जगहों के बाल अपराधियों, भ्रष्टाचार, खतरनाक अपराधियों और यौन अपराधों का चित्रण किया गया है। यानि अब इस सीरीज में एक बार फिर भाई लोगों का ज़िक्र ज़ोरदार तरीके से होगा। अनुराग कश्यप के फैंटम हाउस के साथ बनाई जा रही नेटफ्लिक्स की इस सीरीज का निर्देशन अनुराग कश्यप करेंगे। सीरीज में सैफ अली खान मुख्य भूमिका में होंगे। इस फिल्म की शूटिंग भारत में ही होगी। इस हिंदी और अंग्रेजी में बनाया जायेगा।
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Web Series
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