'तम्मा तम्मा', 'हम्मा हम्मा'
और 'तू चीज बड़ी है मस्त
मस्त' के रीमक्स वर्जन के बाद अब ९० के दशक के एक और
हिट गीत का रीमिक्स वर्जन दर्शकों के सामने पेश होने वाला है । फिल्म मुक़द्दर का
सिकंदर में रेखा पर एक मुजरा गीत सलाम- ए -इश्क मेरी जां ज़रा क़ुबूल कर लो अपने समय
का बड़ा हिट गीत साबित हुआ था। इस गीत में
रेखा और अमिताभ बच्चन का रोमांस यादगार बन पडा था। इसी हिट गीत को डीजे और
अभिनेत्री शिल्पी शर्मा, आर्को और जैस्मीन
सैंडलस ने रिज़वीड संस्करण के साथ पेश किया है। लता मंगेशकर के गाये इस गीत के
रीमिक्स वर्शन को जैस्मीन सैंडलस ने गाया है। इसका रीमिक्स आर्को ने तैयार किया है
। शिल्पी शर्मा इस वीडियो में एक नए अंदाज़ में नज़र आएगी। इस गाने को दुबई और
जमशेदपुर के रेगिस्तान और वास्तुशिल्प पर फिल्माया गया है। इससे इस वीडियो में चार
चाँद लग गए है। शिल्पी शर्मा कहती है, "हम लोग कुछ पुराने धुनों को आधुनिक मोड़ देते हैं।"
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 10 September 2017
अब रीमिक्स में सलाम- ए -इश्क
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
दुलक़र सलमान का हिंदी फिल्म डेब्यू
मलयालम फिल्म स्टार
दुलकर सलमान का हिंदी फिल्म डेब्यू होने जा रहा है। वह रोनी स्क्रूवाला की फिल्म कारवां से अपने
हिंदी फिल्म करियर की शुरुआत करेंगे।
इसमें उनका साथ हॉलीवुड में भी मशहूर हिंदी फिल्म अभिनेता इरफ़ान खान देंगे।
इस फिल्म से इंटरनेट के ज़रिये अपना क्रेज बनाने वाली अभिनेत्री मिथिला पारकर का
हिंदी फिल्म डेब्यू होगा। मिथिला ने वेब
सीरीज लिटिल थिंग्स और गर्ल इन द सिटी के ज़रिये तहलका मचा दिया था। वह मराठी फिल्म
अभिनेत्री भी हैं। इस रोड ट्रिप फिल्म का निर्देशन आकर्ष खुराना करेंगे। उनकी भी
यह पहली फिल्म होगी । आकर्ष हमशकल्स और कृष ३ के संवाद लिख चुके हैं। ३१ साल के
दुलकर सलमान मलयालम फिल्म अभिनेता मम्मूती के बेटे हैं। उन्होंने २०१२ में अपने फिल्म करियर की शुरुआत
मलयालम फिल्म सेकंड शो में एक गैंगस्टर के किरदार से की थी। निर्देशक मणि रत्नम की
रोमांटिक फिल्म ओ कधल कणमणि में उनके अभिनय की सराहना हुई। कारवां में यह केरल बॉय बेगलुरियन लडके का
किरदार करेगा। पहले इस भूमिका के लिए अभिषेक बच्चन को साइन किया जा रहा था। लेकिन, वह तारीखों की
समस्या के कारण बाहर हो गए। दुलकर की दो फ़िल्में सोलो और परवा रिलीज़ होने को हैं।
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
मलाला युसुफजई पर फिल्म
पिछले दिनों, फिल्म ‘गुल मकाई’ के पोस्टर
लॉन्च हुआ । इस पोस्टर लॉन्चिंग का ज़िक्र इसलिए ख़ास है कि यह फिल्म पाकिस्तान की नोबल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफ़ज़ई के जीवन पर है। इस फिल्म का निर्माण विजय जाजू द्वारा २०१५ में प्लान किया गया था। लेकिन, मलाला के किरदार के लिए अभिनेत्री की खोज में प्रोजेक्ट टलता चला गया। फिल्म के निर्देशक अमजद खान एक ऐसी लड़की की खोज में थे, जो उनकी फिल्म में मालाला यूसुफजई के किरदार किरदार के उपयुक्त हो। रीम शेख ने अपने मासूम चेहरे और सहज अभिनय कौशल और मलाला की तरहलुक के कारण अमजद खान को आकर्षित किया। रीम ने ये रिश्ता क्या कहलाता है, दिया और बाती हम, खेल हैं ज़िन्दगी आँख मिचौली जैसे सीरियल किये हैं। वह फरहान अख्तर और अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म वजीर कर चुकी हैं। फिल्म साइन करने के बाद से रीम मलाला की तरह रहती है। वह अपनी शैली, व्यवहार और शरीर की भाषा को वास्तविक मलाला जैसी बनाने के लिए गहन प्रशिक्षण ले रही है। इस फिल्म में दिव्या दत्ता मलाला की मां की भूमिका में होगी। शूटिंग ४ सितंबर से
भुज में शुरू हो गई है ।
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खबर है
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
हिंदी फिल्मों के विलेन होते हैं गॉडमैन
जेल में २० साल की सज़ा काट रहे गुरमीत राम रहीम एक्टिंग करने के भी शौक़ीन हैं। वह खुद फ़िल्में बनाते थे। उसके हीरोइन छोड़ कर सब कुछ हुआ करते थे। वह पिछले तीन सालों में पांच फ़िल्में बना चुके हैं। एमएसजी : मेसेंजर ऑफ़ गॉड सीरीज की उनकी फ़िल्में ख़ास लोकप्रिय हुई। अब यह बात दीगर है कि अपने कारनामों की वजह से वह आज जेल में हैं। कोई शक नहीं अगर बॉलीवुड से कोई फिल्म उनके कारनामों पर बनाये जाने का ऐलान हो जाए। बॉलीवुड को ऎसी किसी घटना का इंतज़ार रहता है।
वास्तविकता तो यह है कि हिंदी फिल्मों में गॉडमैन को हमेशा से जगह मिली है। यह स्वाभाविक भी है। हिंदुस्तान की जनता धार्मिक रूप से भीरु है। उन्हें भगवान् और उनके संदेशवाहकों के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव रहता है। हिंदी फ़िल्में इन गॉडमैन को बड़े ही पॉजिटिव तरीके से पेश किया है। यह फ़िल्में गॉडमैन के टोटकों, अपने भक्तों के अंधविश्वास का फायदा उठाने की तरकीबों और उनकी कारगुज़ारियों पर केंद्रित रही हैं। यह फ़िल्में बताती हैं कि अंधश्रद्धा ठीक नहीं। यह फ़िल्में यह भी साबित कराती हैं कि सभी बाबा, स्वामी या गॉडमैन फ़र्ज़ी नहीं।
बॉलीवुड फिल्मों के ठग साधु-संत
हिंदी फिल्मों में सन्यासियों साधुओं का चित्रण काफी पुराना है। हेमेन गुप्ता की फिल्म आनंद मठ साधू संतों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करती थी। इस फिल्म का वन्दे मातरम गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर और प्रदीप कुमार ने सन्यासियों के किरदार बखूबी किये थे। आरके नारायण के इसी नाम के उपन्यास पर विजय आनंद ने फिल्म गाइड का निर्माण किया था। इस फिल्म में देवानंद ने राजू गाइड का किरदार किया था, जिसे परिस्थितियोंवश गाँव वालों द्वारा साधू मान लिया जाता है। वह उनके विश्वास की खातिर पानी बरसाने के लिए उपवास रखता है। नारायण की मूल कहानी का राजू गाइड भूख से बेहाल हो कर रात में भाग खडा होता है। उपन्यास अंधविश्वास पर चोट करने वाले थी। लेकिन, हिंदी गाइड में राजू पानी के लिए उपवास करता है और मर जाता है। उसके मरते ही पानी बरसने लगता है। फिल्म हेरा फेरी (१९७६) में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना साधु का वेश धर कर लोगों को ठगते हैं। अमिताभ बच्चन की शान, अमर अकबर अन्थोनी, आदि और विनोद खन्ना की फिल्म हाथ की सफाई में किरदार साधु बन कर ठगी करते हैं।
गॉडमैन की पोल खोलता जादूगर
प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन साथ कई हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी थी। इसी कड़ी में प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन को खराब समय से उबारने के लिए फिल्म जादूगर का निर्माण किया था। इस फिल्म में अमरीश पूरी के अपराधी से गॉडमैन महाप्रभु जगत सागर जगत नारायण बन कर एक छोटे कसबे धरमपुर के लोगों को ठग रहा है। उसका अमेरिका से लौटा बेटा शंकर जब यह देखता है तो वह एक जादूगर गोगा के ज़रिये अपने पिता के ढोंग का पर्दाफाश करता है। इस फिल्म में आदित्य पंचोली ने शंकर और अमिताभ बच्चन ने जादूगर गोगा का किरदार किया था। अब यह बात दीगर है कि यह फिल्म बुरी तरह से असफल हुई। इसके साथ ही प्रकाश मेहरा और अमिताभ बच्चन की निर्देशक-एक्टर जोड़ी भी टूट गई।
राजनीति और धर्म का घालमेल
रोहित शेट्टी की फिल्म सिंघम रिटर्न्स में अजय देवगन एक ईमानदार पुलिस अधिकारी बाजीराव सिंघम बने थे। २०११ की फिल्म सिंघम के इस सीक्वल में एक पाखंडी बाबा सत्यराज चंद्र बाबा से सिंघम का टकराव होता है। इस बाबा के कई बड़े नेताओं के साथ सम्बन्ध है। सिंघम इस बाबा के पाखंड का पर्दाफाश करते हुए राजनीति और धर्म के घालमेल को ख़त्म करता है। फिल्म में अमोल गुप्ते ने पाखंडी बाबा का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
ओह माय गॉड में लीलाधर स्वामी का पाखंड
उमेश शुक्ल की फिल्म ओएमजी : ओह माय गॉड स्वामियों और मुल्लाओं के पाखण्ड कर पर्दाफ़ाश करती थी कि यह कथित धर्म के ठेकेदार किस प्रकार से ईश्वर पर विश्वास करने वाली जनता के भोलेपन का फायदा अपनी स्वार्थ पूर्ती के लिए उठाते हैं। इस फिल्म में केंद्र में मिथुन चक्रवर्ती का लीलाधर स्वामी का किरदार था। पूनम झावर ने राधे माँ की नक़ल में गोपी मैया का किरदार किया था। फिल्म में अक्षय कुमार कृष्ण की भूमिका में थे। परेश रावल ने बाबाओं का पर्दाफ़ाश करने वाले व्यक्ति का किरदार किया था। लेकिन, यह फिल्म ईश्वर के अस्तित्व को नकारती नहीं थी।
धर्म और पाखण्ड को नकारता पीके
अपनी मुन्नाभाई सीरीज की फिल्मों और ३ इडियट्स जैसी व्यंग्यात्मक फिल्मों के निदेशक राजकुमार हिरानी की फिल्म पीके एक एलियन की होने के बावजूद एलियन के सवालों ज़रिये धर्म पर निशाना बनाती थी। आमिर खान ने एलियन पीके का किरदार किया था। तमाम ऊलजुलूल हरकते करने के बाद उनका पीके सीधे हिन्दू धर्म को निशाना बनाता था। इस फिल्म सौरभ ने पाखंडी बाबा तपस्वी महाराज का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
वास्तविकता तो यह है कि हिंदी फिल्मों में गॉडमैन को हमेशा से जगह मिली है। यह स्वाभाविक भी है। हिंदुस्तान की जनता धार्मिक रूप से भीरु है। उन्हें भगवान् और उनके संदेशवाहकों के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव रहता है। हिंदी फ़िल्में इन गॉडमैन को बड़े ही पॉजिटिव तरीके से पेश किया है। यह फ़िल्में गॉडमैन के टोटकों, अपने भक्तों के अंधविश्वास का फायदा उठाने की तरकीबों और उनकी कारगुज़ारियों पर केंद्रित रही हैं। यह फ़िल्में बताती हैं कि अंधश्रद्धा ठीक नहीं। यह फ़िल्में यह भी साबित कराती हैं कि सभी बाबा, स्वामी या गॉडमैन फ़र्ज़ी नहीं।
बॉलीवुड फिल्मों के ठग साधु-संत
हिंदी फिल्मों में सन्यासियों साधुओं का चित्रण काफी पुराना है। हेमेन गुप्ता की फिल्म आनंद मठ साधू संतों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करती थी। इस फिल्म का वन्दे मातरम गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर और प्रदीप कुमार ने सन्यासियों के किरदार बखूबी किये थे। आरके नारायण के इसी नाम के उपन्यास पर विजय आनंद ने फिल्म गाइड का निर्माण किया था। इस फिल्म में देवानंद ने राजू गाइड का किरदार किया था, जिसे परिस्थितियोंवश गाँव वालों द्वारा साधू मान लिया जाता है। वह उनके विश्वास की खातिर पानी बरसाने के लिए उपवास रखता है। नारायण की मूल कहानी का राजू गाइड भूख से बेहाल हो कर रात में भाग खडा होता है। उपन्यास अंधविश्वास पर चोट करने वाले थी। लेकिन, हिंदी गाइड में राजू पानी के लिए उपवास करता है और मर जाता है। उसके मरते ही पानी बरसने लगता है। फिल्म हेरा फेरी (१९७६) में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना साधु का वेश धर कर लोगों को ठगते हैं। अमिताभ बच्चन की शान, अमर अकबर अन्थोनी, आदि और विनोद खन्ना की फिल्म हाथ की सफाई में किरदार साधु बन कर ठगी करते हैं।
गॉडमैन की पोल खोलता जादूगर
प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन साथ कई हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी थी। इसी कड़ी में प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन को खराब समय से उबारने के लिए फिल्म जादूगर का निर्माण किया था। इस फिल्म में अमरीश पूरी के अपराधी से गॉडमैन महाप्रभु जगत सागर जगत नारायण बन कर एक छोटे कसबे धरमपुर के लोगों को ठग रहा है। उसका अमेरिका से लौटा बेटा शंकर जब यह देखता है तो वह एक जादूगर गोगा के ज़रिये अपने पिता के ढोंग का पर्दाफाश करता है। इस फिल्म में आदित्य पंचोली ने शंकर और अमिताभ बच्चन ने जादूगर गोगा का किरदार किया था। अब यह बात दीगर है कि यह फिल्म बुरी तरह से असफल हुई। इसके साथ ही प्रकाश मेहरा और अमिताभ बच्चन की निर्देशक-एक्टर जोड़ी भी टूट गई।
राजनीति और धर्म का घालमेल
रोहित शेट्टी की फिल्म सिंघम रिटर्न्स में अजय देवगन एक ईमानदार पुलिस अधिकारी बाजीराव सिंघम बने थे। २०११ की फिल्म सिंघम के इस सीक्वल में एक पाखंडी बाबा सत्यराज चंद्र बाबा से सिंघम का टकराव होता है। इस बाबा के कई बड़े नेताओं के साथ सम्बन्ध है। सिंघम इस बाबा के पाखंड का पर्दाफाश करते हुए राजनीति और धर्म के घालमेल को ख़त्म करता है। फिल्म में अमोल गुप्ते ने पाखंडी बाबा का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
ओह माय गॉड में लीलाधर स्वामी का पाखंड
उमेश शुक्ल की फिल्म ओएमजी : ओह माय गॉड स्वामियों और मुल्लाओं के पाखण्ड कर पर्दाफ़ाश करती थी कि यह कथित धर्म के ठेकेदार किस प्रकार से ईश्वर पर विश्वास करने वाली जनता के भोलेपन का फायदा अपनी स्वार्थ पूर्ती के लिए उठाते हैं। इस फिल्म में केंद्र में मिथुन चक्रवर्ती का लीलाधर स्वामी का किरदार था। पूनम झावर ने राधे माँ की नक़ल में गोपी मैया का किरदार किया था। फिल्म में अक्षय कुमार कृष्ण की भूमिका में थे। परेश रावल ने बाबाओं का पर्दाफ़ाश करने वाले व्यक्ति का किरदार किया था। लेकिन, यह फिल्म ईश्वर के अस्तित्व को नकारती नहीं थी।
धर्म और पाखण्ड को नकारता पीके
अपनी मुन्नाभाई सीरीज की फिल्मों और ३ इडियट्स जैसी व्यंग्यात्मक फिल्मों के निदेशक राजकुमार हिरानी की फिल्म पीके एक एलियन की होने के बावजूद एलियन के सवालों ज़रिये धर्म पर निशाना बनाती थी। आमिर खान ने एलियन पीके का किरदार किया था। तमाम ऊलजुलूल हरकते करने के बाद उनका पीके सीधे हिन्दू धर्म को निशाना बनाता था। इस फिल्म सौरभ ने पाखंडी बाबा तपस्वी महाराज का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
स्वामी की ज़ुल्म की हुकूमत
भारत रंगाचारी की एक्शन से भरपूर धर्मेंद्र, गोविंदा, किमी काटकर, ओमशिवपुरी, आदि सितारों से भरी इस फिल्म में परेश रावल ने स्वामी की वेशभूषा में रहने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन स्वामी का किरदार किया था। वह एक माध्यम वर्गीय परिवार पर कहर बन कर टूटता है। इस बदला फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर ख़ास सफलता नहीं मिली थी। लेकिन, परेश रावल स्वामी के किरदार में खूब जमे थे।
सलमान खान भी बने बाबा
सावन कुमार टाक की फिल्म सावन : द लव सीजन सलोनी झावेरी और कपिल अश्विनी जैसी छोटी स्टार कास्ट के साथ बनाई गई फिल्म थी। सावन कुमार ने सलमान खान के साथ सनम बेवफा जैसी हिट फिल्म के अलावा श्रीदेवी के साथ चाँद का टुकड़ा भी बनाई थी। उन्होंने सावन : द लव सीजन में सलमान खान को एक छोटी भूमिका में लिया था। सलमान खान की यह भूमिका देवदूत की थी, जो भविष्यवाणी कर सकता है। यह फिल्म किसी गॉडमैन का पर्दाफाश करने वाली फिल्म नहीं थी।
कुछ दूसरे बाबा या गॉडमैन
कई छोटे अभिनेताओं ने परदे पर बाबा किरदारों को किया है। इनमे ग्लोबल बाबा के अभिमन्यु सिंह, चल गुरु हो जा शुरू के संजय मिश्रा, कुकू माथुर की झंड हो गई के बृजेन्द्र काला, धरम संकट में के नसीरुद्दीन शाह और बुड्ढा मर गया के ओमपुरी के किरदार उल्लेखनीय हैं। लेकिन, कमज़ोर स्क्रिप्ट के कारण यह फ़िल्में दर्शकों पर प्रभाव नहीं छोड़ सकी।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Saturday, 9 September 2017
यमला पगला दीवाना फिर से के सेट्स से धर्मेन्द्र अपने बेटे बॉबी के साथ
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शूटिंग/लोकेशन
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
हीरोइन का एक्शन अवतार
अब तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त का ज़माना नहीं रहा। अँखियों से गोली मारे तो सोचिये नहीं। अब यह सब पुरानी बात हो गई है। अब हिंदी फिल्मों की नायिका इतनी मस्त नहीं रही कि कोई लम्पट उससे छेड़छाड़ कर सकें। अब वह अँखियों से गोली नहीं मारती, चितवन से तीर नहीं चलाती। अब वह सचमुच बन्दूक थाम कर अपने नायक के कंधे से कंधा मिला कर दुश्मनों का सफाया कर सकती है। तीर और तलवार चलाना उसके बांये हाथ का खेल है।
बदलाव के साथ
बॉलीवुड में बड़ी तेज़ी से बदलाव हुआ है। कभी निर्देशक ज्ञान मुख़र्जी की फिल्म किस्मत (१९४३) में फिल्म के नायक शेखर (अशोक कुमार) के चाकू रखने पर संसद में बवाल मच गया था। फिल्म को सिर्फ इसी कारण से वयस्कों वाला सेंसर प्रमाणपत्र मिला था। लेकिन इस फिल्म ने अशोक कुमार की किस्मत के ताले खोल दिए। वह बड़े स्टार बन गए। उस समय भी नायिका छुई मुई और नैनन बाण चलाने वाली ही थी। उसकी किस्मत में ज़्यादातर आंसू बहाना ही लिखा था। इसीलिए, जब सीआईडी (१९५६) में वहीदा रहमान के करैक्टर के कंधे से दुपट्टा सरकाने की कोशिश की गई तो वहीदा रहमान निर्देशक राज खोसला से नाराज़ हो गई। सोलहवां साल (१९५८) में उनका घर से भागना फिल्म को वयस्क प्रमाण पत्र दिला गया।
बदला रूप नायिका का
अब फिल्म की नायिका बिंदास है। वह साठ के दशक की फिल्मों की खलनायिका की तरह छोटे और उघडे बदन वाले कपडे पहन सकती है। बिकिनी से उसे परहेज़ नहीं। चुम्बन के लिए अब दो फूलों को भिड़ाने या पक्षियों के चोंच लड़ाने की ज़रुरत नहीं। नायिका के गाली बकने का सिलसिला तो हेमा मालिनी ने सीता और गीता (१९७२) में ही शुरू कर दिया था। वह हंटर चला रही थी। हालाँकि, मूक युग में हंटर और तीर तलवार और बन्दूक चलाने वाली नायिका वाली फ़िल्में खूब बनी। अपनी हंटर वाली सीरीज की फिल्मों के कारण पर्थ ऑस्ट्रेलिया की मैरी इवांस फीयरलेस नादिया के नाम से मशहूर हुई। लेकिन, फिल्मों में आवाज़ के साथ ही हिंदी फिल्मों की नायिका के कन्धों पर परिवार का बोझ आ गया। परिवार को सम्हालना उसकी ज़िम्मेदारी हो गई। युग थोड़ा बदला भी तो नायिका की किस्मत में ख़ास बदलाव नहीं हुआ। धर्मेंद्र के आने के बाद जो एक्शन फ़िल्में बनी उन में भी नायिका के लिए आधुनिक दिखना नसीब नहीं था।
ज़ीनत अमान और परवीन बाबी का आना
हिंदी फिल्मों में नायिका के कलेवर में बदलाव आया ज़ीनत अमान और परवीन बाबी के आने के बाद। मिश्रित रक्त वाली ज़ीनत अमान ने मॉडलिंग की। मिस इंडिया में हिस्सा लिया। उन्हें ओ० पी० रल्हन ने अपनी फिल्म हंगामा की नायिका बनाया। परवीन बाबी जूनागढ़ के राज घराने से थी। आधुनिकता उनके खून में थी। अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही बीआर इशारा ने उन्हें अपनी फिल्म चरित्र की नायिका बना दिया। यह दोनों अभिनेत्रियां समकालीन थी। इन अभिनेत्रियों के आने के ठीक बाद अमिताभ बच्चन का सितारा चमका। उनका एंग्री यंगमैन हिंदी सिनेमा पर छा गया। बच्चन की फिल्मों में जो कुछ होता था, नायक ही होता था। नायिका को उसका और दर्शकों का मनोरंजन करना होता था बस । ज़ीनत अमान और परवीन बाबी ने यह काम बखूबी किया। उन्होंने हिंदी फिल्मों की खल नायिका का पत्ता काट दिया। इन अभिनेत्रियों ने हाथों में बन्दूक भी थामी। फिल्म इन्साफ का तराज़ू में ज़ीनत अमान बलात्कारी राज बब्बर के चरित्र को गोलियों से भून देती थी।
बदला लेने के लिए
लेकिन, छिटपुट फिल्मों में यह रातोंरात होता था। पूरी फिल्म में अपने नायक के साथ रोमांस करती, शादी के बाद बच्चे पैदा करती नायिका यकायक क्रोधित हो उठती। उसके पति की हत्या हो जाती या घर में किसी सदस्य के साथ कुछ खराब हो जाता, वह तुरंत बदला लेने के लिए बन्दूक उठा लेती। हिंदी में बनी गर्मागर्म फिल्मों की उत्तेजक हावभाव वाली नायिका अपने साथ बलात्कार का बदला लेने के लिए एक एक कर बलात्कारियों को मारने लगती। सब कुछ रातोरात होता। कोई तैयारी नहीं। कोई ट्रेनिंग नहीं। इन फिल्मों को देख कर ऐसा लगता, जैसे कहानी में नायक के बजाय नायिका को फिट कर दिया गया है। बिलकुल अस्वाभाविक जैसा लगता। क्या अपनी गृहस्थी में रमी और नायक पर निर्भर नायिका रातों रात चोला बदल सकती है ? क्या बिना तैयारियों के वह बन्दूक चला सकती है ? बुरे आदमियों को बेहिचक निशाना बना सकती है ? घोड़े पर सरपट भागती नायिका ने घुड़सवारी कब सीखी ? फिल्मों में ऐसे तमाम सवाल अनसुलझे रह जाते।
एक्शन के लिए तैयार अभिनेत्रियां
इसके बावजूद कुछ हिंदी फ़िल्में तमाम सवालों के जवाब देती भी थी। निर्देशक राकेश रोशन की फिल्म खून भरी मांग में आरती का पति संजय वर्मा उसे मगरमच्छों वाले तालाब में धकेल कर मारने की कोशिश करता है। लेकिन, वह एक बूढ़े आदमी द्वारा बचा ली जाती है। वही बूढा आदमी उसे घुड़सवारी, बन्दूक चलाने और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग देता है। निर्देशक तनूजा चंद्रा की फिल्म दुश्मन जुड़वा बहनों की कहानी थी। एक बहन का बलात्कार हो जाता है। दूसरी बहन बलात्कारी से बदला लेना चाहती है। इसमें उसकी मदद करता है सेना का एक रिटायर मेजर। इन फिल्मों की पटकथाएं विदेशी कहानी से प्रेरित थी। खून भरी मांग एक ऑस्ट्रेलियाई मिनी सीरीज रिटर्न टू ईडन (१९८३) का रीमेक थी, जबकि दुश्मन हॉलीवुड फिल्म ऑय फॉर ऐन ऑय (१९९६) का रीमेक थी। इसलिए इन दोनों फिल्मों की नायिकाएं अपनी पूरी तैयारी के बाद बदला ले रही थी।
इसके बावजूद को रेखा या काजल एक्शन हीरोइन का तमगा हासिल नहीं कर सकी। ऐसा स्वाभाविक था। फिल्म अभिनेत्रियां नायक प्रधान फिल्मों की नायिका बन कर ही खुश थी। एक्शन फिल्म के लिए तैयारी का मतलब किसी सलमान खान या शाहरुख़ खान की फिल्म से हाथ धोना होता। हिंदी फिल्मों की तमाम अभिनेत्रियां खान एक्ट्रेस बन कर ही मस्त थी। लेकिन बदलाव भी एक तकाज़ा होता है।
हॉलीवुड में देसी नायिका का एक्शन
नायक प्रधान एक्शन फिल्मों से दर्शकों का ऊबना स्वाभाविक था। विदेशी स्टूडियोज और बैंकों आदि द्वारा फिल्म निर्माण में रूचि दिखाने के कारण नायिका को अलग नज़रिये से देखना शुरू कर दिया गया। फिल्मों में अपना मुकाम बनाने के लिए बेकरार अभिनेत्रियों ने भी अपने रोल को रियल लाइफ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन अभिनेत्रियों ने अपनी भूमिकाओं को स्वभाविक बनाने के लिए खूब मेहनत की। प्रियंका चोपड़ा को बेस्ट एक्शन हीरोइन का दर्ज़ा दिया जाता है। वह अमेरिकन सीरीज क्वांटिको में एक्शन कर ही रही थी, हॉलीवुड फिल्म बेवॉच में भी धुंआधार एक्शन कर रही हैं। वह अपने रोल के लिए मेहनत करती है। सुपरहीरो फिल्म द्रोण में वह बॉडीगार्ड के किरदार में थी। इसके लिए उन्होंने सिख हथियार गटका चलाना सीखा। कपोरा और मार्शट आर्ट्स की ख़ास ट्रेनिंग ली। उन्हें लेकर जय गंगाजल और मैरी कॉम जैसी नायिका प्रधान एक्शन फ़िल्में बनाई गई। कैटरीना कैफ अपनी भूमिकाओं के लिए काफी तैयारी करती हैं। एक था टाइगर के लिए उन्होंने कार्डियक और वेट ट्रेनिंग ली, ताकि अपने एक्शन आसानी से कर सकें। वह इस फिल्म के सीक्वल टाइगर ज़िंदा है के लिए कॉम्बैट ट्रेनिंग ले रही है। फिल्म में उनके कई खतरनाक एक्शन दृश्य बताये जा रहे हैं। कंगना रनौत भी बेहद परफेक्ट हीरोइन हैं। उन्होंने कृष ३ में अपनी काया की भूमिका के लिए खुद को तुंब रेडर की लारा क्रॉफ्ट जैसा ढाला ही, अपना वजन काफी घटाया, कराटे, जुडो और ताइक्वांडो की ट्रेनिंग ली। वह रानी लक्ष्मी बाई पर अपनी फिल्म के लिए घुड़सवारी और तलवारबाज़ी भी सीख रही हैं। बिपाशा बासु ने हॉलीवुड फिल्म सिंगुलैरिटी, ऐश्वर्या राय बच्चन ने धूम २ और जोधा अकबर और अपनी हॉलीवुड फिल्म पिंक पैंथर के लिए तलवारबाज़ी सीखी है। दीपिका पादुकोण ने चांदनी चौक टू चाइना के लिए मार्शल आर्ट्स सीखी। उन्होंने बाजीराव मस्तानी के लिए तलवारबाज़ी सीखी।
फिर भी... हॉलीवुड एक्ट्रेस से पीछे
इसके बावजूद बॉलीवुड अभी तक ब्रिगिट निएल्सन (रेड सोन्या और रॉकी), एंजेलिना जोली (तुंब रेडर की लारा क्रॉफ्ट), मिला जोवोविच (रेजिडेंट ईविल सीरीज की एलिस), केट बेकिंस्ले ( अंडरवर्ल्ड सीरीज की सेलेन), सीगोर्नी वीवर (एलियंस की रिप्ले) और जेनिफर लॉरेंस (द हंगर गेम्स सीरीज की कैटनिस एवरडीन) के तोड़ की कोई अभिनेत्री तैयार नहीं कर सका है। हाल ही में अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा को बॉलीवुड की एंजेलिना जोली बताया जा रहा था। क्योंकि, वह अकीरा और फाॅर्स २ में एक्शन कर रही थी। ऐसा लग रहा था कि वह एक्शन स्टार बन कर उभरेंगी। लेकिन, दोनों ही फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हुई। तापसी पन्नू ने फिल्म बेबी में कुछ एक्शन सीन किये थे। लेकिन, शिवम् नायर की एक्शन फिल्म नाम शबाना में वह एक रॉ एजेंट का केंद्रीय एक्शन किरदार कर रही थी। इसके लिए तापसी पन्नू ने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग के अलावा कूडो और कर्व मागा भी सीखा। तापसी पन्नू की फिल्म भी असफल हुई।
हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियां खतरनाक एक्शन करने में अपने स्क्रीन साथी से पीछे नहीं। लेकिन, विडम्बना यह है यह कि बॉलीवुड में एक्शन हीरोइन की कोई परम्परा नहीं बन सकी है। वह एक समय में एकाधिक फिल्मों की शूटिंग करती है। जहाँ एक फिल्म में उसे रोमांटिक दिखाना होता है तो अगली फिल्म में एक्शन के अनुरूप ढालना भी होता है। यह आसान नहीं और संभव भी नहीं है। उस पर दर्शक इन नायिका प्रधान फिल्मों को बुरी असफलता देता है। अकीरा और नाम शबाना की असफलता एक्शन हीरोइन का दिल तोड देती है।
बदलाव के साथ
बॉलीवुड में बड़ी तेज़ी से बदलाव हुआ है। कभी निर्देशक ज्ञान मुख़र्जी की फिल्म किस्मत (१९४३) में फिल्म के नायक शेखर (अशोक कुमार) के चाकू रखने पर संसद में बवाल मच गया था। फिल्म को सिर्फ इसी कारण से वयस्कों वाला सेंसर प्रमाणपत्र मिला था। लेकिन इस फिल्म ने अशोक कुमार की किस्मत के ताले खोल दिए। वह बड़े स्टार बन गए। उस समय भी नायिका छुई मुई और नैनन बाण चलाने वाली ही थी। उसकी किस्मत में ज़्यादातर आंसू बहाना ही लिखा था। इसीलिए, जब सीआईडी (१९५६) में वहीदा रहमान के करैक्टर के कंधे से दुपट्टा सरकाने की कोशिश की गई तो वहीदा रहमान निर्देशक राज खोसला से नाराज़ हो गई। सोलहवां साल (१९५८) में उनका घर से भागना फिल्म को वयस्क प्रमाण पत्र दिला गया।
बदला रूप नायिका का
अब फिल्म की नायिका बिंदास है। वह साठ के दशक की फिल्मों की खलनायिका की तरह छोटे और उघडे बदन वाले कपडे पहन सकती है। बिकिनी से उसे परहेज़ नहीं। चुम्बन के लिए अब दो फूलों को भिड़ाने या पक्षियों के चोंच लड़ाने की ज़रुरत नहीं। नायिका के गाली बकने का सिलसिला तो हेमा मालिनी ने सीता और गीता (१९७२) में ही शुरू कर दिया था। वह हंटर चला रही थी। हालाँकि, मूक युग में हंटर और तीर तलवार और बन्दूक चलाने वाली नायिका वाली फ़िल्में खूब बनी। अपनी हंटर वाली सीरीज की फिल्मों के कारण पर्थ ऑस्ट्रेलिया की मैरी इवांस फीयरलेस नादिया के नाम से मशहूर हुई। लेकिन, फिल्मों में आवाज़ के साथ ही हिंदी फिल्मों की नायिका के कन्धों पर परिवार का बोझ आ गया। परिवार को सम्हालना उसकी ज़िम्मेदारी हो गई। युग थोड़ा बदला भी तो नायिका की किस्मत में ख़ास बदलाव नहीं हुआ। धर्मेंद्र के आने के बाद जो एक्शन फ़िल्में बनी उन में भी नायिका के लिए आधुनिक दिखना नसीब नहीं था।
ज़ीनत अमान और परवीन बाबी का आना
हिंदी फिल्मों में नायिका के कलेवर में बदलाव आया ज़ीनत अमान और परवीन बाबी के आने के बाद। मिश्रित रक्त वाली ज़ीनत अमान ने मॉडलिंग की। मिस इंडिया में हिस्सा लिया। उन्हें ओ० पी० रल्हन ने अपनी फिल्म हंगामा की नायिका बनाया। परवीन बाबी जूनागढ़ के राज घराने से थी। आधुनिकता उनके खून में थी। अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही बीआर इशारा ने उन्हें अपनी फिल्म चरित्र की नायिका बना दिया। यह दोनों अभिनेत्रियां समकालीन थी। इन अभिनेत्रियों के आने के ठीक बाद अमिताभ बच्चन का सितारा चमका। उनका एंग्री यंगमैन हिंदी सिनेमा पर छा गया। बच्चन की फिल्मों में जो कुछ होता था, नायक ही होता था। नायिका को उसका और दर्शकों का मनोरंजन करना होता था बस । ज़ीनत अमान और परवीन बाबी ने यह काम बखूबी किया। उन्होंने हिंदी फिल्मों की खल नायिका का पत्ता काट दिया। इन अभिनेत्रियों ने हाथों में बन्दूक भी थामी। फिल्म इन्साफ का तराज़ू में ज़ीनत अमान बलात्कारी राज बब्बर के चरित्र को गोलियों से भून देती थी।
बदला लेने के लिए
लेकिन, छिटपुट फिल्मों में यह रातोंरात होता था। पूरी फिल्म में अपने नायक के साथ रोमांस करती, शादी के बाद बच्चे पैदा करती नायिका यकायक क्रोधित हो उठती। उसके पति की हत्या हो जाती या घर में किसी सदस्य के साथ कुछ खराब हो जाता, वह तुरंत बदला लेने के लिए बन्दूक उठा लेती। हिंदी में बनी गर्मागर्म फिल्मों की उत्तेजक हावभाव वाली नायिका अपने साथ बलात्कार का बदला लेने के लिए एक एक कर बलात्कारियों को मारने लगती। सब कुछ रातोरात होता। कोई तैयारी नहीं। कोई ट्रेनिंग नहीं। इन फिल्मों को देख कर ऐसा लगता, जैसे कहानी में नायक के बजाय नायिका को फिट कर दिया गया है। बिलकुल अस्वाभाविक जैसा लगता। क्या अपनी गृहस्थी में रमी और नायक पर निर्भर नायिका रातों रात चोला बदल सकती है ? क्या बिना तैयारियों के वह बन्दूक चला सकती है ? बुरे आदमियों को बेहिचक निशाना बना सकती है ? घोड़े पर सरपट भागती नायिका ने घुड़सवारी कब सीखी ? फिल्मों में ऐसे तमाम सवाल अनसुलझे रह जाते।
एक्शन के लिए तैयार अभिनेत्रियां
इसके बावजूद कुछ हिंदी फ़िल्में तमाम सवालों के जवाब देती भी थी। निर्देशक राकेश रोशन की फिल्म खून भरी मांग में आरती का पति संजय वर्मा उसे मगरमच्छों वाले तालाब में धकेल कर मारने की कोशिश करता है। लेकिन, वह एक बूढ़े आदमी द्वारा बचा ली जाती है। वही बूढा आदमी उसे घुड़सवारी, बन्दूक चलाने और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग देता है। निर्देशक तनूजा चंद्रा की फिल्म दुश्मन जुड़वा बहनों की कहानी थी। एक बहन का बलात्कार हो जाता है। दूसरी बहन बलात्कारी से बदला लेना चाहती है। इसमें उसकी मदद करता है सेना का एक रिटायर मेजर। इन फिल्मों की पटकथाएं विदेशी कहानी से प्रेरित थी। खून भरी मांग एक ऑस्ट्रेलियाई मिनी सीरीज रिटर्न टू ईडन (१९८३) का रीमेक थी, जबकि दुश्मन हॉलीवुड फिल्म ऑय फॉर ऐन ऑय (१९९६) का रीमेक थी। इसलिए इन दोनों फिल्मों की नायिकाएं अपनी पूरी तैयारी के बाद बदला ले रही थी।
इसके बावजूद को रेखा या काजल एक्शन हीरोइन का तमगा हासिल नहीं कर सकी। ऐसा स्वाभाविक था। फिल्म अभिनेत्रियां नायक प्रधान फिल्मों की नायिका बन कर ही खुश थी। एक्शन फिल्म के लिए तैयारी का मतलब किसी सलमान खान या शाहरुख़ खान की फिल्म से हाथ धोना होता। हिंदी फिल्मों की तमाम अभिनेत्रियां खान एक्ट्रेस बन कर ही मस्त थी। लेकिन बदलाव भी एक तकाज़ा होता है।
हॉलीवुड में देसी नायिका का एक्शन
नायक प्रधान एक्शन फिल्मों से दर्शकों का ऊबना स्वाभाविक था। विदेशी स्टूडियोज और बैंकों आदि द्वारा फिल्म निर्माण में रूचि दिखाने के कारण नायिका को अलग नज़रिये से देखना शुरू कर दिया गया। फिल्मों में अपना मुकाम बनाने के लिए बेकरार अभिनेत्रियों ने भी अपने रोल को रियल लाइफ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन अभिनेत्रियों ने अपनी भूमिकाओं को स्वभाविक बनाने के लिए खूब मेहनत की। प्रियंका चोपड़ा को बेस्ट एक्शन हीरोइन का दर्ज़ा दिया जाता है। वह अमेरिकन सीरीज क्वांटिको में एक्शन कर ही रही थी, हॉलीवुड फिल्म बेवॉच में भी धुंआधार एक्शन कर रही हैं। वह अपने रोल के लिए मेहनत करती है। सुपरहीरो फिल्म द्रोण में वह बॉडीगार्ड के किरदार में थी। इसके लिए उन्होंने सिख हथियार गटका चलाना सीखा। कपोरा और मार्शट आर्ट्स की ख़ास ट्रेनिंग ली। उन्हें लेकर जय गंगाजल और मैरी कॉम जैसी नायिका प्रधान एक्शन फ़िल्में बनाई गई। कैटरीना कैफ अपनी भूमिकाओं के लिए काफी तैयारी करती हैं। एक था टाइगर के लिए उन्होंने कार्डियक और वेट ट्रेनिंग ली, ताकि अपने एक्शन आसानी से कर सकें। वह इस फिल्म के सीक्वल टाइगर ज़िंदा है के लिए कॉम्बैट ट्रेनिंग ले रही है। फिल्म में उनके कई खतरनाक एक्शन दृश्य बताये जा रहे हैं। कंगना रनौत भी बेहद परफेक्ट हीरोइन हैं। उन्होंने कृष ३ में अपनी काया की भूमिका के लिए खुद को तुंब रेडर की लारा क्रॉफ्ट जैसा ढाला ही, अपना वजन काफी घटाया, कराटे, जुडो और ताइक्वांडो की ट्रेनिंग ली। वह रानी लक्ष्मी बाई पर अपनी फिल्म के लिए घुड़सवारी और तलवारबाज़ी भी सीख रही हैं। बिपाशा बासु ने हॉलीवुड फिल्म सिंगुलैरिटी, ऐश्वर्या राय बच्चन ने धूम २ और जोधा अकबर और अपनी हॉलीवुड फिल्म पिंक पैंथर के लिए तलवारबाज़ी सीखी है। दीपिका पादुकोण ने चांदनी चौक टू चाइना के लिए मार्शल आर्ट्स सीखी। उन्होंने बाजीराव मस्तानी के लिए तलवारबाज़ी सीखी।
फिर भी... हॉलीवुड एक्ट्रेस से पीछे
इसके बावजूद बॉलीवुड अभी तक ब्रिगिट निएल्सन (रेड सोन्या और रॉकी), एंजेलिना जोली (तुंब रेडर की लारा क्रॉफ्ट), मिला जोवोविच (रेजिडेंट ईविल सीरीज की एलिस), केट बेकिंस्ले ( अंडरवर्ल्ड सीरीज की सेलेन), सीगोर्नी वीवर (एलियंस की रिप्ले) और जेनिफर लॉरेंस (द हंगर गेम्स सीरीज की कैटनिस एवरडीन) के तोड़ की कोई अभिनेत्री तैयार नहीं कर सका है। हाल ही में अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा को बॉलीवुड की एंजेलिना जोली बताया जा रहा था। क्योंकि, वह अकीरा और फाॅर्स २ में एक्शन कर रही थी। ऐसा लग रहा था कि वह एक्शन स्टार बन कर उभरेंगी। लेकिन, दोनों ही फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हुई। तापसी पन्नू ने फिल्म बेबी में कुछ एक्शन सीन किये थे। लेकिन, शिवम् नायर की एक्शन फिल्म नाम शबाना में वह एक रॉ एजेंट का केंद्रीय एक्शन किरदार कर रही थी। इसके लिए तापसी पन्नू ने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग के अलावा कूडो और कर्व मागा भी सीखा। तापसी पन्नू की फिल्म भी असफल हुई।
हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियां खतरनाक एक्शन करने में अपने स्क्रीन साथी से पीछे नहीं। लेकिन, विडम्बना यह है यह कि बॉलीवुड में एक्शन हीरोइन की कोई परम्परा नहीं बन सकी है। वह एक समय में एकाधिक फिल्मों की शूटिंग करती है। जहाँ एक फिल्म में उसे रोमांटिक दिखाना होता है तो अगली फिल्म में एक्शन के अनुरूप ढालना भी होता है। यह आसान नहीं और संभव भी नहीं है। उस पर दर्शक इन नायिका प्रधान फिल्मों को बुरी असफलता देता है। अकीरा और नाम शबाना की असफलता एक्शन हीरोइन का दिल तोड देती है।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday, 8 September 2017
जोकर नहीं बुरी आत्मा है 'इट'/जॉर्ज बुश बनेंगे सैम रॉकवेल
जोकर नहीं बुरी आत्मा है 'इट'
डेरी कसबे में बच्चे गायब होते जा रहे हैं। हर गायब बच्चा छोड़ जाता है खून के निशान। इन बच्चों को एक जोकर के रूप में एक शैतान एक एक कर निगल रहा है। ऐसे समय में सात बच्चो का समूह इस शैतान जोकर का मुक़ाबला करने का निश्चय करता है। यह कहानी है चेस पामर, करी फुकुनगा और गरी डॉबरमैन की लिखी फिल्म इट की। यह हॉरर फिल्म स्टीफेन किंग के १९८६ में लिखे गए उपन्यास इट पर आधारित है। इस फिल्म को एंडी मुस्किएटी ने निर्देशित किया है। अर्जेंटीनी फिल्म निर्देशक एंडी को पहली बार हॉरर फिल्म ममा (२०१३) से ही पहचान मिली। फिल्म में लूज़र्स क्लब के लीडर बिल डेंबरो का किरदार जेडेन लिएबेरहेर ने किया है। बिल स्कारसगार्ड शैतानी क्लाउन पेनीवाइज का किरदार कर रहे हैं। अन्य भूमिकाओं में जेरेमी रे टेलर, सोफिए लिलिस, फिन वुल्फहार्ड, व्याट ओलेफ, चोसेन जैकब्स, जैक डिलन ग्रेज़र, निकोलस हैमिलटन और जैक्सन रॉबेर्ट स्कॉट के नाम उल्लेखनीय हैं। इट दुनिया भर में ८ सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही है।
जॉर्ज बुश बनेंगे सैम रॉकवेल
मैचस्टिक मेन और आयरन मैन २ के अभिनेता सैम रॉकवेल अमेरिका के उपराष्ट्रपति डिक चेनी पर फिल्म चेनी में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश का किरदार करेंगे। इस फिल्म का निर्देशन बिग शार्ट फिल्म के डायरेक्टर एडम मैके कर रहे हैं। बुश ११ सितम्बर को अमेरिका पर आतंकवादी हमले के दौरान राष्ट्रपति पद पर थे। बुश के खाते में अफगानिस्तान युद्ध और इराक युद्ध जैसे अमेरिकियों के लिए बुरे निर्णय दर्ज हैं। डिक चेनी की इस आत्मकथा फिल्म में डिक चेनी के जीवन के वियतनाम युद्ध में सैन्य सेवा न देने जैसे तमाम विवादित घटनाएं देखने को मिलेंगी। डिक चेनी को अमेरिका के इतिहास का सबसे शक्तिशाली उपराष्ट्रपति कहा जाता है। हालाँकि, चेनी की कहानी अमेरिकी उपराष्ट्रपति पर केंद्रित है। लेकिन, फिल्म में राष्ट्रपति की बुश की भूमिका का भी महत्त्व है। इसीलिए, इस रोल में सैम रॉकवेल के अभिनय का महत्त्व होगा। इस फिल्म में द डार्क नाइट में बैटमैन का किरदार करने वाले अभिनेता क्रिस्चियन बेल डिक चेनी का किरदार करेंगे। फिल्म के कुछ अहम् किरदारों, मसलन अमेरिकी प्रतिरक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफेल्ड की भूमिका फॉक्स कैचर के स्टीव केरल तथा चेनी की पत्नी लिनने के किरदार को अराइवल की एमी एडम्स कर रही हैं। इंडिपेंडेंस डे के अभिनेता बिल पूलमैन को भी फिल्म की स्टार कास्ट में शामिल किया गया है। लेकिन, अभी उनकी भूमिका साफ़ नहीं है। फिलहाल इस फिल्म की रिलीज़ की तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन, उम्मीद यह की जा रही है कि फिल्म ऐसे समय में रिलीज़ होगी, ताकि पुरस्कारों के चयनकर्ताओं की निगाहों में बनी रहे।
डेरी कसबे में बच्चे गायब होते जा रहे हैं। हर गायब बच्चा छोड़ जाता है खून के निशान। इन बच्चों को एक जोकर के रूप में एक शैतान एक एक कर निगल रहा है। ऐसे समय में सात बच्चो का समूह इस शैतान जोकर का मुक़ाबला करने का निश्चय करता है। यह कहानी है चेस पामर, करी फुकुनगा और गरी डॉबरमैन की लिखी फिल्म इट की। यह हॉरर फिल्म स्टीफेन किंग के १९८६ में लिखे गए उपन्यास इट पर आधारित है। इस फिल्म को एंडी मुस्किएटी ने निर्देशित किया है। अर्जेंटीनी फिल्म निर्देशक एंडी को पहली बार हॉरर फिल्म ममा (२०१३) से ही पहचान मिली। फिल्म में लूज़र्स क्लब के लीडर बिल डेंबरो का किरदार जेडेन लिएबेरहेर ने किया है। बिल स्कारसगार्ड शैतानी क्लाउन पेनीवाइज का किरदार कर रहे हैं। अन्य भूमिकाओं में जेरेमी रे टेलर, सोफिए लिलिस, फिन वुल्फहार्ड, व्याट ओलेफ, चोसेन जैकब्स, जैक डिलन ग्रेज़र, निकोलस हैमिलटन और जैक्सन रॉबेर्ट स्कॉट के नाम उल्लेखनीय हैं। इट दुनिया भर में ८ सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही है।
जॉर्ज बुश बनेंगे सैम रॉकवेल
मैचस्टिक मेन और आयरन मैन २ के अभिनेता सैम रॉकवेल अमेरिका के उपराष्ट्रपति डिक चेनी पर फिल्म चेनी में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश का किरदार करेंगे। इस फिल्म का निर्देशन बिग शार्ट फिल्म के डायरेक्टर एडम मैके कर रहे हैं। बुश ११ सितम्बर को अमेरिका पर आतंकवादी हमले के दौरान राष्ट्रपति पद पर थे। बुश के खाते में अफगानिस्तान युद्ध और इराक युद्ध जैसे अमेरिकियों के लिए बुरे निर्णय दर्ज हैं। डिक चेनी की इस आत्मकथा फिल्म में डिक चेनी के जीवन के वियतनाम युद्ध में सैन्य सेवा न देने जैसे तमाम विवादित घटनाएं देखने को मिलेंगी। डिक चेनी को अमेरिका के इतिहास का सबसे शक्तिशाली उपराष्ट्रपति कहा जाता है। हालाँकि, चेनी की कहानी अमेरिकी उपराष्ट्रपति पर केंद्रित है। लेकिन, फिल्म में राष्ट्रपति की बुश की भूमिका का भी महत्त्व है। इसीलिए, इस रोल में सैम रॉकवेल के अभिनय का महत्त्व होगा। इस फिल्म में द डार्क नाइट में बैटमैन का किरदार करने वाले अभिनेता क्रिस्चियन बेल डिक चेनी का किरदार करेंगे। फिल्म के कुछ अहम् किरदारों, मसलन अमेरिकी प्रतिरक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफेल्ड की भूमिका फॉक्स कैचर के स्टीव केरल तथा चेनी की पत्नी लिनने के किरदार को अराइवल की एमी एडम्स कर रही हैं। इंडिपेंडेंस डे के अभिनेता बिल पूलमैन को भी फिल्म की स्टार कास्ट में शामिल किया गया है। लेकिन, अभी उनकी भूमिका साफ़ नहीं है। फिलहाल इस फिल्म की रिलीज़ की तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन, उम्मीद यह की जा रही है कि फिल्म ऐसे समय में रिलीज़ होगी, ताकि पुरस्कारों के चयनकर्ताओं की निगाहों में बनी रहे।
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
सपोर्टिंग नहीं ! नायक-नायिका के मज़बूत सहारे
निर्माता-निर्देशक संजयलीला भंसाली ने जब ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म पद्मावती की स्टार कास्ट का ऐलान करना शुरू किया, तब पद्मावती (दीपिका पादुकोण) के पति रावल रतन सिंह के किरदार के लिए विकी कौशल के नाम का ऐलान किया गया था। लेकिन, दीपिका को यह रास नहीं आया कि वह छोटे एक्टर के साथ परदे पर रोमांस करें। उन्होंने विकी के साथ काम करने से मना कर दिया। नतीजे के तौर पर शाहिद कपूर रावल बन गए। दीपिका को छोटे अभिनेता के साथ काम करने पर ऐतराज़ नहीं होना चाहिए था, क्योंकि फिल्म उन पर केंद्रित थी। आने वाली कई हिंदी फिल्मों में सपोर्टिंग कास्ट में बहुत नामचीन एक्टर नहीं लिए गए हैं। यह तमाम कलाकार अपनी फिल्म के मुख्य चरित्र को सपोर्ट करते हैं। इनमे से तमाम एक्टर सशक्त कलाकार भी हैं। यही कारण है कि किसी फिल्म के नायक के सपोर्ट में ऐसे अभिनेताओं को लिया गया है।
डैडी की मदद में आनंद और राजेश
अशीम अहलूवालिया की फिल्म डैडी की कहानी बॉम्बे के मशहूर गैंगस्टर अरुण गवली पर केंद्रित है। फिल्म में अरुण गवली की भूमिका अर्जुन रामपाल कर रहे हैं। अस्सी और नब्बे के दशक में मुंबई में बाबू रेशिम, रामा नाइक और अरुण गवली का दबदबा हुआ करता था। इस तिकड़ी को पुलिस वाले और मीडिया के लोग ब्रा (BRA ) के नाम से पुकारते थे। फिल्म में इन गैंगस्टर किरदारो का परस्पर टकराव होता रहता है। चूंकि, अर्जुन रामपाल का अरुण गवली किरदार मुख्य है, इसलिए इससे टकराने वाले किरदारों के एक्टरों को भी मज़बूत होना ही चाहिए। बाबू रेशिम का किरदार करने वाले आनंद इंगले और रामा नाइक के एक्टर राजेश श्रृंगारपुरे इसका प्रमाण हैं। आनंद इंगले मराठी स्टेज और फिल्म एक्टर हैं। उन्हें सशक्त अभिनेता माना जाता है। डैडी आनंद की पहली फिल्म है। जबकि, राजेश श्रृंगारपुरे को हिंदी दर्शक देख चुके हैं। वह परम वीर चक्र, सरकार राज और मर्डर ३ जैसी फिल्मों के सशक्त किरदार कर चुके हैं। अर्जुन रामपाल बहुत अच्छे अभिनेता नहीं माने जाते। लेकिन, इस इंटेंस फिल्म में अर्जुन रामपाल की मदद आनंद इंगले और राजेश श्रृंगारपुरे बखूबी कर पाएंगे।
पिता, पुत्री और वह
सिद्धांत गुप्ता की फिल्म यात्रा क्रिकेट, स्विमिंग और बास्केटबॉल से गुजरती हुई मॉडलिंग के बाद फिल्मों तक पहुंचती है। उन्होंने टीवी सीरियल टशन ए इश्क़ में कुञ्ज के किरदार से पहचान बनाई। सिद्धांत ने अब तक रिलीज़ अपनी दो फिल्मों बैंग बैंग बैंकाक और बदमाशियां में सह भूमिकाएं ही हैं। भूमि में उनकी विशाल खन्ना की भूमिका इस लिहाज़ से अलग है कि यह किरदार पिता संजय दत्त और पुत्री अदिति राव हैदरी के बीच का 'वह' हैं। कुछ ऐसा ही हो रहा है गुजराती नाटक पर आधारित उमेश शुक्ल की फिल्म १०२ नॉट आउट में । इस फिल्म में अमिताभ बच्चन १०२ साल के बूढ़े और ऋषि कपूर उनके ७५ साल के बेटे का किरदार कर रहे हैं। यह बूढा एक चीनी के कब्ज़े से सबसे ज़्यादा उम्र के जीवित व्यक्ति के खिताब को हथियाना चाहता है। इस बाप बेटे की फिल्म में शबाना आज़मी भी है। बेशक शबाना आज़मी सशक्त अभिनेत्री हैं। लेकिन, वह अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की सपोर्टिंग भूमिका में ही है।
अभिनेत्रियों के सपोर्टर
अब ऐसी हिंदी फ़िल्में भी बनाई जाने लगी हैं, जिनमे कहानी पूरी तरह से नायिका पर केंद्रित होती हैं। इन फिल्मों में नायक का कोई ख़ास रोल नहीं होता। दक्षिण की अभिनेत्री लक्ष्मी राय की बतौर नायिका पहली फिल्म जूली २ का प्रचार लक्ष्मी राय पर ही केंद्रित है। अभी तक फिल्म में उनके नायक के नाम का खुलासा तक नहीं हुआ है। इसी तरह से दूसरी कुछ फ़िल्में भी हैं। इनके नायक कौन अभिनेता हैं, सभी जानते हैं। लेकिन, यह बहुत ज़्यादा सफल अभिनेता नहीं है। भोपाल से अमेरिका गणित पढ़ने गए अंकुर भाटिया को एक्टिंग का चस्का लगा तो न्यूयॉर्क फिल्म अकडेमी में दाखिल ले कर फिल्म निर्माण और अभिनय सीख लिया। वहीँ कुछ फ़िल्में भी मिल गई। ज़ंजीर के रीमेक में अंकुर ने बोस्को का निगेटिव किरदार भी किया। सरबजीत फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन के पति बलदेव का किरदार करने वाले अंकुर भाटिया अब अपूर्व लखिया की ही फिल्म हसीना -द क्वीन ऑफ़ मुंबई (हसीना पार्कर) में श्रद्धा कपूर के पति इब्राहिम पार्कर का किरदार कर रहे हैं। अपनी पहली दो फिल्मों में प्रभाव छोड़ने वाले अंकुर हसीना की छोटी भूमिका में भी श्रद्धा के किरदार को भरपूर सपोर्ट कर सकेंगे। निर्माता, निर्देशक और लेखक अनंत महादेवन की फिल्म अक्सर २ में दो अभिनेता गौतम रोडे और अभिनव शुक्ल नायक हैं। यह दोनों टेलीविज़न सीरियलों के जाने पहचाने चेहरे हैं। गौतम रोडे ने संजयलीला भंसाली के सीरियल सरस्वतीचंद्र में टाइटल रोल किया था। अभिनव शुक्ल भी टीवी पर महत्वपूर्ण किरदार कर चुके हैं। लेकिन, अक्सर २ में यह दोनों अपनी नायिका के सहयोगी नायक हैं। इस फिल्म की नायिका ज़रीन खान हैं। पूरी फिल्म ज़रीन खान के अंग प्रदर्शन और कामुक हावभाव पर टिकी होगी। निर्देशक सुरेश त्रिवेणी की फिल्म तुम्हारी सुलु में विद्या बालन ने एक ऐसी गृहणी का किरदार कर रही हैं, जिसे रेडियो जॉकी बनाने का मौक़ा मिल जाता है। फिल्म में उनकी बॉस का किरदार नेहा धूपिया कर रही हैं। पूरी तरह से नायिकाओं पर केंद्रित फिल्म तुम्हारी सुलु में मानव कौल विद्या बालन के पति का किरदार कर रहे हैं। क्या पूरी तरह से विद्या बालन की फिल्म में मानव कौल के लिए कोई ख़ास मौके होंगे ?
सपोर्ट में अभिनेत्रियां भी
टेलीविज़न सीरियल वीरा की समान्तर भूमिका से शुरुआत करने वाली समीक्षा भटनागर कुमकुम भाग्य, उतरन और देवों के देव महादेव जैसे टीवी सीरियलों में भिन्न किरदार कर चुकी हैं। उनका हिंदी फिल्म डेब्यू मधुर भंडारकर की फिल्म कैलेंडर गर्ल से हुआ था। श्रेयस तलपड़े निर्देशित कॉमेडी फिल्म पोस्टर बॉयज में वह सनी देओल, बॉबी देओल और श्रेयस तलपड़े जैसी बड़ी स्टार कास्ट के साथ बॉबी की प्रेमिका सूरजमुखी का किरदार कर रही हैं। निर्देशक राजा कृष्णा मेनन की फिल्म शेफ हॉलीवुड इसी टाइटल वाली फिल्म की रीमेक है। यह फिल्म एक शेफ की है, जो खुद को प्रूफ करने के लिए एक बस में अपना चलता फिरता ढाबा लेकर निकल पड़ता है। हॉलीवुड फिल्म में इस शेफ का साथ उसकी पूर्व पत्नी देती है। राजा कृष्ण मेनन की फिल्म में भी यह किरदार है। ज़ाहिर है कि यह मुख्य किरदार का सपोर्टिंग है। इस भूमिका को मलयालम फिल्म अभिनेत्री पद्मप्रिया कर रही हैं। पद्मप्रिया को हिंदी दर्शक फिल्म स्ट्राइकर (२०१०) में देख चुके हैं। वह अपने स्वाभाविक अभिनय से शेफ को सहारा देंगी।
डैडी की मदद में आनंद और राजेश
अशीम अहलूवालिया की फिल्म डैडी की कहानी बॉम्बे के मशहूर गैंगस्टर अरुण गवली पर केंद्रित है। फिल्म में अरुण गवली की भूमिका अर्जुन रामपाल कर रहे हैं। अस्सी और नब्बे के दशक में मुंबई में बाबू रेशिम, रामा नाइक और अरुण गवली का दबदबा हुआ करता था। इस तिकड़ी को पुलिस वाले और मीडिया के लोग ब्रा (BRA ) के नाम से पुकारते थे। फिल्म में इन गैंगस्टर किरदारो का परस्पर टकराव होता रहता है। चूंकि, अर्जुन रामपाल का अरुण गवली किरदार मुख्य है, इसलिए इससे टकराने वाले किरदारों के एक्टरों को भी मज़बूत होना ही चाहिए। बाबू रेशिम का किरदार करने वाले आनंद इंगले और रामा नाइक के एक्टर राजेश श्रृंगारपुरे इसका प्रमाण हैं। आनंद इंगले मराठी स्टेज और फिल्म एक्टर हैं। उन्हें सशक्त अभिनेता माना जाता है। डैडी आनंद की पहली फिल्म है। जबकि, राजेश श्रृंगारपुरे को हिंदी दर्शक देख चुके हैं। वह परम वीर चक्र, सरकार राज और मर्डर ३ जैसी फिल्मों के सशक्त किरदार कर चुके हैं। अर्जुन रामपाल बहुत अच्छे अभिनेता नहीं माने जाते। लेकिन, इस इंटेंस फिल्म में अर्जुन रामपाल की मदद आनंद इंगले और राजेश श्रृंगारपुरे बखूबी कर पाएंगे।
पिता, पुत्री और वह
सिद्धांत गुप्ता की फिल्म यात्रा क्रिकेट, स्विमिंग और बास्केटबॉल से गुजरती हुई मॉडलिंग के बाद फिल्मों तक पहुंचती है। उन्होंने टीवी सीरियल टशन ए इश्क़ में कुञ्ज के किरदार से पहचान बनाई। सिद्धांत ने अब तक रिलीज़ अपनी दो फिल्मों बैंग बैंग बैंकाक और बदमाशियां में सह भूमिकाएं ही हैं। भूमि में उनकी विशाल खन्ना की भूमिका इस लिहाज़ से अलग है कि यह किरदार पिता संजय दत्त और पुत्री अदिति राव हैदरी के बीच का 'वह' हैं। कुछ ऐसा ही हो रहा है गुजराती नाटक पर आधारित उमेश शुक्ल की फिल्म १०२ नॉट आउट में । इस फिल्म में अमिताभ बच्चन १०२ साल के बूढ़े और ऋषि कपूर उनके ७५ साल के बेटे का किरदार कर रहे हैं। यह बूढा एक चीनी के कब्ज़े से सबसे ज़्यादा उम्र के जीवित व्यक्ति के खिताब को हथियाना चाहता है। इस बाप बेटे की फिल्म में शबाना आज़मी भी है। बेशक शबाना आज़मी सशक्त अभिनेत्री हैं। लेकिन, वह अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की सपोर्टिंग भूमिका में ही है।
अभिनेत्रियों के सपोर्टर
अब ऐसी हिंदी फ़िल्में भी बनाई जाने लगी हैं, जिनमे कहानी पूरी तरह से नायिका पर केंद्रित होती हैं। इन फिल्मों में नायक का कोई ख़ास रोल नहीं होता। दक्षिण की अभिनेत्री लक्ष्मी राय की बतौर नायिका पहली फिल्म जूली २ का प्रचार लक्ष्मी राय पर ही केंद्रित है। अभी तक फिल्म में उनके नायक के नाम का खुलासा तक नहीं हुआ है। इसी तरह से दूसरी कुछ फ़िल्में भी हैं। इनके नायक कौन अभिनेता हैं, सभी जानते हैं। लेकिन, यह बहुत ज़्यादा सफल अभिनेता नहीं है। भोपाल से अमेरिका गणित पढ़ने गए अंकुर भाटिया को एक्टिंग का चस्का लगा तो न्यूयॉर्क फिल्म अकडेमी में दाखिल ले कर फिल्म निर्माण और अभिनय सीख लिया। वहीँ कुछ फ़िल्में भी मिल गई। ज़ंजीर के रीमेक में अंकुर ने बोस्को का निगेटिव किरदार भी किया। सरबजीत फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन के पति बलदेव का किरदार करने वाले अंकुर भाटिया अब अपूर्व लखिया की ही फिल्म हसीना -द क्वीन ऑफ़ मुंबई (हसीना पार्कर) में श्रद्धा कपूर के पति इब्राहिम पार्कर का किरदार कर रहे हैं। अपनी पहली दो फिल्मों में प्रभाव छोड़ने वाले अंकुर हसीना की छोटी भूमिका में भी श्रद्धा के किरदार को भरपूर सपोर्ट कर सकेंगे। निर्माता, निर्देशक और लेखक अनंत महादेवन की फिल्म अक्सर २ में दो अभिनेता गौतम रोडे और अभिनव शुक्ल नायक हैं। यह दोनों टेलीविज़न सीरियलों के जाने पहचाने चेहरे हैं। गौतम रोडे ने संजयलीला भंसाली के सीरियल सरस्वतीचंद्र में टाइटल रोल किया था। अभिनव शुक्ल भी टीवी पर महत्वपूर्ण किरदार कर चुके हैं। लेकिन, अक्सर २ में यह दोनों अपनी नायिका के सहयोगी नायक हैं। इस फिल्म की नायिका ज़रीन खान हैं। पूरी फिल्म ज़रीन खान के अंग प्रदर्शन और कामुक हावभाव पर टिकी होगी। निर्देशक सुरेश त्रिवेणी की फिल्म तुम्हारी सुलु में विद्या बालन ने एक ऐसी गृहणी का किरदार कर रही हैं, जिसे रेडियो जॉकी बनाने का मौक़ा मिल जाता है। फिल्म में उनकी बॉस का किरदार नेहा धूपिया कर रही हैं। पूरी तरह से नायिकाओं पर केंद्रित फिल्म तुम्हारी सुलु में मानव कौल विद्या बालन के पति का किरदार कर रहे हैं। क्या पूरी तरह से विद्या बालन की फिल्म में मानव कौल के लिए कोई ख़ास मौके होंगे ?
सपोर्ट में अभिनेत्रियां भी
टेलीविज़न सीरियल वीरा की समान्तर भूमिका से शुरुआत करने वाली समीक्षा भटनागर कुमकुम भाग्य, उतरन और देवों के देव महादेव जैसे टीवी सीरियलों में भिन्न किरदार कर चुकी हैं। उनका हिंदी फिल्म डेब्यू मधुर भंडारकर की फिल्म कैलेंडर गर्ल से हुआ था। श्रेयस तलपड़े निर्देशित कॉमेडी फिल्म पोस्टर बॉयज में वह सनी देओल, बॉबी देओल और श्रेयस तलपड़े जैसी बड़ी स्टार कास्ट के साथ बॉबी की प्रेमिका सूरजमुखी का किरदार कर रही हैं। निर्देशक राजा कृष्णा मेनन की फिल्म शेफ हॉलीवुड इसी टाइटल वाली फिल्म की रीमेक है। यह फिल्म एक शेफ की है, जो खुद को प्रूफ करने के लिए एक बस में अपना चलता फिरता ढाबा लेकर निकल पड़ता है। हॉलीवुड फिल्म में इस शेफ का साथ उसकी पूर्व पत्नी देती है। राजा कृष्ण मेनन की फिल्म में भी यह किरदार है। ज़ाहिर है कि यह मुख्य किरदार का सपोर्टिंग है। इस भूमिका को मलयालम फिल्म अभिनेत्री पद्मप्रिया कर रही हैं। पद्मप्रिया को हिंदी दर्शक फिल्म स्ट्राइकर (२०१०) में देख चुके हैं। वह अपने स्वाभाविक अभिनय से शेफ को सहारा देंगी।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday, 7 September 2017
सनी देओल के साथ सोनाली कुलकर्णी
मराठी फिल्मों की नामचीन अभिनेत्री सोनाली
कुलकर्णी हिंदी फिल्मों में कुछ ख़ास कारनामा नहीं कर सकी। अपनी पहली कमर्शियल फिल्म मिशन इम्पॉसिबल में वह हृथिक रोशन की माँ के किरदार में थी। हालाँकि, हिट फिल्म दिल चाहता है में वह सैफ अली खान की नायिका थी। लेकिन, बात नहीं बन सकी। उन्हें २०११ में रिलीज़ फिल्म सिंघम में मेघा कदम की छोटी भूमिका में थी। अब छह साल बाद, वह पोस्टर बॉयज़ में सनी देओल की पत्नी के रूप में नजर आएँगी। सोनाली कुलकर्णी को सनी देओल के साथ मौका कैसे मिला ! इसकी कहानी दिलचस्प है। कुछ साल पहले, सोनाली कुलकर्णी ने सनी देओल के साथ एक फिल्म में काम करना शुरू किया था, लेकिन फिल्म प्रदर्शित नहीं हो सकी। उस दौरान सनी देओल को सोनाली कुलकर्णी ने काफी प्रभावित किया था। यही कारण है कि फिल्म पोस्टर बॉयज के लिए सनी देओल ने ही सोनाली को रेकमंड किया।
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Oonchi Hai Building 2.0 Song
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सारा भट्टी की डेब्यू फिल्म रंगबाज़
एक्टर मिकाल ज़ुल्फ़िकार की तलाकशुदा सारा भट्टी अब फिल्मों में काम करने जा रही हैं। वह फारूक मेंगल की फिल्म रंगबाज़ में मुख्य भूमिका करेंगी। यह फिल्म एक कॉन-आर्टिस की कहानी है। यह फिल्म सारा की डेब्यू फिल्म होगी। कहती हैं सारा भट्टी, "फिल्म की कहानी में प्यार और धोखा है। मेरा साशा करैक्टर काफी स्ट्रांग है। यही कारण है कि मैंने इसे अपनी डेब्यू फिल्म बनाया।" हिंदुस्तानी दर्शकों के लिए बताते चले कि सारा के पूर्व शौहर मिकाल ज़ुल्फ़िक़ार भी फिल्म एक्टर हैं। वह अक्षय कुमार के साथ फिल्म बेबी में एक अहम् किरदार कर चुके हैं, जो अक्षय कुमार की टीम की मदद करता है। इन दोनों छह साल के विवाहित जीवन और दो बेटियों के जन्म के बाद तलाक़ लिया। रंगबाज़ के डायरेक्टर फ़ारूक़ मेंगल की यह दूसरी फिल्म है। फ़ारूक़ की पहली फिल्म हिजरत थी।
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महेश बाबु की फिल्म स्पाईडर (चित्र)
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Sunday, 3 September 2017
बॉलीवुड न्यूज़ ३ सितम्बर
सनी देओल की सबसे जल्दी पूरी हुई फिल्म
अगले महीने, बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल बिलकुल नए अवतार में नज़र आएंगे। उनका यह अवतार कॉमेडी हीरो का होगा। इस फिल्म में वह अपने छोटे भाई बॉबी देओल के साथ स्क्रीन शेयर कर रहे होंगे। सनी देओल की यह कॉमेडी फिल्म पोस्टर बॉयज इसी टाइटल वाली मराठी फिल्म की हिंदी रीमेक हैं। मराठी पोस्टर बॉयज का निर्देशन श्रेयस तलपड़े ने किया था। हिंदी पोस्टर बॉयज का निर्देशन भी श्रेयस तलपड़े ही कर रहे हैं। यह उनकी बतौर निर्देशक पहली हिंदी फिल्म है। इस फिल्म में वह अहम् किरदार भी कर रहे है। श्रेयस की पहली हिंदी फिल्म और दो एक्शन सितारों के साथ कॉमेडी फिल्म बनाने के बावजूद श्रेयस तलपड़े ने इस फिल्म की शूटिंग इतनी जल्दी पूरी की कि यह फिल्म सनी देओल की सबसे जल्दी पूरी होने वाली फिल्म बन गई। इस फिल्म की शूटिंग महज ३७ दिनों में पूरी हुई है। यह फिल्म ८ सितम्बर को रिलीज़ होगी।
करण जौहर ने क्यों नहीं ,की आमिर खान के साथ फिल्म ?
निर्माता यश जौहर के २६ साल के बेटे ने फिल्म कुछ कुछ होता है (१९९८) से बतौर निर्देशक डेब्यू किया था। इस फिल्म में करण जौहर ने बॉलीवुड के दो स्थापित खानों शाहरुख़ खान और सलमान खान को निर्देशित किया था। अब तक आधा दर्जन निर्देशित फिल्मों में उन्होंने चार में शाहरुख़ खान को निर्देशित किया है। पिछले साल रिलीज़ ऐ दिल है मुश्किल के नायक रणबीर कपूर थे। लेकिन, शाहरुख़ खान का कैमिया था। करण ने फिल्म कभी अलविदा न कहना में सैफ अली खान को भी निर्देशित किया था। मगर, वह अभी तक आमिर खान के साथ कोई फिल्म निर्देशित नहीं कर सके हैं। इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न की मास्टर क्लास में करण जौहर ने आमिर खान को फिल्म जगत का 'सबसे बुद्धिमान सिनेमाई दिमाग बताया। दर्शकों के सवालों का जवाब देते हुए करण जौहर ने स्वीकार किया कि वह इस महान कलाकार के साथ फिल्म करना चाहते हैं। लेकिन, अब तक कोई फिल्म क्यों नहीं की, के सवाल के जवाब में करण जौहर ने कहा, "मैं नहीं चाहता कि मैं उन्हें एक घटिया फिल्म दूँ। इसलिए मैं काफी नर्वस हूँ।"
डायरेक्टरों को १०० करोडिया बनाते अक्षय कुमार
बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की लगातार पांचवी फिल्म १०० करोड़ क्लब में शामिल हो गई। अक्षय कुमार की १०० करोड़ क्लब में शामिल होने वाली पांच फिल्मों की श्रृंखला की पहली फिल्म एयरलिफ्ट थी। यह फिल्म जनवरी २०१६ में रिलीज़ हुई थी। इसके बाद रिलीज़ हाउसफुल ३, रुस्तम और जॉली एलएलबी २ के बाद अब टॉयलेट एक प्रेम कथा १०० करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी हैं। इस प्रकार से अक्षय कुमार १९ महीनों में पांच हिट फ़िल्में देने वाले अनोखे अभिनेता बन चुके हैं। अपने इस कीर्तिमान के कारण अक्षय कुमार अपने पांच निर्देशकों को १०० करोड़ क्लब में शामिल होने वाली फ़िल्में बनाने वाला निर्देशक भी बना चुके हैं। हालाँकि, एयरलिफ्ट के निर्देशक राजा मेनन ने नसीरुद्दीन शाह के साथ बारह आना, हाउसफुल 3 के निर्देशक जोड़े साजिद-फरहद ने अक्षय कुमार के साथ ही एंटरटेनमेंट, रुस्तम के निर्देशक टीनू सुरेश देसाई ने हॉरर फिल्म १९२०-लन्दन, जॉली एलएलबी २ के निर्देशक सुभाष कपूर ने चार फ़िल्में से सलाम इंडिया, फस गया रे ओबामा, जॉली एलएलबी और गुड्डू रंगीला का निर्देशन किया था। टॉयलेट एक प्रेम कथा के निर्देशक एसएन सिंह की एक फिल्म ये जो मोहब्बत है २०१२ में रिलीज़ हुई थी।
चित्रगुप्त की जन्मशती का जश्न
फाइटिंग हीरो, तूफ़ान क्वीन, लेडी रॉबिनहुड और जादुई रतन जैसी स्टंट फिल्मों के संगीत से करियर की शुरुआत कर हमारा घर और हमारी शान जैसी सामाजिक तथा भक्त पुराण, तुलसीदास, नवरात्री और शिव भक्ति जैसी धार्मिक फिल्मों का संगीत देने वाले हरफनमौला संगीतकार चित्रगुप्त का जन्म १६ नवंबर १९१७ को हुआ था। इस लिहाज़ से २०१७ चित्रगुप्त की जन्मशति का वर्ष है। अपने ५२ साल लम्बे फिल्म करियर में चित्रगुप्त ने कोई डेढ़ सौ फिल्मों में संगीत दिया। बिहार में जन्मे चित्रगुप्त के संगीत में माधुर्य के साथ साथ मिटटी की महक महसूस होती थी। पिछले दिनों उनके दो बेटों संगीतकार आनंद और मिलिंद ने अपने पिता की जन्मशति म्यूजिक अकादमी 'आनंद मिलिंद संगीत एकडेमी' के उद्घाटन के साथ मनाई । इस अकादमी का उद्घाटन करने के लिए सोनू निगम अमेरिका से खास तौर पर आये थे। इस अवसर पर गोविंदा, अल्का याज्ञिक, अभिजीत भट्टाचार्य, समीर, जतिन, योगेश लखानी, अरुण बक्षी, मुकेश ऋषि, सतीश कौशिक,सुरेश वाडकर, सपना मुखर्जी, रमेश राजा, राजू सिंह और कई अन्य लोग भी मौजूद थे ।
पिछले दो सालों से शशांक घोष की फिल्म वीरे दी वेडिंग चर्चा में है। जबकि, इस फिल्म की एक रील भी शूट नहीं हो पाई है। इस फिल्म की ज़्यादातर चर्चा करीना कपूर की प्रेग्नेंसी पर टिकी रही। कभी यह कि फिल्म में करीना कपूर गर्भवती महिला नहीं हैं। कभी यह कि करीना कपूर फिल्म में काम नहीं कर रही। जबकि स्थिति यह थी कि करीना कपूर के बच्चे के जन्म तक इस फिल्म की शूटिंग शुरू ही नहीं हो सकती थी। आज भी इस फिल्म के बारे में जो खबर है, वह यह कि फिल्म की शूटिंग से पहले की स्क्रिप्ट रीडिंग के सेशन शुरू हो गए हैं। यानि फिल्म के तमाम मुख्य कलाकार एकजुट बैठ कर स्क्रिप्ट सुनेंगे और अपने रोल समझेंगे। पहले सेशन में करीना कपूर खान, सोनम कपूर, शिखा तलसानिया और स्वरा भास्कर ने हिस्सा लिया। फिल्म की शूटिंग सितम्बर में शुरू हो जाएगी। देर आयद के दुरुस्त आयद की उम्मीद की जा सकती है।
ओमपुरी की आखिरी फिल्म
ओमपुरी की आखिरी फिल्म
कल्लू कबाड़ी मामूली स्कैप डीलर है। एक दिन अपने दादा के ज़मीन के टुकड़े के कारण वह रैंक से राजा बन जाता है। वह अपनी प्रेमिका चंदो से शादी कर लेता है। कल्लू अमीर हो गया है, इसलिए वह अपने अतीत को पीछे छोड़कर जीवन का एक नया अध्याय शुरू करना चाहता है, भव्य जिंदगी जीना चाहता है । उसके पास सफल, सम्मानित व्यवसाय चलाने के लिए कोई आवश्यक अनुभव या
शिक्षा नहीं है,
इसलिए वह राज्य के १५० से ज्यादा निजी शौचालयों का मालिक बन जाता है। कल्लू का
बेटा चमन शौचालय चलाता है और साप्ताहिक पैसा इकट्ठा करता है। अपने पेशे से शर्मिंदा वह खुद को रेस्तरां की
श्रृंखला के मालिक बताता है । कहानी तब एक
महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंचती है, जब चमन शैली के साथ प्यार में पड़ जाता हैं, जिसका पिता कबाडियों से नफरत करता है । इस फिल्म में अनु कपूर कल्लू कबाड़ी का किरदार कर रहे है। यह ओमपुरी की आखिरी फिल्म है। फिल्म में वह कल्लू के दोस्त छन्नू खान का किरदार कर रहे हैं।
टोरंटो में सिक्किमी फिल्म पहूना
कान्स फिल्म फेस्टिवल में पहूना का फर्स्ट लुक दिखाए जाने के बाद अब ७ सितंबर से शुरू होनेवाले टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में पाखी टायरवाला
निर्देशित इस फिल्म को स्क्रिनिंग के लिए आमंत्रण मिला हैं। बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपडा ने अपनी माँ
डॉ. मधु चोपडा के साथ मिलकर क्षेत्रीय सिनेमा में अपनी प्रोडक्शन हाऊस पर्पल पेबल
पिक्चर्स के साथ कदम रखा। पहूना- दि लिटील विजीटर्स माओवादियों के आंदोलन से बचकर नेपाल से सिक्किम जाते वक्त अपने माँ-बाप से बिछडे तीन साहसी बच्चों की कहानी हैं। इन बच्चों की यह कहानी हैं। पहुना की टोरंटो में स्क्रीनिंग से उत्साहित प्रियंका चोपडा ने कहा,” मैं, मेरी माँ डॉ. मधु
चोपडा और पर्पल पेबल पिक्चर्स हम सभी के लिए यह एक गर्व की बात हैं। हमारी यह केवल पांचवी फिल्म हैं। टोरंटो
अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में स्क्रिनिंग करने के लिए इस फिल्म का चयन होना
निश्चित ही हमारे लिए सम्मान की बात हैं।“
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Saturday, 2 September 2017
डीसी कॉमिक्स के दो विलेन किरदारों का रोमांस !
वार्नर ब्रदर्स ने काल्पनिक कॉमिक्स करैक्टर हर्ले क्विन और द जोकर पर
फिल्म का ऐलान कर दिया है ।
इस फिल्म में जार्ड लेटो और मार्गोट रोबी जोकर और हार्ले क्विन के अपने किरदार
करेंगे । दिस इज अस के डायरेक्टर ग्लेंन फिओरा और जॉन रेकुआ को फिल्म की पटकथा और
निर्देशन करने का जिम्मा सौंपा गया है । यह खबर, वार्नर ब्रदर्स की उस खबर के बाद
की है, जिसमे स्टूडियो ने जोकर के ओरिजिन पर केन्द्रित फिल्म बनाए जाने का ऐलान
किया था । जोकर पर यह फिल्म डीसी एक्सटेंडेड यूनिवर्स के अंतर्गत नहीं है । इसलिए,
वार्नर की फिल्म में जोकर का किरदार जरेड लेटो नहीं करेंगे । मगर, जोकर के
प्रशंसकों जानते हैं कि जोकर और हर्ले क्विन अपना अलग सिनेमेटिक यूनिवर्स बनाने जा
रहे हैं । यह फिल्म सुसाइड स्क्वाड सीक्वल
के पूरा होने के बाद शुरू की जायेगी । यहाँ बताते चलें कि हर्ले क्विन और जोकर
विलेन डीसी कॉमिक्स के विलेन करैक्टर हैं । हर्ले क्विन जोकर की सहायिका है । जोकर
और हर्ले क्विन को लेकर बनाई जा रही फिल्म, दरअसल एक लव स्टोरी होगी । जोकर ओरिजिन
और द बैटमैन डीसी एक्सटेंडेड यूनिवर्स के अंतर्गत बनाई जा सकती हैं और स्वतंत्र
रूप से भी बनाई जा सकती है । डीसी और वार्नर ब्रदर्स का इरादा जस्टिस लीग
के सीक्वल के निर्देशक मैट रीव्स द बैटमैन में क्या पेश करना चाहते हैं । देखा जाए तो इस समय पांच ऎसी फ़िल्में बनने की
भिन्न चरणों में हैं, जिनमे जोकर का किरदार है । चार फिल्मों में हर्ले क्विन भी
अपने तेवर दिखायेगी । २०१६ की फिल्म सुसाइड स्क्वाड में हर्ले क्विन के कॉस्टयूम
की काफी आलोचना हुई थी । अगर इसका असर अभी तक है तो मर्गोट हर्ले क्विन किरदार
वाली फिल्मों में नज़र नहीं आएँगी । यह पांच फ़िल्में सुसाइड स्क्वाड २, गोथम सिटी साईरन्स, जोकर ओरिजिन स्टोरी, जोकर एंड हर्ले क्विन और फ़्लैश पॉइंट हैं ।
अपराध कथा में अपराधी करैक्टरों का रोमांस क्या रंग लता है यह पांच
फ़िल्में सुसाइड स्क्वाड २, गोथम सिटी साईरन्स, जोकर ओरिजिन स्टोरी, जोकर एंड हर्ले
क्विन और फ़्लैश पॉइंट हैं ।
ऐसे में जबकि जोकर और हर्ले क्विन के चरित्रों के साथ फिल्मों का जमावड़ा लगाने जा
रहा है, क्या दर्शक जोकर और हर्ले क्विन के रोमांस को देखना पसंद करेंगे ?
बेन अफ़्लेक नहीं होंगे बैटमैन !
पिछले दिनों यह अफवाह फैली थी कि मैट रीव्स की द बैटमैन में बैटमैन का किरदार बेन अफ्लेक नहीं कर रहे हैं। लेकिन, अब यह अफवाह सच साबित हो गई है। खुद रीव्स ने इस बात की पुष्टि की है कि द बैटमैन सोलो फिल्म होगी। यानि बैटमैन ही फिल्म का इकलौता सुपर हीरो होगा। यह डिटेक्टिव कॉमिक्स एक्सटेंडेड यूनिवर्स के अंतर्गत भी नहीं होगी। बेन अफ्लेक ने २०१६ में बैटमैन वर्सेज सुपरमैन: डौन ऑफ़ जस्टिस में पहली बार बैटमैन का नकाब ओढ़ा था। इसी साल रिलीज़ सुसाइड स्क्वाड में भी वह बैटमैन नकाब में थे। इस साल १७ नवंबर को रिलीज़ होने जा रही जैक स्निडर की फिल्म जस्टिस लीग में भी वह बैटमैन का किरदार कर रहे हैं। ध्यान रहे यह कोई भी फिल्म सोलो बैटमैन फिल्म नहीं है। मैट रीव्स की फिल्म का ब्रूस वैन उर्फ़ बैटमैन जस्टिस लीग यूनिवर्स से भीं काल खंड का है। इसलिए, बेन अफ्लेक के अलावा किसी दूसरे एक्टर को बैटमैन बनाने की ज़रुरत समझी गई।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
अनंत महादेवन की खामोश फिल्म में सुनील शेट्टी
देसी कट्टे के बाद खामोश हो जाने वाले एक्शन हीरो सुनील शेट्टी अब फिर कमर कस चुके हैं। कोई तीन साल बाद उन्हें फिल्म जेंटलमैन में देखा गया। खबर है कि अ जेंटलमैन में कैमिया के बाद वह फिर खामोश हो जायेंगे। लेकिन, उनकी यह ख़ामोशी अनंत महादेवन की फिल्म में होगी। यह फिल्म साइलेंट मूवी है। मतलब यह कि इस फिल्म में संगीत के अलावा कोई आवाज़ नहीं होगी। यह फिल्म साइलेंट होने के बावजूद हास्य से भरपूर होगी। इस फिल्म की बात करते समय दर्शकों को चार्ली चैपलिन की फ़िल्में याद आ जाएँगी। उन्हें कमल हासन की १९८७ में रिलीज़ फिल्म पुष्पक को भी याद करना चाहिए । संगीत श्रीनिवास राव की लिखी और निर्देशित इस फिल्म में कमल हासन ने एक बेरोजगार युवा का किरदार किया था। यह अच्छी कॉमेडी फिल्म साबित हुई थी। कमल हासन की फिल्म में तीन मुख्य चरित्र (कमल हासन, अमला और टीनू आनंद) थे। अनंत महादेवन की फिल्म में कोई २५ मुख्य करैक्टर होंगे । सुनील शेट्टी की आने वाली फिल्मों में शूटर पूरी हो चुकी है। इसके अलावा शेर, हेरा फेरी ३ और पल्टन के नाम भी सुनील शेट्टी के खाते में दर्ज़ हैं।
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday, 31 August 2017
पाकिस्तान में इस बकरीद टकराएंगी दो उर्दू फ़िल्में
इस बार बकरीद पर, पाकिस्तान के बॉक्स ऑफिस पर दो उर्दू भाषी फ़िल्में टकराने को तैयार हैं। पहली फिल्म पंजाब नहीं जाऊंगी की सबसे ज़्यादा चर्चा है। नदीम बेग द्वारा निर्देशित इस फिल्म की बुकिंग पंजाब में सबसे ज़्यादा है। नदीम बेग की २०१५ में रिलीज़ फिल्म जवानी फिर नहीं आनी को भी ज़बरदस्त सफलता मिली थी। इस फिल्म की पटकथा खलीलउर्र रहमान कमर ने लिखी है। फिल्म में हुमायूँ सईद, मेहविश हयात, अहमद अली बट, अजफर रेहमान, सोहैल अहमद, सफीना बेहरोज़, बेहरोज़ सब्ज़वारी, सबा हमीद, वसीम अब्बास और नवीद शहज़ाद जैसी ए क्लास की स्टार कास्ट यही। इसीलिए इस फिल्म का ज़बरदस्त क्रेज बन चुका है। इस रोमांटिक कॉमेडी फिल्म से टकराने को तैयार है एक कॉमेडी थ्रिलर फिल्म न मालूम अफ़राद २। कराची में तो न मालूम अफ़राद २ का दबदबा बन चुका है। कराची में फिल्म को पिछले दो तीन
सालों से पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री बॉक्स ऑफिस पर झटके खाती रही है। प्रदर्शकों ने फ़ास्ट ८ के बाद कोई वास्तविक हिट फिल्म नहीं दिखाई है। कुछ हिंदी
और इंग्लिश फिल्मों को
बॉक्स ऑफिस पर थोड़ी बहुत सफलता ज़रूर मिली है। मगर पाकिस्तानी फ़िल्में नाकाम ही होती रही हैं। पाकिस्तान की असफल फिल्मों में मेगा बजट फिल्म यलगार भी शामिल है। यहाँ तक कि अच्छी शुरुआत करने के बावजूद शाहरुख़ खान की फिल्म जब हैरी मेट सेजल भी औसत से नीचे रही। यहीं कारण है कि पाकिस्तान का फिल्म उद्योग काफी सावधानी बरत रहा है। न मालूम अफराद २ और पंजाब नहीं जाऊंगी से अच्छे बिज़नस की उम्मीद लगाए पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री ने अजय देवगन, इमरान हाश्मी, इलिअना डिक्रुज़, एषा गुप्ता और विद्युत् जामवाल की फिल्म बादशाओ को पाकिस्तान में रिलीज़ होने से रोक दिया है, ताकि पाकिस्तान की दो फ़िल्में ईद वीकेंड पर ज्यादा से ज्यादा बिज़नस कर सकें। वैसे बॉक्स ऑफिस को न मालूम अफ़राद २ से ज़्यादा उम्मीदें हैं। इस फिल्म के वीकेंड में ५ करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस करने की उम्मीद लगाईं जा रही है। इसे पंजाब नहीं जाऊंगी से ज़्यादा स्क्रीन भी मिले हैं और चर्चा भी इसी इसी फिल्म की हो रही है। न मालूम अफ़राद २ के निर्देशक नबील कुरैशी हैं। वही २०१४ की फिल्म न मालूम अफ़राद के डायरेक्टर थे। इस फिल्म में फहद मुस्तफा, जावेद शेख, मोहसिन अब्बास हैदर और उरवा होकेन की मुख्य भूमिका है। इस फिल्म से तनहाइयाँ, धूप किनारे और निजात जैसे सीरियलों से मशहूर ५५ वर्षीय अभिनेत्री मारिना खान का फिल्म डेब्यू हो रहा है।
बॉक्स ऑफिस पर थोड़ी बहुत सफलता ज़रूर मिली है। मगर पाकिस्तानी फ़िल्में नाकाम ही होती रही हैं। पाकिस्तान की असफल फिल्मों में मेगा बजट फिल्म यलगार भी शामिल है। यहाँ तक कि अच्छी शुरुआत करने के बावजूद शाहरुख़ खान की फिल्म जब हैरी मेट सेजल भी औसत से नीचे रही। यहीं कारण है कि पाकिस्तान का फिल्म उद्योग काफी सावधानी बरत रहा है। न मालूम अफराद २ और पंजाब नहीं जाऊंगी से अच्छे बिज़नस की उम्मीद लगाए पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री ने अजय देवगन, इमरान हाश्मी, इलिअना डिक्रुज़, एषा गुप्ता और विद्युत् जामवाल की फिल्म बादशाओ को पाकिस्तान में रिलीज़ होने से रोक दिया है, ताकि पाकिस्तान की दो फ़िल्में ईद वीकेंड पर ज्यादा से ज्यादा बिज़नस कर सकें। वैसे बॉक्स ऑफिस को न मालूम अफ़राद २ से ज़्यादा उम्मीदें हैं। इस फिल्म के वीकेंड में ५ करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस करने की उम्मीद लगाईं जा रही है। इसे पंजाब नहीं जाऊंगी से ज़्यादा स्क्रीन भी मिले हैं और चर्चा भी इसी इसी फिल्म की हो रही है। न मालूम अफ़राद २ के निर्देशक नबील कुरैशी हैं। वही २०१४ की फिल्म न मालूम अफ़राद के डायरेक्टर थे। इस फिल्म में फहद मुस्तफा, जावेद शेख, मोहसिन अब्बास हैदर और उरवा होकेन की मुख्य भूमिका है। इस फिल्म से तनहाइयाँ, धूप किनारे और निजात जैसे सीरियलों से मशहूर ५५ वर्षीय अभिनेत्री मारिना खान का फिल्म डेब्यू हो रहा है।
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बॉक्स ऑफिस पर,
सरहद पार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
महाराजा के किरदार में संजय दत्त
दूसरा विश्व युद्ध छिड़ा हुआ था। इस समय रूस और साइबेरिया से पोलिश शरणार्थियों से भरा के जहाज, जिसमे पांच हजार बच्चे और औरते भरी हुई थी, शरण के लिए पोलैंड से लेकर ईरान तक एक देश से दूसरे देश भटक रहा था। ऐसे समय मे यह जहाज ब्रिटिश शासित मुंबई पहुंचा। इस जहाज के बारे में खबर जाम साहिब के महाराजा दिग्विजय सिंह को मिली। उन्होंने जामनगर में बालछड़ी में चिल्ड्रन कैंप स्थापित कर दिया। जहाँ इन शरणार्थियों को रखा गया। यह लोग १९४५ तक यहीं रहे। इस ३०० एकड़ में फैले इस कैंप में आजकल सैनिक स्कूल चलता है। पोलैंड के शासकों ने महाराजा के इस काम को देखते हुए, वारसा में उनके सम्मान में द जमसाहेब दिग्विजय सिंह जडेजा स्कूल की स्थापना की। २०१६ में पोलैंड की संसद ने महाराजा के सम्मान में एक प्रस्ताव भी पारित किया। महाराजा की मृत्यु ३ फरवरी १९६६ को हो गई थी। महाराजा के इस व्यक्तित्व और कृतित्व को एक फिल्म के माध्यम से भी उकेरा जा रहा है। ओमंग कुमार के निर्देशन में इस फिल्म का निर्माण भारत-पोलिश सहयोग से किया जा रहा है। द गुड महाराजा टाइटल के साथ बनाई जा रही फिल्म में संजय दत्त ने महाराजा जाम साहिब दिग्विजय सिंह का किरदार कर रहे हैं। इस फिल्म का फर्स्ट लुक पोस्टर आज जारी किया गया है, जिसमे संजय दत्त महाराजा के गेटअप में नज़र आ रहे हैं। हिंदी फिल्मों में वापसी के बाद संजय दत्त की ओमंग कुमार के साथ यह दूसरी फिल्म है। ओमंग कुमार के निर्देशन में संजय दत्त की पहली वापसी फिल्म भूमि २२ सितम्बर को रिलीज़ हो रही है।
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तीसरे सिंघम बनेंगे सनी देओल
सिंघम फ्रैंचाइज़ी की तीसरी फिल्म सिंघम का ऐलान हो गया है। लेकिन, इस फिल्म में भारी फेर बदल हुआ है। तमिल सिंहम पर तीन फ़िल्में बनाई जा चुकी हैं। इन तीनों ही फिल्मों के नायक सूर्या ही थे। बॉलीवुड ने पहली सिघम का रीमेक करने के बाद दूसरी सिंघम रिटर्न्स काले धन और बाबाओं के गठजोड़ की अलग कहानी पर आधारित थी । इस तीसरी फिल्म में सिंघम का चोला अभिनेता अजय देवगन ओढ़ने नहीं जा रहे। सिंघम ३ का निर्देशन भी रोहित शेट्टी नहीं करेंगे। अब सिंघम ३ का निर्माण जयंतीलाल गाड़ा के साथ सनी देओल करेंगे। वह इस फिल्म में सिंघम का किरदार भी करेंगे। इस बाबत, सनी देओल ने अपने मित्र अजय देवगन की राय भी ले ली है। अजय देवगन को सनी देओल द्वारा सिंघम फ्रैंचाइज़ी पर फिल्म बनाने पर ऐतराज़ भी नहीं है। मगर, सनी देओल फिल्म में सिंघम टाइटल का इस्तेमाल नहीं करेंगे। सिंघम ३ टॉलीवूड की ओर वापसी ज़रूर होगी। यह फिल्म सूर्या की फिल्म सिंहम ३ का रीमेक ही होगी। परन्तु इस फिल्म का टाइटल एसआई ३ होगा। इसे शार्ट में सिंघम भी समझा जा सकता है। इस फिल्म से सिनेमेटोग्राफर के० रवि चंद्रन का बॉलीवुड डेब्यू होगा। इस फिल्म की कहानी ठगों के कारनामों पर आधारित होगी, जो एक पुलिस अधिकारी रहस्यमय तरीके से हत्या कर देते हैं। इस फिल्म की नायिका का चयन नहीं हुआ है। ज़ाहिर है कि सनी देओल एक बार फिर अपने ढाई किलो के हाथ का जौहर दिखाने जा रहे हैं। उनकी, अपने भाई बॉबी देओल के साथ कॉमेडी फिल्म पोस्टर बॉयज अगले महीने रिलीज़ होने जा रही है। वह बेटे करण को नायक बनाने के लिए एक फिल्म का निर्देशन भी कर रहे हैं।
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Wednesday, 30 August 2017
मैरी क्वीन ऑफ़ स्कॉट्स की जेम्मा चान, इक्वलाइज़र के सीक्वल का विलेन पेड्रो पास्कल
सीआईए का अश्वेत
अधिकारी मैकाल रिटायरमेंट के बाद हिंसा से दूर शांतिपूर्ण जीवन जी रहा है। परन्तु, एक के बाद एक कई क्रूर हिंसक घटनाएं, उसे फिर से बन्दूक उठाने को मज़बूर कर देती हैं। यह कहानी ३ अक्टूबर
२०१४ को भारत में रिलीज़ डेन्ज़ेल वाशिंगटन की केंद्रीय भूमिका वाली फिल्म इक्वलाइज़र
की है । ७३ मिलियन डॉलर के बजट में बनी निर्देशक एंटोनी फुका की
फिल्म इक्वलाइज़र ने वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर १९२.३ मिलियन डॉलर का ग्रॉस किया था।
अब इस फिल्म का सीक्वल बनाया जा रहा है। सीक्वल फिल्म के डायरेक्टर एंटोनी फुका ही
होंगे। फिल्म की कहानी तथा दूसरे विवरण का
अभी खुलासा नहीं किया जा रहा है । पिछली
फिल्म में डेन्ज़ेल वाशिंगटन के किरदार ने रशिअन सिंडिकेट से पंगा लिया था। सीक्वल
फिल्म में क्या करने जा रहे हैं, अभी साफ़ नहीं है । कुछ ऐसा ही द एडजस्टमेंट
ब्यूरो के पॉल डि सांतो अभिनेता पेड्रो पास्कल की इस सीक्वल फिल्म में भूमिका के
बारे में भी कहा जा सकता है। जहाँ तक
इक्वलाइज़र की रिलीज़ की तारीख का सवाल है, यह १४ सितम्बर २०१८
पहले से ही तय है। लेकिन, इस बीच दर्शकों को पेड्रो पास्कल को फिल्म
किंग्समैन: द गोल्डन सर्किल (२२ सितम्बर २०१७ रिलीज़) में राजनेता जैक डेनियल/
एजेंट व्हिस्की के किरदार में देख चुके होंगे।
मैरी
क्वीन ऑफ़ स्कॉट्स की जेम्मा चान
ब्रितानी- अमेरिकी
फिल्म मैरी क्वीन ऑफ़ स्कॉट्स एक ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म है। यह फिल्म जॉन ग़य की लिखी आत्मकथा माय हार्ट इस
माय ओन: द लाइफ ऑफ़ मैरी क्वीन पर आधारित फिल्म है। फिल्म की पटकथा बेउ बिलिमन ने
लिखी है। इस फिल्म में सओरिस रोनन क्वीन ऑफ़ स्कॉट्स के किरदार में हैं। फिल्म में कई दूसरे महत्वपूर्ण चरित्र भी
है। मसलन, मार्गोट रॉबी महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम, जैक लोब्डेन लॉर्ड डार्न्ले, मार्टिन कप्सटन
जेम्स हेपबर्न, जो एल्विन रोबर्ट
डडले, ब्रेंडन कोयल मैथ्यू स्टीवर्ट, डेविड टेन्नंत अन्थोनी बैबिंगटन, मारिया-विक्टोरिया ड्रगस मैरी फ्लेमिंग और
इस्माइल क्रूज़ कोरडोवा डेविड रिज़्ज़िओ के किरदार में हैं। अब इस स्टारकास्ट में एलिज़ाबेथ की घनिष्ठ मित्र
एलिज़ाबेथ हार्डविक के किरदार में एक्शन थ्रिलर फिल्म जैक रयान: शैडो रिक्रूट की
एमी चांग की मैरी चांग को शामिल कर लिया गया है।
फिलहाल इस फिल्म की रिलीज़ की तारीख तय नहीं है, लेकिन फिल्म २०१८ के अंत तक रिलीज़ हो सकती है।
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
हमेशा सुन्दर सुशील और रिस्की रहा है देसी जेम्स बांड
बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ मल्होत्रा निर्देशक
जोड़ी कृष्णा डीके और राज निदिमोरू निर्देशित फिल्म अ जेंटलमैन : सुन्दर सुशील
रिस्की में भारतीय जेम्स बांड के किरदार में हैं। फिल्म में थोड़ा स्पिडरमैन का तड़का है। सिद्धार्थ की दो पहचान है। वह कभी गौरव है, कभी ऋषि।
इस बीच वह सुन्दर और सुशील भी होता है और रिस्की भी। जब वह रिस्क लेने पर उतरता है तो क्या
कहने। ब्रितानी जेम्स बांड को भी मात देता
लगता है। हालाँकि, इस फिल्म को हृथिक
रोशन की २०१४ में रिलीज़ फिल्म बैंग बैंग का सीक्वल बताया जा रहा था। मगर निर्माताओं ने इससे साफ़ इंकार किया
है। बहरहाल, सिद्धार्थ मल्होत्रा भारतीय जेम्स बांड का अवतार
लेने जा रहे हैं। इस समय याद आ जाते हैं
पहले जेम्स बांड, जिनका जन्म इयान फ्लेमिंग के उपन्यासों में हुआ था।
५५ साल पहले जन्मा था जेम्स बांड !
पहली जेम्स बांड फिल्म डॉक्टर नो ५५ साल पहले ५
अक्टूबर १९६२ को रिलीज़ हुई थी। इसके साथ
ही लम्बी कद काठी वाला सूटेड बूटेड, मार्टिनी पीने का शौक़ीन और खूबसूरत लड़कियों से घिरा रहा पसंद करने
वाला चौकन्ना ब्रितानी जासूस पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया था। सीन कॉनरी पहले
जेम्स बांड थे। भारत में इस फिल्म को
रिलीज़ होने में वक़्त लगा। लेकिन, बॉलीवुड के कॉपी कैट
फिल्मकारों को वाया वीडियो टेप इस फिल्म को देखने का मौका मिल गया। तबसे, आज जेम्स बांड
फिल्मों को ५५ साल गुजर चुके हैं। लेकिन, बांड आज भी जवान हैं, वही ३०-३२ साल का
खूबसूरत, जवान मर्द ।
तेलुगु में जन्मा था देसी बांड
पूरी दुनिया में डॉक्टर नो के रिलीज़ होने के कुछ
साल बाद भारत में हिंदुस्तानी जेम्स बांड का जन्म हुआ। बॉलीवुड के पहले भारतीय जेम्स
बांड का जन्म फिल्म फ़र्ज़ से ६ अक्टूबर १९६७ को हुआ था। इसके जन्मदाता विश्वामित्र आदिल, अरुद्रा और वीडी पुराणिक की
लेखक तिकड़ी के साथ निर्देशक रवि नगाइच थे।
हिंदुस्तानी जेम्स बांड यानि गोपाल उर्फ़ एजेंट ११६ बने थे २५ साल के अभिनेता जीतेन्द्र। यह इंडियन सीक्रेट सर्विस (आईएसएस) का
सीक्रेट एजेंट था। नाचता, गाता और रोमांस करता गोपाल बॉलीवुड पहला देसी जेम्स
बांड था। लेकिन, यह शुद्ध
बॉलीवुड बांड नहीं था। बॉलीवुड के जेम्स बांड गोपाल का जन्म एजेंट
गोपी ११६ से हुआ था। एम मल्लिकार्जुन राव
निर्देशित फिल्म गुडाचारी ११६ (११ अगस्त
१९६६) में कृष्णा घट्ट घट्टमनेनी ही हिंदुस्तान के पहले जेम्स बांड थे। हिंदी दर्शक उन्हें पदमालय स्टूडियो के मालिक
जी कृष्ण के नाम से जानते हैं। फिल्म में
उनके साथ रोमांस जे जयललिता लड़ा रही थी। जयललिता का यह किरदार निगेटिव शेड लिए हुआ
था। पदमालय स्टूडियो ने कालांतर में
बॉलीवुड के पहले जेम्स बांड जीतेन्द्र के
साथ कई पारिवारिक, रोमांस और एक्शन से भरपूर फ़िल्में बनाई। कृष्णा के बेटे महेश बाबू तेलुगु सर्वाधिक सफल अभिनेताओं में शुमार हैं।
१९६८ में तीन हिंदुस्तान जेम्स बांड
तेलुगु बांड फिल्म गुडाचारी ११६ की सफलता के बाद
जेम्स बांड फिल्मों के बनने का सिलसिला चल निकला।
बॉलीवुड ने कम से कम तीन जेम्स
बांड फिल्म बनाई। रामानंद सागर ने देश
भक्ति के तड़के के साथ भारतीय जेम्स बांड को सुनील मेहरा नाम देकर बेरूत भेज दिया, आतंकवादी को ठिकाने
लगाने के लिए। ३३ साल के अभिनेता
धर्मेंद्र बॉलीवुड के परफेक्ट जेम्स बांड साबित हो रहे थे, हालाँकि उन्होंने बन्दूक
चलाने के अलावा कुछ ख़ास एक्शन नहीं किये थे।
अलबत्ता शेर से ज़रूर लड़े थे। दूसरे
जेम्स बांड छह फ़ीट लम्बे शैलेश कुमार थे।
उन्होंने फिल्म गोल्डनऑयज: सीक्रेट एजेंट ०७७ में माइक्रो चिप्स की वापसी
के लिए सीक्रेट एजेंट राकेश को तैनात किया जाता है। कमल शर्मा निर्देशित इस फिल्म में मुमताज़
नायिका की भूमिका में थी। तमाम फिल्म में
शैलेश कुमार मुंबई के सन एंड सैंड होटल के स्विमिंग पूल के किनारे अधनंगी लड़कियों
के साथ मौज करते दिखाए गए थे। तीसरे जेम्स बांड देव कुमार थे। स्पाई इन रोम (१९६८) में देव कुमार देसी जेम्स
बांड राजेश उर्फ़ डबल एक्स सेवन बने थे। बीके आदर्श निर्देशित इस फिल्म में जयमाला, के एन सिंह, ब्रह्म भरद्वाज, आदि मुख्य भूमिका मे
थे। इस फिल्म में एक मज़ाकिया किरदार बुलबुल उर्फ़
एजेंट ००५ (राजेंद्र नाथ) भी था।
यह भी देसी बांड
धर्मेंद्र ने कुछ दूसरी फिल्मों में बांडनुमा
किरदार किये थे। कीमत (१९७३) में
धर्मेंद्र का एजेंट ११ ६ का किरदार कुछ ऐसा ही था। १९७९ में रिलीज़ रवि नगाइच की
फिल्म सुरक्षा में मिथुन चक्रवर्ती ने सीबीआई अफसर गोपी का किरदार किया था। १३ साल बाद रवि नगाइच की ही फिल्म रक्षा में
जीतेन्द्र एजेंट गोपालकृष्ण पांडेय उर्फ़ एजेंट ११६ के किरदार में फिर नज़र आये।
उनकी फिल्म बांड ३०३ भी स्पाई फिल्म थी। वारदात १९८१ में मिथुन चक्रवर्ती एक बार
फिर देसी जेम्स बांड एजेंट गोपीनाथ उर्फ़ गनमास्टर-जी ९ के किरदार में थे। राज सिप्पी की फिल्म मिस्टर बांड (१९९२) में
अक्षय कुमार ने एक पुलिस अधिकारी का किरदार किया था, जो अपहृत छोटे बच्चों को छुड़ाता है। इस किरदार को मिस्टर बांड नाम दिया गया था।
फ्लॉप जेम्स बांड के अभिनेता अक्षय कुमार ने बेबी में सीक्रेट एजेंट का किरदार
किया था। राजश्री प्रोडक्शंस के बैनर तले
विनोद दीपक बाहड़ी की फिल्म एजेंट विनोद (१९७७) में महेंद्र संधू का किरदार देसी
जेम्स बांड वाला था। हालाँकि, इस फिल्म में जगदीप
ने जेम्स बांड की नक़ल में किरदार किया था।
यह हिट फिल्मों में शुमार की जाती है।
अब यह बात दीगर है कि सैफ अली खान की जेम्स बांड की नक़ल पर दो फिल्मे फैंटम
और एजेंट विनोद बुरी तरह से असफल रही थी।
निखिल अडवाणी की फिल्म डी डे और १६ दिसंबर में एजेंटों की फौज थी। मद्रास कैफ़े और रॉकी हैंडसम में जॉन अब्राहम, द हीरो अ लव स्टोरी
ऑफ़ अ स्पाई में सनी देओल, एक था टाइगर में सलमान खान, बैंग बैंग (२०१४) हृथिक रोशन, अज़ान में सचिन जोशी, विश्वरूपम में कमल हासन और नाम शबाना में तापसी पन्नू के किरदारों को
देसी जेम्स बांड टाइटल दिया जा सकता है।
फिर दिखाई पड़ेंगे देसी बांड
दक्षिण के सुपर सितारे अजित कुमार की फिल्म
विवेगम एक एजेंट की कहानी है। बताया जा
रहा है कि उनका इंटरपोल एजेंट किरदार देसी बांड ही है। यह फिल्म हिंदी में डब कर भी रिलीज़ की जानी है।
महेश बाबू की फिल्म टाइगर ज़िंदा है में
सलमान खान एक बार फिर देसी बांड बने नज़र आएंगे।
हिंदुस्तान का पहला बांड किरदार करने वाले एक्टर कृष्ण के बेटे महेश बाबू
की आगामी फिल्म स्पाईडर में उनका किरदार बॉन्डनुमा है। विश्वरूपम के सीक्वल में कमल हासन एक बार फिर
एजेंट किरदार में होंगे। कहा जा रहा है कि
फिल्म बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ का नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी वाला किरदार बेशर्म देसी जेम्स
बांड है। हालाँकि, उसके कपडे और चालढाल
ओरिजिनल बांड से नहीं मिलती। लेकिन, कहते हैं नवाज़ुद्दीन
सिद्दीक़ी, "इस किरदार को करते समय मेरे
दिमाग में पहला किरदार जेम्स बांड का ही आया।
मैंने तय किया कि मैं जेम्स बांड जैसा ही कुछ किरदार पेश करूंगा।"
राजेंद्र कांडपाल
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फिल्म पुराण
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