Saturday 14 September 2013

रूह फ़ना कर देने वाली हॉरर स्टोरी !

                         

                         आम तौर पर भयावनी फिल्मों में खून सने, जले हुए और विकृत चहरे दर्शकों को डराने के काम आते हैं. रामगोपाल वर्मा ने भूत फिल्म से साउंड के ज़रिये दर्शकों को डराने का सफल प्रयास किया था. निर्माता- निर्देशक  विक्रम भट्ट  मायने में अलग हैं. उनकी फिल्मों में डरावने चेहरों का महत्व  नहीं होता। वह ऐसा माहौल तैयार करते हैं कि दर्शक सहमा सा रहता है. उनकी नयी फिल्म हॉरर स्टोरी बॉलीवुड फिल्मों की श्रंखला की सबसे बढ़िया और सही  मायनों में हॉरर फिल्म है.
                          सात दोस्तों की इस फिल्म की कहानी इतनी सी है कि वह सातों एक भुतिया होटल के एक haunted  कमरे में रात बिताने जाते हैं. वहां पहुंचाते ही सातों उस होटल में क़ैद हो जाते है. उसके बाद शुरू होता है एक के बाद एक उनका क़त्ल. यह क़त्ल करती है एक भटकती आत्मा।
                          फिल्म की कहानी में ऐसा कुछ नहीं है, जो नया हो. इसका नयापन है स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले। सात दोस्तों के होटल के अन्दर जाने के बाद एक एक सीन दहला देने वाला है. सब कुछ कल्पना से परे भयावना होता है. फिल्म के पत्र होटल के अन्दर जैसे जैसे आगे बढ़ाते हैं, दर्शकों के दिलों की धड़कने तेज़ होती जाती हैं. सिहरन सर से पैर तक महसूस होती है. आप पसीने से भी नहा जाते हैं. हॉरर फिल्मों को खासियत होती है दर्शकों का भय. अगर दर्शक डर महसूस करता है तो परदे का हॉरर सच साबित हो जाता है. हॉरर स्टोरी को देखता दर्शक सीन शुरू होने से पहले ही चीखने चिल्लाने लगता है. यह अपने महसूस किये जा रहे डर की अभिव्यक्ति  है. फिल्म के लेखक विक्रम भट्ट और मोहन आज़ाद अपने इस प्रयास में खासे सफल कहे जा सकते हैं. उन्होंने हर सीक्वेंस इस प्रकार से लिखा है कि एक दृश्य के ख़त्म होते ही दर्शक दूसरे दृश्य के भय से उलझ जाता है. निर्देशक आयुष रैना ने विक्रम भट्ट के स्क्रीनप्ले को अपनी कल्पनाशीलता के ज़रिये बहुत खूब उतारा है. फिल्म में नए चहरे लिए गए हैं. टीवी स्टार करण कुंद्रा नील, रविश देसाई मंगेश, हस्सन जैदी सम्राट, निशांत मलकानी अचिंत, नंदिनी वैद सोनिया, अपर्णा बाजपाई मैगी और राधिका मेनन ने नीना के अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. यह नए चहरे भय की अभिव्यक्ति अपने चेहरों से बखूबी कर ले जाते हैं,यही कारण है कि दर्शक डेढ़ घंटे तक एक पल भी चैन महसूस नहीं करता है.फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भय पैदा करने में कामयाब रहा है. एडिटिंग ने फिल्म को चुस्त बनाये रखा है.  हॉरर फिल्मों के शौक़ीन दर्शकों के लिए यह 'ज़रूर देखें' फिल्म है.

 

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