कल रात (बुद्धवार) नौ बजे, जिन टेलीविज़न दर्शकों ने स्टार प्लस पर सीरियल नामकरण में दयावंती मेहता को साज़िश रचते हुए देखा होगा, उन्हें आसानी से विश्वास नहीं होगा कि इस किरदार को जीवंत बनाने वाली अभिनेत्री रीमा लागू का आज गुरुवार तड़के ३ बजे दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है । मृत्यु के समय उनकी उम्र मात्र ५९ साल थी । ३ फरवरी १९५८ को मराठी अभिनेत्री मन्दाकिनी भडभडे के घर में जन्मी गुरिंदर भडभडे ने मराठी एक्टर विवेक लागू से शादी के बाद अपना नाम रीमा लागू रख लिया था । मराठी रंगमंच से अपनी अभिनय यात्रा शुरू करने वाली रीमा लागू को, बेहतरीन अभिनेत्री होने के बावजूद हिंदी फिल्मों में माँ के किरदार से ही पहचान मिली । अस्सी और नब्बे के दशक में ३० साल की रीमा लागू, ५८ साल की निरुपा रॉय के साथ माँ की भूमिका किया करती थी। इसीलिए उन्हें बॉलीवुड की युवा माँ कहा जाता था। उनके फिल्म करियर की शुरूआत जब्बर पटेल निर्देशित फिल्म सिंहासन (१९७९) और आक्रोश (१९८०) में लावणी डांसर की छोटी भूमिकाओं से हुई । उन्हें श्याम बेनेगल ने अपनी आधुनिक महाभारत फिल्म कलयुग (१९८१) में किरण की थोड़ी बड़ी भूमिका से पहचान दिलाई । लेकिन, रीमा को हिंदी फिल्मों ने तवज्जो नहीं दी । वह मराठी रंगमंच और फिल्मों में सक्रिय हो गई। १९८५ में उन्होंने दूरदर्शन के सीरियल खानदान से छोटे परदे पर अपनी पारी शुरू की । लेकिन, तीन साल बाद, आमिर खान को नायक बनाने वाली फिल्म क़यामत से क़यामत तक (१९८८) में जूही चावला की माँ की भूमिका करने के बाद, रीमा लागू पर माँ का ठप्पा लग गया । हालाँकि, इसी साल वह निर्देशक अरुणा राजे की गाँव की महिलाओं की सेक्स लाइफ पर फिल्म रिहाई में दो बच्चो की कामुक माँ का किरदार कर रही थी। लेकिन, क़यामत से क़यामत तक के बाद रीमा लागू खुद से सात आठ साल छोटे सलमान खान, अक्षय कुमार, संजय दत्त, माधुरी दीक्षित, आदि की माँ की भूमिका करने लगी । वह मैंने प्यार किया, साजन और हम साथ साथ हैं में सलमान खान की, जय किशन में अक्षय कुमार की, कुछ कुछ होता है में काजोल की, कल हो न हो में शाहरुख़ खान की, हम आपके हैं कौन में माधुरी दीक्षित और मैं प्रेम की दीवानी हूँ में करीना कपूर की माँ बनी थी । रीमा, राजश्री बैनर की तमाम फिल्मों में माँ की भूमिका करती नज़र आई । बड़े परदे पर उनकी सबसे दमदार माँ फिल्म वास्तव में संजय दत्त की माँ शांता थी । यह किरदार नर्गिस दत्त का फिल्म मदर इंडिया में राधा के किरदार की टक्कर में था । इस फिल्म के लिए उन्होंने फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला । रीमा लागू ने टीवी सीरियलों में ज्यादा दमदार भूमिकाये की । ख़ास तौर पर सुप्रिया पिलगांवकर के साथ तू तू मैं मैं में उनकी सास की भूमिका को खूब पसंद किया गया । इस समय दिखाए जा रहे स्टार प्लस के सीरियल में उनका दयावंती मेहता का किरदार अपने कुटिल तेवरों से टीवी दर्शकों को प्रभावित कर रहा था । जहाँ तक हिंदी फिल्मों की बात है, वह पिछले पांच सालों से किसी हिंदी फिल्म में नज़र नहीं आई । उनकी पिछली महत्वपूर्ण फिल्म पत्रकार से फिल्मकार बने सुहैब इलयासी की दहेज़ हत्या की दफा ४९८-ए पर फिल्म ४९८-ए अ वेडिंग गिफ्ट (२०१२) थी । इस प्रतिभाशाली अभिनेत्री की अकस्मात् विदाई दुखद है । उन्हें श्रद्धांजलि !
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday, 18 May 2017
नहीं रही नामकरण की दयावंती मेहता
Labels:
श्रद्धांजलि,
हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment