सुनैना भटनागर निर्देशित फिल्म डिअर माया शिमला
के एक गाँव में अकेली रहने वाली और गुडिया बना कर गुजर बसर करने वाली महिला माया
देवी की कहानी है। माया को कोई लव लैटर लिख रहा है। कौन लिख रहा है, यह पता तो नहीं चलता। लेकिन माया के सपनों
को पंख लग जाते हैं। वह खुली आँखों से सात रंग के सपने देखने लगती है। एक अकेली औरत के
मनोविज्ञान को समझने वाली बेहद उलझी हुई फिल्म है डिअर माया। इस जटिल चरित्र को
सामान्य ढंग से करने के लिए किसी सक्षम अभिनेत्री की ज़रुरत होती है। सुनैना भटनागर की
फिल्म डिअर माया की इस ज़रुरत को पूरा करती हैं अभिनेत्री मनीषा कोइराला। मनीषा कोइराला कोई पांच साल बाद रुपहले परदे पर वापसी कर रही हैं। ज़ाहिर है कि हिंदी
फिल्म दर्शक मनीषा कोइराला के अभिनय का दीवाना है तभी तो डिअर माया का ट्रेलर सोशल
साइट्स पर वायरल हो गया है।
२६ साल पुराना परिचय
हिंदी फिल्म दर्शकों से मनीषा कोइराला का परिचय
२६ साल पुराना है। निर्माता निर्देशक
सुभाष घई ने कोई ३२ साल बाद राजकुमार और
दिलीप कुमार को एक साथ ला कर धमाका कर दिया था। इन दो ज़बरदस्त एक्टरों के बीच दो नए चेहरे विवेक
मुश्रान और नेपाली ब्यूटी मनीषा कोइराला का रोमांटिक डेब्यू हो रहा था। फिल्म देखने जाने वाले तमाम दर्शकों में दिलीप
कुमार-राजकुमार टकराव देखने की उत्तेजना थी। लेकिन, जब दर्शक फिल्म देख कर बाहर निकलता तो उसकी जुबां पर फिल्म का गीत इलू इलू होता
और दिमाग पर मनीषा कोइराला के पर्वतीय सौन्दर्य का कब्ज़ा । इसका नतीजा था कि
मनीषा कोइराला को लेकर तथा विवेक मुश्रान के साथ जोड़ी बना कर फ़िल्में बनाने की होड़
लग गई। यह सभी बेहद कमज़ोर थी। लिहाजा बॉक्स ऑफिस पर धडाम हो गई।
सौदागर के बाद असफलता
सौदागर में मनीषा कोइराला के रोमांस विवेक
मुश्रान अपनी फिल्मों की असफलता के बाद बिलकुल नदारद हो गए। लेकिन मनीषा कोइराला
फ्लॉप फिल्मों के बावजूद जमी रही। उन्होंने फ़िल्में हिट हो या फ्लॉप,
अपने अभिनय का लोहा मनवाया। १९४२ अ लव स्टोरी
(१९९४), बॉम्बे और अकेले हम अकेले तुम (दोनों १९९५), अग्नि साक्षी (१९९६), ख़ामोशी द म्यूजिकल
(१९९६), आदि फिल्मों में अपने अभिनय से सबको प्रभावित किया। १९९० के दशक में वह
उस समय की माधुरी दीक्षित, काजोल, रानी मुख़र्जी, आदि को चुनौती देती लगती थी। लेकिन, इस सब के बावजूद मनीषा कोइराला के फिल्म करियर को उनके निजी जीवन ने
बेहद प्रभावित किया। वह फिल्मों से ज्यादा देर रात पार्टियों, बॉय फ्रेंड्स और
शराब के नशे को लेकर सुर्ख होने लगी। इसके बावजूद राजीव राय की फिल्म गुप्त : द हिडन ट्रुथ, मणि रत्नम की फिल्म
दिल से, मिलन लुथरिया की फिल्म कच्चे धागे,
इन्द्र कुमार की फिल्म मन, राजकुमार संतोषी की
फिल्म लज्जा और उज्जवल चट्टोपाध्याय की
फिल्म एस्केप फ्रॉम तालिबान ने मनीषा कोइराला की अभिनेत्री की प्रतिष्ठा को बरकरार
रखा था।
मनीषा कोइराला की मार्केट को धक्का !
मनीषा कोइराला की इस प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचा
जय प्रकाश की फिल्म मार्केट के बाद। मार्केट बॉक्स ऑफिस पर सफल हो गई। लेकिन, मनीषा कोइराला की ऎसी घटिया फिल्म करने के लिए आलोचना की गई। रही सही कसर पूरी कर
दी चाहत एक नशा, अनजाने द अननोन, लाइफ लुक्स ग्रीनर ऑन द आदर साइड,
आदि नायिका के खुले अंगों का प्रदर्शन करने वाली
फिल्मों ने। दर्शकों को उस समय बड़ा धक्का लगा,
जब उनकी प्रिय अभिनेत्री शशिलाल नायर की फिल्म एक
छोटी सी लव स्टोरी में एक किशोर युवक के साथ सेक्स कर रही थी। यह फिल्म देखने के
बाद कोई भी यह कह सकता था कि मनीषा कोइराला का करियर किस फेज से गुजर रहा था | हालाँकि, इस दौरान मनीषा
कोइराला ने अग्निसाक्षी वाले पार्थो घोष की फिल्म एक सेकंड....जो ज़िन्दगी बदल दे
और दीप्ति नवल की फिल्म दो पैसे की धूप और चार आने की बारिश से वापसी करने की
कोशिश की। लेकिन, रामगोपाल वर्मा की गैंगस्टर वॉर फिल्म कंपनी और हॉरर फिल्म भूत
रिटर्न्स के बाद अभिनेत्री मनीषा कोइराला की फिल्मों में वापसी नहीं हुई।
घरेलू परेशानियां और कैंसर
२०१० से मनीषा कोइराला घरेलू परेशानियों से जूझ
रही थी। उनकी २०१० में एक नेपाली व्यवसाई सम्राट दहल से शादी हुई थी। लेकिन, यह शादी सफल नहीं हो
सकी। २०१२ में दोनों में तलाक़ हो गया। इसी साल उनके गर्भाशय में कैंसर का पता चला। यह किसी भी औरत की
बड़ी त्रासदी थी कि एक तरफ वह अपनी उथल पुथल भरे वैवाहिक ज़िंदगी से जूझ रही थी, दूसरी ओर उसे अब
कैंसर से भी लड़ना था। इसके बाद मनीषा कोइराला फिल्मों से बिलकुल दूर चंद शब्दों के समाचारों
में खो गई। कभी कभार यह खबर आती कि मनीषा कोइराला कहीं विदेश में अपना कैंसर का
ईलाज करा रही है। फिर एक दिन खबर आई कि वह अब बिलकुल ठीक है। इसी के साथ दर्शक
इंतज़ार करने लगे कि कब उनकी प्रिय अभिनेत्री मनीषा कोइराला अभिनय की दुनिया में
लौटती है !
अब डिअर माया और नर्गिस
अब तीन साल तक कैंसर के ईलाज के बाद पूरी तरह से
ठीक हो गई मनीषा कोइराला हिंदी फिल्मों में वापसी कर रही है। सुनैना भटनागर की
फिल्म डिअर माया उनकी वापसी के लिए श्रेष्ठ फिल्म साबित हो सकती है। डिअर माया २ जून को
रिलीज़ हो रही है। मनीषा कोइराला अपनी इस वापसी फिल्म के लिए खूब प्रचार कर रही हैं और
इंटरव्यू दे रही हैं। उनके चेहरे पर थकान साफ़ नज़र आती हैं। लेकिन, वापसी फिल्म का उत्साह इसे दूर भगा देता है। डिअर माया कितनों को
लुभा पाती है, पता नहीं। लेकिन मनीषा का सफ़र
अब चलते रहने वाला है। वह राजकुमार हिरानी की संजय दत्त के जीवन पर अनाम फिल्म में संजय दत्त की माँ
नर्गिस का किरदार कर रही हैं। मनीषा कोइराला ने संजय दत्त के साथ यलगार, सनम, अचानक, कारतूस, खौफ, बागी और महबूबा जैसी
फ़िल्में की हैं। कुछ फिल्मों में वह संजय दत्त का प्यार बनी थी। ऐसे में अपने रील
लाइफ प्रेमी की रील लाइफ माँ का किरदार किसी अभिनेत्री को अटपटा सा लग सकता है। लेकिन, अभिनेत्री मनीषा
कोइराला को ऐसी फिल्मों की दरकार है। वह जानती है कि वह संजय दत्त की बायोपिक से नर्गिस के उस दर्द को बयान कर
सकेगी, जो कैंसर से जूझती नर्गिस ने नशीली दवाओं के चपेट में रहने वाले बेटे को देख देख कर
भोगा था। यह संयोग की बात है कि नर्गिस दत्त की मौत भी कैंसर से हुई थी।
No comments:
Post a Comment