Sunday 18 October 2020

प्रिंट नष्ट होने की सज़ा भुगतनी पड़ी थी 'बेगुनाह' को !


हिंदी फिल्मों के इतिहास में एक फिल्म ऎसी है, जिसने इतिहास बना दिया और खुद इतिहास बन गई।यह फिल्म है निर्देशक नरेंद्र सूरी की फिल्म बेगुनाह।  यह फिल्म १९५७ में प्रदर्शित हुई थी।  सिनेमाघरों में रिलीज़ की बात करे तो यह फिल्म सिर्फ दस दिनों तक ही सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो सकी थी।  इसके बाद, इस फिल्म को उतारना पड़ा था। क्यों? आगे बताते हैं।


 

निर्देशक नरेंद्र सूरी की इस फिल्म बेगुनाह को लेखक, निर्माता, निर्देशक और अभिनेता आईएस जोहर ने लिखा था।  इस फिल्म की मुख्य भूमिका में किशोर कुमार,  शकीला, राधाकृष्ण, हेलेन, मुबारक, कृष्णकांत, आदि थे।  फिल्म का हिट संगीत शंकर-जयकिशन जोड़ी का तैयार किया हुआ था।  यह इकलौती ऐसी फिल्म थी, जिसमे शंकर-  जयकिशन जोड़ी के जयकिशन ने अभिनय किया था।  वह फिल्म के एक गीत में पियानो पर बजाते नज़र आते थे।


 

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि बेगुनाह सिनेमाघरों में सिर्फ दस दिनों तक ही दिखाई जा सकी। इसके बाद, इसे बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद  सिनेमाघरों से उतार दिया गया।  माननीय न्यायालय ने इस मौत की सजा दी। यानि न्यायलय ने फिल्म के प्रिंट नष्ट कर देने की  सज़ा सुनाई थी। क्योंकि, यह फिल्म हॉलीवुड फिल्म की नक़ल थी।


 

फिल्म बेगुनाह भारत और अफ्रीका के सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई।  बताते हैं कि जब यह फिल्म  बॉम्बे में  दिखाई जा रही थी, उस समय हॉलीवुड फिल्म अभिनेता डैनी काये किसी काम के सिलसिले में बॉम्बे आये।  किसी ने उन्हें  बेगुनाह के बारे में बताया गया।  वह इस फिल्म को देखने सिनेमाघर गए।  फिल्म के हिंदी संवाद उनके संवाद उनके पल्ले तो नहीं पड़े। पर वह इतना ज़रूर समझ गए कि यह फिल्म उनकी फिल्म नॉक ऑन वुड (१९५४) की नक़ल है।  डैनी  ने इसकी सूचना अमेरिका में फिल्म के स्टूडियो पैरामाउंट पिक्चर को दी।  दूसरे ही दिन कंपनी का वकील बॉम्बे पहुंचा और मुक़दमा दायर कर दिया।  मुकदमे का फैसला एक महीने के अंदर हो गया।  न्यायलय ने फिल्म के ओरिजिनल प्रिंट्स नेगेटिव सहित  नष्ट कर देने के आदेश दिए।



बॉम्बे हाईकोर्ट के इस आदेश का  खामियाज़ा फिल्म के  गुजराती निर्माताओं शाह   बंधुओ को अपना फिल्म निर्माण का कारोबार बंद करके  भुगतना पड़ा।  शाह बंधुओं का दुर्भाग्य यही ख़त्म नहीं हुआ।  निज़ाम टेरिटरी भेजे गए फिल्म के कुछ प्रिंट्स दो साल तक नष्ट नहीं किये जा सके थे।  इस पर पैरामाउंट पिक्चर ने उन पर कोर्ट की मानहानि का दावा ठोंक दिया।  निर्माताओं को अपना क़र्ज़ और हर्जाना चुकाने के लिए अपना सारा कारोबार बेच देना पड़ा।

फिल्म का कसूर सिर्फ इतना था कि फिल्म की  शुरुआत में ही इसके नॉक ऑन वुड पर आधारित है।  अगर ऐसा लिखा होता तो बात हरजाने पर ख़त्म हो जाती।  फिल्म को मौत की सज़ा न होती।



यह इकलौती फिल्म थी जिसमे शंकर जयकिशन जोड़ी के जयकिशन ने अभिनय किया था। यह जयकिशन अभिनीत इकलौती फिल्म थी। बताते है कि इस फिल्म का ६० प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार के आर्काइव को मिला है। वह कोर्ट का आदेश ढूंढ रहे है ताकि आगे की कार्यवाही की जा सके।

बेगुनाह, निर्देशक नरेंद्र सूरी की पहली फिल्म थी।  इस फिल्म के बाद सूरी ने लाजवंती,  मजबूर, पूर्णिमा,  बड़ी दीदी और वंदना का निर्देशन किया।  बड़ी दीदी और वंदना के निर्माता भी नरेंद्र सूरी ही थे। 

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