Wednesday, 23 December 2015

दीपिका पादुकोण नहीं होंगी २०१६ में लेकिन_____!

२०१५ में दीपिका पादुकोण तीन फिल्मों 'पीकू', 'तमाशा' और 'बाजीराव मस्तानी' में नज़र आई थी।  तमाशा औसत गई। बाकि दोनों  फिल्मों को सफलता मिली।  कैसा इत्तेफ़ाक़ है कि पहली हिंदी फिल्म 'ओम शांति ओम' के बाद से लगातार हर साल कम से कम एक हिट फिल्म देती आ रही  दीपिका पादुकोण की २०१६  में एक भी फिल्म रिलीज़ नहीं होगी।  लेकिन, 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' की कंगना रनौत होगी और लंच बॉक्स की निमृत कौर भी।  कुछ नई और वरिष्ठ अभिनेत्रियां भी अपने अभिनय के जौहर दिखा रही होंगी। 
निर्देशक जयंत गिल्टार की फिल्म चॉक एन डस्टर आज की शिक्षा व्यवस्था में छात्र-अध्यापक संबंधों को लेकर है।  यह कहानी है दो शिक्षिकाओं विद्या और ज्योति की, जो मुंबई के एक हाई स्कूल में पढ़ाती है। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण उन्हें छात्रों में ख़ास बना देता है।  लेकिन उनके जीवन में मोड़  आता है स्कूल में एक दुष्ट टीचर कामिनी गुप्ता के बाद।  फिल्म में यह भूमिकाएं शबाना आज़मी, जूही चावला और दिव्या दत्ता ने की हैं। इनके आलावा ऋचा चड्ढा और ज़रीना वहाब की भी सशक्त भूमिकाये हैं। यह महिला प्रधान फिल्म जनवरी में रिलीज़ होगी।  इसके साथ ही दर्शकों को कम बजट की नायिका प्रधान या महिलाओ की समस्या पर फिल्मों का सिलसिला शुरू हो जायेगा। 
इस साल रिलीज़ होने वाली रियल लाइफ फ़िल्में बॉलीवुड अभिनेत्रियों को अभिनय के मौके देंगी।  मसलन, राम माधवानी की फिल्म 'नीरजा' में  सोनम कपूर को १९८६ के भारत के विमान अपहरण के दौरान यात्रियों को बचाने के प्रयास में आतंकवादियों की गोलियों से मारी गई एयर होस्टेस नीरजा भनोट की भूमिका में अभिनय के कई रंग दिखाने के मौके मिलेंगे।  ओमंग कुमार की फिल्म 'सरबजीत' पाकिस्तान की जेल में मारे गए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर के अपने भाई को छुड़ाने के लिए किये गए संघर्ष की कहानी है।  दलबीर कौर की  भूमिका में ऐश्वर्या राय बच्चन को 'जज़्बा' के बाद एक बार फिर सशक्त भूमिका मिली है।  चार्ल्स डिकेन्स के उपन्यास ग्रेट एक्सपेक्टेशन पर अभिषेक कपूर की फिल्म 'फितूर' एक उम्रदराज़ अमीर और चिड़चिड़ी औरत बेगम के किरदार के चारों और घूमने वाली रोमांटिक कहानी है।  बेगम की भूमिका तब्बू कर रही हैं। प्रकाश झा के निर्देशन में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा फिल्म 'जय गंगाजल' में एक महिला पुलिस अधिकारी आभा माथुर के किरदार में एक्शन भी करेंगी और बढ़िया अभिनय भी।  यह पूरी फिल्म उनके किरदार पर ही केंद्रित है।  
बॉलीवुड की कुछ अभिनेत्रियां अपनी सेक्स अपील से दर्शकों को इरोटिक या एडल्ट कॉमेडी फिल्मों के ज़रिये आकर्षित करने की कोशिश करेंगी।  इन फिल्मों में पुरुष किरदार होंगे, लेकिन सभी इन अभिनेत्रियों की इरोटिका से प्रभावित होंगे।  एकता कपूर की क्या कूल हैं हम सीरीज की तीसरी फिल्म क्या कूल हैं हम ३ की मंदना करीमी का किरदार तुषार और आफताब शिवदासानी के साथ कमोबेश पोर्न किरदार कर रही होंगी। मस्तीज़ादे की सनी लियॉन परंपरागत रूप से तुषार और वीर दास के साथ एडल्ट कॉमेडी कर  रही होंगी। इंद्र कुमार की एडल्ट कॉमेडी फिल्म 'मस्ती' और 'ग्रैंड मस्ती' के आगे की कड़ी है ग्रेट ग्रैंड मस्ती।  इस फिल्म की कहानी पिछली फिल्मों से आगे की कहानी नहीं, बल्कि बिलकुल नई कहानी है।   लेकिन,इन्द्र कुमार की स्टाइल में फिट अभिनेताओं विवेक ओबेरॉय, आफताब शिवदासानी और रितेश देशमुख के साथ ग्रेट ग्रैंड मस्ती करती नज़र आएंगी उर्वशी रौतेला और इन अभिनेताओं की पत्नियों के किरदार में मिष्टी, सोनल चौहान और पूजा चोपड़ा हैं।  श्रद्धा दास और पूजा बनर्जी भी अपना ग्लैमर बिखेर रही होंगी। केन घोष की इरोटिक ड्रामा फिल्म एक्सएक्सएक्स में कीरा दत्ता के कई न्यूड और उत्तेजक सेक्स सीन होंगे।  इस फिल्म के लिए निर्माता एकता कपूर ने अपनी अभिनेत्री कीरा दत्ता से न्यूड क्लॉज़ साइन करवाया है।  इस फिल्म में पांच कहानियाँ हैं, जो भिन्न सेक्सुअल लाइफ का चित्रण करती हैं।  हिंदी फिल्मों का इतिहास गवाह है कि यहाँ सेक्स बिकता है।  चाहे यह इरोटिका या सेक्स अपील मंदना करीमी की हो या उर्वशी रौतेला की या फिर कीरा दत्ता की।  
कम बजट की फिल्मों में भी महिला चरित्र मज़बूत दिखाई देंगे।  शेफाली भूषण की फिल्म 'जुगनी' एक फिल्म संगीतकार की कहानी है, जो अपने संगीत के लिए उपयुक्त आवाज़ ढूढने में रिश्तों की गहरी  उलझन में फंस जाती है।  सुगंधा गर्ग ने इस भूमिका को किया है।  राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म 'मिर्ज़या' शायर मिर्ज़ा ग़ालिब और साहिबां के इश्क़ की दास्ताँ है।  इस फिल्म में साहिबां का किरदार नवोदित अभिनेत्री सैयमी खेर कर रहे हैं।
कुछ ऎसी फ़िल्में भी होंगी, जो होंगी तो नायक की ताक़त पर केंद्रित होंगी। लेकिन, इन फिल्मों में भी नायिका अपने नायक को पूरा सहयोग करती नज़र आयेगी।  अक्षय कुमार फिल्म 'एयरलिफ्ट' में एक लाख से  ज़्यादा भारतीयों को कुवैत से बाहर निकालने में भारत सरकार की मदद करने  वाले कुवैती बिजनेसमैन बने हैं।  फिल्म में अक्षय की पत्नी बनी अभिनेत्री निमृत ' लंच बॉक्स' कौर उनसे कंधे से कंधा मिलती दिखाई देंगी ।  आर माधवन फिल्म 'साला खडूस' में एक हताश बॉक्सिंग ट्रेनर की भूमिका कर रहे हैं, जो खुद को साबित करने के लिए एक अलमस्त लड़की को बॉक्सिंग सिखाता है। इस भूमिका को नवोदित रीतिका सिंह कर रही हैं। टोनी डिसूज़ा की क्रिकेट कैप्टेन मोहम्मद अज़हरुद्दीन की कथा पर फिल्म 'अज़हर' में भारतीय कप्तान का किरदार इमरान हाशमी कर रहे हैं।  लेकिनफिल्म में अज़हर की पहली पत्नी नौरीन के किरदार में प्राची देसाई और दूसरी पत्नी संगीता बिजलानी के किरदार में नर्गिस फाखरी के बेहतरीन इमोशनल सीन हैं।  पंजाब की पृष्ठभूमि पर अभिषेक चौबे की फिल्म 'उड़ता पंजाब' के केंद्र में नशा है।  इस फिल्म में करीना कपूर और अलिया भट्ट के किरदार इन दोनों अभिनेत्रियों की अभिनय  की रेंज की परीक्षा लेंगे।  कंगना रनौत इस साल भी विशाल भारद्वाज की फिल्म 'रंगून' में अपने अभिनय के जलवे बिखेरती नज़र आएंगी।  इस देसी कासाब्लांका फिल्म में शाहिद कपूर और सैफ अली खान के साथ कंगना रनौत का किरदार हंटरवाली टाइप का बताया जा रहा है। करण जौहर की फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' में रणबीर कपूर के साथ दो पाकिस्तानी अभिनेता इमरान अब्बास और फवाद खान को लिया गया है।  लेकिन, इस रोमांटिक ड्रामा फिल्म में ऐश्वर्या राय  बच्चन और अनुष्का शर्मा के किरदार काफी अहम है। यों कहा जाये कि कहानी इन्हीं दोनों किरदारों से शुरू और ख़त्म होती है। 

ज़ाहिर है कि २०१६ की हिंदी फिल्मों में कुछ सशक्त महिला किरदार देखने को मिलेंगे।  इन किरदारों को करने वाली अभिनेत्रियों के लिए प्रतिभा प्रदर्शन के भरपूर अवसर हैं।  इनसे अलग एक पूर्व फिल्म अभिनेत्री दिव्या खोसला कुमार निर्देशक की कुर्सी पर दूसरी बार बैठी नज़र आएंगी।  दिव्या खोसला इस साल बतौर निर्देशक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन फिल्म 'सनम रेसे करेंगी।  दिव्या की बतौर निर्देशक पहली फिल्म 'यारियां हिट हुई थी।  

फिर स्टार वार्स का स्पेस ओपेरा

इस शुक्रवार (२५ दिसम्बर को) रिलीज़ होने जा रही फिल्म ‘स्टार वार्स: द फ़ोर्स अवकेंस’ अमेरिकन स्पेस ओपेरा स्टार वार्स सीरीज की सातवी फिल्म है। इस सीरीज की पहले फिल्म स्टार वार्स १९७७ में रिलीज़ हुई थी। लेखक डायरेक्टर जॉर्ज लुकास ने इस फिल्म को कई बार कुछ कुछ बदलाव के साथ रिलीज़ किया। इस फिल्म को मिली भारी सफलता को देखते हुए फिल्म के दो सीक्वल १९८० और १९८३ में बनाये गए।  इन दोनों फिल्मों को समीक्षकों ने भी सराहा और बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छी सफलता मिली।  इसके बाद १९९९ से २००५ के बीच स्टार वार्स सीरीज की तीन प्रीक्वेल फ़िल्में बनाई गई।  इन तीनों फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता मिली।  लेकिन, समीक्षकों द्वारा ज़्यादा नहीं सराही गई।  अब २५ दिसंबर को स्टार वार्स सीरीज की छहों फिल्मों की स्टार कास्ट के साथ सातवी फिल्म रिलीज़ होने जा रही है।  आइये जानते हैं स्टार वार्स सीरीज की सातों फिल्मों के बारे में - 
स्टार वार्स १९७७ (स्टार वार्स, एपिसोड ४ अ न्यू होप)- ल्यूक स्काईवॉकर को ब्रह्माण्ड को एम्पायर के हमले से बचाने के लिए योद्धा जेडाई, बददिमाग पायलट, एक वूकी और दो ड्रॉइडस को साथ लेकर युद्ध में शामिल होना पड़ता है।  एम्पायर दुनिया को बर्बाद करने के लिए बनाया गया युद्ध स्टेशन है।  ल्यूक को राजकुमारी लिया को डार्थ वाडर से भी बचाना है। इस फिल्म का निर्देशन और लेखन जॉर्ज लुकास ने किया था। इस एपिसोड में मार्क हैमिल, हैरिसन फोर्ड, कर्री फिशर, पीटर कशिंग, एलेक गिनेस, आदि ने अभिनय किया था।  २५ मई १९७७ को रिलीज़ स्टार वार्स सीरीज की पहली फिल्म के निर्माण में ११ मिलियन डॉलर खर्च हुए थे और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ७७५ मिलियन डॉलर से अधिक का बिज़नेस किया था। इस एपिसोड को कई बार पुनः सम्पादित कर, संवादों को बदल कर, साउंड ट्रैक रीमिक्स कर और कंप्यूटर ग्राफ़िक बदलाव करके रिलीज़ किया गया था।  
स्टार वार्स एपिसोड ५: द एम्पायर स्ट्राइक्स बैक- इस दूसरी फिल्म में जॉर्ज लुकास कहानी लेखक और कार्यकारी निर्माता के बतौर थे। २१ मई १९८० को रिलीज़ इस फिल्म का निर्देशन इरविन कर्श्नर ने किया था। इस फिल्म में मार्क हैमिल, हैरिसन फोर्ड और कर्री फिशर के बील्ली डी विलियम्स, अन्थोनी दनिएल्स, डेविड प्रोसे, केनी बेकर, पीटर मेहू और फ्रैंक ओज ने अभिनय किया था। यह फिल्म डेथ स्टार के खात्मे के तीन साल बाद की कहानी थी। एम्पायर ने अपने नए अड्डे में अपने विरोधियो को बुरी तरह से कुचल कर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है।  अब वह फिर दुनिया के लिए खतरा बन कर उभर रहा है।  ल्यूक मास्टर योड़ा के साथ जेडाई से एडवांस ट्रेनिंग लेता है।  उधर डार्थ वाडर ल्यूक के दोस्तों को उसे गिरफ्तार करने के लिया मनाता है। पांचवे एपिसोड को १८ मिलियन डॉलर के बजट पर बनाया गया था और फिल्म ने ५३४ मिलियन डॉलर का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया था।  
स्टार वार्स एपिसोड ६ : रिटर्न ऑफ़ जेडाई- यह स्टार वॉर सीरीज का छटा एपिसोड था, जो २५ मई १९८३ को रिलीज़ हुआ।  फिल्म का निर्माण ३२ मिलियन डॉलर से अधिक के बजट से हुआ था। फिल्म ने वर्ल्डवाइड ५७२ मिलियन डॉलर से ज़्यादा का बिज़नेस किया। इस एपिसोड का निर्देशन रिचर्ड मार्क्वान्ड ने किया था। जब्बा द हट के महल से हान सोलो को छुड़ाने के बाद विद्रोही दूसरे स्टार को ख़त्म करने की कोशिश करते हैं।  जबकि ल्यूक वाडर को फ़ोर्स की बुराइयों से बचाना चाहता है।  
स्टार वार्स एपिसोड १ : द फैंटम मेनेस- स्टार वार्स सीरीज की प्रीक्वेल ट्राइलॉजी का यह पहला एपिसोड था, जो १९ मई १९९९ को रिलीज़ हुआ । इस फिल्म के निर्देशन की कमान एक बार फिर जॉर्ज लुकास के हाथों में थी। इस प्रीक्वेल फिल्म की कास्ट में भारी बदलाव स्वाभाविक था।  लियम नीसन, एवन मैकग्रेगर, नताली पोर्टमैन, जेक लॉयड, जेक लॉयड, अन्थोनी डेनियल्स, आदि मुख्य भूमिकाओं में थे।  दो जेडाई योद्धा शत्रुओं की नाकाबंदी से बच निकलते हैं।  उन्हें एक लड़का मिलता है जो फ़ोर्स में संतुलन ला सकता है।  उधर सिथ अपनी पुरानी प्रतिष्ठा पाने की कोशिश कर रहा है। स्टार वार्स के इस पहले प्रीक्वेल को ज़बरदस्त सफलता हासिल हुई। फिल्म के निर्माण में ११५ मिलियन डॉलर खर्च हुए थे और फिल्म ने १.०२७ बिलियन डॉलर का बिज़नेस किया था।  
स्टार वार्स एपिसोड २: अटैक ऑफ़ द क्लोन्स १६ मई २००२ को रिलीज़ हुई। फिल्म का निर्माण ११५ मिलियन डॉलर से हुआ था।  फिल्म ने ६४९ मिलियन डॉलर का बिज़नेस किया। निर्देशक जॉर्ज लुकास ही थे। अनाकिन स्काईवॉकर का पद्मे से रोमांस चल रहा है।  जबकि, ओबी-वान को जांच में पता चलता है कि सीनेटर पर हमला होने वाला है। 
स्टार वार्स एपिसोड ३: रिवेंज ऑफ़ द सिथ- इस तीसरे प्रीक्वेल के निर्देशक जॉर्ज लुकास ही थे। फिल्म के निर्माण में ११३ मिलियन डॉलर खर्च हुए थे। जबकि, बॉक्स ऑफिस पर ८४८.८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन हुआ था। १५ मई २००५ को रिलीज़ फिल्म की कहानी क्लोन वार्स के तीन साल बाद की थी। जेडाई योद्धा सेपरेटिस्ट्स के विरुद्ध सेना के गठन के लिए पूरी गैलेक्सी में फ़ैल जाते हैं।
स्टार वार्स सीरीज की फिल्मों की खासियत यह थी कि इनमे समय के साथ परिवर्तन किये गए और नई चीज़े शामिल की गई।  स्टार वार्स ट्राइलॉजी के बाद जब इस के प्रीक्वेल बनाने की शुरुआत की गई तब इन फिल्मों एपिसोड में दर्शाया गया।  चूंकि, प्रीक्वेल फिल्मों में पहले की घटनाओं का चित्रण होता है, इसलिए बाद में बनी तीन प्रीक्वेल फिल्मों को एपिसोड १, २ और ३ कहा गया और पहले की फिल्मों को चार से छह एपिसोड कहा गया।  
अब स्टार वार्स सीरीज की नई सीक्वल ट्राइलॉजी सीक्वल और प्रीक्वेल फिल्मों की कास्ट को शामिल कर बनाई जा रही है। फिल्म 'स्टार वार्स एपिसोड ७ : द फ़ोर्स अवकेंस' का निर्देशन जे जे अब्राम्स कर रहे हैं। इस फिल्म का निर्माण लुकास फिल्म्स और जे जे अब्राम्स के बैड रोबोट प्रोडक्शंस द्वारा किया जा रहा है। फिल्म की कहानी दूसरे डेथ स्टार के खात्मे के तीस साल बाद शुरू होगी। अब  ल्यूक स्काईवॉकर और जेडाई अदृश्य हो गए है। गैलेक्टिक एम्पायर के अवशेषों से फर्स्ट आर्डर का जन्म होता है, जो ल्यूक और रिपब्लिक के खात्मे का संकल्प लेते हैं । फिल्म के तमाम सितारे अपनी पुरानी भूमिकाओं में हैं।  मसलन, हैरिसन फोर्ड (हान सोलो), मार्क हैमिल  (ल्यूक स्काईवॉकर), कर्री फिशर (जनरल लिया  ओर्गाना), आदम ड्राइवर (कीलो रेन), डेज़ी रिडले (रे), जॉन बोयेगा (फिन), ऑस्कर इसाक (पोए डमेरोन), लुपिता न्योंग (मेज़ कनॉट), एंडी सर्किस (सुप्रीम लीडर स्नोके), डोमहनल ग्लीसन (जनरल हुक्स), अन्थोनी डेनियल्स (सी-३पीओ), पीटर मेहू (चिउबैका) और मैक्स वॉन सीडो (लॉर सान टेक्का) के किरदार में हैं। भारत और पाकिस्तान में स्टार वार्स एपिसोड ७ इस हफ्ते रिलीज़ हो रही है।  लेकिन, दुनिया के अन्य देशों में यह १८ दिसंबर को रिलीज़ हो चुकी है।  कुल २०० मिलियन डॉलर के बजट में बनाई गई द फ़ोर्स अवकेंस अब तक ५१७ मिलियन डॉलर से ज़्यादा का बिज़नेस कर चुकी है। फिल्म  की लम्बाई १३६ मिनट की है। 

Tuesday, 22 December 2015

स्पेस पर युद्ध करते किरदारों की बॉलीवुड सितारों को चुनौती !

इंडियन बॉक्स ऑफिस पर इस साल की आखिरी रिलीज़ फिल्म कोई हिंदी फिल्म नहीं होगी।  इस साल क्रिसमस वीकेंड पर २५ दिसंबर को, स्टार वॉर्स सीरीज की सातवी फिल्म 'स्टार वॉर्स एपिसोड ७ : द फ़ोर्स अवकेंस' रिलीज़ हो रही है।  यह हॉलीवुड की एक बड़ी और महंगी फिल्म है।  इस फिल्म ने १८ दिसंबर को रिलीज़ हो कर घरेलु बॉक्स ऑफिस पर पहले शुक्रवार १२० मिलियन डॉलर का बिज़नेस किया था।  हॉलीवुड की किसी फिल्म का पहले दिन का यह सबसे बड़ा बिज़नेस है।  इससे पहले यह रिकॉर्ड 'हैरी पॉटर एंड द डेथली हॉलोज पार्ट २' के नाम था, जिसने ९१ मिलियन डॉलर का बिज़नेस किया था।  द फ़ोर्स अवकेंस का वर्ल्ड वाइड वीकेंड कलेक्शन ५१७ मिलियन डॉलर का हो चूका है।  आम तौर पर पूरी दुनिया में सफल और रिकॉर्ड कायम करने वाली हॉलीवुड की फ़िल्में हिंदुस्तान में भी अच्छा बिज़नेस करती है।  इसलिए, ऐसा समझा जा सकता है कि स्टार वार्स एपिसोड ७ : द फ़ोर्स अवकेंस इंडियन बॉक्स ऑफिस पर बढ़िया बिज़नेस करेगी और १८ दिसंबर को रिलीज़ दो बॉलीवुड फिल्मों 'दिलवाले' और 'बाजीराव मस्तानी' के दूसरे वीकेंड के बिज़नेस में सेंध लगाएगी। 
वास्तविकता तो यह है कि हॉलीवुड की फिल्मों का भारत में प्रदर्शन दिनोंदिन अच्छा होता जा रहा है। कभी हॉलीवुड की फ़िल्में मल्टीप्लेक्स दर्शकों की फ़िल्में ही मानी जाती थी। अब चूंकि, यह फ़िल्में अंग्रेजी के अलावा भारत की तीन भाषाओँ हिंदी, तमिल और तेलुगु में भी  रिलीज़ की जाती हैं, इसलिए उन्हें ज़्यादा दर्शक मिलते हैं और ज़्यादा बिज़नेस होता है। अब तो हॉलीवुड की डब फ़िल्में 'बी' और 'सी' सेंटरों में भी दर्शक पाने लगी हैं।  इस साल, इंडियन बॉक्स ऑफिस पर हॉलीवुड की पांच फिल्मों ने ५०० करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस कर लिया है। हॉलीवुड की दो फिल्मों 'फ्यूरियस ७' और 'जुरैसिक वर्ल्ड' ने १०० करोड़ के क्लब में भी अपना नाम दर्ज़ करवा लिया है।  फ्यूरियस ७ ने १५५ करोड़ और जुरैसिक वर्ल्ड ने १०३ करोड़ का बिज़नेस किया था।  इन दोनों फिल्मों को भारत में एक हजार से ज़्यादा प्रिंटों में रिलीज़ किया गया था।  देसी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिज़नेस करने वाली अन्य हॉलीवुड फिल्मों में अवेंजर्स एज ऑफ़ उल्ट्रॉन ने ७८ करोड़ और मिशन इम्पॉसिबल रोग नेशन ने ६९ करोड़ का बिज़नेस किया है ।  इस साल हॉलीवुड की 'स्पेक्ट्ऱ' और 'द मार्शियन' जैसी फिल्मों को भी अच्छे दर्शक मिले हैं। 
स्टार वार्स सीरीज की फिल्म को लेकर यह कहना समझदारी नहीं होगी कि यह फिल्म 'दिलवाले' और 'बाजीराव मस्तानी' के सामने आने से घबरा रही थी, इसलिए १८ दिसंबर के बजाय एक हफ्ते बाद रिलीज़ हो रही है।  क्योंकि, कई बार फिल्म के लिए पर्याप्त प्रिंट के लिहाज़ से भी रिलीज़ की तारीखे बदलनी पड़ती है।  इसी साल अवेंजर्स एज ऑफ़ उल्ट्रॉन एक हफ्ता पहले यानि २४ अप्रैल को हिंदुस्तान में रिलीज़ हुई थी, क्योंकि १ मई को अक्षय कुमार की रिटर्न ऑफ़ गब्बर रिलीज़ हो रही थी। दिलवाले ने दर्शकों और समीक्षकों को निराश किया है।  इसलिए, यह फिल्म दूसरे हफ्ते में बहुत अच्छे बिज़नेस की उम्मीद नहीं कर सकती।  बाजीराव मस्तानी में भी इतना ज़्यादा दम नहीं कि यह स्टार वार्स जैसी प्रतिष्ठित सीरीज की फिल्म को पीछे ढकेल सके। इसलिए, उम्मीद की जा सकती है कि भारतीय दर्शक स्पेस ओपेरा 'स्टार वॉर्स एपिसोड ७ : द फ़ोर्स अवकेंस' को देख कर क्रिसमस मनाएगा।   

वजन कम कर रही हैं परिणीती चोपड़ा !

आजकल बॉलीवुड एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा की वर्ज़िश करती रंगीन तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।  परिणीति के फिटनेस फंडा पर सचित्र लेख लिखे जा रहे हैं।  यह वही परिणीति चोपड़ा हैं, जो एक्ट्रेस बनने से पहले यशराज फिल्म्स में काम करती थी तथा उनका कुल वजन ८६ किलो हुआ करता था।  आदित्य चोपड़ा  ने जब उन्हें २०११ में रणवीर सिंह के साथ फिल्म 'लेडीज वर्सेज रिक्की बहल' में सह नायिका बनाया,  तब तक उन्होंने खुद को ५८ किलो कर लिया था। इसके बाद, परिणीति ने इशकज़ादे, शुद्ध देसी रोमांस और हँसी तो फसी जैसी हिट फ़िल्में दी।  लेकिन, किल दिल की असफलता के साथ परिणीति बिलकुल नदारद हो गई।
परिणीति की तरह भूमि पेडणेकर भी यशराज फिल्म्स में काम करती थी।  वह उन दिनों, फिल्म दम लगा के हईशा के लिए कास्टिंग सेलेक्ट कर रही थी।  उन्होंने आयुष्मान खुराना की नायिका के लिए १०० लड़कियों का ऑडिशन भी कर लिया था।  तभी आदित्य चोपड़ा ने उनका ऑडिशन लिया और उन्हें आयुष्मान खुराना की नायिका चुन लिया।  परिणीति से भिन्न भूमि को इस रोल के लिए अपना वजन करीब १०-१५ किलो तक बढ़ाना पड़ा था ।  अब चूँकि, वह यशराज फिल्म्स के साथ तीन फिल्मों के  अनुबंध से हैं,  इसलिए वह फिर अब अपना वजन घटा रही हैं।  बताते हैं कि उन्होंने अपना वजन २५ किलो तक घटा लिया है।
कम वजन का माधुरी फंडा
रूपहले परदे पर माधुरी दीक्षित से पहले तक साउथ की एक्ट्रेस का बोलबाला था।  यह एक्ट्रेस भारी बदन की, हिरनी जैसी आँखों वाली, नृत्य में पारंगत हुआ करती थी।  गहन अभिनय क्षमता इनकी खासियत थी।  बॉलीवुड के अच्छी कद काठी के पंजाबी अभिनेताओं के साथ इनकी जोड़ी फिट बैठती थी।  इसलिए, बॉलीवुड में मीना कुमारी तक भारी शरीर के बावजूद टॉप की नायिकाओं में शुमार थी।  हालाँकि मिस इंडिया नूतन जैसे अपवाद भी थे।  माधुरी दीक्षित के बाद हिंदी फिल्म अभिनेत्रियाँ सेहत पर ध्यान देने लगी।  बॉलीवुड सर्किल में जिम, वर्जिश और डाइटिंग जैसे शब्द उछलने लगे।  इसके बाद अभिनेत्रियों का शरीर की फिटनेस और कटावदार बदन की इम्पोर्टेंस बढ़ गई।  ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा, लारा दत्ता, आदि पूर्व विश्व सुंदरियों ने इसे क्रेज बना दिया।
कम वजन कर फिल्मों में आई स्टार पुत्रियाँ
पिछले कुछ सालों से हिंदी फिल्मों में स्टार पुत्रियों की आमद होने लगी है।  सितारों के यह बच्चे आराम तलब, खाने पीने के शौक़ीन होते हैं।  इसलिए, इनके शरीर का इकहरा होना असंभव ही होता है।  काफी पहले यह सुनाई  दिया था कि  एक्टर अशोक कुमार की बेटी प्रीती गांगुली ने अपने प्यार को पाने के लिए अपना वजन ५० किलो घटाया था।  लेकिन, बॉलीवुड की तमाम स्टार  पुत्रियों ने फिल्मों के लिए जिम में खूब पसीना बहाया।  डाइटिंग की। अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर फिल्म करने  से पहले ८६ किलो की हुआ करती थी।  उन्हें अपना वजन ३० किलो घटाना पड़ा।  अपने एक्सपर्ट डायटीशियन की मदद से सोनम कपूर जब संजयलीला भंसाली की फिल्म 'सावरिया' में  रणबीर कपूर के अपोजिट नज़र आई तो वह ५६ किलो की हो गई थी।  शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा की कहानी भी सोनम वाली है।  उन्हें सलमान खान के साथ दबंग फिल्म की नायिका का रोल दिया गया था।  उस समय सोनाक्षी सिन्हा ९४ किलो की हुआ करती थी।  सोनाक्षी डाइटिंग और ज़बरदस्त एक्सरसाइज करने के बावजूद  ३० किलों वजन ही घटा सकी।  लेकिन, दर्शकों को उनका ६४ किलो वजनी शरीर लुभावना लगा।  करीना कपूर ने २००१ में अभिषेक बच्चन के साथ जे पी दत्ता की फिल्म 'रिफ्यूजी' के लिए अपना वजन ७७ किलो से २० किलो घटा कर ५७ किलो कर लिया।  एकबारगीयशराज फिल्म्स की फिल्म 'टशन' के लिए करीना कपूर जीरो साइज बन गई।  लेकिन, इस फिल्म के बाद उन्हें अपना वजन बढ़ाना पड़ा, क्योंकि फिल्म निर्माताओं को लगता था कि वह बढे वजन के साथ ही सेक्सी और  हॉट लगती हैं।  महेश भट्ट की बेटी अलिया भट्ट खाने पीने की शौक़ीन हैं।  लेकिन, फिल्म के रोग ने उन्हें डाइटिंग करने और जिम में ज़्यादा समय गुजारने को मज़बूर कर दिया।  करण जौहर की फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर' की शनाया के रोल में अलिया भट्ट १६ किलो कम हो कर ५४ किलो की हो गई थी। सलमान खान के साथ फिल्म की मज़बूरी ने लंदन की ज़रीन खान को अपना वजन ४५ किलो तक घटाना पड़ा। वीर से पहले वह  १०० किलो वजनी हुआ करती थी।  लेकिन वीर में भी उन्हें मोटी हीरोइन बताया गया। 
बढ़ा वजन ! तो क्या हुआ !!
एक तरफ जहाँ, फिल्म सितारों की बेटियां अपना वजन घटाने की ज़द्दो जहद में थी, वही कुछ अभिनेत्रियों को अपने वजन को लेकर कोई ऐतराज नहीं था।  फिल्म निर्माताओं ने उन्हें इसी वजन के साथ फ़िल्में दी।  ऐसी अभिनेत्रियों को विद्या बालन लीड करती हैं। उन्होंने फिल्म 'डर्टी पिक्चर' के लिए अपना वजन १२ किलो तक घटाया था।  इस फिल्म के बाद उन्होंने अपना वजन कुछ कम किया ही था कि घनचक्कर के लिए उन्होंने फिर वेट गेन करना पड़ा।  फिलहाल, विद्या बालन वजनी एक्ट्रेस में शुमार की जा रही हैं। गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की अभिनेत्री  हुमा कुरैशी का वजन ६१ किलो है।  वह अपने इतने वजन से खुश हैं।  वजनी एक्ट्रेस में सोनाक्षी सिन्हा, रानी मुख़र्जी, आदि मोटी अभिनेत्रयों में शामिल हों।  माधुरी दीक्षित, काजोल, मनीषा कोइराला, आदि अभिनेत्रियां शादी के बाद मोटी हो गई।  अब ऎसी मोटी अभिनेत्रियों में भूमि पेडणेकर का नाम भी शामिल हो गया है।  
कभी कम कभी वजन  
अपने रोल के लिहाज़ से फिल्म एक्ट्रेस का वजन घटाना और बढ़ाना अब आम बात है।  मणि रत्नम ने 'गुरु' फिल्म के लिए ऐश्वर्या से अपना वजन बढ़ाने के लिए कहा था।  क्योंकि, फिल्म में ऐश्वर्या के करैक्टर को धीरे धीरे उम्रदराज़ होना था।  कटरीना कैफ ने 'तीस मार खान फिल्म के लिये अपना वजन घटाया था, लेकिन, फिल्म मेरे  ब्रदर की दुल्हन के लिए उन्हें अपना वजन बढ़ाना पड़ा। हालाँकि,विद्या बालन वजनी एक्ट्रेस के शामिल हैं।  लेकिन इसके बावजूद उन्हें फिल्म डर्टी पिक्चर्स के लिए अपना वजन १५ किलो तक बढ़ाना पड़ा था। श्रीदेवी ने फिल्म इंग्लिश विंग्लिश से बॉलीवुड में वापसी की थी। दो बेटियों की माँ के बावजूद वह कितनी फिट रही होंगी, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निर्देशक गौरी शिंदे ने उनसे अपना वजन पांच किलो तक बढ़ाने की ताकीद की थी।  करीना कपूर रानी मुखर्जी ने दिल बोले हडिप्पा के लिए अपना अजान घटाया था। ऐश्वर्या राय बच्चन ने माँ बनने के कारण बढ़ा अपना वजन कम कर संजय गुप्ता की फिल्म 'जज़्बा' की थी।  इससे पहले जब वह कांन्स फिल्म फेस्टिवल में रेड कारपेट पर चली तो उनके प्रशंसक उनके भारी शरीर को देख कर सन्न रह गए थे। 
जिम में पसीना बहा बहा कर और डायटीशियन की देख रेख में परिणीति चोपड़ा अपना वजन कम कर रही हैं । वह सोचती हैं कि उनका वजन कम हुआ और वह आकर्षक बनी तो उन्हें फ़िल्में मिलने लगेंगी ।  क्या सचमुच परिणीती चोपड़ा स्लिम-एन-ट्रिम बन कर फिल्मों की नायिका बन जायेंगी ? लेकिन, ऊपर तमाम भारी वजन की अभिनेत्रियों के उदाहरण साबित करते हैं कि फिल्म न मिलने के लिए वजन बहुत ज़िम्मेदार नहीं ।  ज़रुरत है प्रतिभा की ।  परिणीती ने अभी तक सीमित प्रतिभा का ही प्रदर्शन किया है । उनके लिए जितना ज़रूरी अपना वजन कम करना है, उतना ही ज़रूरी अभिनय की बारीकियां सीखने का भी है । इसलिए, वजन कम करना परिणीती की कोशिश ज़रूर है । फ़िल्में मिलेंगी ! गारंटी नहीं ।

Monday, 21 December 2015

बेदिल 'दिलवाले' काशीबाई के बाजीराव

'दिलवाले' (आफ्टर बाईपास सर्जरी वाले)- डॉक्टर ने सर्जरी के बाद भूल से कलाकारों के दिल डस्ट बिन में डाल दिये। ऐसे में बेदिल शाहरुख़ खान, काजोल और रोहित शेट्टी टोटली ऑफ कलर। वैसे भी बासी कढी में कही उबाल आता है! शाहरुख़ खान दाढ़ी बढ़ा लेने से चक दे हो जाती तो अब तक तुम इंडिया पर छा जाते। लेकिन, इतनी बासी कहानी, सडियल दृश्यों और उतने ही रद्दी संवादों के कारण फिल्म घिसटती सी लगती है। शाहरुख़ खान ऊबे से लगते हैं। काजोल सोचती लगती हैं - ये कहाँ मैं आ फांसी। यहाँ तक कि वरुण धवन और रोहित शेट्टी का कॉमेडी तड़का भी सुगन्धहीन। कीर्ति सेनन पता नहीं अभिनय कर रही थी या सब को चिढ़ा रही थी। फिल्म कितनी ऊबाऊ होगी, इसका अंदाज़ा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि वरुण धवन के दोस्त सिद्धू की भूमिका में वरुण शर्मा भी हँसाते हँसाते रुलाने लगते हैं। संजय मिश्रा, पंकज त्रिपाठी, मुकेश तिवारी और जॉनी लीवर जैसे एक्टर नीरस कॉमेडी करते हैं। विनोद खन्ना और कबीर बेदी ने इस फिल्म को अपनी दारू की बाटली खरीदने के लिए ही किया होगा। प्रीतम की धुनें ऎसी लगाती हैं जैसे बिना नहाये तैयार कर दी गई। यह फिल्म १०० करोडिया है, बजट के लिहाज़ से। लेकिन, १०० करोड़ का ग्रॉस ही इसके लिए ताज होगा।
सब कुछ बासी दिलवाले
बाजीराव मस्तानी - पता नहीं पेशवा बाजीराव नाचते थे या नहीं।  लेकिन, संजय लीला भंसाली की फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' के बाजीराव क्या खूब नाचते हैं।  उन्हें नाचते देख कर अपने बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह की याद आ गई।  वह भी क्या खूब नाचते हैं।  गोलियों की रास लीला राम -लीला में वह क्या खूब नाचे थे।  लगता है बाजीराव ने राम-लीला देखी थी।  वह मस्तानी से रोमांस करते हैं।  मस्तानी उनकी कतार लेकर झाँसी से बाजीराव के घर आ धमकाती हैं।  कहती हैं कतार से विवाह हो गया।  इन दोनों का रोमांस देखते हुए मुग़ल ए आजम याद आ जाती है।  कोफ़्त होती है, यही गहराई रह गई है २१ वी सदी के रोमांस में।  बिलकुल ठन्डे बाजीराव, उससे ज़्यादा ठंडी मस्तानी।  इससे ज़्यादा गर्मागर्म रोमांस तो रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टेज पर कर मारते हैं।  लेकिन, मान गए प्रियंका चोपड़ा को।  काशीबाई को जीवंत कर दिया।  कलाकारों की भीड़ जमा है।  सब अपने अपने रोल में फिट हैं।  संजय लीला भंसाली हिंदी दर्शकों के लिए नई प्रेम कथा लाये हैं।  विज़ुअल प्रभावशाली हैं।  सेट, कॉस्ट्यूम, लोकेशन सब कुछ बढ़िया।  आखिरी के दृश्य तो भंसाली की कल्पनाशीलता के प्रमाण हैं।  अगर रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण  का ऑन स्क्रीन रोमांस जम पाता को एक अविस्मरणीय फिल्म बन जाती।  

Saturday, 19 December 2015

बैक टू द फ्यूचर की पोर्न पैरोडी

इस साल २१  अक्टूबर को १९८५ की क्लासिक फिल्म 'बैक टू द फ्यूचर' के तीस साल सेलब्रेट किये गए।  इस मौके पर इस फिल्म की डीवीडी और ब्लू-रे की लॉन्चिंग हुई।  फिल्म की पूरी कास्ट एक जगह इकठ्ठा हुई।  एक रात को इस फिल्म  पुनर्प्रदर्शन किया गया।   लेकिन, इस  मौके का पूरा फायदा उठाया एडल्ट फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर वुड राकेट ने।  उन्होंने बैक टू द फ्यूचर की ट्रिपल एक्स पैरोडी 'फप टू द फ्यूचर' का ऐलान किया ।  पिछले हफ्ते इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ किया गया।  इस ट्रेलर में नग्नता तो नहीं दिखाई  गई है, लेकिन सेक्सुअल सीन्स और संवादों की भरमार हैं।  इनके ज़रिये 'बैक टू द फ्यूचर' के चरित्रों को भिन्न  नज़रिये से दिखाया गया है।  इस कहानी में मार्टी (अप्रैल ओनील) औरत बन जाता है।  वैज्ञानिक कॉक ब्राउन ने डीलोरीन को मॉडिफाई कर सेक्स टाइम मशीन की ईज़ाद कर ली है।  मूल फिल्म में लीबियाई आक्रमण होता है।  इस फिल्म में लेस्बियन अटैक होता है।  मार्टी को  १९५५ में भेज  दिया जाता है।  फिल्म में कुछ दूसरे भी बैक टू द फ्यूचर हैं।  इस फिल्म का निर्देशन ली रॉय मयर्स ने किया है।  फिल्म की स्क्रिप्ट लोके वैन केम्प के साथ खुद ली ने लिखी है।  फिल्म में अप्रैल ओनील के अलावा माइकल वेगास क्रिस स्लाटर और कस्सोंड्रा रैनी मुख्य भूमिका में हैं।  

Wednesday, 16 December 2015

दर्शकों को हँसाएगा हॉलीवुड का मकडा और चीटा !

कैप्टेन अमेरिका और आयरन मैन के खेमे में बंट चुके हॉलीवुड के सुपर हीरो निर्देशक अन्थोनी रूसो की फिल्म ‘सिविल वॉर’ में गंभीर चिता, बहस और युद्ध में व्यस्त होंगे। ज़ाहिर है कि इन सुपर हीरोज के बीच तनाव के लम्हे दर्शकों पर भारी पड़ सकते हैं। रूसो ब्रदर्स की निर्देशक जोडी को इसका एहसास है। इसलिए, फिल्म के दो सुपर हीरो अंट-मैन और स्पाइडर-मैन कॉमिक अवतार में होंगे। कभी एक दूसरे के मित्र और दुनिया को बचाने के लिए एक जुट होकर काम करने वाले यह दोनों सुपर हीरो खेमे में बंटे ज़रूर होंगे। उनके बीच युद्ध की नौबत भी आयेगी। इसके बावजूद यही करैक्टर फिल्म में हलके फुल्के क्षण लायेंगे, दर्शकों को कॉमिक रिलीफ देंगे। अन्य सुपर हीरो चरित्रों की तुलना में अंट मैन और स्पाइडर मैन का ही कॉमिक अवतार क्यों ? जवाब देते हैं फिल्म के एक निर्देशक अन्थोनी रूसो, “इसमे कोई शक नहीं मार्वेल की फिल्मों की तुलना में सिविल वॉर में गंभीर क्षण ज्यादा हैं। ऐसा स्वाभाविक है, जब दो दोस्त और साथी एक दूसरे के आमने सामने खड़े हों। अगर हम इन्हें पूरी फिल्म में युद्ध करते दिखायेंगे तो मामला गंभीर हो जायेगा। क्योंकि, यह सुपर हीरो है, कोई विलेन नहीं। अंट मैन और स्पाइडर मैन बहुत बड़े हीरो हैं, लेकिन उन्हें विलेन नहीं बनाया जा सकता। इसलिए, फिल्म को गंभीर और हास्य परिस्थितियों का मिला जुला फॉर्मेट दिया गया है। स्पाइडर मैन और अंट मैन के करैक्टर दर्शकों को हंसाएंगे। अट मैन बने पॉल रड और स्पाइडर मैन बने टॉम हॉलैंड काबिल अभिनेता हैं। वह अपने दर्शकों को रिलैक्स होने का पूरा अवसर देंगे। 

सिर्फ सलमान खान पर मेहरबान नहीं होती अदालतें !

तेरह साल पहले के हिट एंड रन केस में पांच साल की सज़ा पाने के छः महीने के भीतर बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान बॉम्बे हाई कोर्ट से बरी हो गए। सलमान खान के प्रशंसक जहाँ खुश है कि उनका पसंदीदा सितारा दोष मुक्त हो गया, वहीँ आम आदमी हैरान है कि लम्बी सुनवाई और बहस के बाद सेशन कोर्ट में दोषी पाए गए सलमान खान इतनी आसानी से छुटकारा कैसे पा सके। क्या इसलिए कि मारे गए और घायल हुए लोग फूटपाथ पर सोने वाले गरीब थे, जबकि सलमान खान बॉलीवुड के बड़े सितारे हैं, उनका काफी रसूख और पहुँच है। पैसा तो है ही। क्या कोर्ट मीडिया ट्रायल से प्रभावित होता है या सेलेब्रिटी स्टेटस उसके न्याय को बौना बना देता है ?
क्या छूटेंगे सूरज पंचोली भी !
सच क्या है, इसकी पुष्टि तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले कि बाद ही होगी। लेकिन, आदित्य पंचोली को कुछ आस बंधी है।उनके बेटे सूरज पंचोली पर गजिनी और निःशब्द की नायिका जिया खान की माँ द्वारा जिया की कथित हत्या करने के आरोप लगाए हैं । प्रारंभिक जांच में सूरज पंचोली को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ही माना गया था। बाद में आलिया की माँ ने कोर्ट में अपील दायर कर जिया की मृत्यु को हत्या बताया था।  इसके लिए उन्होंने सूरज को दोषी बताया था तथा सीबीआई जांच की अपील की थी। सलमान खान के मामले में हाई कोर्ट का फैसला आने से सूरज पंचोली के पिता आदित्य पंचोली काफी खुश हैं। वह उन्ही बिन्दुओं पर, जिनके आधार पर हाई कोर्ट ने सलमान खान को दोष मुक्त माना, जोर देकर सूरज को छुडाना चाहेंगे। यहाँ बताते चलें कि सलमान खान ने ही इस साल फिल्म ‘हीरो’ के ज़रिये सूरज पंचोली का फिल्म डेब्यू करवाया था। 
गोविंदा को सुप्रीम कोर्ट की सलाह 
क्या सूरज पंचोली भी सलमान खान की तरह पुख्ता सबूतों के अभाव में रिहा कर दिए जायेंगे ? इस सवाल का जवाब तो आने वाला समय बतायेगा। लेकिन, इसमे कोई शक नहीं कि बॉलीवुड के एक्टर अपने सेलेब्रिटी गुरूर में इधर उधर पंगा लेते रहते हैं। इस लिहाज़ से सलमान खान ज्यादा कुख्यात हैं। उन पर कई दूसरे मामले देश की विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं। दूसरे मुकदाओं का परिणाम बॉम्बे हाई कोर्ट जैसा होगा, नहीं कहा जा सकता। लेकिन कोर्ट इन सेलेब्रिटी के मामले में थोडा नरम लगता है। सलमान खान के साथ पार्टनर में जोड़ीदार गोविंदा का मामला भी ताज़ा है। गोविंदा २००८ में मनी है तो हनी है की शूटिंग कर रहे थे। उन्होंने सेट पर मौजूद एक गेस्ट को इस  लिए तमाचा मार दिया कि वह लड़कियों से बदसलूकी कर रहा था। पुलिस द्वारा राय नाम के गेस्ट की शिकायत दर्ज न करने पर वह व्यक्ति खुद कोर्ट गया। ट्रायल कोर्ट ने गोविंदा को दोषी मान कर सज़ा सुना दी। लेकिन, बॉम्बे हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आर्डर को खारिज कर दिया। इस पर राय सुप्रीम कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गोविंदा को मौका दिया कि वह अपने प्रशंसक राय से मिल कर माफ़ी मांगे और मामले को ख़त्म करवाए। अन्यथा उन पर आपराधिक मामला चलेगा और दो साल तक की सजा  हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गोविंदा के एक्टर और एमपी होने को संज्ञान में लिया था।
बचे जॉन अब्राहम 
बॉलीवुड सेलेब्रिटी या तो घमंडी होते हैं या बददिमाग कि वह अपने प्रशंसकों से दुर्व्यवहार करने से बाज़ नहीं आते। लेकिन सैफ अली खान तो कुछ ज्यादा आगे चले गए। वह पद्मश्री से सम्मानित हैं। लेकिन, उन्होंने इसकी परवाह किये बिना एक होटल में अपने परिवार और मित्र के साथ मौजूद इकबाल शर्मा नाम के गेस्ट के साथ बदसलूकी और मारपीट की। इस मामले में भी मुंबई पुलिस ने प्रारंभिक ढिलाई बरती। फिलहाल सैफ अली खान पर मुकदमा चल रहा है। जॉन अब्राहम अभिनीत तेज़ रफ़्तार मोटर साइकिल चलाने वाले डकैतों की कहानी ‘धूम’ बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट हुई थी। जॉन अब्राहम का मोटर साइकिल चलाने का शौक पुराना है। अप्रैल २००६ में वह अपनी सुजुकी हयाबुषा मोटर साइकिल की रफ़्तार पर नियंत्रण नहीं रख पाए और उन्होंने दो लोगों को घायल कर दिया। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। चार साल बाद इस मुकदमे पर हुए फैसले में कोर्ट ने उनके पहले अपराध के कारण उन्हें केवल १५ दिनों सादा कैद की सजा सुनाई। लेकिन कुछ ही घंटों में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी। आजकल जॉन अब्राहम अपनी फिल्मों पर ज्यादा ध्यान लगा रहे हैं। 
अबु सलेम की मोनिका 
कभी छोटी फिल्मों के ज़रिये बॉलीवुड में प्रवेश करने वाली मोनिका बेदी को फ़िल्में तो मिली, लेकिन यह फ़िल्में ख़ास नहीं चली। मोनिका बेदी का बॉलीवुड करियर ख़त्म हो जाता कि मोनिका को गैंगस्टर अबू सलेम का साथ मिल गया। इसी के बूते पर वह करियर के ढलान में जोड़ी नंबर वन और प्यार इश्क और मोहब्बत जैसी बड़े बैनर की फ़िल्में पाने में कामयाब हो पाई। इसके बाद वह अबू सलेम के साथ भारत से बाहर भाग गई। लम्बी कानूनी कार्यवाही के बाद उनका भारत को प्रत्यर्पण हुआ। लेकिन, जाली पासपोर्ट मामले में दोषी साबित होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अब तक काटी जेल अवधि को सज़ा की अवधि मानते हुए रिहा कर दिया। आजकल मोनिका बेदी टीवी सीरियल कर रही हैं। 
मई २००१ में एक्टर फ़िरोज़ खान के बेटे फरदीन खान कोकीन खरीदते हुए पकडे गए थे। चूंकि, उन्होंने स्वीकार किया कि वह ड्रग एडिक्ट हैं और उनके पास बरामद कोकीन थोड़ी मात्र में थी, इसलिए उन पर नशीली दवाओं की बिक्री का मामला नहीं चला। उन पर खुद के उपयोग के लिए कोकीन रखने का मामला चलाया गया। इस कानून के अन्दर पहली बार पकडे जाने वाला अगर कोई शख्स सरकारी हॉस्पिटल में अपना ईलाज करवाता है तो उसे सज़ा नहीं होती। इस प्रकार से नशे के आदि फरदीन खान भी कानून के शिकंजे से बच निकले। 
पुरू ने मारे थे तीन 
यहाँ बडबोले अभिनेता राजकुमार के असफल एक्टर बेटे पुरु राजकुमार का मामला बेहद दिलचस्प है। पुरु पर मुंबई में नशे में तेज़ रफ़्तार कार चला कर ८ लोगों को कुचल देने का मामला दर्ज हुआ था। इनमे से तीन की मौत हो गई थी। मुकदमे में पुरु दोषी भी साबित हुए। लेकिन, वह प्रत्येक मृतक परिवार को सिर्फ ३० हजार का हर्जाना दे कर छूट गए। इस समय भी कई सेलेब्रिटी अपने किये अपराधों के लिए मुकदमे का सामना कर रहे हैं। शाहरुख़ खान पर आरोप लगा था कि अपने तीसरे बेटे के जन्म से पहले उन्होंने गौरी के गर्भ का सेक्स निर्धारण टेस्ट करवाया था। हालाँकि, खान का कहना था कि यह आरोप अबराम (बेटे) के जन्म के बाद लगा है। फिलहाल इस मामले में कोर्ट का फैसला आना है।सलमान खान भी अभी राजस्थान में काले हिरन के शिकार से अपना पल्ला नहीं छुडा पाए हैं। उनके साथ तब्बू, नीलम और सोनाली बेंद्रे भी अभियुक्त हैं। शाइनी आहूजा को अपनी नौकरानी के साथ बलात्कार के मामले में सज़ा हो चुकी है। फिलहाल, वह जमानत पर बाहर हैं। इसी प्रकार से अंकित तिवारी और मॉडल एक्टर इन्दर कुमार बलात्कार के आरोप में जेल गए और आजकल ज़मानत पर हैं। अरमान कोहली बिग बॉस की सह-प्रतिभागी सोफ़िया हयात को धमकी देने के आरोप में जेल गए। वह भी ज़मानत पर हैं। 
इससे साफ़ है कि भिन्न अपराधों के लिए आरोपित बॉलीवुड सेलिब्रिटीज मुकदमा ज़रूर झेल रहे हैं, लेकिन जल्द ही ज़मानत पर बाहर आ गए। सिर्फ संजय दत्त ही इकलौते ऐसे अभिनेता हैं, जो अपनी सज़ा पूरी करने क लिए महाराष्ट्र की यरवदा जेल में हैं। इससे ऐसा लग सकता है कि देश की अदालतें बॉलीवुड सेलिब्रिटी पर ख़ास मेहरबान होती है। वैसे मीडिया ट्रायल भी कोर्ट को प्रभावित कर देता है। 


अल्पना कांडपाल 



हर महान जासूस के पीछे एक बेवक़ूफ़ भाई होता है

लुइस लेटेरिएर  निर्देशित एक्शन कॉमेडी फिल्म 'द ब्रदर्स ग्रिम्सबी ' यह स्थापित करने की कोशिश है कि  हर महान जासूस के पीछे एक शर्मिंदा करने वाला भाई होता है।  नॉबी इंगिलश फुटबॉल टीम के लिए उपद्रव करने वाले गिरोह का एक अच्छा लेकिन मंदबुद्धि सदस्य है। एक ग्रिम्सबी जो कुछ चाहता है, वह सब कुछ नॉबी के पास है।  यानि ११ बच्चे और खूबसूरत महिला मित्र।  बस कमी है तो बिछुड़े हुए भाई की। नॉबी और सेबेस्टियन लम्बे समय के बिछुड़े भाई है।  सेबेस्टियन एमआई ६ का एजेंट है।  सबसे खतरनाक हत्यारा। इन दोनों बिछुड़े भाई फिर साथ आते हैं दुनिया पर संभावित बड़े आतंकी हमले को रोकने के लिए।  सेबेस्टियन को अगर इस हमले को रोकना है तो उसे अपने बेवक़ूफ़ भाई का साथ लेना ही होगा।  इस दिलचस्प खतनाक वाली एक्शन कॉमेडी फिल्म के निर्देशक लुइस ने नाउ यू सी मी, द इनक्रेडिबल हल्क और द ट्रांसपोर्टर जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन किया है।  फिल्म में नॉबी की भूमिका साचा बैरन कोहेन कर रहे हैं। उन्होंने ही फिल्म को लिखा भी है। उनके भाई की भूमिका में मार्क स्ट्रांग हैं तथा गर्ल फ्रेंड रिबेल विल्सन बनी है। आइला फिशर, गबौरी सिडिबे और पेनेलोप क्रज़ की भूमिका भी महत्वपूर्ण  है।  


Tuesday, 15 December 2015

बिना श्रवण के नदीम सैफी की वापसी !

अगले साल २९ जनवरी को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'इश्क़ फॉरएवर' में नदीम सैफी का संगीत है। वह १० साल बाद हिंदी फिल्मों में वापसी कर रहे हैं। पूरे १९९० के दशक और २००० के पूर्वार्द्ध में कभी नदीम सैफी का नाम श्रवण राठौड़ के साथ बतौर संगीतकार जोड़ी नदीम श्रवण सुना पढ़ा जाता था।  इन दोनों ने इस दौरान आशिक़ी, साजन, दीवाना, दिल का क्या कसूर, हम हैं रही प्यार के, रंग, दिलवाले, राजा, बरसात, अग्नि साक्षी, जीत, राजा हिंदुस्तानी, परदेस, सिर्फ तुम धड़कन, कसूर, हम हो गए आपके, राज़, दिल है तुम्हारा, दिल का रिश्ता अंदाज़, तुमसे नहीं देखा, बेवफा आदि जैसी ढेरो फिल्मों का संगीत दिया।  बताते हैं कि फिल्म राज के संगीत को मशहूर सर पॉल मैककार्टनी ने भी सराहा था।  नदीम और श्रवण की जोड़ी १९७९ में भोजपुरी फिल्म 'दंगल' के संगीत के रिलीज़ के साथ सामने आया।  इन दोनों ने हिंदी फिल्म 'मैंने जीना सीख लिया' (१९८१) का संगीत दे कर पहली बार बॉलीवुड में प्रवेश किया।  लेकिन, इस जोड़ी को शोहरत मिली टी सीरीज की महेश भट्ट निर्देशित फिल्म 'आशिक़ी' के संगीत से।  यह टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की  व्यावसायिक चतुराई थी कि उन्होंने फिल्म के संगीत का ज़बरदस्त प्रचार किया।  फिल्म का संगीत इतना हिट हुआ कि संगीत के बल पर आशिक़ी भी सुपर हिट हो गई। नदीम-श्रवण जोड़ी टी सीरीज के गुलशन कुमार की पसंदीदा जोड़ी थी। नदीम, श्रवण और गुलशन तिकड़ी ने ९० के दशक को मधुर संगीत से गूंजायमान कर दिया। कैसी विडम्बना थी कि जिस गुलशन कुमार ने नदीम को आकाश पर पहुंचाया, उसी गुलशन कुमार की हत्या में आरोपित हो कर नदीम सैफी को देश छोड़ कर लंदन बस जाना पड़ा।  लंदन से भी वह श्रवण के साथ संगीत रचना करते रहे।  लेकिन २००५ में दोस्ती फिल्म के संगीत के बाद यह जोड़ी टूट गई।  अब 'इश्क़ फॉरएवर' के ज़रिये नदीम सैफी हिंदी फिल्मों में वापसी करना चाहते हैं।  खबर यह भी है कि वह दीवाना २ और साजन २ के अलावा विशेष फिल्म्स की अगली फिल्म का संगीत दे सकते हैं।  लेकिन, सब कुछ निर्भर करेगा 'इश्क़ फॉरएवर' के संगीत की लोकप्रियता पर।  समीर सिप्पी की इस फिल्म में कृष्णा चतुर्वेदी, रूही सिंह, लिसा रे, आदि काम कर रहे हैं।  यह एक म्यूजिकल ड्रामा फिल्म है।  क्या नदीम सैफी नब्बे के दशक वाला रंग जमा पाएंगे ? यह बड़ा सवाल है।  लेकिन, पहले सुनिए फिल्म के एक गीत के टीज़र में नदीम की धुन-

Monday, 14 December 2015

फिर बच्चों के बीच स्टीवन स्पीलबर्ग

बच्चों के लिए ई टी और जुरैसिक पार्क जैसी श्रेष्ठ फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग एक बार फिर बच्चों के संसार में लौट आये हैं। वह रोआल्ड डाहल के १९८२ में प्रकाशित उपन्यास 'द बीएफजी' पर इसी टाइटल के साथ फिल्म बना रहे हैं।  जिस दौर में स्पीलबर्ग 'पोलटेरजिस्ट' और 'ब्रिजेज ऑफ़ स्पाईज' के निर्माण में व्यस्त थे, ठीक उसी समय 'द बीएफजी' पर भी काम कर रहे थे।  यह कहानी सोफी नाम की लड़की की देश की रानी और २४ फुट लम्बे बीएफजी के साथ मानवता के लिए खतरनाक दैत्यों को पकड़ने के लिए अभियान चलाने की है। बीएफजी यानि बिग फ्रेंडली जायंट एक अच्छा दैत्य है, जबकि उसके साथी दैत्य ब्लडलॉटर और फ़्लैशलम्पईटर बुरी प्रकृति के हैं।  इस फिल्म में सोफी का किरदार नया चेहरा रूबी बर्नहिल कर रहा है। स्टीवन स्पीलबर्ग की जर्मनी में जासूस की कहानी 'ब्रिजेज ऑफ़ स्पाईज' से बिलकुल हट कर है।  ब्रिजेज ऑफ़ स्पाईज जहाँ गंभीर किस्म की फिल्म थी, वहीँ द बीएफजी बच्चों को टारगेट फिल्म होने के बावजूद हँसी मज़ाक से भरपूर मनोरंजक फिल्म है।  इस फिल्म का टाइटल रोल मार्क रयलन्स कर रहे है।  मार्क ने 'ब्रिजेज ऑफ़ स्पाईज में रुडोल्फ एबल का किरदार किया था।  रूबी बार्नहिल अभी ११ साल की हैं।  वह ब्रिटिश हैं।  द बीएफजी उनकी पहली फिल्म है।  अपनी पहली फिल्म में ही रूबी बिल हैडर, पेनेलोप विल्टन और जेमैन क्लेमेंट जैसे वरिष्ठ कलाकारों के साथ काम करने का मौक़ा ही नहीं मिला है, बल्कि वह एक प्रकार से उनके मुकाबले में लीड कर रही है। मेलिसा मथिसन की यह आखिरी फिल्म है, जिसे उन्होंने स्टीवन स्पीलबर्ग के लिए लिखा है। मेलिसा ने ईटी: द एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल और द ट्वाईलाईट जोन जैसी फ़िल्में लिखी थी।  मेलिसा के पिछले महीने कैंसर के कारण स्वर्गवास हो गया था।  अगले साल १ जुलाई को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'द बीएफजी' का जादुई ट्रेलर देखिये। 

गर्ल पावर का इंटरनेशनल हंगर गेम्स

इंटरनेशनल बॉक्स ऑफिस पर गर्ल्स पावर का नज़ारा है।  जेनिफर लॉरेंस की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'हंगर गेम्स मॉकिंग्जय पार्ट २' लगातार चौथे वीकेंड भी बॉक्स ऑफिस की टॉप पोजीशन पर काबिज़ है। इस वीकेंड रिलीज़ क्रिस हेम्सवर्थ की केंद्रीय भूमिका वाली डायरेक्टर रॉन होवार्ड की फिल्म 'इन द हार्ट ऑफ़ द सी' टॉप पर अपना कब्ज़ा बना पाने में नाकाम रही।  इसके साथ ही जेनिफर लॉरेंस की फिल्म टॉप पोजीशन  पर चौथे हफ्ते भी काबिज़ रही।  क्रिस हेम्सवर्थ की फिल्म ने पहले वीकेंड में ११ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया।  यह किसी नई रिलीज़ और बड़े निर्देशक-एक्टर जोड़ी के लिहाज़ से बेहद खराब था। यह फिल्म १०० मिलियन डॉलर के बजट से बनाई गई है। वहीँ हंगर गेम्स मॉकिंग्जय २ ने ११.३ मिलियन डॉलर का बिज़नेस किया था। अगले हफ्ते स्टार वार्स रिलीज़ होनी है।  हॉलीवुड फिल्मों के दर्शकों को स्टार वार्स फ्रैंचाइज़ी की इस फिल्म का बेसब्री से इंतज़ार है।  शायद इसीलिए वह सिनेमाघरों से दूर रहना चाहता है। ऐसे में अगले वीकेंड 'इन द हार्ट ऑफ़ द सी' का बिज़नेस बुरी तरह से प्रभावित होने जा रहा है। मॉकिंग्जय २ चौथे वीकेंड में भी टॉप पर रह कर इस फ्रैंचाइज़ी की टॉप पर रहने वाली दूसरी फिल्म बन गई है। कैचिंग फायर सीरीज की ऎसी पहली फिल्म थी।   इस साल लगातार बॉक्स ऑफिस की टॉप पर बने रहने का कारनामा फ्यूरियस ७ ने भी कर दिखाया था। मॉकिंग्जय २ अब तक वर्ल्ड वाइड ५६४ मिलियन डॉलर का कलेक्शन कर चुकी है।  हालाँकि, मॉकिंग्जय पार्ट १ इस समय तक ६१०.८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन कर चुकी थी।  लेकिन, यहाँ ध्यान रहे कि अभी हंगर गेम्स मॉकिंग्जय पार्ट २ को चीन में रिलीज़ होना है।   

बॉलीवुड त्रिमूर्ति के राज कपूर

पचास साठ के दशक के राजकपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद की त्रिमूर्ति अपने आप में निराली थी। अभिनय का अपना जुदा अंदाज़।  राज कपूर भोले भाले सीधे सादे भारतीय युवा का प्रतिनिधित्व करते थे। ऐसा नहीं कि उन्हें देहाती रोल ही फबते थे।  लेकिन वह मशहूर हुए अपनी गंवई वेश भूषा के कारण ही, अब चाहे वह फिल्म श्री ४२० हो या जिस देश में गंगा बहती है या तीसरी कसम या फिर सपनों का सौदागर।  राज कपूर के हाव भाव से अलग थे दिलीप कुमार के हाव भाव।  वह ट्रेजेडी किंग के बतौर मशहूर हुए।  वह अपनी ज्यादातर फिल्मों में असफल प्रेम की खातिर तब तक जान गंवाते रहे, जब तक वह खुद इन भूमिकाओं के कारण डिप्रेशन का शिकार नहीं हो गए।  इन दोनों से जुदा थे देव आनंद।  देव आनंद का संवाद बोलने और हाथ पैर चलाने का अंदाज़ निराला था।  वह ठेठ शहरी हीरो थे।  कह सकते हैं कि वह आज के मेट्रो शहरों को रिप्रेजेंट करते थे।  उनकी भूमिकाएं हलके फुल्के अपराध करने वाले अच्छे दिल के युवा की हुआ करती थी।  इन तीनों की फ़िल्में और अदाएं खूब देखी और पसंद की गई। इन सबका अपना दर्शक वर्ग था। दिलीप कुमार और देव आनंद कट बाल तो तत्कालीन युवाओं के पसंदीदा थे।  इस तिकड़ी की ख़ास बात यह थी कि बाद के कई अभिनेताओं ने जहाँ राजकपूर और दिलीप कुमार की नक़ल पर अभिनय कर स्टारडम की सीढियां चढ़नी शुरू की, वहीँ देव आनंद की मिमिक्री कर काफी लोग आज भी झोली भर रहे हैं.
राज कपूर को काफी नक़ल किया गया।  आज के सुपर स्टार शाहरुख़ खान ने राज कपूर के गंवई को ख़ूब अपनाया।  राजू बन गया जेंटलमैन जैसी फ़िल्में इसकी गवाह हैं।  अनिल कपूर ने एंग्री यंग मैन का चोला ओढ़ने से पहले राज कपूर को ओढ़ा।  इन दोनों अभिनेताओं पर तो शुरुआत में राज कपूर की नक़ल करने वाले अभिनेताओं को ठप्पा लग गया था।  अब यह बात दीगर है कि बाद में इन दोनों ने दिलीप कुमार के कॉपी कैट अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन को गले लगा लिया।  तमिल और तेलुगु फिल्मों के एक्टर डायरेक्टर एस जे सूर्या के  तो राजकपूर गुरु थे।  वह राज कपूर को सबसे बड़ा एंटरटेनर मानते थे।  वह चाहते थे कि कभी कोई उनसे कहे कि सूर्या ने राज कपूर जैसा बनने का सबसे अच्छा प्रयास किया।

कौन बनेगी मास्टरशेफ ! कैटरीना कैफ या दीपिका पादुकोण !!

विन डीजल के साथ एक्सएक्सएक्स के बाद दीपिका पादुकोण के खाते में दूसरी हॉलीवुड फिल्म भी जा सकती है। लेकिन, इस फिल्म को पाने के लिए उन्हें बॉलीवुड में अपनी राइवल अभिनेत्री कैटरीना कैफ को पछाड़ना होगा। यह वही कैटरीना कैफ हैं, जिनका उस रणबीर कपूर के साथ गर्मागर्म रोमांस चल रहा है, जो कभी दीपिका पादुकोण के प्रेमी हुआ करते थे। जब भी रणबीर का ज़िक्र होता है तो कैटरीना कैफ और दीपिका पादुकोण के साथ उनका लव ट्रायंगल अपने आप बन जाता है। इस लिए यह हॉलीवुड फिल्म ख़ास हो जाती है। यह फिल्म अंतर्राष्ट्रीय शो ‘मास्टरशेफ’ पर आधारित होगी। इस फिल्म में हॉलीवुड के ऑस्कर पुरस्कार विजेता एक्टर कोलिन फ़र्थ और ऑस्कर पुरस्कारों में नामित अभिनेता बेनेडिक्ट कम्बरबैच एक साथ होंगे। इस फिल्म का टाइटल ‘मास्टरशेफ’ ही रखा गया है। लेकिन, हॉलीवुड के दो बड़े एक्टरों के बावजूद यह फिल्म महिला प्रधान फिल्म है। इसलिए दीपिका पादुकोण और कैटरीना कैफ के लिए यह फिल्म का काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह फिल्म रोमांटिक कोण के साथ एक महिला शेफ की जीवन यात्रा है। शेफ की तमाम शूटिंग मुंबई और कुछ भाग कुनूर या दार्जीलिंग में शूट होगी। अगले साल, मई या जून से शुरू होकर फिल्म की शूटिंग ५५ दिनों में पूरी हो जायेगी। क्या दीपिका पादुकोण मास्टरशेफ के रूप में दूसरी हॉलीवुड फिल्म पा सकेंगी या कैटरिना कैफ उन्हें पछाड़ का मास्टरशेफ बन जायेंगी ? लेकिन, यह मुकाबला इस लिहाज़ से दिलचस्प नहीं होगा कि मास्टरशेफ दीपिका की दूसरी या कैटरीना कैफ की पहली हॉलीवुड फिल्म होगी . बल्कि, दिलचस्पी इस बात से होगी कि क्या दीपिका पादुकोण कैटरीना से जीत कर, कैटरीना कैफ द्वारा उनके रणबीर कपूर को चुराने का बदला ले सकेंगी। 

राजेंद्र कांडपाल 

Sunday, 13 December 2015

देर से पद्म विभूषण दिलीप कुमार !

भारत देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज ९३ वर्षीय अभिनेता दिलीप कुमार का उनके घर जा कर पद्मविभूषण से सम्मान किया। दिलीप कुमार को यह सम्मान २०१५ के लिए दिया गया। दिलीप कुमार को, सही तौर पर कहें तो फिल्मों से अलग हुए २४ साल हो गए हैं। सही मायनों में उन्होने कैमरा इससे पहले से ही फेस नहीं किया होगा। उनकी लम्बे समय से बन रही दो फ़िल्में 'कलिंगा' और 'किला' या तो रिलीज़ नहीं हुई या इक्का दुक्का जगहों पर ही हुई। इसका मतलब साफ़ है कि कभी के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का फिल्म करियर ख़त्म हो चूका था। ऐसे में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने का मतलब ही क्या हुआ। सबसे अधिक पुरस्कार जीतने वाले भारतीय एक्टर के तौर पर गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके दिलीप कुमार की ट्रेजेडी यह रही कि प्रत्येक सरकारों ने उन्हें मान्यता देने में कजूसी की। १९८० में मुंबई के शेर्रिफ रह चुके दिलीप कुमार को पद्म भूषण तब मिला, जब १९९१ में उनकी आखिरी फिल्म 'सौदागर' रिलीज़ हुई थी। सौदागर की रिलीज़ के तीन साल बाद उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला। १९९७ में ही पाकिस्तान ने उन्हें निशान ए इम्तियाज़ से नवाज़ा। उसी साल भारत सरकार उन्हें पद्म विभूषण दे देती कुछ और बात होती। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। दिलीप कुमार २०११ से बीमार चल रहे हैं। उनकी हार्ट सर्जरी हो चुकी है। कहाँ नहीं जा सकता कि वह कितना सुन और समझ सकते हैं। ऐसे में दिलीप कुमार का सम्मान देर आयद तो लगता है, दुरुस्त आयद भी है यह उनके प्रशंसक या वह खुद ही बता सकते है।


अजय देवगन बनेंगे डिक्टेटर

अगर सब ठीक रहा तो अजय देवगन एक बार फिर दोहरी भूमिका में नज़र आएंगे।  यह फिल्म तेलुगु फिल्म 'डिक्टेटर' का हिंदी रीमेक होगी।  डिक्टेटर निर्देशक श्रीवास की एक्शन फिल्म है, जिसमे तेलुगु फिल्मों के सितारे नंदमुरी बालाकृष्णन की ९९वी फिल्म है।  बालाकृष्णन तेलुगु फिल्मों के सुपर स्टार और आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री एन टी रामाराव के बेटे हैं।  डिक्टेटर में बालाकृष्णन एक माफिया डॉन और सुपर मार्किट सुपरवाइजर की दोहरी भूमिका में है।  डिक्टेटर को तमिल और मलयालम में डब कर रिलीज़ किया जायेगा।  डिक्टेटर के निर्माता एरोस इंटरनेशनल को डिक्टेटर की स्क्रिप्ट हिंदी दर्शकों के पसंद के अनुरूप लगी।  इसीलिए, इसे हिंदी में भी बनाने का निर्णय किया गया है। इसके लिए अजय देवगन से बात चल रही है।  डिक्टेटर का हिंदी में रीमेक  फिल्म ही श्रीवास का हिंदी फिल्म डेब्यू होगा । श्रीवास तेलुगु डिक्टेटर की शूटिंग पूरी करने के बाद ही हिंदी डिक्टेटर को शुरू कर सकेंगे।  तेलुगु फिल्म में बालाकृष्णन के साथ नायिका की भूमिका अंजलि और सोनल चौहान कर रही हैं।  लेकिन, अभी यह तय नहीं है कि अजय देवगन के अपोजिट कौन अभिनेत्री काम करेगी! 


फिजिकल रिलेशनशिप से पैदा प्रेम कहानियां

वैभव मिश्रा निर्देशित फिल्म 'लवशुदा'  गिरीश कुमार और नवोदित अभिनेत्री नवनीत कौर ढिल्लों की आधुनिक प्रेम कहानी है।  दोनों लंदन, मॉरीशस और फिर शिमला में मिलते हैं।  एक दूसरे को चाहते हैं, लेकिन मिलने पर कुछ दूसरा ही हो जाता है। इस लव स्टोरी में फिजिकल रिलेशनशिप है और उसके बाद का रोमांस है।  'लेकिन', फिल्म के निर्माता विजय गलानी कहते हैं, "हमने इस युवा जोड़े पर एक बेहद खूबसूरत, मगर नई प्रेम कहानी फिल्माई है।' गिरीश कुमार की यह दूसरी फिल्म है।  इससे पहले वह प्रभुदेवा की फिल्म 'रमैया वस्तावैया' में श्रुति हासन के अपोजिट काम कर चुके हैं।  वैभव मिश्रा और नवनीत कौर ढिल्लों की यह पहली  फिल्म है।  इस लिहाज़ से 'लवशुदा' मे नवनीत का पूजा का किरदार काफी टफ है।  इस फिल्म से नवनीत की अभिनय प्रतिभा की भी परीक्षा होगी।
लिव-इन रिलेशनशिप वाली फिल्मों में अभिनयशीलता ख़ास होती है।  निर्देशक निखिल आडवाणी की इस साल रिलीज़ फिल्म कट्टी बट्टी  भी लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे युवा जोड़े की दास्तान थी।  कंगना रनौत और इमरान खान  परदे पर इस जोड़े को कर रहे थे। मैड़ी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही पायल एक दिन यकायक  गायब हो जाती है।  क्या तेज़ तर्रार पायल बेवफा थी ?  बकौल इमरान खान, जो खुद दो साल तक अपनी पत्नी अवंतिका के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहे, 'लिव इन रिलेशनशिप से एक दूसरे को  अच्छी  तरह से समझ जा सकता है।  मैं इसका समर्थन करता हूँ।' अब यह बात दूसरी है कि इमरान खान की कट्टी बट्टी को दर्शकों की  दोस्ती नहीं मिली।  फिल्म  फ्लॉप हुई। हालाँकि, इस फिल्म में कंगना रनौत का भावाभिनय तारीफ के काबिल था।  
'लवशुदा' को बॉक्स ऑफिस पर कैसा रिस्पांस मिलता है, पता नहीं।  लेकिन, कट्टी बट्टी असफल रही थी।  इसका मतलब यह नहीं निकाला जा सकता कि हिंदुस्तान के जवान दिल लिव-इन रिलेशन के खिलाफ है। क्योंकि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मान्यता दे दी है।   लेकिन, इससे पहले भी लिव-इन रिलेशन हिंदी फिल्मों में आ गया था। २००५ में रिलीज़ सिद्धार्थ आनंद की फिल्म 'सलाम नमस्ते' ऑस्ट्रेलिया में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े की कहानी थी, जिसमे लड़की इस सम्बन्ध में रहते हुए ही माँ बनती है।  इस भूमिका को सैफअली खान और प्रीटी जिंटा ने किया था।  यह फिल्म हिट साबित हुई थी।   २००९ में सतीश कौशिक ने फिल्म 'तेरे संग' में कुछ ऎसी ही कहानी को शीना शाहाबादी और रुसलान मुमताज़ की टीन जोड़ी पर फिल्माया था।  शीना और रुसलान एक दूसरे को प्यार करते हैं।  लड़की गर्भवती हो जाती है।  दोनों घर इस सम्बन्ध को नहीं मानते। लड़की का एबॉर्शन कराना तय किया जाता है।  यह सुन कर दोनों घर से भाग जाते हैं और लिव-इन में रहते हुए अपने बच्चे को पैदा करते हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप पर बहुत कम फ़िल्में  बनी हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि लिव-इन रिलेशनशिप पर फिल्म स्वीकार नहीं की जा रही।  इन फिल्मों के निशाने पर युवा होता है।  वह ऎसी फ़िल्में देखने से परहेज नहीं करता।  लेकिन, फिल्म को प्रभावशाली ढंग से पेश करना ज़रूरी होता है।  इसके लिए कलाकारों का बेहतरीन अदाकार होना ज़रूरी शर्त होती है।  'तेरे संग' की रुसलान मुमताज़ और शीना शाहाबादी की जोड़ी कमज़ोर अभिनय वाली थी।  इसलिए, फिल्म दर्शकों को प्रभावित नहीं कर सकी।  वहीँ, सलाम नमस्ते मे प्रीटी जिंटा ने दर्शकों को प्रभावित किया था।  विषय की नवीनता भी दर्शकों को रास आई थी।  
नायक नायिका का लिव-इन रिलेशनशिप में रहना आज की बात है।  लेकिन, शादी से पहले नायक-नायिका का शारीरिक सम्बन्ध बना लेना हिंदी फिल्मों की कहानी का विषय बनाता रहा है।  ऐसा ही एक कथानय फिजिकल रिलेशनशिप के कारण नायिका के गर्भवती होने का भी है।  यह विषय बोल्ड ज़रूर है।  लेकिन, बॉलीवुड ने इसे समय समय पर अपनाया भी है।  हालाँकि, इस सदी की शुरुआत में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन युवाओं पर पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव और बॉलीवुड को हॉलीवुड फिल्मों से मिली प्रेरणा का परिणाम था।  जहाँ तेरे संग हांगकांग की फिल्म '२ यंग' से प्रेरित थी, वही 'सलाम नमस्ते' हॉलीवुड की क्रिस कोलंबस निर्देशित फिल्म 'नाइन मंथ्स' पर आधारित थी। इस फिल्म में हु ग्रांट और जुलिआने मूर ने सैफ और प्रीटी वाली भूमिकाये की थी। परन्तु, नायिका का नायक पर मुग्ध हो कर खुद को समर्पित कर देना पुरानी बात है।   
जब नायिका खुद को नायक को समर्पित कर देती है तो कहानी का ड्रामा शुरू हो जाता है। इस समर्पण के नतीजे में नायिका माँ बन सकती है।  जहाँ तक नायिका के बिना शादी के माँ बनने की बात है, १९४३ में रिलीज़ निर्देशक ज्ञान मुख़र्जी की फिल्म 'किस्मत' की नायिका कुंवारी गर्भवती बताई गई थी। यश चोपड़ा ने भी कुँवारी माँ पर दो फ़िल्में बनाई थी।  १९५९ में रिलीज़ राजेंद्र कुमार, नंदा और माला सिन्हा अभिनीत फिल्म 'धूल का फूल' में फिजिकल रिलेशनशिप के कारण माला सिन्हा गर्भवती हो जाती है।  लेकिन, राजेंद्र कुमार उससे शादी न कर एक दूसरी लड़की नंदा से शादी कर लेता है।  माला सिन्हा के अवैध बच्चे को एक मुस्लमान पालता है। इस फिल्म का गीत 'तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा'  तब काफी हिट हुआ था। इस फिल्म को नेहरू छाप धर्मनिरपेक्षता से प्रेरित बताया गया था।  लेकिन, अगली बार यश चोपड़ा ने इसी विषय को फिल्म 'धर्मपुत्र' में हिन्दू माँ द्वारा पाले गए मुस्लमान बच्चे में बदल दिया था। मुस्लिम माला सिन्हा का रेहमान से प्रेम सम्बन्ध है।  वह गर्भवती हो जाती है। लेकिन, ऐन शादी के मौके पर रहमान गायब हो जाता है। माला सिन्हा के अवैध बच्चे को एक हिन्दू परिवार पालता है। बड़ा हो कर यह बच्चा मुस्लिम विरोधी हो जाता है। शशि कपूर ने इस  भूमिका को किया था।  यश चोपड़ा ने एक कहानी को धर्मों के सहारे एक बार जहाँ धर्म निरपेक्ष बनाया, वहीँ दूसरी बार इसे हिन्दू अतिरेक में तब्दील कर दिया।  
हिंदी फिल्मों में नायिका के शादी से पहले सेक्स करने का फ़साना दर्शकों को रास आता रहा  है।  राजकपूर निर्देशित फिल्म 'बरसात' में निम्मी का किरदार शहरी बाबू प्रेमनाथ के आकर्षण में अपना कौमार्य खो बैठता है। फिल्म अमर में दिलीप कुमार के गाँव के घर में अपने घर से भागी निम्मी शरण लेती है।  लेकिन, वकील दिलीप कुमार उससे बलात्कार करता है।  जब वह शादी करने के लिए कहती है तो दिलीप कुमार मना कर देता है। फिल्म आराधना एयरफोर्स का एक अधिकारी राजेश खन्ना शर्मीला टैगोर से  प्रेम करता है।  दोनों एक मंदिर में सांकेतिक शादी भी कर लेते हैं। लेकिन, समाज के सामने शादी करने से पहले ही वह युद्ध में मारा जाता है। शर्मीला टैगोर अपने बच्चे को जन्म देती है और एयरफोर्स का अधिकारी बनाती है। क्या कहना की प्रीटी जिंटा भी सैफ अली खान को अपना सब कुछ समर्पित कर देती है।  वह इस समर्पण के स्वरुप होने वाले बच्चे को जन्म देने का निर्णय करती है। इज्ज़त में जयललिता का चरित्र एक ठाकुर से गर्भवती हो जाता है।  जिस ठाकुर के बेटे से वह गर्भवती होती है, उस ठाकुर के एक आदिवासी लड़की से फिजिकल रिलेशन के कारण बच्चा भी होता है।
फिजिकल रिलेशनशिप और कुँवारी माँ की कहानियों में नायिका केंद्र में होती है।  ऎसी फिल्मों में अभिनेत्री के लिए अभिनय की काफी गुंजायश होती है।  निम्मी और माला सिन्हा से लेकर प्रीटी जिंटा और शीना शाहाबादी तक सभी अभिनेत्रियों ने ऎसी भूमिकाएं कर चर्चा खूब पाई।  कमोबेश यह सभी  स्क्रिप्ट और अभिनेत्री की अभिनय प्रतिभा पर निर्भर करती हैं।  इसी कारण से यह फ़िल्में सफल भी होती है।  चूंकि, आजकल लिव-इन रिलेशनशिप का ज़माना है, तो अब नायिका हादसे या समर्पण के कारण गर्भवती नहीं होती।  इस कहानी में पेंच यहाँ होता है कि नायिका बच्चे को जन्म देकर पालना चाहती है।  उसे इसमे समाज की किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है, यही फिल्म का यूएसपी होता है।  लेकिन, जहां पुरानी फिल्मों का नायक दागा दे देता है या मर जाता है, आज की लिव इन रिलेशनशिप वाली फिल्मों में नायिका के पार्टनर या किसी पुरुष मित्र का साथ हमेशा  मिलता है।  ज़ाहिर है कि नायिका पहले की तरह अकेली नहीं है। 
लिव-इन रिलेशनशिप क्या ज़रूरी है ?  फिल्मों की बात छोड़िये रियल लाइफ में रणबीर कपूर और कटरीना कैफ जैसे उदाहरण बहुत से हैं। महिमा चौधरी तो शादी से पहले ही अपने पार्टनर के बच्चे की माँ बन गई थी।  पोर्न स्टार सनी लियॉन भी लिव-इन रिलेशन की वकालत करती हैं।  सनी लियॉन खुद जिस समाज में पली बढ़ी हैं,  वहां लिव -इन रिलेशनशिप सामान्य  बात है।  लेकिन, देसी (भारतीय) माहौल में लिव-इन रिलेशनशिप के समर्थन में  उनके तर्क दूसरे  हैं।  वह  कहती हैं, "युवाओं में प्यार की परिभाषा लगातार बदलती रहती है। इसलिए, लिव-इन रिलेशनशिप कोई बड़ी बात नहीं।"