Sunday 20 March 2016

चलता रहेगा कॉमेडी फिल्मों के नायक बनने का सिलसिला

होली आते ही कॉमेडी की याद आती है।  होली और हास्य का साथ ही ऐसा है।  ख़ास कर याद आती हैं कॉमेडी फ़िल्में और कॉमेडियन।  साठ के दशक तक की पारिवारिक हिंदी फिल्मों में होली भी होती थी, होली गीत भी, हास्य भी और हास्य अभिनेता भी।  कॉमिक रिलीफ के लिए यह ज़रूरी था।  इसलिए, हास्य अभिनेताओं के लिए ख़ास तौर पर गुंजाईश निकाली जाती थी। हास्य प्रसंग लिखे जाते थे।  जॉय मुख़र्जी, शम्मी कपूर, विश्वजीत और राजेश खन्ना के रोमांस के युग में भी हास्य हिंदी फिल्मों ज़रूरी तत्व हुआ करता था।  हास्य अभिनेताओ को बराबर के अवसर हुआ करते थे।  फिर एक्शन फिल्मो का युग आया।  हीरो अब रोमांस नहीं हिंसा करता था।  उसका  परिवार विलेन द्वारा ख़त्म कर दिया गया था या वह बिछुड़ गया था। यह समाज का ठुकराया हमेशा समाज से नाराज़ रहा करता था।  ऎसी फिल्मों में परिवार को करीब करीब नदारद रहना ही था, कॉमेडी या कॉमेडियन तो पूरी तरह से नदारद हो गए।
कभी हिंदी फिल्मों में हास्य और  हास्य अभिनेता फूला फला करते  थे।  एक से बढ़ कर कॉमेडी फ़िल्में हास्य अभिनेताओं को  केंद्र में रख कर ढेरों फ़िल्में बनाई जाती थी। चलती का नाम  गाडी, छू  मंतर, भगवान दादा की बाद की अलबेला,  दामाद, अच्छाजी, बख्शीश और भोले भाले, किशोर कुमार की सभी फ़िल्में, आई एस जौहर की बेवक़ूफ़, हम सब चोर जैसी तमाम फिल्मों का निर्माण हुआ।  इस दौर की तमाम फिल्मों के केंद्र में कॉमेडियन एक्टर थे।  इन इन कॉमेडियन एक्टरों के साथ उस समय की बड़ी अभिनेत्रियां भी काम करने में नहीं हिचकती थी।  चलती का नाम गाडी में अशोक कुमार, किशोर कुमार अनूप कुमार पर केंद्रित कॉमेडी थी।   लेकिन, इनकी  जोड़ीदार किशोर कुमार की मधुबाला और अशोक कुमार की वीणा सीरियस  अभिनेत्रियों में शुमार की जाती थी। छू मंतर में जॉनी वॉकर की नायिका श्यामा थी। मिस  मैरी (१९५७) में ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी ने किशोर कुमार के साथ बेहतरीन कॉमेडी जोड़ी बनाई थी।  इसी दौर में हाफ टिकट,  हाय मेरा दिल,  आशा, मनमौजी, दिल्ली का ठग,  बाप रे  बाप, न्यू डेल्ही, झुमरू, पैसा या पैसा,  प्यार किये जा, नॉटी बॉय, चाचा ज़िंदाबाद, साधू और शैतान, भूत बंगला, श्रीमान फंटूश, अपना हाथ  जगन्नाथ, पड़ोसन,  आदि बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों का निर्माण हुआ।  इन फिल्मों में किशोर कुमार, आई एस जौहर, महमूद, ओमप्रकाश, धूमल, आगा, आदि हास्य अभिनेताओं की भूमिकाएं केंद्रीय थी या खास थी।  जॉनी  वॉकर, महमूद, आई एस  जौहर, राजेंद्रनाथ, आदि कॉमेडियन हिंदी फिल्मों की ज़रुरत बन गए थे। 
राजेश खन्ना के रोमांटिक नायक की विदाई और अमिताभ बच्चन के एंग्री यंगमैन के आने के साथ ही बॉलीवुड फिल्मों से कॉमेडी लगभग विदा हो गई।  एक्शन के सहारे कॉमेडी और नायिका को गर्त  में डालने वाली फिल्म शोले में असरानी का  अंग्रेज़ो के ज़माने का जेलर और जगदीप का सूरमा भोपाली था।   लेकिन,  धर्मेन्द्र के वीरू ने इन सभी कॉमेडी किरदारों को पस्त कर दिया।  जहाँ शोले में धर्मेन्द्र कॉमेडी कर रहे थे और अमिताभ बच्चन नाराज़ बने हुए थे,  वहीँ बाद की फिल्मों में अमिताभ बच्चन ने भी कॉमेडी का दामन थाम लिया।  इसके साथ ही हर अभिनेता कॉमेडी करने लगा।  सुर असुर में रोहन कपूर जैसा नॉन एक्टर भी कॉमेडी कर रहा था।  अमोल पालेकर आम आदमी के रूप में अपनी फिल्मों से दर्शकों को गुदगुदा रहे थे।  गोलमाल फिल्म में उनकी और उत्पल दत्त की जोड़ी यादगार है।  बासु चटर्जी की छोटी सी बात में अशोक कुमार के साथ अमोल पालेकर,  हमारी बहु अलका में उत्पल दत्त के साथ राकेश  रोशन, दिल्लगी में धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी और मिथुन चक्रवर्ती और किरायेदार में उत्पल दत्त के साथ राज बब्बर कॉमेडी कर रहे थे।  इस दौर में बनी कॉमेडी फिल्मों में तक हास्य का बोझ भी नायक के कन्धों पर था।  इस दौर में फिल्म अभिनेत्री रेखा, जुहू चावला और श्रीदेवी ने खूबसूरत,  हम हैं रही प्यार के, बोल राधा बोल, मिस्टर इंडिया जैसी फिल्मों में कॉमेडी के जलवे बिखेरे।  
१९७०- १९८० के दशक के बाद से बनी फिल्मों दो और दो पांच, गोलमाल (नई और पुरानी), चुपके चुपके, चमेली की  शादी, अंदाज़ अपना अपना, ढोल, धमाल, १२३, हेरा फेरी, फिर हेरा फेरी, मुन्ना  भाई सीरीज और बड़े मिया छोटे मिया पर एक नज़र  डालें तो साफ़ होता है कि इन हास्य फिल्मों के मुख्य किरदार में सही मायनों में कोई कॉमेडियन नहीं था।  दो और दो पांच में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर, चुपके चुपके में अमिताभ बच्चन के साथ  धर्मेन्द्र, अंदाज़ अपना अपना में सलमान खान और आमिर खान, बड़े मिया छोटे मिया में अमिताभ बच्चन और गोविंदा कॉमेडी तथा हेरा फेरी और फिर हेरा फेरी में अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी हास्य जोड़ी बना रहे थे।  चमेली की शादी में अनिल कपूर, चश्मे बद्दूर और जाने भी दो यारो में रवि बासवानी, सतीश शाह और सतीश कौशिक  जैसे हास्य अभिनेताओं की कमान नसीरुद्दीन शाह, ओम पूरी और पंकज कपूर के हाथों में थी, जो मुख्य रूप से कला या समानांतर फिल्मों के अभिनेता थे।  बासु चटर्जी की तमाम हास्य फिल्मों छोटी सी बात, हमारी बहु अलका, दिल्लगी और किरायेदार में सीरियस अभिनेता ही कॉमेडी कर रहे थे।  हृषिकेश मुख़र्जी भी अपनी कॉमेडी फिल्मों के कारण जाने जाते हैं। 
कभी हिंदी फिल्मों का स्थाई मसाला होने वाला कॉमेडियन हिंदी फिल्मों में उपेक्षित हो गया।  हिंदी फिल्मों के परंपरागत नायकों का दबदबा कितना  रहा होगा कि उत्पल  दत्त,  देवेन वर्मा, रवि वासवानी,  जगदीप, असरानी, आदि जैसे सशक्त अभिनेताओं को भी पापड बेलने पड़े।  इस दौर में कॉमेडी को कुछ चरित्र अभिनेताओं का साथ मिला।  कादर खान फिल्म लेखक भी भी थे।  उन्होंने फिल्मों की स्क्रिप्ट में कॉमेडियन के लिए गुंजायश निकाली।  उन्होंने खुद भी  कॉमेडियन का चोला पहना।  उनकी  लिखी फिल्म हिम्मतवाला में कॉमेडियन जोड़ी के अलावा अमजद खान के रूप में कॉमेडियन विलेन देखने को मिला।  हिम्मतवाला  के हिट होने के बाद कॉमेडी करने वाला विलेन चल निकला।  कादर खान ने इस किरदार को बखूबी निभाया। इस काम में उनका साथ हिंदी फिल्मों का नायक बनने आये शक्ति कपूर ने बखूबी दिया।  अनुपम खेर चरित्र अभिनेता थे। उन्होंने कर्मा और दिल जैसी फिल्मों में निर्मम विलेन पेश किया।  वह अच्छे कॉमेडियन तो थे ही।  सतीश शाह ने भी अपने सशक्त अभिनय के बूते पर रूपहले परदे पर कॉमेडियन को ज़िंदा रखा।   
आजकल हिंदी फिल्मों में कॉमेडी  को अपने सशक्त कन्धों में सम्हालने का ज़िम्मा बोमन ईरानी, राजपाल यादव, जॉनी लीवर, संजय मिश्रा, विजय राज, आदि पर है।  बोमन ईरानी तो बड़ी फिल्मों की  ज़रूरी शर्त बन गए हैं।  राजपाल यादव की कद काठी को ध्यान में रख कर मैं मेरी पत्नी और वह का छोटे बाबू का किरदार लिखा गया।  संजय मिश्रा अलग तरह के कॉमेडियन हैं। वह कभी लाउड नहीं होते।  उनके संवाद बोलने का ढंग और हावभाव दर्शकों का मनोरंजन करते हैं।  अभी वह शाहरुख़ खान की फिल्म दिलवाले और सलमान  खान की  फिल्म प्रेम रतन धन पायो में हंसा हंसा के लोटपोट कर रहे थे।  विजय राज का भी बॉलीवुड में दबदबा है।  उनका फिल्म रन (२००४) में कौवा बिरयानी का प्रसंग आज भी चहरे पर मुस्कान ला देता है।  अब तो स्टैंडअप कॉमेडियन कपिल शर्मा भी बड़े परदे पर आ पहुंचे हैं।  उम्मीद की जा सकती है कि कॉमेडी फिल्म किस किस को प्यार करूँ से शुरू हुआ कॉमेडी फिल्मों का नायक बनाने का उनका सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा।   

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