Friday, 7 November 2025

फिल्म रिलीज़ से पहले बिकिनी से चर्चित हुई थी मुनमुन सेन !








१९८४ में एक एक्शन फिल्म अंदर बाहर की बहुत चर्चा थी।  यह चर्चा फिल्म के दो नायकों अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ के कारण नहीं, बल्कि इस फिल्म की नायिका के कारण थी।  फिल्म प्रदर्शित होने से पहले ही चर्चित हो चुकी यह अभिनेत्री मुनमुन सेन थी।  





मुनमुन से की दो कारणों से चर्चा थी।  निर्माता रोमू सिप्पी और निर्देशक राज एन सिप्पी की, हॉलीवुड फिल्म ४८ ऑवरस की हिंदी रीमेक फिल्म की नायिका टू पीस  बिकिनी में चित्र बॉम्बे की बड़ी अंग्रेजी हिंदी पत्र पत्रिकाओं में पसरे हुए थे। ऐसा प्रतीत होता था कि बॉलीवुड को नई सेक्स बम मिल गई।  





उस समय कई ऎसी ऎसी अभिनेत्रियां थी,  जो बिंदास अंग प्रदर्शन कर रही थी।  मुनमुन सेन के उरोजों और पतली कमर में ऐसा क्या था कि हर जगह एक नाम था मुनमुन सेन? इसका कारण था मुनमुन सेन की माँ और उनका राजघराने से सम्बंधित होना।  





मुनमुन सेन की माँ, बॉलीवुड की प्रख्यात फिल्म अभिनेत्री सुचित्रा सेन थी।  सुचित्रा सेन हिंदी फिल्मों की रोमांटिक नायिका नहीं थी। वह एक ऎसी अभिनेत्री थी, जिनके अभिनय का लोहा सभी मानते थे। वह एक ऎसी अभिनेत्री थी, जिनके शरीर से पल्लू हटता नहीं था। ऎसी प्रतिष्ठा वाली अभिनेत्री की बेटी बिकिनी में ! यह हिंदी दर्शकों का आठवां आश्चर्य था। दूसरा यह कि वह त्रिपुरा के राजघराने के दीवान की पड़पोती थी। उनकी सास, कूच बिहार के राजघराने की थी। 





कुछ भी हो, अंदर बाहर २८ सितम्बर १९८४ को प्रदर्शित हुई।  अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ की सुपरहिट जोड़ी वाली अंदर बाहर को मुनमुन सेन की बिकिनी नहीं बचा सकी।  फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी।  मुनमुन सेन की बिकिनी का जादू समुद्र के ज्वार की तरह पीछे उतर गया। 





सुचित्रा सेन ने असफल प्रवेश फिल्म के बाद भी हिंदी और बांगला सही लगभग ६० फिल्मों और चालीस टीवी में शो में अभिनय किया।  किन्तु, एक भी ऐसी फिल्म नहीं है, जिसकी सफलता का श्रेय मुनमुन सेन के अभिनय को मिले।





हाँ, शादीशुदा होने के बावजूद उनके रोमांस के चर्चे खूब हुए।  उनका यह रोमांस, पहली फिल्म अंदर बाहर के निर्माता रोमू सिप्पी के साथ शुरू हो गया था।  बाद में, उनका नाम सैफ अली खान और विक्टर बनर्जी के साथ भी जुड़ा।  अब यह बात दूसरी है कि उनकी बिकिनी की तरह उनके रोमांस भी ठन्डे साबित हुए। 





मुनमुन सेन की फिल्म तनाव, फूलों के जख्म, सन्देश द डाउट, लेडीज जेल, एक और एक  ग्यारह जैसी फ़िल्में बनने से पहले ही बंद हो गई। फिल्म बारूद द फायर (२०१०) के बाद, उनकी कोई भी हिंदी फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई।  

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