पिछले सालों की तरह, इस साल भी, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विवादों से बचे नहीं रह सके। हालाँकि, यह विवाद दिए गए पुरस्कारों को लेकर नहीं उठा। किसी ने किसी ख़ास फिल्म को पुरस्कार न दिए जाने या किसी को दिए जाने पर अपना विरोध नहीं जताया । वैसे भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अब हर भारतीय भाषा की फिल्म को दिया जाने लगा है। लेकिन, अन्य श्रेणियों में विवाद की गुंजायश बनी रहती हैं। पर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। कन्नड़ अभिनेता विजय श्रेष्ठ अभिनेता घोषित किये गए। इस श्रेणी के लिए पिछले साल की सबसे अधिक कमाई करने वाली हिंदी फिल्म 'पीके' के आमिर खान और विवादित हिंदी फिल्म 'हैदर' के शाहिद कपूर भी नामित हुए थे। मलयालम फिल्मों के मामूठी ने भी अपनी दावेदारी पेश की थी। इसके बावजूद विजय को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना जाना विवादित नहीं हुआ।
फिल्म 'क्वीन' के लिए अभिनेत्री कंगना रनौत को श्रेष्ठ अभिनेत्री घोषित किया जाना भी विवाद का विषय नहीं बना। इसे बहुत सही निर्णय ही कहा जा सकता है। क्योंकि, यह फिल्म नारी स्वतंत्रता की स्वाभाविक वकालत करने वाली फिल्म थी। हालाँकि, कंगना के सामने भी फिल्म 'मैरी कॉम' की रील लाइफ मैरी कॉम प्रियंका चोपड़ा दावेदार थी। लेकिन, कंगना रनौत ने बाज़ी मारी। अपेक्षाकृत कम बजट की 'क्वीन' ने बॉक्स ऑफिस पर ज़ोरदार बिज़नेस किया था। यह पूरी फिल्म कंगना रनौत के कन्धों पर टिकी हुई थी। कंगना का अभिनय भी प्रियंका चोपड़ा की तुलना में कमतर नहीं था। यह कंगना रनौत का दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार था। इससे पहले वह मधुर भंडारकर की फिल्म 'फैशन' के लिए श्रेष्ठ सह अभिनेत्री का खिताब जीत चुकी थी। इसी साल प्रियंका चोपड़ा ने श्रष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विवादों में घिरे इनके ऐलान के बाद। विशाल भारद्वाज की कश्मीर की पृष्ठभूमि पर फिल्म 'हैदर' को श्रेष्ठ फिल्म, श्रेष्ठ निर्देशक और श्रेष्ठ अभिनेता और अभिनेत्री जैसे मुख्य पुरस्कार नहीं मिले। लेकिन, इस फिल्म ने श्रेष्ठ गायक, कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग, संगीत निर्देशन और कोरियोग्राफी के पुरस्कार बटोरे। इन पुरस्कारों के घोषित होने के बाद विवाद की शुरुआत हुई फिल्म 'हैदर' के निर्देशक विशाल भारद्वाज की प्रेस कांफ्रेंस में उनके बयान के बाद। विशाल भारद्वाज ने शाहिद कपूर को पुरस्कार न मिल पाने पर दुःख जताने के बाद यह कहा कि वह इन पुरस्कारों को कश्मीरी पंडितों को समर्पित करते हैं। जिन कश्मीरी आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडितों की हत्या की, उन्हें बेघर किया, उनका सेना के विरुद्ध समर्थन करने वाली फिल्म को समर्पित करना कश्मीरी पंडितों को नागवार गुजरना ही था। विशाल भारद्वाज पर बरस पड़े अभिनेता अनुपम खेर। अनुपम खेर खुद कश्मीरी पंडित हैं। उन्होंने फिल्म 'हैदर' का रिलीज़ के दौरान ही घोर विरोध किया था। उन्होंने ट्विटर पर विशाल भारद्वाज पर वार पर वार करते हुए लिखा, "मैं विशाल भारद्वाज को राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए बधाई देता हूँ। परन्तु इन पुरस्कारों को कश्मीरी पंडितों की हत्याओं को समर्पित करना, उनके साथ धोखाधड़ी करना है।" अनुपम खेर यहीं पर नहीं रुके। पिछले दिनों, विशाल भारद्वाज ने कश्मीरी पंडितों की दशा पर आंसू बहते हुए, उन पर फिल्म बनाने का ऐलान किया था। अनुपम खेर ने इस पर निशाना साधते हुए लिखा,"विशाल भारद्वाज शैतानों पर फिल्म बनाने के बाद अब घावों पर नमक छिड़क रहे हैं। " उन्होंने भारत की कथित हिंदूवादी सरकार द्वारा हिन्दू और सेना विरोधी हैदर को पुरस्कार दिए जाने की आलोचना भी की। अशोक पंडित ने अनुपम खेर का समर्थन किया।
बहरहाल, ६२ वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार बॉलीवुड के पक्ष में नज़र आये। जहाँ कंगना रनौत ने हिंदी फिल्म क्वीन के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब जीता। हिंदी फिल्म 'हैदर' को चार पुरस्कार मिले। क्वीन को श्रेष्ठ हिंदी फिल्म का अवार्ड भी मिला। ओमंग कुमार और संजयलीला भंसाली की फिल्म 'मैरी कॉम' को सम्पूर्ण मनोरंजक फिल्म पाया गया। हालाँकि, हिंदी फिल्म 'भूतनाथ रिटर्न्स' को कोई पुरस्कार नहीं मिला लेकिन इस फिल्म का ख़ास तौर पर जिक्र किया गया। जिस फिल्म 'कोर्ट' को श्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार दिया गया, वह हिंदी में भी बनी है।
राजेंद्र कांडपाल