मृणाल सेन नहीं रहे। आज (३०
दिसंबर २०१८ को) सुबह १०:३० पर उनका निधन भवानीपुर, कलकत्ता में
उनके घर में हो गया।
बांगला और हिंदी फिल्मों के स्तम्भ सत्यजीत रे और ऋत्विक घटक के साथ
समान्तर फिल्मों की त्रिमूर्ति बनाने वाले मृणाल सेन की पहली हिंदी फिल्म भुवन शोम
थी। इस फिल्म ने, हिंदी फिल्मों में समान्तर सिनेमा की नींव
धरी।
फिल्म भुवन शोम के हीरो उत्पल चटर्जी थे तथा सुहासिनी मुले की यह डेब्यू
हिंदी फिल्म थी। फिल्म में, अमिताभ बच्चन ने कमेंट्री की थी।
हालाँकि, भुवन शोम से पहले,
अपनी बांगला फिल्मों रात भोरे, नील आकाशेर
नीचे, प्रतिनिधि, आदि फिल्मों
से, हिंदी दर्शकों के बीच पहचाने जाने लगे थे।
उनकी, हिंदी फिल्म मृगया से मिथुन चक्रवर्ती और
ममता शंकर का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था।
इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती की आँखे बोलती थी। मिथुन की आँखों के ज़रिये कहानी कहने का हुनर
मृणाल सेन को ही आता था। इस फिल्म और
फिल्म के लिए मिथुन चक्रवर्ती को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।
पद्मा भूषण और दादा साहब फालके पुरस्कार विजेता फिल्मकार मृणाल सेन ने
हिंदी फिल्म जगत में समान्तर सिनेमा को स्थापित किया। भुवन शोम के अलावा एक अधूरी कहानी,
मृगया, एक दिन प्रतिदिन,
खँडहर, खारिज, जेनिसिस,
एक दिन अचानक, आदि उनकी उल्लेखनीय समान्तर फिल्मों की
प्रतिनिधि थी।
मृणाल सेन का जन्म आज के बांगलादेश के फरीदपुर में १४ मई १९२३ को हुआ
था। हाई स्कूल के बाद,
सेन कोलकाता आ गए। उन्होंने
स्कॉटिश चर्च कॉलेज मे भौतिकी का अध्ययन किया।
उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर उपाधि ली। उनकी पहली बांगला
फिल्म रात भोरे थी, जो १९५५ में रिलीज़ हुई थी।
उन्हें श्रद्धांजलि।
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