Sunday, 26 May 2019

Akshay Kumar की लक्ष्मी बॉम्ब के बहाने Transgender


अक्षय कुमार की१२ साल बाद फिर हॉरर कॉमेडी फिल्म के बारे में काफी कुछ साफ़ होता जा रहा है।  तमिल फिल्म मुनि २ उर्फ़ कंचना की इस रीमेक फिल्म का टाइटल लक्ष्मी बॉम्ब होगा।  पहले इस फिल्म के टाइटल के लाक्ष्मी बॉम्ब होने का भ्रम पैदा हो रहा था। यह भी पता चला है कि फिल्म में अक्षय कुमार एक ट्रांसजेंडर लक्ष्मी की भूमिका करेंगे।  लेकिनयह लक्ष्मी ट्रांसजेंडर पर आया एक भूत होगी।  यह लक्ष्मी बॉम्ब एक रहस्यमय ह्त्या की गुत्थी सुलझाने में मदद करेगी । क्योंकि, यह भूत एक औरत का है।  

ट्रांसजेंडर को मिला था अवार्ड 
अक्षय कुमार की फिल्म लक्ष्मी बॉम्ब तमिल फिल्म मुनि २ : कंचना का हिंदी रीमेक है। मूल तमिल फिल्म मुनि २ : कंचना में एक ट्रांसजेंडर कार्तिक, जिसे उसके परिवार ने त्याग दिया है, ह्त्या का रहस्य खोलने में राघव की मदद करता है। क्योंकि, उस ट्रांसजेंडर पर कंचना की आत्मा आती है, जो अपने बलात्कारी विधायक से बदला लेने के लिए राघव को माध्यम बनाना चाहती है। ट्रांसजेंडर कार्तिक की भूमिका को दक्षिण के अभिनेता शरद कुमार ने किया था।  अभिनेता और राजनेता शरद कुमार को मुनि २: कंचना की ट्रांसजेंडर भूमिका के लिए दक्षिण का सबसे पॉपुलर विजय अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता का पुरस्कार मिला था।  क्या, शरद कुमार की भूमिका को हिंदी संस्करण में करके अक्षय कुमार भी किसी पॉपुलर अवार्ड को जीत सकेंगे ?

बॉलीवुड के ट्रांसजेंडर 
अक्षय कुमार के स्क्रीन पर ट्रांसजेंडर किरदार करने के साथ हीबॉलीवुड के ट्रांसजेंडर सुर्ख़ियों में आ गए हैं। बॉलीवुड की फिल्मों में ट्रांसजेंडर किरदारों का इस्तेमाल अपने तौर पर किया है। बॉलीवुड में इस ट्रांसजेंडर के कई शेड मिलते हैं। इन चरित्रों को कई छोटे बड़े अभिनेताओं ने परदे पर किया है। बड़े अभिनेताओं में आमिर खान से लेकर अमिताभ बच्चन तक शामिल है। बेशक इनकी भूमिका छोटी रही। कुछ हिंदी फिल्मों के केंद्रीय चरित्र ट्रांसजेंडर ही थे। इन भूमिकाओं से, इन्हे करने वाले एक्टरों को काफी प्रशंसा और  पुरस्कार मिले। 

क्रूर और अत्याचारी ट्रांसजेंडर 
जहाँ, फिल्म लक्ष्मी बॉम्ब में अक्षय कुमार का ट्रांसजेंडर मददगार हैं।  वहीँआम तौर पर हिंदी फिल्मों का ट्रांसजेंडर बड़ा डरावना और विलैन प्रकार का होता है। इत्तेफ़ाक़ की बात है कि अक्षय कुमार की १९९९ में रिलीज़ फिल्म संघर्ष मेंलज्जा शंकर का किरदार एक ट्रांसजेंडर थाजो बड़ी बेरहमी से क़त्ल करता था। काली भक्त लज्जा शंकर ने फिल्म के हीरो अक्षय कुमार के छक्के छुड़ा दिए थे।इस भूमिका को आशुतोष राणा ने किया था। उन्हें इस भूमिका के लिए फिल्मफेयर और ज़ी सिने अवार्ड्स में बेस्ट विलैन का पुरस्कार मिला था। महेश भट्ट की फिल्म सड़क की कोठे की मालकिन महारानी भी ट्रांसजेंडर थी और काफी क्रूर भी। वह नायिका पूजा भट्ट से धंधा करवाती थी। इसमें आड़े आने वाले संजय दत्त के किरदार से वह खुनी खेल खेलने में भी पीछे नहीं रहती थी। इस भूमिका को सदाशिव अमरापुरकर ने किया था। उन्हें भी, बेस्ट विलैन का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था।

उपहास का केंद्र ट्रांसजेंडर 
अगर हिंदी फिल्मों का ट्रांसजेंडर किरदार विलेन टाइप का नहीं है तो वह उपहास -परिहास का केंद्र होता है। ख़ास कर कॉमेडी फिल्मों में ट्रांसजेंडर का उपहास बनाया जाता है। क्या कूल हैं हमपार्टनरस्टाइल और मस्ती में हास्य की  परिस्थितियां पैदा करने के लिएट्रांसजेंडर को एक पात्र बनाया गया था।  फिल्म मस्ती में तो एक नायक एक औरत से सेक्स कर रहा है। वह औरत सेक्स के बाद बाथरूम जाती है तो वह एक्टर उसके पीछे जाता है। वहां वह पाता है कि वह वास्तविक औरत नहीं ट्रांसजेंडर है। वह उलटी करते हुए भाग निकलता है। 

भेष बदला, बन गए ट्रांसजेंडर 
खासकर पुरानी हिंदी फिल्मों में हीरो अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए भेष बदल कर उसके घर जाया करता था  वह साड़ी और ब्लाउज़ में महिला कम ट्रांसजेंडर ज़्यादा बन जाता है। उसकी चालढाल भी इसकी पुष्टि करती थी। ऐसे अभिनेताओं में बाज़ी में आमिर खानरफू चक्कर मे ऋषि कपूरलावारिस में अमिताभ बच्चनडुप्लीकेट में शाहरुख़ खान और आंटी नंबर १ मे गोविंदा, भेष बदलने के बाद ट्रांसजेंडर लग रहे थे। साजिद खान की फिल्म हमशकल्स के दो नायक सैफ अली खान और रितेश देशमुख ट्रांसजेंडर बने थे। यह सभी भूमिकाओं खराब टेस्ट में बनाई गई, घटिया किस्म की थी। 

महेश भट्ट की टिक्कू 
ट्रांसजेंडर किरदारों के लिहाज़ से महेश भट्ट की फ़िल्में ख़ास बन जाती हैं।  जहाँ महेश भट्ट की फिल्म सड़क की महारानी क्रूर थीवहीँ उनकी १९९७ की फिल्म तमन्ना का ट्रांसजेंडर टिक्कू एक बच्ची को पालता-पोसता है और उच्च शिक्षा दिलाता है। यह भूमिका परेश रावल ने की थी। तमन्ना को राष्ट्रीय पुरस्कारों में सामाजिक समस्या पर फिल्म का पुरस्कार मिला था। परेश रावल को पुरस्कार तो नहीं जीत सके, लेकिन उनकी तारीफ खूब हुई। इसी प्रकार से अमोल पालेकर की फिल्म दायरा एक नर्तक ट्रांसजेंडर और बलात्कार के बाद पुरुष वेश में रह रही लड़की के प्रेम की अनोखी कहानी थी। इस फिल्म में स्वर्गीय निर्मल पांडेय ने ट्रांसजेंडर भूमिका की थी। फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और वेनिस फिल्म फेस्टिवल में ग्रां प्रिक्स अवार्ड जीता था।  सोनाली कुलकर्णी को भी इसी फेस्टिवल में बेस्ट एक्ट्रेस ठहराया गया। विश्वास पाटिल निर्देशित कंगना रनौत की फिल्म रज्जो में महेश मांजरेकर ने ट्रांसजेंडर बेगम की भूमिका की थी। योगेश भरद्वाज निर्देशित फिल्म शबनम मौसी में आशुतोष राणा ने एमएलए बनने वाली ट्रांसजेंडर शबनम मौसी का रियल किरदार किया था। कल्पना लाजमी फिल्म दरम्यां इन बिटवीन में आरिफ ज़करिया भी ट्रांसजेंडर की पॉजिटिव भूमिका में थे। इस फिल्म के लिए वह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की श्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में नामित हुए थे।

कुछ दूसरे ट्रांसजेंडर
लीक से हट कर भूमिकाये करना साहस का काम होता है । इसीलिए कोई एक्टर परदे पर ट्रांसजेंडर बनने को तैयार हो जाता है । राजकुमार राव ने किसी हिंदी फिल्म में ट्रांसजेंडर की भूमिका नहीं की है । लेकिन, वह एक बांगला फिल्म आमि साईरा बानू में ट्रांसजेंडर की भूमिका कर रहे थे । इस फिल्म के लिए उनके अभिनय की प्रशंसा हुई । डिजिटल सीरीज सेक्रेड गेम्स मे सैफ अली खान के किरदार इंस्पेक्टर सरताज सिंह और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के किरदार गणेश गायतोंडे को काफी पसंद किया गया था । इसी सीरीज में एक किरदार कुकू का भी था । इस किरदार को अभिनेत्री कुबरा सैत ने किया था । इस भूमिका से कुबरा साईट को काफी प्रशंसा तथा पहचान मिली । रामकमल मुख़र्जी की फिल्म सीज़न्स ग्रीटिंग्स इस लिहाज़ से ख़ास है कि लिलेट दुबे और सेलिना जेटली की इस फिल्म में ट्रांसजेंडर चपला की भूमिका भी है । इस भूमिका के लिए मुख़र्जी ने रियल ट्रांसजेंडर वुमन श्री घटक को लिया है । घटक ने २०१५ में खुद की सर्जरी करवा ली थी । हिंदी फिल्मों में, बॉबी डार्लिंग जाना पहचाना नाम है, जो पुरुष से महिला बनी थी । पिछले दिनों बॉबी डार्लिंग अपनी शादी टूटने के लिए सुर्ख़ियों में आई ।

बड़े अभिनेताओं नहीं बने ट्रांसजेंडर  
उपरोक्त उदाहरणों से यह साफ़ होता है कि किसी भी बड़े और स्थापित नायक अभिनेता ने ट्रांसजेंडर किरदार वाली पूरी फिल्म नहीं की है । अक्षय कुमार पहले ऐसे सुपरस्टार अभिनेता साबित होते हैंजो न केवल पूरी फिल्म में ट्रांसजेंडर बने हैंबल्कि उनका किरदार ट्रांसजेंडर को सकारात्मक दृष्टिकोण से दिखाने वाला भी है । क्या लक्ष्मी बॉम्ब के बादबॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री ट्रांसजेंडर किरदारों को सकारात्मक रूप से दिखाने की कोशिश करेगी ? क्या बड़े अभिनेता परदे पर ट्रांसजेंडर बनने की झिझक से छुटकारा पा सकेंगे

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