Wednesday, 18 November 2020

क्या ज़बरदस्त है हंसल मेहता की छलांग !



अमेज़न प्राइम विडियो पर, १३ नवम्बर से स्ट्रीम हंसल मेहता की फिल्म छलांग हरियाणा के अर्धसरकारी स्कूल के पीटी मास्टर महेंदर सिंह हूडा उर्फ़ मोंटू की है, जो बच्चों को सिखाने के लिए प्रेरित होता है  नीलू को पाने और हेड पीटी मास्टर आई एम् सिंह से मुकाबले के कारण.

इस फिल्म को तुर्रम खान से छलांग बनाने के ज़िम्मेदार @ZeishanQuadri, @luv_ranjan और @aseem_arora हैं. क्या बेहतरीन स्क्रिप्ट लिखी है. संवाद तो लाजवाब है. कहानी कहने का ढंग बेहद चुटीला है. दर्शक बोर नहीं हो सकता. हर चरित्र दिलचस्प, परफेक्ट और सपोर्टिव.

संगीतकार @Hiteshsonik लव रंजन के साथ उनकी पहली फिल्म से ही जुड़े हुए हैं. वह इस फिल्म में भी उनका सहयोग करते हैं. ख़ास तौर पर बैकग्राउंड म्यूजिक तो खूब बन पडा हैं. कहानी का थ्रिल बनाए रखता है. हितेश, सोनिक- ओमी जोड़ी के राज सोनिक के बेटे हैं और सुनिधि चौहान के पति.

अभिनय के मामले में @Rajkummar छाये हुए हैं. वह अपने बेपरवाह और लम्पट चरित्र को ज़िम्मेदार बनाते हुए बखूबी निभाते हैं. इसमें कोई शक नहीं कि राजकुमार राव और हंसल मेहता की जोड़ी जादू कर देती है. छलांग में यह जादू छलांग भरता लगता है.

@NushratBharucha चौंकाती है. वह ग्लैमरहीन अंदाज़ में खूब फबी है. एक्टिंग बिंदास करती हैं. नीलू जीवंत नज़र आती है. नुशरत को इस प्रकार की भूमिकाओं में रूचि दिखानी चाहिए. ग्लैमर बहुत दिन नहीं चलता.

@Mdzeeshanayyub की जब फिल्म में एंट्री होती है तो रंग जमता लगता है. मोंटू का किरदार, उनके आईपी सिंह के कारण ही उभरता है. पर फिल्म के क्लाइमेक्स तक पहुंचते ही, वह फीके लगने लगते हैं. फिल्म ख़त्म होते होते वह ऑफ कलर हो जाते हैं. बेहद निराशाजनक अंत होता है उनके किरदार का.

छलांग को बेहद दिलचस्प होना ही था. सतीश कौशकी, शौरभ शुक्ल, इला अरुण, जतिन सरना, नमन जैन, सुपर्ण मारवाह, राजीव गुप्ता, बलजिंदर कौर, गरिमा कौर, आदि प्रतिभाशाली एक्टर, अपने किरदारों को रोचक और प्रभावशाली बना जाते हैं. हर एक्टर अपने रोल में एकदम फिट. जैसे टेलर मेड.

अमूमन हंसल मेहता की फ़िल्में काफी सुस्त रफ़्तार होती है. कभी बेहद उबाऊ. परन्तु, छलांग में उन्होंने सुस्ती पीछे छोड़ कर रोचकता की छलांग लगाईं है. उनकी कल्पनाशीलता चरम पर नज़र आती है. यह फिल्म सोद्देश्य फिल्म कही जा सकती है.

इस प्रकार की फ़िल्में सिनेमाघरों में ज़रूर प्रदर्शित की जानी चाहिए ताकि दूसरे फिल्मकार भी जाने कि दर्शक क्या चाहता है! मैं एक बार फिर छलांग की लेखक तिकड़ी की प्रशंसा करूंगा, जिन्होंने अपना काम ज़बरदस्त किया.


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