भारतीय फिल्म विकास निगम की फिल्म जाने भी दो यारों, आज ही के दिन १२ अगस्त १९८३ को प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में, भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित और सशक्त हस्ताक्षरो का जमघट था। फिल्म का निर्देशन कुंदन शाह ने किया था। यह कुंदन शाह की पहली निर्देशित फिल्म थी। फिल्म विकास निगम ने इस फिल्म के निर्माण के लिए ८ से ९ लाख का बजट उपलब्ध कराया था।
भ्रष्टाचार पर चोट करने वाले व्यंग्यात्मक हास्य फिल्म जाने भी दो यारों की कहानी की विशेषता थी कि यह फिल्म एक मृत शरीर के माध्यम से पूरी व्यवस्था को नंगा कर देती थी। दिलचस्प तथ्य यह था कि इस मृत शरीर के रूप में सतीश शाह ने गजब का साहस दिखाया था। वह मृत शरीर के रूप में पूरी फिल्म में स्थिर बने रहे।
इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, विवेक वासवानी, भक्ति बर्वे, सतीश शाह, पंकज कपूर, नीना गुप्ता, सतीश कौशिक, अशोक बान्थिया, राजेश पुरी,आदि रोचक चरित्र कर रहे थे। फिल्म की कहानी और पटकथा कुंदन शाह और सुधीर मिश्रा ने लिखी थी। फिल्म के संवाद में रंजीत कपूर और सतीश शाह का योगदान था।
जाने भी दो यारों का महाभारत का प्रसंग आज भी सबसे मजाकिया प्रसंगों में गिना जाता है। इस महाभारत की विशेषता थी कि दुर्योधन नहीं चाहता कि द्रौपदी का चीर हरण हो। जबकि, युधिष्ठिर उसे ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है। इस महाभारत में अकबर भी कूद पड़ता है और साड़ी में लिपटी द्रौपदी (वास्तव में म्युनिसिपल कमिश्नर का मृत शरीर) को ले जाता है।
फिल्म के दो प्रमुख प्रेस फोटोग्राफर चरित्रों को नसीरुद्दीन शाह और विवेक वासवानी ने किया था। फिल्म में इन दोनों के नाम प्रसिद्द फिल्म निर्देशकों विनोद चोपड़ा और सुधीर मिश्रा के नाम पर थे। फिल्म में भक्ति बर्वे खबरदार पत्रिका चलाने वाली बनी थी। विनोद चोपड़ा महाभारत दृश्य में शकुनि बने थे। पंकज कपूर और ओमपुरी बिल्डर तनेजा और आहूजा बने थे। सतीश शाह म्युनिसिपल कमिश्नर की भूमिका कर रहे थे।
बयालीस साल पहले प्रदर्शित फिल्म जाने भी दो यारों का भ्रष्टाचार आज भी सामायिक है। इस फिल्म में भ्रष्ट बिल्डर, राजनेता, पत्रकार और नौकरशाही को दिखाया गया था। यह फिल्म विनोद और सुधीर के चरित्रों के माध्यम से असहाय जनता को दिखाया गया था।
इस फिल्म का क्लाइमेक्स का अदालत का दृश्य काफी चोट देने वाला था। यह दृश्य न्याय व्यवस्था के अंधेपन को बताने वाला था, जहाँ पैसा और पावर जीतता है और आम आदमी कोई इसका शिकार होना पड़ता है।
इस फिल्म की कुछ विशेष बातें। फिल्म के एक दृश्य में के नया बना पुल गिर जाता है। इस दृश्य के लिए, उस समय मुंबई के नए बने भायखला पल के गिरने की फुटेज इस्तेमाल की गई थी। फिल्म के दो बिल्डरों तरनेजा और आहूजा के नाम, उस समय के विख्यात बिल्डर रहेजा की उधारी थे। भक्ति बर्वे की पत्रकार शोभा, उस समय की गॉसिप मैगजीन चलाने वाली शोभा डे पर छींटाकसी थी। पुलिस वालों के कोड वर्ड अल्बर्ट पिंटो सईद मिर्जा की फिल्म अल्बर्ट पिंटू को गुस्सा क्यों आता है से लिए गये थे। फिल्म के सीक्वेंस में माया दर्पण और उसकी रोटी के पोस्टर दीवाल पर चिपके दिखाई देते थे।

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