राम तेरी गंगा मैली बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी। इस फिल्म का बजट १.४४ करोड़ था। किन्तु, फिल्म, मन्दाकिनी और उन पर फिल्माए गए कामुक दृश्यों के कारण बड़ी हिट हुई। इस फिल्म,ने बॉक्स ऑफिस पर १९ करोड़ का कुल व्यवसाय किया था। उस समय इसे इंडस्ट्री हिट का खिताब दिया गया।
राजकपूर की यह फिल्म घोषणा के साथ ही विवादित हो गई। आपत्ति यह थी कि फिल्म का शीर्षक राम को सम्बोधित करता था। यह भी कि स्वामी विवेकानंद के शब्दों को एक घटिया फिल्म के लिए उपयोग किया जा रहा है। किन्तु, तमाम आपत्तियों के बाद भी राजकपूर ने न तो फिल्म का शीर्षक बदला, न ही मन्दाकिनी पर फिल्माए गए कामुक दृश्यों को हटाया। यह राजकपूर की सेंसर बोर्ड पर पकड़ थी कि मन्दाकिनी पर फिल्माए गए तमाम कामुक दृश्य जैसे के तैसे रहने दिए गए। यहाँ तक कि फिल्म को यूनिवर्सल प्रमाणपत्र भी मिल गया। अर्थात फिल्म को अवयस्क भी बिना रोक के देख सकते थे।
राम तेरी गंगा मैली की नायिका मन्दाकिनी मेरठ की यास्मीन थी। राजकपूर ने यास्मीन को मन्दाकिनी नाम दिया। दूध जैसी काया वाली मन्दाकिनी, गंगा की भूमिका में फब रही थी। राजकपूर की फिल्म पाकर सातवे आसमान पर मन्दाकिनी ने राजकपूर के निर्देश पर सफ़ेद झीनी साडी पहन कर झरने के नीचे खूब स्नान कर अपनी उभरी छातियों का दर्शन करवाया। फिल्म के एक दृश्य में तो वह पल्लू हटा कर बच्चे को स्तनपान करवा रही थी। मन्दाकिनी के इस बोल्ड दर्शन ने दर्शकों को आकर्षित करना ही था।
मन्दाकिनी को यह भूमिका खुशबू को हटा कर मिली थी। खुशबू आज की तमिल और तेलुगु फिल्मों की बड़ी स्टार बनने वाली अभिनेत्री थी। बताते हैं कि राजकपूर की गंगा की पहली पसंद खुशबू थी। उस समय वह १४ साल की थी। उनका फोटो सेशन राजकपूर को बहुत पसंद आया। खुशबू को लेकर शूटिंग भी प्रारम्भ कर दी गई। किन्तु, उस समय पहाड़ पर बर्फ पड़ने लगी थी, इसलिए फिल्म के कलकत्ता में फिल्माए जाने वाले दृश्यों को पहले फिल्माने का निर्णय गया।
एक दृश्य में गंगा अपना पल्लू हटा कर बच्चे को दूध पिलाती है। खुशबू को इस दृश्य पर कोई आपत्ति नहीं थी। किन्तु, वह फिल्म की मांग के अनुसार नन्हे बच्चे को ठीक से पकड़ नहीं पा रही थी। यह देख कर राजकपूर ने शूटिंग रुकवा दी। खुशबू की जगह गंगा की खोज फिर की जाने लगी। इसके बाद फिल्म में यास्मीन आ गई।
फिल्म बड़ी हिट हुई थी। राजकपूर ने इस फिल्म का निर्माण अपने बेटे राजीव कपूर को स्टार बनाने के लिए किया था। क्योकि, राजीव की पहली फिल्म एक जान है हम बुरी तरह से फ्लॉप हुई थी। अब यह बात दूसरी है कि राम तेरी गंगा मैली की बड़ी सफलता को इसके नायक और नायिका राजीव कपूर और मन्दाकिनी भुना नहीं सके। दोनों का करियर लम्बा नहीं चल सका।
राम तेरी गंगा मैली से न केवल मन्दाकिनी बल्कि राजकपूर के मंझले बेटे रणधीर कपूर ने पहली बार अपने पिता के साथ फिल्म निर्माण का काम सम्हाला था। राम तेरी गंगा मैली के बाद रणधीर कपूर ने तीन अन्य फिल्मों हीना, प्रेम ग्रन्थ और आ अब लौट चलें का निर्माण किया। हीना का निर्देशन स्वयं रणधीर कपूर ने किया था। प्रेम ग्रन्थ के निर्देशक राजीव कपूर और आ अब लौट चलें के निर्देशक ऋषि कपूर थे। जबकि रंधीर कपूर हीना से पूर्व आज और कल तथा धरम करम निर्देशित कर चुके थे।
राजकपूर को फिल्म राम तेरी गंगा मैली का विचार १९५९ में फिल्म जिस देश में गंगा बहती है के निर्माण के समय आया था। शंकर जयकिशन के बाद, अपनी फिल्मों का संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से तैयार करवाने वाले राजकपूर ने, राम तेरी गंगा मैली के लिए संगीतकार के रूप में रविन्द्र जैन का चुनाव एक भजन कार्यक्रम के दौरान रविन्द्र जैन को एक राधा एक मीरा गाते हुए सुन कर किया । वह रविन्द्र जैन से बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने तत्काल रविंद्र जैन को अपनी इस फिल्म का संगीतकार बना दिया। साथ ही यह शर्त भी रखी कि फिल्म में एक भजन जरुर होगा।
सीमा पार के रोमांस से बॉलीवुड से परिचय करवाने वाले राजकपूर थे। वह राम तेरी गंगा मैली के बाद, के ए अब्बास की लिखी कहानी हीना पर फिल्म बनाना चाहते थे। किन्तु, पाकिस्तान में शूटिंग की अनुमति न मिलने पर, उन्होने इस कहानी पर फिल्म बनाने का कार्यक्रम टाल दिया। इसके तीन साल बाद, रणधीर कपूर ने हीना को पुनः अपने हाथ में लिया। फिल्म की हीना जेबा बख्तियार थी। ऋषि कपूर की सह भूमिका में अश्विनी भावे थी। फिल्म १९९१ में प्रदर्शित हुई।

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