अड़सठ साल पहले, १५ अगस्त १९५७ फिल्म नया दौर प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला की सुपरहिट जोडी के साथ अजित, जॉन वॉकर, चाँद उस्मानी, नज़ीर हुसैन, मनमोहन कृष्ण, लीला चिटनिस, प्रतिमा देवी, डेज़ी ईरानी और राधाकृष्ण प्रमुख भूमिका थे। फिल्म के निर्देशक बीआर चोपड़ा थे। फिल्म का संगीत ओपी नय्यर ने दिया था।
यह फिल्म गांव और किसान की बात करती थी। फिल्म में प्रेम त्रिकोण था। शंकर और कृष्णा एक ही लड़की रजनी से प्रेम करते थे । एक गलतफहमी के कारण दोनों के बीच दुश्मनी पैदा हो जाती है। शंकर को बैलगाड़ी रेस में हारने के लिए कृष्णा लकड़ी के पल की बल्लियां काट देता है। इसी बीच उसकी गलतफहमी दूर हो जाती है। तब कृष्णा अपने दोस्त को बचाने के लिए टूट रही पुल को गिराने से बचाने के लिए अपना कंधा लगा देता है। दोनों दोस्तों का मिलन हो जाता है।
नया दौर का निर्माण और निर्देशन बीआर चोपड़ा ने बीआर फिल्मस के अंतर्गत किया था। यह इस बैनर की दूसरी फिल्म थी। इस बैनर से पहली फिल्म एक ही रास्ता बनाई गई थी। बीआर चोपड़ा को पूरी ईमानदारी से समाज सुधार वाली फिल्म बनाने के लिए जाना जाता। था। साधना वैश्या पुनर्रुद्धार वाली फिल्म थी। गुमराह घर को बचाने का सन्देश देती थी।
नया दौर की नायिका के रूप में मधुबाला को लिया गया था। मधुबाला को अनुबंध राशि भी दे दी गई थी। फिल्म की शूटिंग १५ दिनों तक अच्छी तरह से चली। इसके बाद, फिल्म का लंबा शिड्यूल भोपाल में रखा गया। बीआर चोपड़ा ने अनुबंध की राशि वापस न करने पर मधुबाला पर मुक़दमा कर दिया। यह मुक़दमा लम्बे समय तक चला। जिसमे मधुबाला हार गई। इस बीच चोपड़ा ने मधुबाला की जगह वैजयंतीमाला को लेकर फिल्म पूरी कर प्रदर्शित भी कर दी। फिल्म बड़ी हिट हुई। इस के बाद, बीआर चोपड़ा ने केस को वापस ले लिया।
नया दौर के निर्माण में, बीआर चोपड़ा ने १४ लाख खर्च किये थे। फिल्म इतनी बड़ी सफल हुई कि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ३ करोड़ ७५ लाख का ग्रॉस कर लिया।
इस फिल्म को तमिल में डब का प्रदर्शित किया गया था। यह १९५७ की दूसरी बड़ी हिट फिल्म थी। इस साल शीर्ष का कारोबार मेहबूब खान की नरगिस अभिनीत फिल्म मदर इंडिया ने किया था। संयोग है कि मेहबूब खान ने मदर इंडिया के लिए दिलीप कुमार को साइन किया था। दिलीप कुमार को अपनी भूमिका पसंद बीच थी। किन्तु वह चाहते थे कि फिल्म में नरगिस को हटा दे। पर मेहबूब खान ने नरगिस को हटाने के स्थान पर दिलीप कुमार को निकाल बाहर किया। नरगिस के बिरजू सुनील दत्त बन गए। जो बाद में नरगिस के पति बने।
२००७ में नया दौर को रंगीन बना कर पुनः प्रदर्शित किया गया। किन्तु, रंगीन नया दौर दर्शकों को आकर्षित नहीं कर सकी। कहा जाता है कि फिल्म को अच्छी तरह से प्रमोट नहीं किया गया था। इसी साल दिलीप कुमार और मधुबाला की फिल्म मुगलेआज़म भी रंगीन बना कर प्रदर्शित की गई थी।
फ़िल्मकार सुबोध मुख़र्जी ने ही नहीं मदर इंडिया बनाने वाले मेहबूब खान और राजकपूर ने ने भी नया दौर के असामान्य कथानक को बॉक्स ऑफिस के लिए जहरीला बताया था। किन्तु,बीआर चोपड़ा इस कथानक से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने इस कथानक पर नया दौर पूरी भी कर डाली।
नया दौर के, ओपी नय्यर द्वारा रचित सभी गीत बड़े सफल हुए। इन गीतों के कारण ही नया दौर बड़ी हिट फिल्म बन पाई। किन्तु, विडम्बना देखिए कि नया दौर के बाद, ओपी नय्यर ने बीआर चोपड़ा के लिए कोई फिल्म नहीं की।

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