मन का मीत ! यह ६ फरवरी १९६९ को प्रदर्शित फिल्म का शीर्षक है। इस फिल्म में नायिका के मांसल बदन और उसके द्वारा अपने भारी स्तनों के प्रदर्शन के कारण, फिल्म को समीक्षकों ने मन का मीत के स्थान पर वुमन का मीट कहा। इसे लेकर मुझे जीने दो और यह रास्ते हैं प्यार के जैसी फिल्में बना कर प्रशंसा बटोर चुके सुनील दत्त की कड़ी आलोचना हुई।
अभिनेता सुनील दत्त ने, अपने छोटे भाई सोम दत्त को हिंदी फिल्मों का नायक बनाने के विचार से फिल्म मन का मीत का निर्माण किया था। इस एक्शन थ्रिलर फिल्म से सोम दत्त के अतिरिक्त विनोद खन्ना और लीना चंद्रावरकर का भी डेब्यू हुआ था। एक अन्य अभिनेत्री संध्या रॉय ने भी लीना चद्रावरकर की सहेली की भूमिका की था।
मन का मीत, १९६६ में प्रदर्शित जे जयललिता की तमिल फिल्म कुमारी पेन्न की रीमेक थी। इस फिल्म का निर्देशन ए सुब्बाराव ने किया था। फिल्म का कथानक स्वतंत्र विचार धारा वाली युवती आरती का था । वह अपने माता पिता द्वारा शादी करने पर जोर दिए जाने के कारण गाँव के युवक सोमू को मिलाती है। इसी कथानक में रोमांस था और विनोद खन्ना के विलेन के कारण एक्शन और थ्रिल भी शामिल हो गया था।
विडम्बना देखिये कि सुनील दत्त ने, जिस भाई का फिल्म जीवन बनाने के लिए मन का मीत का निर्माण किया था, उसका फिल्म करियर नहीं बन सका। उसे फिल्म निर्माण तक सीमित रह जाना पड़ा। वास्तविकता तो यह थी कि सुनील दत्त को स्वयं सोम दत्त में प्रतिभा नहीं दिखाई देती थी। वह उन्हें अभिनय से दूर रह कर अजंता आर्ट्स के प्रोडक्शन में काम करते रहने को कहा करते थे। तब सोम दत्त के कहने पर माँ ने सुनील दत्त से फिल्म बनाने के लिए कहा। सुनील दत्त माँ का कहना टाल नहीं सके।
मन का मीत से फिल्म के खलनायक विनोद खन्ना ने बड़ी सफलता प्राप्त की। एक समय वह अमिताभ बच्चन के लिए खतरा बन गए थे। सबसे अधिक सफलता लीना चंद्रावरकर को मिली। उन्होंने इस फिल्म के बाद लगातार सफलता प्राप्त करते हुए, उस समय के सभी बड़े अभिनेताओं के साथ फ़िल्में की। फिल्म की दूसरी नायिका संध्या तो फिल्म के बाद कहीं खो गई। इस फिल्म से परिचय पाने वाले रणजीत को भी हिंदी फिल्मों में विलेन के रूप में सफलता मिली।
विनोद खन्ना भी मन का मीत के विलेन के लिए सुनील दत्त की पहली पसंद नहीं थे। वह उस समय के विलेन मनमोहन को लेना चाहते थे। किन्तु, व्यस्तता के कारण मनमोहन ने मना कर दिया। किन्तु, उन्होंने ही इस भूमिका के लिए विनोद खन्ना का नाम सुझाया। फिल्म में विनोद खन्ना के विलेन का नाम प्राण था। जो उस समय के प्रतिष्ठित खल और चरित्र अभिनेता थे।

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