दिनेश विजन की बतौर निर्देशक पहली फिल्म राब्ता पुनर्जन्म पर है। वर्तमान युग के शिव और सायरा के अटूट प्रेम के बीच में सायरा का पूर्व जन्म का प्रेमी ज़ाकिर आ जाता है । इस भूमिका को जिम सरब कर रहे हैं। फिल्म के पुनर्जन्म में कॉस्ट्यूम ड्रामा है। तलवारबाज़ी है। सायरा का किरदार कृति सेनन ने किया है। सुशांत सिंह राजपूत शिव बने हैं। पिछले दिनों इस फिल्म के जारी फर्स्ट लुक में अभिनेता राजकुमार राव एक चार सौ साल के बूढ़े के किरदार में नज़र आ रहे थे। फिल्म में दीपिका पादुकोण का राब्ता आइटम भी है।
बड़ी स्टार कास्ट का पुनर्जन्म
राब्ता की बात की जाए तो फिल्म की स्टार कास्ट बहुत बड़ी नज़र नहीं आती। सिर्फ दीपिका पादुकोण की बड़ी अभिनेत्री है, लेकिन वह भी आइटम सांग तक सीमित हैं। जबकि वास्तविकता तो यह है कि पुनर्जन्म पर बनी फ़िल्में बड़े सितारों को बेहद रास आता है। अशोक कुमार और मधुबाला फिल्म महल में, दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला फिल्म मधुमति में, सुनील दत्त, नूतन, प्राण और जमुना फिल्म मिलन में, राजकुमार, वहीदा रहमान और मनोज कुमार फिल्म नील कमल में, राजेश खन्ना और हेमा मालिनी फिल्म महबूबा में, ऋषि कपूर, टीना मुनीम, प्राण, सिमी ग्रेवाल और राज किरण फिल्म क़र्ज़ में, शाहरुख़ खान, सलमान खान, काजोल और राखी फिल्म करण अर्जुन में तथा दीपिका पादुकोण के साथ शाहरुख़ खान फिल्म ओम शांति ओम में पुनर्जन्म ले चुके हैं।
बड़ी स्टार कास्ट का पुनर्जन्म
राब्ता की बात की जाए तो फिल्म की स्टार कास्ट बहुत बड़ी नज़र नहीं आती। सिर्फ दीपिका पादुकोण की बड़ी अभिनेत्री है, लेकिन वह भी आइटम सांग तक सीमित हैं। जबकि वास्तविकता तो यह है कि पुनर्जन्म पर बनी फ़िल्में बड़े सितारों को बेहद रास आता है। अशोक कुमार और मधुबाला फिल्म महल में, दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला फिल्म मधुमति में, सुनील दत्त, नूतन, प्राण और जमुना फिल्म मिलन में, राजकुमार, वहीदा रहमान और मनोज कुमार फिल्म नील कमल में, राजेश खन्ना और हेमा मालिनी फिल्म महबूबा में, ऋषि कपूर, टीना मुनीम, प्राण, सिमी ग्रेवाल और राज किरण फिल्म क़र्ज़ में, शाहरुख़ खान, सलमान खान, काजोल और राखी फिल्म करण अर्जुन में तथा दीपिका पादुकोण के साथ शाहरुख़ खान फिल्म ओम शांति ओम में पुनर्जन्म ले चुके हैं।
बॉलीवुड की पहली पुनर्जन्म
फिल्म महल
दिलीप कुमार और मधुबाला
अभिनीत और १९४९ में रिलीज़ फिल्म महल बॉलीवुड की पहली पुनर्जन्म फिल्म थी। यह पुनर्जन्म पर आधारित पहली
थ्रिलर फिल्म थी। इस फिल्म का निर्माण बॉम्बे टॉकीज ने किया था। इस फिल्म से
कमाल अमरोही का बतौर निर्देशक डेब्यू हो रहा था। इससे पहले वह जेलर, पुकार, फूल
और शाहजहाँ जैसी फिल्मों को लिख कर मशहूर हो चुके थे। फिल्म ने लता मंगेशकर को
टॉप की गायिका बना दिया था। उस समय बॉम्बे टॉकीज आर्थिक रूप से दिवालिया हो चुकी थी, लेकिन, महल की सफलता भी बॉम्बे टॉकीज को बंद होने से नहीं बचा सकी। बॉम्बे
टॉकीज फिल्म की रिलीज़ के पांच साल बाद १९५४ में बंद हो गया ।
पुनर्जन्म फिल्मों का गीत
संगीत हिट
पुनर्जन्म फिल्मों की सफलता
के पीछे उसके हिट संगीत का हाथ नज़र आता है। इस ट्रेंड को कमाल अमरोही की फिल्म
महल ने स्थापित किया था। महल की सफलता में इसके संगीतकार खेमचंद प्रकाश द्वारा तैयार धुनों
और लता मंगेशकर की सुरीली आवाज़ का हाथ साफ़ नज़र आता है। इस फिल्म में उस समय की
बड़ी गायिकाओं राजकुमारी और जोहराबाई अम्बालेवाली ने एक तीर चला दिल पे लगा, छुन छुन
घुंघरवा बाजे रे, घबरा के हम और मैं वह हंसी हूँ जैसे गीत गाए थे। लेकिन, तहलका
मचाया लता मंगेशकर के गाये आएगा आने वाला और मुश्किल है बहुत मुश्किल गीतों ने। इस फिल्म के बाद लता मंगेशकर ने बॉलीवुड फिल्म संगीत की तमाम ऊंचाइयां तय का डाली। महल
ने मधुर संगीत को पुनर्जन्म फिल्मों का आवश्यक तत्व बना डाला। मधुमती में सलिल
चौधरी द्वारा संगीतबद्ध आजा रे परदेसी, चढ़ गयो पापी बिछुआ, सुहाना सफ़र और मौसम
हसीं, दिल तड़प तड़प के कह रहा, घडी घडी मेरा दिल धड़के, जंगल में मोर नाचा किसी ने न
देखा और टूटे हुए ख़्वाबों ने जैसे मधुर गीत फिल्म रिलीज़ होने से काफी पहले ही
दर्शकों की जुबान पर थे। मिलन के लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के संगीत से सजे सावन का
महीना पवन करे सोर, हम तुम युग युग से ये गीत मिलन के गाते रहेंगे, बोल गोरी बोल
तेरा कौन पिया, मैं तो दीवाना दीवाना, राम करे ऐसा हो जाये, आदि गीतों ने महीनों
तक संगीत जगत में तहलका मचाये रखा। महबूबा फिल्म का संगीत भी हिट हुआ था। इस फिल्म के
तमाम गीत राहुल देव बर्मन की धुनों पर आनंद बख्शी ने लिखे थे। इस फिल्म के मेरे
नैना सावन भादो, महबूबा, गोरी तेरी पैजनियाँ, पर्वत के पीछे, जमुना किनारे आजा,
आदि गीत बेहद लोकप्रिय हुए। सुभाष घई निर्देशित फिल्म क़र्ज़ का संगीत लक्ष्मीकांत
प्यारेलाल ने दिया था। इस फिल्म के ओम शांति ओम, पैसा ये पैसा, एक हसीना थी,
दर्दे दिल दर्दे जिगर और मैं सोलह बरस की जैसे गीतों ने तहलका मचा दिया। पुनर्जन्म पर निर्देशक राकेश रोशन की फिल्म करण अर्जुन का संगीत उनके भाई राजेश
रोशन ने दिया था। इस फिल्म के जाती हूँ मैं, यह बंधन तो, भांगड़ा पा ले, एक मुंडा
मेरी उम्र का, जय माँ काली, आदि गीत भी काफी सफल हुए। दीपिका पादुकोण की शाहरुख़
खान के साथ डेब्यू फिल्म ओम शांति ओम में विशाल-शेखर जोड़ी की धुनों से सजे दर्दे डिस्को,
अजब सी, दीवानगी दीवानगी, मैं अगर कहूं, जग सूना सूना लागे, आदि गीत दर्शकों के
बीच बेहद पसंद किये गए। साफ़ तौर पर १९४९ से लेकर २००७ के बीच रिलीज़ तमाम पुनर्जन्म
फिल्मों में संगीत के महत्व का अंदाजा इन फिल्मों के संगीत से लगाया जा सकता है।
थ्रिलर फिल्म में रहस्यपूर्ण गीत का ट्रेंड
महल केवल एक पुनर्जन्म फिल्म नहीं थी। यह थ्रिलर फिल्म भी थी। इस फिल्म का आएगा आने वाला गीत महल के गलियारों से गुजर रहे साये के इर्दगिर्द रहस्य का साया कुछ ज़्यादा गहरा देता था। दर्शकों में इस गीत को सुनते हुए आगे की कहानी के प्रति उत्सुकता बढती चली जाती थी। रहस्य रोमांच से भरपूर फिल्मों के लिए यह ट्रेंड सा बन गया। महल के आएगा आने वाला गीत
ने रहस्य फिल्मों में नायिका के इर्दगिर्द रहस्य बुनने के लिए एक गीत का बार बार
इस्तेमाल करने का फार्मूला ईजाद कर दिया। इस ट्रेंड को बाद की कई फिल्मो में आजमाया
गया। महल के एडिटर बिमल रॉय ने अपनी फिल्म मधुमती में इसी ट्रेंड पर आजा रे
परदेसी गीत रखा था। फिल्म महबूबा का मेरे नैना सावन भादो गीत फिल्म के रहस्य को
गहराने वाला था। थ्रिलर फिल्मों के उस्ताद राज खोसला ने अपनी फिल्म वह कौन थी में
नैना बरसे रिम झिम रिम झिम गीत के ज़रिये साधना के करैक्टर को रहस्यपूर्ण बना दिया
था। निर्देशक बीरेन नाग की हॉरर थ्रिलर फिल्म बीस साल बाद में कहीं दीप जले कहीं
दिल गीत के शुरू होते ही दर्शकों को यह एहसास हो जाता था कि अब आत्मा आने वाली है। यह गीत फिल्म में कई बार बजते हुए रहस्य गहराता था। इसी प्रकार से दूसरी रहस्य
रोमांच वाली थ्रिलर फिल्मों में किसी न किसी गीत के जरिये रोमांच पैदा करने की
कोशिश की गई थी।
असफल भी हुई हैं पुनर्जन्म पर फ़िल्में
आम तौर पर पुनर्जन्म का कथानक दर्शकों को रास आता है। महल से लेकर राब्ता से पहले तक पुनर्जन्म के कथानक वाली फ़िल्में, अमूमन हिट होती रही हैं। इसका मतलब यह नहीं कि पुनर्जन्म सेफ फार्मूला है। पुनर्जन्म पर आधारित फिल्मों को दर्शकों ने सिरे से नकारा भी है। यह ज़्यादातर फ़िल्में बड़े सितारों वाली फ़िल्में भी थी। इनमे सैफअली खान और काजोल की फिल्म हमेशा, सलमान खान और शीबा की फिल्म सूर्यवंशी, राजेश खन्ना हेमा मालिनी और राजकुमार की फिल्म कुदरत, करिश्मा कपूर की थ्रीडी फिल्म डेंजरस इश्क़, निर्देशक कुणाल कोहली की शाहिद कपूर और प्रियंका चोपड़ा की फिल्म तेरी मेरी कहानी, आदि पुनर्जन्म पर फ़िल्में बड़ी स्टार कास्ट के बावजूद बुरी तरह से असफल हुई थी। इसके अलावा, भारीभरकम बजट से बनी पुनर्जन्म फिल्म प्रेम (संजय कपूर और तब्बू) और लव स्टोरी २०५० (हरमन बवेजा और प्रियंका चोपड़ा) भी बुरी तरह से असफल हुई। कुछ दूसरी असफल पुनर्जन्म फिल्मों में मिस्टर या मिस, एक पहेली लीला, आदि ख़ास उल्लेखनीय फ़िल्में हैं।
पुनर्जन्म फिल्मों के लिहाज़ से दिनेश विजन की फिल्म राब्ता कहाँ फिट बैठती है? यह फिल्म हिट होगी या सुपरहिट या फ्लॉप ! फिल्म का बजट बड़ा है, पर स्टार कास्ट ख़ास बड़ी नहीं। फिल्म में कॉस्ट्यूम ड्रामा भी है। यह फिल्म तेलुगु फिल्म मगधीरा का रीमेक है। मगधीरा बड़ी हिट फिल्मो में शुमार है। परन्तु राब्ता का संगीत हिट नहीं हो रहा है। सिर्फ टाइटल सांग ही ठीकठाक है। यह गीत भी दीपिका पादुकोण के सेक्सी हावभाव के कारण देखा जा रहा है। ऐसे पूछा जा सकता है कि क्या राब्ता भी हिट होगी ? इंतज़ार कीजिये ९ जून का।