Thursday 30 April 2015

कितना 'सेंसर' कर पाएंगे बॉलीवुड को निहलानी ?

कोई १५ साल पहले निर्माता, निर्देशक और अभिनेता देव आनंद की एक फिल्म रिलीज़ हुई थी 'सेंसर' । इस फिल्म में दिखाया गया था कि मंत्री के निर्देश पर सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं के लिए कुछ कड़े निर्देश जारी करता है।  जिसके फलस्वरूप देव आनंद की फिल्म लफड़े में फंस जाती है।  बोर्ड इस फिल्म को यू सर्टिफिकेट नहीं देना चाहता।  तब देव आनंद सेंसर बोर्ड और मंत्रालय की पोल खोलने में जुट जाते हैं। इस फिल्म में हिंदी फिल्मों के निर्माता और अभिनेता अनिल नागरथ ने सेंसर बोर्ड के चीफ का किरदार किया था।
देव आनंद की फिल्म 'सेंसर' की कहानी की रील जैसे घूम रही है।  रियल सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन, जिसे हम सेंसर बोर्ड के नाम से भी जानते हैं, में बदलाव के साथ ही बॉलीवुड में जैसे तूफ़ान आ गया है।  ठीक 'सेंसर' की कहानी की तरह रियल सेंसर बोर्ड के चीफ  पहलाज निहलानी ने फिल्म निर्माताओं और बोर्ड के सदस्यों को धूल झाड़ कर वह सूची सौंप दी है, जो निहलानी से पहले की चीफ लीला सेमसन के राज में मेज की दराज में रख दी गई थी।  इसके साथ ही पहलाज निहलानी देव आनंद की फिल्म 'सेंसर' के मंत्री और चीफ की तरह बॉलीवुड के रियल निर्माताओं के निशाने में आ गए  हैं।  अगर बॉलीवुड का कोई अनुराग कश्यप, विशाल भरद्वाज या करण जौहर सेंसर बोर्ड पर फिल्म बनाना चाहे तो वह अपने मुख्य विलेन का नाम पहलाज निहलानी ही रखना चाहेगा ।
जी हाँ ! पहलाज निहलानी निशाने पर हैं।  बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं के भी और बोर्ड के सदस्यों के भी।  बोर्ड के एक सदस्य और फिल्म निर्माता अशोक पंडित उन्हें 'अनार्किस्ट' कहते हैं। क्योंकि, अब सभी को, यहाँ तक कि  सेंसर बोर्ड के सदस्यों को भी, पहले के निर्देश कुछ ज़्यादा स्पष्ट कर दिए गए हैं।  'कस वर्ल्डस' यानि बुरी-गन्दी भाषा, गाली गलौच, आदि फिल्मों में नहीं चलेगी। उन्होंने हिंदी के १५ और अंग्रेजी के १३ गंदे शब्दों की लिस्ट जारी की है, जिन्हे फिल्मों के संवादों में नहीं रखा जा सकता। अश्लीलता या कामुकता भी किस हद तक दिखाई जा सकेगी, वह काफी कुछ निहलानी और उनके सदस्यों पर निर्भर कर रहा है।  आजकल के फिल्म निर्माता जैसी सस्ती भाषा वाली फ़िल्में बना रहे हैं, जिस प्रकार से फिल्मों मे कामुकता हावी है, नारी चरित्र को अपमानित किया जा रहा है, धर्म ख़ास को निशाना  बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए पहलाज निहलानी को बॉलीवुड के फिल्मकारों के निशाने पर आना ही है। 
लेकिन, यहाँ बॉलीवुड भूल जाता है कि  पहलाज निहलानी खुद फिल्म निर्माता हैं। उन्हें फिल्म बनाने और फिल्म वालों की संस्थाएं चलाने का अनुभव है। वह पिछले ३२ सालों से फिल्म उद्योग में हैं। वह २००९ तक लगातार लगातार २९ साल तक एसोसिएशन ऑफ़  मोशन पिक्चर्स एंड टीवी प्रोग्राम्स प्रोडूसर्स के प्रेजिडेंट रहे हैं।  इस दौरान उन्होंने कोई  डेढ़ दर्जन फ़िल्में बनाई हैं।  उन्हें माध्यम की समझ है।  उद्योग की समस्या भी समझते हैं।  उनकी बतौर निर्माता फ़िल्में एक्शन और कॉमेडी वाली मनोरंजक फ़िल्में हुआ करती थीं।  उन्होंने हथकड़ी, आंधी तूफ़ान,  इलज़ाम, आग ही आग, पाप की दुनिया मिटटी और सोना, शोला और शबनम, आग का गोला, आँखे, अंदाज़, आदि सुपर डुपर हिट फ़िल्में बनाई हैं।  उन्होंने अपनी फिल्म हिट कराने के लिए कभी सस्ते प्रचार या नायिका के अंग प्रदर्शन का सहारा नहीं लिया।  गोविंदा और चंकी पाण्डेय जैसे एक्टरों का करियर उन्ही की फिल्मों से परवान चढ़ा।
देखा जाए तो पहलाज निहलानी के सेंसर बोर्ड चीफ बनाने के बाद माहौल सकारात्मक रूप से बदला है।  उन्होंने अनुष्का शर्मा की फिल्म 'एनएच १०' में चरित्रों द्वारा इस्तेमाल की गई गालियों को हटाने के निर्देश दिए। यहाँ तक की हॉलीवुड फिल्म 'फ्यूरियस ७' जैसी बड़ी फिल्मों के भी गंदे शब्द म्यूट कर दिए गए।  कामुकता से भरपुर हॉलीवुड फिल्म '५० शेड्स ग्रे' को जितने कट्स  बताये गए हैं, उन्हें काटने के बाद फिल्म की वितरण संस्था को फिल्म को भारत में रिलीज़ बेकार लगता है । अनुराग कश्यप की सेक्स कॉमेडी फिल्म 'हंटर' का ट्रेलर लीला सेमसन के बोर्ड द्वारा पारित किया गया था ।  इस ट्रेलर से फिल्म गन्दी भाषा वाली, कामुक और महिलाओं को बेइज्जत करने वाली लगती थी ।  पहलाज निहलानी के बोर्ड ने अनुराग कश्यप से फिल्म को क्लीन कर लाने को कहा ।  अनुराग कश्यप को लगभग पूरी फिल्म फिर डब करानी पड़ी।  नतीजे के तौर पर सिनेमाहाल में प्रदर्शित 'हंटर' कामुक बिलकुल नहीं थी, लेकिन विषय के लिहाज़ से प्रभावशाली थी।  ऐसा भी नहीं कि  पहलाज निहलानी की अध्यक्षता में सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं को परेशान कर रहा है।  हॉलीवुड की फिल्म 'फ्यूरियस ७' को जहाँ वयस्कों का प्रमाण पत्र मिला था, वही हॉलीवुड फिल्म 'अवेंजर्स एज ऑफ़ उल्ट्रॉन' को दो हफ्ता पहले ही बिना किसी ख़ास कट के सार्वजनिक प्रदर्शन का प्रमाण पत्र दे दिया गया।  सीरियल किसर के टाइटल से मशहूर इमरान हाशमी की विज्ञानं फंतासी फिल्म 'मिस्टर एक्स' को निर्माता महेश भट्ट और मुकेश भट्ट की मंशा के अनुरूप यू/ए सर्टिफिकेट फिल्म गया।  सेंसर सर्टिफिकेशन का सिस्टम छह महीना पहले ऑन लाइन कर दिया गया था।  पहलाज निहलानी ने इस बैकलॉग को तीन महीने में ख़त्म करने का फैसला किया है।  उन्होंने बोर्ड में दलालों के दखल को बिलकुल ख़त्म कर दिया है। 
पहलाज फिल्म निर्माताओं की समस्या के प्रति हमेशा सजग रहे हैं।  लीला सेमसन के भ्रष्ट सेंसर बोर्ड की कटु आलोचना करने वाले और फिल्म पारित कराने का रेट कार्ड बताने वाले पहलाज निहलानी अब सेंसर बोर्ड की सर्वोच्च कुर्सी पर हैं।  हालाँकि, कहा जा सकता है कि उन्हें यह कुर्सी बीजेपी संसद शत्रुघ्न सिन्हा का साला होने के करने मिली।  लेकिन, अगर उन्होंने सेंसर बोर्ड को भ्रष्टाचार से पर सजग संस्था साबित कर दिया तो उन पर 'चीफ साला' का दाग नहीं लग पायेगा।


राजेंद्र प्रसाद कांडपाल

No comments:

Post a Comment