Wednesday, 19 November 2025

#SamyukthaMenon की पहली हिंदी फिल्म #Maharagni:QueenofQueens



पलक्कड़, केरल में ११ सितम्बर १९९५ को जन्मी संयुक्ता मेनन का कैमरा से पहला परिचय मलयालम फिल्म पॉपकॉर्न (२०१६) से हुआ था। उन्हें २०१८ में प्रदर्शित फिल्म तीवंडी में  अपनी देवी की भूमिका से प्रसिद्धि मिली ।






संयुक्ता अब तक, २३ मलयालम, तेलुगु और तमिल फिल्मों में अभिनय कर चुकी है। उनकी लिल्ली, कल्कि, वेलम, वुल्फ, एरिडा, भीमला नायक, कडुवा, बिम्बिसार, वाती, विरुपाक्ष, डेविल के नाम उल्लेखनीय है। उनकी इस साल फिल्म अखण्डा २ प्रदर्शित होने जा रही है। 





संयुक्ता का हिंदी फिल्म दर्शकों से प्रथम परिचय फिल्म महाराज्ञी क्वीन ऑफ़ क्वींस से होने जा रहा है। इस फिल्म में वह मोहिनी की भूमिका कर रही है।  निर्देशक चरण तेज उप्पलपति की इस एक्शन थ्रिलर अपराध फिल्म की महारानी काजोल है।  संयुक्ता, काजोल की माया की पुत्री की भूमिका कर रही है। 





महाराज्ञी की पूरी शूटिंग हिंदी में हुई है।  किन्तु, यह फिल्म हिंदी के अतिरिक्त तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम में भी प्रदर्शित की जाएगी।  इस फिल्म में काजोल के अतिरिक्त  हिंदी फिल्म फिल्म दर्शकों के परिचित प्रभुदेवा,नसीरुद्दीन शाह,  जिशुआ सेनगुप्ता और आदित्य सील के चेहरे दिखाई देंगे। 

निराशाजनक समाज पर वेश्या को अपनाने वाला नायक था 'प्यासा' का विजय !



भारत की स्वतंत्रता के समय, २२ साल के वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण के नेत्रों में, सामान्य युवा की तरह कुछ सपने थे।  यह सपने समय के साथ धूमिल पड़ते गए। उनमे निराशा की धूल ज़मने लगी। ऐसे समय में, वसंत कुमार के मस्तिष्क में एक कहानी कश्मकश का जन्म हुआ।  इस कथानक में, वसंत के प्रारंभिक संघर्ष की छाप थी। 




 

जब वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण ने, गुरुदत्त बन कर फिल्म बनाने का निर्णय लिया तो उनके मस्तिष्क में इसी कहानी का विचार था।  इस कथानक में गीतकार साहिर लुधियानवी के लेखिका अमृता प्रीतम के साथ असफल प्रेम का मिश्रण किया गया।  इसके साथ ही गुरुदत्त के निर्देशन में बनी सातवीं फिल्म प्यासा का जन्म हुआ।  





गुरुदत्त अपने मन में  चार साल से चल रहे विषय पर ही फिल्म प्यासा को अपनी पहली निर्देशित फिल्म बनाना चाहते थे।  किन्तु, उनके मित्रों ने सलाह दी कि इस प्रयोगात्मक फिल्म से पूर्व कुछ ऎसी फिल्मे बना लो, जो उस समय दर्शकों की पसंदगी के अनुरूप हों तथा जिनसे पैसा कमाया जा सके।





गुरुदत्त ने, अपने मित्रों की बात मानी।  इस निर्णय का परिणाम, गुरुदत्त के निर्देशन में बनी बाज़ी (१९५१), जाल (१९५२), बाज़ (१९५३), आर पार (१९५४) और मिस्टर एंड मिसेज ५५ (१९५५) जैसी मनोरंजक और उतनी ही सकरात्मक फिल्मे हिंदी दर्शकों को देखने को मिली। यह सभी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हुई।  






इन फिल्मों के पश्चात, जब गुरुदत्त ने अपने सह  निर्देशक राज खोसला को अपराध फिल्म सीआईडी की कमान सौंप कर, स्वयं प्यासा पर काम करना प्रारम्भ कर दिया। इसका अर्थ यह नहीं था कि १९५१ से निरंतर प्रत्येक वर्ष हिट फिल्मे दे रहे गुरुदत्त ने १९५६ में को फिल्म निर्देशित नहीं की! उनके द्वारा निर्देशित अभी भट्टाचार्य, गीता बाली और स्मृति विश्वास के साथ फिल्म सैलाब प्रदर्शित हुई थी।






प्यासा २२ फरवरी १९५७ को प्रदर्शित हुई थी।  इस फिल्म में गुरुदत्त, वहीदा रहमान, माला सिन्हा, रहमान और जॉनी वाकर अभिनय कर रहे थे। किन्तु, यह स्टारकास्ट प्रारम्भ में नहीं थी। स्वयं गुरुदत्त को स्वयं पर विश्वास नहीं था कि वह हल्कीफुल्की करते हुए, इतनी गंभीर और दुखांत भूमिका कर सकते थे। इसलिए उन्होंने इस फिल्म के लिए दिलीप  कुमार, मधुबाला और नरगिस को लिया जाना तय किया था। किन्तु, किसी न किसी कारण से, यह सितारे एक के बाद एक फिल्म से बाहर होते चले गए। 





प्यासा में दिलीप कुमार की चाहती अभिनेत्रियां नरगिस और मधुबाला थी।  किन्तु, बताया जाता है कि किन्ही कारणोंवश दिलीप कुमार शूटिग के पहले दिन सेट पर नहीं पहुंचे, इसलिए गुरुदत्त ने इस भूमिका को स्वयं करने का निर्णय लिया।  कुछ का कहना है कि दिलीप कुमार दुखांत भूमिकाएं करते करते  मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गए थे। उन्हें डॉक्टर ने सलाह दी कि अब वह दुखांत भूमिकाये न करे। कुछ का कहना है कि दिलीप कुमार को प्यासा का कथानक अपने द्वारा अभिनीत फिल्म   देवदास जैसा लगा था। 





नरगिस और मधुबाला के निकलने के कारण भी भिन्न है।  कहा जाता है कि शीर्ष की यह दोनों अभिनेत्रियां यह तय नहीं कर पा रही थी कि वह कौन सी भूमिका करें।  इस अनिर्णय की स्थिति में, गुरुदत्त ने मधुबाला के स्थान पर १९५४ में हिंदी फिल्मों में प्रवेश करने वाली अभिनेत्री माला सिन्हा को ले लिया और नरगिस वाली भूमिका अपनी खोज वहीदा रहमान को दे दी।  





वहीदा रहमान वेश्या गुलाबों फिल्म के लेखक के वास्तविक जीवन के एक चरित्र पर आधारित था।  बताते हैं कि जब अबरार अल्वी अपने दोस्तों के साथ मुंबई गए, तो वे रेड लाइट एरिया भी गए, जहाँ उनकी मुलाकात एक युवा वेश्या से हुई जिसका नाम गुलाबो था। लड़की ने दावा किया कि उसे ज़िंदगी में पहली बार गालियों के बजाय इतना सम्मान मिला था। लेखक अबरार अल्वी ने उन बातों को अपनी फिल्मों में रखा ही, वहीदा रहमान के चरित्र को नाम भी गुलाबो ही दिया ।





फिल्म के अंत को लेकर भी लेखक अबरार अल्वी और गुरु दत्त के बीच मतभेद था। लेखक का मानना ​​था कि गुरुदत्त के चरित्र विजय को उस समाज को छोड़ना नहीं चाहिए। बल्कि, उसे समाज की बुराइयों से लड़ना चाहिए। यद्यपि,  गुरु दत्त अपनी बात पर अड़े रहे और अंततः अबरार को झुकना पड़ा। 





मूल क्लाइमेक्स में विजय के चरित्र को अकेला दिखाया जाना था। लेकिन वितरकों ने गुरुदत्त से कहा कि वह विजय को अकेला नहीं दिखाए। वितरकों के इस अनुरोध पर गुरु दत्त ने अंत में विजय और गुलाबों को साथ जाते दिखाया था । इस अंत पर भी, गुरु दत्त और अबरार अल्वी के बीच बहस हुई क्योंकि अबरार अल्वी मूल अंत चाहते थे। 






प्यासा को प्रारम्भ में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रसाद नहीं मिला था।  किन्तु बाद में फिल्म ने गति पकड़ ली और १९५७ की दस सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्मों में सम्मिलित हो गई।  यह बात अलग है कि फिल्म को तत्कालीन पत्रकारों ने बहुत नापसंद किया था। उनका कहना था कि विजय कैसा समाज विरोधी चरित्र था, जो समाज पर एक वेश्या को महत्त्व देता था।  इस चरित्र को निराशाजनक भी माना गया। यहाँ तक कि फिल्म कंपेनियन द्वारा २०२३ किए गए सर्वेक्षण में, १५० फिल्म समालोचकों, निर्देशकों और उद्योग के विशेषज्ञों ने सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली और गुरुदत्त की प्यासा से आगे, शोले को सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म चुना। जबकि, इस फिल्म को टाइम मैगज़ीन की २०वीं सदी की शीर्ष १०० फ़िल्मों की सूची में सत्यजीत रे की अपू त्रयी के साथ सम्मिलित किया गया ।  





गुरुदत्त की निर्देशक के रूप में प्यासा अंतिम सफल फिल्म थी। प्यासा के बाद उन्होंने कागज़ के फूल का निर्देशन किया, जो उनकी आखिरी निर्देशित फिल्म थी। यह फिल्म बड़ी फ्लॉप हुई थी।  

Tuesday, 18 November 2025

क्या #ArjunRampal #AkshayeKhanna और #SanjayDutt के सामने #Dhurandhar साबित होंगे #RanveerSingh ?



पाकिस्तान में, एसएसपी चौधरी असलम, रहमान डाकू, बाबा लाडला, फहीम कमांडो, उजैर बलूच आदि ऐसे कुख्यात किरदार हैं जिनकी कहानियाँ सुनाई जाती हैं। किन्तु, किसी पाकिस्तानी फिल्म  निर्माता द्वारा दिखाई नहीं जाती। भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए उत्तरदाई इन नामों का सन्दर्भ पाकिस्तान की किसी फिल्म में नहीं मिलता। किन्तु,  बॉलीवुड के फिल्म निर्माता इनमे से कुछ का परिचय भारतीय दर्शकों से कराने जा रहे है। 





उरी के निर्देशक आदित्य धर द्वारा निर्मित, लिखित और निर्देशित फिल्म धुरंधर का ट्रेलर आज कुछ देर पहले जारी हुआ है। इस ट्रेलर में रणवीर सिंह बिलकुल भिन्न शैली में है।  उनका संवाद कि यदि तुम्हारे पटाखे ख़त्म हो गए हों तो मैं धमाका शुरू करूँ, दर्शकों का उत्साह बढ़ाने वाला है। 





किन्तु, चार मिनट ७ सेकंड लम्बे इस टीज़र का बड़ा भाग पाकिस्तान के विलेन लूट ले गए है। प्रारम्भ में, अर्जुन रामपाल के मेजर इक़बाल को मौत का फरिश्ता बताया गया है। आईएसआई का यह अधिकारी एक व्यक्ति के साथ क्रूरता करता दिखाया गया है। उसके बारे में यह विवरण दिया गया है कि उसकी जिस पर कृपा हो जाएँ, उसका भविष्य बदल जाता है तथा यह भी कि  उसकी मर्जी के बिना पाकिस्तान की  राजनीती का एक पत्ता भी नहीं हिलता।  






अर्जुन रामपाल के मेजर इक़बाल के बाद, अक्षय खन्ना का रहमान डकैत सामने आता है।  अक्षय  खन्ना अपनी ही शैली में इस चरित्र को क्रूर बताते हुए कहते हैं कि रहमान डकैत की दी हुई मौत बड़ी कसाईनुमा होती है। वह पत्थर  से किसी का सर कुचलते दिखाए जाते है।  





इसके बाद, रणवीर  सिंह के चरित्र से एक व्यक्ति बताता है कि एक बार एक शैतान और जिन्न के बीच सेक्स हुआ। नौ महीने बाद जो पैदा हुआ, उसका नाम पड़ा चौधरी असलम। तब सामने  हैं बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त।  उनका असलम भी जिन्न बताया गया है।  वह स्वचालित बन्दूक थामे अनियंत्रित गोलियां बरसा रहे है। 





इन तीन चरित्रों के मध्य इकलौते रणवीर सिंह पाकिस्तान में घुसे दिखाए गए है। पाकिस्तान के मेजर  इक़बाल, रहमान डकैत और चौधरी असलम के चरित्रों का इतना विस्तार से दिखाया जाना और विवरण दिया जाना, यह जताता है कि फिल्मकार,  रणवीर सिंह के भारतीय एजेंट को मानवेत्तर यानि  सुपर ह्यूमन दिखाना चाहते है।  किन्तु, यह भारी भी पड़  सकता है।  





निस्संदेह, हिंदी फिल्मों का गणित है कि खलनायक जितने खतरनाक होंगे, हीरो उतना ही बहादुर समझा जायेगा। दर्शकों के सामने ऐसे नायक का कद बढ़ जाता है। किन्तु, यह तभी हो पायेगा, जबकि वह अभिनेता अपने इस हीरो को इतनी  ऊंचाई  तक ले जा सकें, जहाँ से खलनायक बौने लगे। 






क्या भारतीय एजेंट बने रणवीर सिंह, अर्जुन रामपाल, अक्षय खन्ना और संजय दत्त जैसे अभिनेताओं द्वारा खेले गए विलेन चरित्रों के सामने अपने एजेंट को उस  ऊंचाई तक ले जा पाएंगे ?  यही रणवीर सिंह के अभिनेता की परीक्षा होगी।  क्योंकि, वह अभी तक एक्शन करते हुए भी कॉमेडी मिक्स हो जाया करते रहे है। 

#RamMadhvani की #spiritual #action #thriller फिल्म में #TigerShroff



बॉक्स ऑफिस पर औसत फिल्म बागी ३ तथा हीरोपंथी ३, गणपत, बड़े मिया छोटे मिया और बागी ४ की ऐतिहासिक असफलता के बाद, इन फिल्मों के नायक अभिनेता टाइगर श्रॉफ को कुछ साहसिक निर्णय लेने के लिए विवश कर दिया है।

 

 

 

 

 

समाचार हैं कि वह निर्देशक राम माधवानी के निर्देशन में एक आध्यात्मिक एक्शन थ्रिलर फिल्म करने जा रहे है। विशुद्ध एक्शन फिल्मों के अभिनेता टाइगर श्रॉफ का यह निर्णय साहसिक प्रतीत होता है।  इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ के भिन्न एक्शन तो होंगे ही, आध्यात्मिक चिंतन भी होगा।  ठीक द मैट्रिक्स की तरह का। 

 

 

 

 

राम माधवानी ने, सोनम कपूर के साथ थ्रिलर फिल्म नीरजा से राष्ट्रव्यापी सफलता और प्रशंसा प्राप्त की थी। उनकी फिल्म धमाका और वेब सीरीज आर्या एक दूसरी से भिन्न शैली वाली थी। इसी के अनुरूप टाइगर श्रॉफ के साथ वाली फिल्म भी अभूतपूर्व शैली वाली है।

 

 

 

 

राम माधवानी की अनाम फिल्म की शूटिंग २०२६ के मध्य में प्रारम्भ होगी।  इससे पूर्व, टाइगर श्रॉफ को निर्देशक सचिन रवि की निर्माता मुराद खेतानी की अनाम फिल्म तथा पापा जैकी श्रॉफ के साथ जाह्नवी कपूर और तब्बू की राज  मेहता निर्देशित फिल्म लग जा गले की शूटिंग पूरी करनी है।  अभी राम माधवानी की फिल्म की शूटिंग प्रारम्भ करने से पूर्व कई निर्माण और तकनीक सम्बन्धी तैयारियां की जानी है, जिनमे समय लगना स्वभाविक है। 

 

 

 

 

 प्राप्त सूचनाओं के अनुसार राम माधवानी की फिल्म में टाइगर श्रॉफ का अभूतपूर्व अवतार होगा। क्योंकि, आध्यात्मिक और एक्शन शैली की कोई भी हिंदी फिल्म नही बनाई गई है।  इस फिल्म को हॉलीवुड की द मैट्रिक्स श्रृंखला फिल्मों के समकक्ष रखा जा रहा है।  इस फिल्म की तैयारी, भारतीय ही नहीं, वैश्विक दर्शकों को ध्यान में रख कर डिज़ाइन की जा रही है।


 

 

 

फिल्म की शूटिंग को लेकर चर्चा है कि फिल्म का अधिकतम भाग जापान में शूट किया जायेगा।  इस प्रकार से, टाइगर श्रॉफ की फिल्म, आधुनिक बॉलीवुड की जापान में इस स्तर तक शूट की जाने वाली पहली फिल्म होगी।  यह फिल्म २०२६ की दूसरी तिमाही में प्रारम्भ हो जाएगी। टाइगर  श्रॉफ भी फिल्म के स्तर के अनुरूप कड़ी मेहनत कर रहे है ताकि इस फिल्म के योग्य उनका व्यक्तित्व प्रतीत हो।

 


 

फिल्म निर्माताओं द्वारा अभी टाइगर  श्रॉफ के नाम का ही उल्लेख किया है। फिल्म की मुख्य अभिनेत्री और मुख्य खलनायक के नामों पर विचार किया जा रहा है। फिल्म और टाइगर के चरित्र के अनुरूप एक सशक्त प्रतिपक्षी की भूमिका के लिए योग्य अभिनेता का चयन सरल भी नहीं है। संभव है कि जब निर्माताओं द्वारा फिल्म की जानकारी देने वाली पहली झलक में इन नामों का भी खुलासा हो।   

#JioStudios और #AdityaDhar के #Dhurandhar #RanveerSingh, #SanjayDutt, #AkshayeKhanna, #RMadhavan, #ArjunRampal


 

Monday, 17 November 2025

टकराव पोंगल पर #Sivakarthikeyan #ThalapathyVijay का !



आज के समय में किसी फिल्म का श्वेत श्याम पोस्टर ! अब रंगों का युग है। किन्तु, कथानक पर काफी निर्भर करता है।  यदि फिल्म किसी पुरानी राजनीतिक घटना पर केंद्रित हो तो यह आवश्यक हो जाता है। 





शिवकार्तिकेयन ने अपनी राजनीतिक ड्रामा फिल्म 'पराशक्ति' का एक काला-सफ़ेद पोस्टर इसका परिणाम है। इस पोस्टर में वह एक पुराने रेलवे ट्रैक पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। ऐसे पोस्टर, तमिलनाडु में प्रमुख स्थानों पर लगे दिखाई दे रहे है।  





आर माधवन के साथ चर्चित फिल्म इरुधि सुतरु/साला खड़ूस और सूर्या को श्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जिताने वाली फिल्म सुरराई पोत्तरु की निर्देशक  सुधा कोंगारा द्वारा निर्देशित फिल्म पराशक्ति का कथानक द्रविड़ दलों द्वारा तमिलनाडु में १९६५ में चलाये गए हिंदी विरोधी आंदोलन से प्रेरित है।






आज इस फिल्म को पोंगल २०२६ को प्रदर्शित किये जाने की घोषणा की गई। इससे रेड जायंट मूवीज़ और सारेगामा जैसे वितरकों का समर्थन प्राप्त पराशक्ति की पोंगल के दिन तमिल फिल्म सुपरस्टार दलपति विजय की राजनीतिक ड्रॉमा फिल्म जन नायकन से बॉक्स ऑफिस पर सीधी टक्कर की स्थिति उत्पन्न हो गई है ।






जन नायकन, विजय की राजनीतिक फिल्म होने के नाते महत्वपूर्ण है। क्योंकि, विजय ने तमिलनाडु के २०२६ के विधानसभा चुनाव में उतरने का निर्णय ले लिया है। उनकी एच विनोद निर्देशित पोलिटिकल एक्शन थ्रिलर फिल्म  जन नायकन ९ जनवरी २०२६ को प्रदर्शित हो रही है।  इस प्रकार से, पांच दिन बाद विजय की फिल्म का शिवकार्तिकेयन की फिल्म पराशक्ति से टकराव सुनिश्चित है।






इस टकराव ने, तमिल फिल्म दर्शकों में चर्चा गर्म कर दी है। आज याद किया जा रहा है विजय के एक अन्य तमिल फिल्म अभिनेता अजित कुमार से टकराव को। दलपति विजय की पारिवारिक एक्शन फिल्म वरिसु और अजित की फिल्म थुनिवु डकैती ड्रामा थ्रिलर फिल्म थुनीवु से, ११ जनवरी २०२३ सीधा टकराई थी।  यद्यपि, अजित कुमार की फिल्म थुनीवु ने पहले दिन २३ करोड़ कमा कर अपना दबदबा स्थापित करने का प्रयास किया था। किन्तु, बाद में विजय की फिल्म ने तमिलनाडु के छविगृहों में पाना दबदबा स्थापित कर लिया।  






जब यह दोनों फिल्मे  छविगृहों से उतरी तो शतक जमा चुकी थी। किन्तु, अंतिम रूप से, विजय सेतुपति की कमाई अजित कुमार की फिल्म से अधिक थी।  जहाँ अजित कुमार की फिल्म थुनीवु ने १२० करोड़ की  कमाई की, वही वरिसु ने कुल १४५ करोड़ का कारोबार कर लिया था। बताते हैं कि जहाँ विश्वव्यापी बॉक्स ऑफिस पर वरिसु ने ३०० करोड़ का आंकड़ा पार किया, थुनीवु २५० करोड़ पर सिमट कर रह गई।  

#MaheshBabu के भतीजे #JayaKrishnaGhattamaneni के साथ #RashaThadani

 


अभिनेत्री रवीना टंडन की बेटी राशा थडानी के सन्दर्भ में दक्षिण से अच्छा समाचार है।  वह निर्देशक अजय भूपति के निर्देशन में बनाई जाने वाली फिल्म एबी४ में, महेश बाबू के भतीजे जया कृष्ण घट्टामनेनी के साथ तेलुगु फिल्म उद्योग को अपना पहला परिचय देने जा रही है। यह एक वास्तविक यथार्थवाद पर आधारित गहन प्रेम कहानी है। इसका निर्माण चंदामामा कथालू पिक्चर्स के तहत जेमिनी किरण द्वारा किया जा रहा है और अश्विनी दत्त द्वारा प्रस्तुत है। इसकी शूटिंग इसी महीने के अंत में प्राकृतिक परिवेश में शुरू होगी।






राशा थडानी का, इसी साल सेलुलॉइड की दुनिया में पहला प्रवेश, अजय देवगन के भांजे के साथ फिल्म आज़ाद से हुआ था। इस फिल्म का निर्देशन अभिषेक कपूर ने किया था। अपने भांजे को सहारा देने के लिए अजय देवगन ने भी फिल्म में अभिनय किया था। फिल्म में, राशा थडानी के गर्मागर्म उई अम्मा गीत के बाद भी दर्शक छविगृहों के ओर नहीं आये। इस फिल्म के निर्माण में ८० करोड़ व्यय हुए थे। किन्तु, फिल्म कुल ८ करोड़ का ग्रॉस ही कर सकी। 





आज़ाद की बुरी असफलता का परिणाम था कि फिल्म के नायक अमन देवगन गाँधी को दूसरी फिल्म तो नहीं मिल सकी, किन्तु फिल्म की उई अम्मा गर्ल राशा थडानी को, सौरभ गुप्ता के निर्देशन में मुँज्या अभिनेता अभय वर्मा के साथ फिल्म लइके लइका अवश्य मिल गयी।  इस फिल्म की शूटिंग जारी है। इस प्रकार से, राशा की तेलुगु फिल्म उनके फिल्म जीवन की तीसरी फिल्म है।   






सोशल मीडिया पर, फिल्म की घोषणा से संलग्न पोस्टर में राशा एक विशाल परिदृश्य के सामने मोटरसाइकिल की आकर्षक मुद्रा में दिखाई दे रही हैं, जो फिल्म की भावनात्मक गहराई और वैजयंती फिल्म्स जैसे बैनरों के उच्च निर्माण मूल्यों को उजागर करता है।





फिल्म के निर्देशक अजय भूपति की यह चौथी तेलुगु फिल्म होगी। इस लिए फिल्म का कार्यकारी शीर्षक एबी ४ रखा गया है। वह इससे पूर्व आरएक्स १००, महासमुद्रम और मंगलावरम जैसी फिल्मों में अपनी सशक्त और भावनात्मक रूप से आवेशित कहानियों के लिए जाने जाते हैं। एबी ४ इसी कड़ी में रुक्ष, संभवतः ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित एक नाटकीय रोमांस फिल्म प्रतीत होती है, जिसमें गहरे भावनात्मक पहलू और यथार्थवादी चरित्र चित्रण हैं।





फ़िल्म की शूटिंग इसी महीने नवंबर के अंत में शुरू होने वाली है। फिल्म २०२६ में प्रदर्शित होगी। 

  

Sunday, 16 November 2025

५ दिसम्बर को #3D में रिलीज़ होगी #NandamuriBalakrishna की #Akhanda2Thaandavam



नंदामुरी बालकृष्ण की फिल्म अखंड २: ताण्डवं के निर्माताओं ने हैदराबाद के प्रसाद मल्टीप्लेक्स में आयोजित एक कार्यक्रम में फिल्म के एक आश्चर्यजनक त्रिआयामी प्रारूप में रिलीज़ करने की घोषणा की।





इसके साथ ही यह भी पुष्टि की गई कि फिल्म ५ दिसंबर, २०२५ को २डी और ३डी दोनों ही प्रारूपों में दुनिया भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।






अखंड २, निर्देशक बोयापति श्रीनु और अभिनेता बालकृष्ण के साथ उनका चौथा सहयोग है। इस सीक्वल में बालकृष्ण दिव्य योद्धा अघोरा की भूमिका में हैं, जो प्रतिपक्षी आदि पिनिशेट्टी का सामना करते हैं।





थमन एस ने हिट सिंगल द थांडवम सॉन्ग सहित अन्य गीतों का संगीत दिया है। मूल फिल्म अखंड की दो सौ करोड़ की सफलता के बाद,  सीक्वल फिल्म के प्रमुख एक्शन दृश्यों के लिए बेहतर त्रिआयामी दृश्यों के अतिरिक्त निर्माता विशाखापत्तनम, कर्नाटक, चेन्नई, काशी और अमेरिका में फिल्म के प्रचार की योजना बना रहे हैं।

अद्भुत है राजामौली की #Varanasi !



निर्देशक एस.एस. राजामौली ने १५ नवंबर को हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में अपनी ऐतिहासिक फिल्म वाराणसी का पहला लुक और टीज़र पचास हजार प्रशंसकों की उपस्थिति में जारी किया।





इस फिल्म में महेश बाबू रुद्र के रूप में, प्रियंका चोपड़ा जोनास मंदाकिनी के रूप में, और पृथ्वीराज सुकुमारन खलनायक कुंभा के रूप में हैं। फिल्म वाराणसी की कहानी प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक फैली हुई है और रामायण से प्रेरित है।





यद्यपि, इस कार्यक्रम में एक भाषण के दौरान राजामौली द्वारा अपने नास्तिक होने पर की गई टिप्पणियों ने फिल्म के पौराणिक विषयों के बीच ऑनलाइन तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दे  दिया है ।  किन्तु,वाराणसी में रुद्र के रूप में तेलुगु फिल्म अभिनेता महेश बाबू का पहला लुक वाकई धमाकेदार है! फिल्म से विशेषकर वह दृश्य जहाँ वानर सेना भगवान राम को उठाती है, रोंगटे खड़े कर देने वाला है... वाकई अद्भुत है। 






वाराणसी का कोई आधिकारिक कथानक स्पष्ट नहीं किया गया है। किन्तु, छन  छन कर आती जानकारियां और सूत्र बताते हैं कि वाराणसी राजामौली के पिछले महाकाव्यों जैसे बाहुबली और आरआरआर के समान एक बहुस्तरीय कथा  है। इस फिल्म का आधार रुद्र (महेश बाबू), एक पौराणिक युग का योद्धा, राम का पुनर्जन्म या समय से विस्थापित संस्करण हो सकता है, जिसे एक दिव्य मिशन सौंपा गया है। एक समय-यात्रा उपकरण या रहस्यमय घटना उसे एक आधुनिक या वैकल्पिक समयरेखा में धकेल सकती है, जहाँ उसका सामना  मंदाकिनी (प्रियंका चोपड़ा) से होता है, जो अपने स्वयं की चुनौतियों से जूझने वाली एक समकालीन चरित्र है और कुंभा (पृथ्वीराज) एक कालातीत विरोधी है।





संघर्ष: कथानक रुद्र की एक भविष्यवाणी को पूरा करने या कुंभा को हराने की खोज के इर्द-गिर्द घूम सकता है भावनात्मक सार: जैसा कि श्रीनु वैतला ने कहा है, यह फिल्म दिवंगत सुपरस्टार कृष्णा के अपने बेटे महेश बाबू को श्री राम के रूप में देखने के सपने को पूरा करती है, जो एक बड़े महाकाव्य में बुने गए व्यक्तिगत या पारिवारिक मोचन चाप का सुझाव देती है।





संक्षेप में, वाराणसी समय-यात्रा और रामायण से प्रेरित पौराणिक कथाओं के एक अभूतपूर्व मिश्रण का प्रदर्शन करने वाली फिल्म लगती है, जिसके केंद्र में महेश बाबू का रुद्रा है, जिसे गतिशील कलाकारों और राजामौली की दूरदर्शी कहानी का साथ मिला है। आशा है कि भविष्य में फिल्म की शूटिंग के साथ साथ फिल्म सम्बन्धी बहुत सी अन्य जानकारियां मिलेगी।

#MaheshBabu #PriyankaChopra #Prithviraj #SSRajamouli की #VARANASI

#SSRajamouli की #MaheshBabu के साथ फ़िल्म #Varanasi

 





















































 






































बनते ही बंद हो गया धर्मेन्द्र, तनूजा और दुलाल गुहा का प्रोडक्शन हाउस !



निर्देशक दुलाल गुहा ने,  कुल  फिल्मों का निर्देशन किया था।  इसमें से छह फिल्मे धर्मेंद्र  के साथ थी।  इन फिल्मों में मेरा करम मेरा धरम, दो दिशाएं, दिल का हीरा, प्रतिज्ञा, दोस्त, चांद और सूरज के नाम उल्लेखनीय है। दुलाल ने,धर्मेंद्र की फिल्म इज्जत की कहानी भी लिखी थी। उन्हें धर्मेंद्र की फिल्म चांद और सूरज की कथा और पटकथा भी लिखी थी। 





उपरोक्त चित्र, निर्देशक दुलाल गुहा की धर्मेंद्र के साथ पहली फिल्म चाँद और सूरज के सेट से है। चाँद और सूरज (१९६५) में बनी फ़िल्म है, जिसका निर्माण गंगा चित्रा के अंतर्गत    हुआ था। इस फ़िल्म में धर्मेंद्र, अशोक कुमार, तनुजा, निरूपा रॉय और असित सेन ने अभिनय किया था। फ़िल्म का संगीत सलिल चौधरी ने दिया था। इस फ़िल्म का तमिल में अन्नाविन आसई (१८६६) नाम से पुनर्निर्माण किया गया था।





उपरोक्त चित्र दुलाल गुहा की दूसरी निर्देशित फिल्म चाँद और सूरज का है।  इस फिल्म से पहले दुलाल गुहा ने, गायक तलत महमूद के साथ उनकी एकमात्र अभिनय वाली फिल्म एक गाँव की कहानी थी। इस फिल्म में माला सिन्हा और आईएस जोहर ने भी अभिनय किया था। चाँद और सूरज दुलाल गुहा की दूसरी निर्देशित फिल्म थी। इस फिल्म की शूटिंग के समय दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई।  इस चित्र को इंस्टाग्राम पर लगाते हुए धर्मेंद्र यादें साझा करते हुए लिखते है - 





दुलाल गुहा, एक प्यारे भाई। एक प्रतिभाशाली निर्देशक। ….मैं ….तनु (तनूजा) और दुलाल दा हमेशा एक खुशमिजाज कंपनी थे। एक दिन, अचानक हमने एक साथ फिल्म निर्माण की योजना बनाई… अपनी कंपनी का नाम तय करते समय…हमने सोचा…डी दुलाल दा के लिए…डी धर्मेंद्र के लिए और टी तनुजा के लिए…इतना सुंदर लिखा हुआ नाम…निकला…डीडीटी प्रोडक्शन।  फिर अचानक हमें एहसास हुआ… डीडीटी तो जर्म्स को मारने के लिए कुछ है। इसलिए हम हंसते रहे और हंसते रहे और फिल्म निर्माण का विचार ठंडे बस्ते में चला गया…हा हा…।

#Mayasabha का विश्व प्रीमियर जागरण फिल्म फेस्टिवल में !



निर्देशक राही अनिल बर्वे की नई हिंदी फीचर फिल्म मायासभा (#Mayasabha – The Hall of Illusion) दर्शकों के समक्ष आने को है। इस बहुप्रतीक्षित फिल्म का भव्य वर्ल्ड प्रीमियर १६ नवंबर को प्रतिष्ठित जागरण फिल्म फेस्टिवल के समापन समारोह में आयोजित होगा। इस फेस्टिवल का समापन “मायासभा” के विशेष प्रीमियर के साथ होना पूरी टीम के लिए सम्मान का विषय है।  

 

मायासभा केवल एक थ्रिलर फिल्म नहीं, बल्कि मुंबई के अंधेरों में छिपी मनुष्यता की परतों का गहन अन्वेषण है। कहानी में एक पूर्व-कैदी रावराना, उसकी बहन जीनत, अद्भुत बुद्धिमत्ता वाला रहस्यमय बच्चा वासु और उसके पिता, तथा पतन के कगार पर खड़ा उद्योगपति परमेश्वर खन्ना के भिन्न दुनिया के चरित्र एक पुरानी, आकर्षक लेकिन खतरनाक दंतकथा की वजह से एक ही रास्ते पर आ मिलते हैं।

छिपे हुए सोने की तलाश उन्हें ऐसे भ्रमजाल में खींच लेती है, जहां लालच, अपराध, अंधकार और पाप की गहराइयों में अंत में बस इंसानियत की एक मासूम किरण ही टिकती है। निर्देशक राही अनिल बर्वे की कल्पनाशील दृष्टि इस पूरी कहानी को प्रतीकात्मकता, रहस्य और वातावरणीय तीव्रता से और अधिक प्रभावी बनाती है।


फिल्म का निर्माण गिरीश पटेल और अंकुर जे. सिंह (Zirkon Films Productions) द्वारा किया गया है, जबकि Astonia Media Entertainment और Third Eye Kreative Films ने सहयोग दिया है। शामराव यादव, चंदा भगवान यादव, केवल हांडा और मनीष हांडा सह-निर्माता हैं। प्रस्तुति और वितरण का कार्य Pickle Entertainment ने संभाला है, जबकि वैश्विक स्तर पर फिल्म को Zeus Films India रिलीज़ करेगी। 

 

जावेद जाफरी, वीणा जामकर, दीपक दामले और मोहम्मद समद के सशक्त अभिनय ने फिल्म में गहरा भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाला है।

 

तकनीकी रूप से भी मायासभा बेहद सशक्त है — कुलदीप ममानिया की सिनेमैटोग्राफी, सोहेल सनवारी की साउंड डिज़ाइन, सागर देसाई का बैकग्राउंड म्यूज़िक, प्रीतम राय का प्रोडक्शन डिज़ाइन, श्रुति बनर्जी की कॉस्ट्यूम डिज़ाइन, धनंजय प्रजापति का मेकअप, सुरेंद्र प्रजापति का आर्ट डायरेक्शन, युसूफ खान का यथार्थवादी एक्शन और एडिटर आसिफ पठान का बेहतरीन संपादन — यह सब फिल्म को उच्च सिनेमाई स्तर पर ले जाते हैं। चिराग घमांडे एसोसिएट प्रोड्यूसर और आशिष निनगुरकर क्रिएटिव कंसल्टेंट के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कहानी, पटकथा और संवाद स्वयं राही अनिल बर्वे ने लिखे हैं। 

Saturday, 15 November 2025

#SSRajamouli की फिल्म में #MaheshBabu की मन्दाकिनी #PriyankaChopra !



एसएस राजामौली, आज १५ नवंबर, २०२५ को हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में आयोजित ग्लोबट्रॉटर कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। इस आयोजन में महेश बाबू, प्रियंका चोपड़ा जोनास और पृथ्वीराज सुकुमारन भी भाग लेंगे।  इस कार्यक्रम में, राजामौली निर्देशित फिल्म एसएसएमबी२९ के आधिकारिक शीर्षक की घोषणा के साथ पहली झलक भी दिखाई जाएगी।





इससे पूर्व, राजामौली ने इस फिल्म में, महेश बाबू के साथ विश्व भ्रमण करने वाली नायिका की भूमिका कर रही बॉलीवुड और हॉलीवुड की अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जोनास के चरित्र का परिचय देते हुए, एक पहला परिचय चित्र जारी किया।





इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा मन्दाकिनी की भूमिका कर रही है।  इस चरित्र के परिचय में जारी आकर्षक तस्वीर में प्रियंका चोपड़ा हवा में लहराती हुई पीली साड़ी में एक ऊबड़-खाबड़, विस्फोटक पृष्ठभूमि के सामने बंदूक थामे हुए दिखाई दे रही हैं। यह चित्र प्रियंका चोपड़ा के चरित्र के बहुस्तरीय, सशक्त होने का परिचय देने वाला है। यह चित्र सोशल मीडिया पर पोस्ट होते ही वायरल चर्चा का विषय बन चुका है। 





इस फिल्म का कथानक एक पौराणिक नायक (संभवतः भगवान् हनुमान या किसी अन्य महाकाव्य से प्रेरित नायक) की यात्रा से प्रेरित है। इस भूमिका को तेलुगु सुपरस्टार महेश बाबू अपनी २९वीं फिल्म  में कर रहे है। इस कहानी में महेश बाबू के चैरता के विरुद्ध एक शक्तिशाली प्रतिद्वंदी (पृथ्वीराज सुकुमारन) है। इस साहसिक और रोमांचक कथा में मंदाकिनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती लगती है। कदाचित एक सहयोगी, एक प्रभावशाली प्रेमिका या एक सिद्ध प्रतिपक्षी ! विदेशी हथियारों और भू-भाग-आधारित चुनौतियों से युक्त एक्शन दृश्य, जैसा कि पोस्टर की विस्फोटक पृष्ठभूमि और प्रियंका के बंदूकधारी रुख से संकेत मिलता है।





प्रियंका चोपड़ा, हाल ही में उड़ीसा की शूटिंग में शामिल हुईं थी। बतातें हैं कि इस फिल्म की कहानी को अभी भी गढ़ा जा रहा है। यो भी राजामौली फिल्मांकन के दौरान अपनी कहानियों को और भी निखारने के लिए जाने जाते हैं।





 फिल्म के आकार को देखते हुए, यह भारतीय सिनेमा में एक मील का पत्थर साबित होने वाली है, जिसमें राजामौली की विशिष्ट दृश्य कथा-कथन को एक ऐसे कथानक के साथ जोड़ा गया है जो पौराणिक रूपांतरणों को नई परिभाषा दे सकता है।

कभी #Dharmendra की नायिका नहीं थी #KaminiKaushal !


 

१९४० और १९५० के दशक की, सबसे अधिक पारिश्रमिक लेने वाली बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री कामिनी कौशल का १४ नवंबर २०२५ को निधन हो गया।  वह ९८ वर्ष की आयु में अपनी स्मृतियाँ छोड़ कर चली गई।  इसके साथ ही, कामिनी कौशल को श्रद्धांजलि संदेशों और लेखों की बाढ़ आ गई। 





इधर, बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र का स्वस्थ्य भी अच्छा नहीं चल रहा है।  कुछ समय पूर्व वह मुंबई के अस्पताल में भर्ती भी रहे थे।  उनके अस्पताल में भर्ती होने और उनका स्वास्थ्य अच्छा न होने के समाचार ने, मुम्बइया प्रेस में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया।  धर्मेंद्र को एक ही दिन में दो दो बार स्वर्गवासी घोषित कर दिया गया। कथित राष्ट्रीय चैनलों ने उन्हें भावभीनी श्रृद्धांजलि क्लिप्स भी चला दी।  





रोचक और मूर्खापूर्ण स्थिति बनी कामिनी कौशल के निधन पर।  लगभग सभी श्रद्धांजलियों में, धर्मेंद्र की इंस्टाग्राम पर २०२१ में लिख गई एक पोस्ट का उल्लेख था, जिसमे लगाए गए एक चित्र में धर्मेंद्र और  कामिनी कौशल  मुस्कुराते हुए उत्साह दिखते हुए एक दूसरे का स्वागत कर रहे थे, परिचय लेते लग रहे थे। इस पोस्ट में धर्मेंद्र ने लिखा था - मेरी जिंदगी की, पहली फिल्म शहीद की नायिका कामिनी कौशल के साथ पहली मुलाकात की पहली तस्वीर... दोनों के चेहरे पर प्यार... इक्क प्यार भारी परिचय...।





विद्वान लेखकों ने, इसे कामिनी कौशल के सा थ पहली फिल्म बताते हुए कामिनी कौशल को धर्मेंद्र की  पहली फिल्म शहीद की नायिका बता दिया। जबकि, वास्तविकता यह थी कि धर्मेंद्र ने कभी भी किसी शहीद शीर्षक वाली फिल्म में अभिनय नहीं किया।  कदाचित धर्मेंद्र उस शहीद का उल्लेख कर रहे थे, जिसे उन्होंने पहली बार देखा था।





कामिनी कौशल की फिल्म शहीद १९४८ में प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में कामिनी कौशल के नायक दिलीप कुमार थे। यह कामिनी कौशल के फिल्म जीवन की पांचवी फिल्म थी।  उस समय उस समय धर्मेंद्र की आयु १३ साल थी। उस समय धर्मेंद्र पंजाब के साहनेवाल में आठवी की पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने १९५२ में दसवी की परीक्षा दे रहे थे।  १९५४ में, उनका प्रकाश कौर के साथ विवाह हुआ।





धर्मेंद्र ने, १९६० में फिल्मफेयर की प्रतिभा खोज प्रतियोगिता जीत कर फिल्मी दुनिया में प्रवेश किया था।  उनकी नायक के रूप में पहली फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे (१९६०) थी। इस फिल्म में उनके साथ बलराज साहनी थे तथा उनकी नायिका कुमकुम थी। इस फिल्म के प्रदर्शन के समय, कामिनी कौशल ने फिल्म बैंक मैनेजर के बाद फिल्मों से अवकाश ले लिया था।  उनकी वापसी, राजकुमार के साथ फिल्म गोदान (१९६३) से हुई थी।  किन्तु, अगली फिल्म, १९६५ में प्रदर्शित मनोज कुमार अभिनीत फिल्म शहीद में मनोज कुमार के भगत सिंह की माँ के रूप में हुई।  इस फिल्म के बाद, कामिनी कौशल अधिकतर चरित्र भूमिकाओं में ही दिखाई दी। 





धर्मेंद्र की कामनी कौशल के साथ पहली फिल्म, ८ अगस्त १९६९ को प्रदर्शित फिल्म आदमी और इंसान थी।  इस फिल्म में कामिनी कौशल ने श्रीमती खन्ना की भूमिका की थी तथा वह परदे पर धर्मेंद्र की रोमांस  मीना खन्ना यानि सायरा बानू की माँ की भूमिका की थी।  स्पष्ट रूप से, आदमी और इंसान में, कामिनी कौशल धर्मेंद्र की रोमांस नहीं, बल्कि, सास थी।





इस फिल्म के बाद, कामिनी कौशल ने धर्मेंद्र के साथ यकीन (शर्मीला टैगोर), इश्क पर जोर नहीं (साधना) में ही अभिनय किया। इन सभी फिल्मों में कामिनी कौशल चरित्र अभिनेत्री थी। स्पष्ट है कि कामिनी कौशल कभी भी धर्मेंद्र की किसी फिल्म की नायिका नहीं बनी। 






कदाचित, धर्मेंद्र ने अपनी उपरोक्त पोस्ट में, अपने द्वारा देखी गई पहली फिल्म शहीद का उल्लेख किया था, जिसकी नायिका कामिनी कौशल थी।  धर्मेंद्र ने, इंस्टाग्राम पर जो चित्र लगाया है, वह फिल्म आदमी और इंसान के सेट पर पहली भेंट का था।  

Thursday, 13 November 2025

प्रधान मंत्री से प्रधान मंत्री की माँ तक #RaveenaTandon !



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचपन से लेकर राष्ट्र के नेता के रूप में उनके उदय तक के प्रेरक सफ़र को दर्शाने वाली एक नई और प्रभावशाली बायोपिक माँ वंदे की घोषणा की गई है। क्रांति कुमार सीएच द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म का शीर्षक द एंथम ऑफ़ अ मदर है।  यह मोदी और उनकी माँ हीराबेन के बीच गहरे और भावनात्मक बंधन पर केंद्रित है। यह फ़िल्म इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे हीराबेन के मूल्यों, दृढ़ता और सादगी ने उनके बेटे के चरित्र को गढ़ने और जीवन की चुनौतियों से पार पाने में, खासकर उनके पिता के निधन के बाद, उनका मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 






निर्देशक क्रांति कुमार सीएच इस फिल्म में मलयालम अभिनेता उन्नी मुकुंदन को नरेंद्र मोदी की भूमिका निभाने के लिए चुना गया है, जो इस भूमिका में प्रामाणिकता और भावनात्मक गहराई दोनों लाएंगे। उन्होंने बताया कि मोदी के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान अहमदाबाद में पले-बढ़े होने के कारण यह अवसर और भी सार्थक हो गया।






इस फिल्म में,  कन्नड़ फिल्म अभिनेता यश की सफलतम फिल्म केजीएफ चैप्टर २ में प्रधान मंत्री की भूमिका कर चुकी बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन ने प्रधान मंत्री मोदी की माँ हीराबेन मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह उनके अब तक के सबसे भावनात्मक रूप से प्रभावशाली प्रदर्शनों में से एक है। उम्मीद है कि उनका किरदार कहानी में शक्ति और गर्मजोशी लाएगा, और भारत के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक को आकार देने वाले मातृ प्रेम के सार को दर्शाएगा।






रवीना टंडन ?


 फिल्म लेखक और निर्देशक रवि टंडन की बेटी रवीना टंडन ने, अपने फिल्म जीवन का प्रारम्भ सलमान खान के साथ एक्शन फिल्म पत्थर के फूल से किया था। उन्हें २००१ में प्रदर्शित कल्पना लाजमी निर्देशित फिल्म दमन में दुर्गा के भूमिका के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। अब तक १२० से अधिक फ़िल्में और शो कर चुकी रवीना टंडन ने यश की २०२२ में प्रदर्शित कन्नड़ फिल्म केजीएफ चैप्टर १ में भारत की प्रधान मंत्री का रील लाइफ चरित्र रामिका सेन भूमिका की थी। उनकी दस फिल्मे प्रदर्शित होने वाली है। 







उन्नी कृष्णन 


फिल्म माँ वन्दे में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका करने वाले अभिनेता उन्नी मुकुन्दन मलयालम फिल्म अभिनेता है।  उनकी पहली फिल्म तमिल भाषा में सीडान थी। वैशाख की एक्शन कॉमेडी फिल्म मल्लू सिंह से वह स्थापित हो गए।  उन्हें अपनी निर्माता के रूप में पहली फिल्म मेप्पड्ययन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। अब तक पचास फिल्मों में अभिनय कर चुके उन्नी मुकुन्दन १५ फिल्मे प्रदर्शित होने वाली है।