जिस प्रकार से, फिल्म जीरो में शाहरुख़ खान के बौना किरदार
बऊआ सिंह के हाथ में सिख धार्मिक चिन्ह किरपाण का प्रदर्शन हो रहा था,
उससे सिख भावनाये आहत हो रही थी। इस सम्बन्ध में,
बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश से पहले ही
फिल्म के निर्माताओं ने हलफनामा दायर कर बताया कि अब वह दृश्य बदल दिया गया
है।
फिल्म की एक निर्माता कंपनी रेड चिलीज के अनुसार
पोस्टर में शाहरुख़ खान के किरदार के हाथ
में रत्नजटित कटार ही थी। फिर भी इस किरपाण को विसुअल इफेक्ट्स के द्वारा
रत्नजटित कटार में बदल दिया गया है। रेड
चिल्लीज के द्वारा किये गए बदलाव के बाद अब मामला शांत हो जाएगा।
लेकिन,
सवाल है कि बॉलीवुड के निर्माता धार्मिक और सामुदायिक भावनाओं को चोट
पहुंचाने के कोशिश ही क्यों करते हैं ! क्या उन्हें मालूम नहीं रहता कि वह क्या
दिखाने जा रहे हैं? अगर नहीं मालूम रहता तो जानकारी कर मालूम
किया जाना चाहिए। धार्मिक भावनाओं को लेकर इतनी उदासीनता उपयुक्त नहीं।
इसी साल रिलीज़,
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत में, घूमर डांस
में रानी पद्मावती का नंगा पेट और नंगी कमर दिखाई जा रही थी। सब, रानी पद्मावती की भूमिका कर रही अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की सेक्स अपील का बॉक्स ऑफिस की खातिर उपयोग करना ही था। क्योंकि, दीपिका के साथ डांस कर रही बाकी की नर्तकियों की कमर और पेट नंगा नहीं था। राजपूत समुदाय के विरोध के बाद उसे भी वीएफएक्स
द्वारा बदल दिया गया।
इसके बावजूद बढ़ते
रोष के कारण इस फिल्म को गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में रोक का सामना करना
पड़ा। नतीजे के तौर पर फिल्म को अच्छे खासे
रेवेन्यू से हाथ धोना पड़ा।
अगर जीरो के
निर्माता फिल्म के पोस्टर में बदलाव नहीं
करते तो कुछ राज्यों में फिल्म को रोक का सामना करना पड़ता। शायद इसी डर ने उन्हें यह परिवर्तन करने को विवश किया !
प्रियंका चोपड़ा और निक जोनास ने दी बॉलीवुड और पत्रकारों को पार्टी -क्लिक करें
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