Friday 31 May 2013

बॉक्स ऑफिस को दीवाना बना देगी यह जवानी

     
                  यह जवानी है दीवानी क्यों देखें? देखें तो क्यों, न देखें तो क्यों? इस पर बात करने से पहले सबसे बड़ी बात यह कि रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की इस जवानी को ज़रूर देखें। यह आज के युवा की फिल्म है जो घूमना चाहता है, दौड़ना चाहता है, ऊँचाइयाँ छूना चाहता और गिरना भी चाहता है। पर फिल्म खालिस आज के युवा वाली नहीं, जैसी कुछ हफ्ते पहले रिलीज हिट फिल्म आशिक़ी 2 थी, जिसका युवा निराश, शराब में डूबा हुआ और लड़की से शादी से पहले सेक्स करने वाला। ठेठ आज के युवा की तरह, जो मिलते ही सेक्स और बिस्तर की बात ही करते हैं। कोंडोम और गर्भ निरोधक पर्स में जमे रहते हैं, न जाने कब ज़रूरत पड़ जाये। यह जवानी है दीवानी का बनी फ्लर्ट से इश्क को ज़्यादा बेहतर समझता है।
                       यह जवानी है दीवानी में आशिक़ी 2 के हीरो आदित्य रॉय कपूर भी हैं। इत्तेफाक ही है कि उनका   चरित्र अवि, आशिक़ी 2 के राहुल जैसा ही है- शराब पीने वाला, बिसतरबाज़ और कमोबेश अपनी कमजोरियों के लिए खुद को दोषी नहीं मानने वाला। अगर फिल्म अवि पर होती तो शायद आशिक़ी 2 का सेकुएल बन गयी होती। पर यह फिल्म भट्ट कैंप से नहीं, बल्कि धर्मा प्रॉडक्शन के करण जौहर की फिल्म है। यह बैनर कहीं न कहीं मूल्यों की बात करता है। अयान मुखर्जी फिल्म के डाइरेक्टर हैं, जिन्होंने वेक अप सिड बनाई थी। उनकी फिल्म का नायक कबीर थापर उर्फ बनी आज का युवा है। बनी आज का युवा है तो वह घूमना चाहता है, दौड़ना चाहता है, ऊँचाइयाँ छूना चाहता और गिरना भी चाहता है। बिल्ली यानि चशमिश पढ़ाकू नैना तलवार। हमेशा किताबों में डूबी रहने वाली। वह पढ़ाई से ऊब कर, अपने स्कूल के साथियों को मौज मजा लेते हुए देख कर, खुद भी एंजॉय करना चाहती है। इसलिए वह मनाली जाती है। स्टेशन पर मिलता है, बनी। बनी लड़कियों से फ्लर्ट करता है। लेकिन वह आज के लड़कों की तरह पहली मुलाकात में लड़कियों से सेक्स करना नहीं चाहता। नैना तलवार घरेलू प्रकार की है। अपना शहर, माता पिता और दोस्त परिवार उसकी प्राथमिकता हैं। बनी उसको देखता है। पर उससे फ्लर्ट नहीं करता। नैना पूछती है तो कहता है कि तुम फ्लर्ट के नहीं इश्क के काबिल हो। यही फर्क है आज के सेक्स के भूखे युवा से अलग इश्क को इबादत समझने वाला यह जवानी है दीवानी का बनी में।  मनाली में नैना  बिल्कुल बिंदास हो जाती है। वह उस लाइफ को एंजॉय करती है। वह बनी से प्रेम करने लगती है। वह उससे अपने प्रेम का इज़हार करना चाहती है कि बनी बताता है कि वह विदेश जा रहा है, अपना सपना पूरा करने के लिए। आठ साल बीत जाते हैं। बनी अपनी बेस्ट फ्रेंड की शादी में शामिल होने आता है। चारों दोस्त फिर मिलते हैं। बनी न जाने कब नैना से प्यार करने लगता है। वह उससे कहता है कि वह नैना से प्रेम करता है और शादी करना चाहता है। वह नैना से कहता है कि चलो, मैं तुम्हारा हाथ थाम कर दुनिया घूमना चाहता हूँ। नैना शहर, दोस्त, परिवार को तरजीह देती है। वह कहती है, हम कितनी भी कोशिश करें, कुछ न कुछ तो छूट ही जाता है। इसलिए जो सामने है उसे एंजॉय करो। बनी को एहसास होता है कि ऊँचाइयाँ  छूने   के उसके सपनों ने उसे पिता की मौत की खबर तक नहीं लगने दी थी। तब वह नैना से शादी कर अपने शहर में दोस्तों के बीच रहने का निर्णय लेता है।
यह जवानी है दीवानी युवाओं को उपदेश नहीं देती तो पतन की राह भी नहीं दिखाती। फिल्म यह नहीं कहती कि आप सपने मत देखो। लेकिन यह ज़रूर बताती है कि कुछ न कुछ तो छूट ही जाता है।  फिल्म बताती है कि कुछ ऐसे मूल्य हैं, जिनका भौतिकवादी युग में भी महत्व हैं। अयान ने इस घिसी पिटी उपदेश देती जैसी लगने वाली फिल्म को बेहद मनोरंजक ढंग से बिना अश्लील हुए बनाया है। फिल्म का कोई भी एक्टर मिडिल फिंगर नहीं दिखाता, हीरो अपनी हीरोइन से नहीं पूछता कि क्या उसने सेक्स किया है। वह उसे बिस्तर पर पटकने की कोशिश नहीं करता। दोनों इश्क को एहसास की तरह भोगते हैं, आँखों और हाव भाव से व्यक्त करते हैं। इसके बावजूद फिल्म युवा है, क्योंकि, फिल्म में वह पूरी मस्ती है जो आज का युवा करता है और करना चाहता है। बस सेक्स की डोज़ नहीं है।
फिल्म में रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण मुख्य भूमिका में हैं। यकीन जानिए क्या खूब कैमिस्ट्रि है दोनों के बीच। दोनों अपनी आँखों और चेहरे से अपने इमोशन एक्सप्रेस करते हैं। रणबीर कपूर तो गजब की एक्टिंग करते ही हैं। दीपिका पादुकोण साबित करती हैं कि वह अपनी समकालीन सभी अभिनेत्रियों को पीछे छोड़ कर बहुत आगे जाने वाली हैं। वह खूबसूरत है, वह सेक्सी हैं पर यहाँ ग्लैमरस लगती हैं। उन्होने अपने ऊम्फ फैक्टर   को यूज करने की कोई कोशिश नहीं की है। रणबीर कपूर की तरह युवाओं के दिलों में बस जाती हैं दीपिका। फिल्म में दीपिका का एक डाइलॉग है, जो फिल्म के प्रोमोस में काफी चला है- अवि तुम समझते क्यों नहीं कि अगर मैं दो मिनट भी तुम्हारे पास रही तो मुझे प्यार हो जाएगा...फिर से। यकीन जानिए सिनेमाघर में बैठे दर्शक बेतहाशा तालियाँ बजाते हैं और स्वागत करते हैं दीपिका के निर्णय का। यह प्रमाण है कि दर्शकों को दीपिका-रणबीर chemistry खूब जमी। कल्कि कोएचलीन पहली बार अच्छी लगीं। आदित्य रॉय कपूर को थोड़ा एक्टिंग से काम लेना होगा, नहीं तो वह जल्द ही बासी हो जाएंगे। बाकी कलाकार ठीक ठाक हैं।
फिल्म निर्देशक की फिल्म है, लेखकों की फिल्म है। अयान मुखर्जी इस पुरानी लगने वाली कहानी को अपनी कल्पनाशीलता के सहारे बिल्कुल नए ढंग से पेश करते हैं। देशी विदेशी लोकेशन है, पर यह कहानी को भटकाती नहीं, चरित्रों को उभारती है। मनिकन्दन का कैमरा मुख्य चरित्र की ऊंचाई तक पहुँचने की इच्छा को पूरा सहयोग देता है। एडिटिंग काफी चुस्त है, इसलिए फिल्म तेज़ तर्रार बन पड़ी है।
प्रीतम युवाओं को पसंद आने वाला संगीत बनाते हैं। यंग आडियन्स को टार्गेट करने वाली फिल्मों की वह जान हैं। यह जवानी है दीवानी का संगीत युवाओं को जवानी का एहसास कराने वाला है।
फिल्म देखिये। युवा भी देखें और युवाओं के अम्मा अब्बा भी। युवा इसलिए देखें कि सपने देखने और पूरा कराने  ज़रूरी हैं, पर उतने ही ज़रूरी माता पिता और उनके एहसास भी। फिल्म में सेक्स उतना ज़रूरी नहीं, जितना इश्क। रणबीर कपूर के स्वाभाविक अभिनय के लिए फिल्म देखी जा सकती है। यों फिल्म केवल दीपिका पादुकोण के लिए भी देखी जा सकती है। फिल्म की शुरुआत में ही माधुरी दीक्षित का घाघरा आइटम डांस है। वैसे यह फिल्म में नहीं होता तो भी फिल्म चलती ही। लेकिन, यह आइटम बताता है कि माधुरी दीक्षित में आज भी तेज़ाब है।
कल दीपिका पादुकोण अपनी फिल्म की सफलता की मन्नत मनाने Mumbai के मशहूर सिद्धिविनायक मंदिर गयी थीं। आज उनकी  फिल्म को अच्छी ओपेनिंग मिली है। लेकिन, अगर दीपिका मंदिर नहीं भी जाती तो फिल्म को हिट होना ही था। सच जानिए फिल्म को देखने के बाद दर्शक जैसे रिसपोन्स दे रहे हैं, वह इस फिल्म को इस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म बनाने का संकेत कर रहे हैं। मार दी रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण ने हिट फिल्मों की हट्रिक्क एक साथ।




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