Friday 28 August 2015

हिंदी फिल्मों से बाहर हैं राखी धागों का त्यौहार !

कभी हिंदी फिल्मों का फ्लेवर पारिवारिक हुआ करता था।  एक भरा पूरा माँ, पिता, भाई, बहन और भाभी वाला परिवार। ज़ाहिर है कि हिन्दुओं के हर पर्व के लिए गुंजाईश।  ऐसे में भाई बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षा बंधन को तो हिंदी फिल्मों में होना ही था।  लेकिन, आज फिल्मों का फॉर्मेट बिलकुल बदल चुका है। अब तो रेस २ जैसी फिल्मो में  भाई बहन एक दूसरे के खिलाफ षडयंत्र रचते हैं।  ज़ोया अख्तर की फिल्म 'दिल धड़कने दो' भी सतही तौर पर परिवार और भाई-बहन दिखाती है।  यही कारण है कि दर्शकों को आज भी पुराने जमाने की फिल्मों के भाई बहन और राखी गीत याद आते रहते हैं।
ऐतिहासिक फिल्मों के भाई और बहन -
दो ऐतिहासिक फिल्मों 'सिकंदर' और 'हुमायूँ' को भाई और बहन के रिश्ते को दिखाने वाली फ़िल्में कहा जा सकता है। सोहराब मोदी की फिल्म 'सिकंदर' में सिकंदर की पत्नी पुरुराज को राखी बांधती हैं और अपने पति की रक्षा का वचन लेती है। महबूब खान की १९४५ में रिलीज़ फिल्म हुमायूँ में अशोक कुमार हुमायूँ बने थे तथा वीणा ने रानी कर्णावती की भूमिका की थी। कर्णावती अपने पति की रक्षा के लिए  हुमायूँ को राखी भेजती है। हुमायूँ राखी के बंधन को निभाता भी है।  बहुत बाद में, आशुतोष गोवारिकर ने फिल्म 'जोधा अकबर' में ऐश्वर्या राय और सोनू सूद के ज़रिये भाई सुजामल और बहन जोधा के प्यार को प्रभावशाली ढंग से दिखाया था।
तूफ़ान और दिया (१९५६)-
प्रभात कुमार निर्देशित यह फिल्म पूरी तरह से भाई बहन की कहानी पर केंद्रित थी।  इस फिल्म में नंदा ने बहन की भूमिका की थी।  सतीश व्यास उनके भाई बने थे।  उस समय नंदा की उम्र १७ साल की थी।  यह अनाथ भाई बहन तमाम दुश्वारियों से गुज़र रहे हैं।  बहन की आँख चली जाती हैं।  तब छोटा भाई अपनी बहन को एक आश्रम में रख कर खुद मेहनत मज़दूरी कर उसकी शादी करने का बीड़ा उठा है।  इस फिल्म के निर्माता नंदा के चाचा वी शांताराम थे।  इस फिल्म के लिए नंदा को फिल्मफेयर का नॉमिनेशन मिला था।
हिंदी फिल्मों की बहन नंदा-
८ मार्च १९३९ को जन्मी नंदा ने कई फिल्मों में नायिका की भूमिका अदा की।  लेकिन, कुछ प्रारंभिक फिल्मों ने उन पर बहन का ठप्पा लगा दिया।  तूफ़ान और दिया का ज़िक्र ऊपर किया जा चूका है।  एल वी प्रसाद की १९५९ में प्रदर्शित फिल्म 'छोटी बहन' से नंदा हिंदी फिल्मों की छोटी बहन के तौर पर विख्यात हो गई।  इस फिल्म में नंदा ने दो बड़े भाइयों की अंधी छोटी बहन का किरदार किया था।  इन फिल्मों ने नंदा पर बहन का ठप्पा लगा दिया होता अगर उन्हें हम दोनों और तीन देवियाँ की सपोर्टिंग भूमिका के बाद कानून और चार दिवारी में नायिका की भूमिका न मिल गई होती।  चार दिवारी के लिए उन्हें सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला
जब वहीदा रहमान बन गई अशोक कुमार की बहन -
१९६२ में रिलीज़ भीमसिंह की फिल्म 'राखी' में अशोक कुमार और वहीदा रहमान अनाथ भाई बहन बने थे, जो अपनी मेहनत से अमीर बन जाते हैं।  लेकिन, शादी के भाई को बहन से काफी दूर जाना पड़ता है।  लम्बे अरसे बाद भाई रक्षा बंधन के दिन वापस आता है।  बहन उसे राख बांधती है।  अंत दोनों के मरने से होता है।  इस फिल्म के बाद अशोक कुमार ने वहीदा रहमान को अपनी बहन मान लिया।  वह आजीवन वहीदा रहमान से राखी बंधवाते रहे।
पॉपुलर राखी गीत -
फिल्म छोटी बहन का नंदा पर फिल्माया गया 'भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना' आज भी राखी के दौरान बजता है।  इसी प्रकार से राखी फिल्म का 'राखी धागों का त्यौहार' गीत भी आज भी लोकप्रिय गीतों में शुमार है।   तूफ़ान  और दिया का 'मेरी छोटी बहन' गीत भी काफी लोकप्रिय है।  अनपढ़ फिल्म में नायिका माला सिन्हा 'रंग बिरंगी राखी लेकर आया है त्यौहार' गीत पर नाचते दिखाई गई थी।  रेशम की डोरी में धर्मेन्द्र को राखी बांधते हुए कुमुद छुगानी 'बहना ने  भाई की कलाई में प्यार बाँधा है' गीत गाती है। देव आनंद की १९७१ में
रिलीज़ सुपर हिट फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' में देव आनंद का बचपन का किरदार (अभिनेता  सत्यजित)  अपनी छोटी बहन (बेबी गुड्डी) को मनाने के लिए 'फूलों का तारों का सबका कहना है' गाता है।  इसी गीत को देव आनंद भी ज़ीनत अमान को अपने बचपन की याद दिलाने के लिए गाते हैं।  फिल्म काजल में अभिनेत्री मीना कुमारी अपने भाई शैलेश कुमार को राखी बांधते हुए 'मेरे भैया मेरे चंदा' गीत गाती थी।  यह गीत पॉपुलर राखी गीतों में शुमार है।  राजेश खन्ना की दोहरी भूमिका वाली फिल्म 'सच्चा झूठा' में बाजावाला बने राजेश खन्ना अपनी लंगड़ी बहन नज़ीमा के लिए 'मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया' गीत गाते हुए ठुमका लगाते हैं।
पसंद नहीं आये भाई-बहन - आम तौर पर हिंदी दर्शक भाई-बहन वाली फ़िल्में पसंद करता है।  लेकिन, कभी दर्शक ऎसी जोड़ियों को नकारते ही हैं, फ़िल्में भी फ्लॉप कर देते हैं ।  मंसूर खान की फिल्म 'जोश' एक ऐसी ही फिल्म थी।  इस फिल्म में शाहरुख़ खान और ऐश्वर्या राय की जोड़ी भाई बहन बनी थी।  दर्शकों ने इस जोड़े को कुछ इस कदर नकारा कि  खुद शाहरुख़ खान और ऐश्वर्या राय की हिम्मत भाई बहन बनने की नहीं हुई। इसी प्रकार से खालिद मोहम्मद की फिल्म 'फ़िज़ा' की उस समय के पॉपुलर एक्टर ह्रितिक रोशन की करिश्मा कपूर के साथ बनी भाई बहन जोड़ी नकार दी गई। फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हुई।
त्याग और बलिदान के प्रतीक भाई-बहन- हिंदी फिल्मों के भाई बहन प्यार और बलिदान के प्रतीक है।  फिल्म रेशम की डोरी और गर्व में भाई अपनी बहन के बलात्कारी की हत्या कर देता है।  फिल्म तूफ़ान और दिया का भाई अपनी बहन की शादी के  मज़दूरी करता है। दिल धड़कने दो का भाई रणवीर सिंह बहन प्रियंका चोपड़ा को बुरे पति से तलाक़ लेने के लिए सपोर्ट करता है, जबकि, बहन भाई को उसका प्यार अनुष्का शर्मा को पाने के लिए प्रेरित करती है। हम साथ साथ हैं के तीन भाई सलमान खान, सैफ अली  खान और मोहनीश बहल अपनी बहन नीलम कोठारी के लिए कुछ भी कर  गुजरते हैं। 'माय ब्रदर निखिल' में जूही चावला का किरदार अपने एड्स पीड़ित भाई संजय सूरी को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष करता है।  

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