Thursday, 6 September 2018

लैला मजनू और पल्टन पर छायेगा द नन का हॉरर

रोमानिया में, एक वीराने चर्च में, एक युवा नन आत्महत्या कर लेती है।

एक पादरी का भुतहा अतीत है।

धार्मिक शिक्षा पूरी करने की कगार पर, एक नौसिखुआ नन को, वेटिकन द्वारा इस मामले की जांच के लिए भेजा जाता है।

अब चर्च में यह तीनों आ मिलते हैं।

अब खुलने शुरू होते हैं अपवित्र रहस्य।

इनको, न केवल अपवित्र रहस्य को खोलना है, अपनी ज़िन्दगी को भी खतरे में डालना है।

इस प्रयास में, हो सकता है, इसमें उनका विश्वास और आत्मा भी चोटिल हो जाए।

इस समय उनकी भिड़ंत होती है शापित नन से।

इसी नन ने दर्शकों को द कन्जरिंग २ में भयभीत किया था ।

यह तीन चरित्र सिनेमाघरों में बैठे दर्शकों को डरा डरा कर, बेहाल कर देंगे।

क्योंकि, इस भिड़ंत के बाद वह गिरिजाघर शापित आत्मा और जीवित नन और पादरी के बीच भयानक युद्ध क्षेत्र बन जाएगा।

इस फिल्म का निर्देशन करिन हार्डी (द हल्लो) ने किया है।  इस फिल्म की जेम्स वान और गरी डॉबरमैन की कथा पर पटकथा  गरी डॉबरमैन ने ही लिखी है।

डॉबरमैन की पटकथा पर पिछली फिल्म इट (२०१७) ने भारत में बड़ी सफलता हासिल की थी। 

उम्मीद की जा रही है कि द नन बड़ी ओपनिंग लेने वाली हॉलीवुड फिल्मों में शुमार की जाएगी।  इस फिल्म के १० करोड़ के आसपास कारोबार करने की उम्मीद है।  क्योंकि, ज़्यादातर शहरों के मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन थेटरों मै द नन को पसंद किया है। 


इस फिल्म में बोनी आरोन्स ने द नन (शापित आत्मा) की भूमिका की है।  टैसा फार्मीगा सिस्टर  आइरीन की भूमिका की है।  फादर बर्के अभिनेता डेमियन बिचिर ने की है।

ऊपर देखिये इस फिल्म का ट्रेलर।  

कल रिलीज़ हो रही है जे पी दत्ता की वॉर ट्राइलॉजी की आखिरी पलटन

 
जे पी दत्ता की वॉर ट्राइलॉजी की आखिरी फिल्म पल्टन की कहानी चीन और भारत के बीच, १९६७ में, नाथू ला और चो ला इलाके में छोटे युद्ध की कहानी है, जिसमे भारतीय सेना ने, १९६२ की हार को भुलाते हुए, चीनी सैनिकों को कदम पीछे खींचने को मज़बूर कर दिया था।

इस फिल्म को जेपी दत्ता ने लिखा और निर्देशित किया है। फिल्म में संगीत अनु मालिक का ही है। 

इस फिल्म में भी पहले की दो फिल्मों की तरह सितारों की भरमार हैं।

लेकिन, इस बार, जेपी दत्ता अपनी पल्टन में सनी देओल और अजय देवगन जैसे सितारों को शामिल नहीं कर पाए हैं।

यहाँ तक कि उनकी फिल्मों के स्थाई चेहरे सुनील शेट्टी और अभिषेक बच्चन ने भी आखिरी वक़्त में अपने पैर पीछे खींच लिए थे।

इस फिल्म में भिन्न सैनिक किरदार जैकी श्रॉफ, अर्जुन रामपाल और सोनू सूद के साथ गुरमीत चौधरी, हर्षवर्द्धन राणे, सिद्धांत कपूर, लव सिन्हा, अभिलाष चौधरी और नागेंद्र चौधरी ने तथा इनकी पत्नियों, प्रेमिकाओं या दूसरे रिश्तेदारों की भूमिका एशा गुप्ता, सोनल चौहान, दीपिका कक्कड़ और मोनिका गिल ने की है।  

इस फिल्म की अवधि २ घंटा ३४ मिनट है।  इतने कम समय में, इतने ज़्यादा सैनिक किरदारों की वीरता को दर्शना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

जेपी दत्ता, ६८ साल की आयु में इस कठिन काम को कैसे लिख और कर सके होंगे ?

वॉर ड्रामा फिल्म पल्टन के सामने साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म गली गुलियाँ, और आधुनिक रोमांस फिल्म लैला मजनू से तो होगा ही, इन तीनों बॉलीवुड फिल्मों के साथ हॉलीवुड की हॉरर फिल्म द नन से होगा।

इस मुक़ाबले में तीनों बॉलीवुड फिल्मों को हॉलीवुड हॉरर से पिछड़ना ही है।



अरब से नहीं आये हैं साजिद अली के लैला और मजनू

अविनाश तिवारी और तृप्ति डिमरी 
अली भाइयों (इम्तियाज़ और साजिद) को, एकता कपूर के साथ सैकड़ों साल पुरानी लैला मजनू की दन्त कथा को, परदे पर उतारने का शौक चर्राया है।

इम्तियाज़ अली की पिछले दो-तीन सालों में दो रोमांटिक फ़िल्में तमाशा और जब हैरी मेट सेजल मुंह की खाई हैं।

इसके बावजूद उन्होंने अपने  भाई साजिद के साथ लैला मजनू की कहानी लिख मारी।  यह बात दीगर है कि यह मोहब्बत की दीवानगी आधुनिक लैला मजनू की है।

परन्तु ऐसे समय में, मोहब्बत की प्राचीन दुखांत कथाओं में अरब देश से आकर हिंदुस्तान में बेहद लोकप्रिय क़ैस और लैला की मोहब्बत की दास्तान पर बनी हिंदी फिल्मों का ज़िक्र लाजिमी है।

लैला के साथ मोहब्बत में पड़ कर क़ैस शायरी करने लगा।  उसके शायरी और लैला के प्रति जूनून को देख कर लोगों ने उसे मजनूँ यानि पागल का खिताब दे दिया।

मजनूं ने जब लैला के पिता से उसका हाथ माँगा तो पिता ने साफ़ मना कर दिया और लैला की शादी एक रईस व्यापारी के साथ कर दी। अब यह बात दीगर है कि लैला को यह शादी रास नहीं आई और वह बीमार हो कर मर गई ।

लैला के गम में दीवाना मजनू भी पहाड़ों पर शायरी गढ़ता हुआ मर जाता है।

बॉलीवुड ने लैला मजनू की दास्ताँ पर ढेरों फ़िल्में बनाई हैं।

१९२२ में लैला मजनू पर पहली मूक फिल्म रिलीज़ हुई।

कांजीभाई राठौड़ की १९३१ में बनाई गई लैला मजनू में ग़ज़नवी और जहाँआरा कज्जन ने मजनू और लैला की दास्ताँ पहली बार परदे पर सवाक पेश की।

दो साल बाद बी एस राजहंस ने एम् सूकी और फातिमा जैस्मिन को लेकर लैला मजनू बनाई।

१९४५ में नज़ीर ने खुद मजनू और स्वर्णलता को अपनी लैला बना कर लैला मजनू का निर्माण किया।

यहाँ एक दिलचस्प तथ्य यह कि याहू अभिनेता शम्मी कपूर के करियर की शुरुआत की तीसरी फिल्म लैला मजनू थी। इस फिल्म में मजनू बने शम्मी कपूर की लैला नूतन थी।

वहीँ उनके बड़े भाई राजकपूर के बेटे ऋषि कपूर की एक बड़ी हिट फिल्मों में एच एस रवैल की फिल्म लैला मजनू का नाम शामिल है। १९७९ में रिलीज़ इस फिल्म में लैला की भूमिका रंजीता ने की थी।

लैला मजनू की कहानी पर दक्षिण में भी फ़िल्में बनाई गई।

इनमे १९४९ में रिलीज़ पी एस रामकृष्ण राव की फिल्म उल्लेखनीय है। इस फिल्म में ए नागेश्वर राव ने क़ैस और भानुमति रामकृष्ण ने लैला की भूमिका की थी।

पी. भास्करन की १९६२ में रिलीज़ मलयालम फिल्म लैला मजनू में प्रेम नज़ीर ने मजनू और एल विजयलक्ष्मी ने लैला का किरदार किया था। 

अब इम्तियाज़ अली अपने भाई और एकता कपूर के साथ आधुनिक रोमांस लैला मजनू ले कर आ रहे हैं।  यह लैला मजनू कश्मीर की वादियों में मोहब्बत करते हैं।

क्या आज के दौर में, जब पहली नज़र में लैला और मजनू हमबिस्तर हो जाते हैं, इम्तियाज़ अली ने अपने लैला और मजनू के बीच कितनी दूरी बनाये रखी होगी। क्या ऐसा शाकाहारी रोमांस आज की पीढ़ी को रास आएगा ? 

साजिद अली निर्देशित लैला मजनू में आधुनिक लैला और मजनू की भूमिका अविनाश तिवारी (तू है मेरा संडे) और तृप्ति डिमरी (पोस्टर बॉयज) ने की है।  

हल्का : यानि प्रधान मंत्री को सलामी ! - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

हल्का : यानि प्रधान मंत्री को सलामी !

जब से प्रधान मंत्री ने हर घर में शौंच का कार्यक्रम शुरू किया है, बॉलीवुड फिल्मों में शौचालय की लहर आ गई है।

अक्षय कुमार ने तो गाँव में शौच की समस्या पर पूरी एक फ़िल्मी ड्रामा टॉयलेट एक प्रेम कथा बना दी। फिल्म हिट भी हो गई।

शौचालय फिल्मों की श्रंखला में नील माधब पांडा की फिल्म हल्का भी है।

पांडा को, सबसे पहले शोहरत मिली थी, आई एम कलाम फिल्म से। इस फिल्म में चाय की दूकान में काम करने वाला एक छोटा बच्चा भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से प्रेरित हो कर पढ़ने का निर्णय लेता है।

उनकी फिल्म हल्का भी दिल्ली गन्दी बस्तियों के बच्चों पर केंद्रित है। यह बच्चे, खुले में शौच करने से इंकार कर, अपनी बस्ती में शौचालय बनवाने के लिए संघर्ष ही नहीं करते, बनवा कर मानते हैं।

यह फिल्म एक बच्चे पिचकू पर केंद्रित है। फिल्म में पिचकू की भूमिका एक्टर तथास्तु ने की है।

दूसरी भूमिकाओं में पिचकू के पिता रणवीर शोरे और उसकी माँ हेट स्टोरी की सेक्सी पाओली डैम बनी हैं।

इसका मतलब यह हुआ कि इस हफ्ते रणवीर शोरे की दो फ़िल्में - हल्का और गली गुलियाँ रिलीज़ हो रही है।

दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों ही फिल्मों में वह दिल्ली के रहने वाले बने हैं और एक पिता हैं।

हेट स्टोरी के बाद पाओली डैम किसी हिंदी फिल्म में दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाई है। 

क्या आप देखना चाहेंगे पिचकू की टॉयलेट के लिए संघर्ष कथा। 



दिल्ली की गली और गुलियाँ के हर घर में कैमरे की नज़र - क्लिक करें 

दिल्ली की गली और गुलियाँ के हर घर में कैमरे की नज़र

कल (शुक्रवार ७ सितम्बर)  रिलीज़  फिल्म गली गुलियाँ की स्टार कास्ट पर नज़र डालें।

मनोज बाजपेयी के अलावा फिल्म में रणवीर शोरे, शहाणा गोस्वामी, नीरज कबि, ओम सिंह और अरबाज़ खान के नाम दर्ज नज़र आते हैं।

एक्टर के लिहाज़ से जो दर्शक फिल्म देखना चाहते हैं तो उनमे मनोज बाजपेयी ही स्टार इमेज रखते हैं। बाकी तो...!

लेखक निर्देशक दीपेश जैन की इस फिल्म की कहानी एक बिजली मिस्त्री की है।

कहानी की कल्पनाशीलता की उड़ान यह है कि उसने गली के सभी घरों में कैमरे लगा रखे हैं। वह इन कैमरों के ज़रिये हर घर में नज़र रखता है कि कहाँ क्या हो रहा है।

ऐसे में वह पाता है कि एक घर मे छोटे बच्चे को पीटा जाता है।

फिल्म साइकोलॉजिकल ड्रामा फिल्म है। ऐसे विषयों में कल्पना के घोड़े कैसे भी दौड़ाये जा सकते हैं।

वह बिजली मिस्त्री सारे घरों में कैमरे लगा देता है और लोग लगाने देते हैं। पता नहीं कितना कमाता होगा, इतने कैमरे कहाँ से लाता होगा ?

इस मिस्त्री से दिल्ली मुख्य मंत्री को संपर्क करना चाहिये। वह उनकी कैमरे की ज़रुरत पूरी कर सकता है।

बाकी फ़िल्म में होना यही चाहिए कि यह मिस्त्री पीटे जा रहे बच्चे में अपने अतीत को देखता है।  

दिल्ली की संकरी गलियों की ऎसी कहानी वाली फिल्म को वही दर्शक देखने जा सकते हैं, जो मनोज बाजपेयी के कट्टर प्रशंसक है।

लेकिनइस प्रशंसक ने इस साल मनोज बाजपेयी की ऐय्यारी, बागी २, मिसिंग, सत्यमेव जयते और लव सोनिया देख ली है।  कितनी फिल्म देखे मनोज बाजपेयी के नाम पर !

कितने दर्शक हैं मनोज बाजपेयी के। इसी का प्रमाण है कि गली गुलियाँ मल्टीप्लेक्स मे भी इक्का दुक्का स्क्रीन पर ही चलाई जा रही है।  


बड़ी और छोटी फिल्मों के आइटम सांग्स का फर्क !- क्लिक करें 

बड़ी और छोटी फिल्मों के आइटम सांग्स का फर्क !

निर्देशक सचिन गुप्ता, आजकल सेंसर बोर्ड से  काफी नाराज़ चल रहे हैं।

पहले उनकी  फिल्म को कथित रूप से क्रूड बता कर प्रमाणपत्र  देने से मना कर दिया गया । इससे उनकी फिल्म तय तारीख़ पर रिलीज़ नहीं हो सकी ।

सचिन गुप्ता ने मीडिया को बताया कि बोर्ड ने अवैध बाल व्यापार पर उनकी फिल्म का एक गीत 'खबरें गरम' काटने को कह दिया ।

सचिन गुप्ता के अनुसार उनका यह गीत ओमकारा के बीडी जलाई ले और अग्निपथ के चिकनी चमेली की लाइन पर मुजरानुमा गीत है ।

सचिन कहते हैं, “बोर्ड ने कहा, यह फिल्म मे कुछ अच्छा नहीं लग रहा ।“

सचिन गुप्ता शायद यह कहना चाहते हैं कि सेंसर बोर्ड के सदस्य छोटी और बड़ी फिल्म के आइटम सांग्स में फर्क कर रहे हैं ।

बकौल उनके, हालिया रिलीज़ फिल्म स्त्री के कमरिया और सत्यमेव जयते के दिलबर गीत को पारित कर दिया, लेकिन उनकी फिल्म के गीत को अच्छा नहीं बता दिया ।

पहली नज़र में सचिन गुप्ता की नाराज़गी जायज लगती हैं । क्योंकि, आइटम सांग्स के ज़रिये फिल्मों को सफलता दिलाई जा सकती है ।

हालिया फिल्म स्त्री और सत्यमेव जयते इसका प्रमाण तो है ही कि उनके कमरिया और दिलबर गीत ने दर्शकों को सिनेमाघरों तक लाने में मदद की ।

इस लिहाज़ से सचिन की निराशा स्वाभाविक है कि उनका आइटम सांग दर्शक देख ही नहीं पायेंगे तो सिनेमाघर तो क्यों आएंगे ?

मगर, पाखी के आइटम और बाकी की फिल्मो के आइटम सांग्स में बड़ा फर्क है ।

अगर, ऊपर दिए गए गीत के विडियो को देखें तो यह साफ़ हो जाएगा कि अनामिका शुक्ल पर फिल्माए गए आइटम सांग खबरें गर्म में कोई गर्मी नहीं है । अनामिका सुस्त हाथ पैर मारती नज़र आती है । ऐसे गीत को देखना कैसे गर्म हो सकता है ?

हो सकता है कि सेंसर को सही लगा हो कि यह गीत फिल्म के लिहाज़ से अनावश्यक है ।



ट्यूसडे एंड फ्राइडेज में जोया मोरनी के साथ अनमोल

सिनेयुग एंटरटेनमेंट के करीम मोरानी की बिटिया ज़ोया मोरानी को फ़िल्में जल्द मिली।

ज़ोया मोरानीशाहरुख़ खान की फिल्म ओम शांति ओम में फराह खान की सहायक थी।

उन्हें शाहरुख़ खान ने अपनी घरेलु फिल्म ऑलवेज कभी कभी (२०१११) से लांच किया। बॉक्स ऑफिस अपर यह फिल्म खूब मार खाई।

ज़ोया को दो दूसरी फिल्मों मस्तान (२०१२) और भाग जॉनी (२०१५) जैसी फिल्मो में देखा गया।

इसके बादज़ोया के करियर में लम्बी ख़ामोशी हो गई।

अब तीन साल बादएक सितारे बेटे का डेब्यू होने जा रहा है। यह सितारा है अभिनेत्री पूनम  'नूरीढिल्लों।

उनके बेटे अनमोल ठाकरिया का स्क्रीन डेब्यूसंजय लीला भंसाली और टी सीरीज की फिल्म ट्यूसडे एंड फ्राइडे से हो रहा है।

इस फिल्म मेंअनमोल की नायिका के लिए ज़ोया का चयन हुआ है। फिल्म मेंज़ोया की भूमिका लंदन में रह रही एक एनआरआई की है।

दिलचस्प बात यह है कि ज़ोया ने इस भूमिका के लिए कैमरे का सामना लंदन में ही कियाजहाँ फिल्म की शूटिंग चल रही हैं। इस फिल्म का बाकी का हिस्सा मुंबई में शूट होगा।

संजय लीला भंसाली की फिल्म ट्यूसडे एंड फ्राइडे का निर्देशन तरनवीर सिंह ने किया है। उनकी यह पहली फिल्म है।  



इंडियन एयर फ़ोर्स की ऑफिसर जाह्नवी कपूर

दर्शकों का दिल धड़काने के बादश्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर एयर फाॅर्स में जा रही हैं।

उनकी दूसरी फिल्म भीकरण जौहर के बैनर धर्मा प्रोडक्शंस की फिल्म है।

यह एक बायोपिक फिल्म है।

इस बायोपिक फिल्म मेंजाह्नवी कपूर१९९९ के कारगिल युद्ध मेंअपनी को-पायलट श्रीविदया राजन के साथ कारगिल की दुर्गम चोटियों पर विपरीत मौसम में घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाने का कामअदम्य वीरता दर्शाते हुए करने वाली इंडियन एयर फाॅर्स की पहली महिला पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना की भूमिका करेंगी ।

गुंजन सक्सेना और उनकी साथी पायलट श्रीविद्या के हेलीकाप्टर पर इस दौरान पाकिस्तानी सैनिकों की गोलियों की बौछार भी हो रही थी। गुंजन को शौर्य चक्र दिया गया था।

सूत्र बताते हैं कि जाह्नवी कपूर अपनी भूमिका को समझने के लिए गुंजन कपूर से कई बार मिल भी चुकी हैं।

फिल्म का बाकी विवरण ज्ञात नहीं है।

जहाँ तक व्यस्तता का सवाल हैजाह्नवीकरण जौहर की ही एक फिल्म तख़्त में रणवीर सिंहकरीना कपूर खानआलिया भट्टविक्की कौशलभूमि पेडनेकर और चाचा अनिल कपूर के साथ ऐतिहासिक किरदार कर रही हैं। 

नवम्बर से बटाला हाउस में जॉन अब्राहम - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

नवम्बर से बटाला हाउस में जॉन अब्राहम

अभिनेता जॉन अब्राहमअपनी एक्शन थ्रिलर फ़िल्म सयमेव जयते की सफलता से काफी खुश और उत्साहित हैं।

सत्यमेव जयते मेंजॉन अब्राहम नेएक सजग नागरिक की भूमिका की थीजो भ्रष्ट पुलिस वालों की हत्या करता चला जाता है।

अब वह एक सत्य घटना पर फिल्म बाटला हाउस की शूटिंग नवंबर से शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।

यह फिल्मदिल्ली के जामिया नगर के नज़दीक बाटला हाउस में पुलिस और आतंकवादियों के बीच हुए एन्काउंटर पर केंद्रित है।

जॉन अब्राहम अपनी फिल्म की शूटिंग पूरी तैयारी के साथ कर रहे हैं।

अगले हफ्ते से फिल्म की वर्कशॉप शुरू हो जाएगी।

१ नवंबर से बाक़ायदा फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो जाएगी। यह शूटिंग अगले साल ५  जनवरी तक पूरी हो जाएगी।

जॉन अब्राहमबाटला हाउस का निर्माण निखिल अडवाणी के साथ कर रहे हैं।

इस फिल्म मेंजॉन अब्राहम, उस डीसीपी संजीव कुमार यादव की भूमिका करेंगेजिनके नेतृत्व में बाटला हाउस पर छापेमारी की गई थी और इसी दौरान हुई गोलीबारी में आतंकवादी मारे गए थे। 

रितेश शाह की लिखी इस फिल्म का निर्देशन निखिल अडवाणी ही करेंगे।

इस फिल्म की शूटिंग दिल्लीमुंबईजयपुर और नेपाल में होगी।

जॉन अब्राहम ने परमाणु और मद्रास कैफ़े में रॉ एजेंट की भूमिका की थी।

वह एक अन्य फिल्म रॉ- रोमियो अकबर और वालटर में भी रॉ एजेंट बने हैं।

जॉन अब्राहम को पूरी उम्मीद है कि परमाणु और सत्यमेव जयते के बाद उनकी आगामी फिल्मों बाटला हाउस और रॉ को भी दर्शक पसंद करेंगे।
  

साइना नेहवाल बायोपिक के लिए श्रद्धा कपूर का लुक टेस्ट

स्त्री की सफलता से सबसे ज़्यादा खुश श्रद्धा कपूर होंगी।  वह दो सालों से एक हिट फिल्म के लिए तरस रही हैं। उनकी पिछली हिट फिल्म बागी (२०१६) टाइगर श्रॉफ के साथ थी।

इस फिल्म के बाद सेउनकी ओके जानूहाफ गर्लफ्रेंड और हसीना पार्कर फ्लॉप हो चुकी हैं।

स्त्री की बड़ी सफलता ने श्रद्धा के करियर में जान डाल दी है। अब वहअपनी एक दूसरी बायोपिकभारत की बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल पर बायोपिक की तैयारी में जुट गई है।

इस फिल्म का निर्माण धर्मा प्रोडक्शंस के अंतर्गत हो रहा है। फिल्म के निर्देशन का जिम्मा अमोल गुप्ते पर डाला गया है।

अमोल गुप्ते ने पिछले दिनोंश्रद्धा कपूर का लुक टेस्ट लिया था।

वैसे श्रद्धा कपूरसाइना नेहवाल की बायोपिक के लिए काफी समय से तैयारी कर रही हैं। एक समय तो उन्होंने साइना नेहवाल के साथ बैडमिंटन की प्रैक्टिस भी की थी।

लेकिनबायोपिक फिल्म हसीना पारकर के फ्लॉप होने का खामयाज़ा साइना  नेहवाल बायोपिक को भुगतना पड़ा। फिल्म को होल्ड में रख लिया गया।

लेकिनअब स्त्री की सफलता के बादश्रद्धा कपूर को साइना नेहवाल को परदे पर उतारने की अनुमति मिल गई है।

श्रद्धा कपूर कीशाहिद कपूर के साथ दूसरी फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू २१ सितम्बर को रिलीज़ हो रही है। श्रद्धा कपूर ने शाहिद कपूर के साथ पहली फिल्म हैदर की थी। 


भंसाली की फिल्म में सलमान खान - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

भंसाली की फिल्म में सलमान खान

अब तय हो गया है कि सलमान खान और संजय लीला भंसाली, ११ साल बाद, एक बार फिर एक्टर और डायरेक्टर के रोल में नज़र आएंगे।

सलमान खान ने संजय लीला भंसाली की दो फिल्मों ख़ामोशी और हम दिल दे चुके सनम में नायक की भूमिका अदा की थी।

हम दिल दे चुके सनम १८ जून १९९९ को रिलीज़ हुई थी और फिल्म को बड़ी सफलता मिली थी।

इसके बाद, उम्मीद की जाती थी कि सलमान खान और संजय लीला भंसाली की एक्टर-डायरेक्टर जोड़ी फिर बनेगी। लेकिन, यह जोड़ी २००७ में रिलीज़, रणबीर कपूर और सोनम कपूर की डेब्यू फिल्म सांवरिया के गेस्ट अपीयरेंस तक सीमित रह गई। सांवरिया को बड़ी असफलता मिली।

इसके बावजूद, संजय लीला भंसाली ने कोई फिल्म सलमान खान के साथ शुरू नहीं की। वह हृथिक रोशन (गुज़ारिश) और रणवीर सिंह (गोलियों की रास लीला राम-लीला, बाजीराव मस्तानी और पद्मावत) फ़िल्में बनाते रहे।

इसका सलमान खान ने बहुत बुरा माना था।

गुज़ारिश की सफलता के दौरान सलमान खान ने हृथिक रोशन के करैक्टर की नाक पर बैठी मक्खी के सहारे यह तक कह दिया कि गुज़ारिश के सिनेमाघरों में मक्खी तक नहीं गई।

जिन दिनों, सलमान खान रेस ३ के प्रमोशन में जुटे थे, उसी दौरान सलमान खान के पास संजय लीला भंसाली की फिल्म का प्रस्ताव आया।

अब, सलमान खान ने, संजय लीला भंसाली की फिल्म को मंज़ूरी को अपनी शैली में यह कहते हुए बताया कि "मैं संजय के साथ फिल्म कर रहा हूँ। मैंने फिल्म की  स्क्रिप्ट नहीं पढ़ी है।  मैंने इसकी पंक्तियाँ सुनी है।  मैं संजय को फ़ोन से संपर्क करने की कोशिश में हूँ।  लेकिन वह फ़ोन नहीं उठा रहे। तो आप कह दो कि मुझे कॉल कर लें।"

पिछले दिन, सलमान खान बिग बॉस १२ की लॉन्चिंग के मौके पर गोवा में थे।

सलमान खान के साथ, संजय लीला भंसाली की फिल्म का नाम फिलहाल इंशाल्लाह रखा गया है।  


इंस्टेंट फॅमिली : बच्चे गोद लेकर परिवार बनाने के पचड़े - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

इंस्टेंट फॅमिली : बच्चे गोद लेकर परिवार बनाने के पचड़े

इंस्टेंट फॅमिली के ट्रेलर में एक विवाहित जोड़े की परिस्थितिजनक हास्य की स्थितियां नज़र आती हैं।

पीट और एली, तत्काल परिवार शुरू  करना चाहते  हैं। इसके लिए बच्चे गोद लेना ही एकमात्र रास्ता है। एडॉप्शन सेण्टर में वह एक छोटा बच्चा लेने जाते हैं। टकरा जाते हैं, तीन भाई- बहन से, जिनमे एक १५ साल की विद्रोही स्वभाव की लड़की भी है।

अब होता कुछ ऐसा है कि कहाँ वह कोई भी बच्चा नहीं लेने का निर्णय लेना चाहते  थे, मगर उस लड़की सहित तीनो बच्चे घर ले आते हैं। घर में बच्चों के आते ही, अब पीट और एली को तत्काल माँ-पिता बन जाने का सबक सीखना है।

इंस्टेंट फॅमिली की कहानी रियल लाइफ है।  यह कहानी, इस फिल्म के लेखक- निर्देशक सीन अंडरस की आपबीती है।

फिल्म में पीट की भूमिका मार्क वह्ल्बर्ग कर रहे हैं। इंस्टेंट फॅमिली में मार्क वह्ल्बर्ग की भूमिका, उनकी ट्रांसफार्मर्स सीरीज की फिल्मों की कैड येगर की भूमिका से बिलकुल अलग है। हालाँकि, मार्क टेड और टेड २ तथा डैडीज होम जैसी कॉमेडी फ़िल्में भी कर चुके हैं।

एली के रूप में उनका साथ रोज बयर्न कर रही हैं। रोज ने ट्रॉय, २८ वीक्स लेटर, नोइंग, इंसिडियस, एक्स-मेन फर्स्ट क्लास और एक्स -मेन अपोकलिप्स जैसी फ़िल्में की है। कॉमेडी में भी वह माहिर है। 
फिल्म में उनका सपोर्ट ओक्टाविआ स्पेंसर (द शैक, गिफ्टेड, द शेप ऑफ़ वाटर, अ किड लाइक जैक), टिग नोटारो और मार्गो मार्टिंडल कर रहे हैं।

यह  फिल्म सिनेमाघरों में १६ नवंबर को रिलीज़ हो रही है।  

हैलोवीन मूवी का दूसरा ट्रेलर -  देखने के लिए क्लिक करें 

Wednesday, 5 September 2018

हैलोवीन मूवी का दूसरा ट्रेलर






फिर हॉस्पिटल मे भर्ती दिलीप कुमार - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

फिर हॉस्पिटल मे भर्ती दिलीप कुमार

हिंदी  फिल्मों के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार के बारे में बुरी खबर है।

उन्हें छाती में इन्फेक्शन हो गया है। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें हॉस्पिटल लाया गया। इस वजह से उन्हें आज मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा।

इस बारे में दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानू ने ट्वीट कर जानकारी दी और उनके प्रशंसकों से उनके शीघ्र स्वस्थ के लिए प्रार्थना करने को कहा।

दिलीप कुमार, पिछले कुछ सालों से बीमार चल रहे हैं।

किडनी, छाती तथा शरीर के दूसरे हिस्से में इन्फेक्शन के कारण उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ता है।

पिछले साल, पहले अप्रैल में निमोनिया और फिर अगस्त में  किडनी में तकलीफ के कारण हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा था।

इससे पहले दिसंबर २०१६ में उनके पाँव में सूजन आ गई थी।

दिलीप कुमार ने अपने ६० साल लम्बे करियर में सिर्फ ६५ फिल्मे ही की। क्योंकि, वह एक बार में एक फिल्म पर ही काम करने पर विश्वास करते थे।

दिलीप कुमार को १९९४ में दादा साहेब फाल्के और २०१५ में पद्मविभूषण सम्मान दिया गया।

इस साल, ११ दिसंबर को दिलीप कुमार ९६ साल के हो जायेंगे।  


आलिया भट्ट के मॉम और डैड की फिल्म योर्स ट्रूली - पढ़ने के लिए क्लिक करें