जे पी दत्ता की वॉर ट्राइलॉजी की आखिरी फिल्म पल्टन की कहानी चीन और भारत
के बीच, १९६७ में, नाथू ला और
चो ला इलाके में छोटे युद्ध की कहानी है, जिसमे
भारतीय सेना ने, १९६२ की हार को भुलाते हुए,
चीनी सैनिकों को कदम पीछे खींचने को मज़बूर कर दिया था।
इस फिल्म को जेपी दत्ता ने लिखा और निर्देशित
किया है। फिल्म में संगीत अनु मालिक का ही है।
इस फिल्म में भी पहले की दो फिल्मों की तरह सितारों की भरमार हैं।
लेकिन, इस बार,
जेपी दत्ता अपनी पल्टन में सनी देओल और अजय देवगन जैसे सितारों को शामिल
नहीं कर पाए हैं।
यहाँ तक कि उनकी फिल्मों
के स्थाई चेहरे सुनील शेट्टी और अभिषेक बच्चन ने भी आखिरी वक़्त में अपने पैर पीछे खींच लिए थे।
इस फिल्म में भिन्न सैनिक किरदार जैकी श्रॉफ,
अर्जुन रामपाल और सोनू सूद के साथ गुरमीत चौधरी,
हर्षवर्द्धन राणे, सिद्धांत कपूर,
लव सिन्हा, अभिलाष चौधरी और नागेंद्र चौधरी ने तथा इनकी
पत्नियों, प्रेमिकाओं या दूसरे रिश्तेदारों की भूमिका
एशा गुप्ता, सोनल चौहान, दीपिका
कक्कड़ और मोनिका गिल ने की है।
इस फिल्म
की अवधि २ घंटा ३४ मिनट है। इतने कम समय
में, इतने ज़्यादा सैनिक किरदारों की वीरता को
दर्शना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
जेपी दत्ता, ६८ साल की आयु में इस कठिन काम को कैसे लिख
और कर सके होंगे ?
वॉर ड्रामा फिल्म पल्टन के सामने
साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म गली गुलियाँ, और आधुनिक
रोमांस फिल्म लैला मजनू से तो होगा ही, इन तीनों
बॉलीवुड फिल्मों के साथ हॉलीवुड की हॉरर फिल्म द नन से होगा।
इस मुक़ाबले में तीनों
बॉलीवुड फिल्मों को हॉलीवुड हॉरर से पिछड़ना ही है।
अरब से नहीं आये हैं साजिद अली के लैला और मजनू- पढ़ने के लिए क्लिक करें
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