जब से प्रधान मंत्री ने हर घर में शौंच का कार्यक्रम शुरू किया है, बॉलीवुड फिल्मों में शौचालय की लहर आ गई है।
अक्षय कुमार ने तो गाँव में
शौच की समस्या पर पूरी एक फ़िल्मी ड्रामा टॉयलेट एक प्रेम कथा बना दी। फिल्म हिट भी हो गई।
शौचालय फिल्मों की श्रंखला में नील माधब पांडा
की फिल्म हल्का भी है।
पांडा को,
सबसे पहले शोहरत मिली थी, आई एम कलाम
फिल्म से। इस फिल्म में चाय की दूकान में
काम करने वाला एक छोटा बच्चा भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन
से प्रेरित हो कर पढ़ने का निर्णय लेता है।
उनकी फिल्म हल्का भी दिल्ली गन्दी बस्तियों के बच्चों पर केंद्रित है। यह
बच्चे, खुले में शौच करने से इंकार कर,
अपनी बस्ती में शौचालय बनवाने के लिए संघर्ष ही नहीं करते,
बनवा कर मानते हैं।
यह फिल्म एक बच्चे पिचकू पर केंद्रित है। फिल्म में
पिचकू की भूमिका एक्टर तथास्तु ने की है।
दूसरी भूमिकाओं में पिचकू के पिता रणवीर शोरे और उसकी माँ हेट स्टोरी की सेक्सी पाओली डैम बनी हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि इस हफ्ते
रणवीर शोरे की दो फ़िल्में - हल्का और गली गुलियाँ रिलीज़ हो रही है।
दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों ही फिल्मों में
वह दिल्ली के रहने वाले बने हैं और एक पिता हैं।
हेट स्टोरी के बाद पाओली डैम किसी
हिंदी फिल्म में दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाई है।
क्या आप देखना चाहेंगे पिचकू की टॉयलेट के लिए संघर्ष कथा।
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