Wednesday 26 October 2016

खेल फिल्मों को चाहिए बड़े सितारे और चुस्त स्क्रिप्ट !

श्रेष्ठ बाल फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी डायरेक्टर सौमेंद्र पढ़ी की फिल्म बुधिया सिंह बोर्न टू रन इस शुक्रवार रिलीज़ हो रही है। उड़ीसा के वंडर बॉय के नाम से मशहूर बुधिया सिंह के जीवन पर बुधिया के पांच साल की उम्र में ४८ बार मैराथन में दौड़ने, उसके कोच के साथ जुड़े विवादों के बाद बुधिया का करियर ख़त्म होने की इस दास्ताँ में कई घुमाव और उतार चढ़ाव हैं, जो एक दिलचस्प फिल्म के लिए अच्छा कथानक साबित हो सकते हैं। लेकिन, इस फिल्म के साथ कोई बड़ा सितारा नहीं। मनोज बाजपेई बुधिया के कोच विरंची दास की भूमिका में हैं, लेकिन उनकी पहचान मसाला फिल्मों के हीरो से ज्यादा रीयलिस्टिक फिल्मों के हीरो वाली है। ऐसे हीरो फिल्म नहीं चलवा सकते। हिंदी की खेल फिल्मों का इतिहास गवाह है कि बॉलीवुड ने सुल्तान तक कई कथित खेल फ़िल्में बनाई हैं। इनमे क्रिकेट के अलावा हॉकी, एथलेटिक्स, फुटबॉल और बॉक्सिंग पर फ़िल्में शामिल हैं। लेकिन, ज़्यादातर खराब स्क्रिप्टिंग और बड़े सितारों का शिकार हो गई। 
क्रिकेट में फ्लॉप सुपर स्टार !
हिंदी में क्रिकेट पर बहुत सी फ़िल्में बनाई गई। इन फिल्मों में नए या कम पहचाने चेहरों से लेकर सुपर स्टार्स ने भी अभिनय किया। लेकिन, इनमे से कई फ़िल्में औंधे मुंह गिरी। बहुत से सुपर स्टार्स को क्रिकेट कतई रास नहीं आया। २००१ में लगान जैसी हिट फिल्म देने वाले आमिर खान ने अपने करियर की शुरुआत में ही क्रिकेट पर फिल्म अव्वल नंबर में अभिनय किया था। देव आनंद द्वारा निर्देशित फिल्म में आमिर खान ने उभरते क्रिकेटर की भूमिका की थी। मगर, १९९० में रिलीज़ देव आनंद की लिखी यह फिल्म कमज़ोर कथानक के कारण बुरी तरह से असफल हुई। ज़ाहिर है कि उस समय तक आमिर खान सुपर स्टार नहीं बने थे, लेकिन ख़राब कहानी पर क्रिकेट फिल्म से कोई सुपर स्टार भी असफल हो सकता है, इसका उदाहरण निखिल आडवानी की अक्षय कुमार और अनुष्का शर्मा अभिनीत फिल्म पटियाला हाउस हैं। यह फिल्म इंग्लैंड के गेंदबाज़ मोंटी पनेसर के करियर से प्रेरित फिल्म होने के बावजूद दर्शकों को प्रभावित नहीं कर सकी। रवीना टंडन ने २००३ में बतौर प्रोडूसर पहली फिल्म क्रिकेट पर स्टंप्ड बनाई थी। उन्होंने इस फिल्म में अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए सलमान खान और सचिन तेंदुलकर का स्पेशल अपीयरेंस भी करवाया था। लेकिन, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर स्टंप आउट हो गई। लव स्टोरी (१९८१) से सुपर स्टार साबित हो रहे कुमार गौरव ने १९८३ में मोहन कुमार की क्रिकेट फिल्म आल राउंडर में मुख्य किरदार किया था।  लेकिन, यह फिल्म भी बुरी तरह से पिटी।  
कुछ दूसरी फ्लॉप फ़िल्में
ऐसे में, जबकि सुपर स्टार्स को क्रिकेट रास नहीं आ रहा है तो बाकी सितारों की क्या बिसात ! किटू सलूजा ने राहुल बोस के साथ तारे ज़मीन पर के बाल कलाकार जईन खान को लेकर क्रिकेट पर फिल्म चेन कुली की मेन कुली का निर्माण किया था। हॉलीवुड फिल्म लाइक माइक पर आधारित यह फिल्म एक तेरह साल के लडके की कहानी थी, जिसके हाथ कपिल देव का बैट लग जाता है। इसके बाद उसका करियर नाटकीय मोड़ लेता है। मंदिरा बेदी ने फिल्म मीराबाई नॉट आउट में क्रिकेट की दीवानी प्रशंसक की भूमिका की थी। इस फिल्म में अनिल कुंबले का कैमिया हुआ था। से सलाम क्रिकेट के दीवाने चार युवकों की कहानी थी, जो क्रिकेट खेलना चाहते थे। लेकिन, उनका स्कूल कुश्ती पर केन्द्रित था।  हैटट्रिक फिल्म एक विवाहित जोड़े की कहानी थी, जिनका वैवाहिक जीवन पति के क्रिकेट क्रेजी होने के कारण खतरे में पड़ जाता है। अभिनेता हरमन बवेजा ने भी एक क्रिकेट फिल्म विक्ट्री में अभिनय किया था। मैच फिक्सिंग पर वर्ल्ड कप २०११ टाइटल से एक फिल्म रिलीज़ हुई थी। कम पहचाने चेहरों वाली यह फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी। अभी क्रिकेट टीम के भूतपूर्व कैप्टेन मोहम्मद अज़हरुद्दीन पर फिल्म अज़हर फ्लॉप हुई है। 
क्रिकेट पर सफल फ़िल्में
कब बजट और मंझोले सितारों के साथ क्रिकेट पर कुछ सफल फ़िल्में भी बनी। निर्माता विधु विनोद चोपड़ा की राजेश मापुस्कर लिखित और निर्देशित फिल्म फेरारी की सवारी एक पारसी पिता और उसकी अपने बेटे का लॉर्ड्स में क्रिकेट खेलने का सपना पूरा कराने की कहानी थी। शर्मन जोशी ने इस फिल्म में पिता की भूमिका की थी। फिल्म को समीक्षकों द्वारा भी सराहा गया। निर्माता सुभाष घई की फिल्म इक़बाल एक गूंगे बहरे लडके इकबाल के क्रिकेट खेलने का सपना पूरा करने की कहानी थी। इस फिल्म में श्रेयस तलपडे ने गूंगे-बहरे इक़बाल और नसीरुद्दीन शाह ने उसके कोच की भूमिका की थी। अपने कलाकारों के प्रभावशाली अभिनय के कारण इक़बाल दर्शकों को आकर्षित कर पाने में कामयाब हुई थी। इस फिल्म के निर्देशक नागेश कुकनूर थे। इमरान हाशमी की फिल्म जन्नत और जन्नत २ क्रिकेट के खेल में सट्टेबाजी पर फ़िल्में थी। अपने गीत संगीत के कारण जन्नत को अच्छी सफलता मिली थी। लेकिन, जन्नत २ इतनी सफल नहीं हो सकी थी।  क्रिकेट और साम्प्रदायिकता पर अभिषेक कपूर निर्देशित सुशांत सिंह राजपूत अभिनीत फिल्म काई पो चे को बढ़िया सफलता मिली थी। 
फुटबॉल पर फ़िल्में
हिंदी में खेल फिल्मो के लिहाज़ से प्रकाश झा की डेब्यू फिल्म हिप हिप हुर्रे उल्लेखनीय है।  इस फिल्म में कॉलेज में फुटबॉल और फुटबॉल में राजनीति को दिखाया गया था। राज किरण ने मुख्य भूमिका की थी। यह पहली फिल्म थी, जिसने हिंदी फिल्म निर्माताओं को खेल फ़िल्में बनाने की दिशा में सोचने को मज़बूर कर दिया था। २००७ में यूटीवी मोशन पिक्चर्स ने फिल्म गोल या दे दना दन गोल का निर्माण किया था। यूके में दक्षिण एशियाई समुदाय के फुटबॉल खिलाड़ियों द्वारा प्रोफेशनल फुटबॉल में अपना सिक्का जमाने के प्रयास पर इस फिल्म को विवेक अग्निहोत्री ने निर्देशित किया था। मुख्य भूमिका मे जॉन अब्राहम, बिपाशा बासु, अरशद वारसी और बोमन ईरानी के नाम उल्लेखनीय हैं। इस फिल्म को औसत सफलता मिली थी। कश्मीर और फुटबॉल की पृष्ठभूमि पर पियूष झा की फिल्म सिकंदर उल्लेखनीय है। इस फिल्म में एक छोटा बच्चा अपने माँ-बाप के जेहादियों द्वारा मार दिए जाने के बाद कुपवाड़ा में रहने लगता है। वहां उसकी रूचि फुटबॉल में पैदा होती है। कैसे फूटबाल का खेल उस बच्चे को जिहादी बनने से रोकता है, फिल्म इसका प्रभावी चित्रण करती थी। 
दूसरे खेलों पर फ़िल्में
रवि एक अनुशासन पसंद सख्त मिजाज़ पिता है। वह चाहता है कि उसका इकलौता बेटा एथलेटिक्स की प्रतियोगिता जीते। अपने पिता की मर्ज़ी के कारण वह बच्चा घायल होने के बावजूद दौड़ता है और दूसरे स्थान पर आता है। इस फिल्म में पिता की भूमिका सुनील शेट्टी ने और उनके बेटे मयंक टंडन बने थे. यह फिल्म सफल नहीं हुई थी। लेकिन, बॉक्सिंग, दौड़ और हॉकी पर कुछ सफल फ़िल्में उल्लेखनीय हैं. वैसे यह सभी फ़िल्में बड़े सितारों वाली फ़िल्में थी। बॉक्सिंग पर निर्देशक ओमंग कुमार की रियल लाइफ फिल्म मैरी कोम में प्रियंका चोपड़ा ने मुख्य भूमिका की थी। बॉक्सिंग पर ही अनिल शर्मा की देओलों के साथ फिल्म अपने भी सफल हुई थी। भाग मिल्खा भाग में फरहान अख्तर ने अंतर्राष्ट्रीय धावक मिल्खा सिंह का किरदार किया था।  हॉकी की महिला टीम को विश्व कप जितवाने वाले एक दागी हॉकी फॉरवर्ड पर फिल्म चक दे इंडिया को शाहरुख़ खान की बेहतरीन एक्टिंग, शिमिट अमीन के निर्देशन और तमाम दूसरे कलाकारों के संतुलित अभिनय के कारण सफल हुई थी। सेना के धावक पान सिंह तोमर के डाकू बनाने की रियल स्टोरी पर तिग्मांशु धुलिया ने फिल्म पान सिंह तोमर का निर्माण किया था। इस फिल्म में इरफ़ान खान ने मुख्य किरदार किया था। शैलेश वर्मा की २०१४ में रिलीज़ फिल्म बदलापुर बॉयज कबड्डी पर आधारित फिल्म थी। मंसूर खान की फिल्म जो जीता वही सिकंदर दो कॉलेजों के बीच प्रतिस्पर्धा और साइकिल चैंपियन बनने की कहानी पर फिल्म में आमिर खान की केंद्रीय भूमिका थी। अरिंदम चौधरी की फिल्म रोक सको तो रोक लो को जो जीता वही सिकंदर से प्रेरित बताया जाता है। इस फिल्म में सनी देओल मुख्य भूमिका में थे। सैफ अली खान और रानी मुख़र्जी की फिल्म तारा रम पम कार रेसिंग पर फिल्म थी।  इस फिल्म को औसत सफलता मिली थी।   .
क्षेत्रीय भाषाओँ की खेल फ़िल्में
प्रकाश राज ने क्रिकेट को लेकर एक पिता और बेटे के बीच टकराव को लेकर फिल्म धोनी का निर्माण किया था . पिता अपने बेटे को एमबीए करवाना चाहता है, जबकि बेटे को क्रिकेट का दूसरा महेंद्र सिंह धोनी बनाने की ख्वाहिश है. यह फिल्म महेश मांजरेकर की मराठी फिल्म का तमिल और तेलुगु भाषा में रीमेक फिल्म थी. दक्षिण से बॉक्सिंग पर इरुधि शुत्तरू और जॉनी का निर्माण किया गया. १९९१ में दौडाक अश्विनी नाचाप्पा के जीवन पर तेलुगु फिल्म अश्विनी का निर्माण किया गया था . इस फिल्म में अश्विनी नाचाप्पा ने ही शीर्षक भूमिका की थी. कबड्डी पर पंजाबी भाषा में फिल्म कबड्डी वन्स अगेन और कन्नड़ में कबड्डी का निर्माण हुआ . 

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