Saturday 1 November 2014

मैं डायरेक्शन एन्जॉय करता हूँ - आदित्य ओम

आदित्य ओम को एक्टर या डायरेक्टर या दोनों ही कहा जा सकता है।  वह बन्दूक  और शूद्र जैसी चर्चित और विवादित फिल्मों के हीरो थे।  उनकी फिल्म फन फ्रीक्ड  फेसबुक रिलीज़ होने वाली है। इस फिल्म, उनकी पहले की फिल्मों, एक्टिंग या डायरेक्शन के उनके शौक, आदि पर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश-
फन  फ्रीक्ड फेसबुक क्या है ? यह किसके लिए है ? इससे आप क्या बताना चाहते हैं? क्या फेसबुक खतरनाक है? या सावधानी बरतनी चाहिए ?
'फन फ्रीक्ड  फेसबुक' सबके लिये है । यह एक शुद्ध कमर्शियल फिल्म है,  जिसका उद्देश्य मनोरंजन करना है, हाँ इसमें सोशल मीडिया एडिक्शन और उसके ख़तरों से जुड़े पहलुओं को भी छुआ गया है । इंटरनेट  एक अजीबोग़रीब दुनिया है, जहाँ  इनफार्मेशन और नॉलेज के अलावा समाज की हर बुराई भी आसानी से उपलब्ध है । इंटरनेट पर आप किसी भी तरह की झूठी पहचान बना के किसी से भी बात कर सकते है  यह वाक़ई एक वर्चुअल वर्ल्ड है ।
 आजकल मोबाइल या एसएमएस को हॉरर का जरिया बना लिया गया है. क्या इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स डराने वाले हैं ?  
टेक्नोलॉजी हमेशा उपयोग करने वाले के ऊपर होती है कि  वह  उसका सही ग़लत कैसा भी इस्तेमाल कर सकता है । एक पारदर्शी माध्यम न होने के कारण फेसबुक या एसएमएस या ट्वीटर पर उलटी सीधी बात करने वालों को एक निर्भीकता एक सुरक्षा मिल जाती है । इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट ने जीवन को आसान बनाया है,  लेकिन इंटरनेट ने हर व्यक्ति को ड्यूल आइडेंटिटी दी है- एक रियल और एक वर्चुअल जिसके मनोवैज्ञानिक असर दूरगामी और भयावह है ।
आपने पहले अपने एक्टिंग करियर की  शुरुआत साउथ की मूवीज से की।  आपको हिंदी फिल्मों में आने में १२ साल क्यों लगे? इस बीच आपकी एक फिल्म मिस्टर लोनली  रिलीज़ हुई। 
मैंने कोई भी चीज़ किसी प्लानिंग या टाईमटेबल के तहत नहीं की, क्योंकि जीवन ऐसे चलता नहीं है । जो काम हाथ में आया वो अपनी क्षमताओं के अनुसार निभाया । कुछ ग़लतियाँ भी हुई लेकिन हर क़दम पर मेरा एक ही प्रयास था कि किस तरीक़े से अपनी कला को और निखारू हाउ टू  बिकम अ टोटल सिनेमा पर्सन, जिसे सिनेमा  के हर पहलू की पकड़ हो, समझ हो  । बॉलीवुड आज एक बंद दुनिया हैै, जहाँ  कनेक्शंस, नेटवर्किंग, फैमिली नाम और अथाह पैसे के बग़ैर आप मेनस्ट्रीम में मुख्य अभिनेता या एवं फिल्म डायरेक्टर के तौर पे सर्वाइव  नहीं कर पायेंगे । इन सारी कसौटियों पर मैं खरा नहीं उतरता था।  फिर भी मैंने हार नहीं मानी है और प्रयत्नशील हूँ ।
मिस्टर लोनलीकिस प्रकार की फिल्म थी ?
मिस्टर लोनली एक बग़ैर किसी संवाद वाली एक्सपेरिमेंटल फिल्म थी,  जो शायद मैं और अच्छी बना सकता था।
आपकी फ़िल्में बन्दूक और शूद्र  चर्चित भी हुई और  विवादित भी, लेकिन यह फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल सकीं। आप अपनी इस असफलता के लिए किसे दोषी मानते है ?
आजकल फिल्म्स का बॉक्स ऑफिस सिर्फ़ उसकी मार्केटिंग निश्चित करती है। ये तथ्य हर कोई जानता है । दो सौ करोड़ और डेढ़ सौ करोड़ कमाने वाली फिल्मों की क्वालिटी की सच्चाई हर कोई जानता है । बंदूक़ और शूद्र (इसका निर्देशन मेरे मित्र  संजीव जैस्वाल ने किया था) दोनो अपने दायरे में अच्छी फ़िल्में थी, जिन्हें समीक्षकों का भरपूर प्रेम मिला लेकिन बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास नहीं हो पाया । हम लोग अपनी मार्केटिंग में फेल हुये लेकिन बहुत कम लोग इस बात को समझते हैं कि इन फिल्मों की इतनी बड़ी रिलीज़ होना ही बहुत बड़ी बात है ।
दो हिंदी फिल्मों की असफलता से आपने क्या सबक लिया ?
अपने काम पर और अपनी मेहनत अौर आत्मविशलेशण तथा कमर्शियल पहलू को ध्यान में रखना । प्रोडक्ट ऐसा हो जिसकी मार्केटिंग युथ और कंस्यूमर सेगमेंट में हो सके ।
क्या आप हमेशा अपनी फ़िल्में डायरेक्ट करते हैं ? क्या इस प्रकार से आप पर एक्स्ट्रा प्रेशर नहीं रहता ? यह किस  किस प्रकार से फायदेमंद लगता है आपको ?
सिनेमा विज़न का खेल है . अगर कल किसी दूसरे डायरेक्टर ने अच्छे विज़न के साथ एप्रोच किया और हमारे बजट मे़ काम करने को तैयार है तो क्यों नही । ऐसा कोई भी नियम मैंने अपने ऊपर नहीं लगाया है । जहाँ तक रही प्रेशर की बात तो जिस काम को आप एन्जॉय करते है़ं उसमें प्रेशर कैसा ।
फेसबुक के पोस्टर में छह अधनंगी लड़कियां दिखायी गयीं हैं।  इस पोस्टर से आप क्या बताना चाहते हैं ?
जी ये  फीमेल सेंट्रिक फिल्म है । इसके किरदारों की पृष्ठभूमि हाई सोसाइटी की है  उसी के हिसाब से उनका पहनावा है ।  मेरी पिछली फ़िल्मों में भी किरदारों के बैकग्राउंड के अनुसार ही पहनावा था ।
माया मोबाइल के बारे में बताएं ?
माया मोबाइल मेरी बहुचर्चित शार्ट फिल्म है,  जिसमें मोबाइल फोन मिलने के बाद एक गाँव के पुजारी का जीवन किस प्रकार बदल जाता है, दिखाया गया है । माया मोबाइल को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में बहुत अवार्ड्स भी मिले। मैंने शार्ट फिल्म विधा में काफ़ी काम किया है   मेरी एक और शार्ट फिल्म 'फॉर माय मदर' भी काफ़ी सराही गई ।
आपको डायरेक्शन पसंद है या एक्टिंग? अगर डायरेक्शन  पसंदीदा एक्टर है, जिसे आप डायरेक्ट करना चाहेंगे और एज ऐन एक्टर किस के डायरेक्शन में काम करना चाहेंगे ?
जो अभिनेता मेरी कहानी पर फिट हो, उसी के साथ काम करने की मेरी इच्छा रहती है । किसी ख़ास एक्टर के हिसाब से मैंने आजतक किसी फिल्म को नहीं बनाया । बतौर एक्टर अगर मुझे हॉलीवुड के कुछ डायरेक्टर्स जैसे कि डैनी  बॉयल, टारनटिनो,  मार्टिन स्कोर्सेस, ओलिवर स्टोन की फिल्मों में खड़ा होने का भी मौक़ा मिले तो यह मेरा सौभाग्य होगा । ऑफ़ कोर्स मैं किल्म डायरेक्शन ज़्यादा एन्जॉय करता हूँ, क्योंकि इसमें सारी मानवीय कलाओं का समागम है । इट  इज़  द हाईएस्ट इवॉल्वड आर्ट फॉर्म व्हिच इन्वोल्वेस इंटीग्रेशन ऑफ़ द  विसुअल, साउंड एंड इन्ट्यूसन। 


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